Tuesday, 31 January 2017

प्रभात


जनता की जनवादी क्रांति की अलख जगाई प्रभात तनै ।।

यूनियन बनाकै मजदूरां की जी लाकै करी खुभात तनै ।

किसान मजदूर करे लामबंद गई मांग उनकी ठाई

कमेरे की लूट करैं लूटेरे जा जाकै गामां मैं बात बताई 

भट्ठे मालिकां की खोल दईं मजदूरां बीच खुराफात तनै।

यूनियन बनाकै मजदूरां की जी लाकै करी खुभात तनै ।

पत्थेरे और कमेरे भठ्यां पै सहज सहज साथ मैं आगे 

बहोत से भठ्यां के ऊपर फेर ये लाल झंडे लहरागे 

जागरूक करी हाँगा लाकै खेत मजदूरां की जमात तनै।

 इनकी जिंदगी गेल्याँ कहते नजदीक का रिश्ता बनाया था 

इनके जीवन के बारे में अपना घना ए टेम लगाया था 

मजदूरों की खड़ी करदी एक घणी लड़ाकू जमात तनै ।
यूनियन बनाकै मजदूरां की जी लाकै करी खुभात तनै ।

मजदूरों के जीवन पै लिखी कई कहानी लगा जोर तनै 

भट्ठे मालिकों की धमकी भी नहीं कर पाई कमजोर तनै 

रणबीर पढ़कै लेनिन मार्क्स कर दिखाई करामात  तनै ।

Monday, 30 January 2017

Taval

 कहतें हैं मुसीबतें तन्हाा नहीं आती। 1936 &37 में इस सारे क्षेत्र में गन्ने की सारी फसल पायरिला की बीमारी ने बरबाद कर दीगन्ने से गुड़ नहीं बना और राला एक से दो रुपये मन के हिसाब सेबेचना पड़ा। इस प्रकार जमींदार बरबाद हो गये। इसी बीमारी के डर से अगले साल गन्ना बहुल कम बोया। इसी समय भयंकर अकाल भी पड़े थे इस इलाके में। प्रथम महायुद्ध में इस क्षेत्र से काफी लोगफौज में गये थे। इसके बाद सन् 35 के आस पास मेहर सिंह पर भी घर के हालात को देखते फौज में भरती होने का दबाव बना। सही सही साल तो नहीं बता पाये लोग मगर 35-37 के बीच ही मेहर सिंहफौज में भरती होता है। मेहरसिंह जब फौज में जाने लगता है तो प्रेम कौर रोने लगती है। मेहरसिंह का दिल भर आता है। वह अपने मन को काबू में करके प्रेम कौर को समझाता है। क्या बताया भला
रागनी 
टेक    रौवे मतना प्रेम कौर मैं तावल करकै  ल्यूंगा।।
        थोड़े दिन की बात से प्यारी फौज मैं तनै बुला ल्यूंगा।।
1       भेज्या करिये खबर बरोणे की, जरूरत नहीं तनै इब रोेणे की
        सोचिये मतना जिन्दगी खोणे की, ना मैं भी फांसी खा ल्यूंगा।।
2       जिले रोहतक मैं खरखोदा सै, बरोणा गाम एक पौधा सै
        फौजी ना इतना बोदा सै, घर का बोझ उठा ल्यूंगा।।
3       बीर मरद की रखैल नहीं सै, बराबरी बिन मेल नहीं सै
        हो आच्छी धक्का पेल नहीं सै, मैं बाबू नै समझा ल्यूंगा।।
4       मेहनत करकै खाणा चाहिये, फिरंगी मार भजाणा चाहिये
        रणबीर सुर मैं गाणा चाहिये, ध्यान देश पै ला ल्यूंगा।।

Wednesday, 25 January 2017

RAGANIYAN

एक नवम्बर के हरयाणा दिवस के मौके पर एक सपना  मेरा ्््््
मिलजुल कै नया हरयाणा हम घणा आलीसान बनावांगे
नाबराबरी खत्म करकै नै हरयाणा आसमान पहोंचावांगे
बासमती चावल हरयाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज
चार पहिये की मोटर गाड़ी  यो सबतैं फालतू बणावै आज
खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावांगे
चोरी जारी ठग्गी नहीं रहवैंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै
मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै
मिलकै सारे हरयाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावांगे
ठेकेदारां की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै
बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फेर खत्म ताबेदारी होवै
निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरयाणा मैं गूंजावांगे
दहेज़ खातिर दुखी होकै नहीं औरत फांसी खा हरयाणा मैं
कदम बढ़ाये एकबै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरयाणा मैं
बराबर के माहौल मैं महिलाओं के अरमान खिलावांगे
छुआ छूत का नहीं नाम रहै सब रल मिल रहैं गामां मैं
त्याग तपस्या और मोहबत की ये फुहार बहैं गामां मैं
दिखा मानवता का रास्ता जातधर्म का घमासान मिटावांगे
हरयाणा के लड़के और लड़की कन्धे तैं कन्धा मिला चालैंगेत्।ळछप्ल्।छ


















सोचो किमै तो
हाथ पै हाथ धरकै बैठे पानी सिर पर कै जा लिया
कोए सुरक्षित नहीं आड़ै दुनिया का औड़ आ लिया
कातिल की माइंड सैट कन्या भ्रूण हत्या मैं दीखैं
जिसे करें बड़े बडेरे वेहे ये बालक करना सीखें
लंपनाइजेशन समाज के मैं पूरी तरियां छा लिया।
माड़ी माड़ी सी बातों पै रिवाल्वर काढ़ खड़े होज्यां
गोली चलाते वार ना लावैं छोटे करक बड़े होज्यां
राजनीती का क्रिमिनेलाइजेशन यो समाज खा लिया ।
गैंग रेपों की बाढ़ आगी पूरा हरियाणा काँप रहया
आगै के के बनैगी सारी हरेक मानस भांप रहया
जातां मैं बाँटी जनता जात नेता नै फायदा ठा लिया।
शादी की उम्र घटाना चाहते कितनी बोली बात करैं
गैंग रेप उम्र का रिश्ता बता कितनी होली बात करैं
करकै जतन रणबीर सिंह नै यो छंद बना लिया ।
13ण्10ण्2015






















मेरा सपना जो पूरा होगा

जो रूकै नहीं जो झुकै नहीं जो दबै नहीं जो मिटै नहीं
हम वो इंक़लाब रै जुल्म का जवाब रै।
हर शहीद का हर रकीब का हर गरीब का हर मुरीद का
हम बनें ख्वाब रै हम खुली किताब रै।
लड़ते हम इसके लिए प्यार जग मैं जी सकै
आदमी का खून कोई फेर शैतान ना पी सकै
मालिक मजूर के नौकर हजूर के रिश्ते गरूर के जलवे शरूर के
ईब छोडै नवाब रै सरूर और शराब रै।
हम मानैं नहीं हुक्म जुल्मी हुक्मरान का
युद्ध छिड़ लिया आज आदमी शैतान का
सच की ढाल लेके मशाल हों ऊंचे ख्याल करें कमाल
खिलैं लाल गुलाब रै सीधा हो जनाब रै।
मानते नहीं हम फर्क हिन्दू मुसलमान का
जानते हम तो रिश्ता इंसान से इंसान का
जो टूटै नहीं जो छूटै नहीं जो रुठै नहीं जो चूकै नहीं
ना चाहवै खिताब रै बरोबर का हिसाब रै।
भोर की आँख फेर नहीं डबडबाई होगी
कैद महलां मैं नहीं या म्हारी कमाई होगी
जो छलै नहीं जो गलै नहीं जो ढलै नहीं जो जलै नहीं
रणबीर की आब रै या नहीं मानैगी दाब रै।
















गरीब की बहू
एक गरीब परिवार की बहू खेत में घास लेने गई। वहां दो पड़ौस के लड़के उसे दबोच लेते हैं। क्या बनती है््
कोए सुणता होतै सुणियो दियो मेरी सास नै जाकै बेरा।
ईंख के खेत मैं लूट लई छाग्या मेरी आंख्यां मैं अन्धेरा।
चाल्या कोण्या जाता मेरे पै मन मैं कसूती आग बलै सै
दिमाग तै कति घूम रहया यो मेरा पूरा गात जलै सै
पिंजरे मैं घिरी हिरणी देखो या देखै कितै कुंआ झेरॉ।
म्हारे दो पड़ौसी उड़ै खेत मैं घात लगायें बैठे थे
मुँह दाब खींच ली ईंख मैं ईथर भी ल्यायें बैठे थे
गरीब की बहू ठाड्डे की जोरू मनै आज पाटग्या बेरा।
यो काच्चा ढूंढ रहवण नै भरया गाळ मैं कीचड़ री
पति नै ना दिहाड़ी मिलती घरके कहवैं लीचड़ री
गुजारा मुश्किल होरया सै बेरोजगारी नै दिया घेरा।
नहां धोकै बाळ बाहकै घूमै खाज्या किलो खिचड़
उंकी इसी हालत घर मैं जण होसै भैंस का चीचड़
खिलौने बेच गालाँ मैं दो रोटी का काम चलै मेरा।
घरां आकै रिवाल्वर दिखा धमकाया सारा परिवार
बोल चुपाके रहियो नातै चलज्यागा यो हथियार
भीतरला रोवै लागै सुना मनै यो बाबयां बरगा डेरा।
मेरे बरगी बहोत घनी बेबे जो घुट घुट कै नै जीवैं
दाब चौगिरदें तैं आज्यावै हम घूँट जहर का पीवें
यो रणबीर कलम उठाकै कहै हो लिया सब्र भतेरा।
















इंदिरा गांधी
तूँ  सुनिए इंदिरा गांधी ए क्यूँ हमनै फिरै भकांदी
म्हारी नहीं समझ मैं आंदीए तेरा समाजवाद कद आवैगा।
एक तरफ तूँ आपणे आप लाखों रूपया खर्च करै
दूजी तरफ एक गरीब आदमी भूखे पेट तैं तड़फ मरै
करै क्यूँ घोर अत्याचार सै तेरे बंगले कोठी कार सै
गरीब का रहडू बेकार सैए वो क्यूकर दिल संझावैगा।
एक तरफ तूँ करै घोषणा सबके बराबर के अधिकार
दूजी तरफ कोई मांगै रोटी तूँ खोलदेै जेलों के द्वार
या कार माड़ी इंदिरा ताई तूँ ल्यांति जावै तानाशाही
तेरे जांदी के दें पैर दिखाई ए राज पाट तेरा यो जावैगा।।
करकै लूट लूटेरे ख़ागे हम कैसे सुख का सांस जियां
कमेरे वर्ग का खून चूसरे तेरे टाटा बिरला डालमियां
लोक सभा मैं मददगार इनके रेडियो टी वी तार इनके
बैंक कारखाने कार इनकेएयो समाजवाद कूण ल्यावैगा।।
तेरे ढोल के पोल खुलगे सर्वहारा ईब जाग उठया सै
सीना तान खड़या होग्या ज्यूँ मार फुंकार नाग उठया सै
रूठ्या सै मजदूर किसान यो खोसैगा तेरे तैं कमान
रैहज्याओगे सब हैरान ए जब यो दम तमनै दिखावैगा।।
1983 की डायरी से


















अजन्मी बेटी
चिंघाड़ अजन्मी बेटी की हमनै देती नहीं सुणाई।
किस्सा जमाना आग्या हुये माणस कातिल अन्याई।
पेट मैं मरवाना सिखया तकनीक इसी त्यार करी
लिहाज और शर्म सारी पढ़े लिख्याँ नै तार धरी
महिला संख्या घटती जा दुनिया मैं हुई रूसवाई।
परम्परा और कई रिवाज ये बुराई की जड़ मैं रै
दुभांत महिला की गेल्याँ होवै सबके बगड़ मैं रै
छोरे की खातर छोरी पै कटारी पैनी सै चलवाई।
महिला कम हुई सैं ज्यां इनपै अत्याचार बढ़गे
खरीद फरोख्त होण लगी साथ मैं व्यभिचार बढ़गे
घर के भित्तर और बाहर ज्यांन बिघन मैं आई।
पुत्र लालसा की जड़ घनी गहरी म्हारे समाज मैं
दोयम दरजा और दुभांत छिपी सै इस रिवाज मैं
इस आधुनिक समाज नै और रापट रोल मचाई।
महिला शोषण के खिलाफ आवाज उठण लगी
विरोध की चिंगारी आज हरियाणा मैं दिखण लगी
समाज के एक हिस्से नै बराबरी की मांग उठाई।
महिला नै इस माहौल मैं अपने कदम बढ़ा दिए
पिछड़ी सोच आल्याँ के कई बै छक्के छुड़ा दिए
रणबीर नै भी साथ मैं  या अपनी कलम घिसाई ।
















मजदूर की हालत
मनै मजदूरी ना मिलती हुया दुखी घरबार मेरा।।
कितै चांदना नहीं दीखै छाया चारों तरफ अँधेरा।।
फुटया ढूंढ एक कमरा मुश्किल हुया गुजारा रै
चौमासे मैं मुशीबत भारी यो घर टपकै म्हारा रै
माछर खावैं ताप चढ़ै खावण नै आवै सूना डेरा।।
पड़ौसियाँ कै सोणा पड़ै संकट होज्या घणा भारी
रोजगार कोए थयावै ना रूखी सूखी रोटी म्हारी
कहैं कामचोर दारू बाज काम नै ना करै जी तेरा।।
दिन रात मण्डी रैहवै बीमारी मैं भी घरआली या
भैंस पाल दूध बेचकै नै करती म्हारी रूखाली या
बालकां की कड़ै पढ़ाई ज़िब जीने का नहीं बेरा।।
कुआँ न्यारा भेंट करैं ना राजी साथ बिठा कै रै
महंगाई नै लूटे जहर जात धर्म का फैला कै रै
रणबीर अंसमझी मैं कहवैं यो किस्मत का फेरा।।





















डॉक्टर की पुकार
म्हारी आह पै माचै रोल्ला उनका खून भी माफ़ होज्या ।
सरकार तो न्यों चाहवै सै या म्हारी तनखा हाफ होज्या ।
दो साल तरले करते होगे करते कोए सुनायी ना
भिखारी जिसा ब्यौहार करते बात सिरै चढाई ना
हमनै करी कोताही ना या बात जनता मैं साफ़ होज्या।
पांच साल मैं डाक्टरी पढकै सारा पी एच सी चलावां
चौबीस घण्टे लागे रहवाँ हम बैठ कै थोड़े से सुस्तावां
तनखा बढ़वाना चाहवाँ शासन जलकै नै राख होज्या।
म्हारी एकता तोडण खातर घणी गहरी चाल चलैं
डरावैं और धमकावैं सैं कदे ना ये सीढ़ी ढाल चलैं
चाल उल्टी तत्काल चलैं नुक्सान चाहे लाख होज्या।
म्हारा कैरियर बर्बाद करकै बताओ तमनै के थ्यावै
म्हारा हक हमनै मिलज्या बता किसे का के जावै
रणबीर तो साथ निभावै दुनिया चाहे खिलाफ होज्या।






















साथी वीरेंदर शर्मा
सन 1992 में साक्षरता आंदोलन के दौर में साथी ने कार में आग लगने पर अपनी जान जोखिम में डाल कर कर की सवारियों को तो बचा लिया मगर सड़क पर फैले पैट्रोल की आग में बुरी तरह झुलस गया और दो तीन दिन तक मौत से संघर्ष किया।
ज्यांन की परवाह की ना कूदया पीड़ा देख परायी रै।।
जवानी खपादी वीरेंद्र नै समझ दूज्यां की भलाई रै।।
उसतै बढ़िया दीखै कोण्या भाई अकल इंसान की
म्हारे ताहिं राह दिखाई सै उसनै असल इंसान की
भुलाये तैं भी ना भूली जा भाई शक्ल इंसान की
म्हारे ताहिं तस्वीर बनाई उसनै अटल इंसान की
न्यों कहैया करै था साथी मिलकै लडांगे लड़ाई रै।।
लोगों के मोल उसनै रोज घटते बढ़ते देखे भाई
बदमाशों की चांदी आड़ै शरीफ लोग पिटते देखे
लोगों मैं बढ़ी बेरोजगारी सही राह तैं हटते देखे
शहीद भगत सिंह से वीर आजादी पै मिटते देखे
भगत सिंह की राही चल्या वीरेंद्र वीर सिपाही रै।।
ज्ञान विज्ञान समिति मैं थी साथी की कताई हुई
एक एक बात कै उप्पर थी समिति मैं सफाई हुई
समाज कैसे चलता म्हारा बैठकै पूरी धुनाई हुई
गया समझाया हमेशा गरीब की क्यूँ पिटाई हुई
शहीद वीरेंद्र समझ गया अनपढ़ता की खाई रै।।
साथी तेरे सपनों को हम मंजिल तक ले जायेंगे
सच कहना अगर बगावत हम गीत यही गायेंगे
आज नहीं तो कल साथी पूरी दुनिया पर छायेंगे
मानव का बैरी मानव हो ना ऐसा जमाना लायेंगे
रणबीर ईबे रंग अधूरा बनाई तसबीर जो भाई रै ।।












खाई
खाई चौड़ी होंती आवै सै इसनै आज कौण पाटैगा।
गरीब जनता का हाथ सही मैं आज कौण डाटैगा।
बधगी घर घर मैं खाई या बधगी पूरे समाज मैं
देशां के बीच की खाई ना बताते पूरे अंदाज मैं
अमरीका टोप पै रहवण नै आतंकवाद पै काटैगा।
एक देश के भित्तर भी कई ढाल की खाई दीखैं
एक अरबपति बनरया दूजे ये भूखे पेट नै भींचें
शांति कड़े तैं आवैगी जब कारपोरेट इसतै नाटैगा।
लड़ाई बढ़ेगी इस तरियां विनास की राही करकै
पिचानवै हों कठे होंवैंगे चौड़ी होंती खाई करकै
नहीं तो पर्यावरण प्रदूषण सबका कालजा चाटैगा।
लोभ लालच और मुनाफ़ा और बधारे इस खाई नै
समाज गया रसातल मैं चौड़ै भाई  मारै सै भाई नै
रणबीर सिंह समझावै देखो छंद यो न्यारा छांटैगा।






















पृथ्वीसिंह बेधड़क को यू पी और हरयाणा के लोग अच्छी तरह से जानते हैं उनकी एक रचना ;भजनद्धपेश है
हाय रोटी
जय जय रोटी बोल जय जय रोटी ।
बिन रोटी बेकार जगत मैं दाढ़ी और चोटी्बोल जय
गर्मी सर्दी धूप बर्फ जिसनै सर पै ओटी।
पूंजीपति नै बुरी तरह उसकी गर्दन घोटी्बोल जय।1।
दाना खिलाया दूब चराई और हरी टोटी।
जिस दिन ब्याई खोल कै लेग्या सूदखोर झोटी्बोल जय।2।
मंदिर मस्जिद और शिवाले की चोटी खोटी।
बिन रोटी कपड़े के ये सब चीजें हैं छोटी् बोल जय।3।
नहीं हम चाहते महल हवेली नहीं चाहते कोठी।
हम चाहते हैं रोटी कपड़ा रहने को तम्बोटी्बोल जय।4।
मेहनतकश  कशो एक हो जाओ कस कर लँगोटी।
सारी दुनिया तेरे चरण मैं फिरै लौटी लौटी ्बोल जय ।5।
जिसनै रोटी छीन हमारी की गर्दन मोटी ।
पृथ्वीसिंह श्बेधडकश् होय उनकी ओटी बोटी।6।




















हर क्यान्हें मैं मिलावट होगी
हरयाणे का हाल सुणो के के होवै आज सुनाऊँ मैं ।
मिलावट छागी चारों कूट मैं पूरी खोल बताऊँ मैं।
बर्फी खोआ मिलें बनावटी भरोसा नहीं मिठाई का
नकली टीके तैं मरीज मरते भरोसा नहीं दवाई का
आट्टा और मशाले नकली ना भरोसा दाल फ्राई का
पानी प्रदूषित हो लिया भरोसा नहीं दूध मलाई का
कुछ भी खाँते डर लागै सोचें जाँ ईब के खाऊँ मैं।
बीज नकली खाद नकली ना बेरा पाटै असली का
डीजल पेट्रोल मैं मिलावट ना बेरा पाटै नकली का
कीट नाशक घुले पाणी मैं ना बेरा पाटै बेअक्ली का
कद नकली धागा टूटज्या ना बेरा पाटै तकली का
पाणी सिर पर कै जा लिया ना कति झूठ भकाऊं मैं।
राजनीति मैं मिलावट होगी नकली असली होगे रै
ये मिलावटी आज खेत मैं  बीज बिघण के बोगे रै
माणस बी आज दो नंबर के नैतिकता सारी खोगे रै
असली माणस नकली के बोझ साँझ सबरी ढोगे रै
बैठया बैठया सोचें जाँ ईंनतै कैसे पिंड छुटाऊं मैं।
मिलावटी चीज तो बिकती यो दीन ईमान बिकता
माणस मरवाकै बी इनका पेट जमा नहीं छिकता
मिलावट के अन्धकार मैं कोए कोए बस दिखता
जनता एकता के आगै यो मुश्किल नकली टिकता
रणबीर जतन करकै नै बंजर के मैं फूल उगाऊं मैं ।
21ण्10ण्2015















मेहर सिंह एक दिन मोर्चे पर लेटे लेटे सोचता है। क्या बताया भला ््
अंग्रेजां नै घणे जुल्म ढाये अपणा राज जमावण मैं ।
फूट गेरो राज करो ना वार लाई नीति अपनावण मैं ।
किसानों पर घणे कसूते अंग्रेजों नै जुल्म कमाये थे
कोल्हू मैं पीड़ पीड़ मारे लगान भी उनके बढ़ाये थे
जंगलां की शरण लिया करते ये पिंड छुटवावण मैं ।
मजदूरों को बेहाल करया ढाका जमा उजाड़ दिया
मानचैस्टर आगै बढ़ा जलूस ढाका का लिकाड़ दिया
ढाका की आबादी घटी माहिर मलमल बणावण मैं।
ठारा सौ सतावन की जंग मैं  देशी सेना बागी होगी
अंग्रेजां के हुए कान खड़े या चोट कसूती लागी होगी
आजादी की पहली जंग लड़ी गयी थी सत्तावण मैं।
युवा घने सताए गोरयां नै सारे रास्ते लांघ दिए देखो
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव ये फांसी टांग दिए देखो
रणबीर सिंह करै कविताई या जनता जगावण मैं।





















पंडित श्री कृष्ण शर्मा सिसाना से फ़ौजी मेहर सिंह के साथ थे । दोनों लिखारी थे। कई बार आपस में बातचीत होती उनकी। एक बार फौजी मेहर सिंह ने उनको एक बात सुनायी.
कृष्ण जी सुनले तनै दिल की आज बात सुनावां सां
गोरे भुंडे लागैं सैं इणनै मार भगाना चाहवाँ सां ।
ईष्ट इंडिया कम्पनी नै पहलम व्यापार फैलाया
राजवाड़े हुआ करैं थे एक एक पै राज जमाया
जात धर्म पै बंटे हुए आपस मैं राड़ बढ़ावां सां ।
डेढ़ सौ साल होंगे म्हारे पै इणनै पूरा राज जमाया
रेल बिछाई व्यापार खातर लूट का जाल बिछाया
ठारा सौ सतावन मैं आजादी का बिगुल बजावां सां ।
पहली जंग आजादी की कई कारणां हार गए रै
गोरयां नै कसे शिंकजे हो घने वे होशियार गए रै
भगत सिंह महात्मा गांधी लड़ते लड़ाई पावां सां ।
जावेंगे ये गोरे लाजमी आई एन ए मैं आये फौजी
छोड़ अंगरेजी सेना नै बोस गेल्याँ ये पाये फौजी
रणबीर देश की खातर जज्बा खूब दिखावां सां ।






























11ण्9ण्15
पी पी पी नै म्हारे देश का कर दिया बंटाधार
देखियो के होगा ।
पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप नै खत्म करे  खाते सरकारी
कारपोरेट कम्पनी जनता नै ये लूट लूट कै खाती जारी
मशीन मैं टेस्ट तीन हजार बिल मैं दिखावैं सात हजार
देखियो के होगा ।
सरकारी नौकरी खत्म प्राइवेट मैं आरक्षण कोन्या रै
कीमत चढ़गी आसमानाँ बच्चन के लक्षण कोन्या रै आरक्षण पै जाट और पटेलां का जोर सै धुआंधार
देखियो के होगा ।
पी पी पी नै सरकारी पीपे जमा खाली कर दिए आज
गोज खाली पेट भी खाली कति बेहाली कर दिए आज
गरीबी भी बढ़ती जावै अम्बानी के बढ़े सैं अम्बार
देखियो के होगा ।
सरकारी मारया सरकार नै प्राइवेट खूब बढ़ाया देखो
अडाणी और अम्बानी कांग्रेस भाजपा चढ़ाया देखो
रणबीर आपाधापी मचा दी कौनी जनता तैँ प्यार
देखियो के होगा ।




















गुंडागर्दी
इस गुंडा गर्दी नै बेबे ज्यान काढ़ ली मेरी हे ।
सफ़ेद पोश बदमशां नै इसी घाल दी घेरी हे ।

रोज तड़कै होकै त्यार मनै हो कालेज के म्हं जाणा
नपूता रोज कूण पै पावै उनै पाछै साइकल लाणा
राह मैं बूढ़े ठेरे बी बोली मारैं हो मुश्किल गात बचाणा
मुँह मैं घालन नै होज्यां मनै चाहवैं साबती खाणा
उस बदमाश नाश जले नै चुन्नी तार ली मेरी हे ।

मनै सहमी सी नै माँ आगै फेर बात बताई सारी
सीधी जाईये सीधी आईये मनै समझावै महतारी
तेरा ए दोष गिनाया जागा जै तणै या बात उभारी
फेर के रैहज्यागा बेटी ज़िब इज्जत लुटज्या म्हारी
माँ हाथ जोड़ कै बोली तेरे और भतेरी हे ।

नयों गात बचा बचा कै पूरे तीन साल गुजार दिए
एच ए यूं मैं लिया दाखला पढ़ण के विचार किये
वालीबाल मैं लिकड़ी आगै सबके हमले पार किये
मार मार कै तीर कसूते या छाती सालदी मेरी हे ।

कुछ दिन पहलम का जिकरा दूभर जीना होग्या
इन हीरो हांडा आल्याँ का रोज का गमीना होग्या
कई बै रोक मेरी राही खड़या एक कमीना होग्या
उस दिन बी मैं रोक लई घूँट खून का पीना होग्या
रणबीर कई खड़े रहैं साईकिल थम लें मेरी हे ।












लाला हरदयाल
हिन्दुस्तान से बाहर कई जगह पर छाये क्रांतिकारी
सी आई डी गोरी सरकार को सब ख़बरें पहुँच चारी
ग़दर पार्टी को बैन करो अमेरिका पर दबाव बनाया
लाला हरदयाल चलाते पार्टी गोरों ने ये पता लगाया
अमेरिकन सरकार ने मुकद्ममाँ लाला पर चलवाया
अनार्किज्म पर भाषण का दोष उन पर  लगवाया
वारंट निकाले पुलिस ने हजार डॉलर के चालान पर
ग़दर पार्टी ने जमानत दिलवाई पार्टी के आह्वान पर
अमरीकी समाचार पत्रों ने अभियान चलाया भारी
गलत वारंट निकाले हैं इस बात पर खाल उतारी
अंग्रेजों के जूते मत चाटो यह जोरों से बात उठाई
लोकतन्त्र बदनाम किया है खबर अख़बारों में छाई
अमेरिका ने गोरों के दबाव में देना चाहा देश निकाला
अख़बारों में यह मुद्दा भी गया था पूरी तरह उछला
ग़दर पार्टी ने लाला जी को खुद भेजने का प्लान बनाया
लाला जी को स्विट्जेटलैंड सोच समझ के पहुंचाया
ग़दर पार्टी में लाला हरदयाल हमेशा याद किये जायेंगे
पंजाबी और हिन्दुस्तानी उनको कभी ना भुला पाएंगे
रणबीर
10ण्9ण्2015

















ज़िब ज़िब जनता जागी
जिब जिब जनता जागी यो जुल्मी शोषक झुका दिया।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै हम सबनै था भगा दिया।
1ण् आजाद देश का सपना पहोंच्या शहर और गाम मैं
भगत सिंह फांसी टूट्या जोश था देश म्हारे तमाम मैं
दुर्गा भाभी भी गेल्याँ जूटगी इस आजादी के काम मैं
लाखां नर और नारी देगे अपनी कुर्बानी ये गुमनाम मैं
क़ुरबानी बिना नहीं आजादी गांधी अलख जगा दिया।
2ण् गोर गए काले आगे गरीबी जमां मिट्टी नहीं सै देखो
बुराई बढ़ती आवै सै भिद्द इसकी पिटी नहीं सै देखो
अच्छाई संघर्ष करण लागरी आस घटी नहीं सै देखो
जनता सारी समझ रही या उम्मीद छुटी नहीं सै देखो
समतावादी समाज होगा संघर्ष का डंका बजा दिया।
3ण् जात पात हरयाणे की सै सबतैं बडडी बैरी भाईयो
विकास पूरा होवण दे ना दुनिया यह कैहरी भाईयो
वैज्ञानिक सोच काट बताई जड़ घणी गहरी भाईयो
अमीरां की जात अमीरी म्हारै गरीबी फैहरी भाईयो
म्हारी एकता तोड़ण खातर जात पात घणा फैला दिया।
4ण् दारू माफिया मुनाफा खोर इनकी पक्की यारी देखो
भ्रष्ट पुलिसिया ओछा नेता करता चौड़ै गद्दारी देखो
बिचौलिया घणे पैदा होगे म्हारी अक्ल मारी देखो
लाम्बे जन संघर्ष की हमनै करली सै तयारी देखो
लिखै रणबीर भगत सिंह नै यो रस्ता सही दिखा दिया ।














भगत सिंह के सपने
सपने चकनाचूर करे थारे देश की सरकारां नै।
जल जंगल जमीन कब्जाए देश के सहूकारां नै ।
शिक्षा हमें मिलै गुणकारी ए भगत सिंह सपना थारा
मारै ना बिन इलाज बीमारीए भगत सिंह सपना थारा
भरष्टाचार कै मारांगे बुहारीए भगत सिंह सपना थारा
महिला आवै बरोबर म्हारीए भगत सिंह सपना थारा
बम्ब गेर आवाज सुनाईए बहरे गोरे दरबरां नै।
समाजवाद ल्यावां भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
कोए दुःख ना ठावै भारत मैंएभगत सिंह थारा सपना
दलित जागां पावै भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
अच्छाई सारै छावै भारत मैंए भगत सिंह थारा सपना
जनता चैन का सांस लेवै बिन ताले राखै घरबारां नै।
थारी क़ुरबानी के कारण ये आजादी के दिन आये
उबड़ खाबड़ खेत संवारे देश पूरे मैं खेत लहलाये
रात दिन अन्न उपजाया देश अपने पैरों पै ल्याये
चुनकै भेजे जो दिल्ली मैं उणनै हम खूब बहकाये
आये ना गोरयां कै काबू कर लिए अपने रिश्तेदारां नै।
समाजवाद की जगां अम्बानीवाद छाता आवै देखो
थारे सपने भुला कै धर्म पै हमनै लड़वावै देखो
मुजफ्फरनगर हटकै भगत सिंह तनै बुलावै देखो
दोनों देशों मैं कट्टरवाद आज यो बढ़ता जावै देखो
रणबीर खोल कै दिखावै साच आज के दरबारां नै।
देकै कुर्बानी ये छोरी छोरे नए हरयाणा की नींव डालैंगे
गीत रणबीर सिंह नै बनाया मिलकै हम सारे ही गावांगे














आम तौर पर चुनाव के वक्त बहुत वायदे किये जाते हैं । मगर चुनाव के बाद हालात बदल जाते हैं । क्या बताया इस रागनी में
बणे पाछै ना कोये बूझै कित का कौण बतावैं ।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
ईब तलक तो बूझे ना आज याद आई सै म्हारी
गली गली मैं घूमै सै मंत्री जी की ईब महतारी
म्हणत लूट ली सै सारी म्हारे चक्कर खूब कटावैं।
पीसा दारू जात गोत का देख्या चाल्या दौर आड़ै
असली मुद्दे पाछै रैहगे असनायी नै पकड़या जोर आड़ै
म्हारा बनाया मोर आड़ै जा चंडीगढ़ मैं मौज उड़ावैं।
परवाह नहीं करते फेर म्हारी पढ़ाई और लिखाई की
बालकपन मैं बूढ़े होज्यां हमनै खावै चिंता दवाई की
ना सोचें म्हारी भलाई की उलटे हमपै इल्जाम लगावैं।
नित करते ये कांड हवाले समाज कति दबोया क्यों
म्हारी आह उटती ना माफ़ उनका कत्ल होया क्यों
साच हमतैं ल्हकोया क्यों ये सपने झूठे घणे दिखावैं।
रणबीर

श्रम की चोरी


न्यारे न्यारे भ्रम फैला कै जारी करते जो फरमान।
वें करते मेहनत की चोरी सबतैं माड़ा विधि विधान।
कर्म की गेल्याँ धर्म जोड़ कै श्रम का पाठ पढ़ाते जो
काम कर्म हो कर्म धर्म हो न्यूं जंजाल फैलाते जो
धर्म की गेल्याँ घुटै आस्था फेर विश्वास जमाते जो
दिखा पाप का भय माणस की बुद्धि को बिचलाते जो
चालाकी तैं स्याणे बणकै करैं स्याणपत बेईमान ।
धर्म कहै मत बदलो धंधा पुश्तैनी जो काम करो
बाँध देई जो चलती आवै मर्यादा सुबह शाम करो
जात गोत की जकड़न मैं मत परिवर्तन का नाम करो
चक्रव्यूह मैं फंसे रहो मत लिकडण का इंतजाम करो
कोल्हू के बुलधां की ढालां रहो घूमते उम्र तमाम।
बेशक मेहनत करनी चाहिए मेहनत ही रंग ल्यावै सै
मेहनत मैं जब कला मिलै तो सुंदरता कहलावै सै
मेहनत की भट्ठी मैं तप सोना कुण्दन बण ज्यावै सै
लेकिन मेहनत की कीमत पै शोषक मौज उड़ावै सै
मेहनत का महिमा मण्डन हो फेर होगा श्रमिक सम्मान।
जिस दिन काम करणिये सारे मिलकै नै हक माँगैंगे
मेहनतकश सब मर्द लुगाई जब अपनी बांह टाँगेंगे
उस दिन पकड़ी जागी चोरी सारी सीमा लांघेंगे
गेर गाळ मैं मूँधे मुँह फेर जुल्मी चोरां नै छांगैंगे
कहै मंगत राम मिलैगा असली मेहनत का फेर पूरा दाम

आज का माणस


आज का माणस किसा होग्या सारे सुणियो ध्यान लगाकै
स्वार्थ का कोए उनमान नहीं देख्या ज़िब नजर घुमाकै
चाट बिना भैंस हरियाणे की दूध जमा ना देवै देखो
इसका दूध पी हरियाणवी खुबै ए रिश्वत लेवै देखो
भगवान इणनै सेहवै देखो यो बैठया घर मैं आकै।
और किसे की परवाह कोण्या अपने आप्पे मैं खोया
दूज्यां की खोज खबर ना हमेशा अपना रोना रोया
कमजोर कै ताकू चभोया बैठै ठाड्डे की गोदी जाकै।
दूसरयाँ नै ख़त्म करकै अपना व्यापर बढ़ावै देखो
चुगली चाटी डांडी मारै सारे हथकण्डे अपनावै देखो
दगाबाज मौज उड़ावै देखो चौड़ै सट्टे की बाजी लाकै।
मारो खाओ मौज उड़ाओ इस लाइन पै चाल पड़या
हाथ ना आवै जै आवै तो होवै रिश्वत कै तान खड़या
रणबीर सिंह नै छंद घड़या सच्चाई का पाळा पाकै।




मेहनत कश किसान


मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।
देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।
चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै
दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै
दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै
सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै
नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया।
थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै
बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै
सोसाटी और लाला जी से कर्ज भरया कढ़ावै सै
लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै
ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया ।
कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला
सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला
कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला
कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला
बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया।
बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो
कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो
सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो
थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो
देखी तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया।

कै दिन राज चलैगा रै।

वोट लिए बहकाकै
वोट लिए हम बहकाकै  ईब बिजली के रेट बढ़ाकै
म्हारे तांहिं आँख दिखाकै कै दिन राज चलैगा रै।
बिजली कितने घण्टे आवै किसान इसपै विचार करै
कम बिजली की तूँ क्यूँ म्हारे सिर पै तलवार धरै
बिलां के उप्पर धमकाकै बिल धिंगतानै भरवाकै
राज पाट की दिखाकै  कै दिन राज चलैगा रै।
बिजली की चोरी थारे चमचे रोज हमनै करते देखे
करखनेदारां के एस डी ओ पाणी हमनै भरते देखे
जितनी बिजली होवै पैदा इसतैं किसनै कितना फैदा
बिना कोये कानून कैदा कै दिन राज चलैगा रै।
मुफ़्त बिजली पाणी देऊं एक बै न्यों कैह बहकाये
भरपूर बिजली लगातार मिलै वोट थे तणै गिरवाये
कर्मचारी साथ मिलाकै  बैठ गया कुर्सी पै जाकै
रोज ये झूठी सूँह खाकै एकै दिन राज चलैगा रै।
निजीकरण ना होवण दयूं इनकी घोषणा तणै करी
लारे लप्पे घणे दिए थे जनता नै पीपी तेरी भरी थी
विश्व बैंक तनै धमकावै  तूँ म्हारे पै छोह मैं आज्यावै
रणबीर सिंह छंद बणावै कै दिन राज चलैगा रै।

लोक राज


लोक राज और लोक लाज का फुटया ढारा देख लिया
जोर जुल्म और ठगी का यो सही नजारा देख लिया
चन्द्रा स्वामी था वो घणा हरामी घणी गहरी जड़ बताई
माफिया का सरदार स्वामी कांग्रेस पै चोखी पकड़ बताई
बी जे पी स्वामी की धौक मारै ज्यां इसमें अकड़ बताई
कमरेडाँ नै ना मुँह लाया बाकी सारी एकै लड़ बताई
यो अपराध जगत का और बी खुल्या पिटारा देख लिया।
बदेशी धन कानून तोड़ कै घणा कमाया स्वामी नै
राजनीति मैं ब्लैक मेल का यो भाव चढ़ाया स्वामी नै
कोये कुछ नहीं कैह सकता यो लंगोट घुमाया स्वामी नै
बलात्कार के काण्ड रचाये घणा जुल्म कमाया स्वामी नै
धर्म तन्त्र बाबा तंत्र का राज गेल्याँ डंगवारा देख लिया ।
मुनाफा खोरी म्हारे देश मैं अपणे पैर फैलारी क्यों
हजारां करोड़ का टैक्स बकाया म्हारी अक्ल मारी क्यों
कब्जा करकै  धरती दाब ली ना होती खत्म बीमारी क्यों
समाज व्यवस्था नंगी होकै आज इतनी लूट मचारी क्यों
चन्द्रा स्वामी का गुलाम हुया यो राव हमारा देख लिया ।
इस समाज व्यवस्था मैं आज सड़ांध मारती दीखै सै
चन्द्रा स्वामी भगत बणै साथ मैं उमा भारती दीखै सै
कहै रणबीर सिंह न्यों मरता गरीब बेचारा देख लिया ।
;चंद्रा स्वामी की करतूतों की पोल खुलने पर उसी वक्त की थी यह रचना द्ध

भारत देश है मेरा


जहां डाल डाल पर गरीब जनता का बसेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां झूठ और धर्म का पग पग पे अँधेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां की धरती पे लुटेरे जपें प्रभु की माला
तीजा बच्चा भूखा मारें जहां चौथी बाला
जहाँ नफरत ने डाला चारों तरफ है डेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहाँ खड़े ऊंचे ऊंचे ये मंदिर और शिवाले
रोटी खातिर भटकें हैं या बच्चे भोले भाले
जहां जले है गुजरात गऊ नाम पे मरे कमेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
बीच लुटेरों  की नगरी गरीब दुःख झेल रहे
मन्दिर मस्जिद पे जहाँ खूनी खेल खेल रहे
जहां नफरत की बंशी बजाये है मुरारी मेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा

बी जे पी


साम्प्रदायिक बी जे पी या चालै चाल कुढ़ाली।
धर्म के नामै लोग डसेन्जा या सै नागण काली।
सिख ईसाई मुस्लिम गेल्याँ हिंदुओं को लड़ाती है
और दूसरा काम नहीं या हांडै खून कराती है
झूठी अफवाह फैला फैला दंगे आड़ै छिड़ाती है
डंडे खड़ाऊ ईंट पुजाकै गणेश को दूध पिलाती है
कई हजारों लोग मराती देखी या तेरा ताली ।
या  लोगां की लाशां उप्पर रोटी सेंकती रैह सै
कदसी जनता लड़ै धर्म पै बाट देखती रैह सै
तावल करकै होवै लड़ाई बोल फैंकती रैह सै
संस्कृति नष्ट होगी झूठ के खेल खेलती रैह सै
गुमराह करती रैह लोगां नै सै चम्भो चाली।
या स्वर्णां की पार्टी सै या गरीबाँ नै लुटवावै
ऐस सी बी सी जाट गुजरां तैं बांस घणी आवै
सेठां के अखबारां मैं इसकी खबर घणी छावै
अमरीका की पिठू सै या ठेके इणनै दुवावै
लोग मरावण का ठेका ठावै बचियो हाली पाली।
अंग्रेज सिंह या मेहनतकश को कट्ठे होण ना देहरी सै
मेहनतकश जब लड़ै लड़ाई चाल चलै या गहरी सै
घूम घूम रथ पै दंगे कराते मन्दिर मस्जिद ढहरी सै
या कांग्रेस की बालण सै लोगो न्यारा झंडा लेहरी सै
गौरे पिठू चाल पकड़ रहे इब्बी गोरयां आली।




चार चै


चार च की बात करती थी भजपा एक दौर में । क्या हुआ उन चार च का और बंगारू रिश्वत लेते पकडे गए 2001 में एक स्टिंग ओपेरेशन में ््््््
चार चै का भांडा फूटग्या आज भाजपा के मत्थे पै।
तहलका की लिखूँ कहानी इस कागज के गत्ते पै।
चरित्र बेनकाब होग्या थारा कसर जमा बची नहीं
चाल थारी ईब देख लई राही सीधी गई रची नहीं
नकली चेहरा थारा पाया असली बात जँची नहीं
चिंतन थारा दोगला पाया एक लाइन खींची नहीं
इन बातां बारे चाहे बूझल्यो म्हारे गाम के सत्ते पै।
वर्णन करूं बंगारू का मारया एक लाख का दाड़ा रै
जया जेटली दो लाख जीमगी काम करया माड़ा रै
जार्ज की जड़ घणी डूंघी कर दिया कोड पवाड़ा रै
तहलका डॉट कॉम नै सबकै लाया चौखा झाड़ा रै
सारे दलाल जूड़े जाणे चाहियें ईब खम्बे तत्ते कै।
समता और भजपा का कमीशन मैं घणा मोह सै
इनका कुछ नहीं बिगड़ैगा म्हारे देश का खोह सै
सब पकडे गए रंगे हाथां रहया ना कोये ल्हको सै
आर एस एस नंगा होग्या इस बात का छोह सै
नेता फ़ौजी अफसर नै दे दी जात गुड़ के भत्ते पै।
थारी सफाई तैं म्हारा पाट्या घा कोण्या सीया जा
माक्खी आला दूध नहीं देखती आंख्यां पीया जा
कमीशन खा खा ऐश करैं छोल्या म्हारा हिया जा
थारे इसे काण्ड देखकै बोल चुपाका के जीया जा
आज रणबीर लिखै कति आज देशी पान के पत्ते पै।


चालै कोण्या जोर

मेरा चालै कोण्या जोर मनै लूटैं मोटे चोर
नहीं पाया कोये ठौर कटी पतंग की डोर
मनै लावैं डांगर ढ़ोर यो किसा घोटाला रै।
मेरा बोलना जुल्म हुया
उनका बोलना हुक्म हुया
सारे ये मुनाफा खोर ये थमा धर्म की डोर
बनावैं ये म्हारा मोर सुहानी इनकी भोर
ऐश करैं डाकू चोर मन इनका काला रै।
ये भारत के पालन हार
क्यों चोरां के सैं ताबेदार
म्हारे पै टैक्स लगावैं बोलां तो खावण आवैं
मिल्ट्री सैड़ दे बुलावैं चोरां की मौज करावैं
काले का सफेद बणावै भजैं राम की माला रै।
महंगाई की मार कसूती
सिर म्हारा म्हारी जूती
यो रोजगार मन्दा सै यो सिस्टम गन्दा सै
यो मालिक का रन्दा सै घालै दोगला फंदा सै
क्यूकर जीवै बन्दा सै हुया ढंग कुढाला रै।
पत्थर पुजवा बहकाये
भक्षक रक्षक दिखाये
काले नाग डसगे क्यों ये शिकंजे कसगे क्यों
दो संसार बसगे क्यों गरीब जमा फ़ंसगे क्यों
रणबीर पै हंसगे क्यों कर दिया चाला रै।

नया हरियाणा


म्हारी ये कौन नाक कटावैं ना उनकी चाल जाणी क्यों
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों
पुलिसिया बीस रपिये लेले उसकी चर्चा अखबार पुकारैं
ऊंचे महलां होज्यां सौदे करोड़ों कमीशन बदकार डकारैं
शरीफ खड़े लाचार निहारैं जनता जाणै ना कहाणी क्यों
भ्रष्टाचार बलात्कार रिश्वत खोरी ये फण सैं व्यवस्था के
नैतिकता की बात करैं वे जो चाकर इसी व्यवस्था के
अमीर मालिक व्यवस्था के गरीब की कुन्बा घाणी न्यों
गरीब हकां की लड़ै लड़ाई लड़कै व्यवस्था नै बदलांगे
गरीब अमीर की चौड़ी खाई राज व्यवस्था का समझांगे
पासा रलमिल पलटांगे पाळां इसी नागण काली क्यों
पीस्से आले इजारेदार नै म्हारी सरकार बढ़ावै लोगो
तब दिली करकै कानूनां मैं इनकी टहल बजावै लोगो
बहुराष्ट्रीय कम्पनी ल्यावै लोगो देखै ना म्हारी हाणी क्यों
छोटी पूंजी मेहनत मिलकै बड़ी पूंजी तैं हम टकरावांगे
किसान मजदूर दूकानदार सब मिल यो नारा लावांगे
यो नया हरियाणा बनावांगे रणबीर बीमारी पिछाणी न्यों




आजादी


खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।
इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।
आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था
लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था
एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था
कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था
इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै या ऊंची बोल दी ।
सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया
करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया
सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया
हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया
हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज या खंगोल दी।
भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे
नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे
इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे
दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे
गौरे गए आगे काले रणबीर की छाती छोल दी।
फुट गेरो और राज करो ये नीति वाहे चाल रहे रै
कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै
आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै
वैज्ञानिक नजर जिसकी जी नै कर बबाल रहे रै
इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की खोल दी।
2003.2004

मजलूमों का गीत


जहरीला धुंआ उठ रहा भाईयो मारे जाते इंसान यहां
रूढ़िवादी विचार ये देखो चढ़ते जा रहे परवान यहाँ
दोस्त मेरे सम्भल कर चलना कमजोर सी पतवार है
दोषी को दण्ड दे जो ऐसा मिला नहीं भगवान यहां।
कट्टर पन्थ की हलचल कई जगह दिखाई दे रही है
काली ताकतें भारत में बनाना चाहती हैं शमशान यहाँ।
दूजे पक्ष का कट्टर पंथ भी इसी पर फल फूल रहा है
मानवता गर बची नहीं तो नहीं रहेगा हिन्दुस्तान यहां।
मजलूम उठेंगे प्यार करेंगे हक फिर से मिलकर मांगेंगे
लड़ाने वाले चालाक हैं कट्टरता के किये गुणगान यहां।
बीमारी को उसकी हद से आगे लेजाने की तैयारी है
लाशों के अम्बार लगाने वालो लोग नहीं अनजान यहाँ ।
हमारी मोहब्बत और एकता लगता है डर इनसे तुम्हें
देख सको जो हमारे अंदर ऐसा तुम्हारा गिरहबान कहाँ ।
हमारी मानवता से डरते अपने हथियार वे पिना रहे हैं
गंगा जमुनी संस्कृति की मिटने नहीं देंगे पहचान यहां।
मजलूमों के बच्चे समझ रहे नफरत का खेल तुम्हारा
हुक्म बजाये हमेशा ही तुम्हारे बनेगे नहीं दरबान यहां।
मोहब्बत और मानवता के लुटेरो इतना तो याद रहे ही
रणबीर थोड़े दिनों में चलेगा तुम्हारा नहीं फरमान यहां ।







