Wednesday, 25 January 2017

RAGANIYAN

एक नवम्बर के हरयाणा दिवस के मौके पर एक सपना  मेरा ्््््
मिलजुल कै नया हरयाणा हम घणा आलीसान बनावांगे
नाबराबरी खत्म करकै नै हरयाणा आसमान पहोंचावांगे
बासमती चावल हरयाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज
चार पहिये की मोटर गाड़ी  यो सबतैं फालतू बणावै आज
खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावांगे
चोरी जारी ठग्गी नहीं रहवैंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै
मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै
मिलकै सारे हरयाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावांगे
ठेकेदारां की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै
बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फेर खत्म ताबेदारी होवै
निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरयाणा मैं गूंजावांगे
दहेज़ खातिर दुखी होकै नहीं औरत फांसी खा हरयाणा मैं
कदम बढ़ाये एकबै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरयाणा मैं
बराबर के माहौल मैं महिलाओं के अरमान खिलावांगे
छुआ छूत का नहीं नाम रहै सब रल मिल रहैं गामां मैं
त्याग तपस्या और मोहबत की ये फुहार बहैं गामां मैं
दिखा मानवता का रास्ता जातधर्म का घमासान मिटावांगे
हरयाणा के लड़के और लड़की कन्धे तैं कन्धा मिला चालैंगेत्।ळछप्ल्।छ


















सोचो किमै तो
हाथ पै हाथ धरकै बैठे पानी सिर पर कै जा लिया
कोए सुरक्षित नहीं आड़ै दुनिया का औड़ आ लिया
कातिल की माइंड सैट कन्या भ्रूण हत्या मैं दीखैं
जिसे करें बड़े बडेरे वेहे ये बालक करना सीखें
लंपनाइजेशन समाज के मैं पूरी तरियां छा लिया।
माड़ी माड़ी सी बातों पै रिवाल्वर काढ़ खड़े होज्यां
गोली चलाते वार ना लावैं छोटे करक बड़े होज्यां
राजनीती का क्रिमिनेलाइजेशन यो समाज खा लिया ।
गैंग रेपों की बाढ़ आगी पूरा हरियाणा काँप रहया
आगै के के बनैगी सारी हरेक मानस भांप रहया
जातां मैं बाँटी जनता जात नेता नै फायदा ठा लिया।
शादी की उम्र घटाना चाहते कितनी बोली बात करैं
गैंग रेप उम्र का रिश्ता बता कितनी होली बात करैं
करकै जतन रणबीर सिंह नै यो छंद बना लिया ।
13ण्10ण्2015






















मेरा सपना जो पूरा होगा

जो रूकै नहीं जो झुकै नहीं जो दबै नहीं जो मिटै नहीं
हम वो इंक़लाब रै जुल्म का जवाब रै।
हर शहीद का हर रकीब का हर गरीब का हर मुरीद का
हम बनें ख्वाब रै हम खुली किताब रै।
लड़ते हम इसके लिए प्यार जग मैं जी सकै
आदमी का खून कोई फेर शैतान ना पी सकै
मालिक मजूर के नौकर हजूर के रिश्ते गरूर के जलवे शरूर के
ईब छोडै नवाब रै सरूर और शराब रै।
हम मानैं नहीं हुक्म जुल्मी हुक्मरान का
युद्ध छिड़ लिया आज आदमी शैतान का
सच की ढाल लेके मशाल हों ऊंचे ख्याल करें कमाल
खिलैं लाल गुलाब रै सीधा हो जनाब रै।
मानते नहीं हम फर्क हिन्दू मुसलमान का
जानते हम तो रिश्ता इंसान से इंसान का
जो टूटै नहीं जो छूटै नहीं जो रुठै नहीं जो चूकै नहीं
ना चाहवै खिताब रै बरोबर का हिसाब रै।
भोर की आँख फेर नहीं डबडबाई होगी
कैद महलां मैं नहीं या म्हारी कमाई होगी
जो छलै नहीं जो गलै नहीं जो ढलै नहीं जो जलै नहीं
रणबीर की आब रै या नहीं मानैगी दाब रै।
















