किस्सा शहीद भगत सिंह
शहीद भगत सिंहशहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को जिला लायलपुर (अब फैसलाबाद ) पाकिस्तान के बंगा नामक गांव में हुआ। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम श्रीमती विद्यावती था। उनके पुश्तैनी गांव का नाम खटकड़ कलां (जिला नवांशहर/ शहीद भगत सिंह नगर )है। भगत सिंह के पुर्वजों में शुरू से ही देश भक्ति और जनपक्षीय भावनाएं बहुत मजबूत थी । उनके पड़दादाओं में एक सरदार फतेह सिंह को ब्रिटिश सरकार ने उनकी एंगलो सिख युद्ध (1748-49) में सक्रिय भागीदारी के कारण उनकी जायदाद का आधा हिस्सा जब्त कर लिया था । ब्रिटिश सरकार की जनविरोधी नीतियों के कारण वे उनके पक्के दुश्मन बन गए । स्वतंत्रता संग्राम के पहले संग्राम 1857 में अंग्रेजों ने पंजाब के सिख सामन्तों को अधिक जमीन देने का लालच देकर क्रांतिकारियों का विरोध करने के लिए प्रेरित किया। सरदार फतेह सिंह को एक नजदीकी सामन्त ने ब्रिटिश हुक्मरान का इस प्रकार का एक संदेश देकर अपने पुत्र को उनके पास भेजा । सरदार फतेह सिंह ने उससे कहा कि "उनके पूर्वज हमेशा गुरु गोविंद सिंह के दिखाए रास्ते पर चले हैं । क्रांतिकारियों का विरोध आंतों का क्या का क्या करने के बराबर है , जो मैं कभी नहीं करूंगा ।"यही सिद्धांत उनके पौत्रों को बताया गया जिन्होंने इसका पालन किया ।
भगत सिंह के दादा सरदार अर्जुनसिंह एक समाज सुधारक थे और सामंती दमन के विरुद्ध गरीबों के सच्चे रक्षक थे ।उनके तीनों बेटे किशन सिंह, अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह प्रतिबद्ध स्वतंत्रता सेनानी बने । लाला लाजपत राय के साथ सरदार अजीत सिंह को किसान विरोधी कानून के खिलाफ 1907 में एक शक्तिशाली जनमोर्चे की अगुआई करने के जुर्म में देश निकाला दिया गया था। अंग्रेजों को इस कानून को वापस लेना पड़ा । सरदार अजीत सिंह की देश की आजादी के लिए संघर्ष में सेवाओं की प्रशंसा करते हुए बाल गंगाधर तिलक ने सूरत में अखिल भारतीय कांग्रेस अधिवेशन के दौरान उन्हें ताज पहनाकर सम्मानित किया था। अजीत सिंह ने 40 वर्ष तक विदेश में रहते हुए स्वतंत्रता संघर्ष जारी रखा। भगत सिंह के दूसरे चाचा सरदार स्वर्ण सिंह को देश भक्ति पूर्ण पुस्तिकाएं प्रकाशित करने के लिए 1910 में जेल में यंत्रणाएं दी गई जिसके कारण उनका मात्र 23 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। भगत सिंह अपने दादा की देखरेख में पले बढ़े और उन्होंने उनसे सामाजिक बराबरी , तर्कसंगत होना और दमन का विरोध करना सीखा । परिवार में सभी धर्मों के लिए समान देने और हर मनुष्य को प्यार देने की परंपरा थी ।
भगत सिंह ने अपने जन्मस्थल 105 जीबी (बंगा) नामक गांव से प्राथमिक शिक्षा हासिल की और लाहौर के डीएवी हाई स्कूल में दाखिला लिया । अंग्रेजों ने अब तक का सबसे दमनकारी कानून रोलेट एक्ट पास किया जिसका पूरे देश में व्यापक विरोध हुआ । 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा पर गोलीबारी में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों जख्मी हो गए । इस घटना की विश्व भर में निंदा हुई । नन्हा भगत सिंह अमृतसर पहुंचा और खून से सनी मिट्टी ईकट्ठी करके ले आया , वह बहुत गंभीर हो गया।
