Tuesday, 13 September 2016

किरण

किरण -- एक प्रवाशी परिवार के बारे एक रागनी। क्या बताया भला--
बिहार तैं चालकै आये साँ हरियाणा मैं काम बताया रै।।
किरण साथ दो बालक छोटे गरीबी का सिर पै छाया रै।।
पाँच छह दिन रहे टेशन पै रहने की जागां पाई ना
बात करी दो चार जागां कई दिन दिहाड़ी थ्याई ना
कई रात नींद जमा आई ना बालकां नै जमा हिलाया रै।।
पंचवटी कालोनी मैं एक टूट्या फुटया सा मकान मिल्या
पानी ल्यावां दूर सड़क पर तैं जोड़ जोड़ दोनों का हिल्या
किरण नै खाना बनाने का काम एक कोठी मैं थ्याया रै।।
एक दुकान पर तैं रेहड़ी पै सब्जी बेचन का मिल्या काम
दो तीन मोहळ्यां मैं जाना सुबह दोपहरी और शाम
चार सौ पांच सौ की बिकै  इसमें कुछ ना बच पाया रै।।
चार मिहने पीछै मिस्त्री का दिया काम दिवा ठेकेदार नै
आठ मिहने काम चल्या उड़ै या सांस आई घरबार नै
पेट पालण का इस ढालाँ रणबीर जुगाड़ बिठाया रै।।
13,08,2016

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