कद सी स्याणा होगा


किसान तेरी या कष्ट कमाई कित जावै बेरा लाणा होगा।
या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा ।
दोसर करकै धरती नै अपणा खून पसीना बाहवाँ सां
गेर गण्डीरी सही बीज की हम ऊपर तैं मैज लगावां सां
पड़ै कसाई जाड्डा जमकै हम खेताँ मैं पाणी लावां सां
रात दिन मेहनत करकै माटी मैं माटी हो ज्यावां सां
दो बुलध तैं एक रैह लिया कद तांहिं न्यों धिंगताणा होगा।
कदे नुलाणा कदे बाँधणा कदे ततैया मोटा लड़ ज्यावै
कदे अळ कदे कीड़ा लागै कदे ईंख नै कंसुआ खावै
कदे औला कदे सूखा पड़ज्या हमनै कोण्या रोटी भावै
कदे गात नै ये पत्ते चीरैं कदे काली नागण फन ठावै
मील मैं हो भेड मुंडाई कद तांहिं मन समझाणा होगा।
सुनले कमले ईब ध्यान लगाकै म्हारे मरण मैं बिसर नहीं
आज कुड़की आरी म्हारे घर मैं नाश होण मैं कसर नहीं
जीते बी कोण्या मरते बी कोण्या औण पौण मैं बसर नहीं
चारोँ लाल कड़ै गए भाई के गई सै फोन मैं खबर नहीं
कोण्या पार जावैगी म्हारी जै यो न्यारा न्यारा ठिकाणा होगा।
इसकी खातर गाँव गाँव मैं जथेबंदियाँ का जाल बिछावां
जीणा चाहवाँ तै भाईयो यूनियन नै अपणी ढाल बणावाँ
बिना रोएँ तो बालक भी भूखा जंगी अपणी चाल बनावाँ
रणबीर सिंह बख्त लिकड़ज्या बरोने मैं फिलहाल बनावाँ
तगड़ा संगठन बनाकै अपणा जंग का बिगुल बजाणा होगा ।


दिन रात तुड़ाऊँ हाड


आदमी की औकात कितनी मैं समझना चाहूँ सूँ।
तभी तो कोई ना कोई धोखा मैं हर रोज खाऊँ सूँ।।
राम का नाम व्यापार होग्या , आज कल जाण ले,
इसी कारण मैं डर डर कै ही , मंदिर म्हां जाऊं सूँ।
किस पै यक़ीन करूं मैं , ईब सोच मैं पड़ग्या रैए
अपणा दर्द समझ नी आवै, किस किस पै गाउँ सूँ।।
मैं दिन रात हाड तुड़ा कै ,बता क्यूँ रहग्या भूखा
कोई नी बतारया मनै , मैं सभी तैं पूछता आऊं सूँ।
डांगर ढ़ोर की तरियां ये , मनै हांकते आरे सैं भाई
अर मैं लड़न तैं अपणा, ईब गात बचाणा चाहूँ सूँ।
तेरा नाम तो बीच मैं , न्योंएं आ ग्या भाई
मैं तो ईब अपणी  , विपता गाऊं सूँ।
कमाण आला माणस क्यूँ भूखा रहग्या
मैं या बात तो सबकै साहमी ठाउँ सूँ।
ना मनै देख्या पोह का पाला  ना दुपहरी देखी
उतना  तंग होग्या मैं जितना कमाऊं सूँ।
रामेश्वर दास
हरयाणवी गजल

मोदी नै

मोदी नै
म्हारे देश कै बट्टा लाया प्यारे मोदी नै।
काले धन पर बहकाया प्यारे मोदी नै।
बाड़ खेत नै खागी नल दमयंती नै सुनते रहे
नींद आई रूखाले नै ये पापी जाल बुनते रहे
नफरत का माहौल बनाया प्यारे मोदी नै।
बिना दवाई और पढ़ाई म्हारे बालक रूलगे रै
सच की हुई पिटाई झूठ के दरवाजे खुलगे रै
कट्टरपन्थ का जहर फैलाया प्यारे मोदी नै।
नैतिकता पै प्रहार करैं जो नैतिकता के रूखाले
नंगेपन का प्रचार करैं जो नैतिकता के रूखाले
लूट खसोट का बाजार बढ़ाया प्यारे मोदी नै।
पाखंड का ले सहारा भारत की जनता लड़वाई
गऊ की पूंछ पकड़ कै नफरत बहोत सै फैलाई
कुलदीप कहर घणा ढाया प्यारे मोदी नै ।



हरियाणे के वीरो जागो


हरियाणे के वीरो जागो तजो जात के बाणे नै
ढेरयां आला कुड़ता  सै समझो इसके ताणे नै
गरीब माणस नै मरज्याणी गरीब भाई तैं दूर करै
अमीर होज्यां एक थाली मैं यो गरीब मजबूर फिरै
अमीर इस्तेमाल भरपूर करै गरीबाँ नै बहकाणे नै
अमीरां का छोरा कोये बेरोजगार जमा ना पाणे का
पुलिस कचहरी सब उनके ख़ाली हुक्म ना जाणे का
गरीब लूट कै खाणे का टोहया सै राह मरज्याने नै।
मेहनत जात गरीबाँ की और कोये तो जात नहीं
जाट ब्राह्मण सिर फुड़वावें मिलै खान नै भात नहीं
जात मिटा सकै दुभांत नहीं बात कही सै स्याणे नै
जात के ठेकेदारां की बांदी या करै इनकी ताबेदारी
आम आदमी जकड़ लिया अमीर करै पूरी पहरेदारी
रणबीर करै नहीं चाटूकारी नहीं बेचै अपणे गाणे नै।

माणस का माणस बैरी

कुछ साथियों को बुरा लग सकता है मगर जिंदगी में जात की खेलबाजी अंदर तक देखने के बाद ही इस जगह पर पहोंचा हूँ या पहुँचा दिया गया हूँ । 1978 की मैडीकल कालेज की 98 दिन लंबी हड़ताल जिसमें पूरा कालेज जाट नॉन जाट में बंट गया था और उसके बाद के झटके जिन्होंने आँखे खोल कर देखने को मजबूर कर दिया ।

जात नै माणस का माणस बैरी बणा जबर राख्या सै।
एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।
दो किले आला जाट बी आज जाट सभा की कोली मैं
भूखा मरदा ब्राह्मण बी यो ब्राह्मण सभा की झोली मैं
फिरै भरमता रोड़ बिचारा आज रोड़ सभा की टोली मैं
दलित भी बन्ट्या हुया देखो यो कई रंगों की रोली मैं
जात पात का घणा कसूता दखे विष यो भर राख्या सै ।
जात के रंग ढंग मैं सै या मानवता बाँटण की मक्कारी
कथनी घणी सुहानी लागै सै पर पाई करणी मैं गद्दारी
काली नाग और पीत नाग ये भाई बिठाये एक पिटारी
मुँह मैं राम बगल मैं छुरी भाई सै या बुझी जहर दुधारी
जात्यां के बुगळे भगतां नै यो मिला सुर मैं सुर राख्या सै।
ब्राह्मण खत्री वैश्य और शुद्र ये चार वरण बताये सुणो
मनु जी नै फेर वरणां कै जात्यां के पैबन्द लगाये सुणो
गोत नात कबिल्यां भितर बेरा नहीं कद सी आये सुणो
जन्म कारण जात माणस की ग्रन्थ लिख़कै ल्याये सुणो
इसकी आड़ मैं लुटेरे लूटैं माणस बणा सिफर राख्या सै।
ढेरयां आला कुड़ता म्हारा या जात पात बताई आज
गेहूं के खेत मैं ऊग्या हुया बथुआ जात सुझाई आज
ठेके कै म्हां लागी सुरसी गिहूँआं की मर आई आज
ये कमेरे दुखी जात्यां मैं नेतावां नै चादर घुमाई आज
काढ बगादे यो कुड़ता इसनै आज कर बेघर राख्या सै।
जात छोड़ कट्ठे होंवैं काम करणिये भुखे मरणीये भाई
गोत नात छोड़ कट्ठे हों ये जितने नौकरी चढ़निये भाई
टूचावाद छोडकै कट्ठे हों सब बेरोजगार फिरणीये भाई
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ये मानवता पर चलनिये भाई
म्हारै ना जात किसे काम की कर क्यों सबर राख्या सै।
सारी दुनिया रुके देकै नै ईब दो जमात बतारी देख
एक कमेरा जिसकी मेहनत दुनिया मैं रंग दिखारी देख
दूजा लुटेरा जिसनै लूटी म्हारी सजाई दुनिया सारी देख
या पाले बंदी छिपाने खातर चलै जात की आरी देख
म्हारे माल के हम भिखमंगे यो बना आडम्बर राख्या सै।




किसा हरियाणा

हरियाणा के जन्म दिन के बहाने
आज हरियाणा 49 साल का हो गया है और 50वें साल में आ गया है। बहुत कुछ पाया मगर उससे ज्यादा खोया भी है। पर्यावरण का मामला ज्यादा गम्भीर हुआ इन सालों में। स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यवसायीकरण ने इलाज आम आदमी से दूर कर दिया और डॉक्टर और मरीज के बीच अविश्वास बढ़ा दिया । पढ़ाई भी बहुत महंगी हो गई। खेती का संकट बहुत आगे बढ़ गया। बेरोजगारी बढ़ी है। लिंग अनुपात भी पूरे देश में सबसे नीचे है। महिलाओं पर हो रहे क्राइम्स की संख्या बढ़ रही है। दलितों पर भी अत्याचार बढे हैं। हम जैसे लोगों को नेगेटिव सोच के कार्यकर्ता के तगमें दिए जा रहे हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि एक हिस्से में सम्पनता आई है हरित क्रांति के बाद मगर ऊपर लिखी कीमत भी चुकाई है। इसी तबके के एक हिस्से ने रत्नावली भी मनाई कुरुक्षेत्र में। शायद गुणगान ही किया होगा । आत्म मन्थन नहीं।
मेरे आदर्शों का हरियाणा कुछ इस प्रकार का होगा।
किसा हरियाणा हो म्हारा इतना तो जाण लयाँ।
शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।
समानता होगी हरियाणे मैं उंच नीच रहै नहीं
न्या मिलैगा सबनै भाई अन्या कोये सहै नहीं
ओछी कोये कहै नहीं बढ़ा इतना ज्ञाण लयाँ।
अच्छाई का साथ देवां चाहे देणी होज्या ज्यान
बुराई का विरोध करां चाहे तो लेले कोये प्राण
बचावां हम अपना सम्मान खोल या जुबाण लयाँ।
सादगी शांति का आड़ै हरियाणे मैं प्रचार होगा
माणस नहीं लूट मचावैं सुखी फेर घरबार होगा
सही माणस हकदार होगा यो कहना माण लयाँ ।
जनता नै हक मिलज्याँ चारोँ कान्ही भाईचारा हो
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ना कितै अँधियारा हो
हरियाणा सबतैं न्यारा हो रणबीर नै पिछाण लयाँ।

Jagan Nath

पण्डित जगन्नाथ जी की एक रचना
आपत्ति मैं घबरवाणियां इंसान नहीं होता ।
आत्म हत्या से समस्या का समाधान नहीं होता।
1 सही  आदमी संकट मैं भी ना घबराया करते
हिम्मत कदे नहीं हारी ना प्राण गंवाया करते
हार कदे बी ना मानी दिन रात कमाया करते
साहस रखने आले असल इंसान कहलाया करते
खुदकशी करणे आले का कल्यान नहीं होता।
2 म्हारी याद मैं कई बार देश मैं इसे अकाल बड़े
नहीं खाण नैं अन्न थ्याया और भूखे पशू खड़े
किसान कभी ना घबराये सब समय के साथ लड़े
हमनै भी इस जिंदगी मैं दुःख देखे बड़े बड़े
भूख प्यास पै काबू करणा आसान नहीं होता।
3 जीवन के माँ लाग्या करै सै कदे शीली कदे ताती
प्राण गंवाणे से कोये समस्या हल नहीं हो जाती
निंदा का पात्र होता है जो बणता आत्म घाती
ना मिलै शांति फिरै आत्मा घर घर धक्के खाती
इस भोले माणस नै शायद इसका ज्ञान नहीं होता।
4  प्रकृति की शक्ति का विरोध करें तैं के होगा
होणी होकै मानैगी ईब घणा डरे तैं के होगा
औरों के सिर पै बिना बात का दोष धरें तैं के होगा
या दुनिया न्यूंये चालैगी एक तेरे मेरे तैं के होगा
कहै जगन्नाथ समझदार आदमी परेशान नहीं होता।


फौजी मेहर सिंह

फौजी मेहर सिंह के इस संसार से चले जाने के बाद उनकी पत्नी एक दिन अपनी बहन को बताती है कि उसके दिमाग में भारत का एक नक्सा था। क्या बताया भला ्
मनै न्यों कहया करै था सुन्दर भारत देश बनावांगे ।
सही सोच हो साथ प्रेमका दुश्मन तैं हम टकरावांगे।।
1 ना  रहै फट्या पुराणा कई कई तयारी होज्यांगी
ढेरे ज़ूम लीख जितनी सब दूर बीमारी होज्यांगी
दरी गलीचे तोशक तकिये वस्तु सारी होज्यांगी
औढण पहरण बोल चाल की बातै न्यारी होज्यांगी
निधड़क घूमै तेरे बरगी हम इसा शहर बसावांगे।
2 टूट्या फुटया मकान रहै ना बढ़िया मकान बनावाँ
कितै चौखट कितै अलमारी रोशन दान लगावां
सौफा सेट होगा घर मैं हम पलंग निवार बिछावां
उनपै लेट आराम करांगे जिब मेहनत करकै आवां
ना लौड़ पड़ै ताले की हम इसा समाज बसावांगे।
3.  न्यों बोल्या समों आणी जाणी साच्चा सै प्यार मेरा
साझी रहूंगा गम तेरे मैं दुःख सुख का इकरार मेरा
जित भी रहूंगा सुण प्रेमो चाहूँ सुखी संसार तेरा
राही टेढ़ी जबर बैरी सै करैंगे मिलकै पार यो घेरा
भाई चारे का माहौल होवै इस विचार नै बढ़ावांगे।
4 समझी  इंसान हे बेबे चाहया रलमिल साथ निभाणा
थोड़ा ए समों रहया घर मैं चाहया हर काम पुगाणा
बोल्या ना छोड़ूँ बीच भँवर ना चाहिए तनै घबराणा
फ़ौज मैं जा कै समझ आया अंग्रेजों का लूटू बाणा
आजाद हिन्द फ़ौज का हम नया अंदाज दिखावांगे।

नया हरियाणा


म्हारी ये कौन नाक कटावैं ना उनकी चाल जाणी क्यों
व्यभिचारी भ्रष्टाचारी ये बोलें नैतिकता की बाणी क्यों
पुलिसिया बीस रपिये लेले उसकी चर्चा अखबार पुकारैं
ऊंचे महलां होज्यां सौदे करोड़ों कमीशन बदकार डकारैं
शरीफ खड़े लाचार निहारैं जनता जाणै ना कहाणी क्यों
भ्रष्टाचार बलात्कार रिश्वत खोरी ये फण सैं व्यवस्था के
नैतिकता की बात करैं वे जो चाकर इसी व्यवस्था के
अमीर मालिक व्यवस्था के गरीब की कुन्बा घाणी न्यों
गरीब हकां की लड़ै लड़ाई लड़कै व्यवस्था नै बदलांगे
गरीब अमीर की चौड़ी खाई राज व्यवस्था का समझांगे
पासा रलमिल पलटांगे पाळां इसी नागण काली क्यों
पीस्से आले इजारेदार नै म्हारी सरकार बढ़ावै लोगो
तब दिली करकै कानूनां मैं इनकी टहल बजावै लोगो
बहुराष्ट्रीय कम्पनी ल्यावै लोगो देखै ना म्हारी हाणी क्यों
छोटी पूंजी मेहनत मिलकै बड़ी पूंजी तैं हम टकरावांगे
किसान मजदूर दूकानदार सब मिल यो नारा लावांगे
यो नया हरियाणा बनावांगे रणबीर बीमारी पिछाणी न्यों

भारत देश है मेरा


जहां डाल डाल पर गरीब जनता का बसेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां झूठ और धर्म का पग पग पे अँधेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहां की धरती पे लुटेरे जपें प्रभु की माला
तीजा बच्चा भूखा मारें जहां चौथी बाला
जहाँ नफरत ने डाला चारों तरफ है डेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
जहाँ खड़े ऊंचे ऊंचे ये मंदिर और शिवाले
रोटी खातिर भटकें हैं या बच्चे भोले भाले
जहां जले है गुजरात गऊ नाम पे मरे कमेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा
बीच लुटेरों  की नगरी गरीब दुःख झेल रहे
मन्दिर मस्जिद पे जहाँ खूनी खेल खेल रहे
जहां नफरत की बंशी बजाये है मुरारी मेरा
वो भारत देश है मेरा वो भारत देश है मेरा










साम्प्रदायक बढ़न ना देणे लोग धर्म पै लड़ण ना देणे


साम्प्रदायक लोग जगत मैं कति बढ़ण ना देने सैं ।
चै कुछ भी हो ज्याओ धर्म पै लोग लड़ण ना देने सैं।
साम्प्रदायक जहर जगत मैं घटिया लोग फेलारे सैं
आड़ै धर्म पै जूत बाजज्या पूरा जोर ये लगारे सैं
जगह जगह जलूस निकालैं उलटे नारे लारे सैं
अमरीका पै पीस्से खाकै देश तुड़ाना चाहरे सैं
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई कति भिड़ंण ना देने सैं ।
साम्प्रदायक लोग जगत मैं अमरीका नै ठा राखे
कोए देश ना इसा मिलै जड़ै ना एजेंट बणा राखे
सब देशों के पूंजी पति भी अपणी गेल लगा राखे
मेहनत कश क्यूकर लड़वाणे न्यूं सारे समझा राखे
धर्म जात के चक्कर मैं यहां लोग पड़ण ना देने सैं।
कदे कहैं सिख धर्म नै ख़तरा न्यारा देश बनाओ
कदे कहैं हिन्दू धर्म नै खतरा सब त्रिशूल उठाओ
कदे कहैं ईसाई नै खतरा तम सब कट्ठे हो जाओ
कदे कहैं इस्लाम नै खतरा दौड़ दौड़ कै नै आओ
माणस पीड़ण के कोल्हू चलारे लोग पिड़ण ना देने सैं ।
किसे धर्म नै खतरा कोण्या खतरा म्हारी कमाई नै
मेहनत कश पाव बांजड़ बाजै खाणा चाहवै मलाई नै
गौरे पिठू चाहवैं लड़ाणा ये भाई की गेल्याँ भाई नै
करो विचार कैसे दूर करां मानवता पै अंधेरी छाई नै
अंग्रेज सिंह कहै दंगे हिन्द मैं कति बढ़न ना देणे सैं।


वीर जसबीर

अमर वीर जसबीर तेरे तो दुनिया जस गावैगी।
हकदारां की ज्याज लड़ायी नहीं रूकण पावैगी।
अमर बेल के लाल लाल जो जगमग जगते जग के म्हां
खिलै च्यान्दना दुनियां छांटै भले बुरयां का साच्चा न्या
भला बुरे तैं हारै ना कदे बुरा भलाई करता नां
दुनिया देखै अमर बणै सै मेटें मिटते कोण्या निशां
मेहनतकश  के शेर श्यान तेरी सब मैं बस ज्यावैगी।
क्रांतिकारी परम्परा मैं मिलग्या खून पस्सीना सै
झंडा लाल सितारा उप्पर आम आवाज दबी नां सै
जालिम खत्म करै जनता फेर यो तनज्या सीनां सै
हक पर बढ़ो न्याय की खातर ज़िब मैं कमीं नाँ सै
आड़ै सिरधड़ आली बाज़ी सै नां धजा झुकण पावैगी।
धन धन मात पिता तेरे तूँ तो सोने तरियां तपा दिया
खरया कसौटी के चाहिए आपणा आप्पा खपा दिया
धन सै सच्चे सतगुरु तेरे ज्ञान ब्यौहारी सिखा दिया
हक पै चलकै क्रांतिकारी रास्ता सबको दिखा दिया
मिलजुल ठाल्यो बात हकां की नां दुनिया फंस ज्यावैगी।
हे रै सच्चे साथी श्यान का जीणा तो ना खतरे तैं खाली
जिसकै लाग्गै जाग्गै आग्गै बढ़कै मंजिल पाली
हक पै बढ़ो मरो चाहे जीओ या बात दूर लग जाली
डाकू पकड़ो जिनती जनता या आज कति भकाली
ईब टूट फुट कै ले उठ जगत ना या झूठ धुकण पावैगी।





विश्व कर्मा दिवस

विश्व कर्मा दिवस
छोटे मोटे औजार हमारे बणावैं महल अट्टारी रै
कारीगरों की मेहनत नै इनकी लियाकत उभारी रै
मंजिलों के हिसाब लगाकै ईमारत की नींव धरी जाती
मालिक जिसी चाहवैं उसी मजबूत नींव भरी जाती
खिड़की दरवाजे रोशन दान की माप तौल करी जाती
करणी और हुनर हथौड़े का ईंट पै ईंट ये धरी जाती
लैंटर डालण की न्यारी हो आज बतादयूं कलाकारी रै।
छजे पर तैं पाँ फिसलज्या सिर धरती मैं लागै जाकै
एकाध बै पडूँ कड़ कै बल फेर रोऊँ ऊंचा चिलाकै
रीड की हड्डी जवाब देज्या पटकैं अस्पताल मैं ठाकै
सरकार कोए मदद करै ना देख लिया हिसाब लगाकै
काम करण के खतरे इतने भुगतां खुद हारी बीमारी रै।
जितनी ईमारत सैक्टरों की सारी हमनै बनाई देखो
नींव से लेकर तीन मंजिल की करी ये चिनाई देखो
म्हारी खातर एक कमरा सै पांच नै घर बसाई देखो
इतने महल बनाकै रात फुटपाथों पर बिताई देखो
म्हारी एकता रंग ल्यावैगी औजारों मैं ताकत भारी रै।
असंगठित क्षेत्र के भाई सारे मिलकै आवाज लगावां
अपने हकों की खातर मजदूर भाइयों को समझावाँ
वोट कदम पर अपने नेता विधान सभा मैं पहोंचावां
मिलकै विश्वकर्मा दिवस नै सारे हरियाणा मैं मनावां
कहै रणबीर बरौने आला या एकता बढ़ावां म्हारी रै।

Saturday, 21 January 2017

FUTKAR 203

-1-

तर्ज: चौकलिया
पन्दरा अगस्त सैंतालिस का दिन लाखां जान खपा कै आया।
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
सैंतालिस की आजादी ईब दो हजार आ लिया
बस का भाड़ा याद करो यो कड़ै सी जा लिया
सीमैंट का कट्टा कितने का आज कौणसे भा लिया
एक गिहूं बोरी देकै सीमैंट हमनै कितना पा लिया
चिन्ता नै घेर लिये जिब लेखा-जोखा आज लगाया।।
आबादी बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज भरया
ईमानदारी की करी कमाई फेर बी मनै कड़ सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान बनाई थी
नये-नये घोटाले सुणकै यो मेरा सिर चकराया।।
गणतंत्र दिवस पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उसनै पूरा कर दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देस मैं घर-घर अलख जगावांगे
या दुनिया घणी सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।।







.2.
तर्ज: फूल तुम्हें भेजा है खत में
मैम्बर पंचायत चुनी गई खुशी गात मैं छाई थी।
ज्ञान विज्ञान आल्यां नै किमै ज्ञान की बात बताई थी।।
सबतै पहलम हुआ सामना सुनियो देवर मेरे तैं
न्यों बोल्या बैठकां मैं नहीं जाणा बात बता दी तेरे तैं
भाई तै मैं बतला ल्यूंगा इशारे से मैं धमकाई थी।।
चाही लोगां तै बात करी घूंघट बीच मैं यो आण मरया
घूंघट खोलण की बाबत यो देवर नै घर ताण गिरया
पति मेरे नै साथ दिया पर कोण्या पार बसाई थी।।
म्हिने मैं एक मीटिंग हो इसा पंचायती कानून बताया
मैम्बर सरपंच करैं फैंसला जा फेर लागू करवाया
बिना मीटिंग फैंसले ले कै पंचायत पढ़ण बिठाई थी।।
क्यूकर वार्ड का भला करूं तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या
सरपंच के चौगरदें बदमाशां का यो पूरा ए घेरा होग्या
घर आला बोल्या चाल सम्भल कै मैं न्यों समझाई थी।।
न्यारी-न्यारी सारे कै हम क्यों होकै लाचार खड़ी बेबे
यो हमला घणा भारया सै बिना हथियार खड़ी बेबे
मजबूत संगठन बणावां रणबीर नै करी लिखाई थी।।














-3-

माणस का धरम
धरम के सै माणस का मनै कोण बताइयो नै।
माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोए दिखाद्यो नै।।
माणस तै मत प्यार करो कौणसा धरम सिखावै
सरेआम बलात्कार करो कौणसा धरम सिखावै
तम दारू का ब्यौपार करो कौणसा धरम सिखावै
रोजाना नर संहार करो कौणसा धरम सिखावै
धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझाद्यो नै।।
ईसा राम और अल्लाह जिब एक बताये सारे रै
इनके चाहवण आले बन्दे क्यूं खार कसूती खारे रै
क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै
अमीर देस हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै
बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रंथ भुलाद्यो।।
मानवता का तत कहैं सब धरमां की जड़ मैं सै
प्रेम कुदरत का सारा सब धरमां की लड़ मैं सै
कदे कदीमी प्रेम का रिस्ता माणस की धड़ मैं सै
कट्टरवाद नै घेर लिया यो धरम जकड़ मैं सै
लोगां तै अरदास मेरी क्यूकरै इनै छटवाद्यो नै।।
यो जहर तत्ववाद का सब धरमां मैं फैला दिया
कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब तांहि पिला दिया
स्कीम बणा दंगे करे इन्सान खड़या जला दिया
बड़ मानवता का आज सब धर्मां नै हिला दिया
रणबीर रोवै खड़या इनै चुप करवाद्यो नै।।






-4-

आपा ...धापी
आपा धापी माच रही चारों कूट रोल्या पड़ग्या।
एक दूजे का गल काटैं नाज गोदामां मैं सड़ग्या
म्हारे घर बणे तबेले रही माणस की खोड़ नहीं
सोच तै परहेज करैं बात का टोहते औड़ नहीं
झूठ पै चालै पूरी दुनियां साच का जुलूस लिकड़ग्या।।
मेहनत करी लोगां नै विज्ञान नै राह दिखाया
या दुनिया बदल दई घणा खून पसीना बाहया
लालची नै डाण्डी मारी गरीब कै साहमी अड़ग्या।।
न्याय की बात भूलगे नहीं ठीक करया बंटवारा
पांच सितारा होटल दूजे कान्ही फूटया ढारा
गरीब की कमाई का मुनाफा अमीर कै बड़ग्या।।
टीवी पै सपने हमनै आज बूख दिखाये जावैं
रणबीर तै लालच दे कै उल्टे प्रचार कराये जावैं
सच्चाई नै भूल गए भोग मैं माणस बड़ग्या।।















-5-


ज्ञान विज्ञान का पैगाम
सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।
हरियाणे के सब नर-नारी चूच्ची बच्चा तमाम सुणो।।
सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर
खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर
बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर
यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर
सोच समझ कै चालांगे तो मुश्किल ना सै काम सुणो।।
मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का
बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का
भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का
सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का
भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।
आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर
दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर
गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर
गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर
सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।
कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की
बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की
इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की
बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै बोवण की
कहै रणबीर गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।







-6-

वैज्ञानिक नजर
वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै सुमार लिये।
जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।
सादा रैहणा उंचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो
मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो
सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो
पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो
धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै प्रचार किये।।
साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै
नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै
हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै
गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै
जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।
इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा
सच्चाई का साथ निभावां पड़े चाहे दुख बी ठाणा
लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा
मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा
पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।
दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा
जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा
ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा
न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा
शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सब डार दिये।।








-7-

विवेक
सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेक मयी वाणी कै।
अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।
ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या
यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या
पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं तहलका मचै कोण्या
मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या
शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।
आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर
समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर
मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर
कार्य कारणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर
माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजाराणी कै।।
संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं
मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं
स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं
खत्म हांे युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं
विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणी कै।।
अदृश्य सत्ता का कोढ़ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै
सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै
मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै
कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै
रणबीर बरोने आला ना लावै हाथ चीज बिराणी कै।।






-8-

म्हारी खोज म्हारी सभ्यता
घड़ी बंधी जो हाथ पै इटली मैं हुई खोज बताई।।
भाप के इंजन की खोज करी इंग्लैंड नै ली अंगड़ाई।।
खुर्दबीन की खोज कदे नीदरलैंड मैं हुई बताई सै
बैरोमीटर तै टॉरिसैली नै मौसमी खबर सुणाई सै
गुबारा सतरा सौ तिरासी मैं यो हमनै दिया दिखाई सै
टेलीग्राफ की खोज नै फेर फ्रांस की श्यान बढ़ाई सै
गैस लाइट के आणे तै जग मैं हुई घणी रूसनाई।।
इटली के पी टैरी नै टाइप राइटर फेर बणाया रै
हम्फ्री डेवी नै लैंप सेफटी बणा माडल दिखलाया रै
माचिस की खोज नै ठारा सौ छब्बीस याद कराया रै
साइकिल के बणाणे आला मैकलिन नाम बताया रै
ठारा सौ तितालिस सन मैं फैक्स मशीन बणाई।।
ज्ञान विज्ञान आगै बढ़ग्या करे नये-नये आविष्कार
अमरीका नै लिफट खोजी मंजिलां की फेर लागी लार
ठारा सौ बावण मैं वायुयान नै फ्रांस मैं भरी उडार
टेलबेट नै फोटो खींचण की विधि कर दी तैयार
वैज्ञानिक सोच के दम पै नई-नई तरकीब सिखाई।।
थामसन नै वैल्डिंग मशीन अमरीका मैं त्यार किया
एडीसन नै बलब बिजली जगमगा पूरा संसार दिया
मोटर साइकिल डैमलर नै सड़कां पै फेर उतार दिया
उन्नीस सौ बावण मैं हाइड्रोजन बम बी सिंगार लिया
रणबीर आगे की फेर कदे बैठ करैगा कविताई।।








-9-
वैज्ञानिक दृष्टि

वैज्ञानिक दृष्टि बिन सृष्टि नहीं समझ मैं आवै।
कुदरत के नियम जाण कै समाज आगै बढ़ पावै।।
किसनै सै संसार बणाया किसनै रच्या समाज यो
म्हारा भाग कहैं माड़ा बांधैं कामचोर कै ताज यो
सरमायेदार क्यों लूट रहया सै मेहनतकशी की लाज यो
क्यों ना समझां बात मोटी कूण म्हारा भूत बणावै।।
कौण पहाड़ तोड़ कै करता धरती समतल मैदान ये
हल चला खेती उपजावै उसे का नाम किसान ये
कौण धरा चीर कै खोदै चांदी सोने की खान ये
ओहे क्यों कंगला घूम रहया चोर बण्या धनवान ये
करमां के फल मिलै सबनै क्यों कैहकै बहकावै।।
हम उठां अक अनपढ़ता का मिटा सकां अन्धकार यो
हम उठां अक जोर जुलम का मिटा सकां संसार यो
हम उठां अक उंच नीच का मिटा सकां व्यवहार यो
जात पात और भाग भरोसे कोण्या पार बसावै।।
झूठ्यां पै ना यकीन करां म्हारी ताकत सै भरपूर
म्हारी छाती तै टकरा कै गोली होज्या चकनाचूर
जागते रहियो मत सोइयो म्हारी मंजिल ना सै दूर
सिरजन होरे हाथ म्हारे सैं घणे अजब रणसूर
नया समाज सुधार का रणबीर रास्ता बतावै।।









-10-
ब्रह्माण्ड महारा
इस ब्रह्माण्ड का बेरा ना सोच-सोच घबराउं मैं।
धरती चन्द्रमा सूरज ये उसकी देण बताउं मैं।।
वैज्ञानिक दृष्टि का पदार्थ नै आधार बताते
नाश हो सकता बदलै ना आकार सुणाते
निर्जिव तै जीव की उत्पत्ति डारविन जी सिखाते
हमेश रहै बदलता क्यूकर या समझाउं मैं।।
जिज्ञासा और खोज तै उपजै उसनै ग्यान कहैं
क्रम बद्ध ग्यान नै फेर दुनिया मैं विग्यान कहैं
जिज्ञासा नै मारै सै जो उसको सारे अग्यान कहैं
गुण दोष पै जांचै परखै वैज्ञानिक इन्सान कहैं
पूर्वाग्रह तै टकराकै बणै नयी सोच दिखाउं मैं।।
मत विश्वास करो क्योंकि मां बाप नै बताया सै
शिक्षक नै कैहदी ज्यांतै आंख मूंद अपणाया सै
परीक्षण विश्लेषण पै जो सर्वहित कारी पाया सै
प्रयोग तै करैं दोबारा वो सिद्धांत आगै आया सै
भाग्यवाद पै कान धरै ना उफंके धोरै जाउं मैं।।
वैज्ञानिक दृष्टि गुरू अपना चेला बताया होज्या
तीव्र ग्राही मन होवै जो कदे ना पड़कै सोज्या
सत्य का खोजी माणस बीज नई खोज के बोज्या
प्रमाण पै टिक्या विवेक सारे अन्धविश्वास नै खोज्या
रणबीर जोर लगाकै बात खोज कै ल्याउं मैं।।








-11-

मेरा संघर्श
गाम की नजरां के म्हां कै बस अड्डे पै आउं मैं।
कई बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाउं मैं।।
भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या
करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा
लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाउ मैं।।
बस मैं के के बणै मेरी साथ
नहीं बता सकती सब बात
भोले चेहरे करैं उत्पात, मौके उपर धमकाउं मैं।।
दफतर मैं जी ला काम करूं
पलभर ना आराम कंरू
किंह किहं का नाम धरूं, नीच घणे बताउं मैं।।
डर मेरा सारा ईब लिकड़ गया,
दिल भी सही होंसला पकड़ गया,
जै रणबीर अकड़ गया, तो सबक सिखाउं मैं।।















-12-

षोशण हमारा
बदेशी कम्पनी आगी, हमनै चूट-चूट कै खागी
अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान सै।।
हमनै पूरे दरवाजे खोल दिये,बदेशियां नै हमले बोल दिये
ये टाटा बिड़ला साथ मैं रलगे, उनकै घी के दीवे बलगे
बिगड़ी म्हारी तसबीर, या संकट मैं ज्यान सै।।
पहली चोट मारी रूजगार कै, हवालै कर दिये सां बाजार कै
गुजरात मैं आग लवाई क्यों, मासूम जनता या जलाई क्यों
गई कड़ै तेरी जमीन, घणा मच्या घमसान सै।।
या म्हारी खेती बरबाद करदी, धरती सीलिंग तै आजाद करदी
किसे नै भी ख्याल ना दवाई का, भट्ठा बिठा दिया पढ़ाई का
घाली गुरबत की जंजीर, या महिला परेशान सै।।
या सल्फाश की गोली सत्यानासी, हर दूजे घर मैं ल्यादे उदासी
आठ सौ बीस छोरी छोरा हजार यो, बढ़या हरियाणे मैं अत्याचार यो
लिखै साची सै रणबीर, नहीं झूठा बखान सै।।















-13-

लड़की को नसीहत
सीधा जाणा सीधा आणा तड़कै सांझ मां मनै समझावै।
गली गोरे मैं मत हांसिये बिठाकै रोजाना धमकावै।।
मां मेरी मनै घणा चाहवै मेरी घणी करै सम्भाल दखे
जो सीख्या उसनै मां पै सिखाया चाहवै तत्काल दखे
अपणे बरगी गउ काली मनै आज बनाया चाहवै।।
इसमैं कसूर नहीं उसका उसने दुख ठाया सै भारया
मास्टरनी होकै बी उसनै नहीं कदे घुंघट तारया
कहै यो सै इज्जत म्हारी जिनै तारया उनै बिसरावै।।
बोली बीर की जात नीची या मर्द जात उंची हो सै
जो बीर करती मुकाबला उसका लाजमी खोह सै
सारे गाम मैं बीर इसी मुुंह ठड की उपाधि पावै।।
बोली भूल कै बी करिये मतना बराबरी तूं भाई की
रोटी चटणी खाणा सीख मत देखै बाट मलाई की
मेरा भला चाहवै अक बुरा सोच कै बुद्धि चकरावै।।

















-14-

बेईमान का छल
बेइमान डूब कै मरज्या काम करया बड़े छल का।
घणी सफाई तारै मतना भरया पड़या तूं मल का।।
जला गुजरात धर्म उपर पाछे घणा खिसकाया सै
मोदी तूं इन्सान कसूता कितना अन्धेर मचाया सै
सोच समझ कै जलाया सै यो काम बजरंग दल का।।
योजना बना दंगे कराये मेरै सुणकै आया पसीना
मुसलमानां कै के जी कोण्या शरद समझ लिया सीना
कैम्पा मैं पडरया जीना उड़ै बी बेरा ना कल का।।
कीेड़े पड़कै मरियो मोदी मेरी आत्मा गवाही देरी
भारत के मां गुजरात तै लीख फासीज्म की गेरी
झूठी बात नहीं मेरी अटल झाड़ बनै तेरे गल का।।
रणबीर कदे किसे बस्ती मैं आग राम नै लगाई हो
खुदा नै हिन्दुआं की कदे सींख ला बस्ती जलाई हो
दंग्या तै कदे हुई भलाई हो जहर बना दिया जल का।।















-15-

नाम कमाया हे
यो घूंघट तार बगाया हे, खेता मैं खूब कमाया हे
खेलां मैं नाम कमाया हे, हम आगै बढ़ती जारी बेबे।।
लिबास पुर रोहनात गाम मैं बहादरी खूब दिखाई बेबे
अंग्रेजां तै जीन्द की रानी नै गजब करी लड़ाई बेबे
हमको दबाना चाहता हे, नहीं रस्ता सही दिखाया हे
गया उल्टा सबक सिखाया हे, म्हारी खूबै अक्कल मारी बेबे।।
डांगर ढोर की सम्भाल करी धार काढ़ कै ल्याई बेबे
खूब बोल सहे हमनै स्कूलां मैं करी पढ़ाई बेबे
सब कुछ दा पै लाया देखो, सबनै खवा कै खाया देखो
ना गम चेहरे पै आया देखो, कदे हारी कदे बीमारी बेबे।।
नकल रोकती बहन सुशीला, जमा नहीं घबराई सै
मरकै करी हिफाजत असूलां की नई राह दिखाई सै
गन्दी राजनीति साहमी आई, औरतां पै श्यामत ढाई
फेर बी सै अलख जगाई, देकै कुर्बानी भारी बेबे।।
लड़ती मरती पड़ती हम मैदाने जंग मैं डटती देखो
कायदे कानूनां तै आज म्हारी सरकार हटती देखो
हर महिला मैं लहर उठी, हर गली और शहर उठी
सुबह शाम दोपहर उठी, रणबीर की कलम पुकारी बेबे।।











-16-


भारत मां
हमारो देश का नारा जन-मन से आज पुकार हुई
आप सिवैया बणे बिणा कद नैया धार तै पार हुई।।
आजाद हुये पर आजादी का रस ना घूट्टण पाये
दबे पड़े सां अंधविश्वासां के ना जाल तै छूट्टण पाये
आजाद देश मैं हुया करैं वे कोप्पल ना फूट्टण पाये
गरीबी आली रेखा तैं आज तक ना उपर उट्ठण पाये
रक्षक हो गये भक्षक बाड़ के खेती आप आहार हुई।।
जय हिन्द जय हिन्द खूब पुकारी ना अर्थ इसका जाण्या
चढ़ी शिखर तै धजा आपणी चाहवैं सै रोज गिराणा
बण देशद्रोही देश को लूट कै चाहया रोझै खाणा
फूट गेर कै महाभारत हम हट हट कै चाहवां रचाणा
जात धर्म के तीर चला दिये रोज वतन की हार हुई।।
इस कुदरत नै धरा गगन और सूर्य का प्रकाश दिया
वायु के संग पीवण का जल मुफत मैं बाहरूं मास दिया
देश की धरती खान सै अन्न की भूख नै कैसे बास किया
हरी भरी हरियाली थी क्यों प्रदूषण नै विनाश किया
आपा धापी छल साजिश की कद नीति साकार हुई।।
जिस देश की ना जनता जाग्गी  वाह उपर नहीं उभरणी
सोने की चिड़िया कहया करैं थे वाह चाहिये याद सुमरणी
भरग्या समाज बुराइयां तै याह चिन्ता चाहिये करणी
दुर्दशा देश की देख देख कै म्हारे चाहिये आंसू गिरणी
कहै नफे सिंह कोए नब्ज देखियो भारत मां बीमार हुई।।








-17-

सेहत दिवस
सेहत दिवस सात अप्रैल का हम हर साल मनावैं रै।
ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावै रै।।
कुदरत साथ संघर्ष म्हारा बहोत पुराणा कहते रै
यो तनाव जब घणा होवै कहैं बीमार घणे रहते रै
बिना कुदरत नै समझैं माणस दुख हजारां सहते रै
इसतै मेल मिलाप होज्या तै सुख के झरने बहते रै
जिब दोहण करैं कुढ़ाला तो उड़ै रोगै पैर जमावैं रै।।
सिन्धु घाटी की जनता नै सेहत के नियम बनाये थे
चौड़ी गाल ढकी नाली ये घर हवादार चिनाये थे
पीवण खातर बणा बावड़ी न्यारे जोहड़ खुदवाये थे
जितनी समझ थी उनकी रल मिल पूरे जोर लगाये थे
जिब पैदावार के ढंग बदलैं बीमारी बी पल्टा खावैं रै।।
माणस मैं लालच बधग्या, कुदरत से खिलवाड़ किया
,बिना सोचें समझें कुदरत का सन्तुलन बिगाड़ दिया
लालची नै बिना काम करें बिठा ऐश का जुगाड़ लिया
माणस माणस मैं भेद होग्या रिवाज न्यारा लिकाड़ लिया
समाज के अमीर गरीब मैं क्यों न्यारी बीमारी पावैं रै।।
साफ पाणी खाणा और हवा रोक सकैं अस्सी बीमारी
ना इनका सही बंटवारा सै मनै टोहली दुनिया सारी
जिस धोरै ये चीज थोड़ी सैं उड़ै होवै बीमारी भारी
होयां पाछै इलाज सै म्हंगा न्यू माणस की श्यामत आरी
रणबीर सिंह नै छन्द बनाया मिलकै सारे गावैं रै।।






-18-

सांझी बिरासत
कोणार्क और एजन्ता एलोरा म्हारी खूबै श्यान बढ़ावैं।
चार मीनार कुतुब ताज महल ये च्यार चांद लगावैं।।
दोनूं भारत की विरासत इसतै कौण आज नाट सकैं
साहमी पड़ी दीखै सबनै कौण इस बात नै काट सकैं
जो पापी तोल घाट सकैं म्हारी संस्कृति कै बट्टा लावैं।।
कालिदास बाणभट्ट रवीन्द्र नाथ नै श्यान बढ़ाई सै
खुसरो गालिब फिराक हुये सैं जिनकी कला सवाई सै
न्यारे-न्यारे बांटै जो इननै भारत के गछार कुहावैं।।
जयदेव कुमार गंधर्व भीम सेन जोशी जसराज दिये
बड़े गुलाम अली मियां बिस्मिल्ला खान नै कमाल किये
एक दूजे नै जो नीचा कहते वे घटियापन दिखावैं।।
सहगल हेमन्त मन्ना और लता गायकी मैं छागे ये
रफी नूर जहां नौशाद साथ मैं सब जनता नै भागे ये
रणबीर बरोने आले कान्ही ये हिन्दु मुस्लिम लखावैं।।















-19-

बैर क्यों
इसी कोए मिशाल भाई कदे दुनिया मैं पाई हो।
हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई लाई हो।।
राम रहित नानक ईसा ये तो दीखैं नर्म देखो
चमचे इनके हमेश पावैं पतीले से गर्म देखो
याद हो किसे कै बस्ती कदे राम नै जलाई हो।।
ब्रूनो मारया मारया गांधी धर्म की इस राड़ नै
ये किसे धर्म सैं जित रूखाला खुद खा बाड़ नै
एक दूजे की मारी मारी किसे धर्म नै सिखाई हो।।
घरां मैं बुढ़ापा ठिठरै मजार पै चादर चढ़ावैं
बिकाउ सैं जो खुद वे ईब म्हारी कीमत लावैं
खड़े मन्दिर मस्जिद सुने बस्ती दे वीरान दिखाई हो।।
सूरज हिन्दू चन्दा मुस्ल्मि तारयां की के जात
किसकी साजिश ये विचारे क्यों टूटैं आधी रात
रणबीर धर्म पै करां क्यों बिन बात लड़ाई हो।।















-20-

 कैसा घर
ना मनै पीहर देख्या होगे तीन साल सासरै आई नै।
भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।।
बीस बरस रही जिस घर में उस घर तै नाता टूट गया
खेली खाई जवान हुई सब किमै पाछै छूट गया
मेरे सुख नै कौण लूट गया बताउं कैसे रूसवाई नै।।
आज तक अनजान था जो उंतै सब कुछ सौंप दिया
विश्वास करया जिसपै उनै छुरा कड़ मैं घोंप दिया
ससुर नै लगा छोंक दिया ना समझया बहू पराई नै।।
मनै घर बसाना चाहया अपणा आप्पा मार लिया
गलत बात पै बोली कोण्या मनै मौन धार लिया
फेर बी तबाह घरबार किया ना देखैं वे अच्छाई नै।।
किसे रिवाज बनाये म्हारे इन्सान की कदर रही नहीं
सारी बात बताउं क्यूकर समझो मेरी बिना कही नहीं
के के ईब तलक सही नहीं नहीं रणबीर की लिखाई मैं।।















-21-

वास्कोडिगामा
वास्कोडिगामा बैठ जहाज मैं म्हारे देस मैं आया रै।
मस्साले गजब म्हारे देस के इनपै घणा जी ललचाया रै।।
उस बख्त म्हारे देस मैं कच्चे माल की भरमार बताई
गामां नै पहला कदम धरया म्हारे देस की श्यामत आई
कच्चा माल लाद कै लेज्यां तैयार माल की हाट लगाई
कारीगरां के गूंठ काटे मलमत म्हारी की करी तबाही
मेहनतकश कारीगर देस का यो घणा गया दबाया रै।।
ईस्ट इंडिया कंपनी आई या देस म्हारे पै छागी फेर
कब्जा देस पै करने मैं ना लाई अंग्रेजों नै कति देर
सहज सहज यो म्हारा देस अंग्रेजां नै लिया पूरा घेर
अपणे चमचे छांट लिये रै उनकी कटाई पूरी मेर
फूट डालो और राज करो का यो तीर गजब चलाया रै।।
म्हारे देस के वीरां नै अपणी ज्यान की बाजी लाई रै
भगत सिंह फांसी चूम गया देस की श्यान बढ़ाई रै
महात्मा गांधी अहिंसा पुजारी छाती मैं गोली खाई रै
लक्ष्मी सहगल दुर्गा भाभी लड़ण तै नहीं घबराई रै
जनता नै मारया मंडासा अंग्रेज ना भाज्या थ्याया रै।।
हटकै म्हारे देस मैं बिल गेट्स नै कदम धरया सै
म्हारे देस नै लूटण खातर इबकै न्यारा भेष भरया सै
डब्ल्यू टी ओ विश्व बैंक गैल मुद्रा कोष करया सै
तीन गुहा नाग यो काला कदे बिना डंसें सरया सै
रणबीर सिंह बरोणे आला सोच कै छन्द बणाया रै।।