गरीब की बहू
एक गरीब परिवार की बहू खेत में घास लेने गई। वहां दो पड़ौस के लड़के उसे दबोच लेते हैं। क्या बनती है््
कोए सुणता होतै सुणियो दियो मेरी सास नै जाकै बेरा।
ईंख के खेत मैं लूट लई छाग्या मेरी आंख्यां मैं अन्धेरा।
चाल्या कोण्या जाता मेरे पै मन मैं कसूती आग बलै सै
दिमाग तै कति घूम रहया यो मेरा पूरा गात जलै सै
पिंजरे मैं घिरी हिरणी देखो या देखै कितै कुंआ झेरॉ।
म्हारे दो पड़ौसी उड़ै खेत मैं घात लगायें बैठे थे
मुँह दाब खींच ली ईंख मैं ईथर भी ल्यायें बैठे थे
गरीब की बहू ठाड्डे की जोरू मनै आज पाटग्या बेरा।
यो काच्चा ढूंढ रहवण नै भरया गाळ मैं कीचड़ री
पति नै ना दिहाड़ी मिलती घरके कहवैं लीचड़ री
गुजारा मुश्किल होरया सै बेरोजगारी नै दिया घेरा।
नहां धोकै बाळ बाहकै घूमै खाज्या किलो खिचड़
उंकी इसी हालत घर मैं जण होसै भैंस का चीचड़
खिलौने बेच गालाँ मैं दो रोटी का काम चलै मेरा।
घरां आकै रिवाल्वर दिखा धमकाया सारा परिवार
बोल चुपाके रहियो नातै चलज्यागा यो हथियार
भीतरला रोवै लागै सुना मनै यो बाबयां बरगा डेरा।
मेरे बरगी बहोत घनी बेबे जो घुट घुट कै नै जीवैं
दाब चौगिरदें तैं आज्यावै हम घूँट जहर का पीवें
यो रणबीर कलम उठाकै कहै हो लिया सब्र भतेरा।
















इंदिरा गांधी
तूँ  सुनिए इंदिरा गांधी ए क्यूँ हमनै फिरै भकांदी
म्हारी नहीं समझ मैं आंदीए तेरा समाजवाद कद आवैगा।
एक तरफ तूँ आपणे आप लाखों रूपया खर्च करै
दूजी तरफ एक गरीब आदमी भूखे पेट तैं तड़फ मरै
करै क्यूँ घोर अत्याचार सै तेरे बंगले कोठी कार सै
गरीब का रहडू बेकार सैए वो क्यूकर दिल संझावैगा।
एक तरफ तूँ करै घोषणा सबके बराबर के अधिकार
दूजी तरफ कोई मांगै रोटी तूँ खोलदेै जेलों के द्वार
या कार माड़ी इंदिरा ताई तूँ ल्यांति जावै तानाशाही
तेरे जांदी के दें पैर दिखाई ए राज पाट तेरा यो जावैगा।।
करकै लूट लूटेरे ख़ागे हम कैसे सुख का सांस जियां
कमेरे वर्ग का खून चूसरे तेरे टाटा बिरला डालमियां
लोक सभा मैं मददगार इनके रेडियो टी वी तार इनके
बैंक कारखाने कार इनकेएयो समाजवाद कूण ल्यावैगा।।
तेरे ढोल के पोल खुलगे सर्वहारा ईब जाग उठया सै
सीना तान खड़या होग्या ज्यूँ मार फुंकार नाग उठया सै
रूठ्या सै मजदूर किसान यो खोसैगा तेरे तैं कमान
रैहज्याओगे सब हैरान ए जब यो दम तमनै दिखावैगा।।
1983 की डायरी से


















अजन्मी बेटी
चिंघाड़ अजन्मी बेटी की हमनै देती नहीं सुणाई।
किस्सा जमाना आग्या हुये माणस कातिल अन्याई।
पेट मैं मरवाना सिखया तकनीक इसी त्यार करी
लिहाज और शर्म सारी पढ़े लिख्याँ नै तार धरी
महिला संख्या घटती जा दुनिया मैं हुई रूसवाई।
परम्परा और कई रिवाज ये बुराई की जड़ मैं रै
दुभांत महिला की गेल्याँ होवै सबके बगड़ मैं रै
छोरे की खातर छोरी पै कटारी पैनी सै चलवाई।
महिला कम हुई सैं ज्यां इनपै अत्याचार बढ़गे
खरीद फरोख्त होण लगी साथ मैं व्यभिचार बढ़गे
घर के भित्तर और बाहर ज्यांन बिघन मैं आई।
पुत्र लालसा की जड़ घनी गहरी म्हारे समाज मैं
दोयम दरजा और दुभांत छिपी सै इस रिवाज मैं
इस आधुनिक समाज नै और रापट रोल मचाई।
महिला शोषण के खिलाफ आवाज उठण लगी
विरोध की चिंगारी आज हरियाणा मैं दिखण लगी
समाज के एक हिस्से नै बराबरी की मांग उठाई।
महिला नै इस माहौल मैं अपने कदम बढ़ा दिए
पिछड़ी सोच आल्याँ के कई बै छक्के छुड़ा दिए
रणबीर नै भी साथ मैं  या अपनी कलम घिसाई ।
















