Saturday, 1 October 2022

329 रागनी

 लिखी रागनी

रणबीर 

1)

: 1 मई का दिन दुनिया के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है । मजदूरों ने इकट्ठे होकर अपने हकों के लिए आवाज उठाई थी। अपने खून की कुर्बानी दी थी। लाल झंडे की महिमा को स्थापित किया था। क्या बताया भला:--

*मई दिवस यो एक मई नै दुनिया मैं मनाया जावै ।।*

*दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै ।।*

1

लड़ी मजदूरों नै कट्ठे होकै दुनिया मैं लड़ाई बेबे 

लाल झंडा रहवै सलामत छाती मैं गोली खाई बेबे 

*पूरी एकता दिखाई बेबे यो एहसास कराया जावै।।*

दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै ।।

2

देकै शहादत मजदूरों नै अपने हक लेने चाहे थे

कई सौ मजदूर कट्ठे होकै शिकागो के मैं आये थे

*एकता के नारे लाये थे म्हारा हक ना दबाया जावै।।*

दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै ।।

3

समाजवाद की दुनिया मैं एक नई या लहर चली

चीन साथ मैं वियतनाम या हर गली शहर चली 

*दिन रात आठ पहर चली इतिहास मैं बताया जावै।।*

दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै ।।

4

उस दिन तैं मजदूर दिवस मेहनतकश मणाण लगे

मजदूर एकता जिंदाबाद सुन मालिक घबराण लगे

*रणबीर सिंह गीत बणाण लगे एक मई नै गाया जावै।।*

दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।

2)

वातावरण पर एक रचना

*क्लाइमेट चेंज* 

*इस क्लाइमेट चेंज नै ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाई रै।।*

*पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।।*

1

वातावरण पै घणा कसूता इसनै असर दिखाया

जल यो पूरी दुनिया का प्रदूषित हुया बताया

*जमीन तले के पाणी मैं कीटनाशक दवा पाई रै।।*

पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।।

2

कीटनाशक शरीर मैं घणे नुकसान करै कहते

कैंसर का प्रकोप घणा हम इसके करकै सहते

*विकास यो टिक्या मुनाफे पै म्हारे नाश की राही रै।।*

पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।।

3

खेती आली धरती पै जलवायु संकट छाग्या भाई

इसकी उपज की ताकत पूरे तरियां खाग्या भाई

*लागत बढ़ी पैदावार की कीमत थोड़ी थयाई रै।।*

पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।।

4

विकसित देश कार्बन नाइट्रोजन घणी छोड़ रहे

क्लाइमेट चेंज के फैंसले कसूती ढालां तोड़ रहे

*रणबीर इब जनता नै पड़ै कमर कसनी भाई रै।।*

पूरी दुनिया मैं देवै जलवायु प्रदूषण दिखाई रै।।


3)

**रागनी*

*युवा का म्हारे देश मैं यो कसूता भूत बनाया रै।।*

*बेरोजगारी बढ़ाते रोजाना जावै रोज भकाया रै।।*

1

शिक्षा का ज़िकरा ना सरकारी स्कूल बंद होते जावैं

सेहत की परवाह कोण्या बीमारी रोज बढ़ती आवैं

*आउट ऑफ पॉकेट खर्चे नै सबकै सांस चढ़ाया रै।।*

2

सुलटे काम मिलते कोण्या उल्टे काम रोज बुलाते रै

पीसा उड़ै दीखै चौखा लाचारी मैं उड़ै युवा जाते रै

*जेलों मैं युवा का नम्बर आज यो बढ़ता पाया रै।।*

3

मानसिक तनाव युवा का हमनै देता दिखाई कोण्या

रोजाना फांसी की खबर होती जमा समाई कोण्या

*फांसी कोए इलाज नहीं संघर्ष इलाज बताया रै।।*

4

जात पात और धर्म के भेद भूलकै एक मंच पै आणा हो

किसान आंदोलन जिसा डेरा रोजगार मांग पै लाणा हो

*कहै रणबीर भगत सिंह नै योहे पाठ था पढ़ाया रै।।*

18/06/2022, 8:24 am - Dr. Ranbir Singh Dahiya:

4)

 एक बाप का दुःख 

कुनबा सारा मूँधा पड़या नहीं होती छोरी की सगाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

1

पढ़ लिख कै बेटी आई एफ एस अफसर बणगी

दहेज़ एक करोड़ पै पहोंच्या सिर की नस तणगी

मेहनत करी दिन रात मुड़कै पाछै नहीं लखाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

2

बिन ब्याही बेटी का घर मैं बोझ घणा कसूता होज्या रै

मेरे बरगा सिद्धान्ति माणस भी सबर अपना खोज्या रै

घर मैं दीखै सूनापन जब ना पावै कोये राही।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

3

जात के भीतर आई ऐ एस कोये भी मिलता कोण्या

एक मिल्या तो गोत उसका म्हारे गाम मैं चलता कोण्या 

इन गोतां के चक्कर नै म्हारी तो पींग सी बधाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

