साम्प्रदायक लोग जगत मैं कति बढ़ण ना देने सैं ।
चै कुछ भी हो ज्याओ धर्म पै लोग लड़ण ना देने सैं।
साम्प्रदायक जहर जगत मैं घटिया लोग फेलारे सैं
आड़ै धर्म पै जूत बाजज्या पूरा जोर ये लगारे सैं
जगह जगह जलूस निकालैं उलटे नारे लारे सैं
अमरीका पै पीस्से खाकै देश तुड़ाना चाहरे सैं
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई कति भिड़ंण ना देने सैं ।
साम्प्रदायक लोग जगत मैं अमरीका नै ठा राखे
कोए देश ना इसा मिलै जड़ै ना एजेंट बणा राखे
सब देशों के पूंजी पति भी अपणी गेल लगा राखे
मेहनत कश क्यूकर लड़वाणे न्यूं सारे समझा राखे
धर्म जात के चक्कर मैं यहां लोग पड़ण ना देने सैं।
कदे कहैं सिख धर्म नै ख़तरा न्यारा देश बनाओ
कदे कहैं हिन्दू धर्म नै खतरा सब त्रिशूल उठाओ
कदे कहैं ईसाई नै खतरा तम सब कट्ठे हो जाओ
कदे कहैं इस्लाम नै खतरा दौड़ दौड़ कै नै आओ
माणस पीड़ण के कोल्हू चलारे लोग पिड़ण ना देने सैं ।
किसे धर्म नै खतरा कोण्या खतरा म्हारी कमाई नै
मेहनत कश पाव बांजड़ बाजै खाणा चाहवै मलाई नै
गौरे पिठू चाहवैं लड़ाणा ये भाई की गेल्याँ भाई नै
करो विचार कैसे दूर करां मानवता पै अंधेरी छाई नै
अंग्रेज सिंह कहै दंगे हिन्द मैं कति बढ़न ना देणे सैं।
No comments:
Post a Comment