1921 जन जागरण का वर्ष था जब महात्मा गांधी ने पूरे राष्ट्र को अंग्रेज सरकार का बायकाट करने का आह्वान किया था । भगत सिंह इस आंदोलन में शामिल हो गए और उन्होंने इसमें सक्रिय भागीदारी की । गांधी जी के आह्वान पर उन्होंने स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी । फिर उन्होंने नेशनल कॉलेज लाहौर में दाखिला लिया जो ऐसे छात्र सत्याग्रहियों के लिए बनाया गया था । यहां उन्हें एक क्रांतिकारी भाई परमानंद जी ने शिक्षा दी। भाई परमानंद जी ने 1915 में गदर पार्टी द्वारा चलाए गए आंदोलन में हिस्सेदारी की थी जिसके कारण उन्हें अंडमान भेजा गया था । 19 वर्षीय नौजवान करतार सिंह सराभा ने गदर पार्टी का नेतृत्व किया था , वे स्वदेश लौटे, उनका लक्ष्य था -अंग्रेज सरकार को उखाड़कर समानता,भ्रातृत्व और स्वतंत्रता का शासन कायम करना। सराभा को अंग्रेजों ने फांसी दे दी । सराभा ने भगत सिंह पर बहुत अधिक प्रभाव छोड़ा। नेशनल कालेज ने स्वतंत्रता संग्राम के बारे में भगत सिंह के दृष्टिकोण को और अधिक व्यापक बनाया । यहां उनकी मुलाकात संग्राम के दीवाने नौजवानों जैसे भगवती चरण वोहरा, सुखदेव, यशपाल इत्यादि से हुई । दादी मां द्वारा दिए शादी के प्रस्ताव से बचने के लिए 1923 में भगत सिंह घर से कानपुर निकल लिए थे । कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी की देखरेख में उन्होंने पत्रकारिता और स्वतंत्रता सेनानी बनने की ट्रेनिंग ली । इसमें उन्हें जमीनी वास्तविकता से रूबरू होने और विश्व भर के स्वतंत्रता आंदोलनों का अध्ययन करने का शुभ अवसर मिला । यहां वह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन नामक क्रांतिकारी ग्रुप के संपर्क में आए । इस ग्रुप के नेता थे राम प्रसाद बिस्मिल , अशफाक उल्ला खाँ, जोगेश चंद्र चटर्जी । यहां उन्हें बटुकेश्वर दत्त , विजय कुमार सिन्हा, शिव वर्मा , जयदेव कपूर व अन्य कई नौजवान क्रांतिकारी मित्र मिले।
लाहौर वापस आने पर भगत सिंह ने सिंह ने नौजवान भारत सभा की स्थापना के लिए पहल की ताकि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में नौजवानों की ताकत को संगठित किया जा सके। नौजवान भारत सभा ने घोषित किया कि नौजवानों को स्वतंत्रता संग्राम में नेतृत्व कारी भूमिका निभानी चाहिए और उन्हें अपने जीवन में धर्म निरपेक्षता , समाजवाद और स्वतंत्र ढंग से सोच विचार करने की प्रक्रिया को उतारना चाहिए । उन्हें 'सेवा करने, तकलीफ सहने और बलिदान देने ' के आदर्श को मानना चाहिए । इस अवधि में काकोरी ट्रेन केस (0 9 अगस्त 1925) में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के वरिष्ठ नेताओं जैसे राम प्रसाद बिस्मिल ,अशफाक उल्ला खाँ, राजेंद्र लाहिड़ी एवं ठाकुर रोशन सिंह को गिरफ्तार कर दिसंबर 1927 में फांसी दी गई । इसके बाद भगत सिंह व चंद्रशेखर आजाद के कंधों पर क्रांतिकारी पार्टी के पुनर्निर्माण का दायित्व आ गया ।