मजदूर की हालत
मनै मजदूरी ना मिलती हुया दुखी घरबार मेरा।।
कितै चांदना नहीं दीखै छाया चारों तरफ अँधेरा।।
फुटया ढूंढ एक कमरा मुश्किल हुया गुजारा रै
चौमासे मैं मुशीबत भारी यो घर टपकै म्हारा रै
माछर खावैं ताप चढ़ै खावण नै आवै सूना डेरा।।
पड़ौसियाँ कै सोणा पड़ै संकट होज्या घणा भारी
रोजगार कोए थयावै ना रूखी सूखी रोटी म्हारी
कहैं कामचोर दारू बाज काम नै ना करै जी तेरा।।
दिन रात मण्डी रैहवै बीमारी मैं भी घरआली या
भैंस पाल दूध बेचकै नै करती म्हारी रूखाली या
बालकां की कड़ै पढ़ाई ज़िब जीने का नहीं बेरा।।
कुआँ न्यारा भेंट करैं ना राजी साथ बिठा कै रै
महंगाई नै लूटे जहर जात धर्म का फैला कै रै
रणबीर अंसमझी मैं कहवैं यो किस्मत का फेरा।।





















डॉक्टर की पुकार
म्हारी आह पै माचै रोल्ला उनका खून भी माफ़ होज्या ।
सरकार तो न्यों चाहवै सै या म्हारी तनखा हाफ होज्या ।
दो साल तरले करते होगे करते कोए सुनायी ना
भिखारी जिसा ब्यौहार करते बात सिरै चढाई ना
हमनै करी कोताही ना या बात जनता मैं साफ़ होज्या।
पांच साल मैं डाक्टरी पढकै सारा पी एच सी चलावां
चौबीस घण्टे लागे रहवाँ हम बैठ कै थोड़े से सुस्तावां
तनखा बढ़वाना चाहवाँ शासन जलकै नै राख होज्या।
म्हारी एकता तोडण खातर घणी गहरी चाल चलैं
डरावैं और धमकावैं सैं कदे ना ये सीढ़ी ढाल चलैं
चाल उल्टी तत्काल चलैं नुक्सान चाहे लाख होज्या।
म्हारा कैरियर बर्बाद करकै बताओ तमनै के थ्यावै
म्हारा हक हमनै मिलज्या बता किसे का के जावै
रणबीर तो साथ निभावै दुनिया चाहे खिलाफ होज्या।






















साथी वीरेंदर शर्मा
सन 1992 में साक्षरता आंदोलन के दौर में साथी ने कार में आग लगने पर अपनी जान जोखिम में डाल कर कर की सवारियों को तो बचा लिया मगर सड़क पर फैले पैट्रोल की आग में बुरी तरह झुलस गया और दो तीन दिन तक मौत से संघर्ष किया।
ज्यांन की परवाह की ना कूदया पीड़ा देख परायी रै।।
जवानी खपादी वीरेंद्र नै समझ दूज्यां की भलाई रै।।
उसतै बढ़िया दीखै कोण्या भाई अकल इंसान की
म्हारे ताहिं राह दिखाई सै उसनै असल इंसान की
भुलाये तैं भी ना भूली जा भाई शक्ल इंसान की
म्हारे ताहिं तस्वीर बनाई उसनै अटल इंसान की
न्यों कहैया करै था साथी मिलकै लडांगे लड़ाई रै।।
लोगों के मोल उसनै रोज घटते बढ़ते देखे भाई
बदमाशों की चांदी आड़ै शरीफ लोग पिटते देखे
लोगों मैं बढ़ी बेरोजगारी सही राह तैं हटते देखे
शहीद भगत सिंह से वीर आजादी पै मिटते देखे
भगत सिंह की राही चल्या वीरेंद्र वीर सिपाही रै।।
ज्ञान विज्ञान समिति मैं थी साथी की कताई हुई
एक एक बात कै उप्पर थी समिति मैं सफाई हुई
समाज कैसे चलता म्हारा बैठकै पूरी धुनाई हुई
गया समझाया हमेशा गरीब की क्यूँ पिटाई हुई
शहीद वीरेंद्र समझ गया अनपढ़ता की खाई रै।।
साथी तेरे सपनों को हम मंजिल तक ले जायेंगे
सच कहना अगर बगावत हम गीत यही गायेंगे
आज नहीं तो कल साथी पूरी दुनिया पर छायेंगे
मानव का बैरी मानव हो ना ऐसा जमाना लायेंगे
रणबीर ईबे रंग अधूरा बनाई तसबीर जो भाई रै ।।












