2004 के दौर में लिखी एक रचना
सोनिया गांधी का त्याग देख कै मनै आंख्यां आंसू ल्यायें देखे।।आखरी फैंसला सुणणे नै कान रेडियो पर सब लगायें देखे।।
1
कोये कहवै ड्रामा रच राख्या सै या हटकै हां भर लेगी
कोये कहवै इस बिना कांग्रेस दो दिन के मैं मर लेगी
कोये कहवै के बेरा था इतनी तावली सी या डर लेगी
कोये कहवै त्याग करया अपना कद ऊंचा कर लेगी
दस जनपथ पै दो तीन लोग पूरी नजर गड़ायें देखे।।
2
भजपा नै जात दिखाई बदेशी का मुद्दा फेर उठाया रै
गोबिंदाचार्य आत्मसम्मान का मंच बणाकै ल्याया रै
देश संविधान तैं उप्पर उसनै न्यों टीवी ऊपर बताया रै
आत्म सम्मान राष्ट्र का बता घणा कसूता ढोंग रचाया रै
दूसरे देश का मुद्दा बार बार उमा और सुषमा ठायें देखे।।
3
देश के सम्मान ऊपर जो इतनी कसूती ढालां मरते
आड़ै भूख तैं मरैं हजारों इन बाताँ पै कान नहीं धरते
मंदिर साझला ना कुंआ साझै हिंदुत्व का दम भरते
हिन्दू राष्ट्र की बात करैं पर देश तोड़ण तैं नहीं डरते
देश बेच्या सारा जिणनै वे देशी का ठप्पा चिपकायें देखे।।
4
सोनिया गांधी बहन नै देखो भारत देश तैं इतना प्यार किया
प्रधानमंत्री पद देश पै उसनै भाईयो खुशी खुशी वार दिया
भारत देश का जन आदेश पूरी तरियां अंगीकार किया
धर्म निरपेक्ष मोर्चा सबनै मिलकै नै कर यो त्यार दिया
न्यूनतम साझा कार्यक्रम पै देशवासी आस जमायें देखे।।
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