भगत सिंह के अपने शब्दों में ,"मेरे मन मस्तिक के कोने -कोने में अध्ययन करने की तीव्र इच्छा अंगड़ाइयां ले रही थी । विपक्ष द्वारा पूछे गए सवालों का सामना करने के लिए अपने आप को अध्ययन के जरिए सक्षम करो । अपने दर्शन के पक्ष में तर्क देने के लिए अपने आप को अध्ययन से तैयार करो । मैंने अध्ययन करना शुरू किया । मेरे पहले विश्वासों और निष्ठाओं में जबरदस्त बदलाव आए । हमारे पूर्वजों में केवल हिंसात्मक तरीकों के बारे में जो एक रोमांटिक धारा थी , उसकी जगह गंभीर विचारों ने ले ली । अब कोई रहस्यवाद नहीं और नहीं कोई अंधविश्वास। यथार्थवाद हमारा दर्शन बन गया ।" उन्होंने आगे नोट किया कि , " हमें उस आदर्श का बहुत आदर्श का बहुत स्पष्ट ज्ञान होना चाहिए जिसके लिए हमें संघर्ष करना है ।"
1927 में भगत सिंह को पहली बार केवल शक के आधार पर पुलिस द्वारा लाहौर में गिरफ्तार किया गया और बाद में ₹60000 की भारी-भरकम जमानत पर छोड़ा गया । इससे उन्हें घर पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा । घर में उन्हें व्यस्त रखने के लिए एक डेयरी फार्म खोला गया । उनके पिता ने खेत मजदूरों के वेतन से संबंधित हिसाब किताब रखने के लिए एक रजिस्टर भी दे दिया ।उन दिनों भगत सिंह ने टालस्टाय की पुनरूत्थान नामक पुस्तक पढ़ी । भगत सिंह ने पाया कि सभी खेतिहर मजदूर कर्ज में हैं । उसने पूछताछ की और पाया कि उनके दुखों का कारण उन्हें मिल रहा कम वेतन है । भगत सिंह ने अपने खेत मजदूरों का सारा कर्ज माफ कर दिया। उन्होंने अपने पिता से कहा -क्योंकि हम इन मजदूरों के श्रम से लाभ कमाते हैं, इन्हें हो रही हानि भी हमारी चिंता का विषय होना चाहिए , इसलिए इन का कर्ज माफ कर दिया है ।
भगत सिंह ने विश्व क्रांतिकारी आंदोलन और विजय स्वतंत्रता संघर्षों के बारे में बड़ी गहराई से अध्ययन किया। उनके अध्ययन में अप्टॉन सिंक्लेयर , जैक लंडन , एम्मा गोल्डमैन , बर्नार्ड शॉ , चालर्स डिकनज, एंगेल्स, प्रिन्स क्रांपटन, बाकुनिन, मार्क्स और ऐसे कई और लेखक शामिल थे ।
वार्ता
शहीद भगत सिंह की याद में
रागनी 1
हट कै क्यूकर बुलाऊँ मैं , पुनर्जन्म नहीं गया बताया ।।
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
1
तेईस साल का था जिब तूं फांसी का फंदा चूम गया
इन्कलाब जिंदाबाद का नारा फिरंगी का सिर घूम गया
पगड़ी सम्भाल जट्टा का गाना इनपै भारतवासी झूम गया
बम्ब गेरया असम्बली के मैं तूं मचा देश मैं धूम गया
समतावादी समाज बानावां इसका विचार यो बढाया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
2
मार्क्सवाद तैं ले कै प्रेरणा शोषण ख़त्म करना चाहया था
सबके हक़ बराबर होंगे इंकलाबी नारा यो लाया था
यानी सी उमर भगत सिंह तेरी गाँधी को समझाया था
गोरे जा कै काले आज्यांगे सवाल तनै यो ठाया था
क्रांतिकारी नौजवानों का संगठन तमनै मजबूत बनाया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
3
ढाल ढाल के भारत वासी सबकी भलाई चाही तनै
यो सपना पूरा होज्या म्हारा नौजवान सभा बनाई तनै
अंध विश्वासी भारत मैं लड़ी विचारों की लडाई तनै
वर्ग संघर्ष सही रास्ता जिसपै थी शीश चढ़ाई तनै
तेरा रास्ता भूल गये ना सबकै आजादी का फल थ्याया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
4
तेरे सपनों का भारत देश भगत सिंह हम बना वांगे
मशाल जो तनै जलाई वा घर घर मैं हम ले ज्यावांगे