खाई
खाई चौड़ी होंती आवै सै इसनै आज कौण पाटैगा।
गरीब जनता का हाथ सही मैं आज कौण डाटैगा।
बधगी घर घर मैं खाई या बधगी पूरे समाज मैं
देशां के बीच की खाई ना बताते पूरे अंदाज मैं
अमरीका टोप पै रहवण नै आतंकवाद पै काटैगा।
एक देश के भित्तर भी कई ढाल की खाई दीखैं
एक अरबपति बनरया दूजे ये भूखे पेट नै भींचें
शांति कड़े तैं आवैगी जब कारपोरेट इसतै नाटैगा।
लड़ाई बढ़ेगी इस तरियां विनास की राही करकै
पिचानवै हों कठे होंवैंगे चौड़ी होंती खाई करकै
नहीं तो पर्यावरण प्रदूषण सबका कालजा चाटैगा।
लोभ लालच और मुनाफ़ा और बधारे इस खाई नै
समाज गया रसातल मैं चौड़ै भाई  मारै सै भाई नै
रणबीर सिंह समझावै देखो छंद यो न्यारा छांटैगा।






















पृथ्वीसिंह बेधड़क को यू पी और हरयाणा के लोग अच्छी तरह से जानते हैं उनकी एक रचना ;भजनद्धपेश है
हाय रोटी
जय जय रोटी बोल जय जय रोटी ।
बिन रोटी बेकार जगत मैं दाढ़ी और चोटी्बोल जय
गर्मी सर्दी धूप बर्फ जिसनै सर पै ओटी।
पूंजीपति नै बुरी तरह उसकी गर्दन घोटी्बोल जय।1।
दाना खिलाया दूब चराई और हरी टोटी।
जिस दिन ब्याई खोल कै लेग्या सूदखोर झोटी्बोल जय।2।
मंदिर मस्जिद और शिवाले की चोटी खोटी।
बिन रोटी कपड़े के ये सब चीजें हैं छोटी् बोल जय।3।
नहीं हम चाहते महल हवेली नहीं चाहते कोठी।
हम चाहते हैं रोटी कपड़ा रहने को तम्बोटी्बोल जय।4।
मेहनतकश  कशो एक हो जाओ कस कर लँगोटी।
सारी दुनिया तेरे चरण मैं फिरै लौटी लौटी ्बोल जय ।5।
जिसनै रोटी छीन हमारी की गर्दन मोटी ।
पृथ्वीसिंह श्बेधडकश् होय उनकी ओटी बोटी।6।




















हर क्यान्हें मैं मिलावट होगी
हरयाणे का हाल सुणो के के होवै आज सुनाऊँ मैं ।
मिलावट छागी चारों कूट मैं पूरी खोल बताऊँ मैं।
बर्फी खोआ मिलें बनावटी भरोसा नहीं मिठाई का
नकली टीके तैं मरीज मरते भरोसा नहीं दवाई का
आट्टा और मशाले नकली ना भरोसा दाल फ्राई का
पानी प्रदूषित हो लिया भरोसा नहीं दूध मलाई का
कुछ भी खाँते डर लागै सोचें जाँ ईब के खाऊँ मैं।
बीज नकली खाद नकली ना बेरा पाटै असली का
डीजल पेट्रोल मैं मिलावट ना बेरा पाटै नकली का
कीट नाशक घुले पाणी मैं ना बेरा पाटै बेअक्ली का
कद नकली धागा टूटज्या ना बेरा पाटै तकली का
पाणी सिर पर कै जा लिया ना कति झूठ भकाऊं मैं।
राजनीति मैं मिलावट होगी नकली असली होगे रै
ये मिलावटी आज खेत मैं  बीज बिघण के बोगे रै
माणस बी आज दो नंबर के नैतिकता सारी खोगे रै
असली माणस नकली के बोझ साँझ सबरी ढोगे रै
बैठया बैठया सोचें जाँ ईंनतै कैसे पिंड छुटाऊं मैं।
मिलावटी चीज तो बिकती यो दीन ईमान बिकता
माणस मरवाकै बी इनका पेट जमा नहीं छिकता
मिलावट के अन्धकार मैं कोए कोए बस दिखता
जनता एकता के आगै यो मुश्किल नकली टिकता
रणबीर जतन करकै नै बंजर के मैं फूल उगाऊं मैं ।
21ण्10ण्2015