-22-


म्हारी सेहत
बिना रूजगार पैसा मिलै ना, बिना पीस्से या दाल गलै ना
बिना दाल सेहत बणै नौ, इन बिन पूरा इलाज नहीं।।
हमारे शरीर को चाहिये खाणा साफ पाणी और हवा
इनके बिना सेहत बणै ना कितनी ए खाल्यो चाहे दवा
प्रदूषण कौण फैलावै देखो, ये साधन कौण घटावै देखो
जिम्मै गरीबां के लावै देखो, क्यों उठै म्हारी आवाज नहीं।।
आदमी के रहने के लिए यो हवादार मकान चाहिये
दिमाग की सेहत की तांहि समाज मैं ना तनाव चाहिये
प्रबन्ध हो डॉक्टर दवाई का, पूरा माहौल साथ सफाई का
आदमी की सेहत सवाई का, दुनिया कहती है राज यही।।
बीमारी के कारण के के हों जो इनकी हमनै टोह कोण्या
म्हारी सेहत ना ठीक हो जो म्हारा इसमैं मोह कोण्या
लोगां की सही भागीदारी बिना, असली नीति सरकारी बिना
विकास मैं हिस्सेदारी बिना, स्वास्थ्य रहवै समाज नहीं।।
अपनी सेहत योजना जिब शहर और गाम बणावैं रै
ग्राम सभा मिल बैठ कै सही अपणे सुझाव बतावैं रै
फेर बदलैगी तस्वीर या, देस की बणैगी तहरीर या
लिखै सही बात रणबीर या, फेर चिड़िया नै खा बाज नहीं।।












-23-

 भारत देश
यो गणतंत्र सबतै बड्डा भारत आवै कुहाणे मैं।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।
दो सौ साल गोरया नै भारत गुलाम राख्या म्हारा था
गूंठे कटाये कारीगरां के मलमत दाब्या म्हारा था
सब रंगा का समोवश था फल मीठा चाख्या म्हारा था
भांत-भांत की खेती म्हारी नहीं ढंग फाब्या म्हारा था
फूट गेर कै राज जमाया कही जाती बात समाणे मैं।।
वीर सिपाही म्हारे देस के ज्यान की बाजी लाई फेर
लक्ष्मी सहगल आगै आई महिला विंग बनाई फेर
दुर्गा भाभी अंगरेजां तै जमकै आड़ै टकराई फेर
याणी छोरियां नै गोरयां पै थी पिस्तौल चलाई फेर
गोले लागे राजे रजवाड़यां नै अपणे साथ मिलाणे मैं।।
आवाज ठाई जिननै उनके फांसी के फंदे डार दिये
घणे नर और नारी देस के काले पाणी तार दिये
मेजर जयपाल नै लाखां बागी फौजी त्यार किये
फौज आवै बगावत पै म्हारे बड्डे नेता इन्कार किये
नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी मैं अंग्रेज लगे दबाणे मैं।।
आजादी का सपना था सबकी पढ़ाई और लिखाई का
आजादी का सपना था सबका प्रबन्ध हो दवाई का
आजादी का सपना था खात्मा होज्या सारी बुराई का
आजादी का सपना था आज्या बख्त फेर सचाई का
हिसाब लगावां आजादी का रणबीर सिंह के गाणे मैं।।







-24.-

हिसाब
एक क्वींटल गण्डे मैं कितनी चीनी बणज्या सै।
सीरा कितना लिकड़ै सै खोही कितनी बचज्या सै।।
पढ़ लिख कै बी अपनढ़ दुनिया देखो किसी पढ़ाई
गोरयां नै या चाल चली जो वा इब तक चलती आई
मेहनत की म्हारी कमाई उसकी झोली में घलज्या सै।।
एक क्वींटल सरसों मैं कितना तेल बनाया भाई
कितनी खल लिकड़ी उसमैं कदे हिसाब लगाया भाई
सारी उम्र भकाया भाई आज बी हमनै छलज्या सै।।
एक क्वींटल कपास मैं कितना धागा बना दिया
धागे तै सूती कपड़ा कितने मीटर यो पहरा दिया
बिनौला कितना खिला दिया झोटा क्यूकर पलज्या सै।।
सारी बातां का नाता कोण्या आज की पढ़ाई तै
ज्ञान विज्ञान बात सिखावै पूरी ही चतुराई तै
रणबीर की कविताई तै पापी घणा ए जलज्या सै।।















-25-

सृश्टि
सृष्टि बारे सब धर्मां नै न्यारा-न्यारा अन्दाज लगाया।
देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।
ब्रह्मा के भगत जगत मैं ब्रह्म को जनक बताते भाई
शिव पुराण का किस्सा न्यारा शिव जी जनक कहाते भाई
गणेश खण्ड न्यों कहवै गणेश जी दुनिया चलाते भाई
सुरज पुराण की दुनिया सुरज महाराज घुमाते भाई
विष्णु आले न्यों रुक्के मारते विष्णु की निराली माया।।
विष्णु और महेश के चेले दुनिया मैं घणे बताये देखो
आपस मैं झगड़ा करकै कई बै सिर फड़वाये देखो
आपस की राड मेटण नै त्रिमूर्ति सिद्धांत ल्याये देखो
ब्रह्मा पैदा करैं विष्णु पालैं शिव नै संहार मचाये देखो
बाइल नै सबतै हटकै पैगम्बर का नाम चलाया।।
यो बुद्धमत उभर कै आया त्रिमूर्ति का विरोध किया
जैन मत बी गया चलाया नहीं दोनों को सम्मान दिया
यहूदी और धर्म ईसाई एक ईश्वर को धार लिया
इस्लाम नै एक खुदा मैं अपणा लगाया फेर हिया
दुनिया मैं माणस नै एक ईश्वर सिद्धान्त पनपाया।।
बिना सोचें समझें इसाइयां नै परमेश्वर गले लगाया सै
मुसलमान क्यों पाछै रहवैं यो अल्लाह हाकिम बनाया सै
सिक्खां नै शब्द टोह लिये औंकार झट दे सी सुनाया सै
हिन्दुआं नै तावल करकै नै ओइम दिल पै खिनवाया सै
माणस एक पर धर्म इतने जीवन क्यूकर जावै बिताया।।







-26-

हमारा समाज
सुणले करकै ख्याल दखे, ये गुजरे लाखां साल दखे
सिंधु घाटी कमाल दखे, यो गया कड़ै लोथाल दखे,
यो करकै पूरा ख्याल दखे, खोल कै भेद बतादे कोए।।
सुसुरता नै देष का नाम करया, वागभट्ट नै चौखा काम करया
ब्रह्म गुप्त नै हिसाब पढ़ाया, आर्यभट्ट जीरो सिखाया
नालन्दा नै राह दिखाया, तक्षशिला गैल कदम बढ़ाया
तहलका चारों धाम मचाया, ये गये कडै़ समझादे कोए।।
मलमल म्हारी का जोड़ नहीं, ताज कारीगिरी का जोड़ नहीं
हमनै सबको सम्मान दिया, सह सबका अपमान लिया
ग्रीक रोमन को स्थान दिया, भगवान का गुणगान किया
इसनै म्हारा के हाल किया, या सही तसबीर दिखादे कोए।।
दो सौ साल राजा म्हारे देस के, बदेसी बोगे बीज क्लेश के
फिरंगी का न्यों राज हुया, चिड़ी का बैरी बाज हुया
सारा खत्म क्यों साज हुआ, क्यों उनके सिर ताज हुया
क्यों इसा कसूता काज हुया, थोड़ा हिसाब लगादे कोए।।
लाहौर मेरठ जमा पीछै नहीं रहे, म्हरे वीर बहादुर नहीं डरे
फिरंगी देस के चल्या गया, कारीगर फेर बी मल्या गया
धर्म जात पै छल्या गया, संविधान म्हारा दल्या गया
क्यों इसा जाल बुण्या गया, रणबीर पै लिखवादे कोए।।










-27-

पोलीथीन
पोलीथीन नै म्हारे देष शहर का कर दिया बंटा धार
देखियो के होगा।।
नहीं गलै ना पिंघलै लोगो धरती पर तै मिटै नहीं
खेत क्यार का नाश करै नुकसान करण तै हटै नहीं
म्हारे जिस्यां पै उटै नहीं या पोलीथीन की मार
देखियो के होगा।।
कागज के लिफाफे म्हारे कति पढ़ण नै बिठा दिये
सन के थैले खूंटी टांगे मजे किसानां तै चखा दिये
सस्ते दामां बिका दिये इंहका इसा चढ़या बुखार
देखियो के होगा।।
गली नाली मैं जा कै जिब ये रोक लगादे भारी सै
गन्दे नाले बैक मारज्यां फैलै घणी बीमारी सै
न्यों होवै पीलिया महामारी सै माचै घणी हाहाकार
देखियो के होगा।।
बढ़िया वातावरण बिना म्हारा रैहणा मुश्किल होज्या गा
के बेरा किसका बालक न्यूं मौत के मुंह में सोज्या गा
रणबीर सही छन्द पिरोज्या गा सही प्रचार, देखियो के होगा।।












-28-

 लिंग भेद
स्त्री पुरुष की दुनिया मैं स्त्री नीची बताई समाज नै।
फरज और अधिकारां की तसबीर बनाई समाज नै।।
शादी पाछै पति गेल्यां सम्बन्ध बणाणे का अधिकार
ब्याह पाछै मां बणैगी नहीं तो मान्या जा व्याभिचार
पुरुष चौगरदें घुमा दियो यो नारी का पूरा संसार
मां बेटी बहू सास का रच दिया घर और परिवार
एक इन्सान हो सै महिला या बात छिपाई समाज नै।।
परिवार का दुनियां मैं पुरुष मुखिया बणाया आज
सारे फैंसले वोहे करैगा पक्का फैंसला सुणाया आज
धन धरती सारी उसकी कसूता जाल बिछाया आज
चिराग नहीं छोटी वंश की छोरा चिराग बताया आज
संबंधा की छूट उसनै या रिवाज चलाई समाज नै।।
पफर्ज औरत के बताये घर के सारे काम करैगी या
बेटा पैदा करै जरूरी घर का रोशन नाम करैगी या
औरत पति देव की सेवा सुबह और श्याम करैगी या
सारे रीति रिवाज निभावै बाणे कति तमाम करैगी या
बूढ़े और बीमारां की सेवा जिम्मे लगाई समाज नै।।
पुरुष परिवार का पेट पालै उसका फर्ज बताया यो
महिला नै सुरक्षा देवैगा उसकै जिम्मे लगाया यो
दुभांत का आच्छी तरियां रणबीर जाल बिछाया यो
फर्ज का मुखौटा ला कै औरत को गया दबाया यो
बीर हर तरियां सवाई हो या घणी दबाई समाज नै।।







-29-

 रूढ़िवाद
रूढ़िचाद यो म्हारे देस मैं क्यों चारों कान्ही छाया।
फरज माणस का सच कहने का ना जाता आज निभाया।।
पुराने मैं सड़ांध उठली पर नया कुछ बी कड़ै आड़ै
नया जो चाहवै सै ल्याणा पार ना उसकी पड़ै आड़ै
घनखरा ए माल सड़ै आड़ै कहैं राम की सब माया।।
वैज्ञानिक सोच का पनपी लाया कदे विचार नहीं
पुराणा सारा सही नहीं हुया इसका प्रचार नहीं
नये का वैज्ञानिक आधार नहीं अन्धकार चौगरदें छाया।।
नये मैं बी असली नकली का रास्सा कसूत छिड़ग्या
वैज्ञानिक दृष्टि बिना यो म्हारा दिमाग जमा फिरग्या
साच झूठ बीच मैं घिरग्या हंस बी खड़या चकराया।।
पिछड़े विचारां का प्रचार जनता नै आज भकाया चाहवैं
बालकां का दूध खोस कै गणेश नै दूध पिलाया चाहवैं
दाग जनता कै लाया चाहवैं रणबीर सिंह बी घबराया।।















-30-

 झूठे वायदे
सारे आकै न्यों कहवैं हम गरीबां की नैया पार लगावां।
एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।
वोट मांगते फिरैं इसे जणु फिरैं सगाई आले रै
जीते पाछे ये जीजा और हमसैं इनके साले रै
पांच साल बाट दिखावैं एडी ठा ठाकै इन कान्हीं लखावां।।
नाली तै सोडा पीवण आले के समझैं औख करणिया नै
कार मैं चढ़कै ये के समझैं नंगे पांव धरणियां नै
देसी-विदेसी अमीर लूटैं इनके हुकम रोज बजावां।।
गरमी मैं भी जराब पहरैं के जाणैं दरद बुआई का
गन्डे पोरी नै भी तरसां इसा बोदें बीज खटाई का
जो लुटते खुले बाजार मैं उनका कौणसा देश गिणावां।।
फरक हरिजन और किसान मैं कौण गिरावै ये लीडर
ब्राह्मण नै ब्राह्मण कै जाणा कौण सिखावैं ये लीडर
गरीब और अमीर की लड़ाई रणबीर दुनिया मैं बतावां।।















-31-

सैंतालिस की आजादी
15 अगस्त सैंतालिस का दिन लाखां ज्यान खपा कै आया।
घसे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
सैंतालिस की आजादी पाछै दो हजार आ लिया
बस का भाड़ा याद करो आज कड़ै जा लिया
सीमेंट का कट्टा कितने का आज कौणसे भा लिया
एक गिहूं बोरी दे कै सीमेंट हमने कितना पा लिया
चिन्ता नै घेर लिये जिब लेखा-जोखा आज लगाया।।
आबादी बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज भरया
ईमानदारी की करी कमाई फेर बी हमनै कड़ै सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर संविधान बनाई थी
नये-नये घोटाले सुणकै यो मेरा सिर चकराया।।
आजादी दिवस पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उनै पूरा कर दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देस मैं घर-घर अलख जगावांगे।
या दुनिया घणी सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।।






-32-

 वजूद ईश्वर का
ईश्वर का वजूद दुनिया मैं कोए सिद्ध नहीं कर पाया।
सबनै अपणे अपणे ढंग तै उसका अन्दाज लगाया।।
जो सिद्ध होग्या उसनै स्वीकारां विज्ञान नै पढ़ाया यो
जो नहीं हुया उसनै खोजां विज्ञान नै सिखाया यो
विज्ञान सिद्धान्त बनाया यो भगवान पै सवाल उठाया।।
ईश्वर का वजूद स्वीकारैं इसका मिल्या आधार कड़ै
बिना सबूत क्यूकर मानैं ईश्वर पाया साकार कड़ै
ईश्वर बनाया संसार कड़ै मामला समझ नहीं आया।।
मनुष्य नै ईश्वर रचाया कल्पना का साहरा लिया रै
कुदरत खेल समझ ना आया ईश्वर का सहारा लिया रै
भगवान का भूत बनाया यो खड़या खड़या लखाया।।
जिब सिद्ध हो ज्यागा तो इसका वजूद रणबीर मानै
इतनै साइंस के प्रयोगां तै पूरी दुनिया नै पहचानै
ईश्वर नै सारे के छानै उसनै कड़ै अपणा धूना लाया।।
















-33-

वैज्ञानिक नजर के करै
वैज्ञानिक दृष्टि अपणाणे तै माणस कै फरक के पड़ज्या।
दैवी शक्ति तैं ले छुटकारा वो खुद प्रयत्नवादी बणज्या।।
आत्म विश्वास बढ़ै उसमैं अन्ध विश्वासी फेर रहै नहीं
समस्या की तैह मैं जावैगा वो सत्यानाशी फेर रहै नहीं
तुरत फुरत कुछ कहै नहीं साच्ची बात पै जमा अड़ज्या।।
तर्क संगत विचार की आदत माणस के म्हां आज्या फेर
हवा मैं हार पैदा करके साईं बाबा क्यूकर भकाज्या फेर
माणस सही रास्ता पाज्या पफेर नहीं तो दिमाग जमा सड़ज्या।।
बेरा लागै जीवन मृत्यु का एक जनम समझ मैं आवै
आगले पाछले जनम के पचड़यां तै वो मुक्ति पावै
साथ नहीं कुछ बी जावै म्हारे मिनटां भीतर सांस लिकड़ज्या।।
माणस इस जीवन यात्रा मैं क्यूकर सुन्दर और बणावै
आपा मारे पार पड़ै जीवन मैं या बात समझ मैं आवै
रणबीर साथ गीत बणावै कदे थोड़ा सुर बिगड़ज्या।।















-34-

 अन्तहीन संसार
अन्तहीन संसार का अन्त कहैं कदे नहीं आवैगा।
संसार रूकता नहीं कितै यो आगै बढ़ता जावैगा।।
विज्ञान नई खोज करै मानवता नै सुख पहोंचावै
विवेक माणस का फेर इनै सही दिशा मैं ले ज्यावै
सत्य खोज निरन्तर चलावै झूठ नै हमेश्या ढावैगा।।
पदार्थ हमेश्या गति शील हो इसका गुण बताया यो
नष्ट नहीं होवै कदे बी बदलता आकार दिखाया यो
साइंस नै पाठ पढ़ाया यो पदारथ ना समाप्त होवैगा।।
खोज हमेश्या जारी रहती न्यांे विज्ञान हमनै बतावै
हम बुद्धि गेल्यां काम करां भावां मैं बैहने तै बचावै
सिद्ध हुया उसनै अपणावै बाकी पै सवाल उठावैगा।।
अज्ञानी मां बीमार बालक नै तांत्रिक धोरै ले ज्यावैगी
ज्ञानी मां डॉक्टर तै दिखाकै बालक की दवाई ल्यावैगी
भावां मैं बैह ज्यावैगी तो बालक ना जमा बच पावैगा।।















-35-

 गलत विज्ञान
मानवता का विनाश करै जो इसा इन्सान चाहिये ना।
संसार नै गलत दिशा देवै इसा विज्ञान चाहिये ना।।
विज्ञान पै पाड़या बेरा अणु मैं ताकत बहोतै भारी सै
अणु भट्टी तै बणै बिजली जगमगावै दुनिया सारी सै
अणु बम तो विनासकारी सै इसा शैतान चाहिये ना।।
मानवता नै बड़ी जरूरत सै आज अन्न और वस्त्रां की
जंग की जरूरत जमा नहीं ना जरूरत अणु शस्त्रां की
जो पैरवी करै अस्त्रां की इसा भगवान चाहिये ना।।
कड़ै जरूरत सै उनकी कारखाने जो हथियार बणावैं
बणे पाछै चलैं जरूरी ये दुनिया मैं हाहाकार मचावैं
विज्ञान कै तोहमद लावैं इसा घमासान चाहिये ना।।
हिरोशिमा की याद आवै शरीर थर-थर कांपण लाग्गै
विज्ञान का गलत प्रयोग मानवता सारी हांफण लाग्गै
दुनिया टाडण लाग्गै रणबीर इसा कल्याण चाहिये ना।।















-36-

ठेकेदारां की आपा धापी
या आपाधापी मचा दई इन देस के ठेकेदारां नै।
सारे रिकार्ड तोड़ दिये धन के भूखे साहूकारां नै।।
विकास तरीका घणा कुढ़ाला बेरोजगार बढ़ाया रै
घर कुणबा कोए छोड़या ना घणामहाघोर मचाया रै
बाबू बेटा तै दारू पीवैं सास बहू मैं जंग कराया रै
बूढ़यां की कद्र कड़े तै हो जवानां का मोर नचाया रै
माणस तै हैवान बणाये सभ्यता के थानेदारां नै।।
इसा विकास नाश करैगा क्यों म्हारै जमा जरती ना
गरीब अमीर की या खाई क्यों कदे बी भरती ना
चारों कान्ही माफिया छाग्या बुराई आज डरती ना
अच्छाई मैं ताकत इतनी फेर बी या कदे मरती ना
बदेशी कंपनी छागी देदी छूट राजदरबारां नै।।
अमरीका दादा पाक गया दुनियां मैं आतंक मचाया
सद्दाम हुसैन साहमी बोल्या यो इराक पढ़ण बिठाया
युगोस्लाविया पै बम्ब गेरे यो कति नहीं शरमाया
तीसरी दुनिया चूस लई भारत मैं भी जाल फैलाया
बदेशी अर देशी डाकू सिर चढ़ाये सरकारां नै।।
उल्टी राही चला दई म्हारे देस की जनता किसनै
बेरा पाड़ां सोच समझ कै देश तै भजावां उसनै
उस विकास नै बदलां मोर बनाया सै जिसनै
रणबीर इसा विकास हो जो मेटदे सबकी तिसनै
दीन जहान तै खो देगी जनता इन दरकारां नै।।



-37-

किस्सा म्हारा-थारा
वार्ता: सरोज को बहु झोलरी जाना पड़ता है। दो चुल्हे होने के कारण खरचा और बढ़ जाता है। बाकी परेशानियां उठानी पड़ती हैं वह अलग। भरत सिंह अपणी माड़ी किस्मत को कोसता है तो सरोज एक इतवार को उसका होंसला बढ़ाती है और क्या कहती है? कवि के शब्दों में:

जो आया दुनियां के म्हां उनै पड़ै लाजमी जाणा हो।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
बीर मरद तै हो उत्पत्ति या जाणै दुनिया सारी सै
पांच भूत के योग तै या बणी सृष्टि न्यारी सै
या तासीर खास योग की जीव मैं होवै न्यारी सै
मिजाज जिब बिगड़ै भोग का जीव नै हो लाचारी सै
इसकी गड़बड़ मैं मौत कहैं हो बन्द सांस जब आणा हो।।
पहले जनम मैं जिसे करे कहैं इस जनम मैं भुगतै
इस जनम मैं जिसे करे कहैं अगले के म्हां निबटै
दोनों बात गलत लागै क्यों ना इसका इसमें सिमटै
साहमी हुए की चिन्ता ना क्यों बिना हुए कै चिपटै
इसे जनम का रोला सारा बाकी लागै झूठा ताणा हो।।
मनुष्य सामाजिक जीव कहैं बिन समाज डांगर होज्या
लेकै समाज पै चाहिये देणा बिन इसके बांदर होज्या
माली बिना बाग और खेती बिन पाणी बांगर होज्या
मरकै कोए ना आया उलटा जलकै पूरा कांगर होज्या
साइंस नै बेरा पाड़ लिया ईब छोड्डो ढंग पुराणा हो।।
आच्छे भूण्डे करमां करकै या दुनिया हमनै याद करै
या गुणी के गुण गावै आड़ै पापी कंस की यादे तिरै
यो शरीर जल बणै कारबन प्यारा कर कर याद मरै
मेहर सिंह पफौजी बरोने का रणबीर करता याद फिरै
करमां आला ना मरै कदे ना पाले राम का गाणा हो।।

-38-

किसे और की कहानी कोन्या
किसे और की कहानी कोण्या, इसमें ये राजा राणी कोन्या
सै अपनी बात बिरानी कोण्या, थोड़ा दिल नै थाम लियो।।
यारी घोड़े घास की भाई, नहीं चालै दुनिया कहती आई
बाहूं और फेर बोउं खेत मैं, बालक रुलते म्हारे रेत मैं
भरतो मरती मेरी सेत मैं, अन्नदाता का मत नाम लियो।।
जमकै लूटै सै मण्डी सबनै, बीज खाद मिलै म्हंगा हमनै
लूटाई मजदूर किसान की, ये आंख फूटी भगवान की
यो भरै तिजूरी शैतान की, देख इसके तम काम लियो।।
छप्पण साल की आजादी मैं, कसर रही ना बरबादी मैं
ये बालक म्हारे बिना पढ़ाई, मरैं बचपन मैं बिना दवाई
कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई, झूठी होतै तम लगाम दियो।।
शेर बकरी का मेल नहीं सै, घणी चालै धक्का पेल नहीं सै
आप्पा मारैं पार पड़ैगी म्हारी,, जिब कट्ठी होकै जनता सारी,
लीख काढ़ै या सबतै न्यारी, रणबीर सिंह का सलाम लियो।।















-39-

बैठ्या सोचूं
बैठ्या सोचूं खेत के डोलै ईब क्यूकर होवै गुजारा।
ज्वार बाजरा आलू पिटग्या गिहूं धान भी म्हारा।।
खूब जतन कर खेत मनै उबड़ खाबड़ संवारे फेर
दस मणे तै बीस मणे हुये ज्वार बाजरे म्हारे फेर
खाद बीज की कीमतां नै जमा धरती कै मारे फेर
पूरे हरियाणा मैं लागे हरित व्रफांति के नारे फेर
दस पन्दरा बरसां मैं इसका यो फुट्या लागै गुबारा।।
धनी किसान जो म्हारे गाम के फायदा खूब उठोगे
उपर का धन खूब कमाया बालक नौकरी पागे
बिन साधन आले मरगे दुखां के बादल छागे
म्हारे नेता गाम मैं आकै म्हारी किस्मत माड़ी बतागे
सत्संग मैं जावण लागे जिब और ना चाल्या चारा।।
सत्संग मैं बढ़िया बात करैं गरीबी पै चुप रैहज्यां
सुरग नरक की बहसां मैं ये सींग कसूते फैहज्यां
मेरे बरगे रहवैं सोचते जमा बोल चुपाके सैहज्यां
जिनकी पांचों घी मैं वे घटिया बोल कई कैहज्यां
खेती क्यों तबाह होगी ना भेद खोल बतावैं सारा।।
गिहूं पड्या सड़ै गोदामां मैं रणबीर देख्या जान्ता ना
इसा हाल क्यों हुया इसका कारण समझ आन्ता ना
कहैं फूल फल उपज्याल्यो राह कोए मनै पान्ता ना
फल फूल कड़ै बिकैगा या बात कोण बतान्ता ना
टिकाउ खेती बचा सकै सै हो किलोई चाहे छारा।।








-40-
छब्बीस जनवरी
छब्बीस जनवरी का दिन भाई लाखां ज्यान खपा कै आया
घणे हुए कुर्बान देश पै जिब आजादी का राह पाया।।
सैंतालिस की आजादी ईब यो दो हजार च्यार आ लिया
बस भाड़ा था कितना याद करो आज कड़ै सी जा लिया
एक सीमेंट कट्टा कितने का आज कौणसे भा ठा लिया
एक गिहूं की बोरी देकै आज यो खाद कितना पा लिया
चिन्ता नै घेर लिया जिब यो सारा लेखा जोखा लाया।।
आबादी तै बधी तीन गुणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
सैंतालिस मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना हमनै सरकारी रोज भरया
ईमानदारी तै करी कमाई पफेर बी तमनैनहीं सरया
भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी खाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू जी नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान रचाई थी
नये-नये घोटाले देख कै यो गरीब का सिर चकराया।।
हरियाणा धरती पै कसम उठावां नया हरियाणा बणावांगे
भगत सिंह का सपना अधूरा उनै करकै पूरा दिखावांगे
ना हो लूट खसोट देश मैं या घर-घर अलख जगावांगे
या दुनिया खूबै सुन्दर होज्या मिलकै हांगा लावांगे
रणबीर सिंह मिलकै सोचो गया बख्त किसकै थ्याया।।







-41-

बंटवारा
हुई तरक्की भोत मारगी या गड़बड़ बंटवारे की।
सदा कमेरा वर्ग दबाया या नीति हिन्द म्हारे की।।
सबको मिलै पढ़ाई छह अरब डालर का खरच बताया
अमरीका मैं श्रंगार तांहि आठ अरब डालर जावै खिंडाया
पाणी और सफाई का खरचा नौ अरब डालर आज दिखाया
ग्यारा अरब डालर यूरोप मैं आइसक्रीम पर खरचा आया
चार सौ अरब डालर का नशा करावैं होज्या शक्ल छुहारे की।।
सबकी सेहत की खातर तेरा अरब डालर कुल चाहवैं सै
अमीर रुक्के मारैं पीस्से कोण्या म्हारा सेहत बजट घटावैं सै
अमरीका यूरोप के कुत्ते बिल्ली सतरा अरब डालर खावैं सै
जापान मैं मनोरंजन पै ये पैंतीस अरब डालर बहावैं सैं
झूठी कोण्या जमा साची सै तसबीर इस विकास प्यारे की।।
झूठा नहीं कोए आंकड़ा मानव विकास रिपोर्ट मैं बताया
तीसरी दुनिया चूस बगादी ईब जी सेवन दुनिया मैं छाया
विश्व बैंक और डब्ल्यूटीओ नै अमीरां का साथ निभाया
मुद्रा कोष नै डान्डी मारकै म्हारा नाश का बीड़ा ठाया
नौकरी खत्म करण लागरे कविता सविता मुखत्यारे की।।
नशे की दवाई और दारू बेचैं दूसरा धंधा हथियारां का
तीसरा धन्धा इत्र फुलेल का इन अमरीकी साहूकारां का
विकास नहीं विनास पै टिक्या जीवन इन थानेदारां का
बंटवारा ठीक हो दुनिया मैं मन नहीं करता ठेकेदारां का
अमीर गरीब की खाई मैं मर आई रणबीर बिचारे की।।








-42-

इलाज पति का
पांच हजार मनै उधारे दे दे पति मेरा बीमार हुया।
मैडीकल मैं पड़या तड़पै घणा मोटा त्यौहार हुया।।
1 दो बोतल खून मांग्या, डाक्टरां नै परेशन बोल दिया
न्यों बोले मोल नहीं बिकता यो भेद तमाम खोल दिया
एक बोतल तै मेरा काढ़या दूजी का पांच सै मोल दिया
एक दो तै खावण नै आये, ओ बिचला मदद गार हुया।।
2 पन्दरा हजार खर्चा आया, ओ काम जोगा रहया नहीं
मरणे तै तो बचग्या फेर दरद उंपै जान्ता सहया नहीं
ल्हुकमा सुलफा दारू पीज्या जावै कुछ बी कहया नहीं
सारे ताणे तुड़ा कै देख लिए जाता और फहया नहीं
जिसकै घर बर्तन मांजूं उंकै साहरै घर बार हुया।।
3 एक दिन मनै अपणा दुखड़ा बहन जी आगै रोया
वकील पति नै बेरा लाग्या उसनै अपणा धीरज खोया
शाम सबेरी करै वो इशारे दिल मेरा घणा दुखी होया
एक दिन करी छेड़खानी उनै बीज बिघन का बोया
दुनिया उनै कहै देवता पर मेरा जीना दुश्वार हुया।।
4 तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या किस आगै दुख रोउं मैं
वकील का करूं सामना तै सारे कुणबे की रोटी खोउं मैं
चुपकी रहूं तो उसकी बदफेली का शिकार होउं मैं
और कितै नहीं साहरा दीखै रणबीर पै मुंह धोउं मैं
सुण्या सै गरीबां का यो बरोने मैं मददगार हुया।।









-43-
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री का कद छोटा उंचा घणा बिचार था
जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था
दुनिया मैं या उत्थल पुथल चारों कान्ही माच रही थी
गुलाम देशां मैं अंग्रेजी सेना खेल नंगा नाच रही थी
गरीब जनता की साथ मैं या कर खींचम खंाच रही थी
लाल बहादुर नै जन्म लिया साल उन्नीस सौ पांच रही थी
शारदा प्रसाद बाप टीचर था सादा गरीब परिवार था।।
डेढ़ साल का जमा बालक याणा पिता स्वर्ग सिधार गये
छोटे से बालक उपर जिम्मेदारी परिवार की ये डार गये
चाचा के कहने पै वाराणसी मैं पढ़ खातर पधार गये
मिश्रा जी मिले शहर मैं उनके हो पक्के मददगार गये
आजादी की जंग का मिश्रा नै खाका बताया बारम्बार था।।
लाल बहादुर शास्त्री जी कै आजादी का जनून चढ़या
महात्मा गांधी जी पै उननै असहयोग का पाठ पढ़या
जिब बायकॉट की बात चली शास्त्री सबतै आगै कढ़या
मिश्रा और चाचा नाराज हुये लाल पै गुस्सा खूब बढ़या
माता ललिता देवी नै साथ दिया जताया अपना प्यार था।।
लाहौर सैसन कांग्रेस का शास्त्री अटैंड करकै आया
पूर्ण स्वराज का नारा लाकै जंग का गया बिगुल बजाया
आजादी पाछै जनता का मंत्री पद पै साथ निभाया
नेहरू बाद प्रधानमंत्री बने देश आगै बढ़ाना चाहया
कहै रणबीर बरोने आला वो माणस घणा होनहार था।।









-44-

असहयोग आन्दोलन
असहयोग आन्दोलन की मन मैं पूरी उमंग भरी थी।
चाचा और मिसरा जी नै प्रकट नाराजी खूब करी थी।।
स्कूल कॉलेज बायकाट का गांधी जी नै नारा लाया था
बीए का एक साल बच्या शास्त्री नै कदम बढ़ाया था
चाचा नै इस बात का बेरा लाग्या भूंडी ढालां धमकाया था
मिसरा नै चाचा के सुर मैं अपना बी सुर मिलाया था
बोले अपनी पढ़ाई करले ज्यान बिघन मैं घिरी थी।।
अंग्रेजां के राज मैं भारत घणी कसूती ढालां सड़ग्या
सुणकै हुकम चाचा जी का उसकै काला सांप सा लड़ग्या
बोल्या मैं बायकॉट करूंगा अपनी बात पै अड़ग्या
घर और शास्त्री बीच मैं इस बात का रासा छिड़ग्या
मिसरा जी कै साहमी उसनै दिल की बात खोल धरी थी।।
चाचा मिसरा दोनूं नाट गये शास्त्री का जी दुख पाया था
वो माता कै आगै रोया जाकै जी खोल कै उसतै दिखाया था
माता नै सारी बात सुणकै होंसला उसका बधाया था
बी.ए. पास करूंगा जरूरी इसका प्रण करवाया था
कई बार जेल मैं गया जलस्यां मैं बिछाई खूब दरी थी।।
दर्शन मैं ली शास्त्री डिग्री लड़ते-लड़ते करी पढ़ाई
बचन दिया जो माता जी तै बात वा पूरी करकै दिखाई
वाराणसी तै अलाहबाद आ आजादी जंग मैं जान खपाई
पीछै मुड़कै नहीं देख्या फेर अंग्रेजां की थी भ्यां बुलाई
अंग्रेज एक दिन भाजैंगे बात लाल बहादुर कै जरी थी।।








-45-

ठण्डी बाल
तन ढक्कन नै चादर ना घणी ठण्डी बाल चलै।
एक कून मैं पड़ रहना धरां सिर कै हाथ तलै।।
1. फुटपाथ सै रैन बसेरा घणे सुन्दर मकान थारे
दो बख्त की रोटी मुश्किल रोज बनैं पकवान थारे
दीखे इरादे बेइमान थारे सत्ते का जी बहोत जलै।।
2. होटल मैं बरतन मांजैं करैं छोटी मोटी मजूरी
थारे घरां की करैं सफाई घर अपने मैं गन्द पूरी
कद समझी या मजबूरी जाड़ी बाजैं ज्यों शाम ढलै।।
3. थारे ठाठ-बाट देख निराले हूक उठे दिल म्हारे मैं
पुल कै नीचै लेटे देखां लैट चसै उड़ै चौबारे मैं
गरम कमरे थारे मैं यो सैक्स का व्यापार पलै।।
4. म्हारी एक नहीं सुनै राम थारे महलां बास करै
इसे राम नै के हम चाटां पूरी ना कोए आस करै
रणबीर सब अहसास करै दिल मैं आग बलै।।















-46-

गाम-गाम की कहानी आज की या सुणियो आज सुणाउं मैं
दलितां का हुया जीवना मुश्किल यो किस्सा आज बताउं मैं।।
1. गाम किला जफरगढ़ मैं कहर दलितां उपर ढाया रै
मकान तोड़े मारे पिट्टे जुलम दबंगा नै बरपाया रै
वीरवार की रात कहैं भगवती जागरण था करवाया रै
महिला पुरुष बैठें ढंग तै इसा था इन्तजाम करवाया रै
दबंग जात के छोरयां की आगे की करतूत गिणाउं मैं।।
2. दस बारा नौजवनां का टोल दबंग समाज का आया
महिलावां पाछै बैठ गये उनपै पात्थर रेल बरसाया
छेड़खानी करी भद्दा बोले घणा कसूता बिघन खिंडाया
महिलावां नै टोक दिये दबंगा का न्यों सिर चकराया
दलित बी इन्सान हों सैं इस समझ की कमी दिखाउं मैं।।
3. आयोजकां न उन बिगड़ैलांे को थोड़ा घणा समझाया
दबंग कौम के होनहारां की मण्डली नै उधम रचाया
झगड़ा करया उल्टा बोले कसूता रोब जमाना चाहया
इसे बीच मैं किसे नै जाकेै पुलिस तांहि फोन खड़काया
गरीब की बहु सबकी जोरू कोन्या जमा झूठ भकाउं मैं।।
4. पुलिस आगी गाम मैं किसे नै जागरण मैं आण बताया
दबंग कौम के उतां मांतै उड़ै कोए नहीं टोहया पाया
चार पांच पुलिस आल्यां नै जागरण पूरा चलवाया
दबंग कौम नै दलितां पै अपना खौफ खूब फैलाया
रणबीर सिंह बरोनिया कहै या साच साहमी ल्याउं मैं।।









-47-

दास्तान
जीणा होग्या भारी बेबे, तबीयत होज्या खारी बेबे।
नहीं सुनाई म्हारी बेबे, फेर बी जीवण की आस मनै।
1. ठीक ढालां जीणा चाहया, रिवाज पुराणा आड्डै आया
कमाया मनै जमा डटकै, मेरा बोलना घणा खटकै
दुख मैं कोण पास फटकै, यो पूरा सै अहसास मनै।।
2. मुंह मैं घालण नै होरे ये, चाहे बूढ़े हों चाहे छोरे ये
डोरे ये डालैं शाम सबेरी, ,कहवैं मनै गुस्सैल बछेरी
मेरी कई बर राही घेरी, गैल बतावैं ये बदमास मनै।।
3. सम्भल-सम्भल मैं कदम धरूं, सही बात पै जमा मरूं
करूं संघर्ष मिल जुल कै, हंसू बोलूं सबतै खुलकै
नहीं जीउं घुल-घुल कै, या बात समझली खास मनै।।
4. चरित्रहीन का इल्जाम लग्या, मेरा भीतरला और जग्या
सग्या लूटै इज्जत म्हारी, ओहे बणज्या समाज सुधारी
कहता फिरै मनै कलिहारी, रणबीर का विश्वास मनै।।














-48-

त्याग
सोनिया गांधी का त्याग देख कै मनै आंख्यां आंसू ल्यायें देखे।
आखरी फैसला सुणणे नै कान रेडियो पर सब लगायें देखे।।
कोए कहवै ड्रामा रच राख्या सै या हटकै हां भर लेगी
कोए कहवै इस बिना कांग्रेस दो दिन के मैं मर लेगी
कोए कहवै के बेरा था इतनी तावली या डर लेगी
कोए कहवै त्याग करया अपणा कद उंचा कर लेगी
दस जनपथ पै लोग कर्इ्र मनै नजर गड़ायें देखे।।
भाजपा नै जात दिखाई बदेशी का मुद्दा फेर उठाया रै
गोबिन्दाचार्य आत्म सम्मान का मंच बणा कै ल्याया रै
देश संविधान तै उपर उसनै टी वी उपर बताया रै
आत्म सम्मान राष्ट्र का घणा कसूता ढोंग रचाया रै
बिना बात बदेशी का मुद्दा उमा और सुषमा ठायें देखे।।
देश के आत्म सम्मान पै इतनी कसूती ढालां जो मरते
आड़ै भूखतै मरैं हजारां इन बातां पै कान नहीं धरते
मन्दिर साझला ना कुआं साझै हिन्दुत्व का दम भरते
हिन्दू राष्ट्र की बात करैं देश तोड़ण तै नहीं डरते
देश बेच्या सारा जिननै वे देशी ठप्पा चिपकायें देखे।।
सोनिया गांधी बहन नै भारत देश तै इतना प्यार किया
प्रधान मंत्री पद देश पै उसनै भाइयो देखो वार दिया
भारत देश का जन आदेश पूरी तरियां अंगीकार किया
धर्म निरपेक्ष मोर्चा सबनै मिल करकै नै तैयार किया
न्यूनतम साझा कार्यक्रम पै देशवासी आस जमायंे देखे।।







-49-

अब तक का सफर
पन्दरा अगस्त सैंतालिस मैं हमनै देश आजाद कराया रै।
हजारां लाखां बीर मरद जिननै सब किमै दा पै लाया रै।।
एक छत्र राज अंग्रेजां का जड़ै सूरज कदे छिप्या नहीं
बाहणा था व्यापार करण का लालच उनपै दब्या नहीं
गूंठे कटवाए कारीगरां के जुलम उनका घट्या नहीं
मजदूर किसान लूट लिए मेहनतकश कदे हंस्या नहीं
एका करकै जंग मैं उतरे फिरंगी ना भाज्या थ्याया रै।।
आजाद भारत का सपना देष पूरा आत्मनिर्भर होवै
शिक्षा मिलै सबनै पूरी ना कोए बालक भूखा सोवै
महिला पै हिंसा खत्म हो अपणे घरां चैन तै सोवै
छुआछात नहीं रहैगी ना कोए सिर पै मैला ढोवै
सुभाष बोश भगत सिंह नै इन्कलाब का नारा लाया रै।।
देश के मजदूर किसानां नै पसीना घणा बहाया फेर
माट्टी गेल्यां माट्टी होकै कई गुणानाज उगाया फेर
कई सौ लोगां की कुर्बानी डैम भाखड़ा बनाया फेर
हरित क्राांति हरियाणे मैं एक बै नया दौर आया फेर
दस की तो खूब ऐश हुई नब्बै जमा खड़या लखाया रै।।
देश और तरक्की करै म्हारा वैश्वीकरण का नारा ल्याए
झूठ मूठ की बात बणाकै हम भारतवासी गए भकाए
ऐश करैं ले करज बदेशी देष के बेच खजाने खाए
बदेशी कंपनी खातर फेर झट पट दरवाजे खुलवाए
रणबीर सिंह मरै भूखा नाज गोदामां मैं सड़ता पाया रै।।







-50-

फागण
मनै पाट्या कोण्या तोल, क्यों करदी तनै बोल
नहीं गेरी चिट्ठी खोल, क्यों सै छुट्टी मैं रोल
मेरा फागण करै मखोल, बाट तेरी सांझ तड़कै।।
या आई फसल पकाई पै, या जावै दुनिया लाई पै
लागै दिल मेरे पै चोट, मैं ल्यूं क्यूकर इसनै ओट
के मेरा सै इसमैं खोट, ना आच्छे लागैं ये रोट
सोचूं खाट के मैं लोट, तूं कित सोग्या पड़कै।।
खेतां मैं मेहनत करकै, रंज फिकर यो न्यारा धरकै
लुगाइयां नै रोनक लाई, कट्ठी हो बुलावण आई
मेरा कोण्या पार बसाई, तनै कसक कसूती लाई
पहली दुलहण्डी याद आई, मेरा दिल कसूता धड़कै।।
इसी किसी तेरी नौकरी, कुणसी अड़चन तनै रोकरी
अमीरां के त्योहार घणे सैं, म्हारे तो एकाध बणे सैं
खेलैं रलकै सभी जणे सैं, बाल्टी लेकै मरद ठणे सैं
मेरे रोंगटे खड़े तनै सैं, आज्या अफसर तै लड़कै।।
मारैं कोलड़े आंख मीचकै, खेलैं फागण जाड़ भींचकै
उड़ै आग्या था सारा गाम, पड़ै था थोड़ा घणा घाम
पाणी के भरे खूब ड्राम, दो तीन थे जमा बेलगाम
मनै लिया कोलड़ा थाम, मारया आया जो जड़कै।।
पहल्यां आली ना धाक रही, ना बीरां की खुराक रही
तनै मैं नई बात बताउं, डरती सी यो जिकर चलाउं
रणबीर पै बी लिखवाउं, होवे पिटाई हररोज दिखाउं
कुण कुण सै सारी गिणवाउं, नहीं खड़ी होती अड़कै।।







-51-

आया फागण
फागण का म्हिना आग्या चारों कान्हीं हरियाली छाई।।
ईब ना गरमी ना सरदी लागै या रुत खेलण की आई।।
चम्पा चमेली सखी सहेली करी फागण खेलण की तैयारी
बहू नवेली मिलकै खेली पूरा फागण का रंग जमारी
साठे में बुढ़िया होरी रसिया जणूं तै पां मिंडकी ठारी
लाडू बरफी ल्याकै असरफी आंगली चाट चाट खारी
रिस्सालो मार धमोड़ा फेर नई तान खोज कै ल्याई।।
पीले फूल रहे खेत मैं झूल चाला मोटा रूपरया सै
सिरसों की फली लागैं भली पूरा ए पेड़ा झुकरया सै
खुभात करै अर उभाणा फिरै फील गुड हंसरया सै
धरती बांझ होन्ती आवै सै जी बिघण मैं फंसरया सै
या चांद की चांदनी रात मोर नै सुरीली कूक सुनाई।।
बाट दिखा कै हाड़े खवा कै फागण का म्हिना आया
लुगाइयां नै बैठ सांझ कै गीत सही सुर मैं ठाया
लखावै बैठी कोए देहल पै नहीं बालम घर मैं पाया
होली के दिन रैहगे दो नहीं कोए रंग गुलाल ल्याया
बिन बालम किसी होली इसे चिन्ता नै मैं खाई।।
देवर आकै गुलाल लगावै भाभी नै कोलड़ा भांज लिया
इतनै मैं रुक्का पड़ग्या दो ठोल्यां का लाठा बाज लिया
किसे का सिर फूट गया कोए घर कान्ही भाज लिया
देवर कै कोलड़ा लाग्या हो घणा कसूता नाराज लिया
रणबीर बरोने आले नै करी टूटी फूटी सी कविताई।।






-52-

गुडफील
हमनै तो सुननी कोण्या थारी कोए दलील रै
ये सारे गुड फीलते ईब तूं भी गुड फील रै
भूखा मरै कोए बात नहीं छोड़ दे चिन्ता सारी
गुड फील ज्यूकर फीलैं म्हारे अटल बिहारी
या करी तरक्की भारी बोले सभी वकील रै।।
गुड फीलण मैं सूखे जावैं क्यों तेरे प्राण देख
हेमा मालिनी फीलती फील रहे कल्याण देख
हो कितनी अपमान देख मान ले अपील रै।।
म्हंगाई की मार पड़ै पर इसनै भूल जाइये तूं
दारू पी गुड फील हो कति ना शरमाइये तूं
ठप्पा सही लगाइये तूं मत करिये ढील रै।।
गुड फीलैं सैं कटियार फीलती उमा भारती
जयपुर मैं सिंधिया जी तारै रणबीर आरती
सुषमा नकल मारती गाड्डे छाती में कील रै।।
















-53-

तीन मुंहा नाग
तीन मुंहा नाग काला  भारत देश नै डसग्या।
अमीरां की चान्दी होगी गरीब कसूता फंसग्या।।
मुद्राकोष का फण जहरी काट्या मांगै पाणी ना
दूजा फण विश्व बैंक का ईकी शक्ल पिछाणी ना
डब्ल्यू टी ओ तीजा फण बचती कुण्बा घाणी ना
काले नाग तै दूध जो प्यावै उंहतै माड़ा प्राणी ना
इसका जहर समाज की नस नस के मैं बसग्या।।
ढांचागत समायोजन नै कसूते गुल खिला दिये
शिक्षा पै कम खरचा हो हुकम इसे सुणा दिये
सेहत बणै हवण तै मंतर गजब के पढ़ा दिये
कोडियां के दामां पै पब्लिक सैक्टर बिका दिये
भकाये फंदा ढीला होज्या दूना गल नै कसग्या।।
इस काले नाग के दम पै देश अमीर घणे छागे
गरीब देशां के बण हितैषी ये भ्रम घणा फैलागे
दुनिया के अमीर कट्ठे होकै चूट-चूट के खागे
अमीरपरस्त नीति बणाकै गरीब नै जमा दबागे
इसे डंक मारे अमीरां नै समाज धरती मैं थंसग्या।।
अमीर गरीब के बीच की खाई और चौड़ी होगी
ये बालक रुलते हांडैं इनकी जवानी बौड़ी होगी
बदेशी नाम की देशी तै घणी जालम जोड़ी होगी
म्हारे डांगर रोज मरैं ठाड्डी इनकी घोड़ी होगी
रणबीर की कविताई तै ज्योत अन्ध्ेारे मैं चसग्या।।







