Saturday, 12 May 2018

जेब कतरे धर्मात्मा

जेब कतरे धर्मात्मा 
इब भूरा बण्या भूरसिंह , उसकै मोहर लगी सरकारी।
ना मानस नै मानस थापै, पुलिस की गेल्याँ लाई यारी।

पल  मैं तोला पल मैं माशा, कदे टाडै कदे छेरै खासा  
चित बी मेरी पिट बी मेरी ना पड़ै कदे उल्टा पासा 
ठाडे आगै होज्या म्याऊं पर हीने नै धमकावै खासा
घर मैं रहवै गऊ की ढालाँ बाहर करै यो पूरा तमाशा
पहरावे का नहीं ठिकाना हो पेंट कदे हो खद्दर धारी।

पूरा ज्ञानी ध्यानी बनै आरती हनुमान की तारै देखो
पिस्से नै भगवान मानै शेखी दिन रात बघारै देखो
दया धर्म दिखावे ताहिं पराई बीर पै तान्ने मारै देखो
बिना टूम धरें उधार दे ना ब्याज मैं खाल उतारै देखो
चुगली मैं बाप नारद का इनै लोगाँ की अक्कल मारी।

नीत डिगादे एक पैग पै हुया बिन पैंदे का लौटा रै
यार  का बनै यारी बख्त पै बिन बख्त मारै सौटा रै
बात घड़दे तुरत फुरत टोहले कोए बाहणा मौटा रै
अपने मुँह मियाँ मिठू कहै मैं सूँ सिक्का खौटा रै
यारे प्यारे उप्पर चलै उसकी भाई या तलवार दुधारी।

माखी भिंणकैं छिकमा सिनकै जब सत्ता तैं दूरी होज्या
पड़या खाट मैं रहै बाट मैं खत्म सारी गरूरी होज्या
हो बुरा हाल जनों सूने ताल मछली सी मजबूरी होज्या
ना चमक रहे ना दमक रहै झूऱ सिंह तैं यो झूरी होज्या
लिखै रणबीर जब झूरे पै उसकी आंख्यां मैं चिंगारी।

ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग दुनिया मैं घणा फतूर मचारी देखो।।
समुन्दर तट उभारा लेगे कितै गर्मी छारी देखो।।
1
पुराने मौसम रहे कोण्या बदलाव कई आगे भाई
कितै गर्मी रफ्तार पकड़गी कितै पतझड़ छागे भाई
पुरानी बीमारी फेर आगी कई नई बीमारी देखो ।।
ग्लोबल वार्मिंग दुनिया मैं घणा फतूर मचारी देखो।।
2
किस्मत मैं लिखी राम नै या सोच कै भुक्त रहे सारे 
असली जड़ पकडां कोण्या मंदिरों मैं काटकड़ तारे
ग्लोबल वार्मिंग करकै नै या गर्मी बढ़ती जारी देखो।।
ग्लोबल वार्मिंग दुनिया मैं घणा फतूर मचारी देखो।।
3
घाम मारज्या हीट स्ट्रोक कई बै ज्यान पै छाज्या
गर्मी मैं पी पी कै पाणी यो माणस दुख घणा पाज्या
कई नई बीमारी आगी जो पकड़ मैं नहीं आरी देखो।।
ग्लोबल वार्मिंग दुनिया मैं घणा फतूर मचारी देखो।।
4
जीवन शैली पड़ै बदलनी वातावरण मैं ठंड होवै 
पौधे लगाओ अभियान यो एयरकंडीशन्ड रंग खोवै
रणबीर विकसित देशों पै बढ़ावां दबाव  भारी देखो।।
ग्लोबल वार्मिंग दुनिया मैं घणा फतूर मचारी देखो।।

असली नकली


असली नकली बणा दिए नकली असली बणे बैठे
हिंदुस्तान नै तोड़ण खातर,हर डाल उल्लू  तणे बैठे
1
कोये तो चमकते बालां की आज बात करता घूमै देखो
कोये पहर चमकता लिबास जित चाहवै झूमै देखो
जातयाँ कै ऊपर बिन बात क्यों कई आपस मैं ठणे बैठे।
2
कोहराम धर्म पै दुनिया मैं कट्टरवादियों नै मचाया
मंदिर मस्जिद के झगड़ों में बस्तियों को गया जलाया
इंसानी बस्तियां उजाड़ दी ठेकेदार धर्मों के चुनें बैठे।
3
खालिस्तान की बात कितै कितै हिन्दू राष्ट्र की चर्चा रै
मारकाट मचा राखी देखो करैं जारी फरमान का पर्चा रै
पूरी दुनियां बारे ना सोचें दोष एकदूजे के गिनें बैठे ।
4
मुनाफे के तरीकों पै चर्चा पूरी दुनिया मैं करते रै
निजीकरण उदारीकरण का पाणी सारे देश भरते रै
गरीबों के हक़ सारे कै रणबीर अमीर छिणें बैठे।

