Thursday, 9 February 2023

कद रंग बदलज्या दिल माणस का नहीं इसका बेरा पाटै।।

 

कद रंग बदलज्या दिल माणस का नहीं इसका बेरा पाटै।।

कुछ दिन ताहिं घी खिचड़ी होवै फेर उसे की जड़ नै काटै।।

1

भीतर कुछ लेरया बाहर किमैं दिखावा पल के म्हां छलज्या

साच झूठ दीखै झूठ की साच आज बस छन के म्हां बणज्या

साच्चा फिरै भरमता झूठे की सारी ए ऐस के म्हां चलज्या

साच के पेट मैं झूठ कई बै दखे जान बूझ कै पलज्या

मन पाटज्यां आपस के फेर माणस क्युकर दिल नै डाटै।।

कुछ दिन ताहिं घी खिचड़ी होवै फेर उसे की जड़ नै काटै।।

2

चंचल मन नै साधनिया कोये ना आज तलक तो पाया

रोऊं भीतर बड़कै क्युकर दूर करूं शंका की छाया

मन की लगाम दिमाग बतावैं कोण्या समझ मैं आया

बात करते दिल दिमाग़ फेर कोण्या डटती या काया

बिना दिमाग के जो दिल चालता बता उसनै के कोये चाटै।।

कुछ दिन ताहिं घी खिचड़ी होवै फेर उसे की जड़ नै काटै।।

3

दिमाग दुनिया मैं सबतैं सुंदर यो पदार्थ बताया सै रै

लाखों साल की खुभात लगी जिब यो दर्जा पाया सै रै

दुनिया मैं जितना विकास हुया गूँठे नै कर दिखाया सै रै

दिमाग चालै दो तरफा एक बनावै दूजे नै सब ढाया सै रै

दिल किसका साथ देवै म्हारा इसनै कोये क्युकर बांटै।।

कुछ दिन ताहिं घी खिचड़ी होवै फेर उसे की जड़ नै काटै।।

4

समाज मैं ताकत माणस तैं न्यारी जो इसनै चलावै देख

इस ताकत बिना माणस बिचारा खड़या यो लखावै देख

पदार्थ के अंदर चलै जो वो संघर्ष नहीं नजर आवै देख

इसनै देखण नै जो चाहिए वो ज्ञान कड़े तैं आवै देख

दिल और दिमाग जब मिलज्यां रणबीर रंग न्यारा छांटै।।

कुछ दिन ताहिं घी खिचड़ी होवै फेर उसे की जड़ नै काटै।।

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