थाम नै फांसी खाई थी हम ना पाछै कदम हटा वांगे
जात पात गोत नात पै ना झूठा झगडा हम ठा वांगे
रणबीर सिंह बरोने आले नै दिल तैं यो छंद बनाया ||
तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।
वार्ता
भगत सिंह (जन्म: 28 सितम्बर 1907 , मृत्यु: 23 मार्च 1931) भारत के एक प्रमुख क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे। भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है। इन्होंने केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें 23 मार्च 1931 को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। सारे देश ने उनके बलिदान को बड़ी गम्भीरता से याद किया। पहले लाहौर में साण्डर्स-वध और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय असेम्बली में चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। भगत सिंह ने मार्क्सवादी विचारधारा का गहन मंथन किया और इसी को संघर्ष का आधार बनाया |
रागनी 2
सोने की चिड़िया भारत इसका भगत सिंह हाल देखले आकै ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
1
मेहनत कश देशवासियों नै यो खून पसीना एक करया
खेत कारखाने खूब कमाए यो देश खजाना खूब भरया
टाटा अम्बानी लूट कै लेगे आज अपने प्लान बनवाकै ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
2
तीनों फांसी का फन्दा चुम्मे दुनिया मैं इतिहास बनाया
थारी क़ुरबानी नै भारत मैं आजादी का अलख जगाया
दिखावा करैं थारे नाम का असल मैं धरे टांड पै बिठाकै ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
3
भ्रष्टाचार ठाठे मारै देखो दिल्ली के राज दरबारों मैं
कुछ भृष्ट नेता भ्रष्ट अफसर मौज करैं सरकारों मैं
बाट आजादी के फ़लां की आज हम देखां सां मुंह बाकै ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
4
प्रेरणा लेकै थारे तैं हम आज कसम उठावां सारे रै
ज्यान की बाजी लाकै नै सपने पूरे करां थारे रै
लिखै रणबीर साची सारी आज एक एक बात जमाके ॥
जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥
वार्ता
भगत सिंह राज गुरु सुखदेव के सपने अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। इसके कारणों में जाना और विचार करना जरूरी है। क्या बताया भला--
रागनी 3
सपने चकनाचूर करे थारे देश की सरकारां नै।
जल जंगल जमीन कब्जाए देश के सहूकारां नै ।
1
शिक्षा हमें मिलै गुणकारी , भगत सिंह सपना थारा
मरै ना बिन इलाज बीमारी, भगत सिंह सपना थारा
भ्रष्टाचार कै मारांगे बुहारी, भगत सिंह सपना थारा
महिला आवै बरोबर म्हारी, भगत सिंह सपना थारा
बम्ब गेर आवाज सुनाई, बहरे गोरे दरबारां नै।
2
समाजवाद ल्यावां भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
कोए दुःख ना ठावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
दलित जागां पावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
अच्छाई सारै छावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना
जनता चैन का सांस लेवै बिन ताले राखै घरबारां नै।
3
थारी क़ुरबानी के कारण ये आजादी के दिन आये
उबड़ खाबड़ खेत संवारे देश पूरे मैं खेत लहलाये
रात दिन अन्न उपजाया देश अपने पैरों पै ल्याये