मनुवाद


अनादि ब्रह्म नै धरती पै यो संसार रचाया कहते
मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते
1
मुंह तैं बाह्मण पैदा करे चर्चा सारे हिंदुस्तान मैं
बाँहों से क्षत्रीय जन्मे जो डटते आये जंगे मैदान मैं
जांघ से वैश्य पैदा करे लिख्या म्हारे ग्रन्थ महान मैं 
चरणों से शुद्र जन्म दिये आता वर्णों के गुणगान मैं 
चार वर्णों का किस्सा यो जातों का जाल फैलाया कहते
2
भगवान नै शुद्र के ज़िम्मे यो एक काम लगाया 
बाक़ी तीनों वर्णों की सेवा शुद्र का फर्ज बताया
शुद्र जै इणनैं गाली देदे जीभ काटो विधान सुनाया
नीच जात का बता करकै उसतैं सही स्थान दिखाया
मनुस्मृति ग्रन्थ मैं पूरा हिसाब गया लिखाया कहते
3
शुद्र जै किसे कारण तै इणनैं नाम तैं बुला लेवै
दस ऊँगली लोहे की मुंह मैं कील ठुका देवै
भूल कै उपदेश देदे तै उसके कान मैं तेल डला देवै 
लाठी ठाकै हमला करै तो शुद्र के वो हाथ कटा देवै 
मनु स्मृति नै शुद्र खातर नर्क कसूत रचाया कहते
4
बाबा अम्बेडकर जी नै मनुस्मृति देश मैं जलाई थी
उंच नीच की या कुप्रथा मानवता विरोधी बताई थी
कमजोर तबके कट्ठे होल्यो देश मैं अलख जगाई थी
आरएसएस मनुवाद चाहवै असली शक्ल दिखाई थी
रणबीर महात्मा बुद्ध भी इसपै सवाल ठाया कहते 

HOLI

इस होली का आज खोल मतलब समझाऊँ मैं।।
चार हर्फ़ों तैं बणै HOLI पूरी बात बताऊँ मैं ।।
एच तैं मतलब हेट इसका घृणा अर्थ बताया 
औ तैं मतलब आउट पूरा अर्थ बाहर दिखाया
घृणा भीतर जितनी उनै बाहर फेंकना चाहूँ मैं।।
चार हर्फ़ों तैं बणै HOLI पूरी बात बताऊँ मैं ।।
एल तैं मतलब लव पूरा अर्थ प्रेम कहवैं सैं 
आई तैं मतलब इन अर्थ इसका भीतर लहवैं सैं
नफरत तज प्यार करो असली अर्थ सिखाऊं मैं ।।
चार हर्फ़ों तैं बणै HOLI पूरी बात बताऊँ मैं ।।
आया अक नहीं आया मतलब समझ मैं म्हारै 
होली का त्यौहार रंगां का दखे प्यार बखेरता सारै
नफरत त्यागो प्यार करो सबतै बात सुनाऊं मैं।।
चार हर्फ़ों तैं बणै HOLI पूरी बात बताऊँ मैं ।।
होली अर फाग का सारे कै त्यौहार मनाया जा
होसै जीत अच्छाई की बुराई हारै न्यों समझाया जा
जीतै आज बुराई क्यों रणबीर समझ नहीं पाऊँ मैं ।।

किसान उठ लिए

 
राजस्थान और महाराष्ट्र का किसान उठ लिया बताया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
1
पैदल भूखे प्यासे किसान महाराष्ट्र की सड़कों पै आये
महिलाओं नै कांधे तैं कांधा मिलाकै आज कदम बढाये
किसान एकता के नारे लाये सड़कों पै झंडा लहराया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
2
खाद बिजली और बीज की कई गुणा कीमत बधाई रै
कई गुणा महंगी करदी देखो म्हारी आज या पढ़ाई रै
किसान की इलाज दवाई रै लूट नै घनघोर मचाया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
3
किसानों के बालक फिरते बेरोजगार एम् ए पास ये
झूठे वायदे रोज भकावैं करते नौजवानों का नास ये
किसान बाँटे जात्याँ मैं खास ये हरियाणा मैं कहर ढाया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
4
किसान पूरा हिंदुस्तान का यो समझ रहया इन बातां नै
किसनी मांगों पै लडें लड़ाई भूलकै आपस की जात्याँ नै
खोलैगा अमीरों के खात्याँ नै रणबीर नै कलम उठाया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।

