दास्तान मेरी
मैं साधारण ऊंची जाति परिवार में पली लड़कीअपने जीवन को सार्थक बनाने चली लड़की
अनगिनत सहन की हैं जीवन की ये कठिनाई गांव के ही भाइयों ने मेरी इज्जत लूटनी चाही खेतों में काम करते मजदूर वह दौड़े-दौड़े आए तभी मेरे ऊपर से वे जुल्म के बादल छंट पाए
कालेज जाने लगी उन्होंने मेरा पीछा नहीं छोड़ा
दूसरे गांव के लड़कों से सूत्र इन्होंने फिर जोड़ा घर पर बात बताई तो कहते बन्द करो पढ़ाई
कालेज में वीमेन सैल बात वहां भी न बन पाई
आशा और निराशा के बीच मैने एमए पास किया
अच्छे नम्बर आये मेरे थोड़ा सुख का सांस लिया
नेट भी पास कर लिया पर नौकरी नहीं मिलती
मां कहती है मेरे चेहरे पर क्यों हंसी नहीं खिलती
कैसे खिले हंसी मुझे पँचायतियो बताओ तो सही
क्या करूं आगे का रास्ता मुझे दिखाओ तो सही
पराइवेट स्तर पर मैंने बीएड भी कर ही लिया है
मेरा रिस्ता ढूंढ़ते घरवालों का जी भर लिया है
ना कहिं नौकरी मिल रही ना शादी हो रही मेरी
क्या नहीं दिखती भगवन ये बर्बादी हो रही मेरी
कई जगह बात चली दहेज को लेकर टूट गई
मर जाने को दिल करता आस सभी छूट गई
क्या करूं कहाँ जाऊं कुछ समझ नहीं आ रहा
बूढ़े माता पिता हैं उनका दुख सहा नहीं जा रहा
भाई एम ए पास वो भी पांव से पांव भिड़ा रहा
बड़ी मुश्किल है दास्तान ये हमारे घर परिवार की
पता नहीं ऐसी हालत है कितने और घरबार की
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