4

माथा पाकड़ कै बैठ गया तीन साल जूती तुड़वाली

या उम्र तीस साल की ओवर ऐज खाते मैं जाली

दोतीन और अफसर थे उनकी मांग बेढंगी पाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

5

बेटी नै तो कर लिया फैंसला ब्याह नहीं कावाने का 

मां बोली हमनै के ठेका बेटी जात बीच ब्याहने का

कौम के ठेकेदारां नै नरमी नहीं  बरती चाही।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

6

जात छोड़ ब्याह करने का मेरा तो जी करता कोण्या

बिन ब्याही रह्वैगी बेटी न्यों सोच दिल भरता कोण्या 

जात मनै लागै थी प्यारी इसनै मेरी करी पिटाई।।

7

न्योंये कित धक्का दे दयूं आज मेरी समझ नहीं आता

एक करोड़ कड़े तैं ल्याऊं आज मेरा तो यो खाली खाता

दो च्यार लाख मैं नहीं करते कौमी बेटे मेरी सुनाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

8

भितरै भितर सोचूँ कितै बेटी प्रेम विवाह करले

नीरस जिंदगी जो उसकी उसनै खुशियों तैं भरले

वा बागी होकै करले शादी होज्यगी मेरी मनचाही।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

9

तिरूं डूबूँ जी होरया इसनै रोज समझाऊँ क्यूकर

जात भितर की सीमा दिल खोल दिखाऊं 

क्यूकर

म्हारे बरगे माणसां की होरी सारे कै जग हंसाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

10

नौकरी के कारण बेटी नै कई देशां मैं जाना पड़ता 

भांत भांत के लोगां तैं उसनै उड़ै हाथ मिलाना पड़ता 

रणबीर खुलापन आया यो आज साहमी दे दिखाई ।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।


5********

तान ,भाइयो बोल ना झूठ रहया।।

इब तो जागज्या  किसान तो जागज्या किसान, देख हमनै कौण लूट रहया।।

1

दिन और रात काम करैं, फेर भी मुश्किल पेट भरैं

करैं मौज यहां धनवान, तूँ पाणी से रोटी घूंट रहया।।

2

ये पंडे और पुजारी लूटैं, ये अमरीकी ब्योपारी लूटैं

लुटैं क्यों हम भगवान, क्यों अमरीका खागड़ छूट रहया।।

इब तो जागज्या किसान

3

बिजली चमकै पाला पड़ता, तूँ पाणी के भीतर बड़ता

लड़ता सरहद पै जवान, वो चांदी महलां मैं कूट रहया।।

इब तो जागज्या किसान

4

धनवानों के महल अटारी, खोस लेज्यां मेहनत म्हारी

उतारी म्हारे घर की छान, बांस ऊँका बीच तैं टूट रहया।।

इब तो जागज्या किसान

5

जब जब ठाये हमनै झंडे, पुलिस के खाये गोली डंडे

बनादें मरघट का शमशान, घाल कमेरयां भित्तर फूट रहया।।

इब तो जागज्या किसान 

6

आज इंसान करया लाचार, नाव फंसी बीच मंझदार

हरबार लड़ावै यो बेईमान, म्हारा सब किमै यो चूट रहया।।

इब तो जागज्या किसान 

7

सुन रणबीर सिंह का गाणा, रोवै बूढ़ा और याणा स्याणा

बताणा करे दारू नै गलतान


7)

वैज्ञानिक नजर

वैज्ञानिक नजर के दम पै जिन्दगी नै समार लिये।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

1

सादा रैहणा उचे विचार साथ मैं पौष्टिक खाणा यो

मानवता की धूम मैच चाहिये इसा संसार बसाणा यो

सुरग की आड़ै नरक की आड़ै ना कितै और ठिकाणा यो

पड़ौसी की सदा मदद करां दुख सुख मैं हाथ बंटाणा यो

धरती सूरज चौगरदें घूमै ब्रूनो नै सही प्रचार किये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

2

साच बोलणा चाहिये पड़ै चाहे थोड़ा दुख बी ठाणा रै

नियम जाण कुदरत के इसतै चाहिये मेल बिठाणा रै

हाथ और दिमाग तै कामल्यां चाहिये दिल समझाणा रै

गुण दोष तै परखां सबनै अपणा हो चाहे बिराणा रै

जांच परख की कसौटी पै चढ़ा सभी संस्कार लिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

3

इन्सान मैं ताकत भारी सै नहीं चाहिये मोल घटाणा

सच्चाई का साथ निभावां पैड़े चाहे दुख बी ठाणा

लालची का ना साथ देवां सबनै चाहिये धमकाणा

मारकाट की जिन्दगी तै ईब चाहिये पिंड छटवाणा

पदार्थ तै बनी दुनिया इसनै चीजां को आकार दिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

4

दुनिया बहोतै बढ़िया इसनै चाहते सुन्दर और बणाणा

जंग नहीं होवै दुनिया मैं चाहिये इसा कदम उठाणा

ढाल-ढाल के फूल खिलैं चाहिये इनको आज बचाणा

न्यारे भेष और बोली दुनिया मैं न्यारा नाच और गाणा

शक के घेरे मैं साइंस नै रणबीर सिंह सब डार दिये।।

जीवन दृष्टि सही बणाकै बदल पुराने विचार लिये।।

8)