सुभाष

पार्क मैदान में युवक कांग्रेस के अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कहा तो फिर क्या हमें बैलगाड़ी के बीते युग की ओर वापस जाना है? आत्मा के पाखण्ड को इतना पुष्ट किया जा रहा है कि भौतिक संस्कृति और फौजी प्रशिक्षण की उपेक्षा करके भी उन्हें लगता है सब ठीक चल रहा है। इस पावन भूमि के लिए मठ और आश्रम की कल्पना कोई नई नहीं है। सन्यासियों और सुपात्रों को इस माट्टी में सदैव आदर का स्थान प्राप्त होता रहा है और आगे भी होता रहेगा । परन्तु मैं युवाओं को चेतावनी देता हूँ कि यदि एक आधुनिक , स्वतंत्र , सुखी और शक्ति -सम्पन्न भारत का निर्माण करना है , तो हमें इस मंडली का अनुशरण नहीं करना है। इसके लिए पुरातन प्रभाव से मुक्त होकर नवयुग का शंख फूंको। 
क्या बताया भला कवि ने------ 
पार्क मैदान मैं सुभाष नै ये अपने विचार सुनाये रै।।
युवाओं को ललकारया उसनै क्रांति के नारे गूँजाये रै।।
1
बोस नै युवा संगठन का उड़ै मतलब समझाया था
निठल्ले बेजान युवाओं का यो संगठन नहीं बताया था
सामाजिक सेवासंघ भी कोण्या बोस नै पाठ पढ़ाया था
अंग्रेज राज का विरोधी धधकता अंगार सुझाया था
रूस चीन जर्मनी के किस्से उड़ै पूरे खोल कै बताये रै।।
2
बोल्या अंग्रेजों नै चौतरफा करदी घेरेबंदी म्हारी वीरो
इम्पीरियल बैंक नै देश की करदी नाके बंदी भारी वीरो
कर्ज देने की करी मनाही जनता घणी दुख पारी वीरो
अंग्रेजों तैं छुटकारा पाल्यो ये देगे देश मैं बुहारी वीरो
ठारा सौ सत्तावन मैं भी संघर्ष के बिगुल बजाये रै।।
3
या आवाज बोस की उठी ऊंचे स्तर तलक बताई
साबरमती अर अरविंद के मतां पै सवाल उठाई
आधुनिक स्वतंत्र सुखी देश की या तीजी राह दिखाई
मठ आश्रम बीते समों की उनको सब बात समझाई
पुराने तैं मुक्त होवण नै नवयुग का शंख बजाया रै।।
4
युवकों के दिलो दिमाग मैं सुभाष पूरी तरियां छाग्या रै
भगत सिंह जतीनदास  इनका दस्ता मंच पै आग्या रै
दाढ़ी मूंछों आला नौजवान उड़ै पूरे पण्डाल नै भाग्या रै
सिर्फ अहिंसा के राह पै वो भगत सिंह सवाल ठाग्या रै
कहै रणबीर बरोणे आला सुण कै सुभाष मुस्कुराये रै।।

समाज की नब्ज


समाज की नब्ज पकड़ कै बैठ कै करो सोच विचार।।
हम जावां भाजे आंधी गली मैं आपस के ये भूले प्यार।।
1
भाई भाई का बैरी होग्या बेटे बाबू के बैरी बताये रै
भाई बाहण का कत्ल करै ऑनर किलिंग नै डराये रै
रिश्ते नाते आज गौण होगे बढग्या पैसे का व्यापार।।
हम जावां भाजे आंधी गली ---
2
नैतिक मूल्य भूल गए सैं घणे अनैतिक काम करैं
अपना काला दिल ना देखैं महिला नै बदनाम करैं
पाऊच दारू के खुले बिकैं ये टूटते जावैं घरबार ।।
हम जावां भाजे आंधी गली ---
3
युवा लड़के और लड़की अमरीका के निशाने पै रै
फ्री सैक्स अर सुल्फा दारू चलाते तीर रक्काने पै रै
दिशा भरिमित करने खातर खोल्या अय्यासी का बाजार।।
हम जावां भाजे आंधी गली --
4
दलित नै बोलना सीख लिया दबंगाँ नै बात भाई ना
महिला नै कदम बढ़ाए दबंगां कै हुई समाई ना 
रणबीर महिला दलित पै बढते जावैं अत्याचार ।।
हम जावां भाजे आंधी गली ---

किसानी का संघर्ष

पूरे हिन्दुस्तान में किसानी का संघर्ष तेज हो रहा है। क्या बताया भला--
किसान सड़कों पै आया देखो,
समाज नै साथ निभाया देखो,
सिंधिया नै चक्कर खाया देखो,नहीं लाठी गोली दबा पावैगी।
1
राजस्थान के किसानों नै पाछै सी ली अंगड़ाई बताते
सरकार गेल्याँ हुई वार्ता माँग गई मनवाई बताते
माँग मानने से किया इंकार ,
कति मुकर गई सरकार,
भूल गई जो किया इकरार, या कैसे मुंह दिखा पावैगी।
2
किसान सोच समझ कै हटकै सड़कों पै आया सै
संघर्ष बिना नहीं गुजारा मिलकै नै नारा लाया सै
लाल झंडा ले या कसम खाई
पूरा समाज साथ लेकै भाई,
आर पार की लडेंगे लड़ाई, फेर कुर्सी ना बचा पावैगी।
3
बीस तैं ज्यादा जख्मी होगे, सरकार नै जुल्म ढाई सै
तीन किसान शहीद होगे ,बागपत तैं खबर आई सै
जंग कमेरे और लुटेरे की,
उजियारे की और अँधेरे की,
हार लाजमी धन कुबेरे की, पूँजी मुश्किल चला पावैगी।
4
किसान एकता जिंदाबाद का, हिंदुस्तान मैं गूँज गया नारा 
किसान एकता के दम पै ,चढ़ता जावै संघर्ष का पारा
संघर्ष बदळै या तसवीर, 
आज छन्द बणावै रणबीर ,
खुद लिखांगे अपनी तकदीर,या जेल नहीं डरा पावैगी।