-54-

पीस्सा
माणस आले प्यार रहे ना जग में पीस्सा छाग्या।
माट्टी होगी त्याग भाव की जी घणा दुख पाग्या।।
विज्ञान की नई खोजां नै अनहोनी करकै दिखाई
नियम जाण कुदरत के या जिन्दगी सफल बणाई
गलत इस्तेमाल हो इसका तो घणी करदे तबाही
मुट्ठी भर लोगां नै इसपै अपनी धाक जमाई
नाज सड़ै गोदामां मैं भूखा दुख मैं फांसी खाग्या।।
कुछां के कुते ऐश करैं म्हारे बालक भूखे मरते
हम दिन रात कमावैं वे तै कमाई काली करते
चटनी नहीं नसीब हमनै वे पकवानां तैं डरते
पीस्से के अम्बार लगे इनके पेट कदे ना भरते
बिन पैंदे का लौटा हमनै मूरख बेकूफ बताग्या।।
म्हारी ईज्जत आबरू उतरै ईब खुले बाजार मैं
धेले की ना कदर रही आपस के ब्यौहार मैं
ना सही रिश्ते बनाए हमनै अपने परिवार मैं
औरत दी एक चीज बणा लालच के संसार मैं
बैडरूम सीन टीबी पै खुलकै दिखावण लाग्या।।
खेती खोसी डांगर खोसे ईब करैगा कंगला यो
ना सुहावै म्हारी झूंपड़ी खुदका बढ़िया बंगला यो
म्हारी लूट कमाई देखो हमनै बतावै पगला यो
रहे ताश खेलते तो नहीं समझ पावां हमला यो
बता रणबीर सिंह क्यों पीस्से का नंगापन भाग्या।।







-55-

नया पेटैंट मारैगा
यो पेटैंट के जंजाल बीरा, बतादे करकै ख्याल बीरा
उठती दिल मैं झाल बीरा, यो करै कैसे कंगाल बीरा
सै योहे मेरा सवाल बीरा, मनै जवाब दिये खोल कै।।
समिति नै कर जलसा इसकी सारी कमी बताई रै
सन सैंतालिस तै पहल्यां गोरयां नै लूट मचाई रै
आच्छी कहैं सरकार बीरा, समिति करै इन्कार बीरा
अमरीका की सै मार बीरा, देश बणाया बजार बीरा
किनैं बढ़ाई तकरार बीरा, मनै जवाब दिये तोल कै।।
खोज म्हारी कै झटका नये पेटैंट तै जरूर लागै
भूख गरीबी भारत की इसतै कदे बी कोन्या भागै
कोण्या बढ़या निर्यात बीरा, नहीं घट्या आयात बीरा
क्यूकर बचै औकात बीरा, म्हारी चढ़ी सै श्यात बीरा
क्यों मारग्या सन्पात बीरा, मनै जवाब दिये टटोल कै।।
खाद पानी बिजली खुसगे यो अपना बीज ना होगा
अस्पताल कॉलेज पै कब्जा बदेशी कंम्पनी का होगा
फेरना मिलै दवाई बीरा, या म्हंगी होगी पढ़ाई बीरा
इसनै रोल मचाई बीरा, जनता झूठ भकाई बीरा
क्यूकर बचै तबाही बीरा, मनै जवाब दिये बोल कै।।
चिन्ता रोज सतावै क्यूकर चालैगा यो परिवार मेरा
पेटैंट बढ़िया चीज सै इसतै दिल करै इनकार मेरा
खींच सही तसबीर बीरा, लडा कोए तदबीर बीरा
मसला घणा गम्भीर बीरा लिखै सही रणबीर बीरा
समझा ईकी तासीर बीरा मनै जवाब दिये खंगोल कै।।



-56-
वार्ता: वैश्वीकरण के दौर में देशों के बीच असमानाएं बढ़ती जा रही हैं और देशों के अन्दर भी असमानाएं बढ़ रही हैं। एक तरफ हाईटैक सिटी हैं। मॉल शॉप हैं। दूसरी तरफ कॉलोनियों में बनी दुकानों को सील किया जा रहा है ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मॉल शॉप चल निकलें। एयर कन्डीशन्ड घर हैं, कारें हैं और स्कूल हैं। गरमी की दुनिया देख ही नहीं पाते ये बच्चे। वास्तव में हिन्दुस्तान तरक्की पर है। क्या बताया भला:

जमीन जल और जंगल पै अमीर कब्जा बढ़ावै सै।
गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।
जमीन पै कब्जा करकै हाईटैक सिटी बनाते आज
उजड़ कै जमीन तै कित जावै ना खोल बताते आज
बीस लाख मैं ले कै किल्ला बीस करोड़ कमाते आज
इनके बालक तै ऐश करैं म्हारे ज्यान खपाते आज
आदिवासी नै जंगल मां तै हांगा करकै हटावै सै।।
जंगल काट-काट कै गेरे ये मुनाफा घणा कमागे रै
आदिवासी दिये भजा उड़ै तै बहुत से ज्यान खपागे रै
मान सम्मान खातर लड़े वे ज्यान की बाजी लागे रै
देशी लुटेरे बदेशी डाकुआं तै ये चौड़ै हाथ मिलागे रै
किसान की आज मर आगी यो संकट मैं फांसी लावै सै।।
बिश्लेरी पानी की बोतल बाजार मैं दस की मिलती रै
दूध सस्ता और पानी महंगा बात सही ना जंचती रै
साफ पानी नहीं पीवण नै बढ़ती बीमारी दिखती रै
पानी म्हारा दोहन उनका पीस्से की भूख ना मिटती रै
जमीन जंगल जल गया संकट बढ़ता ए आव सै।।
औरत दी एक चीज बना बाजार बीच या बिकती रै
म्हंगाई बढ़ती जा कीमत एक जगहां ना टिकती रै
घणा लालची माणस होग्या हवस कदे ना मिटती रै
अमीरी गरीबां नै खाकै बी आज जमा ना छिकती रै
रणबीर बरोने आला घणी साची लिखता घबरावै सै।।




-57-
वार्ता: एक मई का दिन दुनिया के इतिहास में एक महत्व पूर्ण दिन है। मजदूरों ने इकट्ठे हो कर अपने हकों के लिए आवाज उठाई थी। अपने खून की कुर्बानी दी थी। लाल झण्डे की महिमा को स्थापित किया था। ा बताया भला:

मई दिवस एक मई नै दुनिया मैं मनाया जावै।
दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।
लड़ी मजदूरां नै कट्ठे होकै दुनियां मैं लड़ाई बेबे
लाल झण्डा रहवै सलामत छाती मैं गोली खाई बेबे
पूरी एकता दिखाई बेबे यो एहसास कराया जावै।।
दी शहादत मजदूरां नै अपने हक लेने चाहे थे
कई सौ मजदूर कट्ठे होकै शिकागे के मैं आये थे
एकता के नारे लाये थे म्हारा हक नहीं दबाया जावै।।
समाजवाद की दुनियां मैं नई सी एक लहर चली
चीन साथ वियतनाम या हर गली और शहर चली
दिन रात आठ पहर चली इतिहास मैं बताया जावै।।
उस दिन तै मजदूर दिवस मेहनत कश मणाण लगे
मजदूर एकता जिन्दाबाद सुण मालिक घबराण लगे
रणबीर सिंह गीत बणाण लगे एक मई नै गाया जावै।।












-58-
वार्ता: कमला बैठी बैठी सोच रही है। हमारे गिहूं का भाव हमें कम दिया जाता है। बाहर से गिहूं मंगवाया जाता है वह महंगा है। ऐसा क्यों? उसे कोई संतोषजनक जवाब नहीं सूझता। वह क्या सोचती है भला:

किसान तै पढ़ण बिठाया गिहूं का आयात करकै हे।
आत्म निर्भर देश बनाया ज्यान हथेली पर धरकै हे।।
किसानां के ये हितैषी नेता आज कड़ै बिलां मैं बड़गे
के मजबूरी सै हमनै क्यों गिहूं आयात करने पड़गे
गिहूं गोदामां मैं सड़गे चुहे खागे बोरी कुतर कै हे।।
पहलमै फांसी खा खाकै किसान मरण लाग रहे सैं
काले पीले हरे रोजाना इनकै लड़ण नाग रहे सैं
म्हारै पड़ण झाग रहे सैं ईब पैंडा छुटैगा मर कै हे।।
बिन किसान ना खेती बताई बिन खेती उद्योग कड़ै
क्यूकर देश बढ़ैगा आगै इतना दुखी किसान जड़ै
मुंह खोलना जरूर पड़ै पानी गया सिर पर कै हे।।
अमरीकी गिहूं पै सब्सिडी आज बी जारी क्यों बताई
भारत की गिहूं की सब्सिडी खत्म करण की अड़ लाई
हांगकांग मैं मोहर लगाई मुश्किल आवां उभर कै हे।।
भारत का किसान दुखी हुया फसल पिटगी चौड़े मैं
चांद तो कदे बी मांग्या ना करया सै गुजर थोड़े मैं
बदेशियां के घमोड़े मैं मरना पड़ैगा पसर के हे।।
बिना एकता ना काम चलै पिट्या किसान न्यारा-न्यारा
जातपात और गोत नात पै बांटया कैहकै यारा प्यारा
रणबीर सिंह नहीं म्हारा गुजारा मतना बैठो डरकै हे।।







-59-
वार्ता: आईटी के क्षेत्र में जहां एक तरफ कुछ लोगों को नौकरियां मिली वहीं पर उनकी मुशीबतें भी बढ़ी हैं। कंपनी में लड़का-लड़की 18 घण्टे बिताते हैं। घर में 6 घण्टे। 6 घण्टे में से पांच घण्टे सोना। एक घण्टा परिवार के साथ यानी पत्नी के साथ तो कौन सा सम्बन्ध ज्यादा महत्वपूर्ण है। 18 घण्टे वाला या एक घण्टे वाला। क्या बताया कवि ने भला: दो शादीशुदा लड़के-लड़की में बच्चा बणाणे की समस्या:

एक जणा दिल्ली मैं दूजा हैदराबाद में बताया।
बालक बणाणा बेड़ी लागै यो किसा जमाना आया।।
आई टी मैं मिली नौकरी औधा उंचा पागी सै
नौकरी मैं पाछे पड़ज्या उनै चिन्ता खागी सै
बहाने करण लागी सै पतिदेव भी समझाया।।
बालक तै घणा तै यो कैरियर प्यारा होग्या आज
किसा जमाना आया बीज बिघन के बोग्या आज
प्यार भावना खोग्या आज माणस रोब्बट बनाया।।
तीस साल की उम्र होगी बालक कोए हुया नहीं
जिन्दगी की तन्हाई एकला जावै रहया नहीं
किसे तै जावै कहया नहीं नहीं कोए रास्ता पाया।।
न्यारी-न्यारी जागां पै उनके नये रिश्ते बणण लगे
बेरा पाटै एक दूजे तै रणबीर सिंह जलण लगे
तलाक त्यारी करण लगे घर मैं संकट छाया।।











-60-
जीन्द जिले के अलेवा खण्ड के गांव डाहौला में किताब सिंह की सुपुत्री मीना की शादी एक महीना पहले लोन गांव के स्वरूप सिंह के लड़के सतबीर सिंह से हो जाती है। लोन गांव जो नरवाना में है नैन गोत्र का गांव है और इसमें 10-15 घर नेहरा गोत्र के रहते हैं। कहते हैं नेहरा और नैन गोत का भाईचारा है। बख्त आ लिया अक यू भाईचारा तोड़ना पड़ैगा ना तै यू तोड़या जागा। बुलधां की खेती क्यूं छोड़ दी इन ंपचातियों नै जो गोतां की परम्परा की कोल्ली भरें हांडैं सै? क्या बताया कवि ने भला:

अलेवा खण्ड का गाम डाहौला उड़ै गोत विवाद बनाया।
नेहरा और नैन ये भिड़गे बिना बात का शोर मचाया।।
लोन गाम मैं नरेश गोत के दस पन्दरा घर बताये
नेहरा छोरी ना ब्याही आवै पंचात नै फरमान सुनाये
पहलम बी ब्याह हुये सैं ईबकै क्यों एतराज जताया।।
मीना बेटी किताब सिंह की सतबीर सिंह के संग ब्याही
लोन गाम के नेहरा कहते इस तरियां मचै तबाही
एक धेले का जुर्माना पंचात नै इस शादी उपर लाया।।
एक बै सोचां सीले मत नै क्यूकर पार पड़ै इस ढालां
दिन पै दिन गोत बधते जावैं आपस मैं लड़ैं इस ढालां
गोतां की तकरार डबोवै पुराना रिवाज चलता आया।।
किसे की ब्याह शादी ना हो जै इस तरियां रोक रहवै
समचाने मैं गोत पन्दरा कोए किसै नै कुछ ना कहवै
रणबीर घणे गाम जित ना जावै खेड़े का गोत बचाया।।












-61-
बोल बख्त के: पैप्सी जहर
आज शाम को टी.वी. चैनल सहारा समय पर 5.00 बजे खबर सुनी जहर का घूंट। बताया गया कि 24 प्रतिशत से ज्यादा कीटनाशक कोका कोला में पाये गये। दिल दहल गया और एक रागनी के माध्यम से आत्मा पुकारी। क्या बताया भला:
जहर पीवां पैप्सी कोलां मैं, मौत के मुंह मैं जावां रै।
सब्जी दूध भोजन मैं बहोत कीटनाशक खावां रै।।
पाणी मैं जहर घुलग्या इसका हमनै बेरा कोन्या
घणा कसूता घाल दिया टूटता दीखै घेरा कोन्या
हरित क्रांति हरियाणा में खुशी थोड़े लोगां मैं ल्याई
घणे लोगां मैं कीटनाशक नै या घणी रची तबाही
आज पाछै बोतल हम नहीं पैप्सी कोला की ठावां रै।।
अनतोल्या इस्तेमाल हुया सै पाछले दस सालां मैं
शरीर निचोड़ बगा दिया लाली बची नहीं गालां मैं
बदेशी कंपनी लूटैं हमनै ये हजर पिलाकै देखो
मुनाफा कमावैं अरबां का कीटनाशक खिलाकै देखो
कसम खावां आज सारे हाथ नहीं ठण्डे कै लावां रै।।
खाज गात मैं करदी सै आज घर कोए बच्या नहीं
दमा बीमारी बाधू होगी खुलासा म्हारै जंच्या नहीं
गैस पेट की बढ़ती जा महिला हुक्टी पीवण लाग्गी
नामर्दी का शिकार होकै पीढ़ी युवा जीवण लाग्गी
इलाज कितै होन्ता कोन्या बताओ हम कित जावां रै।।
कई साल तै रुक्या नहीं जहर का खेल न्योंए चालै
के बरा किस-किस के जीवन पै हाथ रोजाना घालै
कैंसर बधता जावै आज कई विद्वान बतावैं देखो
जन्म जात बीमारी बधगी आंकड़े ये दिखावैं देखो
कहै रणबीर बरोने आला ईबतैं मोर्चा जमावां रै।।




-62-

भ्रश्टाचार व भय मुक्त हरियाणा
भ्रष्टाचार और भय मुक्त हरियाणा देखण चाल पड़या।
आम आदमी सरकारी आफिस मैं पाया बेहाल खड़या।।
बिना पीस्से फाइल सरकै ना किसे महकमेे मैं जा देखो
ठेकेदारां की ईब चान्दी होरी बेउमाना रहे खा देखो
डीजल पैट्रोल के भा देखो लागै नाग तत्काल लड़या।।
भय छारया चारों कान्ही कद यो एक्सीडैंट होज्या
एक कार मैं हो कुन्बा सारा गहरी नींद मैं सोज्या
भय बीच बिघन के बोज्या माणस देखै फिलहाल खड़या।।
कितै भय पहलवानां का कितै भय थानेदारी का होज्या
कितै भय राजपाट का कितै भय रिश्तेदारी का होज्या
कितै भय भ्रष्टाचारी का होज्या पल मैं बबाल खड़या।।
भ्रष्टाचार की जड़ गहरी यो बड़ पाड़णा आसान कडै
बेकूफ बहादर सै वो जो बिनां जड़ां नै पहचान लड़ै
रणबीर बीच घमासान अडै़ छोड़ डॉक्टरी नाल खड़या।।
















-63-

कट्ठे होल्यां
बहोत दिन होगे पिटत्यां नै ईब कट्ठे होकै देख लियो।
बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।
करड़ी मार नई नीतियां की या सबपै पड़ती आवै सै
देश नै खरीदण की खातर बदेशी कंपनी बोली लावै सै
या ठेकेदारी प्रथा सारे कै बाहर भीतर छान्ती जावै सै
बदेशी कंपनी पै कमीशन यो नेता अफसर खावै सै
मन्दिर का छोड़ कै पैण्डा भूख गरीबी पै रोकै देख लियो।।
जड़ै जनता की हुई एकता उड़ै की सत्ता घबराई सै
थोड़ा घणा जुगाड़ बिठाकै जनता बहकानी चाही सै
जड़ै अड़कै खड़ी होगी जनता लाठी गोली चलवाई सै
लैक्शनां पाछै कड़ तोड़ैंगे या सबकी समझ मैं आई सै
ये झूठे बरतन जितने पावैं ताम सबनै धोकै देख लियो।।
हालात जटिल हुये दुनिया मैं समझणी होगी बात सारी
ईब ना समझे तो होज्या नुकसान म्हारा बहोतैए भारी
पैनी नजर बिना दीखै दुश्मन हमनै घणा समाज सुधारी
हम सब की सोच पिछड़ी नजर ना नये रास्ते पै जारी
भीतरले मैं अपणे भी दिल दिमाग गोकै देख लियो।।
जात धरम इलाके पै हम न्यारे-न्यारे बांट दिये रै
कुछ की करी पिटाई कुछ लालच देकै छांट लिये रै
म्हारी एकता तोड़ बगादी ये पैर जड़ तै काट दिये रै
ये देशी बदेशी लुटेरे म्हारे हकां नै नाट लिये रै
रणबीर सिंह दुख अपणे के ये छन्द पिरोकै देख लियो।।





-64-

क्यों बैठ्या
चांदकौर ः सारी दुनिया मनावै आजादी तों क्यों बैठ्या मुंह नै बाकै।
रणबीर क्यों माथे की फूट रही देख चारों तरफ नजर गडाकै।।
चांदकौर
आजादी पाछै म्हारे देश मैं कहवैं तरक्की हुई सै भारी
खेतां के म्हां फसल लहरावैं देखो हरित क्रांति आरी
बुल्ध गया टैªक्टर आग्या किसान नै जमकै बाजी मारी
टाटा बिड़ला के कारखाने सारे देश मैं देवैं किलकारी
कुएं का मिंडक बण्या बैठ्या देख ले तरक्की तूं जाकै।।
रणबीर
जो जो तनै ये बात बताई इन सबका मनै बेरा सै
म्हारे आजाद देश मैं जमकै खूब कमाया कमेरा सै
मेहनत करकै खान खेत मैं चाहया नया सबेरा सै
धन-दौलत पैदा करकै बी ना हुया दूर अन्धेरा सै
नफा टोटा यो सारा बतादे तों मनै सही सही समझाकै।।
चांदकौर
इतना मनै बेरा ना पर उत्सव मनावै सरकार सै
रूक्के मारती हांडै सै के झूठ कही मनै भरतार सै
शिक्षा का पूरे देश मैं बतावै करया हमनै प्रसार सै
तरां-तरां की भजाई बेमारी इसका करै प्रचार सै
किस्मत का खेल बतावैं झांकी न्यारी न्यारी दिखलाकै।।
रणबीर
मेहनत करी किसान नै पूड़े टाटा बिड़ला पोगे क्यों
कपड़ा बुण्या हजारां गज फेर बालक नंगे सोगे क्यों
त्याग तपस्या और सच्चाई दीन जहान तै खोगे क्यों
मुखबिर बने जो अंग्रेजां के बे शासक म्हारे होगे क्यों
सूत कसूत तै नपै आजादी या नापी रणबीर नै गाकै।।




-65-

हरि के हरियाणे मैं
श्यामत म्हारी आई, कोन्या दीखै राही, चढ़ी सै करड़ाई
हरि के हरियाणे में।।
बोहर और भालोठ बताये, रूड़की किलोई संग दिखाये
कर्जा चढग्या भारी, आया बैंक सरकारी, डूंडी पिटगी म्हारी
हरि के हरियाणे मैं।
धरती चढ़गी लाल स्याही मैं, कसर नहीं रही तबाही मैं
आज घंटी खुड़की, किलोई चाहे रूड़की, होवैगी म्हारी कुरड़ी
हरि के हरियाणे मैं।।
आमदन या घाट लिकड़ती लागत तो बाधू लानी पड़ती
सब्सिडी खत्म म्हारी, देई घरां मैं बुहारी, श्यामत आगी भारी
हरि के हरियाणे मैं।।
महंगी होन्ती जा सै पढ़ाई रै, रणबीर मरैं बिना दवाई रै
दुख होग्या भार्या, मन बी होग्या खार्या, नहीं रास्ता पार्या
हरि के हरियाणे मैं।।














-66-

जाल अमेरिका का
अमरीका तनै जाल बिछाया हिंसा सैक्स नशा खूब फलाया।
हरेक देश दबाणा चाहया, तेरी चाल समझ मैं आई सै।।
फीम सुलफा चरस बिकादी,हथियारां की सुरंग बिछादी
तेरे होगे सही पौ बारा, यो नौजवान फंसग्या म्हारा
म्हारी तबीयत होगी खारया, थारी सारी काली कमाई सै।।
तूफान अश्लीलता काल्याया, गाभरू कै खून मुंह लाया
चैनल पर चैनल चलाया, अराजकता कसूत फलाई सै।।
ब्लयू फिल्मां की बाढ़ सी ल्यादी,काली कमाई इसमैं बी लादी
हिंसा के रिकार्ड तोड़ दिये, म्हारे छोरा छोरी जोड़ लिये
ये हिंसक घोड़े खुले छोड़ दिये, सोच समझ चाल चलाई सै।।
एक हाथ तै लूटै सै हमनै, दूजे हाथ तै चूटै सै हमनै
न्यांे ध्यान हटावै सचाई तैं, ऐश करै म्हारी कमाई पै
रणबीर की कविताई पै, उम्मीद जनता नै लाई सै।।

















-67-

दुख गेरया
दुख अमरीका नै गेरया इसका पटग्या सै बेरा।
नहीं पता संसार नै एक बै सबनै बता दियो।।
आंख्यां पै चरबी चढ़गी
दादागिरी घणी बढ़गी
यो कार करै घणी माड़ी
अमरीकन सूंडी ल्या बाड़ी
खागी या परिवार नै, संदेशा उसपै पहोंचा दियो।।
यो किसे तै नहीं डरै सै
घणी खोटी नीत करै सै
करता घणे यो रंग ठाठ
हम होगे सां बारा बाट
लेग्या खोस बहार नै, या उसतै कोए समझा दियो।।
न्यों कहते जोड़ कै हाथ
कड़ै सै गामां की पंचात
या बात करियो न्याय की
म्हारै काया मैं ना बाकी
छोड़ कै नै तकरार नै, ये मिलकै कदम बढ़ा दियो।।
कसर छोड्डी ना छल की
धोखे मैं ढील ना पलकी
इनै हद करी जुलम की बाढ़ लाई नंगी फिल्म की
इसके झूठे प्रचार नै, रणबीर खोल कै दिखा दियो।।







-68-

सौ के तोड़ की
राजबाला जोगी के इन्तजार में थी। चांद कौर कहती है-जोगी पुरानी बातें सुनाता है, नई बात नहीं। राजबाला बोली यो नया जोगी सै पुराना कोनी। इतने में जोगी आ जाता है तो राजबाला कहती है कोए नई बात सुणाओ। जोगी टी वी संस्कृति पर सुनाता है:
टी वी सीरियल उपर जूता क्यों आपस मैं बाज रहया।
झूठी बात नहीं मैं कहता बता सब साची आज रहया।।
1. बाबू न्यूज सुण्या चाहवै, उस खातर कोए टेम नहीं
बैड रूम सीन कद आज्या यो बच्चा कोए नेम नहीं
बधती जावै इस टी वी की कम क्यूं होन्ती फेम नहीं
फैशन शो के नाम पै हो इसपै जमा नंगा नाच रहया।।
2. म्हारी संस्कृति खतरे मैं कहै दिखाये घणा प्यार रहे सैं
भूंडे चेनलां की रोजाना कर क्यूं आड़ै भरमार रहे सैं
महिला शरीर बेच टी वी पै बढ़ा कूण व्यापार रहे सैं
औरत जिम्मेवार सै इसकी कर यो झूठा प्रचार रहे सैं
चित बी मेरी पिट बी मेरी खुल ना इनका राज रहया।।
3. अंग्रेजी फिल्म जमा उघाड़ी हमनै टी वी पै दिखावैं क्यों
नैतिकता की दुहाई दे कै फेर उल्टा इल्जाम लगावैं क्यों
नशीली दवा मौत माणस की कारखाने मैं बनावैं क्यों
कदे जवान साच समझले उसनै गलत राही लावैं न्यों
म्हारे दिल दिमाग पै हमला जंग कसूता माच रहया।।
4. देश के नौजवानो म्हारे पै कई ढाल का हमला बताउं
दारू सुलफा दवा नशीली करैं जमा खोखला तनै दिखाउं
दे हथियार तनै करावैं अपणी रूखाली तनै मैं जताउं
ईब बी लेल्यो सम्भाला रै, रणबीर रागनी थारी बनाउं
हमला छोटा मोटा कोण्या यो हिल भारत का ताज रहया।।





-69-

आजादी के पचपन साल
पचपन साल की आजादी मैं के खोया के पाया हे।
भगत सिंह से वीरां नै जिस खातिर खून बहाया हे।।
1. किसी आजादी आयी देश मैं गरीबां का यो सवाल सै
बेरोजगारी क्यूं बढ़ी सवाई म्हारा किसनै ख्याल सै
जवानी जाल्याी बाई पास कै पचास साल का कमाल सै
नामर्दी नै जमां गोड्डे तोड़े हाल हुया बेहाल सै
खूनी जोंक चिपट रही सारा खून चूस बगाया हे।।
2. अपणे पाहयां देश खड़या हो पचास साल के थोड़े थे
शुरू-शुरू मैं चाले पाहयां ये उद्योग सरपट दौड़े थे
पब्लिक सैक्टर आया देश मैं भाजे देख कठफोड़े थे
मुनाफा खोर नै लूट मचाई बरसे म्हारे पै कोड़े थे
देश पढ़ण बिठा दिया बेबे लूट-लूट कै खाया हे।।
3. इतने मैं भी ना साधी ये बदेशी कंपनी बुला लई
जनता जाओ चाहे भाड़ मैं या तोंद अपनी फुला लई
इनके गलूरे लाल पड़े पर म्हारी कमर तै झुका दई
ऐश करते काले धन पै बहु बेटी म्हारी रूला दई
करजे के म्हां भारत दाब्या यू गरीब घणा सताया हे।।
4. ज्यान काढ़ली घोटाल्यां नै डंकल नै कड़ तोड़ दई
भ्रष्टाचार मैं ये नेता डूबे जनता की नाड़ मरोड़ दई
मुनाफाखोर व्यवस्था नै या म्हारी जवानी निचोड़ दई
हक खोसकै महिलाओं के बीच बजार में छोड़ दई
धार्मिक कट्टरवाद नै कहै रणबीर देश खिंडाया हे।।







-70-

दिल्ली आल्यो
गिणकै दिये बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो।
नहीं सुणते बात हम देखैं बाट दिल्ली आल्यो।।
ईब खत्म म्हारी पढ़ाई कति गोलते कोण्या
हम मरते बिना दवाई कति तोलते कोन्या
कति बोलते कोण्या बनरे लाट दिल्ली आल्यो।।
इसी नीति अपनाई किसान यो बरबाद करया
घर उजाड़ कै म्हारा अपणा यो आबाद करया।
घणायो फसाद करया तोल्या घाट दिल्ली आल्यो।।
म्हारे बालक सरहद पै अपनी ज्यान खपावैं
थारे घूमैं जहाज्यां मैं म्हारे खेत खान कमावैं
भूख मैं टेम बितावैं थारे सैं ठाठ दिल्ली आल्यो।।
सात सौ चीजां की रणबीर ये सीम खोल दई
गउ भैंस बकरी म्हारी ये बिकवा बिन मोल दई
मचा रोल दई गया बेरा पाट दिल्ली आल्यो।।















-71-

दहेज
बिना दहेज के ब्याह करां और करवावां हरियाणे मैं।
कट्ठे होकै नै एक न्यारी मिशाल रचावां हरियाणे मैं।।
म्हारे समाज नै दहेज की बीमारी खोखला करगी रै
ईबतै लेल्यां किमै उभारा या पाप की हांडी भरगी रै
मेरे पक्की बात जरगी रै इनै धूल चटावां हरियाणे मैं।।
औरत बी एक इन्सान होसै याबात समझ में आगी
आधी दुनिया समाज के मैं दुख ये बहोत घणे ठागी
ईब या ना सताई जागी अभियान चलावां हरियाणे मैं।।
गलत बात नै छोड़कै पाछे सही बात पै विचार करांगे
दुनिया मैं बिगाड़ आया उसकै खिलाफ प्रचार करांगे
ठीक अपने हम परिवार करांगे कैसे बचावां हरियाणे मैं।।
एक नवजागरण जो चाल रहया इनै और मजबूत करां
इन्सानियत म्हारी मंजिल सै भगत सिंह की ढाल मरां
मौत तै हम नहीं डरां रणबीर अलख जगावां हरियाणे मैं।।















-72-

घूंघट तार बगाया हे
यो घूंघट तार बगाया हे, खेतां मैं खूब कमाया हे।
खेलां मैं नाम कमाया हे, हम आगै बढ़ती जारी बेबे।।
लिबासपुर रोहनात के मैं बहादरी खूब दिखाई बेबे
अंग्रेजां तै जीन्द की रानी नै गजब लड़ी लड़ाई बेबे
हमको दबाना चाहया हे, दोयम दरजा बताया हे
जाल मै कसूता फंसाया हे,न्यों म्हारी अक्ल मारी बेबे।।
डांगर ढोर की सम्भाल करी धार काढ़ कै ल्याई बेबे
खूब बोल सहे हमनै ये स्कूलां मैं करी सै पढ़ाई बेबे
सब कुछ दा पै लाया देखो, सबनै खवाकै खाया देखो
ना गम चेहरे पै आया देखे, कदे हारी कदे बीमारी बेबे।।
नकल रोकती बहन सुशीला जमा नहीं घबराई सै
दुनिया मैं अदभुत मिशाल अपनी ज्यान खपाई सै
गन्दी राजनीति साहमी आई, औरतां पै श्यामत आई
फेर बी सै अलख जगाई, देकै कुर्बानी भारी बेबे।।
लड़ती मरती पड़ती हम मैदाने जंग मैं डटरी देखो
कायदे कानूनां तै आज म्हारी समाज हटरी देखो
हर महिला मैं लहर उठी, हर गली और शहर उठी
सुबह श्याम दोपहर उठी, रणबीर की कलम पुकारी बेबे।।











73-

किसी आजादी
देश मैं किसी आजादी आई, गरीबां कै और गरीबी छाई।
अमीरां नै सै लूट मचाई, म्हारी पेश कोए ना चलती।।
भगत सिंह नै दी कुर्बानी, जनता नै खपाई जवानी
हैरानी हुई थी गोरयां नै, कमर कसी छोरी छोरयां नै
देश बांट दिया सोहरयां नै, जयां म्हारी काया जलती।।
ये गोरे गये तो आगे काले, हमनै नहीं ये कदे सम्भाले
चाले कर दिये बेईमाना नै, भूल गये हम इन्सानां नै
इन म्हारे देशी हकुमरानां नै, करदी मूल भूत गलती।।
बोवनिया की धरती होगी, सब जात्यां की भरती होगी
सरती होगी नहीं बिरान, खुश होवैंगे मजदूर किसान
भगत सिंह करै ऐलान, अंग्रेजां कै ये बात खलती।।
मुनाफाखोर देश पै छाये, पीस्से पै सब लोग नचाए
लगाये भाव बीच बाजार मैं, आपस की तकरार मैं
किसे बी घर परिवार मैं आस नहीं कोए बी पलती।।
ये मकान सैं परिवार नहीं, माणस तो सैं घरबार नहीं
सरकार नहीं सुनती म्हारी, जाल कसूता बुनती जारी
गरीबां कै आज ठोकर मारी, रणबीर कै आग बलती।।












-74-

झांक कै देखां अपने भीतर
रिश्ते नाते जीवन मूल्य सारे हीतो बदल रहे सैं।
पीस्से हवस के जीवन मैं आज बढ़ दखल रहे सैं।।
मानव सामाजिक प्राणी सै पशु की ढालां घूमता जावै
दया करुणा त्याग छोड़ ऐशो आराम मैं झूमता जावै
असली प्रेम लैला मजनंू का यो माणस भूलता जावै
खा खा कै मेहनत दूजे की आज घणा फूलता जावै
खाओ पीओ हाथ ना आओ पूरी बदल शकल रहे सैं।।
दुख सुख के हम साथी आज बच्या सरोकार कड़ै सै
मतलबी आज दोस्त होया माड़ी माड़ी बातां पै लड़ै सै
भाग लालसा बढ़ती जा अथाह प्रेम था हुया जड़ै सै
एड्स बीमारी खावै हमनै हालत घणी बिगड़ी अड़ै सै
मानवता सारी भुला दई कर मोटी अकल रहे सैं।।
त्याग तपस्या बलिदान कड़ै आपा धापी माच रही
औरत एक चीज बनाई हवस समाज मैं नाच रही
झूठ अपना राज देश मैं चला बणकै नै साच रही
दौलत सबके जीवन मैं कर या तीन दो पांच रही
राक्षस बन भक्षक आगे बदल ये अमल रहे सैं।।
रोज के जीवन मैं धन काला घर मैं आग्या आज
काला धन यो जीवन काला दिमाग मैं छाग्या आज
धौला धन पिछड़ गया मात काले तै खाग्या आज
धन काला कालस धौले कै समाज के मैं लाग्या आज
कहै रणबीर अमरीका की कर हम नकल रहे सैं।।







-75-

देख लिया जमाना
घूम जमाना देख लिया, म्हारी कितै सुनाई कोन्या।
रोल कड़ै सै जमाने मैं, म्हारी समझ मैं आई कोन्या।।
महंगा लेकै सस्ता देना, कमा-कमा कै मर लिये रै
लूट म्हारी कमाई किसनै, ये घर अपने भर लिये रै
कर्जे सिर पर लिये रै, बचण नै जागां पाई कोन्या।।
दिन-दिन महंगी होती जावै, बालकां की पढ़ाई या
पढ़े पाछै रोजगार नहीं सलॅफास की गोली खाई या
कित जावै कमाई या खोल कै बात बताई कोन्या।।
अपोलो जिसे अस्पताल नये-नये खोले जावैं रै
घणा म्हंगा इलाज उड़ै हम बाहर खड़े लखावैं रै
सरकारी के ताला लावैं रै, देता जमा दिखाई कोन्या।।
अमीरां की खातर ये बदेशी कम्पनी तैयार खड़ी
गरीबां की मर आगी बाजारी नागन आज लड़ी
रणबीर सिंह नै छन्द घड़ी करी जमा अंधाई कोन्या।।















-76-

गुन्डा गरदी
इस गुण्डागर्दी नै बेबे ज्यान काढ़ ली मेरी हे।
सफेद पोश बदमाशां नै इसी घाल दी घेरी है।।
रोज तड़कै होकै त्यार मनै हो कालेज के मैं जाणा
नपूता रोज कूण पै पावै उनै पाछै साइकल लाणा
राह मैं बूढ़े ठेरे बी बोली मारैं हो मुश्कल गात बचाणा
मुंह मैं घालण नै होज्यां मनै चाहवैं साबती खाणा
उस बदमाश जलै नै या चुन्नी तारली मेरी हे।।
मनै सहमी सी नै मां आगै फेर बात बताई सारी
सीधी जाइये सीधी आइये मनै समझावै महतारी
तेरा ए दोष गिनाया जागा जै तनै या बात उभारी
फेर के रहज्यागा बेटी जिब इज्जत लुटज्या म्हारी
मां हाथ जोड़कै बोली तेरे बरगी और भतेरी हे।।
न्यों गात बचा बचाकै पूरे तीन साल गुजार दिये
एच ए यू मैं लिया दाखला पढ़ण के विचार किये
वालीबाल मैं लिकड़ी आगै सबके हमले पार किये
के बताउं किस किसनै मेरे पै जो जो वार किये
मार मार कै तीर कसूते या छाती सालदी मेरी हे।।
कुछ दिन पहलम का जिकरा दूभर जीना होग्या
इन हीरो हान्डा आल्यां का रोज का गमीना होग्या
कई बै रोक मेरी राही खड़या एक कमीना होग्या
उस दिन बी मैं रोक लई घूंट खून का पीना होग्या
रणबीर कई खड़े रहैं साइकिल थाम लें मेरी हे।।








-77-

खुला बाजार
खेती म्हारी जोड़ दई ईब दुनिया के खुले बाजार तै।
बदेशी कम्पनी खुल्ली चरैं ना काबू आवैं सरकार कै।।
गिहूं बाजरा बोणा छोड़कै हम फूल उगावण लागे रै
अपने बिना फूलां के उनके महम सजावण लागे रै
दादी पै माक्खी भिनकैं उनकी टहल बजावण लागे रै
देशी खेती मंूधी मारदी सब किसान कराहवण लागे रै
म्हारा उजड़ना लाजमी सै जो चाल्ले इसे रफतार तै।।
मुंह मांगी कीमत देकै फूल उगावण नै मजबूर करैं
उनके स्वाद तो पूरे होज्यां हमनै रोटियां तै दूर करैं
गिहूं की कीमत पै सब्जी बोवां हम गलती जरूर करैं
कई देशां नै भुगत लिया हम क्यों इसपै गरुर करैं
भूख फैलै बहोत घणी ना मिल पावै भोली भरतार तै।।
कुपोषण म्हारे देश मैं ईब दिन दिन और बढ़ैगा रै
धरती की ताकत मारी जा म्हारा पैदावार घटैगा रै
मन्दी का दौर चाल पड़या म्हंगाई का ताप चढ़ैगा रै
गरीब किसान मारया जागा चौड़े मैं जुलूस कढै़गा रै
जनता घणी दुखी सै इन झूठे नारयां की हुंकार तै।।
भारत का किसान मरया तै आजाद बचै हिन्दुस्तान नहीं
देश बेचण की काण कहवै जिब बचै यो इन्सान नहीं
मानवता खतरे मैं गेरदी क्यों बोलै यो भगवान नहीं
अनैतिकता पै खड़े होकै मानवता बचाना आसान नहीं
कहै रणबीर सिंह बरोने आला लड़ै कलम के हथियार तै।।





-78-
म्हारी कुर्बानी
म्हारी कुर्बानी हरियाणा मैं एक दिन रंग लयावैगी।
झूठ की हाण्डी फूटैगी साच खूब्बै सम्मान पावैगी।।
किसान आन्दोलन बढ़ैगा या धरती भीड़ी होज्यागी
किसान के बेटे पुलिस मैं उनकी आत्मा रोज्यागी
सरकार खोखली होज्यागी जवान हजारां खावैगी।।
बन्द एम आई टी सी कई औरों का नम्बर आया सै
पीस्से कोन्या तनखा के कदम ज्यां करड़ा ठाया सै
हरियाणा दां पै लाया सै या वारी समझ मैं आवैगी।।
हमने सोचना बन्द करया या गलती करदी भारी
इस अेहदी पन के कारण गई म्हारी खाल उतारी
विचार की ताकत न्यारी या म्हारी चेतना जगावैगी।।
बढ़िया इन्सान किसा हो सै इसपै विचार करांगे रै
सुन्दर समाज का सपना इसमें पूरे रंग भरांगे रै
आपस में नहीं लड़ांगे रै बात रणबीर की भावैगी।।

















-79-

बोल बख्त के
बड़े पैमाने पर किसानों की जमीनें छिन रही हैं। जल पर देशवासियों का अधिकार खत्म होता जा रहा है। कृषि उत्पादों की कीमातें में गिरावट तथा उत्पादन के लिए जरूरी चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। जंगल में आदिवासियों को खदेड़ा जा रहा है। सरकारी बैंक व्यापारिक बैंक हो गये हैं। खेतों के लिए किसानों को 36 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक सालाना सूद की दर पर कर्जा लेने के लिए स्थानीय महाजनों और साहूकारों के चंगुल में धकेला जा रहा है। स्टॉक मार्किट व अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय पूंजी का बोल बाला है। सभ्यता का अर्थ आत्मा की सभ्यता और आचरण की सभ्यता होता था। वर्तमान में सभ्यता का अर्थ स्वार्थ और आडम्बर हो गया है। युवा लड़के-लड़कियों, दलितों व महिलाओं को हासिये पर धकेला जा रहा है। जब तक ये तबके बिखरे हुए हैं तब तक ये घाय के टुबड़े हैं, एक होकर ये जहाज खींचने वाले रस्से हो जायंेगे। क्या बताया भराः
आत्म सम्मान बेच देश का धनवान बने हांडैं सैं।
पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।
लच्छेदार भाषण देकै जनता बेकूफ बनाई किसनै
हमनै लूटैं कामचोर बतावैं या प्रथा चलाई किसनै
खूनी भेड़िया इस समाज मैं इन्सान बने हांडैं सैं।।
बालक इनके बिगड़लिये सब अवगुण पाल रहे रै
सट्टा बाजारी चोरी जारी चाल कसूती चाल रहे रै
पशु भावना के शिकार ये नौजवान बने हांडैं सैं।।
इन्सानियत सारी भूल गये पीस्सा ईष्ट भगवान हुया
सारे परिवार खिंड मिंड होगे रोब्बट यो इन्सान हुया
समाज की ये बढ़ा कै पीड़ा दयावान बने हांडैं सैं।।
परम्परा के घेरे में पहल्यां घर मैं बोच दबाई किसनै
आधुनिकता के नाम पै या बाजार ल्या बिठाई किसनै
रणबीर महिला चीज बनाई खुद दलाल बने हांडैं सैं।।





-80-

किस्स लीला चमन
चमन भाई क्यों रोवै ढूंढ़ां लीलो नै चाल।
हिम्मत मतना हारै तूं रोवण की करदे टाल।।
थारे प्रेम उपर ज्यान अपनी वार देउफं मैं
न्यारे करणियो नै घाट मौत के तार देउफं मैं
जी करता सुधार देउं मैं थारे बिगड़े हाल।।
मनै तो चमन कदे प्यार नहीं करया रै
न्यों सोचू था के इस प्यार मैं धरया रै
आज मेरा कालजा भरया रै घणी कसूती ढाल।।
इसे प्रेम के रोड़ा अटकावै सही धम नहीं
करना चाहिये नीचे करम नहीं कहावैगा चण्डाल।।
तेरा प्रेम सै साच्चा चमन मत उदास हो
सच्चाई की आड़ मैं तपकै कुन्दन खास हो
रणबीर बुराई का नाश हो पक्का सै ख्याल।।













-81-

गुप्ती घा
गुप्ती घा जिगर मैं होगे पीकै दारू सतावै मतना।
निरदोसी से कुन्बा तेरा इसकै दोस लगावै मतना।।
पीकै दारू पड़या रहै कटती नहीं दिन रात पिया
बिना बात तूं करै पिटाई दुख पावै सै गात पिया
घरकी इज्जत खोदी तनै और बट्टा लगावै मतना।।
बुरे करम रोज करै सै तनै कति शरम नहीं आवै
चोरी जारी ठग्गी सब सिखी चोर कै पीस्से लेज्यावै
तेरी क्यूकर धोक मारूं मान सम्मान घटावै मतना।।
क्यूं दारू पीकै गल्तान रहे दिल अपने की बात बता
तड़कै शुरू होज्या नहीं देखै दोफारा और रात बता
होवण लागरी कुणबा घाणी और गलती खावै मतना।।
तेरी दारू करण आज पड़गे बालकां नै धक्के खाणे
क्यूं दारू की खातर बेचै बरतन भांडे ये तनै बिराणे
रणबीर मौत मुंह मैं जिन्दगी म्हारी धकावै मतना।।















-82-

याहे दुनिया
जो सै वो सै इस दुनिया मैं जानल्यां हम सच्चाई नै।
बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।
आज की दुनिया का अपना एक इतिहास बताया
झूठे कामचोरों नै अपना यो मुखौटा न्यारा बनाया
साच झूठ मैं जंग होती, कुदरत नै पाठ पढ़ाया
साच छिप नहीं सकती, झूठ की हो नश्वर काया
पदार्थ तै बनी दुनिया, समझां विद्वानां की लिखाई नै।।
पदार्थ के कई गुण सैं, हर बख्त गतिमान रहै
कदे नष्ट नहीं हो सकता, दुनिया का विद्वान कहै
परिवर्तनशीलता गुण सै, न्यां साइंसदानकहै
वैज्ञानिक सोच जिसकी उनै गुणां की पहचान रहै
पदार्थ का ज्ञान लेना हो सरतो चमेली भरपाई नै।।
या दुनिया कुदरत के नियमां के हिसाब मैं चलती
माणस करै छेड़खानी तो आंख कुदरत की बलती
जै नियमां का पालन हो कुदरत साथ म्हारे रलती
इसको नष्ट करता बाजार या बात इसकै खलती
बाजार नै माणस लूटे, लूटी कुदरत अन्याई नै।।
विज्ञान नै कुदरत की सच्चाई के भेद खोल दिये
मानव श्रम करै दौलत पैदा लगा सही तोल दिये
वैज्ञानिक सोच उंचा गुण सै बता सच्चे बोल दिये
इस सोच के दम पै देखो पाप के हांडे फोड़ दिये
रणबीर बरोने आला समझै विज्ञान की गहराई नै।।







-83-

बाबा फरीद
बाबा फरीद तेरे शहर मैं आज निराला ढंग देख्या।
पहलम आली सारी चीजां का बदल्यां मनै रंग देख्या।।
1. फरीद तेरे काट नै आज कर कूण बदनाम रहे सैं
बणकै तेरे रूखाले छिपा अपणे काले काम रहे सैं
खड़क जाम पै जाम रहे सैं शरीफ आदमी दंग देख्या
पहलम आली सारी चीजां...
2. काला धन कमा कमा ये शरीफ बणे बदमाश दखे
तेरी माला जप जप कै माणस होगे उदास दखे
गरीब कै बची ना आस दखे अमीर कसूता नंग देख्या
पहलम आली सारी चीजां...
3. तेरे बख्त के प्यार मुलाहजे मुश्किल टोहे पावैं देख
जनता मैं शरीपफ बणते रात अन्धेरी गुल खिलावैं देख
महिला नै सतावैं देख नेता अफसर के संग देख्या
पहलम आली सारी चीजां...
4. त्याग और तपस्या आज फरीद सब कड़ै चली गई
तेरी सादी भोली जनता सभी जगह पर छली गई
या बेकसूर दली गई रणबीर सिंह बी तंग देख्या
पहलम आली सारी चीजां...