मेहर सिंह एक दिन मोर्चे पर लेटे लेटे सोचता है। क्या बताया भला ््
अंग्रेजां नै घणे जुल्म ढाये अपणा राज जमावण मैं ।
फूट गेरो राज करो ना वार लाई नीति अपनावण मैं ।
किसानों पर घणे कसूते अंग्रेजों नै जुल्म कमाये थे
कोल्हू मैं पीड़ पीड़ मारे लगान भी उनके बढ़ाये थे
जंगलां की शरण लिया करते ये पिंड छुटवावण मैं ।
मजदूरों को बेहाल करया ढाका जमा उजाड़ दिया
मानचैस्टर आगै बढ़ा जलूस ढाका का लिकाड़ दिया
ढाका की आबादी घटी माहिर मलमल बणावण मैं।
ठारा सौ सतावन की जंग मैं  देशी सेना बागी होगी
अंग्रेजां के हुए कान खड़े या चोट कसूती लागी होगी
आजादी की पहली जंग लड़ी गयी थी सत्तावण मैं।
युवा घने सताए गोरयां नै सारे रास्ते लांघ दिए देखो
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव ये फांसी टांग दिए देखो
रणबीर सिंह करै कविताई या जनता जगावण मैं।





















पंडित श्री कृष्ण शर्मा सिसाना से फ़ौजी मेहर सिंह के साथ थे । दोनों लिखारी थे। कई बार आपस में बातचीत होती उनकी। एक बार फौजी मेहर सिंह ने उनको एक बात सुनायी.
कृष्ण जी सुनले तनै दिल की आज बात सुनावां सां
गोरे भुंडे लागैं सैं इणनै मार भगाना चाहवाँ सां ।
ईष्ट इंडिया कम्पनी नै पहलम व्यापार फैलाया
राजवाड़े हुआ करैं थे एक एक पै राज जमाया
जात धर्म पै बंटे हुए आपस मैं राड़ बढ़ावां सां ।
डेढ़ सौ साल होंगे म्हारे पै इणनै पूरा राज जमाया
रेल बिछाई व्यापार खातर लूट का जाल बिछाया
ठारा सौ सतावन मैं आजादी का बिगुल बजावां सां ।
पहली जंग आजादी की कई कारणां हार गए रै
गोरयां नै कसे शिंकजे हो घने वे होशियार गए रै
भगत सिंह महात्मा गांधी लड़ते लड़ाई पावां सां ।
जावेंगे ये गोरे लाजमी आई एन ए मैं आये फौजी
छोड़ अंगरेजी सेना नै बोस गेल्याँ ये पाये फौजी
रणबीर देश की खातर जज्बा खूब दिखावां सां ।






























11ण्9ण्15
पी पी पी नै म्हारे देश का कर दिया बंटाधार
देखियो के होगा ।
पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप नै खत्म करे  खाते सरकारी
कारपोरेट कम्पनी जनता नै ये लूट लूट कै खाती जारी
मशीन मैं टेस्ट तीन हजार बिल मैं दिखावैं सात हजार
देखियो के होगा ।
सरकारी नौकरी खत्म प्राइवेट मैं आरक्षण कोन्या रै
कीमत चढ़गी आसमानाँ बच्चन के लक्षण कोन्या रै आरक्षण पै जाट और पटेलां का जोर सै धुआंधार
देखियो के होगा ।
पी पी पी नै सरकारी पीपे जमा खाली कर दिए आज
गोज खाली पेट भी खाली कति बेहाली कर दिए आज
गरीबी भी बढ़ती जावै अम्बानी के बढ़े सैं अम्बार
देखियो के होगा ।
सरकारी मारया सरकार नै प्राइवेट खूब बढ़ाया देखो
अडाणी और अम्बानी कांग्रेस भाजपा चढ़ाया देखो
रणबीर आपाधापी मचा दी कौनी जनता तैँ प्यार
देखियो के होगा ।




