कद सी स्याणा होगा


किसान तेरी या कष्ट कमाई कित जावै बेरा लाणा होगा।
या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा ।
दोसर करकै धरती नै अपणा खून पसीना बाहवाँ सां
गेर गण्डीरी सही बीज की हम ऊपर तैं मैज लगावां सां
पड़ै कसाई जाड्डा जमकै हम खेताँ मैं पाणी लावां सां
रात दिन मेहनत करकै माटी मैं माटी हो ज्यावां सां
दो बुलध तैं एक रैह लिया कद तांहिं न्यों धिंगताणा होगा।
कदे नुलाणा कदे बाँधणा कदे ततैया मोटा लड़ ज्यावै
कदे अळ कदे कीड़ा लागै कदे ईंख नै कंसुआ खावै
कदे औला कदे सूखा पड़ज्या हमनै कोण्या रोटी भावै
कदे गात नै ये पत्ते चीरैं कदे काली नागण फन ठावै
मील मैं हो भेड मुंडाई कद तांहिं मन समझाणा होगा।
सुनले कमले ईब ध्यान लगाकै म्हारे मरण मैं बिसर नहीं
आज कुड़की आरी म्हारे घर मैं नाश होण मैं कसर नहीं
जीते बी कोण्या मरते बी कोण्या औण पौण मैं बसर नहीं 
चारोँ लाल कड़ै गए भाई के गई सै फोन मैं खबर नहीं 
कोण्या पार जावैगी म्हारी जै यो न्यारा न्यारा ठिकाणा होगा।
इसकी खातर गाँव गाँव मैं जथेबंदियाँ का जाल बिछावां
जीणा चाहवाँ तै भाईयो यूनियन नै अपणी ढाल बणावाँ
बिना रोएँ तो बालक भी भूखा जंगी अपणी चाल बनावाँ
रणबीर सिंह बख्त लिकड़ज्या बरोने मैं फिलहाल बनावाँ 
तगड़ा संगठन बनाकै अपणा जंग का बिगुल बजाणा होगा ।

शरीर दान ---430 -----

थारे शरीर दान तैं पिया कईयाँ का फायदा होज्यागा।।
बहोतां की जिंदगानी मैं दखे बीज रौशनी के बोज्यगा।।
1
किसे गरीब मरीज को थारा जिगर काम मैं आज्यगा 
लिवर फेल्युर का रोगी दखे नया जीवन पाज्यागा
जिस माणस कै गुर्दा लागै वो नींद चैन की सोज्यगा।।
बहोतां की जिंदगानी मैं दखे बीज रौशनी के बोज्यगा।।
2
थारा दिल काढ़ कै नै सर्जन दूजे कै लगादे पिया 
थारी जिंदगी पूरी हो दूज्जे की जिंदगी बढादे पिया 
धड़कै दूजे के शरीर मैं नहीं तो धूल मैं खोज्यागा।।
बहोतां की जिंदगानी मैं दखे बीज रौशनी के बोज्यगा।।
3
पैंक्रियाज थारा मरीज कै सही काम आज्या पिया
आन्त थारे शरीर की ये सर्जन दूजे कै लाज्या पिया
थारी चमड़ी काम आवै गाम याद करकै नै रोज्यागा।।
हड्डी थारे शरीर की कहवैं कई जणयां कै काम आवैं 
के के इस्तेमाल गिनाऊँ पचास माणस फायदा ठावैं
कहै रणबीर बरोने आला कई जीवन संजोज्यागा।।
बहोतां की जिंदगानी मैं दखे बीज रौशनी के बोज्यगा।।