-84-

काला धन
किसनै किसका के ठा राख्या, मुंह नै सुजाएं हांड रहे।
जनता बनाई काली गउ अमीर बण से सांड रहे।।
1. धन काला और काले काम, सफेद लबादा औढ़ रहे
वैश्वीकरण नै बता दवाई, फैला समाज मैं कोढ़ रहे
कदे हवाला यो कदे तहलका, कर कांड पै कांड रहे।।
2. रक्षक बणकै भक्षक आगे, समाज का ताना तोड़ दिया
गुण्डागदरी छाई समाज मैं, शरीफ का बाणा छोड़ दिया
आजादी की जंग के मुखबर, बैठे कुर्सी पै बांड रहे।।
3. घर शीतल ये कार ठंडी, होटल पांच सितारा इनके
चित बी मेरी पिट बी मेरी, आज पौ बारा इनके
उनके चलैं जहाज हवाई जिनके बण भांड रहे।।
4. पीस्सा छाग्या दुनिया मैं, आज बाजार कब्जा करग्या
अमीर घणा अमीर होग्या, गरीब ज्यान तै मरग्या
रणबीर बरोने आले कै, अमीर तोहमद मांड रहे।।















-85-
मुर्गी पहलम अक अण्डा
चम्पा: घणी ए दुखी करी बहना इस छोटे से परिवार नै
चमेली: कड़ तोड़ कै धर दी मेरी बालकां की इस लार नै।।
चम्पा: जिस घर मैं थोड़े बालक सुण्या ओ आच्छा घर हो सै
पढ़णा लिखणा हो बढ़िया ना करजे का डर हो सै
क्याहें चीज का तोड़ा ना सुरग मैं कहैं न नर हो सै
प्यार रहे छोटे घर के म्हां एक दूजे की खबर हो सै
इतना कुछ दे कै बी मैं क्यों दुखी करी करतार नै।।
चमेली: नौ बालक जणे थे मनै बस पांच ईब आगै बेबे
नहीं मिलै दवाई बख्त पै जिब दिन उल्टे लागैं बेबे
ये गाम आले मेरे उपर बोल घणे कसूते दागैं बेबे
सारे कमा कै ल्यावां सां फेर म्हारे भाग ना जागैं बेबे
बड्डा कुणबा साहरा देवै क्यूकर समझाउं संसार नै।।
चम्पा: मनै चिन्ता रहवै रोजाना उनकी ठीक पढ़ाई की
सेहत ठीक ना रैहती या पड़ती मार दवाई की
मारबल का मकान हो चिन्ता पानी सप्लाई की
घरां काम बाहर नौकरी औटूं डाट थारे जमाई की
बालक टी.वी. नै चूघैं मार दिये चैनलां की भरमार नै।।
चमेली: दोनूं बाहण दुखी सां नहीं बात काबू मैं आई
छोटे बड्डे का ना रोला या विकास मैं रोल बताई
मेहनत के फल का बंटवारा ना देता ठीक दिखाई
माण का माण बैरी औरत जा घणी सताई
कौन बैरी खोस कै लेग्या आज सारी म्हारी बहार नै।











दोनूं: घणी जनसंख्या के कारण दुख कोण्या म्हारे ये
म्हारे दुखां का कारण दीखैं जिन्दगी के बंटवारे ये
इसी रची समाज व्यवस्था गरीब धरती कै मारे ये
विकास का बेढंगा तरीका इसकी औट मैं छिपारे ये
बेबे बैठकै सोचां क्यूकर करां दुखी घरबार नै।।
इसा विकास हो देश मैं जिसमैं ठीक बंटवारा हो
प्यार बढ़ै आपस में ना भाई का भाई हत्यारा हो
बलात्कारी ना टोहे पावैं म्हारासुखी हर गलियारा हो
जनसंख्या समस्या ना दीखै सबकै फेर उजियारा हो
फेर परिवार नियोजन ना करना पड़ैगा सरकार नै।।




















-86-

तहलका डॉट कॉम
यो देख्या टी वी खोलकै
कॉम तहलका डॉट
या लागती दिल पै जाकै
बंगारु पीस्से गिनता पाया
इनै संघ का नाम कटाया
पार्या जार्ज म्हां टोल कै
कर लिऐ पूरे ठाठ
भारत की बोली लाकै।।
करकै दलाली घर भरे
काले धंधे तमाम करे
मरे फौजी जय बोल कै
ये सूनी करगे खाट
छाती मैं गोली खाकै।।
चोरी सीना जोरी दिखाते
धरम का जहर पफैलाते
पिलाते मैं घोल कै
दिन पूरे तीन सौ साठ
जनता नै बहकाकै।।










-87-

पापी
वायदा करकै नाटै, उंका ना पूरा पाटै।
डाहल नै खुद काटै, पीटें जावै लकीर नै।।
वो हमेश झूठ का साथ होसै
सोच उसकी जमा बासी होसै
वो माणस पापी हो, करै अपना धापी हो
थाह ना जा नापी हो, बात कही कबीर नै
ना बात बतावै दिल की कदे,
ना बात करै अकल की कदे,
हो करम का मुआ, वो लालच का कुंआ
जहरी उंका सुआ, करै खतम शरीर नै।।
विज्ञान का बैरी कसूता होसै,
इनै बरतै खूब नपूता वोसै,
तकनीक नै बरतै, पीस्सा खूबैए खरचै
औरां नै ओ बरजै, सराहवै सै अमीर नै।।
ओ बनी बनी का यार सबका
चोर चार ठग जितना तबका
झूठ पै ऐश करता, फेर बी ना भरता
कहे बिना ना सरता, बरोनिया रणबीर नै।।










-88-

राजबाला अपने पति अजीत से पूछती है कि गुजारा कैसे होगा? गिहूं पिटगे, धान पिटग्या, बिजली महंगी, खाद महंगी, पढ़ाई महंगी और दवाई महंगी। अजीत राजबाला को अपने दिल की बात बताता है:-
खेती नै बचावै जो, रोटी बी दिलावै जो, देश नै चलावै जो
इसी लहर उठाणी सै जरूर।।
धनी देश एक टोल बनारे, ये मिलजुल रोल मचारे
बिगाड़ी म्हारी चाल, तारली जमकै खाल, करे गलूरे लाल,
इनकी काट बिछाणी सै जरूर।।
ये मंदिर नै हटकै लियाये, जिब रोटी दे नहीं पाये
जात तै हम बांटे, धर्म पै खूब काटे, मन करे सैं खाटे
या मानवता बचाणी सै जरूर।।
बाजार की दया पै छोड़ दिये, अमरीका तै गठजोड़ किये
पीट दिया धान क्यों, काढ़ी म्हारी ज्यान क्यों, ना कोए ध्यान क्यों
या कमीशन बिठाणी सै जरूर।।
नंगी फिल्में गन्दे गाणे टीवी पै, लिहाज बची ना परजीवी पै
रणबीर सुण ले, सही राही चुन ले, कर पक्की धुन ले
नई समाज बणाणी सै जरूर













-89-

सपना राजबाला का
रोटी कपड़ा किताब कॉपी नहीं घाट दिखाई देंगे
मार पिटाई बंद हो सारी ओ दिन कद सी आवैगा।।
चेहरे की त्यौरी मिटज्यां सब ठाठ दिखाई देंगे
काम करण के घंटे पूरे फेर आठ दिखाई देंगे
म्हारे बालक बणे हुये मुल्की लाठ दिखाई देंगे
कूकै कोयल बागां मैं प्यारी ओ दिन कद सी आवैगा।।
दूध दही का खाणा हो बालकां नै मौज रहैगी
छोरी मां बापां नै फेर कति ना बोझ रहैगी
तांगा तुलसी नहीं रहै दिवाली सी रोज रहैगी
बढ़िया ब्यौहार हो ज्यागा ना सिर पै फौज रहैगी
ना हो औरत नै लाचारी ओ दिन कद आवैगा।।
सुलफा चरस फीम का ना कोए भी जमली पावै
माणस डांगर नहीं रहै ना कोए जंगली पावै
पीस्सा ईमान नहीं रहै ना कोए नकली पावै
दान दहेज करकै नै दुख ना कोए बबली पावै
होवैं बराबर नर और नारी ओ दिन कद सी आवैगा।।
माणस के गलै न माणस नहीं कदे बी काटैगा
गाम बरोना रणबीर का असली सुर नै छाटैगा
लिख कै बात चमेली की सब दुख सुख नै बांटैगा
वोह पापी होगा जो इस सुणनै तै बांटैगा
राड़ खत्म हो म्हारी थारी ओ दिन कद सी आवैगा।।









-90-

अजीत की बात सुनकर राजबाला पूछती है कि इसका इलाज क्या हो? अजीत कहता है मुझे नहीं पता क्या बनेगा? राजबाला कहती है कि सोचना तो पड़ेगा। अपनी पुरानी खेती बोनी छोड़ कर पफूल की खेती आखिर कहां ले जाएगी हमें? क्य कहती है भला:-
खेती म्हारी टोचन करदी, ईब दुनिया के मण्डी बाजार तै।
बदेशी कंपनी बेलमाम घूमैं, ना काबू आवैं सरकार तै।।
1. गिहूं, बाजारा बोणा छोड़कै, हम फूल उगावण लाग्गै हो
अपणे बिना पफूलां के क्यों, उनके महम सजावण लाग्गे हो
शादी पै माखी भिनकै उनकी, क्यों टहल बजावण लाग्गे हो
देशी खेती मंधी मारदी, सब किसान बतलावण लाग्गे हो
म्हारा उजड़णा लाजमी सै, जो चाले इसे रफतार तै।।
2. मुंह मांगी कीमत देकै, फूल उगावण नै मजबूर करैं
उनके स्वाद पूरे होज्यां, हमनै रोटियां तै भी दूर करैं
गिहूं की कीमत पै सब्जी बोवां, किमै गलती जरूर करैं
यो रास्ता पिट लिया हम, इस राही पै गरूर करैं
भूख फैले बोहत घणी कैसे मिलै भोली भरतार तै।।
3. कुपोषण म्हारे देस मैं ईब, दिन दिन और बढ़ैगा हो
धरती की ताकत मारी जा, म्हारा पैदावार घटैगा हो
मन्दी का दौर चाल पड़या, महंगाई का ताप चढ़ैगा हो
गरीब आदमी मारया जागा, चौड़े जुलूस कढ़ैगा हो
जनता दुखी सै इन झूठे, नारां की तेरी हुंकार तै।।
4. भारत का किसान मरया तै, आजाद बचै हिन्दुस्तान नहीं
देश बचावण की कौण कहै, जिब बचै यो इन्सान नहीं
मानवता खतरे में गेरदी, क्यों बोलै यो भगवान नहीं
अनैतिकता पै खड़ै होकै, मानतवा बचाना आसान नहीं
कहै रणबीर सिंह बरोने आला, लड़ै कलम के हथियार तै।।




-91-

एक दिन जोगी किसान की दशा पर गाने लगता है तो राजबाला टोक देती है और रूप बसन्त के किस्से से सुनाने को कहती है तो जोगी सुनाता है बात उस वक्त की जब जहाज से सेठ रूप को समुन्द्र में धक्का मार कर गिरा देता है और चन्द्र को अपने कब्जे में कर लेता है:-
सेठ कै बेइमाना होग्या रूप समुन्द्र मैं धिका दिया।
पराई नार पै नीत डिगाई असली रूप दिखा दिया।।
1. भौंचक्का रैहग्या रूप एक बै बात समझ मैं आई ना
थोड़ा ए तिरना जाणै था उड़ै दिया कुछ दिखाई ना
चन्द्रा चन्द्रा रूक्के मारे चन्द्रा नै दिया सुनाई ना
नहीं हौंसला हारया रूप नै जोर पूरा लगा दिया।।
2. जोर की बाल चाल पड़ी समुद्र मैं फेर लहर चली
तिरता होया एक तख्ता आया नजर रूप की ठहर चली
साहरा रूप नै तख्ते का सांस पफेर वाई पहर चली
रूप नै ले कै वा किस्ती पास बसे एक शहर चली
हौंस आवन्ते उठ लिया चन्द्रा का नाम गुंजा दिया।।
3. कड़ै थी चन्द्र क्यूकर बोले कैद जहाज मैं पड़ी हुई
एक एक करकै याद आगी रूप नै चिन्ता बड़ी हुई
रोवन्ती दीखै चन्द्रा रूप नै जहाज उपर खड़ी हुई
मुक्का मार लिया छाती मैं रूप कै मजबूरी अड़ी हुई
रोया रूप दहाड़ मारकै उड़ै पत्ता-पत्ता रूला दिया।।
4. बैठ पेड़ की छाया मैं हटकै अपणे कीे तैयार किया
सोचै सेठ नै धोखे तै क्यों इस घटिया वार किया
दीन ईमान सब भूल गया पर नारी पै मन मार लिया
सेठ तै बदला लेने का पक्का मन मैं धार लिया
रणबीर बरोने आले नै फेर कलम सही चला दिया।।





-92-

राजबाला घर के काम से फारिग होकर जोगी का इन्तजार कर रही थी। दो मिनट बाद जोगी आ गया और उसने गीत सुनाया:
एड्डी ठा ठा देखूं सूं यो जमाना कड़ै जा लिया।
के बणैगी आगे सी मैं इसे चिन्ता नै खा लिया।।
1. बुलध गया टैªक्टर आ गया यो थ्रैसर हमने भाया
मशीन पानी काढ़ै देखो हार वेस्टर कम्बाइन आया
महारे पै आरा चलाया क्यों कम्प्यूटर ठा लिया।।
2. चाक्की आटा पीस्सै बिजली दूध बिलोवै म्हारा
बटन दबा गंडासा चालै धनवानां के पौ बारा
गरीब का कड़ै गुजारा जोड़ सारा ला लिया।।
3. नवोदय मैं पढ़ै उनके म्हारे स्कूल सरकारी मैं
बढ़िया दवा दारू उनकी म्हारे सड़ैं बीमारी मैं
सोचां पड़े लाचारी मैं नूनी किसनै ता लिया।।
4. टी.वी. उपर फिल्म नंगी किंके दम पै दिखाई जां
औरत दी एक चीज बणा बाजार मैं बोली लाईजां
चौड़ै रिश्वत खाई जां रणबीर औड़ आ लिया।।














-93-

राजबाला ने जागी से पूछा-कई दिन तक दिखाई नहीं दिये। जोगी बोला-हफ्रते के लिए गुजरात चला गया था। राजबाला पूछती है वहां के क्या हाल हैं? जोगी बताता है:
भुज शहर मैं जाकै हमनै, मलबे के ढेर पड़े देखे।
भूखे प्यासे और भीख मांगते, लाचार माणस बड़े देखे।।
1. मलबा पड़या चारों कान्ही, एकाध मकान बचा हुया
कोए रोवै छात पै बैठया, कोए चिल्लावै था दब्या हुया
कोहराम उड़ै मच्या हुआ, अफसर निढ़ाल खड़े देखे।।
2. अफरा-तफरी माच रही, किस नै कुछ ना सूझ रह्या
ट्रक आला सामान ल्याया, कित तांरू न्यों बूझ रह्या
शहर मौत तै जूझ रह्या, गिद्ध लाशां पै लड़े देखे।।
3. कितै कई-कई चिता जलैं थी, कितै कोए कराहवै था
लाशों के ढेर के ढेर देख कै, कालजा मुंह नै आवै था
माणस नै माणस बचावै था, खाली पाणी के घड़े देखे।।
4. कितै पूरा कुणबा खत्म होग्या, कितै यो बालक रोंता हांडै
कितै कूण मैं पड़ी बेटी रोवै, कितै बाप एकला बांडै
रणबीर सिंह तसवीर मांडै, लाशां के लुटते कड़े देखे।।














-94-

सुबह के बारा बज गये। जोगी का इकतारा नहीं सुनाई दिया। राजबाला कुछ बेचैन हुई। जोगी का इकतारा बज उठा, वह भाग कर गली में आई। जोगी गा रहा था:
गिणकै दिये बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो।
ना सुणते बात हम देखें बाट दिल्ली आल्यो।।
1. खत्म म्हारी पढ़ाई तम कति बोलते कोण्या
मरते बिना दवाई तम कति सोचते कोण्या
जुबां कति खोलते कोण्या होगे लाट दिल्ली आल्यो।।
2. इसी नीति अपनाई किसान यो बरबाद कर्या
घर उजाड़ कै म्हारा अपणा यो आबाद कर्या
तमनै यो फसाद कर्या तोलकै घाट दिल्ली आल्यो।।
3. म्हारे बालक सरहद पै अपणी ज्यान खपावैं
थारे घूमैं जहाजां मैं म्हारे खेत खान कमावैं
भूख मैं टेम बितावैं थारे सैं ठाठ दिल्ली आल्यो।।
4. सात सौ चीजां की रणबीर सीम खोल दई
ये भैंस बकरी सब किबवा बिन मोल दई
मचा रोल दई गया बेरा पाट दिल्ली आल्यो।।















-95-

स्वदेशी का ढांेगे
स्वदेशी का ढोंगे रचाकै यो बेच दिया देश सारा क्यूं।
भीतरले में जहर काला यो बाहर सफेद रंग थारा क्यूं।।
1. समाज बिगाड़ण की ठेकेदारी, अपणे नाम छुटाई आज
नारी दी एक चीज बणा तमनै बीच बाजार बिठाई आज
चेले चपट्यां ने उसके शरीर परै नजर सै गड़ाई आज
दे दे कै फतवे थारे बरग्यां नै या क्यों घरां बिठाई आज
बाजार मैं शरीर इनका बेचो लाओ मातृ शक्ति का नारा क्यूं।।
2. औरत ताहिं हक बराबर के नहीं देवणा चाहते हम
जननी और देवी कैहकै नै इसको खूब भकाते हम
क्लबां मैं नगा नचाते इसनै जिब क्यूं ना शरमाते हम
दूजी कान्ही कसूर इसी का बेशरमी से बताते हम
नैतिकता का नारा लाओ खोल्या अनैतिकता का भंडारा क्यूं।।
3. स्वदेशी का नारा उफंचे सुर मैं सब पुकार रहे
न्योंत न्यौंत के बदेशी क्यों उजाड़ सब कारोबार रहे
इसी नीति अपणा राखी सब खत्म कर रोजगार रहे
मुट्ठीभर तै मौज करैं गरीबां कै उपर चला वार रहे
थारे महल अटारी सारे गरीबां का फुट्या ढारा क्यूं।।
4. आपा धापी मचा दई अराजकता का माहौल रचाया सै
फासीज्म अराजकता के दम पै दुनिया मैं आया सै
देश जाओ चाहे भाड़ मैं सुखी चाही अपणी काया सै
अमीरां आग्गै गोड्डे टेक दिये गरीब घणा दबाया सै
रणबीर की भूख दीखै कोन्या अमीरां के पौ बारा क्यूं।।







-96-
बाबू-बेटी
बाबू मनै रोकै मतना, जाण दे समिति के जत्थे मैं।
रैह बोल चुपकी हाथ ना लावै भिरड़ां के छते मैं।।
बेटी: समिति ने बदल ल्याण की या नई जंग छेड़ी सै
म्हारा विकास हिमाती किसका या तत्त काढ़ कै गेड़ी सै
पता लगाया किसनै गेरी म्हारे पाहयां मैं बेड़ी सै
माणस तै हैवान बनाये या आगे की राह भेड़ी सै
चोर बदमाशां नै जत्था चाहवै ईब देणा हत्थे मैं।।
बाबू: कैहवण की सैं बात बेटी, यो मनै सारा बेरा सै
पांचों आंगली बरोबर कोण्या योहे कैहणा मेरा सै
सबनै बरोबर करै समिति बोल्या तेरे पै छेरा सै
झूठे साचे दिखा कै सपने यो मन मोहया तेरा सै
समिति मैं कड़ै ताकत बेटी, या नहीं किसे खत्ते मैं।।
बेटी: इतनै बढ़िया माणस ना कोए बाबू दिल मानै मेरा
चाल तनै मिलवां दॅयं उनतै पफेर दिल ठुकज्या तेरा
महिला समता सही चाहवन्ते इतना तै मनै बेरा
जनता होश संभालै तो फेर होज्या दूर अन्धेरा
बैरी नै उलझा दिये सां ताश सुलफे अर सट्टे मैं।।
बाबे: बेरी तों समझण जोगी सै घण बुरा जमाना आर्या
रिश्तेदारां का भी नहीं भरोसा रोज अखबार बतार्या
उफंच-नीच किमै होगी तै मुश्किल होज्या घणी भार्या
तरूं डूबूं सै जी मेरा बेटी मनै नहीं किनारा पार्या
कड़ै समझ सै बेटी इतनी सादे भोले इस फत्ते मैं।।
बेटी: बाबू रोकै मतना दिल मैं उठया सै मेरे तूफान
अपनी बेटी पै राख भरोसा जग मैं बाकी सै इंन्सान
समिति चाहवै म्हारी भलाई मेरा सही उनमान
इसका जो ना साथ दिया तो छाज्यां सोर कै शैतान
रणबीर सिंह बरोने आला कफन बांधर्या मत्थे पै।।



-97-

एक दिन अजीत बहादुरगढ़ से दिल्ली जा रहा था। बस में एक महिला भीख मांगती हुई गा रही थी:
तेरी थोड़ी सी जिन्दगानी, इतनी क्यूं कर रया बेईमानी।
सिर पै काल तेरे छोरे, फिर भी समझया ना अग्यानी।।
मतलब का है कुटुम्ब कबीला जिसनै तूं कहता मेरा
ना तूं किसी का न कोई तेरा यो चिड़िया नैन बसेरा
तेरा कोई नहीं पिरानी, इतनी क्यों ठावै सै परेशानी।
क्यूं तूं बंध्या पाप के डोरै, या दुनिया है आनी जानी।।
पीस्से की म्यें हाय लागरी, न्यों होगी डूबा ढेरी
या माया तेरे साथ चलै ना तूं जिसनै कहता मेरी
तेरी दो दिन की जिन्दगानी है, तूं ओस कैसा पानी।
मत मेहनत से अंखियां चारै जो चाहवै नाम निशानी।।
ओम नाम का जाप करया पर पड़ी मुश्किल सहनी
राम जी बी फर्क करण लागर्या बात पड़ी सै कहनी
रहनी ना तेरी जवानी, नहीं चलैगी कोए मनमानी।
तूं रहै खड़या गाम के गोरै, दूर हो ना तेरी परेशानी।।
रणबीर बरोने आला कहवै, कुछ तो दूर बुराई तै हटले
इस आपा धापी के चक्कर तै इब तो तूं न्यारा पटले
समझले ना कर ईब-नादानी, मत बन इतना अभिमानी।
तूं रह ज्यागा कालर कोरै, जो ना कुछ करने की ठानी।।











-98-

तहलका डॉट कॉम
तहलका नै बीन बजाई, या बाड़ खेत नै खाण लगी।
दलाली लेकै नाक कटाई, बांस चौगरदे आण लगी।।
1. मुनाफा खोर पूंजीवाद का, साहमी आग्या चेहरा आज
पूंजीपतियां की पार्टियां कै, घूस नै घाल्या घेरा आज
वामपंथ साफ सुथरा खड़या दिखाई देर्या आज
बीजेपी समता पार्टी नै, यो बनाया घास पटेरा आज
जमा नहीं शरमाई या, हटकै म्हारे कान्ही गडराण लगी।।
2. म्हारी भी जमा आंख फूटगी, इनकी साथ खड़े होगे रै
दिमाग कै ताला ला लिया, पी सुलफा पड़कै सोगे रै
म्हारी बेरुखी के कारण, ये बीज बिघन का बोगे रै
के म्हारे बेटा बेटी कारगिल मैं, सहम ज्यान खोगे रै
लाखां कुर्बानी दे आजादी पाई, आज उल्टी जाण लगी।।
3. हथियारां की होड़ बधाकै जो आगै बढ़णा चाहवैं सैं
इत्र पाउडर बेच बेच जो, ईब आगै बढ़णा चाहवैं सैं
दारू सुलफे की बणा सीढी, जो उपर चढ़णा चाहवैं सैं
ये दलाल बेच देश नै, सिर म्हारे पै मढ़णा चाहवैं सैं
तरेपन साल की कमाई, या सरकार खिंडाण लगी।।
4. पूंजीपति वर्ग लुटेरा ईब, चौड़े मैं नंग होग्या देखो
ईब तांहि समझे कोण्या, ज्यां मरण का ढंग होग्या देखो
तहलका टी.वी. पै देख कै, जमाना दंग होग्या देखो
नेता अफसर कई डूब लिये, गेल्यां संघ होग्या देखो
रणबीर नै करी कविताई, फेर दुनिया गाण लगी।।








-99-

किसनै संसार रच्या
सृष्टि के बारे मैं सब धर्मां नै न्यारा-2 अंदाज लगाया सै
देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया सै
1. ब्रह्मा के भगत जगत में ब्रह्म को जनक बताते भाई
शिव पुराण का किस्सा न्यारा शिवजी जनक कहाते भाई
गणेश खंड न्यों कहवै गणेश जी दुनिया को चलाते भाई
सूरज पुराण की दुनिया को सूरज महाराज घुमाते भाई
विष्णु आले न्यों रुक्के मारैं विष्णु जी की निराली माया सै।।
2. विष्णु महेश के चेले दुनिया मैं घणे बताये देखो
आपस में झगड़ा करकै कई बै सिर फुड़वाये देखो
आपस की राड़ मेटण नै त्रिमूर्ति सिद्धांत ल्याये देखो
ब्रह्म पै करै विष्णु पालै संहार शिव नै मचाये देखो
बाइबल नै सबतै हटकै पैगम्बर का नाम चलाया सै।।
3. यो बुद्धमत उभर कै आया त्रिमूर्ति का विरोध किया
जैन मत भी गया चलाया नहीं दोनों को सम्मान दिया
यहूदी और धर्म इसाई एक ईश्वर को धार दिया
इस्लाम नै एक परमात्मा मैं लाया सै अपणा जीया
दुनिया मैं माणस नै एक ईश्वर सिद्धान्त पनपाया सै।।
4. सोच समझ कै इसाइयां नै यो परमेश्वर गलै लगाया
मुसलमान क्यों पाछै रहैं न्यों अल्लाह हाकिम बनाया
सिक्खां नै शब्द टोह लिये औंकार झट से जनाया
हिन्दुआं नै तावल करकै नै ओम दिल पै खिनवाया
घणे भगवान पैदा कर दिये रणबीर का जी घबराया सै।।






-100-

राजबाला की बात सुनकर चांद कौर अपनी बात बताती है कि अपने हक पर बोलने का क्या फल मिलता है। हमारा समाज क्या सोचता है हमारे बारे में:
जीणा होग्या भारी बेबे, तबीयत होगी खारी बेबे।
सबनै खाल उतारी बेबे, फेर बी जीवन की आस मनै।।
1. पुराना घेरा तोड़ बगाया, ढंग तै जीवणा चाहया
कमाया मनै जमा डटकै, उनके याहे बात खटकै
मेरी हर बात अटकै, पूरा हुया अहसास मनै।।
2. मंुह मैं घालण नै होरे, चाहे बूढे हो चाहे छोरे
डोरे डालैं श्याम सबेरी, कहते मनै गुस्सैल बछेरी
कई बै मेरी राह घेरी, बैंल बतावैं ये बदमाश मनै।।
3. सम्भल-संभल मैं कदम धंरू, आण बाण पै सही मंरू
करूं संघर्ष मिल जुलकै, हंसू बोलूं सबतै खुलकै
ना जिउं घुल घुलकै, बात बतादी या खास मनै।।
4. चरित्रहीन ये बतादें, भों कोए तोहमद लादें
खिंडादें ये इज्जत म्हारी, खुद करते ये चोरी जारी
न्यों होज्या तबियत खारी, रणबीर आवै ना रास मनै।।














-101-

हवस पीस्से की
हवस पीस्से की दुनिया मैं घणी ए बुरी बतावैं हे।
पूंजीवाद नाश की राही मुट्ठीभर मौज उड़ावैं हे।।
1. आठ घण्टे जो काम करै बस मिलता पेट भराई हे
आधी दुनिया बिन काम फिरै किसी नीति बनाई हे
मेहनतकश धन करै पैदा ना कितै सुनाई हे
ये खास रिति रिवाज बणाये म्हारी लूट कराई हे
कामचोर मालिक बणकै बैठे हुकम चलावैं हे।।
2. सरकारी कारखाने बेचो निजीकरण का नारा यो
सरकारी खरच्यां मैं कटौती विश्व बैंक चाहर्या यो
स्वास्थ्य और शिक्षा पै कसूती नजर गड़ार्या यो
रुपये की कीमत गेरण नै डालर उंचा ठार्या यो
निजीकरण उदारीकरण कष्टां की कहैं दवाई हे।।
3. वैश्वीकरण के बाहनै दरवाजे म्हारे खुलवाये
पैप्सी नाइके नेस्ले तांहि ये कालीन लाल बिछवाये
ये आयात सीमा शुल्क सब क्याहें पर तै हटवाये
निर्यात करो फालतू ये फूल सब्जी उगवाये
म्हारा पीस्सा लूटण की ये नई-नई प्लान बणावैं हे।।
4. म्हारी पढ़ाई की चिन्ता ना म्हारे देशी साहूकारां नै
म्हारी दवाई की चिन्ता ना म्हारे देशी ठेकेदारां नै
म्हारी नौकरी की चिन्ता ना म्हारी देशी सरकारां नै
म्हारी संस्कृति की चिन्ता ना म्हारे देशी थानेदारां नै
रणबीर पीस्से की हवस ये रोज-रोज बढ़ावैं हे।।







-102-

खूनी कीड़े नई सदी के
नई सदी के ये खूनी कीड़े फेर गुलाम बनाया चाहवैं।
संकट फैला के चारों कान्हीं म्हारी मोर नचाया चाहवैं।।
1. पानी खाद बिजली पै सब्सिडी खत्म हुई सारी क्यों
धरती लाल स्याही मैं चढ़ी दरवाजे खड़ी बीमारी क्यों
ब्याह शादी मुश्किल होगे बढ़ी ईब बेराजगारी क्यों
पेट्रोल डीजल महंगे करे ना ढंग की मोटर लारी क्यों
2. गिहूं अर चावल देश मैं ये चिड़िया घर मैं टोहे पावैंगे
दूध शीत बिना ये बालक म्हारे भैंसा कान्ही लखावैंगे
फसल के मालिक बिदेशी होज्यां दूर बैठकै हुकम चलावैंगे
हम के बोवां अर के खावां देशी बदेशी साहूकार बतावैंगे
दारू सुलफा स्मैक पिलाकै हमनै कूण मैं लाया चाहवैं।।
3. दारू बुरी बीमारी जगत के मां जानै दुनिया सारी भाई
फेर क्यों या काढ़ी जावै सै नुकसान करती भारी भाई
माफिया पाल ये दारू के करैं फेर फरमान जारी भाई
म्हारे बालक फंसावैं जाल मैं म्हारी अकल मारी भाई
लाशां के उपर दारू बेचैं अपणा मुनाफा बढ़ाया चाहवैं।।
4. अमरीका जापान मैं सब्सिडी हम देते सभी किसानां नै
इम्पोर्ट ड्यूटी भारया उनकी पिटवाते म्हारे धानां नै
उड़े कुत्ते बिल्ली मौज करैं मुश्किल आड़ै इन्सानां नै
कमेरे जमा चूस कै बगाये देशी बिदेशी धनवानां नै
कहै रणबीर सिंह मुनाफा खोर ये लगाम लगाया चाहवैं।।








-103-

जुल्मी घूंघट
के होग्या दो दिन मैं क्यों घणा उपर नै मुंह ठाया तनै।
दुनिया मैं एक इन्सान मैं भी ढंग तै जीवणा चाह्या मनै।।
1. बता भाभी गाम की इज्जत यो घूंघट ना तनै सुहावै क्यों
रिवाज नीची नजर कर जीणे का आंख तै आंख मिलावै क्यों
उघाड़े सिर चालै गाल मैं सरेआम म्हारी नाक कटावै क्यों
सीटी मारैं कुबध करैं छोरे भिरड़ां के छत्ते के हाथ लगावै क्यों
2. रिवाजां की घाल कै बेड़ी क्यों बिठा करड़ा डर राख्या
दुभान्त जिन रिवाजां मैं उनका भरोटा म्हारे सिर धर राख्या
घूंघट का रिवाज घणा बैरी इनै पंख म्हारा कुतर राख्या
कान आंख नाक मुंह बांधे ज्ञान दरवाजा बंद कर राख्या
घूंघट ज्ञान का दुश्मन होसै पढ़ लिख बेरा लाया मनै।।
3. क्यूकर ज्ञान का दुश्मन सै तूं किसनै घणी भका राखी सै
तेरे अपणी बुद्धि सै कोण्या और किसै नै चाबी ला राखी सै
घूंघट तार गाम मैं म्हारी ईज्जत धूल मैं खिंडा राखी सै
घूंघट धर्म पतिव्रता का न्यों म्हारे ग्रंथा मैं बता राखी सै
उल्टे रिवाज चला घर मैं कसूता तूफान मचाया तनै।।
4. ब्याह तै पहलम तेरे भाई तै घूंघट की खोल करी थी
मनै सारी बात साफ बताई इनै हां भरकै रोल करी थी
कहूं थी और सोच समझल्यां इनै ब्याह की तोलकरी थी
रणबीर सिंह गवाह म्हारा मनै कति नहीं मखोल करी थी
   इब मनै दबाना चाहो सारे नहीं दबूंगी बताया मनै।।










-104-

गलत बंटवारा
एक चौथाई और तीन चौथाई रोटी का बंटवारा यो।
म्हारी मेहनत कमाई उनकी गल्त सै डंगवारा यो।।
1. विश्व बैंक ने भारत तांहि जारी इसा फरमान करया
सरकारी खरच्यां मैं कटौती जमा खुल्या ऐलान कर्या
बीच की खाई चौड़ी होगी किसा उदारीकरण थारा यो।।
म्हारी मेहनत कमाई ...
2. सब किमै नीलाम करण लागरे क्यों कौड़ियां के दामां मैं
किसान तबाह होगे मजदूर मारे नाश ठाय्या गामां मैं
अपणा बणकै चोट मारगे खुलग्या भेद सारा यो।।
म्हारी मेहनत कमाई ...
3. बैर ईर्ष्या मेरा तेरी गोता मैं बांट कै लूट लिये
स्वदेशी का ढोंग रचा कै म्हारे ज्वार बाजरे चूट लिये
रिवाजां की बेड़ी गेरदी आग्या समझ मैं नजारा यो।।
म्हारी मेहनत कमाई ...
4. पूरी रोटी पै हक म्हारा सै रणबीर नै बताई या
जनता विरोधी कानून बना म्हारी रोटी हथियाई या
म्हारी किस्मत माड़ी बताकै करगे अपणे पौ बारा क्यों।।
म्हारी मेहनत कमाई ...










-105-

दुखिया
तेरे दरवाजे पै दुखिया आई करिये मेरी सुणाई।
बैंक आल्यां नै भीतर कर दिया कति शरम ना आई।।
1. दिन रात कमाये दुख ठाये क्यों दूना टोटा आया यो
ऐल फेल नहीं कर्या कोए खर्या खोटा क्यों पाया यो
वो सोटा मार बिठाया क्यों करी कुणबे की रूसवाई।।
2. दस दिन हो लिए उनै गये नै कुछ ना लाग्या बेरा
ना सूधे मंह कोए बात करै मेरै दिया चिन्ता नै घेरा
मनै दीखै सै कुआं झेरा सब साची बात बताई।।।
3. मनै सुणी सै गोहाने मैं तार दिया उसका चाम कहैं
सूधी मूधी यो सोल्हू भी पूरा का पूरा गाम कहैं
सैकटरी नै दिया नाम कहैं अपणी खुन्दक काढ़ि चाही।।
4. अन्नदाता कहै सै तो फेर क्यों म्हारा इसा हाल हुआ
तेरे धोरै आई नेताजी यो कुणबा कति निढाल हुआ
थानेदार घणा चण्डाल हुआ रणबीर की करै पिटाई।।















-106-

नपूता स्टोव
के बूझै सै भाण चमेली सारा तो तनै बेरा हे।
देख देख इसी करतूतां नै बिंध्या कालजा मेरा हे।।
1. नणद मारदी दिन धौली घणा बूरा जमाना आया
स्टोव नपूते नै बी बेबे म्हारी कान्ही मुंह बाया
कोसली हो चाहे गोहाना घणा कसूता जुलम कमाया
किस-किस का जिकरा हे आज दुर्योधन बी शरमाया
जली नहीं सै गई जलाई न्यों छाया आज अन्धेरा हे।।
2. इस देस मैं छोरी पैदा होण पै सारे छा मुरदाई जा
छोरे कै उपर बाजै थाली घणीए खुशी मनाई जा
जिसकै होवैं लागती छोरी वा निरभाग बताई जा
इसी दोषी कहैं बीर नै न्यों भारी आ करड़ाई जा
म्हारी समझ मैं आया कोण्या यो बिघनां का घेरा हे।।
3. मनू महाराज नै भाण चमेली कसूता अत्याचार कर्या
लूला लंगड़ा गंवार और कोढ़ी पति म्हारा स्वीकार कर्या
नाड़ झुका और गूंगी बणकै हुकम हमं अंगीकार कर्या
नाड़ उठाकै जो बोली उसतै कुल्टा सा ब्यौहार कर्या
हमनै नागण कहै माणस क्यों कण्या चाहवै सपेरा हे।।
4. पां की जूती बरोबर म्हारी क्यों तसबीर दिखाई जा
राज करण की छोर्यां तै पूरी तदबीर बताई जा
बीर नै गम खाणा चाहिये म्हारी तकदीर सिखाई जा
म्हारे बासी खीचड़ी थ्यावै उननै हल्वा खीर खिलाई जा
रणबीर सिंह ना झूंठ लिखै सै गाम बरोने डेरा हे।।







-107-

गुर्दे फेल होगे
मरण के हाल होगे गुर्दे मैं खराबी आगी रै।
गुर्दे फेल बातवैं डॉक्टर मेरै चिन्ता लागी रै।।
1. दस लाख का नया गुर्दा अमृतसर मैं लावैं सै
लाये पाछै रोज का खर्च सात सौ का बतावैं सैं
घर आले खड़े लखावैं सैं मेरी चिन्ता खागी रै
गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...
2. बेटे के खून का नम्बर सै ओ नैगेटिव पाया
मेरे खून के नम्बर तै इसनै मेल नहीं खाया
मैं दिल्ली गया खंदाया उड़ै खून मार्केट पागी रै
गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...
3. उड़ै बी तीन लाख खर्चे के डॉक्टरों नै बताया यो
मुफत इलाज आल इण्डिया मैं थोथा नारा पाया यो
तीजां पै कुछ ना भाया यो मनै मौत दीखै सागी रै
गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...
4. रणबीर बरोने आले की कोण्या पार बसावै रै
कोए बताद्यो छोटू अपना इलाज कडै़ करावै रै
सोचै कद सी मौत आवै रै म्हंगाई धुम्मा ठागी रै
गुर्दे फेल बतावैं डॉक्टर ...










-108-

नया हिन्दुस्तान
लालच लूट खसोट बचै नहीं नया हिन्दुस्तान बसावांगे।
धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।
नई तरां का इन्सान उभरै नई तरां के म्हारे समाज मैं
नई बात और बोल नये कहं जां नये सुर और साज मैं
बीमारी हो ही नहीं पावै विज्ञान नै लोक हित मैं लावांगे।।
दोगली शिक्षा का खात्मा हो ज्ञान पिटारा फेर इन्सान होज्या
नाड़ काट मुकाबला रहै ना एक दूजे का सम्मान होज्या
नशा खोरी नहीं टोही पावै इसका नामो निशान मिटावांगे।।
मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै
लाठी की भैंस नहीं रहै ना हथियारां का फेर सम्मान बचै
प्रदूषण बढ़ता जा धरती शमशान होण तै बचावांगे।।
महिला नै इन्सान समझै रीत खत्म हो दोयम दरजे की
नौजवानां नै मिलै सही रास्ता ना मार बचै इस करजे की
जात पात खत्म हो इन्सान बनां सारे के बिगुल बजावांगे।।

















-109-

देवर: बण ठण कै भाभी री तनै आज करी कित जाने की तैयारी।
भाभी: लक्ष्मी सहगल आजाद हिंद फौज की जंग का बीड़ी ठारी।।
देवर: जलसे और जलूसां मैं यो बीर का जाणा नहीं नहीं
खानदान कै बट्टा लागै इसा कदम उठाणा नहीं नहीं
शहर की सड़कां उपर थारा न्यों नारे लाणा नहीं नहीं
बालक भूखे मरैंगे घर मैं रहवै पीणा खाणा नहीं नहीं
बात मानिये भाभी मेरी मनै बेरा महिला समिति भकारी।।
भाभी: देवर कान खोल कै सुनिये साची बात बताउं तनै
मरदां बराबर हुई खड़ी या औरत आज दिखाउं तनै
रानी झांसी लड़ी जंग मैं उसकी याद दिलाउं तनै
कैप्टन आजाद हिन्द फौज की, बताई म्हारे शहर मैं आरी।।
देवर: हरियाणा मैं सुण भाभी, इसा रिवाज रहया नहीं सै
घर तै बाहर तमनै कदे, यो कदम धरया नहीं सै
मरद की शरण बिना री, तमनै कदे सरया नहीं सै
बीर मदर बराबर दोनूं, मनू नै मंजूर करया नहीं सै
थारी बराबरी नास करैगी, मनै याहे चिन्ता खारी।।
भाभी: न्याय युद्ध मैं तूं क्यों टैªक्टर भरकै ले ज्यावै था
तेरा यो घरबासा बतादे किस तरयां डट पावै था
आगै होकै क्यों म्हारे पै नारे खूब लुवावै था
आज मनू याद आया, जिब ना जिकर चलावै था
भाभी जावैगी जलसे मैं, रणबीर की कलम बुलारी।।







-110-

मकड़ी के जाले नै
लेज्यां म्हारे वोट करैं बुरी चोट आवै क्यों नींद रुखाले नै
घेर लिये मकड़ी के जाले नै
1. जब पाछै सी भैंस खरीदी देखी थी धार काढ़ कै हो
जब पाछै सी बीज ल्याया देख्या था खूब हांड कै हो
जब पाछै सी हैरो खरद्या देख्या था खूब चांड कै हो
जब पाछै सी नारा ल्याया देख्या था खूड काढ़ कै हो
वोटां पै रोल पाटै कोण्या तोल लावां मुंह लूटण आले नै
घेर लिये मकड़ी के जाले नै
2. घणे दिनां तै देख रही म्हारी दूनी बदहाली होगी
हमनै भकाज्यां आई बरियां इबकै खुशहाली होगी
क्यों माथे की फूट रही या दूनी कंगाली होगी
गुरू जिसे चुनकै भेजां उसी ए गुरू घंटाली होगी
छाती कै लावै क्यों नादूर भगावै इस विषहर काले नै
घेर लिये मकड़ी के जाले नै
3. ये रंग बदलैं और ढंग बदलैं जब पांच साल मैं आवैं सैं
जात गोत की शरम दिखा कै वोट मांग ले ज्यावैं सैं
उनके धोरै जिब जाणा हो कित का कौण बतावैं सैं
दारूं बांटैं पीस्सा बी खरचै्रं फेर हमनै ए खावैं सैं
करैं आप्पा धापी सारे पापी धाप्पैं ना किसे साले नै
घेर लिये मकड़ी के जाले नै
4. क्यों हांडै सै ठान बदलता सही ठिकाना मिल्या नहीं
बाही मैं लागू और टिकाउ ऐसा नारा हिल्या नहीं
म्हारे तन ढांप सकै जो कुड़ता ऐसा सिल्या नहीं
खेतां मैं धन उपजावां सां फूल म्हारे खिल्या नहीं
साथी रणबीर बणावै सही तसबीर खींच दे असली पाले नै
घेर लिये मकड़ी के जाले नै।



-111-

सुनियो तहलका डॉट कॉम
पत्रकार रूखाले देश के, काम यो सजग सिपाही का।
एक और भण्डा फोड़ हुआ सरकार नाश की राही का।।
लूट के खागे मेरे देश नै, यो भौंचक्के से रहगे लागे
जया जेटली बंगारू और फर्नांडीस के देखो शौक
स्वदेशी का नार दें और अमरीका कै मारैं धौक
चोर-चोर मौसेरे भाई, हिसाब देवैं ना पाई का।।
पीस्यां आले कट्ठे होकै गड मड ये बतलावैं सैं
टाटा बिड़ला विश्व बैंक की नीति अड़ै चलावैं सैं
कट्ठे होकै गला पकड़ल्यो इस पूंजीपति कसाई का।।
इतनै तै भी भरता ना ये तै देश का सौदा करण लगे
लाख दो लाख चैन सोने की खूब तिजोरी भरण लगे
नैतिकता की देवैं दुहाई ये तै चीर देश की हरण लगे
भोले माणस नै ना भेद लगण दें इस दलदल की काई का।।
इन देश भगतां के काले चेहरे कर दिये पर्दाफाश तनै
जान की बाती लाकै नै बंद करी लुटेरयां की सांस तनै
तहलका-तहलका होण लागरी वाह तरूण शाबाश तनै
मुकेश कहै यो गर्व देश नै तरूण तेरी तरूणाई का।।











सोने का रांग बना
सोने का रांग बना दिया यो मोटा चाल्या होग्या हे।
खंड बना दी पतासे की गुड़ का राला होग्या हे।।
आज पीतल के उपर सोने का घोल चढ़ावैं सैं
गला घोट सच्चाई, का झूठ का ढोल बजावैं सैं
कहै अमृत जहर नै ये इसका मोल बधावैं सैं
चारों कूट करी बदमाशी मरण का ढाल्ला होग्या हे।।
मेहनत करने आल्यां का, यो सारा खून निचोड़ लिया
देश बेच दिया दिन धौली मैं, कमीशन कई करोड़ लिया
पीस्सा आज भगवान होग्या, घर म्हारा तोड़ दिया
तहलका डॉट कॉम नै यो, सही भांडा फोड़ दिया
झूठे देश भगत होगे, ढंग कुढाल्ला होग्या हे।।
जो जात धर्म नै सींचे, वे बाग बगीचे सूक लिये
मुनाफाखोरी के चलते, म्हारे बदल सलूक लिये
ईब टोह लेल्यां किसनै, म्हारे खजाने लूट लिये
कारगिल की कुर्बानी के, दिन दिखैं ये चूक लिये
हम पै जाल गेर दिया, बैरी रूखाला होग्या हे।।
यो देखण नै के भगत सिंह, नै फांसी परनाई थी
यो देखण नै के महात्मा गांधी, नै गोली खाई थी
यो देखण नै के सुभाष बोस, नै फौज बनाई थी
यो देखण नै के रानी झांसी नै लड़ी लड़ाई थी
रणबीर चाल बिगाड़ी, चेहरा काल्ला होग्या है।।











-112-

फौजी सपने मैं
दिख्या छलनी पड़या सरहद पै शरीर की नाड़ी छूट गई।
रोती हांडू गालां के म्हा मेरी क्यों किस्मत फूट गई।।
1. तेरी पलटन कलकत्ते तै चल कै आई थी पंजाब मैं
लैफट राइट करता दीख्या थी ज्यादा अकड़ जनाब मैं
पाकिस्तानी फौज दो आब मैं मेरा कालजा या चूट गई।
रोती हांडू गालां के म्हा ...
2. हवाई जहाज बम्ब बरसावै उड़ै दनादन गोली चाली
पैंटन टैंक दाग रहे गोले चौगरदें धरती हाली
उड़ै धरती पै छाई लाली मैं पी सबर का घूंट गई।
रोती हांडू गालां के म्हा ...
3. पहल्यां कदे बी देखी ना इसी घमासान लड़ाई मनै
माणस का बैरी माणस था देखी मची तबाही मनै
तों नादिया दिखाई मनै मेरी दुनिया जण लूट गई।
रोती हांडू गालां के म्हा ...
4. थोड़ी हाण मैं मोर्चे पै लूं आगै खड़या दिखाई दिया
करै बौछार एल.एम.जी. स्याहमी पिया अड़या दिखाई दिया
फेर रणबीर पड़या दिखाई दिया या नींद मेरी तो टूट गई।
रोती हांडू गालां के म्हा ...











