इलाज पति का
पांच हजार बहिन जी उधारे देदे पति मेरा बीमार हुया।।
मैडीकल मैं पड़या तड़फै घणा मोटा यो त्यौहार हुया।।
1
दो बोतल खून माँग्या डॉक्टरों नै परेशन बोल दिया
न्यों बोले मोल नहीं बिकता तुरत भेद तमाम खोल दिया
एक बोतल तो मेरा काढ्या दूजी का पांच सौ मोल लिया
कथनी करनी मैं फर्क घणा लगा बात का तोल लिया
एक दो खावण नैं आज्यां थे ओ बिचला मदद गार हुया।।
2
दस हजार का खर्चा आया पर काम जोगा रहया नहीं
मरणे तैं तो बचग्या फेर दर्द ऊँपै जानता सहया नहीं
लुहकमा सुल्फा दारू पीज्या मानै कति कहया नहीं
सारे ताणे तुड़ा कै देख लिए जाता और फहया नहीं
जिनकै घर मैं बर्तन माँजूँ उनके साहरै घरबार हुया।।
3
एक दिन मनै अपना दुखड़ा यो बहन जी आगै रोया
वकील पति नै बेरा पटग्या उसनै अपना धीरज खोया
शाम सबेरी करै वो इशारे दिल मेरा घणा दुखी होया
एक दिन करी छेड़खाणी उनै बीज बिघन का बोया
दुनिया उसनै कहै देवता पर मेरा जीणा दुष्वार होया।।
4
तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या किसकै आगै दुख रोऊँ मैं
वकील का करूं सामना तै सारे घर की रोटी खोऊँ मैं
चुपकी रहूं तो उसकी बदफेली का शिकार होऊँ मैं
और कितै नहीं दीखै सहारा रणबीर पै मूंह धोऊँ मैं
वकील समझाया उसनै वो मेरा सही मददगार होया।।
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