कुछ लोग बातां की खावैं , भूखा मरै कमेरा।
बाँध जूड़ कै लछमी गेरी, दिया चौगिरदें घेरा।।
शहीदां नै लहू बहा, आजादी की राह बनाई,
गद्दी पै गद्दारां नै,ईब आण जमा लिया डेरा।
पहचान अंधेरों म्हां अपणी, खोती जारी सै,
नेता जी दावा कर रे, सब मेट दिया अँधेरा।
अपणी अक्ल लड़ाई ना, चले सदा इशारों म्हां,
अंधविश्वासों नै घर म्हां , घोट दिया दम तेरा।
थोड़ी दूर तक होर चाल , मंजिल आगी नेड़ा,
पूर्व म्हां लाली दीखै सै, कोन्या दूर सवेरा।
रामेश्वर की बातां पै, यकीन कर ना भाई रै,
क्यूँ झाँके दर पीर का , क्यूँ झाँके तू डेरा ।
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