गुंडागर्दी
इस गुंडा गर्दी नै बेबे ज्यान काढ़ ली मेरी हे ।
सफ़ेद पोश बदमशां नै इसी घाल दी घेरी हे ।

रोज तड़कै होकै त्यार मनै हो कालेज के म्हं जाणा
नपूता रोज कूण पै पावै उनै पाछै साइकल लाणा
राह मैं बूढ़े ठेरे बी बोली मारैं हो मुश्किल गात बचाणा
मुँह मैं घालन नै होज्यां मनै चाहवैं साबती खाणा
उस बदमाश नाश जले नै चुन्नी तार ली मेरी हे ।

मनै सहमी सी नै माँ आगै फेर बात बताई सारी
सीधी जाईये सीधी आईये मनै समझावै महतारी
तेरा ए दोष गिनाया जागा जै तणै या बात उभारी
फेर के रैहज्यागा बेटी ज़िब इज्जत लुटज्या म्हारी
माँ हाथ जोड़ कै बोली तेरे और भतेरी हे ।

नयों गात बचा बचा कै पूरे तीन साल गुजार दिए
एच ए यूं मैं लिया दाखला पढ़ण के विचार किये
वालीबाल मैं लिकड़ी आगै सबके हमले पार किये
मार मार कै तीर कसूते या छाती सालदी मेरी हे ।

कुछ दिन पहलम का जिकरा दूभर जीना होग्या
इन हीरो हांडा आल्याँ का रोज का गमीना होग्या
कई बै रोक मेरी राही खड़या एक कमीना होग्या
उस दिन बी मैं रोक लई घूँट खून का पीना होग्या
रणबीर कई खड़े रहैं साईकिल थम लें मेरी हे ।












लाला हरदयाल
हिन्दुस्तान से बाहर कई जगह पर छाये क्रांतिकारी
सी आई डी गोरी सरकार को सब ख़बरें पहुँच चारी
ग़दर पार्टी को बैन करो अमेरिका पर दबाव बनाया
लाला हरदयाल चलाते पार्टी गोरों ने ये पता लगाया
अमेरिकन सरकार ने मुकद्ममाँ लाला पर चलवाया
अनार्किज्म पर भाषण का दोष उन पर  लगवाया
वारंट निकाले पुलिस ने हजार डॉलर के चालान पर
ग़दर पार्टी ने जमानत दिलवाई पार्टी के आह्वान पर
अमरीकी समाचार पत्रों ने अभियान चलाया भारी
गलत वारंट निकाले हैं इस बात पर खाल उतारी
अंग्रेजों के जूते मत चाटो यह जोरों से बात उठाई
लोकतन्त्र बदनाम किया है खबर अख़बारों में छाई
अमेरिका ने गोरों के दबाव में देना चाहा देश निकाला
अख़बारों में यह मुद्दा भी गया था पूरी तरह उछला
ग़दर पार्टी ने लाला जी को खुद भेजने का प्लान बनाया
लाला जी को स्विट्जेटलैंड सोच समझ के पहुंचाया
ग़दर पार्टी में लाला हरदयाल हमेशा याद किये जायेंगे
पंजाबी और हिन्दुस्तानी उनको कभी ना भुला पाएंगे
रणबीर
10ण्9ण्2015

