फांसी खाने से नहीं बात बनै


फांसी खा खा कै ना बात बनै लड़ने का माहौल बनावां रै।।
मजबूत किसान सभा बना कै राज कै सांस चढ़ावां रै।।
1
धर्म किसानी जात किसानी किसानां का साँझा मंच बनै रै
धुर की लड़ाई लड़नी होगी राज की गेल्याँ खूब तनै रै
लालच मैं आकै जो एकता तोडैं उनज कान्ही ना कति लखावां रै।।
मजबूत किसान सभा बना कै राज कै सांस चढ़ावां रै।।
2
मंजिल खातर मिल बैठ कै मांग पत्र हम त्यार करांगे
नहीं मान्या राज पाट तो हम मिलकै सारे जेल भरांगे
आत्म हत्या का यो छोड़ रास्ता संघर्ष का बिगुल बजावां रै।।
मजबूत किसान सभा बना कै राज कै सांस चढ़ावां रै।।
3
इसमें शक नहीं सै कोए यो म्हारा आष्टा संघर्ष बताया 
दुश्मन नै बचन की खातर संस्कृति का किला बनाया 
म्हारे बेटे फ़ौजी जितने उनने सारी बात समझावां रै।।
मजबूत किसान सभा बना कै राज कै सांस चढ़ावां रै।।
4
लेकै मजदूर नै गेल्याँ अपनी जन क्रांति की करां त्यारी
इसे सिस्टम का खरना बदलां जीनै ज्यान काढ़ ली म्हारी 
आज की लड़ाई लड़ां मिलकै राज नै जरूर झुकावां रै।।
मजबूत किसान सभा बना कै राज कै सांस चढ़ावां रै।।
5
म्हारी कमाई की लूट खसोट खत्म करवाकै मानांगे रै
आत्म हत्या नहीं करां निशाना अडाणी हर पै तानांगे रै
कहै रणबीर लेल्यां सम्भाला लड़कै ही तो बच पावां रै ||
मजबूत किसान सभा बना कै राज कै सांस चढ़ावां रै।।

मतना खेलो तम म्हारी गेल्याँ

मतना खेलो तम म्हारी गेल्याँ खेल यो म्हंगा पड़ज्यागा।।
म्हारे नौजवान साथ आगे उस दिन नक्शा झड़ज्यागा।।
1
म्हारी तबाही लिखी जिनमैं सब नीति इसी बना राखी 
उप्पर तैं कड़ थेपड़ो म्हारी जड़ मैं सुई चुभा राखी 
किसान इब समझै सारी कसूती ढाल यो भीड़ज्यागा ।।
म्हारे नौजवान साथ आगे उस दिन नक्शा झड़ज्यागा।।
2
इतने तैँ काम ना चल्या न्यारी न्यारी जातां मैं बाँट दिए 
किसानां की कड़ तोड़ दी पर कसूते ढालाँ काट दिए 
हूंकार भर किसान यो राज कै साहमी अड़ज्यागा।।
म्हारे नौजवान साथ आगे उस दिन नक्शा झड़ज्यागा।।
3
बांटल्यो जात धर्म उप्पर घने दिनां ना पार पड़ैगी
किसान समझै धीरे धीरे हट हट कै मार पड़ैगी
अपणे बचा मैं सोचैगा यो धुर की लड़ाई लड़ज्यागा।।
म्हारे नौजवान साथ आगे उस दिन नक्शा झड़ज्यागा।।
4
अडाणी और अम्बानी सुणो सुणो बदेशी कम्पनी आल्यो 
किसान लावा बण फूटैगा बच सकै ज्यान तो बचाल्यो
रणबीर ले ल्यो रै सम्भाला ना हाल जमा बिगड़ज्यागा।।
म्हारे नौजवान साथ आगे उस दिन नक्शा झड़ज्यागा।।

भीमराव अंबेडक

युग पुरुष डॉ भीमराव अंबेडकर की 127 वीं जयंती के अवसर पर उनकी याद के रूप में एक रागनी*****
बाबा साहेब अंबेडकर 
शिक्षित होकै संगठन बनाकै संघर्ष का नारा लाया रै।।
विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।
1
दलित शोषित महिलाओं को समाज  मैं सम्मान मिलज्या
म्हारी दरद भरी जिंदगी मैं खुशी का कोय फूल खिलज्या
सामाजिक समानता बारे संघर्ष का बिगुल बजाया रै।।
विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।
2
चौदह अप्रैल ठारा सौ कियानवै इस दुनिया मैं आये 
परिवार मैं बाबा साहेब ये चौदहवीं सन्तान बताये
दलितोत्थान के विचार तैं युग बदलो का नारा ठाया रै।।
विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।
3
नागपुर सम्मेलन के मां उणनै एक बात समझाई थी 
देश की उन्नति का पैमाना महिलाओं की हालत बताई थी
सभी तबकों का कल्याण होवै इसा संविधान बनाया रै।।
विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।
4
उन्नीस सितंबर का दिन था मनु स्मृति जलाई कहते 
समतामूलक समाज की बाबा जी अलख जगाई कहते 
रणबीर उनके विचारों पै कर कोशिश छंद बनाया रै।।
विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।

