Tuesday, 13 September 2016

मार महंगाई की

रणबीर एक गरीब किसान परिवार से है । दो एकड़ जमीन है। गुजारा मुश्किल से कर पाते हैं । चंदकौर वैसे तो बी ए पास है और समझदार भी  बहुत है मग़र विवाह के बाद परिवार की जिम्मेदारियों ने उसे जवान उम्र में भी ढली उम्र की महिला बना दिया है ।चारों तरफ महंगाई ने तबाही मचाई है । बच्चों की पढ़ाई महंगी , बीमारी की दवाई महंगी ।एक दिन वह बुग्गी पर खेत जाते जाते सोचने लगती है :-
टेक:  म्हारे ऊपर पड़न लागरी कसूती मार महंगाई की ।।
म्हारे सिर कै  ऊपर लटकै तलवार महंगाई की ।।
1  गरीब आदमी कित जावै क्यूकर करै गुजारा यो
गरीबों को बास्टर्ड  कहते हमतैं करैं किनारा यो
लूट लिया धन म्हारा यो बधा कै रफ़्तार महंगाई की।।
2  म्हारे देश पै पड़री सै मार अमरीका की
करनी होगी मिलकै हमनै अर्थी त्यार  अमरीका की
होज्या हार अमरीका की नहीं जावै पार महंगाई की ।।
3  राज के भूखयां नै बेच दिया सब सम्मान दखे
सिर कटवा कै भी राखां हम देश की श्यान दखे
आड़ै बढ़िया इंसान दखे रोकेंगे सरकर  महंगाई की।।
4   इस महंगाई मैं देखो यो सारा संसार करहावै सै
म्हारी किस्मत मैं लिख राख्या झूठ बहकावै सै
रणबीर सिंह समझावै सै भूंडी कार महंगाई की ।।

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