-113-

बासमती चावल
तीन किसम चावल म्हारे की, अमरीका ने पेटेंट कराई।
अटल सरकार रही सोवंती, इनै करदी म्हारी तबाही।।
1. अमरीका आगै गोड्डे टेके, सारे हुकम इनके मान रही
लाल कालीन रही बिछाये उस तांहि, म्हारै बंदूक तान रही
उनके उंचे महल अटारी, म्हारे घर की टूट छान रही
अमीरां के इनै छिंके काढ़ बगाये, म्हारे बढ़ा लगान रही
पेटैंट उनके हक मैं बदल्या, इनै शरम कति ना आई।।
2. सदियां तै चावल पैदा होवै, यो भारत और पाकिस्तान में
बासमती की महम निराली, उठै भारत के खलिहान में
ढाल-ढाल की किसम बनाई, लगन सै म्हारे किसान मैं
दूसरे देसां मैं धूम माचगी नहीं था कोए और मैदान मैं
3. राइट टैक कंपनी बैरण, इनै म्हारी रोटी नहीं सुहाई
अमरीका नै लूट बढ़ादी, सबनै चौड़ै पड़ी दीख रही
म्हारी सरकार पड़ पाहयां मैं, लूट्टण के गुण सीख रही
म्हारे कामां के म्हां सरकार काढ़ आज मेन मीख रही
कति लमलेट या सरकार होगी, छोड्डी संघर्ष की राही।।
4. म्हारे पेड़ पौधे और खेती, इन सब पै खतरा मंडरावै
आई एम एफ सुण्या होगा, यो म्हारा भाई भूत बणावै
विश्व बैंक जोड़ीदार इसका, कर्जा रोजाना बढ़ता जावै
डब्ल्यू टी ओ डेढ़ी चाल चलै ईंका शिकंजा कसता आवै
बूझै रणबीर बरोने आला, क्यों हमने डली फीम की खाई।।







-114-

अमरीकन सूंडी
चौखा समझण जोगा स्याणा सै उंच नीच का ख्याल नहीं
सब किमै लुट पिट ग्या म्हारा माड़ा सा भी मलाल नहीं
1. गिहूं धान कपास बाजरा ये मंडी बीच पिटते जावैं
अमरीकन सुण्डी नाश करैं नहीं किसे कै काबू आवैं
म्हारे आज जो बणे हिम्माती ना सूंडी का इलाज बतावैं
डीजल खाद बिजली पानी पै बाधू टैक्स रोजाना लावैं
या खेती पीटी डांगर पीटे इसतै माड़ी मिसाल नहीं।।
2. जागां जागां पै ठेके दारू के दस रुपये की थैली बिकती
म्हारी कमाई जा दारू मैं जिसपै उनकी रोटी सिकती
सुल्फा स्मैक फीम ये बेचैं आंगली ना इनपै टिकती
लफंगे छागे पूरे समाज पै आज सारै इनकी धिकती
क्यों माफिया के सरदार नेता ठाया हमनै सवाल नहीं।।
3. बेटी बहू और महिला का बाहर जाणा आसान कड़ै
छेड़खानी होवै रोजाना द्रोपदी लूटी जावै आज अड़ै
पुलिस आले शामिल होगे या महाभारत कौण लड़ै
जै कृष्ण मुरारी आज्या तै उसनै बी सहनी मार पड़ै
बोल चुपाका रहकै देख लिया बचती दीखै खाल नहीं।।
4. बिन पीस्से कोए काम ना हो भ्रष्टाचार कसूता छाग्या यो
काला धन संस्कृति काली रणबीर छन्द बणा ग्या यो
काले धन नै नाश करया बरोने मैं आज सुणाग्या यो
सफेद धन की धोली संस्कृति राह सही बताग्या यो
मजबूत विचार पक्ष बिना बणै बचा की ढाल नहीं।







-115-

सब्सिडी अमीरां की
म्हारी कै कट मरया अमीरां की सबसिडी बधाई देखो।
राष्ट्र भक्ति के नारे लगाकै कितनी लूट मचाई देखा।।
1. राशन प्रणाली तोड़ बगाई किसानां की भ्यां बुलवादी
बाल्को कंपनी बूझै कोए क्यों या माट्टी मोल बिकादी
धारावी झोंपड़ पट्टी की एक प्रतिशत गरीबी बतादी
आकड़यां का खेल रचाकै देश तै गरीबी जमा भगादी
स्वदेशी का सांग करया बदेशी कंपनी ये बुलाई देखो।।
2. नौकरी मिलैं आगले जनम मैं इस जन्म मैं घटावैगा
डीजल खाद बिजली म्हंगे सस्ते किसान कित पावैगा
चीनी माचीस चास बिस्कुट पहलम तै म्हंगे खावैगा
दिल के छेद आला मरीज पां पीट के मर जावैगा
छियासठ हजार नौकरी आये साल की क्यों घटाई देखो।।
3. कार न्यारी ढाल की जितनी सबके रेट घटाये आज
एयर कंडीशन्ड सस्ते होंगे मंत्राी नै बताये आज
कोका पैपसी सस्ते करे बदेशियां तै हाथ मिलाये आज
नैगम कर घट दिये उत्पाद शुल्क गये बढ़ाये आज
देश बेचण की तैयारी सरकारी नहीं शरमाई देखो।।
4. किसान फांसी खा खा मरते उनकै मौज उड़ाई जावैं
निजीकरण उदारीकरण की दी घटिया ये दवाई जावैं
जात धर्म पै लड़वां के ये असली बात छिपाई जावैं
   अमीर गरीब के बीच की ये खाई आज बढ़ाई जावैं
रणबीर सिंह दिल भीतर तै करता कविताई देखो।।








-116-

राजबाला जोगी का इंतजार करती है गली में बैठ कर। जोगी मिनट पहले आ जाता है। उदास है। राजबाला कारण पूछती है। क्या बताता है:-
अमरीका और धनी देश ये दुनिया मैं मौज करैं देखो।
भारत बरगे गरीब देश ये क्यों भूखे आज मरैं देखो।।
1. पाउडर लिपस्टिक पै ये छह अरब डालर फूंकैं सैं
यूरोप में नौ अरब डालर की कुल्फी खान तैना चूंकैं सैं
बारा अरब डालर का इत्रा खर्चे छिदे ए माणस उकैं सैं
सतरा अरब डालर कुत्ते खावैं, भूख मै बालक सूकैं सैं
लूट-लूट कै म्हारी कमाई, ये अपणे घर नै भरैं देखो।।
2. मनोरंजन पै अरब पैंतीस डालर खर्च जापान मैं
सिग्रेट पै पचास अरब डालर यूरोप खर्चे श्यान मैं
एक सौ पांच अरब डालर दारू खर्चा यूरोप महान मैं
दवा नशीली चार सौ अरब की पीवैं पूरे ही जहान मैं
एक साल के ये खर्चे उनके म्हारे बात नहीं जरैं देखो।।
3. ये डालर बदल कै देखा रुपइयां का कोए औड़ नहीं
धनी देश ये डांडी मारते उनका पाया कोए जोड़ नहीं
दादा गिरी करकै दाबैं हमनै बच्चा कोए बी ठोड नहीं
हथियार बणावैं दवा नशीली फैशन मैं कोए तोड़ नहीं
विकास की राही सही कोण्या विनाश राही डंग धरैं देखो।।
4. म्हारे देश मैं दलाल इनके बड्डे साहूकार बताए सैं
अपनी ज्यान बचावण नै म्हारै रोजगार घटाए सैं
अपणी ऐश बधावण नै सब खेत क्यार पिटवाए सैं
किसानां पै फांसी लावण नै ईब ये तैयार दिखाए सैं
लिखता रणबीर साची सारी बैठे महलां मैं डरैं देखो।।








-117-

थोथा अमरीका
सवा सेर अमरीका कै पाइया बाट चोट कसूती करग्या।
बुश नै धरती जमा भीड़ी होगी देख्या घणा कसूता डरग्या।।
1. घणे कहर ढाये दुनिया मैं आज नम्बर खुद का आया रै
कट्टरवाद के बीज यो बोये कड़वा फल उसे का खाया रै
धर्म की हमेशा लिया साहरा दुज्यां का घर जलवाया रै
मानवता की देवै दुहाई खुद घड़ा पाप का भरग्या।।
2. रुक्के मारै ईब कट्ठे होल्या जुल्मी आतंकवाद मिटाणा सै
खुद आतंकवाद के सापां तै नहीं छोड्या दूध पिलाणा सै
हिन्दू भी धर्म पै कट्ठे होगे कहैं अपणा धर्म बचाणा सै
मुस्लिम आतंकवाद का डर दिखा कहैं अपणा धर्म बचाणा सै
अमरीका भीतर तै जमा खोखला सारी दुनिया कै जरग्या।।
3. अपनी दादागिरी जमावण नै कई की कड़ तोड़ गरी
जित चाहया अर जिब चाहया देशां की जबाड़ी फोड़ गरी
नशीली दवा ये हथियार बेच कै काली दौलत जोड़ गरी
इस काले धन के दम पै बांह कई देशां की मरोड़ गरी
मानवता के सारे तौर तरीके हमेश ठाकै टांड पै धरग्या।।
4. इस मानवता की किस मुंह तै देवै ई दुहाई बतादे
इराक देश पै बम बेरे क्यों कसूती करी तबाही बतादे
आतंकवाद पै काबू पाने की जुलमी कैसे दवाई बतादे
अपने हित साधण खातर म्हारे तै गलतराही बता दे
रणबीर पंजाब का आतंकवाद म्हारी खुशियां नै हरग्या।।






-118-

बेरोजगार लड़की
गरीब परिवार मैं पैदा होकै हांगा लाकै करी पढ़ाई।
सत्तर प्रतिशत नम्बर लेकै भी ना कितै नौकरी थ्याई।।
1. एम.एस.सी. कर बी.एड. करी पर आया नहीं सबेरा
कम्प्यूटर कोर्स करया मनै नहीं होया दूर अन्धेरा
हजारां लाखां मैं बिकै नौकरी सुण हिया लरजै मेरा
कदकी मेरी मां बाट देखरी यो मिलज्या दामाद कमेरा
कम नम्बर आले बाजी मारगे ना मेरी पार बसाई।।
2. गाम कै गोरै खड़ी सोचूं मैं ना इन्टरव्यू मेरा घाट गया
दिन धौली मैं चलै सिफारिस पीस्सा गले नै काट गया
मैरिट का यो झूठा रोला न्यूं सारा बेरा पाट गया
बेकारी का यो बोझ कसूता मेरा कालजा चाट गया
धरती और असमान बीच मैं ना चांदना देवै दिखाई।।
3. क्याहें काम मैं जी नहीं लाग्या न्यों मन होग्या उदास मेरा
नीदं आवै ना रहूं सोचती क्यों करते लोग उपहास मेरा
केसै कसूर बता राम जी न्यों हाथ जोड़ कै अरदास मेरा
सहज सहज इस ढालां खत्म हुआ आत्म विश्वास मेरा
मां बाप की नींद ना उड़ज्या ज्यां खुद की गोली खाई।।
4. बड़ी मुश्किल तै मेडीकल मैं डॉक्टरों नै बचाई देखो
आस-पास गाम गुहांड नै बहोतै घणी बिसराई देखो
बन्धुआं नै म्हारी करी दुरगति उनकी मेर कटाई देखो
इस दल-दल तै चाहूं मुक्ति ना दीखै कोए राही देखो
चौराहे पै आण खड़ी रणबीर इसी चढ़ी करड़ाई।।







-119-

बैरी प्यार के
रूकमण धर्मा पिया बता दे बिन आई क्यों मार दिये।
बागां के थे फूल निराले क्यों इनके बणा खार दिये।।
1. सोनी महिवाल रहे भटकते क्यों उनका मटका फोड़ दिया
शशि पन्नू रहे तड़पते क्यों याराना उनका तोड़ दिया
रांझे हीर बिचालै बता क्यों अक्खन काना छोड़ दिया
लीलो चमन सच्चे साथी थे उनका प्रेम मसोड़ दिया
रूमण धर्मा पै पंचायत नै क्यों इतने बड़े त्यौहार किये।।
2. बीर मरद तै हो उत्पत्ति जाणै दुनिया सारी पिया
करना प्रेम पाप नहीं धुरतै दुनिया करती आरी पिया
दिन धौली उमैं या जोड़ी क्यों मौत के घाट उतारी पिया
हाथ पकड़ जिब तांहि थी उस बख्त ना बात बिचारी पिया
जीण मरण के जिब साथी होंगे कर पैने हथियार लिये।।
3. जिननै कदे भी प्रेम करया ना वे बैरी बणगे प्यार के
तन के उजले मन के काले ना माणस आणे प्यार के
छोरी बेच कसाई पिसाई मालिक बणगे संसार के
रात अंधेरे जुल्म कमावैं अगुवा नैतिक प्रचार के
उनके जुल्मां के कारण ये उजड़ घणे घरबार लिये।।
4. चारों तरफ दे दिखाई पिया बणै बैरी जवानां के
सही गलत का फरज भूल कै खेलैं हाथ शैतानां के
जिननै इनका कल्त करया वे माणस पिछड़े ख्यालां के
जो बैरी खिले फूलां के वे जाम नहीं इंसानां के
रणबीर इनतै लड़णे खातर कलम नै कर त्यार लिये।।








-120-

राजबाला को जागी बताता है कारगिल की लड़ाई के बाद दोनों देशों में जनता के साथ क्या हुआ भला:
जंग हथियारां तै लड़ी जाती है एक जीतेै दूजा हारै सै।
जंग का नतीजा कहैं बुरा फौजी एक दूसरे नै मारै सै।।
1. दोनों देशां मं जंग की चिन्ता गर्भपातां की संख्या बढ़गी
कई सौ फौजी ज्यान झोकेंगे सिंदूर मांगां की कढ़गी
हथियारां की कीमत ईब सात असामानां पै चढ़गी
नवाज शरीफ झूठ तेरी या स्याणी जनता पढ़गी
देशां का संकट अपणा छोह एक दूजै पै तारैं सै।।
2. जी सेवन टीब्बा बिठा देगा इसका हमनै ध्यान कड़ै सै
लड़ाई करवा हथियार बेचते जनता पै बोझ पड़ै सै
देश विकास नहीं कर पावै जंग जारी रहवै जड़ै सै
कदे पाकिस्तान आर्मी कदे भारत सरहदां उपर लड़ै सैं
अमन चैन तै रैहणा चाहिये आवाज उठी सारै सै।।
3. बेरा ना कद सी समझांगे हम असली सच्चाई नै
मत भक्कड़ बालो ईब समझो बात की गहराई नै
अपणी-अपणी जांणां पै जाकै खत्म करां लड़ाई नै
दोनों देशां की जनता चाहवै मेटना बीच की खाई नै
पूरे दिल तै कहैणा चाहूं यो गाम मनै फटकारे सै।।
4. मेरे वीर फौजी जवान सुणले दिल तेरे की जाणू मैं
तेरी हालत किसी होरी तेरी सूरत नहीं पिछाणू मैं
अपणी भावनावां का तम्बू पूरा थारे उपर ताणू मैं
जंग के हक मैं लिखूं गाणे क्यूकर बात या ठाणू मैं
रणबीर सिंह बरोने आला ज्यान दुनिया उपर वारे सै।।






-121-

जनसंख्या
कई देशां की जनसंख्या क्यों तले नै जाती जारी सै।
म्हारा क्यों बधै रोजाना नहीं बात समझ मैं आरी सै।।
1. विकास गर्भ निरोधक सै म्हारी सरकारी बतारी है
पंचात लैक्शनां पै फेर दो तै उपर रोक लगारी है
फैमली प्लानिंग फैमली प्लानिंग या रोज पुकारी है
मेहनत करण मैं आगै जनसंख्या रही या म्हारी है
विकास कई गुणा कर दिया फेर बी ना कटी बीमारी सै।।
2. गर्भ निरोधक विकास हुया ना या किसी लाचारी है
सारी खोल बताओ किसनै कित-कित डान्डी मारी है
जाहिल बेवकूफ बता किसनै म्हारी खाल उतारी है
बालकां आली दुखी क्यों दुखी जमा कंवारी है
एक बै हटकै सोचां म्हारे किसनै देई बुहारी सै।।
3. वरदान सै अक अभिशाप चर्चा छिड़गी भारी हे
छोटे बड्डे का कित जिकरा जनता दुखी सै सारी हे
अमीर जनता इसका इल्जाम गरीबां पै लगारी हे
साहू का खेल पड़ै खेलना पीस्सा बड्डा खिलारी हे
जिसपै पीस्सा भैंस उसकी कानून पै पड़ज्या भारी सै।।
4. राम जी कड़ै डिगरग्या कड़ै सोवै कृष्ण मुरारी हे
राम कृष्ण उसकी मानैं जो घणा दुष्ट पुजारी हे
बीर मरद तै हो उत्पत्ति हमनै या बात बिचारी हे
हो सही बंटवारा धन का पफेर गर्भ पै ना चलै कटारी हे
सच्चाई नै जो ल्हकोवै रणबीर वो घणा अत्याचारी सै।।






-122-

दलित महिला
माड़ी फुरसत काढ़ कै बात ध्यान तै सुण्यिो मेरी।
भीड़ी धरती होज्या सै उठती नै मनै आवै अंधेरी।।
1. खेत मजदूर पति सै मेहनत तै वो करै गुजारा
जितने ढाल की खेती होवै उसपै ग्यान का भण्डारा
फल फूल उगावण मैं किसानां कै लाता वो सहारा
दिहाड़ी पै फेर लाठा बाजै संकट हो घणा भार्या
घुट घुट कै सहन करां ये कड़ी बात भतेरी।।
2. सात बालक जनमे माता नै पांच भाण अर दो भाई
ताप मारग्या एक जणे नै भाण मरी बिना दवाई
दूजी नै बैरण टीबी चाटगी घर मैं बची ए तबाही
दस्तां तै मरती बची वा एक राम के घर तै आई
सातां मां तै तीन बचे हम इसी घली राम की घेरी।।
3. याणी सी मैं ब्याह दी पति खेत मजदूर मदीणे का
उनका हाल बुरा देख्या ना ब्यौंत खाणे और पीणे का
चाआ गेल्यां रोटी घूंटैं यो हाल नहीं सै जीणे का
ठाडे की सै दुनिया बेबे के सै म्हारे बरगे हीणे का
क्यूकर जीवां हम सुख तै या चिन्ता खा शाम सबेरी।।
4. बालक कम हों कई बै सोचूं ना ठुकै कालजा मेरा
कितने बचैं कितने मरैंगे नहीं पटता इसका बेरा
सारे मिलकै खुभात करां पर मुश्किल होवै बसेरा
मनै समझ नहीं आवै क्यूकर मैं कैहणा मानूं तेरा
रणबीर सिंह धोरै बूझांगे चाल करै मत देरी।।








-123-

छोटा दुःखी परिवार
जमा छोटा सा परिवार म्हारा, फेर बी क्यों नहीं ठीक गुजारा।
यो चढ़ता आवै कर्जा भार्या, ज्यान मरण मैं आई म्हारी।।
1. मेहनत से हर काम किया, नहीं दो घड़ी आराम किया
किया गुण्डयां नै जीणा हराम, इनकै लगावैं कौण लगाम
डर लाग्या रहै सुबहं और शाम, इसे फिकर नै खाई सारी।।
2. हम दो म्हारे दो का सै नारा यो, फेर बी सुखी ना घर म्हारा क्यों
न्यों मनै कोए समझादयो नै, सारा खोल कै बतादयो नै
रोग की जड़ दिखाद्यो नै, क्यों होती ना सुणाई म्हारी।।
3. एक बेटा तो पढ़ता हिसार मैं, ओ पड़ता पांच-छह हजार में
घर बार मैं मेर नहीं रही हे, मन की म्हारे तै नहीं कही हे
दीखती करज की नहीं बही हे, करी ब्याज नै तबाही म्हारी।।
4. दूजा बेटा करै पढ़ाई न्यारी, बदेशी कंपनी उसनै बुलारी
भारी संकट मिलने का होग्या, ना बेरा म्हारा प्यार कित खोग्या
म्हारै नश्तर घणे चुभोग्या, न्यों या बेचैनी छाई भारी।।
5. म्हारा बाबू जी सै पंजाब में, रैहता नहीं किसे की दाब में
जनाब में कोए बी कमी ना सै, फेर बी चढ़ी म्हारी खता सै
रणबीर किसनै पता सै, क्यों बढ़ी करड़ाई म्हारी।।












-124-

इस फलोराइड नै म्हारे शरीर का कर दिया सत्यनाश
देखियो के होगा।
1. फलोराइड जहर बणकै खत्म करै म्हारे शरीर नै
दांतां नै खोदे माणस रोवै बैठ अपणी तकदीर नै
इसनै बोड़े करदिये भारतवासी होगे बहोत उदास
देखियो के होगा।।
2. हाड्डी जुड़ज्यां चाल्या जा ना जीणा मुश्किल होज्या
मानसिक तनाव बढ़ै सोचै क्यूं ना जिन्दगी खोज्या
फलोराइड जहर का हमनै ना होता कति अहसास
देखियो के होगा।।
3. दुनिया के बाइस देशां मैं फलोराइड नै कहर मचाया
हरियाणा के तेरां जिल्यां मैं इसनै जुल्म घणा ढाया
पतासे की खांड बणा दी खेती का बणा दिया घास
देखियो के होगा।।
4. फलोराइड किततै आवै सै इसका बेरा लाणा होगा रै
जन-जन नै पटज्या बेरा इसा अभियान चलाणा होगा रै
रणबीर सिंह नै छन्द बणाकै कर दिया पर्दाफाश
देखियो के होगा।।











-125-

उंची कुर्सी
जो उंची कुर्सी पर बैठे वे करते अत्याचार सखी।
घरपर बुला महिला से ये करते दुराचार सखी।।
1. दूबलधन की लड़की ने अपणी आवाज उठाई आज
अफसर कितने पानी में इनकी औकात दिखाई आज
राह हमें दिखाई आज खत्म करें भ्रष्टाचार सखी।।
2. हक पर लड़ने की खातर सही कदम उठाये देखो
ये भ्रष्ट अफसर नेता सब फिरते बौखलाये देखो
अब बच ना पाये देखो सच की उठी तलवार सखी।।
3. कहीं गिल और राठौर कहीं आज एसपी फंसे पड़े
महिलाओं का अपमान करें बुरी तरह धंसे पड़े
किसने शिकंजे कसे बड़े चुप क्यों सरकार सखी।।
4. मान सम्मान की खातर जुल्म के खिलाफ अंगड़ाई ली
सोच समझ कर आगे आओ महिलाओं ने अगवाही की
लड़की बहादुर दिखाई दी नहीं वह लाचार सखी।















-126-
बुश का पाला
सन तीन बीस मार्च का दुनिया याद करै दिन काला।
सारी दुनिया एक तरफ सै दूजी कान्ही बुश का पाला।।
1. जमींदार ज्यूकर बन्धुआ राखै न्यों बुश राख्या चाहवै
कर हांगा डरा धमकाकै सारी धरती दाब्या चाहवै
नकल सबकै घाल्या चाहवै चाहे होज्या गुड़ का राला।।
2. लूट-लूट धन म्हारा अमरीका सूना सांड छूट गया
मेहनत तै हो धन पैदा अमरीका छल तै लूट गया
यो पाप का मटका फूट गया उतरग्या आंखां का जाला।।
3. पढ़ाई मुफत देकै सद्दाम नै साक्षर इराक बनाया
इलाज दवाई मिलैं मुफत मैं सुन्दर इराक बताया
सबमैं अन्न बंटवाया जनता भजती उसकी माला।।
4. फूटी आंख अमरीका नै इराक के गुण ये सुहावैं ना
इराकी नत मस्तक हो कै बुश आगै शीश झुकावैं ना
रणबीर सुख पावैं ना जंग का बढ़ता आवै छाहला।।
















-127-

तीन साल पूरे होगे
हरियाणे मैं तीन साल मैं विकास का डूंडा पाट गया।
जितनी मेहनत करी लोगां नै सारी नै नेता चाट गया।।
1. प्राइवेट कॉलेज खोले खूब शिक्षा बहोत फैलाई सै
शिक्षाबजट नहीं बढ़ाया पर फीस खूब बढ़ाई सै
गरीब कै लागी अंघाई सै जमा पढ़ण तै नाट गया।।
2. सड़कां उपर ट्रोमा सैंटर तीन साल मैं बनाए देखो
प्राइवेट अस्पतालां तांहि बढ़िया स्कीम ल्याए देखो
सरकारी कै ताले लाये देखो सब हो बारा बाट गया।।
3. कर्मचारी काम चोर होगे उनकी पींग बधाई आज
बदेशी पूंजी न्योंतण खातर देशी पढ़ण बिठाई आज
विपक्ष करै बुराई आज चौटाला खड़ी कर खाट गया।।
4. म्हंगाई भ्रष्टाचार फले फूले करी विपक्ष की पिटाई
बांह मरोड़ करे मंत्री सीधे एमएल्यां तै आंख दिखाई
सब उपलब्धि गिणवाई वोट म्हारा वो क्यों काट गया।।














-128-

तीन मुंही नागण काली म्हारे भारत देस नै डसगी।
शरीर हुया काला ईंका जनता आज कसूती फंसगी।।
1. मुद्रा कोष का फण जहरी ईका काट्टया मांगे पाणी ना
दूसरा फण विश्व बैंक का तासीर इसकी पिछाणी ना
डब्ल्यूटीओ तीजा फण सै बचै इसका डस्या प्राणी ना
नागण के सपलोटिये कहैं नागण माणस खाणी ना
ईं के जहर की छाया समाज की नस-नस मैं बसगी।।
2. ढांचागत समायोजन सैप नै कसूते गुल खिला दिये
शिक्षा पै खरचा कम करो फरमान इसनै सुणा दिये
सेहत नै ना कोए लेणा देणा मन्तर गजब पढ़ा दिये
पब्लिक सेक्टर ओणे पोणे मैं इसनै आज बिका दिये
संकट मोचक बणकै आई संकट की कौली कसगी।।
3. तीन मुंही नागण के दम पै हर देश लूट कै खाया रै
गरीब देशां की हितैषी सूं इसनै यो भ्रम फैलाया रै
जी सेवन सपेरा जिसनै नागण को दूध पिलाया रै
चकाचौंध इसी मचादी अपणा दीखे आज पराया रै
ये गरीब डसे दिन धौली मौत मैं इनकी काया धंसगी।।
4. अमीर-गरीब के बीच की खाई आज और भी चौड़ी होगी
बालकां की दुर्गति करदी जवानी आज की बोड़ी होगी
म्हारे डांगर मरण लागरे ठाडी रेस की घोड़ी होगी
बदेशी तीन मंुही नागण की देशी नागण तै जोड़ी होगी
रणबीर की कविताई तै आज ज्योत अन्धेरे मैं चसगी।।








-129-

सरोज सरतो ब्याह शादी की आपस में बतलाई हे।
सरतो किसा वर चाहवै तूं सरोज नै बात चलाई हे।।
1. सरोज बाली शान्त शुभा हो माणस सबर आला हो
लिहाज राखणा आता हो विश्वास गजब निरालाहो
तन का चाहे काला हो फेर मन का कति ना काला हो
निस्वार्थ भाव का धोरी हो समझै बखत कुढ़ाला हो
दौलत का कति ना भूख हो ना जाणै घणी अंघाई हे।।
2. वो पाछली गलती तै सीखै आगे का फेर ख्याल करै
बहाने नहीं जमा बनावै कही बात तै नहीं फिरै
असलियत का हिम्माती हो दिखावै पै ना कान धरै
दहेज का लोभी नहीं हो पराई चीज पै नहीं मरै
सरतो के दिल की सारी सरोज नै बात बताई हे।।
3. उफंचा रूतबा हो उसका घमण्ड जमा ना करता हो
औरां नै बराद करकै नै ना अपने घर नै भरता हो
झूठी बात ना मानै ना साच कहणै तै डरता हो
अत्याचार कै साहमी बेबे समझ कै डिंग धरता हो
दोस्त आला बरतेवा हो नहीं समझ निरी लुगाई हे।।
4. कई गामां मैं गोत बधगे ब्याह का संकट छाया
गोत आपस मैं रोकैं जावै कैसे बालक ब्याहया
खेड़े आले गोत तै न्यारा ना चाहिये गोत उकाया
गोतां के रोजै रोले रणबीर इस चिन्ता नै खाया
झूठा रोला गोतां का सरतो सरोज नै समझाई हे।।








-130-

कई गोतां के लोग बसैं भाली इसा गाम बताया।
के भाली का जिकरा ना कइयां का हाल सुणाया।।
1. महज पलड़वाल कुण्डु नान्दल कुहार बसैं
रूहिल हुड्डा लठवाल दांगी बुधवार बसैं
धनखड़ अहलावत के उड़ै परिवार बसैं
सहारण के घर बारा उनके घरबार बसैं
तेरा गोत बसैं उड़ै तीन का भाई चारा दिखाया।।
2. रोहज पलड़वाल का आपस मैं भाई चारा सै
सहारण भी गेल्यां इनके नहीं इनतै न्यारा सै
बाकियां की ब्याह शादी का खूबै उड़ै डंगवारा सै
कोए तकरार नहीं सै ना मन किसे का खारा सै
जै सारे गोत अड़ लालें तै गाम जा पूरा सताया।।
3. लकड़िया मैं दहिया के चौबीस घर बताये सैं
दहिया अपणी छोरियां नै उड़ै ब्याहन्ते आये सैं
ये रिवाज नये बास मैं क्यों ना गए परणाये सैं
पुरानी बेड़ी ईब तोड़ां नौजवान तंग पाये सैं
सरोज मामले में खामखा दहिया नै पां फंसाया।।
4. कई गामां मैं गोत बधे ब्याह का संकट छाया
गोत आपस मैं रोकैं जावै कैसे बालक ब्याहया
खेड़े आले गोत तै न्यारा ना चाहिये गोत उकाया
गोतां के रोजै रोले रणबीर सिंह चिन्ता नै खाया
मिल कै राह काढां ब्याह छोरियां का जावै रचाया।।








-131-

बिना मकसद
कुछ बी आच्छा नहीं लागै बिन मकसद हांडू मैं।
ना दिन रात चैन मनै पड़या पड़या बांडू मैं।।
1. मजदूरी मिलती कोण्या म्हिने मैं दिन बीस मनै
खेत मैं ले काम रगड़ कै जमा देवैं घीस मनै
ध्याड़ी सौ कम तीस मनै मुश्किल दिन काढूं मैं।।
2. सड़कां पै काम रहया ना ईंट भट्ठे बन्द होगे
चिनाई भी कम होरी से ले लाखां मजदूरी खोगे
म्हारे नेता एसी मैं सोगे यो नक्शा असली मांडू मैं।।
3. गाम बरोना जिला सोनीपत हरियाणा में बास मेरा
होली क्यूकर खेलूं यो मन रहवै उदास मेरा
ना याड़ी कोए खास मेरा चेहरा किसका भांडू मैं।।
4. गरीबां की बूझ नहीं नेता ख्याल करैं अमीरां का
माणस नै खेल रचाया कहते खेल लकीरां का
बाणा हुया फकीरां का रणबीर नया छन्द चांडू मैं।।















-132-
एक तरफा ऐलान
तारीख ठारा मार्च म्हिना या दुनिया याद करैगी।
बुश नै जंग थोप दिया या जनता घणी मरैगी।।
1. चाले करे अमरीका नै एक तरफा ऐलान करया
टोनी ब्लेयर के मंत्रियां नै यो इस्तीफा ल्यान धरया
फ्रांस रूस चीन जंग विरोधी बिन बोलें नहीं सरया
आखरी धमकी दी बुश नै इराक जमा नहीं डरया
दो दिन मैं देश छोड़ दे ना तै सेना तेरे धरैगी।।
2. कहै सद्दाम अर घर उसका सही रास्ते तै भटक्या
तेल इराक का प्यारा लागै ईराक का माणस खटक्या
यू एन ओ अमरीका नै सिर पर तै ठाकै पटक्या
अमरीका की दादागिरी तै यो जगत सूली पै लटक्या
घणा स्वार्थी सै अमरीका बात ना म्हारै जरैगी।।
3. भारत नै तीसरी दुनिया की चाहिये लेनी अगवाई
ना थोड़े दिनां मैं दादागिरी पावै तीजी दुनिया पै छाई
खुलकै चाहिये बोलणा ना तै हो दुनिया मैं रूवाई
जनता की दाब बिना जंग पै नहीं जावै रोक लगाई
आपस के एक्के बिना अमरीका सेना नहीं डरैगी।।
4. जंग के घोड़े दौड़ा अमरीका दुनिया पै छाणा चाहवै
तेल खातर इराक नै यो गुढ़लिया चलाणा चाहवै
इसकै साहमी बोलै उसतै सबक पढ़ाणा चाहवै
पैंटागन के दम पै रणबीर झूठ छिपाणा चाहवै
अमरीका की सेना कै दिन दुनिया मैं सूनी चरैगी।।








-133-

बारा बाट
इब होगे बारा बाट कसूते होती कितै सुनाई ना।
चूट-चूट कै खागे हमनै मिलती कितै दवाई ना।।
1. जिन सरमाये दारां नै गोरे झूठी चा पिलाया करते
जी हजूरी फितरत उनकी जमकै टहल बजाया करते
बड्डे चौधरी सांझ-सबेरे ललकै पैर दबाया करते
राए साहब कोए सर की न्यों पदवी पाया करते
आज मालिक बने देश के समझी हमनै चतुराई ना।।
2. कुल सौ बालक म्हारे देश के दो कॉलेज पढ़ण जावैं सैं
पेट भराई मिलै तीस नै सत्तर भूखे क्यों सो जावैं सैं
बिना नौकरी ये छोरे गाभय आपस मैं नाड़ कटावैं सैं
काले जबर कानून बना कै म्हारे होंठ सिमणा चाहवैं सैं
नब्बे की रेह-रेह माटी देखी इसी तबाही ना।।
3. बेकारी महंगाई गरीबी तो कई गुणी बढ़ती जावै रै
जब हक मांगै कट्ठे होकै वे तान बन्दूक दिखावैं रैं
साहूकार हमनै बांटण नै नई-नई अटकल ल्यावैं रैं
म्हारी जूती सिर भी म्हारा न्यों म्हारा बेकूफ बणावैं रैं
थोथा-थोथा पिछौड़ दे सारा छाज इसी अपनाई ना।।
4. इतनी मैं नहीं पार पड़ी दस नै जुल्मी खेल रचाया यो
नब्बे की कड़ तोड़ण खातर तिन मुहा नाग बिठाया यो
निरा देशी साहूकारा लूटै एक फण इसा बणाया यो
दूजा फण सै थोड़ा छोटा उस पै बड्डा जमींदार टिकाया यो
तीजे फण फिरंगी बैठ्या सै उसकी कोए लम्बाई ना।।
5. इस तरियां इन लुटेरयां नै नब्बे हाथ न्यों बांट दिए
लालच दे कै सब जात्यां मैं अपणे हिमाती छांट लिए
उडारी क्योंकर भरै मैंना धरम की कैंची तै पर काट दिए
हीर अर रांझयां बिचालै देखो अक्खन काणे डाट दिए
नब्बे आगै दस के करले इसकी नापीं गहराई ना।।



-134-
यू पी ए सरकार
यू पी ए सरकार नै आज पूरा एक साल हो लिया।
जो वचन करे थे इसनै उनका के हाल हो लिया।।
1. कोए सोनिया कोए मन मोहन के मोह मैं फंसरया
गुण गाण करैं बढ़ा चढ़ा कोए इनकै उपर हंसरया
कोए कहै जमा धंसरया गरीब कंगाल हो लिया।।
2. टी वी चैनलां पै कई दिन तै इस पै गैहटा तारया हे
कोए करै काट घणी कसूती कोए गीत सुरीले गारया हे
साच्ची बात कोण बतारया हे दिल बेहाल हो लिया।।
3. किसे जागां तो ठीक करया यूपीए नै काम बतावैं सैं
किसे जागां पै चाल ढुलमुल अपनी रोज दिखावैं सैं
लोग जागां जागां चिल्लावैं सैं म्हारा सूना ताल हो लिया।।
4. लैफट लगाम कसता दीखै एनडीए राहू भूल रहया
कांग्रेस का एक हिस्सा यो होकै नशे मैं टूहल रहया
सत्ता का झूला झूल रहया रणबीर काल हो लिया।।
















-135-

यूनिवर्सिटी में मार्या छोहरा, पंचायत कती ना बोली।
कुछ दलितां तै माणस मरग्या, बस्ती फंूकी दिन धोली।।
1. जात की जात मैं गुण्डे इतने, महिलाओं नै रोज सतावैं सैं
रेप के केस दर्ज सैें जिनपै, उननै हाम रोज छिपावैं सैं
दस-दस मर्डर कर राखे, उननै पंचायत बचावैं सैं
अपनी जात में दहेज के लोभी, बहुआं ने रोज जलावैं सैं
इन पंचायतों नै ये बात कदे भी, आज तलक ना तोली।।
2. सूद खोर पै गरीबां की आड़ै जा सै खाल तराई
जात के ठेकेदार ना सोचैं, जिब छोरी रहै बिन ब्याही
के यो काम गलत कोन्या, क्यूं ना पंचायत बुलाई
इन पहलवानां के खिलाफ ना हो, पंचायत में सुणवाई
ये 16वीं सदी के तौर तरीके, आज पोल कसूती खोली।।
3. न्यू कानून हाथ में लेकै तै, सारा हरियाणा जलज्यागा
ना कोए गाम बचैगा न्यू तो, सबका दीवा सा बलज्यागा
बांट समाज नै जात पात पै, लुटेरा गरीब नै छलज्यागा
काम उसे होन्ते रहंगे तो अमीरां के घी सा घलज्यागा
इस जात पात नै बंटवारे की, जहर समाज में घोली।।
4. बेरोजगार तो बेरोजगार सै, ना कोए जात बताई
बेरोजगारी जात सै उसकी, हो किसै कोम का भाई
किसान की जात किसानी हो , क्यूंना म्हारी समझ में आई
ढेरयां आला कुड़ता जात सै, इसनै म्हारी रेल बणाई
जात पात पै लड़ाकै इननै, रणबीर की छाती घोली।।








-136-

किस्सा म्हारा थारा
भरत सिंह और उसके भाई कंवल सिंह के बीच बिजली के बिलों की माफी को लेकर चर्चा होती है। भरत सिंह कहता है-जो बिजली की सबसे ज्यादा चोरी करते थे उनको सबसे ज्यादा फायदा होगा। उनकी बिजली का खर्चा आम जनता क्यों भरे। कंवल सिंह कहता है नहीं, इससे सभी किसानों को एक बार तो राहत मिलेगी। दोनों में बातचीत होती है और क्या बताया भला कवि ने:-
कंवल सौला सौ करोड़ माफ करे, हुड्डा सरकार नै
भरत सिंह छोटू राम की कुड़की बचाग्या, खाए करज्यां की मार नै
कंवल या राहत के थामनै थोड़ी बिजली बिलां ने तोड़ दिए
कई-कई हजार बाकी रहरे टूटे कनेक्शन जोड़ दिए
धरती थोड़ी खर्चा ज्यादा मारे दारू की मिकदार नै।।
भरत सिंह पहलम कर्जे में गरक करे इस सिस्टम ठीक कड़ै
अर्ज करो यो माफ करैगा हुया लागू सिस्टम इसा आड़ै
ऐसा सिस्टम बणै कर्ज का ना किसान फंसै बारम्बार नै।।
कंवल किसान मसीहा छोटूराम नै, क्यूं तों आज बिसरावै
भाखड़ा डैम बणाया देखो, फसल खेता मैं लहरावै
यो किसान तो अैहदी होग्या, संभालै नै घरबार नै।।
भरत सिंह दिन और रात काले कर दिए, खूबै ए खेत कमाया
सारी कमाई मंडी खागी, नहीं मूल कदे बी थ्याया
रणबीर सिंह बरोणे आला दिया छोड़ बीच मझदार मैं।।









-137-

गोहाना में जो कुछ हुआ वह बहुत ही शर्म नाक और दिल दहला देने वाली बात है। कूसर किसी का सजा किसी को। क्या बताया भला:-
मारै कोए भुगतै कोए घणा बुरा जमाना आया रै।
गोहाना मैं दलितां उपर जुलम कसूता ढाया रै।।
1. स्वर्ण जातां का जुलम उड़ै हटकै दिया दिखाई सै
उंची जात आले चौधरी दलितां की बस्ती जलाई सै
पुलिस भी हाजिर थी उड़ै जिब आग लगाई सै
एम पी के छोरे नै उड़ै अफवाह खूब फैलाई सै
स्वयंभू पंचायत नै फेर हटकै रंग दिखाया रै।।
2. दो दिन पहलम हुया पंचायत का फतवा जारी
डीसी एसपी सोवैं तान कै जनता बस्ती छोड़गी सारी
पंचायती नहीं गेरे जेल मैं या गलती कर दी भारी
ना बस्ती मैं पुलिस बिठाई क्यों अकल मारी थारी
मिल सबनै दलितां तै सबक सिखाना चाहया रै।।
3. सब कुछ साहमी हुया पुलिस देखती रही खड़ी
स्वर्ण जात की हिम्मत दलित बस्ती मैं आण बड़ी
धूं-धूं करकै घर जलगे चौगरदे थी आग पड़ी
सोच समझ प्लान बणा कै गया सै काण्ड रचाया रै।।
4. सतावण साल की आजादी मैं किसी आजादी पाई या
दलितां पै जुलम बढ़े सरकार नहीं शरमाई या
एक बाल्मीकि के कारण बस्ती सारी क्यों जलाई या
मानवता के बणे रूखाले हवा जहरी चलाई या
कलम कांपण लागी रणबीर घणा दुख पाया रै।।







-138-

चमेली और बबली की बातचीत होती है। बबली बहुत दुःखी है चमेली के उत्पीड़न से। वह कहती है-अब जात का सहारा लेकर सूरते को बचाना चाहते हैं। हमारी ही जात के लड़के जब हमारे साथ छेड़खानी करते हैं तब भी कुछ नहीं बोलते। समाज कहां जा रहा है? एक गीत के माध्यम से कैसे अपनी बात कहती है:-
1. गरीब अमीर का मेल नहीं, शेर बकरी का खेल नहीं
सही कातिल ने जेल नहीं, बीर मर्द की रखैल नहीं
जी छोड्डै अमर बेल नहीं, या दुनियां कहती आई
बिन शिक्षा के ज्ञान नहीं, बिन ज्ञान होवै सम्मान नहीं।
2. टोहली बबली असल सच्चाई इब सबकी श्यामत सै आई
गरीब की हो खाल तराई, जाणैं सारे लोग लुगाई
बात ये सबके साहमी ल्याई, कोन्या मनै झूठ भकाई
बिन फागण के फाग नहीं, बिन माली के बाग नहीं।।
3. इज्जत सुरते नै ली सै लूट, इब गेर्या चाहवै म्हारे में फूट
सबर का हमनै प्याकै घूंट, सदियां तै रहे हामनै चूंट
उपर तैं फेर दिखावैं बूंट, खोलकै सारी बात बताई
4. बिन सुर के कोए राग नहीं, बिन घरषण के आग नहीं
दफन सभी फरियाद हुई, घणी चमेली बरबाद हुई
खामैखां की कवायद हुई, या मेहनत सबकी खाद हुई
कमजोर म्हारी या याद हुई, न्यू सब मैं नोबत आई।।
5. ना बिना पदार्थ कुछ साकार, ना बिना तत्व गुणों का सार
इब नीति इसी चाल रहे, बिछा टेलीविजन का जाल रहे
बिकवा घर का माल रहे, सब ढाला कर ये काल रहे
गलूरे बणा ये लाल रहे, रणबीर की श्यामत आई।।






-139-किस्सा म्हारा थारा
बबीता-चमेली को मेडिल जाकर अपना मेडिकल करवाने के लिए तैयार करती है। वहां सविता उनकी पूरी मदद करती है। मेडिकल मुआएना हो जाता है और सूरत सिंह के खिलाफ पुलिस को केस दर्ज करना पड़ता है। गांव में चमेली का चरित्र हनन करने की पूरी कोशिशें की जाती हैं। चमेली की मां और बबीता उसका पूरा साथ देती हैं। एक दिन चमेली क्या सोचती है, क्या बताया कवि ने:-
या चोट मनै, गई घोट मनै, गई फिरते जी पै लाग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
1. चाला होग्या गाला होग्या, क्यूकर बात बताउं बेबे,
इज्जत गवाई, चिन्ता लाई, क्यूकर ज्यान बचाउं बेबे
सुरते बरगे फिरैं घनेरे, क्यूकर गात छिपाउं बेबे
देख अकेली करी बदफेली, क्यूकर हाल छुपाउं बेबे
ना पार बसाई, ना रोटी खाई, ना आच्छा लागै कोए राग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
2. जिस देश मैं नहीं होता हो सही सम्मान लुगाई का
उस देश का नाश लाजमी, जड़ै अपमान लुगाई का
सारी जिन्दगी राम भज्या सै, नहीं भुगतान दुहाई का
घणा अष्टा बणा दिया सै, यो इम्तहान लुगाई का
मैं तो मरली, दिल में जरली, लाउं नाश जले कै आग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
3. राम गाम सुणता हो तै, हाम कति ज्यान तै मरली
औरत घणी सताई जागी, या मेरे दिल में जरली
सबला लूटी अबला लूटी, दास बणाकै धरली
इबै तो और सहणा होगा, के इतणे मैं सरली
ना होठ सिउं ना जहर पिउं, तेरा करूं सामना निर्भाग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
4. डूबूं तिरूं मन होज्या सै, सोचूं कदे फांसी खावण की
फेर सोचूं हिम्मत करकै, सजा कराद्यूं सुरते रावण की
मां नै भी दिया बहुत सहारा, ऐसी मां ना पावण की
कसर ना छोड़ी बबीता नै मेरा साथ निभावण की
ना कदम हटावै ना केस ठावै न्यां रणबीर सिंह करै जाग
मेरै तो सिलगै बदन में आग।

-140-

एक दिन भरत सिंह व उसकी पत्नी सरोज आपस में बात कर रहे हैं कि बहुत बुरा जमाना आ गया है। उपभोक्तावाद की अधी गली में हम घुसते जा रहे हैं। मारो खाओ हाथ ना आओ का चारों तरफ बोलबाला है। मानवीय रिश्तों में गिरावट आ रही है। भरत सिंह सरोज को बताता है कि इस चुनाव में कैसे दारू सुलफे का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है। सरोज कहती है कि भ्रष्टाचार का कोए अन्त नहीं रहा। भरत सिंह एक गीत के माध्यम से सरोज को अपने दिल की बात सुनाता है:-
एक बै नजर घुमाकै देखां समाज म्हारा कित जा लिया।
क्यों आन्धी गली मैं बड़ते जावां, इस चिन्ता नै खा लिया।।
1. घर-घर देखां घणा बेढ़ंगा, माहौल हुया यो सारे कै
कोए तो आड़ै काच्चे काटे क्यों बोझा पड़या करतारे कै
आंच ना महल चौबारे कै, गरीब काल क्यों पा लिया।।
2. माणस रोज भीतर तैं टूटै, इसा जमाना आता जा
घर के भीतर बाहण बेटी की, इज्जत पै संकट छाता जा
शरीफ तले नै आता जा, बदमाश नै पैर जमा लिया।।
3. दारू सुल्फा सारे छागे, शरम लिहाज ना कोए ईब
भ्रष्टाचारी का साथ देवो, कहते इलाज ना कोए ईब
खापां का अन्दाज ना कोए, हरियाणा सिर पै ठा लिया।।
4. रिश्वत की कमाई भूंडी, फेर बी इसको स्वीकार लिया
दहेज बीमारी भूंडी कहते, फेर बी इसको चुचकार लिया
रणबीर नहीं इन्कार किया तो, समझो ओड़ आ लिया।।