Mohinder Singh

शहीद सफ़दर हाशमी को समर्पित रागनी 
Mohinder Singh
जनता खात्तर जीने वाले मरने तं नहीं डरा करते, 
लाठी गोली फाँसी फंदे तं सफ़दर नही मरा करते.
मजदूरो तुम कठे हो ल्यो वो बीच चौराहे न्यू बोल्या,
लूटनियाँ का करो खात्मा वो बीच चौराहे न्यू बोल्या, 
देश ना टाटा बिड़ला का वो करड़ा होकै न्यू बोल्या,
सरकार कै या बात खटकगी वो क्युं न्युं बोल्या, 
ज्यान लिये तं ओ हत्यारो विचार नहीं मिटा करते. 
जिन्दगी जीने का इसतैं बढीया कोए ढंग कोनी, 
मजदूर जमात का लाल रंग तं प्यारा रंग कोनी, 
इस तं बढीया सफ़दर मरने का कोए ढंग कोनी, 
इस राही पर चलने वाले कदम पाछे नहीं धरा करते .
अमन चैन की खात्तर मरग्या वो जंग के मैदान मैं, 
आँसू गेर कै ना बट्टा लाओ बहादूरी की शान मैं, 
झोंक दी सारी ताकत जितनी थी उसकी जान मैं, 
बोलण की भी रही ना आजादी अपने हिन्दुस्तान मैं,
और जोर तं गुंजैंगे ये नारे बंद नहीं हुआ करते.

सलाम सफ़दर को

सलाम सफ़दर को 
समाज की खातर मरने आले आज तलक तो मरे नहीं ||
कुर्बान देश पर होने वाले कदे कभी किसी से डरे नहीं ||
सफ़दर की हांसी हवा मैं आज भी न्योंये गूँज रही
चारों धाम था मच्या तहलका हो दुनिया मैं बूझ रही 
बैरी को नहीं सूझ रही पिछले गढ़े इब्बऐ भरे नहीं ||
मीडिया मैं जगहां बनाई विडीयो बढ़िया त्यार करी थी
खिलती कलियाँ के महां बात सही हर बार करी थी 
जवानी उसकी हुंकार  भरी थी गलत काम कदे करे नहीं ||
जितनै जीया सफ़दर साथी जीया जमा जी भर कै नै 
था लेखक बढ़िया अदाकार नुकड़ रच्या कोशिश कर कै नै 
निभाया वायदा मर कै नै जुल्मों से सफ़दर डरे नहीं ||
एक सफ़दर नै राह दिखाई हजारों सफ़दर आगे आवैंगे 
माला हाश्मी बनी सै चिंगारी घर घर मैं अलख जगावैंगे 
फिरकापरस्ती तैं टकरावैंगे रणबीर म्हारे कलम जरे नहीं ||

जय तै काम चलै ना

एकली जय तै काम चलै ना आज बताऊ सूं
उस महामानव का संघर्ष जाणो न्यू समझाऊं सूं।

था वो ज्योति बा का प्यारा
शिक्षा संगठन संघर्ष नारा
उसके बिन था कडै गुजारा इतिहास उठाऊं सूं •••

सहे थे जुल्म घणे तन मन मैं
दुभात होई बहोत घणी बचपन मैं
कुंदन बण्गया सोना तपकै याद दुवाऊं सूं••

न्याय नीति का बांधया पाला
बणया संविधान रचावण आला
नारी शूद्र का गाला मनुवाद लिखाऊं सूं ••

जला दई चौड़े मनुस्मृति
संविधान मैं ला ल्यो सुरती 
तुरता फूर्ति विक्रम राही गीत बणाऊं सूं ••

पोल खोल

पोल खोल हल्ला बोल का जनता नै नारा अपनाया रै।।
पांच  साल के भाजपा के इस राज पै सवाल उठाया रै।।
1
भाजपा नै खूब बहकाये  इब जनता सबक सिखावै 
अपने वोट के दम ऊपर वोटर इसनै जरूर हरावै
किसानी संकट बढ़ा दिया किसान फांसी पै चढ़ाया रै।।
पांच साल के भाजपा के इस राज पै सवाल उठाया रै।।
2
तेईस मई नै जनादेश का यो नतीजा सामनै आवैगा 
भाजपा की सरकार को वोटर तो जरूर हरावैगा 
मजदूर किसान नै मिलकै संघर्ष का बिगुल बजाया रै।।
पांच साल के भाजपा के इस राज पै सवाल उठाया रै।।
3
भाजपा हराओ देश बचाओ यो नारा देश मैं छाज्या  
नौजवान इंक़लाब जिंदाबाद का जमकै नारा लाज्या
भाजपा नै नफरत का देश मैं कसूता माहौल बनाया रै 
पांच साल के भाजपा के इस राज पै सवाल उठाया रै।।
4
चौकस रैहणा होगा जनता  जात धर्म पै नहीं बंटैगी
हटकै आगी भाजपा तो  म्हारी आजादी पूरी कटैगी   
   