चुनकै भेजे जो दिल्ली मैं उणनै हम खूब बहकाये
आये ना गोरयां कै काबू कर लिए अपने रिश्तेदारां नै।
4
समाजवाद की जगां अम्बानीवाद छाता आवै देखो
थारे सपने भुला कै धर्म पै हमनै लड़वावै देखो
मुजफ्फरनगर हटकै भगत सिंह थामनै बुलावै देखो
दोनों देशों मैं कट्टरवाद आज यो बढ़ता जावै देखो
रणबीर खोल कै दिखावै साच आज के नम्बरदारां नै।
वार्ता
भारत देश बहुत सालों तक गुलाम रहा। देश भक्तों ने संघर्ष किया तो 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। सबसे बड़ा गणतन्त्र है। क्या बताया भला--
रागनी 4
यो गणतंत्र सबतै बड्डा भारत आवै कुहाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
2
दो सौ साल गोरया नै भारत गुलाम राख्या म्हारा था
गूंठे कटाये कारीगरां के मलमत दाब्या म्हारा था
सब रंगा का समोवश था फल मीठा चाख्या म्हारा था
भांत-भांत की खेती म्हारी नहीं ढंग फाब्या म्हारा था
फूट गेर कै राज जमाया कही जाती बात समाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
2
वीर सिपाही म्हारे देस के ज्यान की बाजी लाई फेर
लक्ष्मी सहगल आगै आई महिला विंग बनाई फेर
दुर्गा भाभी अंगरेजां तै जमकै आड़ै टकराई फेर
याणी छोरियां नै गोरयां पै थी पिस्तौल चलाई फेर
गोरे लागे राजे रजवाड़यां नै अपणे साथ मिलाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
3
आवाज ठाई जिननै उनके फांसी के फंदे डार दिये
घणे नर और नारी देस के काले पाणी तार दिये
मेजर जयपाल नै लाखां बागी फौजी त्यार किये
फौज आवै बगावत पै म्हारे बड्डे नेता इन्कार किये
नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी मैं अंग्रेज लगे दबाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
4
आजादी का सपना था सबकी पढ़ाई और लिखाई का
आजादी का सपना था सबका प्रबन्ध हो दवाई का
आजादी का सपना था खात्मा होज्या सारी बुराई का
आजादी का सपना था आज्या बख्त फेर सचाई का
हिसाब लगावां आजादी का रणबीर सिंह के गाणे मैं।।
भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।
वार्ता
पन्दरा अगस्त आजादी का दिन --एक लेखा जोखा उन कुर्बानियों का जिनके दम पर देश आजाद हुआ---
रागनी 5
कितने गये काला पानी कितने शहीद फांसी टूटे रै।।
पाड़ बगा दिए गोरयां के गढ़रे थे जो देश मैं खूंटे रै ।।
1
पहली आजादी की जंग थारा सो सतावन मैं लड़ी थी
बंगाल आर्मी करी बगावत जनता भी साथ भिड़ी थी
ठारा सौ सतावन के मैं जन क्रांति के बम्ब फूटे रै ।।
2
भगत सिंह सुख देव राजगुरु फांसी का फंदा चूमे
उधम सिंह भेष बदल कै लन्दन की गालाँ मैं घूमे
चंदर शेखर आजाद साहमी गोरयां के छक्के छूटे रै।।
3
सुभाष चन्द्र बोश नै आजाद हिंद फ़ौज बनाई थी
महिला विंग खडी करी लक्ष्मी सहगल संग आई थी
धुर तैं आजादी खातिर ये किसान मजदूर भी जुटे रै ।।
4
गाँधी की गेल्याँ जनता जुड़गी हर तरियां साथ दिया
चाल खेलगे गोरे फेर बी देश मैं बन्दर बाँट किया
बन्दे मातरम अलाह हूँ अकबर ये हून्कारे उठे रै ।।
5
सोच घूमै इब्बी जिसने देख्या खूनी खेल बंटवारे का
लाखां घर बर्बाद हुए यो क़त्ल महमूद मुख्त्यारे का
दो तिहाई नै आज बी रोटी टुकड़े पानी संग घूंटे रै ।।
6