-141-

वार्ता: बबली और चमेली एक दिन आपस में बातें कर रही हैं कि कैसे कॉलेज जाते समय वे युवाओं के गैंगों की शिकार होती हैं। रोहतक और उसके आसपास के जिलों का युवा दर्शन और भूप के गैंगों से सीधे या वाया भटिण्डा किसी न किसी रूप में जुड़ गया है। लड़कियां भी इन गैंगों की सम्पतियों के रूप में देखी जाने लगी हैं। हिंसा के साथ सैक्स की पतनशील संस्कृति ने भी हाथ मिला लिया है। इन दोनों का साथ दारू, सुल्फा व स्मैक पूरी तरह से निभा रही है। चमेली ने कहीं पढ़ा कि इन तीनों चीजों के सहारे अमरीका पूरी दुनियाभर पर राज करना चाहता है और चमेली बबीता को क्या बताती है भला:
साम्राज्यवाद के निशाने पै, युवा लड़के और लड़की।
बेरोजगारी हिंसा और नशा, घण्टी खतरे की खड़की।।
1. इन बातां तै ध्यान हटाकै, नशे का मन्तर पकड़ाया
लड़की फिरती मारी-मारी समाज यो पूरा भरमाया
ब्यूटी कम्पीटीशन कराकै, देई लवा देश की दुड़की।।
2. निराशा और दिशाहीनता देवैं चारों तरफ दिखाई
बात-बात पै हर घर के माह, माचरी खूब लड़ाई
सल्फाश की गोली खाकैं, करैं जीवन की बन्द खिड़की।।
3. युवा लड़की की ज्यान पै शांका, घणा कसूता छाया
रोज हिंसा का शिकार बणैं, ना सांस मोह सुख का आया
वेश्यावृत्ति इसी फैलाई, जणू जड़ ये फैली बड़की।।
4. एक तरफ सै चक्का चौंध, यो दूजी तरफ अंधेरा
दिन पै दिन बढ़ता है संकट, ना दिखै कोए सबेरा
रणबीर सिंह विरोध, करो तुम बाजी लाकै धड़की।।







-142-

सुरत सिंह की बड़ी बेटी कविता का यूनिवर्सिटी में यूथ फैस्टीवल होता है। वहां पर खासतर की दो अर्थी बातों वाले गीत गाये जाते हैं। कविता भी आज की सुन्दरता को लेकर अपने ढंग से सोचती है। उसे ऐसा लगता है कि अन्दर की असली सुन्दरता को लांग अनदेखी कर रहे हैं। वह कई कवियों की रागनियां देखती है और एक रागनी छांट कर यूथ फैस्टीवल में गाती है:
सुन्दरता किसनै कहते, इस पै चर्चा करनी चाहूं में।
गोरी चमड़ी आच्छी हो सै, छिपरया नस्लवाद दिखाउं मैं।।
1. गोरी चमड़ी बता सुन्दर गोरे, सारी दुनिया पै छागे
काली चमड़ी सुन्दर कोन्या, इन नै निरभाग बतागे
गोरी चमड़ी की सुन्दरता नै, खड़ी करदी खाट बताउं मैं।।
2. मेहनत करकै जो बणता सुन्दर उसनै कौण पिछाणै
कष्ट कमाई नै चोर कै लेज्यां, उसकी चोरी नै ना कोण जाणै
सुन्दर बाहर काला भीतर तैं, कति कोन्या झूठ भकाउं मैं।।
3. उनकी सुन्दरता भूल गए जिननै ताज महल बणाया
किस्सा शाहजहां मुमताज का रोजाना जावै सुणाया
कारीगरां कै पटी रै बिवाई, वा सुन्दरता कड़ै छुपाउं मैं।।
4. बाहर पेट तै ल्यावण में यो, साथ दिया जिस दाई नै
जिनै न्हवां धवा कै मैल तार्या, गेरी नीच जात की खाई मैं
रणबीर असली सुन्दरता पै सुन्दर छन्द बणाउं मैं।।











-143-

मर ज्यांगे पर झुकां नहीं
मर ज्यांगे पर झुकां नहीं, न्यूं मिलकै कसम खाई।
अमित अंजू की शादी स्वयंभू, पंचायत नै रोकना चाही।।
1. जगदीश अमित कृष्ण मंजू नै, जिब अपणा ब्याह रचाया
श्योराण और गिल गोतां का ब्याह, पंचायत नै रोक्या चाहया
पंचायत स्वयंभू गैर कानूनी, आज हरियाणा मैं छाई।।
2. कानूनी औकात ना इनकी, न्यूं जाणै दुनिया सारी
स्वयंभू ये पंचायत, आज करदें फतवे जारी
मिलकै करो सामना, अमित अंजू नै राह दिखाई।।
3. इसी घटिया बातां का चाहिये, बहिष्कार समाज मैं
नागरिक अधिकारां का मामला, उठावां सही अन्दाज मैं
इन फतवां नै मुश्किल कर दिये म्हारे ब्याज और सगाई।।
4. मुबारक सोनिया रामपाल नै यो, आसण्डे मैं युद्ध लड़या
जौन्धी और नया बास में भी नागरिक समाज हुया खड़या
कहै रणबीर सिंह बरोने आला, लाडावास की बारी आई।।















-144-

इज्जत नहीं जहां औरत की प्यार वहां नहीं रह पायेगा।
बेशक दौलत से लथपथ हों, एक दिन भूखा मर जायेगा।।
1. पैदा करके बड़ा करे वो, बेटा बेटी करती रहती
उस पर ही जो करे जुलम वो उपर उनके ही मरती रहती
जो भी आंसूं देगा उसको जिन्दगी मैं धक्के खायेगा।।
2. राखी लेकर खड़ी रहें ये बहन हमारी जो कहलाती
भाई को दें घी की रोटी, सूखी देखो खुद खा जाती
मौत मिले राखी के बदले बहन का दिल भी थर्रायेगा।।
3. कुकरम करते आदमी सारे तोहमद औरत की लग जाती
पिस जाती ये चिंटी हरदम, मंडराते रहते ये हाथी
विवश बेचारी अबला देखो, क्या कभी इन का भी नि आएगा।।
4. रजवाड़ों में इसे नचाया डांस बार भी भरे हुए हैं
नोंच कर खाने वाले गली गली में भरे हुए हैं
अगर कृष्ण ले अवतारी, हर घर में एक द्रोपदी पायेगा।।
















-145-

महिला पलटन
आई एन ए में भरती होकर बनाई महिला पलटन न्यारी।
लक्ष्मी सहगल बनी कमाण्डर दी अंग्रेजों को किलकारी।।
1. भारत आजाद कराउं जरूरी सहगल ने मन में धार लिया
फिरंगी भारत छोड़ो हमारा सारी दुनियां में प्रचार किया
आजाद हिंद फौज बोस की अलग से पलटन तैयार किया
तोप गोले बन्दूक चलाई रणचण्डी सा फिर सिंगार किया
वही लक्ष्मी सहगल देखी मोर्चे पर आगे बढ़ती जारी।।
2. गोले गए आजादी आई सपने खूब सजाए हमने भाई
मेहनत करी बहोत देखो अपने डेम बनाए हमने भाई
रामधन सिंह जैसे विज्ञानी अपने बीज उगाए हमने भाई
खान फैक्टरी और खेतों में अपने शरीर खपाए हमने भाई
लक्ष्मी सहगल पूछ रही है दे दी किसने आज बुहारी।।
3. खेत खलिहान और सड़कों पर औरत बहुत सताई जाती
दहेज अच्छा नहीं मिला है यों हर रोज जलाई जाती
जुल्म की हद नहीं कोई जबरी फांसी चढ़ाई जाती
नंगी तसवीरें फूहड़ गाने ऐसी ये फिल्में बनाई जाती
जीना है तो लड़ना सीखो क्यों बनी बैठी हो बेचारी।।
4. औरत के हकों की खातिर लड़ने का बीड़ा उठाया है
सबको इकट्ठा करने के लिए संगठन सही बनाया है
इकट्ठी होकर लड़ें लड़ाई घर घर अलख जगाया है
गांव-गांव कर लो तैयारी संदेश तो यही पहुंचाया है
औरत दबकर नहीं रहेगी रणबीर की कलम पुकारी।।







-146-

घड़ा पाप का
घड़ा भर लिया पाप का एक दिन फूटैगा जरूर भाई।
मेहनतकश पड़ कै सोग्या कदे तो उठैगा जरूर भाई।।
1. राही और राजभवन की आज खुलकै ने तकरार ठनी
गरीब की गर्दन के उपर आज नंगी या तलवार तनी
अमीरी आन्धी बहरी आज बनी एक दिन टूटैगा गरूर भाई।।
2. महलां मैं दिन चढ़ज्या म्हारे घर मैं काली रात रहै
जनता भोली चौराहे पै गुण्डयां की आज लात सहै
ताज ना साच्ची बात कहै धूल कदे चाटैगा जरूर भाई।।
3. कलम बेच कै अपणी देखो गलत नै सही बतावैं सैं
दस नब्बे का खेल यो सारा साची बात छिपावैं सैं
जोंक की ढालां खावैं सैं कदे पैंडा छूटैगा जरूर भाई।।
4. अनपढ़ता बेकारी और गरीबी तीनों ही मां जाई ये
अनपढ़ता कै देले घेरा आसान फेर बाकी लड़ाई ये
रोड़ा अटकावैंगे कसाई ये रणबीर चाला पाटैगा जरूर भाई।।















-147-

मामला गउ का
दुलिना काण्ड नै आज यो पूरा एक साल हो लिया रै।
सारे कालित छुट कै आगे यो बुरा हाल हो लिया रै।।
1. माणस मारे पुलिस चौकी में, सबकै साहमी आई रै
गुपचुप ठिकानै लगवाये ना करी कानूनी कारवाई रै
माणस तै बढ़कै गउ धर्म ठेकेदारों ने बात बताई रै
गउशाला मैं नहीं ले जाते सुन्नी गउ देवैं दिखाई रै
गउ चमड़े पै कई जागां खड़या बबाल हो लिया रै।।
2. सभी गोशाला ठेके चमड़े के सारे कै ठवावैं देखो
गउ के नाम पै चारा चन्दा ये सबतै ले ज्चावैं देखो
गउआं की हाडी चिलकैं ना पूरा चारा खवावैं देखो
गउ की हालत गोशाला मैं कई-कई मरी पावैं देखो
गउ हिमाती करते हत्या किसा कमला हो लिया रै।।
3. जिन्दा की कोए सम्भाल नहीं मरी पै माणस मार रहे
गउ के रक्षक चमड़े का करोड़ां का कर ब्यौपार रहे
बणा गउ नै मोहरा दलितां पै कर ये अत्याचार रहे
अल्प संख्यक पै हमले गउ नै बणा हथियार रहे
गउ पै करैं राजनीति खड़या यू सवाल हो लिया रै।।
4. ट्रैक्टर खेती मैं आया तो बुलध कितै कितै रैहग्या
गउ का सम्मान समाज मैं इसे करकै फेर ढैहग्या
ट्रैक्टर कम्पनी ऐश करैं किसान गउ पै फैहैग्या
सोचो क्यूं मार काट गउ पै रणबीर सिंह न्यो कैहग्या
गउ का चमड़ा आड़ै धर्म की नंगी ढाल हो लिया रै।।







-148-

सबक सिखाएंगे
तूं घणा आण्डी पाकै सै हम तनै सबक सिखावांगे।
उधार और तेरे करज पै पूरी रोक लगावांगे।।
1. म्हारा कहया माण्या ना तेरी इतनी हिम्मत होगी
लेणे के देणे पड़ज्यां तनै क्यों तेरी अक्कल खोगी
ईब तै आगै समझ लिये या तेरी किस्मत खोगी
तेरी गलत हरकत या जमा झूठे झगड़े झोगी
म्हारी बात नहीं माणण का जमकै मजा चखावांगे।।
2. म्हारे बमां का करै मुकाबला तेरी या औकात कड़ै
नाक रगड़ै दरवाजे पै तेरी कड़ पै लात पड़ै
माक्खी भिनकैं तेरे उपर तूं दिन और रात सड़ै
हेकड़ी भूलज्या तूं सारी फेर नहीं बिना बात अड़ै
क्यों आंख्यां पै पाटी बान्धी हम इसनै खोल बगावांगे।।
3. तेरी बोलती बन्द करद्यां धक्के दर-दर खावैगा
दुनियां मैं तनै हिम्माती नहीं टोहया कोए पावैगा
पड़या भंवर मैं पफेर तूं बचाओ मनै चिलावैगा
तेरा भ्यां बुलाद्यांगे पड़या-पड़या फेर रंभावैगा
धक्के खान्ता नाक रगड़ता तनै तो हम बतावांगे।।
4. न्यूकलीयर ताकत बणज्यां तनै क्यूकर सोच लई
पांच पटाखे छुटा कै सोचै या दुनिया दबोच दई
इनतै म्हारे ना माड़ी सी बी जमा कोए खरोच गई
तेरी नाड़ मेरी समझ मैं करतूत या मोच गई
रणबीर सिंह न्यों कहवै ना धोंस थारी मैं आवांगे।।







-149-

जात का चश्मा
जिस दिन भाण भाइयो यो जात का चश्मा टूटैगा।
उस दिन पैंडा म्हारा जुल्मी शोषण तै छूटैगा।।
1. हमनै बांटण नै बैरी नै हथियार बनाई या
गेहूं के खेत मैं पैदा खड़ पतवार बताई या
दीवार जै मिलकै ना ढाई या सिर म्हारा फूटैगा।।
2. म्हारे देश के सब माणस ये जात्यां मैं बांट दिये
न्यों म्हारी एकता के लुटेरयां नै पर काट दिये
समझण तै नाट लिये लुटेरा हमनै चूटैगा।।
3. लुटेरयां की जात मुनापफा आंख खोल कै देख्या ना
लुटेरे एकै बोली बोलैं सैं कै देख्या ना हमनै बोल
नाप तोल कै देख्या ना मुनाफा खोर न्यों लुटैगा।।
4. रणबीर बरोने आला चाहे बिजली गिरै आज
नये जमाने मैं क्यों इसकी कोली भरै आज
इसतै काम ना सरै आज यो दूना गल घूंटैगा।।















-150-

कारतूस
समाज की सेवा करने वाले कदे किसे तै डरे नहीं।
समाज के ठेकेदारो थारे कारतूस थोथे सैं भरे नहीं।।
1. दिन रात कमावां मिलकै खेत कारखाने अर खान मैं
अमीर गरीब की छिड़ी लड़ाई देखो सारे ही जहान मैं
सतरंगा जाल बिछा लूटे करां गुजारा खाली छान मैं
म्हारी मत मार दी ज्यां करकै ना बैरी आया पहचान मैं
पाप के बेड़े भवसागर मैं पार कदे बी ये तिरे नहीं।।
2. जात पात के चश्मे म्हारे न्यारे-न्यारे सब बांट दिये
इलाका कितै धरम बांटता सब लूटण के ढंग छांट लिये
फौज बन्दूक तान दें जिब हुकम इनका नाट दिये
महिला नौजवान दलित दुखी फिरैं इनके चक्कर काट लिये
जनता के हमले बिना कदे जुल्मी पापी ये मरे नहीं।।
3. अनपढ़ राखे जान बूझ कै मारैं हमनै बिना दवाई ये
मेहनत लूट कै महल बनाये बतावैं किस्मत की कमाई ये
सारी नैतिकता भूल गये बनगे म्हारे खसम जमाई ये
बेइमान ईमानदार बाजैं ईमानदारां की करैं पिटाई ये
देख लिया जांच परख कै ये सिक्के खोट्टे सैं खरे नहीं।।
4. सुभाष बोस नै राह दिखाई उसपै आगै बढ़णा होगा
भगत सिंह नै फांसी खाई उसका विचार पढ़णा होगा
लाल हरदयाल अलख जगाई नई मंजिल चढ़णा होगा
अदल-बदल ये देख लिये समाज नया गढ़णा होगा
कहै रणबीर हथियार पैने करल्यां खुंडे सै यं जरे नहीं।।







-151-

बरसात
सीली सीली बाल चालती चौगरदे नै बोलैं मारै।
नान्हीं-नान्हीं बूंद पड़ैं ये बादल छाये घण घोर।।
1. धरती की प्यास बुझी उठती दीखै दिल मैं झोल
पेड़ हवा मैं झूमैं जण आपस मैं करैं मखौल
कितै चिड़िया चिचावै कितै बटेर करे किलोल
माणस क्यों भाज रहया इसके जी नै माची तोल
आसमान दुधिया होग्या एक छोर तै दूजी छोर।।
2. बाग का माली बाग की यो रूखाली करता जमकै
बंजर के मैं फूल खिलादे हर माणस देखै थमकै
हरियाली मन नै भाव गुलाब फूल न्यारा चमकै
सुहान्ती सी धूप आवै बादलां के म्हां कै छन कै
बेरा ना क्यों आज मनै या निराली लागै भोर।।
3. सोनीपत जिले मैं बरोणा सै भाई यो गाम मेरा
याद आवैं बात वे सारी जड़ै बीत्या बचपन तमाम मेरा
क्यूकर भूलं उन लोगां नै जिननै उधेड़या चाम मेरा
झूठी तोमद लाकै करया नाम गया बदनाम मेरा
गाम छटवा दिया उननै मेरा चाल्या कोण्या जोर।।
4. किते गुलगुले किते पूड़े किते सुहाली तारी जा
मेरी खुरपी चलै बाग मैं सूरत ईंकी संवारी जा
सोचूं कूण खुवावै पूड़े हो न्यों तबीयत खारी जा
किसने सुणाउं मन की जिब दिल हो भारी जा
रणबीर तै बढ़िया मिलती ना मेरे दिल नै ठोर।।







-152-

सेठ कै बेइमाना होग्या रूप पाणी में धिका दिया।
पराई नार पै नीत डिगाई चेहरा काला दिखा दिया।।
1. भौंचक्का रैहग्या रूप एक बै बात समझ मैं आई ना
थोड़ा ए तिरणा जाणै था उड़ै कुछ दिया दिखाई ना
गोते खावै पफेर डूबण लाग्या दया राम नै खाई ना
चन्द्रा चन्द्रा न्यों रूक्के मारै चन्द्रा नै दिया सुनाई ना
नहीं हौसला हारया रूप नै जोर पूरा लगा दिया।।
2. जोर की बाल चाल पड़ी समुद्र मैं फेर लहर चली
तिरता-तिरता तख्त आया नजर रूप की ठहर चली
रूप नै तख्ते का साहरा न्यों सांस कई ए पहर चली
रूप नै लेकै वा किस्ती पास बसे होये शहर चली
होश आवन्तें हे उठ लिया चन्द्रा का नाम गुंुजा दिया।।
3. कड़ै थी चन्द्रा क्यूकर बोलै कैद जहाज मैं पड़ी हुई
एक-एक करकै याद आई रूप नै चिन्ता बड़ी हुई
चन्द्रा दीखै रोवन्ती उसनै जहाज के उपर खड़ी हुई
मुक्का मार लिया छाती मैं रूप कै मजबूरी अड़ी हुई
रोया रूप दहाड़ मारकै उड़ै पत्ता-पत्ता रूला दिया।।
4. बैठ पेड़ की छाया मैं हटकै अपणे को तैयार किया
सोर्चे सेठ ने धोखे मैं क्यों इसा घटिया वार किया
दीन ईमान सब भूल गया पर नारी पै मन मार लिया
सेठ तै बदला लेना का प्रण मन में था धार लिया
रणबीर बरोने आले नै फेर कलम अपना चला दिया।








-153-

तर्ज: किस तरियां तू बड़या बाग मैं
लीलो चमन बरबाद हुए जिब धनपत ठाडा रोया था।
धरम के काले नाग नै घणा जहरी डंग चभोया था।।
1. बड्डे बूढ़े बालक कत्ल हुए इसा हाल्या दौर अमन का
लाहौर मैं लीलो बिछड़ गई इसा डाल्या दौर दमन का
हिन्दुस्तान मैं आणा पड्ग्या ना चाल्या जोर चमन का
इस घाल्या डोर भरम का चमन लीला ने खोया था।।
2. इज्जत नहीं महफूज रही दफन सारी ए मरयाद हुई
एक लीलो का जिकरा ना घणी ए लीलो बरबाद हुई
मौत के सौदागर पापी कबूल उननै ना फरयाद हुई
लीलो सबकै याद हुई थी धनपत नै साज संजोया था।।
3. लिकड़ सकी ना लीलो इसे फन्दे के म्हां फंसगी वा
क्यूकर होवै बचाव धरम के रन्दे के म्हां घिसगी वा
चमन घणा लाचार हुया गाड़ी खांचे मैं धंसगी वा
पिफरका परस्ती चाले करगी माणस नै आपा खोया था।।
4. कहै रणबीर सिंह फूट लिया यो भांडा इस कुकरम का
लीलो चमन मार दिये दोनूं जाइयो नाश धरम का
गरीब अमीर की लड़ाई पै गेर दिया जाल भरम का
नहीं शरम का काम सोच रणबीर नै छन्द पिरोया था।।











-154-

कै दिन समाज बचैगा
बिन वंचित की रूखाल करें, बिन महिला का ख्याल करें।
बिन समता का सवाल करें, कै दिन समाज बचैगा रै।।
1. गरीब परिवार मैं पैदा होकै हांगा लाकै करी पढ़ाई
सत्तर प्रतिशत नम्बर ले कै भी ना कितै नौकरी थ्याई
ज्यान कति मरण मैं आई हे, के संकट समझ नहीं पाई हे
दिन दूनी क्यों बढ़ी म्हंगाई हे, कै दिन समाज बचैगा रै।।
2. पढ़ाई लिखाई व्यापार बणाली क्यों सारे ही संसार नै
पीस्से की हवस बढ़गी खोस कै लेगी म्हारी बहार नै
टी वी नंगी फिल्म दिखावै सै, अत्याचार यो बढ़ता जावै सै
माणस नै माणस खावै सै, कै दिन समाज बचैगा रै।
3. हुये आजाद तो सोचैं थे सबनै ईब रूजगार मिलैंगे
ठीक ठ्याक जिन्दगी गुजरै ना धक्के बारम्बार मिलैंगे
सपने सारे धूल मैं मिलगे, म्हारे आदर्श सारे हिलैंगे
बदमाशां के चेहरे खिलैंगे, कै दिन समाज बचैगा रै।।
4. आर्थिक सुधार का रंदा म्हारी नाड़ पै चलाया क्यों
आत्मनिर्भरता का नारा आज पढ़ण बिठाया क्यों
विश्व बैंक हमनै भावै क्यों निजीकरण बढ़ाया क्यों
गरीब का गला दबाया क्यों कै दिन समाज बचैगा रै।।











-155-

बात पते की
ये दो आंख ले कै बी आन्धे हमनै सड़ांध देवै दिखाई ना।।
बिल्ली देख कबूतर आंख मूंद कै कहवै आड़ बिलाई ना।।
1. ईमानदारी का पाठ पढ़ावैं नेता अफसर संसार मैं
इन्कम टैक्स की चोरी करना बालक सीखैं परिवार मैं
इस काले धन की बहार मैं दीखै फेर सच्चाई ना।।
2. उपर बैठे अफसर नेता लेरे बदेशी बैंकां मैं खात्ते ये
जड़ मैं भ्रष्टाचार पनपै तो क्यूकर हरे रहवैं पात्ते ये
इननै चाहिये चिमटे तात्ते ये इनकी कोए और दवाई ना।।
3. साठ हजार करोड़ का करजा म्हारे देश के अमीरां पै
सरकार म्हारी चालती देखो इनकी काढ़ी लकीरां पै
हम हांडां संत और फकीरां पै साच समझ मैं आई ना।।
4. पीस्से की हवस इनकी सब किमै बाजार मैं बिठाया सै
मानवता सिसकण लागरी यो माणस हैवान बणाया सै
रणबीर सिंह नै छन्द बनाया सै साच जमा छिपाई ना।।















-156-

बोल बख्त के
आतंकवाद का पिल्ला थारा सुण्या तमनै पाड़ण आया।
सांप उग्रवाद का पाल्या उसतै रजकै दूध पिलाया।।
1. एक चोट आतंकवाद की आज थारे पै नहीं उटी सै
बीस बरस तै झेल रहे सां थारी छाती नहीं फटी सै
तीन बेटे दो बेटी खपगी जीवण इच्छा नहीं घटी सै
इबै थारी बमबारी जारी या रात काली नहीं छटी सै
काम धंधे चौपट होगी फीम की खेती नै गुल खिलाया।।
2. काबुल पै कब्जे तांहि तमनै दूर की स्कीम बनाई ये
कट्टरवाद तै हाथ मिलाया तालिबान छोटे भाई ये
कम्यूनिस्ट खत्म करण नै लाखां मारे लोग लुगाई ये
उस बख्त के काम भूण्डे तमनै दिये नहीं दिखाई ये
जेहाद हरफ जाण बूझ क्यों म्हारी जुबान पै चढ़वाया।।
3. क्यां क्यां का जिकर करूं इरान पै हमले करवाये क्यों
बारूदी सुरंग बिछा काबुल मैं मासूम लोग उड़वाये क्यों
आच्छा भूण्डा सब भूल गये औरतां पै कहर ढवाये क्यों
क्यूबा के पूरे चौहतर खिलाड़ी गिणकै नै मरवाये क्यों
कै मण बीघै उतरी जिब यो थारे बारणे आगै गड़राया।।
4. रूस कै जिब घर घाले तो यो तालिबान लग्या प्यारा हे
इसमैं शक कड़ै किसे कै आतंकवाद खूंखार हत्यारा हे
इंका खात्मा होणा चाहिये दुनिया का इन्सान पुकारया हे
जनक आतंकवाद का इनै खत्म करण का बीड़ा ठारया हे
अमरीका यो खेल तेरा रणबीर सिंह कै साहमी आया।।









-157-

बोल बख्त के -आन्धा राम
राम अरदास मेरी सै गरीबां की तरफ लखावै न।।
भूखा क्यों सै काम करणिया खोल कै भेद बतावै नै।।
1. तरेपन साल आजादी के हमनै खूब कमाया देख
माट्टी गेल्यां हो माट्टी तीन गुणा नाज उगाया देख
गरीब झोंपड़ी भूल तनै महलां ज्योत जलाया देख
मजदूरां की मेहनत नै ताजमहल सजाया देख
ईमानदार आज भूखा मरता रोल कड़ै सुझावै नै।।
2. म्हारी मेहनत लूट-लूट किसनै पेट फुलाये आज
दारू सुल्फा प्यावण तांहि मन्दिर खूब बनाये आज
हजारां द्रोपदी लूटी जां कृष्ण मुरारी ना आये आज
कड़ै पड़कै सोग्या राम जी माणस गये जलाये आज
तेरे कहे बिना पता हिलै ना बदमासां नै हिलावै नै।।
3. अपने पायां खड़े होवां हमनै खूब जतन करे थे
सड़क स्कूल अस्पताल बनाये उगाये पेड़ हरे थे
मरने तै नहीं घबराए देश कै उपर खूब मरे थे
भगत सिंह राजगुरू सुखदेव फांसी तै ना डरे थे
आखिरी बन्दा टोहवै आजादी कदे हिसाब लगावैं नै।।
4. भारत बाजार भेंट चढ़ाया अमीरां का पेट भरया
ऐशो आराम किसनै चाहे देश मलिया मेट करया
महंगाई बढ़ा सारी चीजां का कई गुणा रेट करया
म्हारी इज्जत आत्म सम्मान बदेशी कैं भेंट करया
क्यों मंदिर पै लड़वा दिये रणबीर नै समझावै नै।।





-158-

पढ़ाई लिखाई व्यापार बणादी डब्ल्यूटीओ की सरकार नै।
या फीस गई गुणा बधा दी मारे म्हंगाई की रफ्रतार नै।।
1. स्कूल बक्से ना बक्से कालेज इस बढ़ती फीस के जाल तैं
कश्मीर तै केरल तक बींधे यो मांस तार लिया सै खाल तै
चारों कान्ही हाहाकार माचग्या इस आण्डी बाण्डी चाल तैं
जमा धरती कै मार दिये के तम वाकफ ना म्हारे हाल तै
एक चौथाई साधण जुटाओ कहवैं लूटो जनता लाचार नै।।
2. यूजीसी कटपुतली बणादी उल्टे नियम बणवाये जावैं
दो सी बीस फीस थी पहलम तेरां हजार भरवाये जावैं
दिल्ली यूनिवर्सिटी मैं सात हजार शुरू मैं धरवाये जावैं
बन्धुओ थारी बढ़ी फीस या लेगी खोस कै म्हारी बहार नै।।
3. दो हजार आटोनोमस कालेज पूरे भारत में चलाये सैं
नये कोर्स कम्प्यूटर बरगे इनके अन्दर ये खुलवाये सैं
इन कोर्सों के रूपये लाखां इन कालजां नै भरवाये सैं
गरीब बालक माखी की ढालां काढ़ कै बाहर बगाये सैं
युद्ध कान्हीं ध्यान बंटा कै चाहो बढ़ाना इस भ्रष्टाचार नै।।
4. विश्व बैंक के कहने पै बन्धुओ क्यों गोड्डे टेके तमनै
उनके फायदे खातर क्यों म्हारे फायदे नहीं देखे तमनै
सब्सिडी खत्म गरीबां की बर्बादी पै परोंठे सेके तमनै
जनता साथ जान बूझ कै ईब फंसा लिये पेचे तमनै
रणबीर सिंह की कलम बचावै देश की पतवार नै।।









-159-

देखां खड़े-खड़े
किसनै या कपास पीट दी हम देखां खड़े-खड़े।
उसे नै या जीरी पीट दी हम सोवां पड़े-पड़े।।
1. म्हारी कष्ट कमाई आंख्या के साहमी लुटगी
कपास और धान की खेती आज चौड़ै पिटगी
सब्सिडी म्हारी घटगी लागैं नेता सड़े-सड़े।।
2. बालक हांडै बिना नौकरी बिघन घणा होग्या
एक बेटे नै खाई गोली सहम ज्यान नै खोग्या
सुन्न भीतरला होग्या हाथ होगे जड़े-जड़े।।
3. बेटी रैहगी बिना ब्याही ये गोड्डे टूट लिये
बिना दहेज ब्याह कड़ै ये पसीने छूट लिये
सांड खुल्ले छूट लिये बुलध मारे बड़े-बड़े।।
4. मां बेटी औरत आज ये महफूज रही नहीं
समाज गया पाताल मैं आगै जावै कहीं नहीं
बदमाशी जा सही ना देखं रणबीर खड़े-खड़े।।















-160-

सुणले बहना
मेरा चालै कोण्या जोर हे, हमनै लूटैं मोट्टे चोर हे।
नहीं पाया कोए छोर हे, कटी पतंग की डोर हे
वे समझैं डांगर ढोर हे, लागै सै घणा घोटाला।।
1. म्हारा बोलना जुलम बतावैं, उनका बोलना हुकम बतावैं
ये सारे मुनाफाखोर हे, थमा कै धर्म की डोर हे
ये बनाते म्हारा मोर हे, न्यों सुहानी इनकी भोर हे
ऐश करैं डाकू चोर हे, मन सै इनका काला।।
2. ये भारत के पालन हार, बनगे चोरां के दावेदार
म्हारे पै टैक्स लगाते हे, बोलां तो खावण आते हे
काले नै सफेद बताते हे, चोरां की मौज कराते हे
ये लोगां नै जलवाते हे, भज कै राम की माला।।
3. म्हंगाई की मार कसूती हे, सिर म्हारा म्हारी जूती हे
फिलहाल घणा मन्दा हे, यो सिस्टम सै गन्दा हे
चलै म्हारे पै रन्दा हे, यो घलै कसूता फन्दा हे
क्यूकर जीवै बन्दा हे, हुया सै ढंग कुढ़ाला।।
4. रोटी रोजी सब भुलवाये, जात धर्म पै हम लड़वाये
ये नाग डसगे बेबे हे, ये गरीब फंसगे बेबे हे
ये शिकंजा कसबे बेबे हे, दो संसार बसगे बेबे हे
रणबीर पै हंसगे बेबे हे, करया सै मोटा चाला।।










-161-

स्वास्थ्य दिवस
सेहत दिवस सात अप्रैल का दुनिया मैं जावै मनाया रै।।
विकास की गलत राही बीमारियां नै हाहाकार मचाया रै।।
1. तनाव बढ़े तरां-तरां के मानवता थरथर कांप रही
खतरनाक हथियारां की दौड़ सबका बधा या ताप रही
उद्योग करैं प्रदूषण पैदा बढ़ दिलां की चाप रही
विकसित दुनिया उदारीकरण की क्यों माला या जाप रही
अमरीका नै सब सूधे करण का आज पूरा ठेका ठाया रै।।
2. बीस देश दुनिया के छियासी प्रतिशत साधन लेरे रै
मौज उड़ावै म्हारे दम पै न्यों भारत मैं गरीबी के डेरे रै
तरां-तरां की ये बधैं बीमारी हम दुख घणा खेहरे रै
उनके मुंह पै लाली चमकै म्हारे पीले पड़गे चहेरे रै
हमनै कहवैं जनसंख्या बधाली ज्यां यो संकट छाया रै।।
3. म्हारे साधनां पै कर कमब्जा भारतवासी बणा दिये बोड़े रै
उनकी लूट के कारण म्हारे देश के साधन पड़गे थोड़ै रै
म्हारे देश के अमीर घराने आज बणगे इनके घोड़े रै
भूख गरीबी जनसंख्या के भारत मैं ज्यां पड़गे भोड़े रै
म्हारी सेहत अर शिक्षा का इननै भट्ठा कति बिठाया रै।।
4. पचास साल राज करया उननै गलत रास्ते पै डाल दिये
मेहनत करी हम सबनै बंटवारे मैं घर घाल दिये
अपणी खातर अपोलो म्हारे तै खैराती अस्पताल दिये
दे कै लालच म्हारे बेटा बेटी अपणे रूखाले पाल दिये
रणबीर म्हारी सेहत नहीं बणै यो इसा खेल रचाया रै।।







-162-

सपना टूट गया
डॉक्टर बनूं पढ़ लिख कै यो मन का सपना मेरा।
मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।
1. मां बाबू अनपढ़ म्हारे घणे लाड प्यार तैं पढ़ाई
खेती मैं नहीं पूरा पाटै उल्टी सीधी ना कोए कमाई
धरती गहणे धरकै पढ़े दो बाहण एक भाई
मेहनत कर आगै बढ़िये मेरे तैं सीख सिखाई
दो भैंस बांध दूध बेचैं करजे का बढ़ता आवै घेरा।।
2. भाई नै एम ए करकै बी नहीं कितै नौकरी थ्याई
गाम मैं किरयाणे की फेर उसकी दुकान खुलाई
बड्डी बाहण बीएड कर बैठी घर मैं बिन ब्याही
मेरा पी एम टी टैस्ट मैं सत्तरहीं पोजीसन आई
काउंसलिंग खातर गई उड़ै दिया दिखाई झेरा।।
3. ठारा हजार म्हिने की पहले साल की फीस बताई
पसीना आया गात मैं धरती घूमती नजर आई
आंख्यां मैं आंसूं आगे फेर मां की तरफ लखाई
हाल क्यूकर ब्यां करूं मैं ना कलम मैं ताकत पाई
अपने दलाल बिठारया सै दीख उडै़ वर्ग लुटेरा।।
4. फीस देण की आसंग कोण्या मन मारकै आगी फेर
गाम मैं यकीन करैं ना बोले माच्या किसा अन्धेर
इस ढालां एक छोरी के ये सपने होगे देखो ढेर
सरकार मैं बैठे जितने ना कटावैं गरीबां की मेर
रणबीर न्यों बूझै ये बालक क्यूकर पढ़ावै कमेरा।।







-163-

छाती गुदा पै चर्चा होरी इन्सान चरचा मैं नहीं पाया।
कैंसर इलाज पै जोर था रोक पै बखत नहीं लागया।।
1. खाने की नली में कैंसर पै पहले दिन गैहटा तार दिया
संजय शर्मा और कोठारी चारों तरफ तै इपैं वार किया
एकाध फांचर ठोक आन मरया घणा उलटा सवाल ठाया।।
2. जेम्ज रूसनिस्की और कैयाव आये अमरीका जापान तै
घणे जोर कै लैक्चर दिये कुछ सोन्ते पाये थे ध्यान तै
नई तकनीक कई बताई कई सवालां पै हाथ हिलाया।।
3. कोए किसे अंग का माहिर करकै मेहनत खासा होग्या रै
पेनल डिस्टकस्सन कई हुए कई बातां का खुलासा होग्या रै
किततै चाल कित पहुंचगे डी सूजा नै सवाल घुमाया।।
4. कैंसर लाइलाज बीमारी ना फेर इलाज आसान कड़ै सै
उस घर की करै तबाही जिसमैं एक बर आन बड़ै सै
कान्फ्रैंस नै थोड़ा घणा पीजीआईएमएस का मान बढ़ाया।।
















-164-

एक बी पीस्सा
फरवरी पाछै दिया कोन्या एक बी पीस्सा म्हारे तैं।
एमडी बोल्या टोटा आग्या बताती साच्ची बात थारे तै।।
1. बड़े जतन करकै हमनै यो खेत बोया बाहया देख
गंडेरी बोई खेत म्हारे मैं कई बै कुण्बे नै नुलाया देख
छोल कै जाड्डे मैं ल्याया देख बुग्गी मांगी मुखत्यारे तैं।।
2. ये मिल के चक्कर काटे कई दिन मैं नम्बर थ्यावै था
कदे कम तोलैं कदे नुक्स किमै दम नाक मैं आवै था
रोटी टूक कड़ै भावै था जिब काम चालता उधारे तैं।।
3. पन्दरा हजार खड़े मिल मैं कोए अता पता देन्ता ना
बाली नेता म्हारा इस बात पै किसे नै बी सेहन्ता ना
सीएम दरखास्त लेन्ता ना बात करै घणे इशारे तैं।।
4. मिलकै सोचां कष्ट निवारण न्यों पार ना पड़ै म्हारी
मजबूत संगठन बणा अपणा पेमैंट लेवांगे सारी
किसानां नै दी किलकारी एमडी आज्या तलै चौबारे तैं।।















-165-

बैंक फंड व्यापार त्रिमूर्ति मिलकै खाल तारै म्हारी रै।।
इसके काटे घूमण लागरे गरीब नर और नारी रै।।
1. सिरकी घाल कै करैं गुजारा जिननै ताज महल बनाये
उनके बालक भूखे मरते जिननै जमकै खेत कमाये
तन पै उनके लत्ता ना जिननै कपड़े के मील चलाये
वे बिना दूध सीत रहते, जिननै डांगर खूब चराये
भगवान भी आन्धा कर दिया ना कितै दीखता भ्रष्टाचारी रै।।
2. जितना करड़ा काम म्हारा नहीं सम्मान उतना मिलता
दस नम्बरी माणस जितने उनका हुकम सारै पिलता
नकली फूल सजावैं देखो यो क्यों ना असली खिलता
कहैं उसके बिना आड़ै यो पत्ता तक नहीं हिलता
सबके उपर ध्यान नहीं उसका फेर किसा न्यायकारी रै।।
3. डांगर की कदर फालतू माणस बेकदरा सै संसार मैं
छोरे की कदर घणी सै छोरी धन पराया परिवार मैं
किसे जुल्म होण लागरे ये छपते रोज अखबार मैं
कति छांट कै इसनै चलाई महिला भ्रूण पै कटारी रै।।
4. इस व्यवस्था मैं मुट्टीभर तो घणे हो मालामाल रहे
इसा जाल पूर दिया इननै चला अपणी ढाल रहे
सोच कै बढ़ियो आगै नै ये माफिया काले पाल रहे
पुलिसिया और फौजी कर रणबीर इनकी रूखाल रहे
सही सोच कै संघर्ष बिना ईब जनता पिटती जारी रै।।









-166-

करजा
करजे नै कड़ तोड़ी म्हारी दिया पूरे घर कै घेरा।
एक औड़ गहरा कुआं दीखै यो दूजे औड़ नै झेरा।।
1. ट्रैक्टर की बाही मारै ट्यूबवैल का रेट सतावै
थ्रेसर की कढ़ाई मारै भा फसल का ना थ्यावै
फल सब्जी दूध सीत सब ढोलां मैं घल ज्यावै
माट्टी गेल्यां माट्टी होकै बी सुख का सांस ना आवै
बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों ओर अन्धेरा।।
2. निहाले धोरै रमूल तीन रुपइया सैकड़े पै ल्यावै
वो सांझ नै रमलू धोरै दारू पीवण तांहि आवै
निहाला करज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै
विरोध करया तो रोजाना पीस्यां की दाब लगावै
बैंक आल्यां की जीप का रोजना लागण लाग्या फेरा।।
3. बेटा बिन ब्याहया हांडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी
रमली रमलू न्यों बतलाये कट्ठी होगी मुसीबत सारी
खाद बीज नकली बिकते होगी खत्म सब्सिडी म्हारी
मां टी बी की बीमार होगी छाग्या हमपै संकट भारी
रोशनी कितै दीखती कोन्या छाया चारों कूट अन्धेरा।।
4. मां अर बाबू इनके नै जहर धुर की नींद सवाग्या
इनके घर का जो हाल हुया वो सबकै साहमी आग्या
जहर क्यूं खाया उननै यो सवाल कचौट कै खाग्या
आत्म हत्या ना सही रास्ता रणबीर सिंह समझाग्या
मिलकै सोचां क्यूकर आवै घर मैं सो नया सबेरा।।







-167-

सौ के तोड़ की
राजबाला बहुत दुखी है। जोगी से समाज के बारे में पूछती है। जोगी एक गीत सुनाता हैः-
चापलूसां का चारों कान्हि घणा जमघट होग्या रै।
घर में प्यार बच्चा कोन्या जमा मर घट होग्या रै।।
1. स्वार्थी कामचोरां की ईब लागी आड़ै लार दखे
हांडैं नशे के गुलाम हुये ये कई हजार दखे
टूटैं सैं परिवार दखे सूना पनघट होग्या रै।।
2. अफरा तफरी माची म्हारे मानव समाज मैं
आज महिला बेहाल हुई इस जंगल राज मैं
फंसाई पुराने रिवाज मैं जीने का संकट होग्या रै।।
3. माणस माणस नै खावै ऐसा चल्या रिवाज सै
पांच सितारा मैं जावैं बेची शर्म लिहाज सै
भूखा मरै समाज सै यो जीणा सिरकट होग्या रै।।
4. उपेक्षा तिरिस्कार का हुया आज ठाड्डा पाला रै
धोला पिटता हांडै सै राज करै धन काला रै
रणबीर सिंह नै दोष दें कहैं लम्पट होग्या रै।।













-168-

जाइये मनै बताकै
घसे कसूते दुःखी होरे सां देख मुरारी आकै।
अपणे हाथां क्यूं ना गेरता कुएं के मां ठाकै।।
1. देश दम म्हारे पै फल्या यो
अमीर घर दीवा बल्या यो
म्हारा सब किमै छल्या यो घिटी मैं गूंठा लाकै।।
2. तेरा चेला दुखड़ा ढोवै सै
मेहनत कर भूखा सोवै सै
तनै सारे कै टोहवै सै सोग्या अमीरां कै जाकै।।
3. तनै गरीब क्यों नहीं भाता
क्यों ना म्हारी तरफ लखाता
तूं कद खोलै म्हारा खाता जाइये मनै बताकै।।
4. बचया छिदा इन्सान आड़ै
सब देखै भगवान आडै़
घर होगे शमशान आड़ै रणबीर कथा सुणाई गाकै।।















-169-

जनता खाउ
 
  देश का नाश करै इस व्यापार बढ़ाना ना चाहिये।।
राजनीति नै ढावै इसा भ्रष्टाचार फैलाना ना चाहिये।।
सब पै रोब जमावै इसा थानेदार बिठाना ना चाहिये
लिंग भेद जो बढ़ावै इसा उपचार बताना ना चाहिए
गरीबी नै जो बढ़ावै इसा संसार रचाना ना चाहिए
औरत हक मांगै तो ईपै हाहाकार मचाना ना चाहिए।।
बराबरी नै जो ढावै इसा परिवार चलाना ना चाहिये
समाज नै जो भकावै इसा प्रचार कराना ना चाहिए
जो उल्टी सीख लावै इसा ब्यौहार सिखाना ना चाहिए
जात धर्म पै जो बांटै इसा बुखार चढ़ाना ना चाहिए।।
म्हारी जड़ां नै काटे इसा हथियार उठाना ना चाहिए
करै फर्क छोरा छोरी मैं इसा घरबार बनाना ना चाहिए
दरार करदे रै जो पैदा इसा त्यौहार मनाना ना चाहिए
पैदा करै डर भारया इसा अधिकार जताना ना चाहिए।।
जो साची नहीं गावै इसा फनकार बुलाना ना चाहिए
जो महिला नै सतावै इसा भरतार सराहना ना चाहिए
म्हारे खेत नै खावै इसा पहरेदार बिठाना ना चाहिये
जिस पै शर्म आवै इसा इश्तिहार लगाना ना चाहिए।।










-170-

जागी महिला हरियाणे की
करकै कमाल दिखाया सै, यो घूंघट तार बगाया सै,
खेतां मैं खूब कमाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
1. देश की आजादी खातर अपणी ज्यान खपाई बेबे
गामड़ी सांघी खिडवाली मैं न्यारी रीत चलाई बेबे
लिबासपुर रोहणात मैं बहादरी थी दिखलाई बेबे
अंग्रेजां तै जीन्द की रानी गजब करी लड़ाई बेबे
अंग्रेजां का भूत बनाया, यो सब कुछ दापै लाया,
देश आजाद कराणा चाहया जागी महिला हरियाणे की।।
2. देश आजाद होये पाछै हरित क्रांति ल्याई बेबे
खेत क्यार कमावण तै कदे नहीं घबराई बेबे
डांगर ढोर की सम्भाल करी धार काढ़ ल्याई बेबे
घर परिवार आगै बढ़ाये स्कूलां करी पढ़ाई बेबे
हरियाणा आगै बढ़ाया सै ,सात आसमान चढ़ाया सै,
गुण्डयां का जुलूस कढ़ाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
3. हमनै गाम बराहणे मैं दारू बन्दी पै गोली खाई सै
खेलां के मैदानां मैं जगमति सांगवान खूबै छाई सै
सुशीला राठी बड्डी डॉक्टर हरियाणे की श्यान बढ़ाई सै
नकल रोकती बाहण सुशीला जमा नहीं घबराई सै
चावला नै नाम कमाया सै, महिला का मान बढ़ाया सै
यो रस्ता सही दिखाया सै, जागी महिला हरियाणे की।।
4. संतोष यादव बाहण म्हारी करकै कमाल दिखाया हे
सुमन मंजरी डीएसपी पुलिस मैं नाम कमाया हे
सांगवान मैडम नै बिमल जैन तै सबक सिखाया हे
नवराज जयवन्ती श्योकन्द जीवन सफल बनाया हे
ज्योति अरोड़ा सरोज सिवाच प्रशासन खूब चलाया हे
ये आगै बढ़ती जारी बेबे, करकै कमाल दिखारी बेबे
रणबीर मान बढ़ारी बेबे, जागी महिला हरियाणे की।।


-171-

बम्बई
कोठा बंगले अर भूखे कंगले बम्बई की तसबीर भाई रै।
मेहनत करता वो भूख मरता दुनिया की तकदीर भाई रै।।
1. समुद्र किनारा शहर प्यारा इसतै आच्छी बात नहीं सै
महल अट्टारी बनती जारी बिन पीस्से औकात नहीं सै
पीस्सा ईमान हुया भगवान रही माणस की जात नहीं सै
इनसान मशीन करले यकीन फुरसत दिन रात नहीं सै
होटल आलीशान ये बढ़ावैं मान मनै सही तदबीर लड़ाई रै।
2. शिवसेना भाई उड़ै छाई बदमाशी का कोए औड़ नहीं
माफिया राज बताया आज इसका कहैं कोए जोड़ नहीं
फिल्मी सितारे टोर बनारे राजकुमार तै घणी मरोड़ नहीं
सारी बात मिलै फुटपाथ छत नीचे कई करोड़ नहीं
हुया हैरान मैं करूं बखान परेशान चलता राहगीर भाई रै।।
3. परिन्दा नया टोहलें एक पल मैं जेब साफ करैं
उपर नीचे नीचे उपर पीस्सा बांट कै इन्साफ करैं
करैं हद बन्दी और पाले बन्दी ना दूजे नै माफ करैं
बड़े घराने शाही खजाने लूट का हाफ-हाफ करैं
नजर आवै इनै कोन छिपावै जो लूट अमीर मचाई रै।।
4. घणी लम्बाई और चौड़ाई इस शहर बम्बई की रै
उंची इमारत और तिजारत मशहूर शहर बम्बई की रै
फुटपाथ बतावैं शर्त लगावैं बड्डी शहर बम्बई की रै
ठगी बतावैं किस्से सुनावैं नामी शहर बम्बई की रै
सुण कमल या कहै अमन या लिखै रणबीर कतिवाई रै।।