रणबीर सोच समझ कै नै आज गया  छंद बनाया  रै।।
पांच साल के भाजपा के इस राज पै सवाल उठाया रै।।

सौ से ज्यादा संगठन


सौ से ज्यादा संगठन कट्ठे होकै संघर्ष का बिगुल बजारे सैं।।
बीस करोड़ तैं ज्यादा मैम्बर इनके झंडे तलै आरे सैं।।
सन चौदा मैं जनता नै जिन नीतियों को ठुकराया देखो
इन चार सालों मैं वेहे नीति जोर तैं आगे बढ़ाया देखो
साम्प्रदायिकता की कटारी और घणी तेज चलारे सैं।।
बीस करोड़ तैं ज्यादा मैम्बर इनके झंडे तलै आरे सैं।।
2
प्रो कॉर्पोरेट गरीब विरोधी मोदी जी थारी नीति बताई
आत्म निर्भरता हिंदुस्तान की अखाड़ बाढै उखाड़ बगाई
थारी नीतियां करकै माणस साथ मैं डांगर भी रंभारे सैं।।
बीस करोड़ तैं ज्यादा मैम्बर इनके झंडे तलै आरे सैं।।
3
बेरोजगरी पूरे हिंदुस्तान मैं रोजाना बढ़ती जारी देखो 
नौजवानों आगै अँधेरा छाया इनपै निराशा छारी देखो 
युवक कुछ युवतियां धुत थारे कारण होते जारे सैं।।
बीस करोड़ तैं ज्यादा मैम्बर इनके झंडे तलै आरे सैं।।
4
डिफेंस मैं सौ प्रतिशत एफडीआई थारी सरकार ल्याई
कृषि खुदरा व्यापार मैं भी छाती जारी सै एफडीआई
रणबीर सिंह बरगे ज्यां करकै आज कलम उठारे सैं ।।
बीस करोड़ तैं ज्यादा मैम्बर इनके झंडे तलै आरे सैं।।

कर्ज

लिए कर्ज के मैं डूब, हमनै तिरकै देख्या खूब,
 ना भाजी म्हारी भूख, लुटेरयां नै जाल बिछाया, हे मेरी भाण
1. ज्यों.ज्यों इलाज करया मर्ज बढ़ग्या म्हारा बेबे
  पुराने कर्जे पाटे कोण्या नयां का लाग्या लारा बेबे
  झूठे सब्जबाग दिखाये, अमीरां के दाग छिपाये
  गरीबां के भाग लिवाये, कर सूना ताल दिखाया,  हे मेरी भाण
2. विश्व बैंक चिंघाड़ रहया घरेलू निवेश कम होग्या
  म्हंगाई ना घटती सखी, गरीबी क्यों बढ़ती सखी
   जनता भूखी मरती सखी, नाज का भण्डार बताया हे मेरी भाण
3. जल जंगल और जमीन खोस लिए म्हारे क्यों
  सिरकै उपर छात नहीं दिए झूठे लारे क्यों
  आदिवासी तै मार दिया, किसानां उपर वार किया
   कारीगर धर धार दियाए बेरोजगारी नै फंख फैलाया, हे मेरी भाण
4.इलाज करणिया डाक्टर बी खुद हुया बीमार फिरै
  सुआ लवाल्यो सुवा लवाल्यो करता या प्रचार फिरै
  होगी महंगी आज दवाई, लुटगी सारी आज कमाई
  रणबीर सिंह बात बताई, खोल कै भेद बताया,  हे मेरी भाण

लेफ्ट राइट

लेफ्ट राइट की खिंचती आवै विचारों की लड़ाई देखो
लेफ्ट गरीबों का हिम्माती राइट अमीरों की बताई देखो 
1
लेफ्ट कहता सबका देश यो भारत देश हमारा देश
सब धर्मों के वासी आड़े ये रहते आये बिना क्लेश 
बहु विविधता भारत की सब रंगों का है समावेश 
किसान मजदूर रीढ़ इसकी ये नदी पहाड़ विशेष 
जल जंगल जमीन की देवै आड़े मौज दिखाई देखो 
2
आजादी की जंग मैं संघ नै गोरयाँ का साथ निभाया 
हिन्दू राष्ट्र का नारा लगाकै देश विभाजन कराया 
जिन्हां नै भी अंगद पैर पाकिस्तान ऊपर जमाया 
हिन्दू राष्ट्र का नारा हरेक देशवासी नै ठुकराया 
कश्मीरियों नै भी देश खातर हथियार उठायी देखो
3
कांग्रेस नै राज सम्भाल्या राह पूंजीवादी अपनाया रै
जनतंत्र का नारा देकै नै देश का संविधान बनाया रै
आजादी पाछै आत्मनिर्भर विकास का रास्ता चाहया रै
बड़े बड़े कारखाने चाले मजदूरों नै पसीना बहाया रै
किसानों नै कदम बढ़ाये देश मैं रवानगी आई देखो 
4
बंगाल त्रिपुरा केरल मैं वामपंथ नै जोर पकड़या
ढीला करया शिकंजा जो अमीर चाहवै था जकड़या
भूमि सुधार लागू करने मैं बंगाल केरल आगै लिकड़या 
फासीवादी विचार भाजपा के वाम पंथ साहमी अकड़या 
भाजपा नै साम्प्रदायिकता की रणबीर मुहीम बढ़ाई देखो 