छियासठ साल मैं करी तरक्की नीचे तक गई नहीं
ऊपरै ऊपर गुल्पी आजादी नीचै जावन दई नहीं
रणबीर सिंह टोह कै ल्यावै खुये मक्की के भूट्टे रै ।।
वार्ता
भगत सिंह हर के सपनों के बारे में क्या बताया भला-
रागनी 6
जिन सपन्यां खातर फांसी टूटे हम मिलकै पूरा करांगे ।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
1
सबको मिलै शिक्षा पूरी यही तो थारा विचार बताया
समाज मैं इंसान बराबर तमनै यो प्रचार बढ़ाया
एक दूजे नै कोए ना लूटै थामनै समाज इसा चाहया
मेहनत की लूट नहीं होवै सारे देश मैं अलख जगाया
आजादी पाछै कसर रैहगी हम ये सारे गड्ढे भरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
2
फुट गेरो राज करो का गोरयां नै खेल रचाया था
छूआ छूत पुराणी समाज मैं लिख पर्चा समझाया था
समाजवाद का पूरा सार सारे नौजवानों को बताया था
शोषण रहित समाज होज्या इसा नक्शा चाहया था
थारे विचार आगै लेज्यावांगे हम नहीं किसे तैं डरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
3
नौजवानो को भगत सिंह याद आवै सै थारी क़ुरबानी
देश की खातर फांसी टूटे गोरयां की एक नहीं मानी
देश की आजादी खातर तकलीफ ठाई थी बेउन्मानी
गोरयां के हाथ पैर फूलगे जबर जुल्म करण की ठानी
क्रांतिकारी कसम खावैं देश की खातर डूबाँ तिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
4
बहरे गोरयां ताहिं हमनै बहुत ऊंची आवाज लगाई
जनता की ना होवै थी सुनायी ज्यां बम्ब की राह अपनाई
नकाब फाड़ना जरूरी था गोरे खेलें थे घणी चतुराई
गोरयां की फ़ौज म्हारी माहरे उप्पर करै नकेल कसाई
रणबीर कसम खावां सां चाप्लूसां तैं नहीं घिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
वार्ता
भगत सिंह के रास्ते को अपनाना होगा। क्या बताया भला-
रागनी 7
एक दिन जनता जागैगी, भ्रष्ट राजनीति भागैगी, घोटाल्याँ पाबंदी लागैगी, इन सबकी सै आस मनै।।
1
असल मैं तो नौकरी आज बहोत घणी बची कोण्या
बिना सिफारिश पीसे मिलज्या या बात जँची कोण्या
यो हिसाब जनता माँगैगी,या कसूरवारां नै टाँगैगी,
ठेकेदारां नै पूरा छांगैगी, इसका सै अहसास मनै।।
2
जो भी परिवर्तन आया वा या जनता ल्याई देखो
शोषण का रूप बदल्या जब जनता ली अंगड़ाई देखो
लगाम अमीरों कै लागैगी,हथकड़ी उनकै फाबैगी,
जनता उस दिन नाचैगी,उलगी आवैगी सांस मनै।।
3
जनता की जनवादी क्रांति सुधार आवै पूरे समाज मैं
कोये भूखा नहीं सोवै अमन शांति छावै पूरे समाज मैं
छुआछूत ना टोही पावैगी ,भ्रष्टाचार ना भाजी थ्यावैगी, भूख ना फेर सतावैगी , बनता दीखै इतिहास मनै।।
4
यो हासिल करने खातर भगत सिंह बनना होगा
जनतंत्र असली खातर संघर्ष मैं उतरना होगा
अर्थ नीति बदली जावैगी,फेर सांस मैं सांस आवैगी,दुनिया मैं शांति छावैगी, रणबीर देवै विश्वास मनै।।
वार्ता
लेखक भगत सिंह को आह्वान करके क्या कहता है ------
रागनी 8
देख ले आकै सारा हाल , क्यों देश की बिगड़ी चाल, सोने की चिडया सै कंगाल , भ्रष्टाचार नै करी तबाही ।।
1
अंग्रेज तैं लड़ी लडाई , थारी कुर्बानी आजादी ल्याई
देश के लुटेरों की बेईमानी फेर म्हारी बर्बादी ल्याई
क्यों भूखा मरता कमेरा , इसनै क्यूकर लूटै लुटेरा, करया चार
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