-172-

चिट्ठी
चिट्ठी आई सै बदायूं तै मेरे दोनों बेटे मार दिये।
राम मंदिर के झंझट नै लोगां पै कसूते वार किये।।
1. हिन्दू मुस्लिम का धुर तै बदायूं मैं भाई चारा था
कट्ठे खावैं खेलैं मिलकै मुस्लिम नै हिन्दु प्यारा था
बहू बेटी बरोबर सबकी शहर का अजब नजारा था
यो झंझट याद नहीं था म्हंगाई का बुलन्द सितारा था
रेलगाड़ी पै हमला बोल दिया हिस्से धड़ के चार किये।।
2. म्हउ रतलाम जलण लागरे माणस देश के तंग होगे
बिना बात के रास्से मैं हिन्दू मुस्लिम के जंग होगे
मुल्ला पंडे और पुजारी ये जमा उघाड़े नंग होगे
फिरका परस्ती चला दई देश टूटण के ढंग होगे
बालक औरत मरे बिचारे कर दुखी नर नार दिये।।
3. फेर कहैं मोहम्मद खां नै भारत तै कोए प्यार नहीं
कुणबा घाणी कर दी मेरी आड़ै किसे का इतबार नहीं
जाउं तो जाउं कित मैं और कितै तो घरबार नहीं
पींडी कापै डर लागै सै पावै मनै मददगार नहीं
हर हर महादेव के नारे त्रिशूल सभी नै धार लिये।।
4. सन सैंतालीस मैं बाप मेरा दंग्यां नै छीन लिया
रोटी लत्ता मिल्या नहीं था इसा मेरी दीन किया
दर-दर ठोकर खाउं था खोस मेरा यकीन लिया
देश छोड़ परेदश मैं आग्या गात बना मशीन दिया
रणबीर सिंह पूछै हटकै कर क्यों अत्याचार दिये।।







-173-

जवाब अमन का
लाउं चौथा गेर करूं फेर बम्बी जान की तैयारी रै।
पापी पेट यो मारै चपेट होवै कुणबे की लाचारी रै।।
1. दाल, फ्राई मिलती भाई घणी लाम्बी दूरी होज्या सै
खावैं ढेरे शाम सबेरे नींद म्हारी जमा खोज्या सै
राह सुनसान करै परेशान ताप कदे जूरी होज्या सै
एकशल टूटै किस्मत फूटै बाट देश नूरी सोज्या सै
घणा घबराउं किन्नै बताउं उड़ै पानी मिलै सै खारी रै।।
2. चुंगी आला कहै साला बीस तरां की बात बणावै
पुलिस सतावै पीस्से खावै डण्डे का या रोब जमावै
कमर दूखै कालजा सूखै न्यांे गाड़ी के खाक चलावै
डाकू लुटेरे सांप बघेरे दुख मैं दारू साथ निभावै
इसका चस्का करदे खस्ता जणो हारया औड़ जुआरी रै।।
3. रोंद मचावै तांेद छिपावै मालिक लेवै सै पूरे ठाठ रै
कड़ टूटै परिवार छूटै तनखा मिलै तीन सौ साठ रै
बढ़ै म्हंगाई करै तबाही खर्चा हो सोला सौ आठ रै
रात अन्धेरी देवै घेरी हनुमान का करता मैं पाठ रै
ड्राइवर मनता बनियो इतना समझ पाया मैं वारी रै।।
4. पैंचर होज्या चाबी खोज्या जंगल मैं रात बिताउं मैं
ट्रक उलटै पासा पल्टै मुश्किल तैं ज्यान बचाउं मैं
मेरा कसूर बण्या दस्तूर चाहे अपनी राही जाउं मैं
सुण कमल कहै अमन तनै दिल खोल दिखाउं मैं
लिखै रणबीर मेरी तहरीर देहली पै खड़ी बेरोजगारी रै।।








-174-

जवाब तै सबक सीख कै चाहिये असली मांग ठाणी रै।
किसानी कै पूंछ धरम की करगी भाई कुणबा घाणी रै।।
1. लोंगोवाल का कतल हुया न्यों मोटा चाला होग्या था
कई हजार सिख मार दिये न्यों ढंग कुढ़ालाहोग्या था
नफरत फैली सारे देश मैं न्यों मन काला होग्या था
रोज मासूम जावैं मारे यो मिलण का टाला होग्या था
अमरीका का मुंह काला होग्या था डाण्डी मारी सै काणी रै।।
2. हरियाणे मैं दो काम करे हरित क्रांति जिब तै आई सै
साधन आला तै खूब चढ़ाया चेहरे पै लाली छाई सै
बिन साधन आला मार दिया म्हंगाई नै रेल बनाई सै
बेराजगारी बधी सुलफा दारू गाभरू चाल्या उल्टी राही सै
पुलिस अफसर मंत्री कई सैं भरैं गुण्डयां का पाणी रै।।
3. मेहनतकश की सही मांगां तै इनका कोए सरोकार नहीं
लावैं पूंछ पंजाबी लोकल की समझै म्हारी सरकार नहीं
मारे जावां हरियाणे मैं बी जो रहे हम खबरदार नहीं
बिना बात मारकाट होवैगी हिलै लूट का दरबार नहीं
गरीब की या मददगार नहीं सै व्यवस्था माणस खाणी रै।।
4. म्हारी हुश्यारी बिना कदे लीलो का चमन उजड़ज्या
अपणे कारज साधन नै देवर कदे हमनै छोड़ डिगरज्या
चांदकौर कहै सुणिये मेरी कदे सारा खेल बिगड़ज्या
लाल किले का सपना म्हारा कदे माट्टी म्हें रूलज्या
रणबीर सिंह चाहे नाड़ उतरज्या लिखै नहीं राजा राणाी रै।।







-175-

दसमी
दसमीं तांहि का स्कूल आगै क्यूकर करूं पढ़ाई मैं।
मां तै चाहवै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।
1. मां बोली आज जमाने मैं बिना पढ़ाई कोए बूझै ना
शहर मैं क्यूकर खंदाउं राही मनै कोए सूझै ना
मां की देख कै नै लाचारी दिल मैं घणी घबराई मैं।।
2. बाबू बोल्या बुरा जमाना शहर ठीक नहीं सै जाणा
उंच-नीच कोए हो ज्यागी तै हो ज्यागा मोटा उल्हाणा
क्यूकर मनाउं मेरे बाबू नै इस चिन्ता नै खाई मैं।।
3. मैं बोली माहौल गाम का शहर तै आज न्यारा ना
डरकै घर मैं बड़गे तो हुवै आज यो गुजारा ना
पढ़ण तै ठावै मतना मरज्यां मौत बिन आई मैं।।
4. पांच सात दिन पाछै बाबू नै मुंह अपणा खोल्या
डर लागै बहोत घणा बेटी आंख्यां पाणी ल्या बोल्या
रणबीर दिल तै चाहूं सूं करना तेरी सगाई मैं।।















-176-

सैमण गाम
महम तहसील का गाम बताया सैमण उसका नाम कहै।
पांच हजार किल्ले धरती जाटां का असली गाम कहैं।।
1. छत्तीस जात बसैं उड़ै अपणे दुःख सुख बांटैं सैं
कदे हंसकै कदै लड़कै अपणे दिनां नै काटैं सैं
मुश्किल तै दिल डाटैं वे ना थ्यावैं पूरे दाम कहैं।।
2. छुआछूत कुछ कम होग्या पूरे बन्धन ये टूटे ना
जातपात गोत नात के रिवाज जमा बी छूटे ना
पाप के घड़े फूटे ना बाट देखते सुबो शाम कहैं।।
3. पहलम आला प्यार मुलहाजा ना दीखता किसे घर मैं
मां बाहन और बेटी सांस लेवन्ती आज घणे डर मैं
इस मातृत्व के सिर मैं लावैं झूठा इल्जाम कहैं।।
4. टी वी ब्लयू फिल्म आज ये करते नंगेपन का प्रचार
सही गलत और गलत सही चलाया जुलमी कारोबार
रणबीर सिंह करता तैयार सुणल्यो नया पैगाम कहैं।।















-177-

सुणियो ईब कथा सुणाउं, खोल कै सारी बात बताउं।।
साच कैहन्ता ना शरमाउं, पंचायतां की रेल बनाई।।
1. धरे ढके कै हाथ ना लाइये बाकी बहू यो घर तेरा
धरे ढके कै हाथ ना लाये बिन यो क्यूकर सै घर मेरा
पंचायती राज का खोल सै, इसमैं होरी घणी रोल सै
बिना बजट सब गोल सै, पंचायतां की रेल बणाई।।
2. मैम्बर पंचायत बणी सरपंच मीटिंग बुलावै ना
कारवाई रजिस्टर चाहूं देखणा नपूता दिखावै ना
ग्राम सभा पढ़ण बिठादी झूठी मीटिंग हुई दिखादी
साइन करवा हुई बतादी, पंचायतां की रेल बणाई।।
3. अफसर भी म्हारे डूब गये देखती आंख्यां माखी खावैं
गाल पक्की जिब हुई नहीं तो क्यों हुया खरच बतावैं
बी डी ओ की हिस्सा पत्ती सै, सरपंच तै इनकी बत्ती सै
गाम मैं आवै मास्सा रत्ती सै, पंचायत की रेल बणाई।।
4. चौधर के भूखे सरपंची के ये दावेदार बणे देखो
सुलफे तै फुरसत ना आप्पे मैं थानेदार बणे देखो
गालां की सुध नहीं लेवैं ये, बैठे बस थूक बिलौवें ये
रणबीर के ताकू चभौवैं ये, पंचायतां की रेल बणाई।।













-178-

देश आजाद हुया था सैंतालीस मैं साल पचास बीत गये।
उनके बांटै दूध मलाई म्हारे करमां मैं बता सीत गये।।
1. धनवानां के बिल्ली कुत्ते म्हारे तै बढ़िया जीवन गुजारैं वे
बिना भोजन कुपोषण होग्या म्हारै खा-खा के घणे डकारैं वे
हमनै कैहकै नीच पुकारैं वे घणी माड़ी चला रीत गये।।
2. जमीन आसमान का अन्तर किसनै आज म्हारे बीच बणाया
खेत कमावां सारी उमर फेर बी सांस ना उलगा आया
सोच-सोच कै सिर चकराया सै वे क्यूकर पाला जीत गये।।
3. तरक्की करी हरियाणे मैं अपणा खून पसीना बाहकै रै
उफपर ले तो फायदा ठागे हम बाट देखते मुंह बाकै रै
देखे चारों कान्ही धक्के खाकै रै मिल असली मीत गये।।
4. तीनों नकली लाल हरियाणे के उनतै यो सवाल म्हारा रै
गरीब क्यों घणा गरीब होग्या अमीर का भरग्या भंडारा रै
असली लाल प्रभात प्यारा रै रणबीर बणो ये गीत गये।।















-179-

प्रजातंत्र
लागी दिल पै चोट, लेगे जात पै वोट
बंटे साथ मैं नोट, यो प्रजातंत्र का खोट
ले गरीबी की ओट, अमीर खेले धन मैं।।
1. नाम जनता का लेवैं सैं, अमीरां के अण्डे सेहवैं सैं
बतावैं माणस का दोष, कहैं या व्यवस्था निर्दोष
ये बुद्धि लेगे खोस, इसे करे हम मदहोस
ना आवै कोए रोष, सोचूं अपणे मन मैं।।
2. ये साधैं सै हित अपणा, ना करैं ये पूरा सपना
जितने बैठे मुनाफा खोर, सबसे बड़े डाकू चोर
सदा सुहानी इनकी भोर, ना पावै इनका छोर
थमा जात धरम की डोर, फूट गेर दी जान मैं।।
3. कुर्सी खातर रचते बदमाशी, ना शरम लिहाज जरा सी
पालतू इनकी हो सरकार, ना जावै कहे तै बाहर
गरीबां की कहै मददगार, लारे दिये कई बार
ईब रहया नहीं ऐतबार, इस गदरी बन मैं।।
4. स्कूली किताबां पै तकरार, गन्दा साहित्य बेसुमार
सबको शिक्षा सबको काम, आजादी पै दिया पैगाम
सत्तर अनपढ़ बैठे नाकाम, तीस के ये लगते दाम
ना पढ़ते करैं बदनाम, आग लागरी तन मैं।











-180-

नया दौर
आस बंधी भोर हुई सै शोषण जारी रहै नहीं।
लोकलाज तै राज चलै ईब रिश्वत भारी रहै नहीं।।
1. रिश्वतखोर मुनाफाखोर की स्वर्ण तिजूरी नहीं रहै
चेहरा सूख मरता भूखा इसी मजबूरी नहीं रहै
गरीब कमावै उतना पावै बेगार हजूरी नहीं रहै
शरीफ बसैंगे उत मरैंगे झूठी गरूरी नहीं रहै
फूट गेरो राज करो की या महामारी रहै नहीं।।
2. करजे माफ हो ज्यांगे साफ, चालैगा दौर कमाई का
बेरोजी भत्ता कपड़ा लत्ता हो प्रबन्ध दवाई का
पैंशन होज्या सुखतै सोज्या मौका मिलै पढ़ाई का
जच्चा-बच्चा होज्या अच्छा हो सम्मान लुगाई का
मीठा पाणी चालै नल मैं पाणी खारी रहै नहीं।।
3. भाईचारा सबतै न्यारा कोए नहीं धिंगताणा हो
बदली खातर ठाकै चादर ना चण्डीगढ़ जाणा हो
हक मिलज्या घी सा घलज्या सबका ठोर ठिकाणा हो
वोट दिये और नोट दिये इसा सिस्टम मिटाणा हो
हम सबनै नारा लाया सै भ्रष्टाचारी रहै नहीं।।
4. पड़कै साज्यां चाले होज्यां कोण्या कुछ भी होवैगा
माथा पकड़ कै भीतर बड़कै भाई बूक मारकै रोवैगा
इसा मदारी रचै हुश्यारी हमनै बेच कै सोवैगा
चोकस रहियो मतना सोइयो काटै उसे जिसे बोवैगा
रणबीर सिंह बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं।।






-181-

भाभी
बण ठण कै भाभी री तनै करी कित जाने की तैयारी।
लक्ष्मी सहगल रोहतक आवै उड़ै होगा जलसा भारी।।
1. जलसे और जलसूां मैं बीर का जाणा ठीक नहीं
खानदान कै बट्टा लागै इसा कदम उठाणा ठीक नहीं
शहर की सड़कां उपर थारा नारे लाणा ठीक नहीं
बालक रूलज्यां गाला मैं रहै पीणा खाणा ठीक नहीं
बात मानिये भाभी मेरी घर मैं मतना दिये बुहारी।।
2. देवर कान खोल कै सुनिये साची बात बताउं मैं
मरदां बराबर खड़ी हुई औरत तनै दिखाउं मैं
रानी झांसी लड़ी जंग मैं तनै याद दिवाउं मैं
प्यारे बोस की सेना मैं ताप तलवार चलाउ मैं
कैप्टन हिन्द फौज की सहगल म्हारे शहर मैं आरी।।
3. हरियाणे मैं सुण भाभी इसा रिवाज रहया नहीं सै
घर तै बाहर लिकड़ कै इसा काम करया नहीं सै
मरद की शरण बिना री तनै कदे सरया नहीं सै
बीर मरद बराबर दोनों मंजूर मंन नै करया नहीं सै
थारी बराबरी नाश करैगी मनै याहे चिंता खारी।।
4. न्याय युद्ध मैं तूं क्यों ट्रैक्टर भरकै ले जावै था
तेरा यो घरबासा बतादे किस तरियां डट पावै था
आगै होकै क्यों म्हारे पै तूं नारे खूब लवावै था
आज मनू याद आया जिब ना जिकर चलावै था
भाभी जावैगी जलसे मैं रणबीर की कलम पुकारी।।






सरोज तेरी लाश देख कै मेरा कालजा मुंह नै आया।
पंखा क्यूकर काल हुआ मेरे दिमाग नै चक्कर खाया।।
1. मां बेटी दोनूं पलंग उपर थी शान्त चित पड़ी हुई
पंखा टिक्या सिरां उपर पंखड़ी उसकी खड़ी हुई
चादर उपर खून फैलग्या झाग नाशां मैं अड़ी हुई
दुख और भय की रेखा थी चेहरयां पै जड़ी हुई
सोचूं घालूं क्यूकर सांस थारै नहीं रास्ता कोए पाया।।
2. चालकै उड़े तै देखे जसबीर स्मारक मैं आया फेर
पंखे गेल्यां क्यूकर घटी घटना जोड़ तोड़ लाया फेर
एक्सीडैंट और कतल का सारा हिसाब लगाया फेर
कतल हुया सरोज तेरा सोच कै सिर चकराया फेर
छोड़ सारे काम बैठ ग्या तेरा चेहरा आंख्यां में छाया।।
3. सरोज तेरा कतल करकै प्रेम तनै मार ना पाया
उसनै अपना असली चेहरा आज तलक छिपाया
वहशी दरिन्दा भीतर का आज सबके साहमी आया
थारी जुबान बन्द करकै ईब के उस पापी कै थ्याया
मौत कबूल करी तनै पर ना उल्टा कदम हटाया।।
4. मनै बेरा घणे कष्ट सहे घर अपणे मैं रोज तनै
घर कै भीतर बाहर संघर्ष करया सै सरोज तनै
याणी उम्र मैं कठिन रास्ता लिया कैसे खोज तनै
आंगनवाड़ी महिलाओं की करदी तैयार फौज तनै
संघर्ष करते-करते जीने का तनै सबक पढ़ाया।।
5. हरियाणे मैं पहली बार महिला अर्थी कान्धिया होगी
तेरी अर्थी बी बीज बदल के या आखिरी दम पै बोगी
ज्यान समाज बदलन खातर याणी सी उम्र मैं खोगी
हमनै जगाकै क्यों जाकै तूं शमशान घाट में सोगी
आग मैं जलकै सरोज तेरी या कुर्बान होगी काया।।
6. हट-हट शक्ल याद आवै जण खड़ी हो साहमी आकै
कइयां आगै कही कहाणी नील गात कै दिखलाकै
कर संघर्ष सहज सहज पहोंची शिखर पर जाकै
आकै संघर्ष जिन्दाबाद बोलै तों अपणा हाथ उठाकै
पेटा कोण्या भरता म्हारा मन बहोत घणा समझाया।।

-183-

भाजपा के एक साल के राज के दौरान सुरक्षा की स्थिति बहुत खराब रही। कई हजार कतल हुए जितने पहले कभी नहीं हुए थे । क्या बताया भला:
एक साल के राज मैं कतल अड़तीश हजार होगे रै।
म्हारे देश के लोग आज बहोत घणे लाचार होगे रै।।
1. उत्तर प्रदेश नै पहला देखो नाम कमाया इसमैं
दूसरा नम्बर दिल्ली का गया आज बताया इसमैं
पत्रकार कई मारे गये नहीं झूठ भकाया इसमैं
नेतावां का हाथ कत्लां मैं खुल कै दिखाया इसमैं
प्रशासक भी पत्थर दिल आज बेशुमार होगे रै।।
2. बम्बई मैं बीजेपी शिव सेना दोनों करती राज देखो
पांच सौ दस डकैती होई हजारां धोखे के काज देखो
चोरी बारा हजार होई ठाकरे पूरा करै नाज देखो
गुलशल के सिर के उपर चौड़ै गिरता गाज देखो
इसे चाले करकै क्यूकर वोटां के हकदार होगे रै।।
3. कलकत्ते मैं सबतै घाट ये सन् ठानवै के साल मैं
कुल अस्सी कत्ल हुए बताये एक सर्वे फिलहाल मैं
कानून की हालत काबू मैं बताई पूरे ही बंगाल मैं
फेर भी भाजपा आच्छी क्यूकर बताओ थारे ख्याल मैं
खोखला कर देश दिया भूखमरी के आसार होगे रै।।
4. म्हारी देश सुरक्षा पै खतरा आज घणा मंडराया सै
विष्णु भागवत काढ़ दिया जिनै देश बचाणा चाहया सै
फौज मैं पाड़ ला दिया दीखै सुणकै सिर चकराया सै
हाहाकार देश मैं गरीब पै साध कै तीर चलाया सै
रघबीर जो छन्द घड़ै गरीबां के हथियार होगे रै।।






-184-

सुणिए करकै ख्याल बेटा, जणकै आवै मलाल बेटा।
खड़या करया जंजाल बेटा, होन्ता ए क्यू ना मरग्या रे।।
1. ना करी पढ़ाई पूरी तनै नहीं हुनर कोए सीख्या बेटा
तीन किले धरती म्हारे पै तनै कौण सहारा दीख्या बेटा
दिन दूनी बढ़ज्या म्हंगाई, गरीबां पै चढ़ज्या करड़ाई
म्हारी किस्मत पढज्या अन्याई, मेरै चोड़ै कै म्हां जरग्या रै।।
2. पां कै पां भिड़ान्ता हांडै, करण नै कोए काम नहीं सै
तेरी करतूत देख कै लागै तूं असल का जाम नहीं सै
रोज उल्हाणा आवै सै तेरा, दुनिया सिर खावै सै मेरा
मन उल्टा जावै सै तेरा, जी तेरी औड़ का भरग्या रै।।
3. कित धरूं कित ठाउं तनै चिन्ता नै मैं खाई देख
बुरा जमाना आग्या सै रही ना जमा बी समाई देख
इबतै ले ले सम्भाला तूं मतना करै कर्म कुदाला तूं
कुबध का कर दे टाला तूं, क्यों सच्चाई तै डरग्या रै।।
4. कमल जिसा दोस्त तेरा, फेर बी अक्ल ना आई तनै
अच्छाई ना सीखी उसपै, सीखी किततै ये बुराई तनै
मैंन चिन्ता खागी तेरी, नहीं किस्मत जागी तेरी
नहीं नौकरी लागी तेरी, यो भगवान कड़ै डिगरग्या रै।।












-185-

लिए कर्ज के मैं डूब, हमनै तिरकै देख्या खूब,
ना भाजी म्हारी भूख, लुटेरयां नै जाल बिछाया, हे मेरी भाण
1. ज्यों-ज्यों इलाज करया मर्ज बढ़ग्या म्हारा बेबे
पुराने कर्जे पाटे कोण्या नयां का लाग्या लारा बेबे
झूठे सब्जबाग दिखाये, अमीरां के दाग छिपाये
गरीबां के भाग लिवाये, कर सूना ताल दिखाया, हे मेरी भाण
2. विश्व बैंक चिंघाड़ रहया घरेलू निवेश कम होग्या
म्हंगाई ना घटती सखी, गरीबी क्यों बढ़ती सखी
जनता भूखी मरती सखी, नाज का भण्डार बताया हे मेरी भाण
3. जल जंगल और जमीन खोस लिए म्हारे क्यों
सिरकै उपर छात नहीं दिए झूठे लारे क्यों
आदिवासी तै मार दिया, किसानां उपर वार किया
कारीगर धर धार दिया, बेरोजगारी नै फंख फैलाया, हे मेरी भाण
4. इलाज करणिया डाक्टर बी खुद हुया बीमार फिरै
सुआ लवाल्यो सुवा लवाल्यो करता या प्रचार फिरै
होगी महंगी आज दवाई, लुटगी सारी आज कमाई
रणबीर सिंह बात बताई, खोल कै भेद बताया, हे मेरी भाण













-186-

सुणले करकै ख्याल पिया, ये गुजरे हजारां साल पिया।
सिंधु घाटी का कमाल पिया, यो गया कडै लोथाल पिया।
क्यों होगे हम कंगाल पिया, खोल कै भेद बतादे नै।।
1. चरक सुसुरता जिसे सर्जन हिन्दुस्तान का नाम करया
जीवाका वााग भट्ट जिसे डाक्टर बढ़िया सा काम करया
ब्रह्मगुप्त नै हिसाब पढ़ाया, आर्य भट्ट नै शून्य सिखाया
नालन्दा नै राह दिखाया, तक्षशिला साथ कदम बढ़ाया
तहलका चारों धाम मचाया, ये गए कड़ै समझादे नै।।
2. ढाका की मलमल म्हारी, जिसका कोए जोड़ नहीं था
ताज के कारीगर छबीले, जिनका कोए तोड़ नहीं था
हमनै सबको सम्मान दिया, सह उनका अपमान लिया
ग्रीक रोमन को स्थान दिया, अंग्रेजां का गुणगान किया
इननै म्हारा के हाल किया, या सही तसबीर दिखादे नै।।
3. ब्यौपारी बण कै आए वे बण बैठे राजा देश के रै
लूट कै लेगे धनमाल सारा बोगे बीज क्लेश के रै
फिरंगी का न्यों राज हुया, चील का बैरी बाज हुया
सारा क्यों खत्म साज हुया, क्यों उनके सिरताज अुया
क्यों इसा कसूता काज हुया, थोड़ा हिसाब लगादे नै।।
4. चम्पारण डाण्डी उठ लिए लाहौर मेरठ पीछे रहे नहीं
तेलंगाना मैं मची लड़ाई बहादुर किसी से डरे नहीं
फिरंगी देश से चल्या गया, देसी बिन बात मल्या गया
धर्म जात पै छल्या गया, धुन गेल्यां गेहूं दल्या गया
क्यों जाल इसा बुण्या गया, रणबीर सै लिखवादे नै।।







-187-

मरघट का मसूल
मतना लाओ वार सखी, हो जाओ तैयार सखी।
ठाल्यो तम हथियार सखी, लड़नी आज लड़ाई हे।।
1. गांव, गली, शहर, कुचे मैं इज्जत म्हारी महफूज नहीं
अत्याचार होते रोजाना करता कोए महसूस नहीं
नहीं लड़ाई आसान सखी चहिए युद्ध घमासान सखी
मारे जां शैतान सखी बची नहीं समाई हे।।
2. रूढ़िवादी विचार क्यों देखो बनके ये दीवार खड़े
कहने को होते देखो ये यहां बढ़िया प्रचार बड़े
दुश्मन गेरता फूट सखी, ऐसे मचाए लूट सखी
अब तुम जाओ उठ सखी, सही ना जा पिटाई हे।।
3. मातृ श्ािक्त कहने वाले आज कहां पर चले गए
अबला सबला कह कर अरमान, हमारे छले गए
नहीं सहें अपमान सखी, पायें हम सम्मान सखी
चले ऐसा अभियान सखी, डंके की चोट बताई हे।।
4. जीना है तो लड़ना होगा, संघर्ष हमारा नारा बहना
संगठन बना के कदम बढ़ाएं, दूर नहीं किनारा बहना
अब तो उंचा बोल सखी, झिझक ले अपनी खोल सखी
जाए दुश्मन डोल सखी, रणबीर अलख जगाई हे।।











-188-

यो बख्त फागण का आग्या, जोश मेरे गात मैं छाग्या।
मनै यो जान्ता जाड़ा भाग्या, देखूं तेरी बाट पिया।।
1. सांझै लुगाई कट्ठी होज्यां सैं, म्हां बीच कै ताने देज्यां सैं
तेरे बिन कोए फाग नहीं, आच्छा लागै कोए राग नहीं
मेरे बरगा कोए निरभाग नहीं, सबकी ओटूं डाट पिया।।
2. तेरी फौज मेरी ज्यान का गाला, अफसर तेरा सै घणा कुढाला
मैं भेज द्यूंगी तार फौजी, ना करिये जमा वार फौजी
भली मिली तनै नार फौजी, नहीं किसे तैं घाट पिया।।
3. दुलहन्डी दोनों मिलकै खेलांगे, दुख दरद हम सब झेलांगे
घणा बुरा जमाना आरया सै, माणस नै माणस खारया सै
चमन मैं धुमां छारया सै, इसनै आकै छांट पिया।।
4. सास बहू हम मिलकै रहवां, हाथ जोड़ बस इतना कहवां
करिए थोड़ा सा ख्याल तूं, हो ल्याइये लाल गुलाल तूं
ले लिए म्हारी सम्भाल तूं, करै रणबीर ठाठ पिया।।
















-189-

सुणले करकै ख्याल बाबू, साचा कहती हाल बाबू
रैहगे सूने ताल बाबू, पढ़ण कोण्या पाई मैं।।
1. चारों तरफ अंधेरा दीखै जमाना घणा बदल गया
नई खोज होवैं रोजाना साइंस का हो दखल गया
नई खोज साइंस करले बढ़ इसका दखल गया
मैं घणी पछताउं बाबू, साची बात बताउं बाबू
हटकै पढणा चाहूं बाबू, करल्यूं कला सवाई मैं।।
2. अस्पताल मैं धक्के खाये दवाई का बेरा पटता ना
डॉक्टर मनै धमकादे सै मरज मेरा तो घटता ना
आवै याद पढ़ाई बाबू, डॉक्टर नै सताई बाबू
रैहगी बिना दवाई बाबू, जिन्दगी पड़ी खटाई मैं।।
3. रोहतक जाकै चीज खरीदूं ना बेरा चालै मोल का
दो सेर का डेढ़ मिलै नहीं बेरा पाटै तोल का
मनै डर सतावै बाबू, हिसाब नहीं आवै बाबू
मेहनत लुट ज्यावै बाबू, डांगर हांडैं कमाई मैं।।
4. टेम रहै ना पढ़ना चाहूं आज करिये ना इनकार जमा
मां नाटै उसनै मनाइये रणबीर सिंह मेटै तकरार जमा
  तेरी बेटी चाहवै बाबू, मतना दिन दुखावै बाबू
  पढ़कै तनै दिखावे बाबू, बेरा पटै असनाई मैं।।













-190-

घड़ा भर लिया पाप का एक दिन फूटैगा जरूर।
मेहनतकश पड़ कै सोग्या कदे तो उठैगा जरूर।।
1. पगडंडी की राज भवन तै आज खुलकै तकरार ठनी
गरीब की गर्दन के उफपर आज नंगी तलवार तनी
अमीरी जालिम हर बार बनी एक दिन टूटैगा गरूर।।
2. महलां मैं रहै उजाला म्हारे घर मैं काली रात रहै
जनता भोली सड़कां उपर गुण्डागर्दी की लात सहै
जो नहीं साची बात कहै कदे धूल चाटैगा जरूर।।
3. बिके लिखारी गुण गावैं गलत नै सही ठहरावैं
दस नब्बै का असली खेल ये साची बात बतावैं
जोंक खून नै पी ज्यावैं कदे पैंडा छूटैगा जरूर।।
4. अनपढ़ता बेकारी और गरीबी तीनों ही मां जाई ये
अनपढ़ता कै दे ले घेरा ना मुश्किल फेर लड़ाई ये
रोड़ा अटकावैंगे कसाई वे यो डूंडा पाटैगा जरूर।।














-191-

जनसंख्या क्यों बधगी भाई मिलकै मन्थन करना होगा।
असल सच्चाई के सै भाई कान खोल कै सुनना होगा।।
1. अट्ठासी करोड़ कमेरे बताये म्हारे प्यारे भारत देश मैं
इतने कम्प्यूटर बेकार पड़े गोली खा मरैं क्लेश मैं
क्यों पाछै रैहगे रेस मैं हमनै आज समझना होगा।।
2. जनसंख्या घटानी हो तै गरीबी मार भगानी होगी रै
गरीबी मां बढ़ती आबादी की ईंकै आग लगानी होगी रै
घर घर अलख जगानी होगी रै ना तै दुख भरना होगा।।
3. कुणबा उतना पलज्या जितना या जानै दुनिया सारी
मिलज्या खाणा और दवाई नहीं होवै कोए बी लाचारी
फेर क्यों जनता बढ़ती जारी सवाल खड़या करना होगा।।
4. अनपढ़ता बेकारी और गरीबी तीनों ही मां जाई ये
जनसंख्या बढ़ती इनके कारण रणबीर नै बात बताई ये
इनतै लड़नी आज लड़ाई ये नहीं हमनै डरना होगा।।
















-192-

पांच साल के अन्तर से सन्तान दूसरी हो तेरी।
दो ही फेल खिलैं घर मैं या बात मान ले तूं मेरी।।
1. आये साल तेरे घर मैं बजती जापे की थाली
कमजोरी मैं रोगां नै ली घेर तेरे घरआली
जाण कै जिन्दगी नरक बणाली हुई गात की ढेरी।।
2. तूं सोचै बिन छोरे के मेरा नाम बन्स का चलता ना
ये छोरी छोरे हौं सैं बराबर इब अन्तर कोए मिलता ना
इस भेदभाव तै टलता ना दुख क्यूं करता हेरा फेरी।।
3. कम बालक हों जिब घर मैं आच्छे लिख पढ़ाले तूं
डीसी डिप्टी आई ए एस के चाहे एग्जाम दिवाले तूं
दो जीवन सफल बनाले तूं इब दिन दिन होती देरी।।
4. छोटे से कुण्बे मैं होते सब चीजां के ठाठ कहैं
किशन चन्द बड़ा कुटम्ब दुखी हो सारे बारा बाट कहैं
आज छोरी लोहलाट कहैं हमनै खाली गाल भतेरी।।
















-193-

चारों कूट यो रुक्का पड़ग्या देश बेच कै खाया किसनै।
रक्षा सौदे कर करकै भारया कमीशन पाया किसनै।।
1. धन-धन सै उन वीरां नै जिननै ज्यान की बाजी लाई सै
मोत गेल्यां खेले आंख मिचौली जिब साच की थाह पाई सै
नीचे तै शुरू कर दिया उपर तांहि की जड़ दिख लाई सै
पर्दाफाश करया उनका जिननै देश की नाक कटाई सै
कैमरे में कैद करया सारा देश दा पै लाया किसनै।।
2. हवाला तै कई गुणा भारया तनमै इसा कांड करया यो
देश का नाम डबो दिया चेहरा कालस तै भांड गरया यो
अटल तेरा यो नकल मुखौटा मीडिया नै चांड धरया यो
जनता कै घी सा घलग्या आज मरखना सांड घिरया यो
न्यों मतना कहिये बंगारू म्हारा प्रधान बनाया किसनै।।
3. समता आले समता चाहवैं खाण पीण के सौद्यां मैं
चन्द्रा बाबू नायडू बिठाये चारा खवा कै गोड्या मैं
अपणे गोड्डे टेक दिये तनै जा अमरीकी मोड्या मैं
कई बन्धु फांसी खाज्यां ईब तेरी ओड़ कै चोढ्यां मैं
के कहवैं बादल और चौटाला यो खेल रचाया किसनै।।
4. म्हारे देश की जनता नै यो अपणा फर्ज पुगाणा होगा रै
जितने दलाल बिचौलिये ईब सबक सिखाणा होगा रै
खेत कारखाने मैं कमाया वो धन बचाणा होगा रै
उंच नीच के भेद भूल कै ईब अलख जगाणा होगा रै
रणबीर सिंह साची बात लिखै घर म्हारा ढाया किसनै।।








-194-

देखी तरूण की आज चतुराई हे सखी
तहलका डॉट कोम नै
सारे देश मैं धूम मचाई हे सखी
तहलका डॉट कौम नै
1 एक लाख बंगारू नै खाये, दो लाख जया जेटली ते जिमाये
सबकी वीडियो रील बनाई हे सखी
तहलका डॉट कोम नै
2. पी के चौधरी जनरल था, दखे सयाल लेफटिनेंट कर्नल था
इनकी करी खूब खिंचाई हे सखी
तहलका डॉट कोम नै
3. लाखां सुरेन्द्र सिंह सुलेखा पै, थी सोने की चेन एनएन मेहता पै
इनकी करी खूब ठुकाई हे सखी
तहलका डॉट कोम नै।।

















-195-

पत्रकार रूखाले देश के, काम यो सजग सिपाही का।
एक और भण्डा फोड़ हुया, सरकार नाश की राही का।।
1. हे रै लूट कै खागे मेरे देश नै, ये भौंचक्के से रैहगे लोग
जया जेटली बंगारू और फर्नांडीस के देखो शौक
स्वदेशी का नारा दें और अमरीका कै मारैं धोक
चोर-चोर मौसेरे भाई, हिसाब देवैं ना पाई का।।
2. पीस्यां आले कट्ठे होकै, गड़मड़ ये बतलावैं सैं
टाटा बिड़ला विश्व बैंक की नीति अड़ै चलावैं सैं
मजदूर किसान की कीमत ना ये तै न्यूं ए हाड़ गलावैं सैं
कट्ठे होकै गला पकड़ल्यो इस पूंजीपति कसाई का।।
3. इतने तै भी भरता ना ये तै देश का सौदा करण लगे
लाख दो लाख चैन सोने की खूब तिजोरी भरण लगे
नैतिकता की देवैं दुहाई ये तै चीर देश की हरण लगे
भोले माणस नै ना भेद लगण दें, इस दलदल की काई का।।
4. इन देश भक्तां के काले चेहरे का कर दिया पर्दाफाश तनै
जान की बाजी लाकै नै बन्द करी लुटेरयां की सांस तनै
तहलका तहलका होण लागरी वाह तरूण शाबास तनै
मुकेश कहै यो गर्व देश नै तरूण तेरी तरूणाई का।।












-196-

लालच लूट खसोट बचै नहीं नए ढंग का हिंदुस्तान बसावांगे।
भाई का बैरी भाई रहै नहीं इसा गजब का इन्सान बणावांगे।।
1. काली तसबीर नहीं रहै अनपढ़ता मार भगानी होगी भाई
गरीबी का नाश लाजमी बीमारी दूर हटानी होगी भाई
भूखा नहीं इन्सान मरै प्रणाली इसी चलानी होगी भाई
रहवण खातर मकान सबपै इसी तदबीर लगानी होगी भाई
हारी बीमारी ना टोही पावै लोगां का सही सम्मान करावांगे।।
2. सबको शिक्षा और काम की फेर गारन्टी सबनै हो ज्यागी
दिन मैं काम करैंगे सांझ की फेर फुरसत सबनै हो ज्यागी
सारी दुनियां मैं आण जाण की फेर सुविधा सबने हो ज्यागी
रखैल रहै ना बीर मरद की फेर शांति सबनै हो ज्यागी
नशा खोरी ना कितै रहणे की मिलकै दूर बेईमान भजावांगे।।
3. दौलत की पूजा नहीं रहै ना इसका नामो निशान बचै
मुनाफा मजिल नहीं रहै ना चौगरदे नै घमशान मचै
लाठी की भैंस नहीं रहै ना खेल इसा पहलवान रचै
भोग की दुनिया नहीं रहै ना झूठा कोए अभियान जचै
प्रदूषण नाश करै दुनिया का कदे होज्या शमशान बचावांगे।।
4. सामाजिक ढांचा लड़खड़ा गया ताना बाणा टूट गया रै
पापी दूना धनवान होग्या भाग गरीब का फूट गया रै
राज पाट पुलिस फौज तै म्हारी मेहनत नै लूट गया रै
पाप घड़ा सबकै साहमी यो देखो पड़कै फूट गया रै
रणबीर सिंह गलत सही का हम सारा उनमान लगावांगे।।








-197-

डंकल खागड़
सिर भी म्हारा जूती म्हारी गंजे बणा कै छोड़ दिये।
नया टोरड़ा कोए लाया ना पुराने ओटड़े फोड़ दिये।।
1. डंकल खागड़ खड़या सुसांवै खुर्रियां माट्टी ठावै
आण बड़या जै म्हारी सीम मैं वो बैरी घणी गश खावै
भारत का बलध रम्भावै, खड्डूआं नै कर गठजोड़ लिये।।
2. खागड़ां तैं बचावण खातर यो पेटैंट कानून बनाया
ठारा साल तै करी रूखाली नहीं डंकल नै भी डां ठाया
विश्व बैंक नै इसा फंसाया म्हारे गोड्डे कसूते तोड़ दिये।।
3. मेरी यूनियन सभा सै तेरी बन्द करां इस तकरार नै
कट्ठे होकै संघर्ष करो मार दिये राज दरबार नै
तेज कर लड़ाई की धार नै खागड़ां के मुंह नै मोड़ दिये।।
4. कई खड्डू म्हारे देश मैं खागड़ां तै हाथ मिलारे सैं
बलधां का जी काढ़ण खातर ये सतरंगा जाल बिछारे सैं
रणबीर ये बांटना चाहरे सैं लगा सारा निचोड़ लिये।।















-198-

बात पते की
वाल्व दिल का खराब बताया मेरी घर आली का।
दो लाख खरचा सुणकै डोल गया दिल काली का।।
1. किततैं ल्याउं दो लाख घर मैं मुस्से कुला करैं सैं
पढ़ाई तीनों बालकां की मुश्किल तै फीस भरैं सैं
बिना दवाई करै मरैं सैं दिल दुखै फेर माली का।।
2. घर आली कै सांस चढ़ज्यां च्यार कदम बी चालै
जीवन तै प्यार बहोत सै कूण दोबारा जी घालै
बूझे दीवै कूण घी डालै घर बसज्या इस पाली का।।
3. सारै घूम कै देख लिया सबनै हाथ हिला दिये रै
बिना पीस्से इलाज कड़ै किसनै कूण जिला दिये रै
धक्के घणे खिला दिये रै जण कीड़ा गन्दी नाली का।।
4. एक किल्ला तीन लाख का रणबीर मनै टेक दिया
गरीब किसान के दिल मैं न्यों कर मोटा छेक दिया
डाक्टरां नै टीकड़ा सेक लिया फूंक कति घर हाली का।।















-199-

दुलीना काण्ड
धार्मिक कट्टरवाद की झझर मैं पड़ी काली छाया।
भीड़ कट्ठी करकै मौत का यो ताण्डव नाच नचाया।।
1. टैम्पो भरया खालां का पुलिस चौकी पै रोक्या था
पीस्से मांगे सिपाही नै रोब जमाकै ठोक्या था
एक दलित नै टोक्या था ना हमनै जुलम कमाया।।
2. चार घण्टे थाम्बे राखे सारे अपफवाह फैला दई
गउ माता मारी देखो जनता सारी बैहका दई
भीड़ कट्टरवाद नै जुटाई खूबै जहर फैलाया।।
3. पांचों चौकी तै काढ़ लिये पुलिस चुपचाप खड़ी थी
पत्थर मारने करे शुरू घणी नाजुक घड़ी थी
चाहिये चौकसी बड़ी थी ना हवा मैं फायर चलाया।।
4. मरण तै पहलम पांचों हाथ जोड़ चिल्लाये थे
दलित हिन्दू सां हम भी अपणे नाम बताये थे
उपर नै हाथ ठाये थे रणबीर नहीं बचा पाया।।















-200-

पढ़ाई लिखाई व्यापार बणाली इन बन्धुआं की सरकार नै।।
फीस कई गुणा बधाई सै मार दिये म्हंगाई की मार नै।।
1. स्कूल बक्से ना बक्से कालेज इस बढ़ती फीस के जाल तैं
काश्मीर तै कैरल तक बींधे मास तार लिया यो खाल तैं
चारों कान्ही हाहाकार माचग्या थारी इस बेढंगी सी चाल तैं
जमा धरती कै मार दिये के तम वाकफ ना म्हारे हाल तैं
खर्च एक चौथाई कालेज जुटाओ दिया हुकम दिल्ली दरबार नै।।
2. यूजीसी कठपुतली बणाली उल्टे सीधे नियम बणवाये जां
दो सौ बीस फीस थी पहलम आज हजार तेरां भरवाये जां
दिल्ली यूनिवसिर्टी मैं सात हजार शुरू मैं धरवाये जां
आईआईटी का जिकरा ना दाखिले पै लाखां चढ़वाये जां
बन्धुओं थारी फीस बढ़त या खोस कै लेगी म्हारी बहार नै।।
3. दो हजार आटोनोमस कालेज पूरे भारत मैं चलाये सैं
नये कोर्स कम्प्यूटर बरगे इनके अन्दर खुलवाये सैं
इन कोर्सों के लाखां रूपइये फीस दान के भरवाये सैं
गरीब बालक माखी की ढालां काढ कै बाहर बगाये सैं
बन्धुओ मतना नाश करो क्यों खत्म करो परिवार नै।।
4. विश्व बैंक के कैहणे पै बन्धुओ क्यों गोड्डे टेके तमनै
उनके फायदे खातर क्यों म्हारे फायदे ना देखे तमनै
सब्सिडी खत्म करी म्हारी बर्बादी पै परोंठे सेके तमनै
म्हारी साथ बिना बात क्यों ईब फंसा लिये पेचे तमनै
रणबीर सिंह कै जंचगी थम डबोवो देश की पतवार नै।।








-201-

सूचना का अधिकार
यो सूचना का अधिकार म्हारा किसनै दबाया सै।
सबनै यो हक मिलै सवाल जगत मैं छाया सै।।
1. समाज के विकास मैं ज्यान खपाई जनता नै
भूखे पेट रैहकै भी करी सै कमाई जनता नै
पेट भराई जनता नै कड़ै यो खाणा थ्याया सै।।
2. आह भरैं बदनाम हों उनका कत्ल माफ सै
कब्जा किसका सूचना पै बात कति साफ सै
बिना रिजाई के लिहाफ सै किसा जमाना आया सै।।
3. सौ पीस्से चाले दिल्ली तै पन्दरा थ्यावैं हमनै रै
पिचासी कड़ै गये ना कोए बी बतावैं हमनै रै
धोंस तै दबावैं हमनै रै जी घणा दुख पाया सै।।
4. टन कपास मैं धागा कितना यो निकलता रै
रणबीर धागे का लत्ता फेर कितना बनता रै
हिसाब नहीं मिलता रै ज्यां कलम उठाया सै।।















-202-

देश मैं किसी आजादी आई, गरीबां कै और गरीबी छाई।
अमीरां नै घणी लूट मचाई, म्हारी पेश नहीं चलती।।
1. भगत सिंह नै दी कुर्बानी, जनता नै खपाई जवानी
हैरानी हुई थी गोरयां नै, कमर कसी छोरी छोर्यां नै
देश बांट दिया सोहरयां नै, मेरी न्याूं काया जलती।।
2. ये गोरे गये तो आगे काले, हमनै नहीं ये कदे सम्भाले
चाले कर दिये बेइमानां नै, भूल गय हम इन्सानां नै
इन देशी हुकमरानां नै, करी मूलभूत गलती।।
3. बोवणियां की धरती होगी, सब जात्यां की भरती होगी
सरती होगी नहीं बिरान, खुश होज्यांगे मजदूर किसान
आजादी करै यो ऐलान, अंग्रेजां के या खलती।।
4. मुनाफाखोर देश पै छाये, पीस्से पै सब लोग नवाये
लगाये भा इस बाजार मैं, ईमान बिकै कुछ हजार मैं
धंसते जावां हम गार मैं, आस नहीं कोए पलती।।
5. मकान सैं परिवार नहीं, माणस सैं घरबार नहीं
सरकार नहीं सुनती या, जाल कसूता बुनती या
गरीबां नै खूबै धुनती या, रणबीर आग न्यों बलती।।













-203-

सौ प्रतिशत प्रोमोशन खातर डॉक्टर फिरते मारे-मारे।
कुछ नीचे तै कूछ कै उपर आवण के थे जुगाड़ बिठारे।।
1. इन्टरव्यू  की तैयारी करली फाइल मैं कागज धरकै नै
कई डाक्टर जोर लगारे हांडै बैग मैं पीस्से भरकै नै
जोर आजमाई करकै नै प्रोफेसर बणण की आसा लारे।।
2. एक दूजे के सब बैरी होगे कति फूटी आंख सुहावै कोण्या
इन्सानियत भूल गये पशु भी न्यों कदे डकरावै कोण्या
उननै रोटी जमा भावै कोण्या मंत्रियां के घरां धक्के खारे।।
3. इन्टरव्यू कैंसल होगे उनके पढ़ी खबर अखबार मैं
सारयां नै घणी खुशी मनाई मातम मच्या सै दो च्यार मैं
सब कुदण आले बुखार मैं प्रोफेसर बुड़बुड़ाते जारे।।
4. मैडीकल मैं कसूता रूक्का माचग्या इसा किसनै चाला रोप्या
कूदण आले डाक्टर तीस मारखां कहैं छुरा पीठ मैं घोंप्या
रणबीर सही रोक्या ना तै मारे जाते कई डाक्टर बिचारे।।