रोहनात

Tuesday, 1 May 2018

नया नव जागरण --440 ----

नया नवजागरण
दलित महिला नौजवान मिलकै आज नया हरियाणा बणावैंगे ।।
अपना खोया आत्म सम्मान हांसिल कर दुनिया नै दिखावैंगे।।
1
पूंजीवादी विकास की राही या देखियो खाई और बढावैगी रै
गरीब जावै और भी सताया अमीर की पीठ थप थपावैगी रै
कुप्रचार समाज वाद के बारे हम जनता के साहमी ल्यावैंगे।।
2
इस राही नै देखो अमरीका आज कति पढ़ण बिठा दिया रै
हटकै मंदी का दौर छाया दुनिया मैं तहलका मचा दिया रै
किसान मजदूर सब कट्ठे होकै क्रांति का बिगुल बजावैंगे।।
3
देशी और अमरीकी कारपोरेट नै बणा यो गठजोड़ लिया
एसी जिंदगी जीवैं खुद ये गरीब तैं कति नाता तोड़ लिया
जात धर्म पै बांट कै दुनिया ये कितने दिन ऐश उड़ावैंगे।।
4
राज बदलना आसान आड़े सिस्टम बदलना आसान नहीं
सिस्टम ना बदलै जिब तक हो कट्ठा मजदूर किसान नहीं
कहै रणबीर ये दोनूं मिलकै साझला नया साज बजावैंगे।।

सुभाष बोस

पार्क मैदान में युवक कांग्रेस के अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कहा तो फिर क्या हमें बैलगाड़ी के बीते युग की ओर वापस जाना है? आत्मा के पाखण्ड को इतना पुष्ट किया जा रहा है कि भौतिक संस्कृति और फौजी प्रशिक्षण की उपेक्षा करके भी उन्हें लगता है सब ठीक चल रहा है। इस पावन भूमि के लिए मठ और आश्रम की कल्पना कोई नई नहीं है। सन्यासियों और सुपात्रों को इस माट्टी में सदैव आदर का स्थान प्राप्त होता रहा है और आगे भी होता रहेगा । परन्तु मैं युवाओं को चेतावनी देता हूँ कि यदि एक आधुनिक , स्वतंत्र , सुखी और शक्ति -सम्पन्न भारत का निर्माण करना है , तो हमें इस मंडली का अनुशरण नहीं करना है। इसके लिए पुरातन प्रभाव से मुक्त होकर नवयुग का शंख फूंको।
क्या बताया भला कवि ने------
पार्क मैदान मैं सुभाष नै ये अपने विचार सुनाये रै।।
युवाओं को ललकारया उसनै क्रांति के नारे गूँजाये रै।।
1
बोस नै युवा संगठन का उड़ै मतलब समझाया था
निठल्ले बेजान युवाओं का यो संगठन नहीं बताया था
सामाजिक सेवासंघ भी कोण्या बोस नै पाठ पढ़ाया था
अंग्रेज राज का विरोधी धधकता अंगार सुझाया था
रूस चीन जर्मनी के किस्से उड़ै पूरे खोल कै बताये रै।।
2
बोल्या अंग्रेजों नै चौतरफा करदी घेरेबंदी म्हारी वीरो
इम्पीरियल बैंक नै देश की करदी नाके बंदी भारी वीरो
कर्ज देने की करी मनाही जनता घणी दुख पारी वीरो
अंग्रेजों तैं छुटकारा पाल्यो ये देगे देश मैं बुहारी वीरो
ठारा सौ सत्तावन मैं भी संघर्ष के बिगुल बजाये रै।।
3
या आवाज बोस की उठी ऊंचे स्तर तलक बताई
साबरमती अर अरविंद के मतां पै सवाल उठाई
आधुनिक स्वतंत्र सुखी देश की या तीजी राह दिखाई
मठ आश्रम बीते समों की उनको सब बात समझाई
पुराने तैं मुक्त होवण नै नवयुग का शंख बजाया रै।।
4
युवकों के दिलो दिमाग मैं सुभाष पूरी तरियां छाग्या रै
भगत सिंह जतीनदास  इनका दस्ता मंच पै आग्या रै
दाढ़ी मूंछों आला नौजवान उड़ै पूरे पण्डाल नै भाग्या रै
सिर्फ अहिंसा के राह पै वो भगत सिंह सवाल ठाग्या रै
कहै रणबीर बरोणे आला सुण कै सुभाष मुस्कुराये रै।।