ज़िब ज़िब जनता जागी
जिब जिब जनता जागी यो जुल्मी शोषक झुका दिया।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै हम सबनै था भगा दिया।
1ण् आजाद देश का सपना पहोंच्या शहर और गाम मैं
भगत सिंह फांसी टूट्या जोश था देश म्हारे तमाम मैं
दुर्गा भाभी भी गेल्याँ जूटगी इस आजादी के काम मैं
लाखां नर और नारी देगे अपनी कुर्बानी ये गुमनाम मैं
क़ुरबानी बिना नहीं आजादी गांधी अलख जगा दिया।
2ण् गोर गए काले आगे गरीबी जमां मिट्टी नहीं सै देखो
बुराई बढ़ती आवै सै भिद्द इसकी पिटी नहीं सै देखो
अच्छाई संघर्ष करण लागरी आस घटी नहीं सै देखो
जनता सारी समझ रही या उम्मीद छुटी नहीं सै देखो
समतावादी समाज होगा संघर्ष का डंका बजा दिया।
3ण् जात पात हरयाणे की सै सबतैं बडडी बैरी भाईयो
विकास पूरा होवण दे ना दुनिया यह कैहरी भाईयो
वैज्ञानिक सोच काट बताई जड़ घणी गहरी भाईयो
अमीरां की जात अमीरी म्हारै गरीबी फैहरी भाईयो
म्हारी एकता तोड़ण खातर जात पात घणा फैला दिया।
4ण् दारू माफिया मुनाफा खोर इनकी पक्की यारी देखो
भ्रष्ट पुलिसिया ओछा नेता करता चौड़ै गद्दारी देखो
बिचौलिया घणे पैदा होगे म्हारी अक्ल मारी देखो
लाम्बे जन संघर्ष की हमनै करली सै तयारी देखो
लिखै रणबीर भगत सिंह नै यो रस्ता सही दिखा दिया ।














भगत सिंह के सपने
सपने चकनाचूर करे थारे देश की सरकारां नै।
जल जंगल जमीन कब्जाए देश के सहूकारां नै ।
शिक्षा हमें मिलै गुणकारी ए भगत सिंह सपना थारा
मारै ना बिन इलाज बीमारीए भगत सिंह सपना थारा
भरष्टाचार कै मारांगे बुहारीए भगत सिंह सपना थारा
महिला आवै बरोबर म्हारीए भगत सिंह सपना थारा
बम्ब गेर आवाज सुनाईए बहरे गोरे दरबरां नै।
समाजवाद ल्यावां भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
कोए दुःख ना ठावै भारत मैंएभगत सिंह थारा सपना
दलित जागां पावै भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
अच्छाई सारै छावै भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
जनता चैन का सांस लेवै बिन ताले राखै घरबारां नै।
थारी क़ुरबानी के कारण ये आजादी के दिन आये
उबड़ खाबड़ खेत संवारे देश पूरे मैं खेत लहलाये
रात दिन अन्न उपजाया देश अपने पैरों पै ल्याये
चुनकै भेजे जो दिल्ली मैं उणनै हम खूब बहकाये
आये ना गोरयां कै काबू कर लिए अपने रिश्तेदारां नै।
समाजवाद की जगां अम्बानीवाद छाता आवै देखो
थारे सपने भुला कै धर्म पै हमनै लड़वावै देखो
मुजफ्फरनगर हटकै भगत सिंह तनै बुलावै देखो
दोनों देशों मैं कट्टरवाद आज यो बढ़ता जावै देखो
रणबीर खोल कै दिखावै साच आज के दरबारां नै।
देकै कुर्बानी ये छोरी छोरे नए हरयाणा की नींव डालैंगे
गीत रणबीर सिंह नै बनाया मिलकै हम सारे ही गावांगे














आम तौर पर चुनाव के वक्त बहुत वायदे किये जाते हैं । मगर चुनाव के बाद हालात बदल जाते हैं । क्या बताया इस रागनी में
बणे पाछै ना कोये बूझै कित का कौण बतावैं ।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
ईब तलक तो बूझे ना आज याद आई सै म्हारी
गली गली मैं घूमै सै मंत्री जी की ईब महतारी
म्हणत लूट ली सै सारी म्हारे चक्कर खूब कटावैं।
पीसा दारू जात गोत का देख्या चाल्या दौर आड़ै
असली मुद्दे पाछै रैहगे असनायी नै पकड़या जोर आड़ै
म्हारा बनाया मोर आड़ै जा चंडीगढ़ मैं मौज उड़ावैं।
परवाह नहीं करते फेर म्हारी पढ़ाई और लिखाई की
बालकपन मैं बूढ़े होज्यां हमनै खावै चिंता दवाई की
ना सोचें म्हारी भलाई की उलटे हमपै इल्जाम लगावैं।
नित करते ये कांड हवाले समाज कति दबोया क्यों
म्हारी आह उटती ना माफ़ उनका कत्ल होया क्यों
साच हमतैं ल्हकोया क्यों ये सपने झूठे घणे दिखावैं।
रणबीर

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