1983 और 1986 के दौर में लिखी एक रागनी 

बिना बात के रासे मैं इब बख्त गंवाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै  यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

1

महंगाई गरीबी बेरूजगारी हर दिन बढ़ती  जावै सै

जो भी मेहनत करने आला तंग दूना होता आवै सै

जब हक मांगै अपना तो वो ताण बन्दूक दिखावै सै

कितै भाई कितै छोरा उसके बहकावे मैं आवै सै

खुद का स्वार्थ, देश कै बट्टा यूं तो लाणा ठीक नहीं ।।

अपने संकट काटण नै  जात का बाणा ठीक नहीं ।।

2

म्हारी एकता तोड़ण खातिर बीज फूट का बोवैं सैं

मैं पंजाबी तूँ बंगाली यो जहर कसूता ढोवैं सैं

मैं हरिजन तूँ जाट सै न्यारा नश्तर खूब चुभोवैं सैं

आपस कै महं करा लड़ाई नींद चैन की सौवैं सैं

इनके बहकावे मैं आकै खुद भिड़ जाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै  जात का बाणा ठीक नहीं ।।

3

म्हारी समझ नै भाइयो दुश्मन ओछी राखणा चाहवै

म्हारे सारे दुखां का दोषी यो हमनै ए आज ठहरावै 

खलकत घणी बाधू होगी कहै इसनै इब कौन खवावै

झूठी बातां का ले सहारा उल्टा हमनै ए वो धमकावै

इन सबके बहकावे के मैं मजदूर का आणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

4

दे हमनै दूर रहण की शिक्षा दे राजनीत तैं राज करै

वर्ग संघर्ष की राही बिन यो म्हारा कोण्या काज सरै

कट्ठे होकै देदयाँ घेरा यो दुश्मन भाजम भाज मरै

झूठे वायदां की गेल्याँ म्हारा क्यूकर पेटा आज भरै

रणबीर मरैं सब यारे प्यारे इसा तीर चलाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै जात का बाणा ठीक नहीं।।


9)**रागनी*

*युवा का म्हारे देश मैं यो कसूता भूत बनाया रै।।*

*बेरोजगारी बढ़ाते रोजाना जावै रोज भकाया रै।।*

1

शिक्षा का ज़िकरा ना सरकारी स्कूल बंद होते जावैं

सेहत की परवाह कोण्या बीमारी रोज बढ़ती आवैं

*आउट ऑफ पॉकेट खर्चे नै सबकै सांस चढ़ाया रै।।*

2

सुलटे काम मिलते कोण्या उल्टे काम रोज बुलाते रै

पीसा उड़ै दीखै चौखा लाचारी मैं उड़ै युवा जाते रै

*जेलों मैं युवा का नम्बर आज यो बढ़ता पाया रै।।*

3

मानसिक तनाव युवा का हमनै देता दिखाई कोण्या

रोजाना फांसी की खबर होती जमा समाई कोण्या

*फांसी कोए इलाज नहीं संघर्ष इलाज बताया रै।।*

4

जात पात और धर्म के भेद भूलकै एक मंच पै आणा हो

किसान आंदोलन जिसा डेरा रोजगार मांग पै लाणा हो

*कहै रणबीर भगत सिंह नै योहे पाठ था पढ़ाया रै।।*


10)

*ड्राइविंग  लाइसेंस  दो सौ  पचास का पचपन सौ  पै आ लिया।।*

*छत्तीस  सो रूपये का स्टील आज पैंसठ सो तैं ऊपर जा लिया।।*

1

तीन सो पचास का सिलैंडर आज एक हजार मैं मिलता रै

ढाई लाख करोड़ का कर्जा छब्बीस लाख करोड़ पै चढ़ता रै

*बेरोजगारी नै दो प्रतिशत तैं पैंसठ प्रतिशत का उछाला खा लिया।।*

छत्तीस  सो रूपये का स्टील आज पैंसठ सो तैं ऊपर जा लिया।।

2

चालीस करोड़ गरीब पाछै सी ईब अस्सी  करोड़ 

ऊपर पहोंचाए

सरसों के तेल नै आज सतर तैं दो सौ रूपये तांहि पैर फैलाए

*बीस शुगर मीलों कै ताला या आठ दस सालों मैं लगा लिया।।*

छत्तीस  सो रूपये का स्टील आज पैंसठ सो तैं ऊपर जा लिया।।

3

सत्तर का पैट्रोल आज देखो यो सौ रूपये का होग्या भाई

छात्र छात्राओं की आज देखो कितनी महंगी हुई सै पढ़ाई 

*साढ़े चार लाख नौजवानों की खोस कै नौकरी दबा लिया।।*

छत्तीस  सो रूपये का स्टील आज पैंसठ सो तैं ऊपर जा लिया।।

4

होंसला बढा बलात्कारियां का म्हारा समाज बिगाड़ दिया

सिर पै बिठाकै नै बदमाश जलूस जनता का लिकाड़ दिया

*दस लाख रोजगार का वायदा रणबीर सारा देश भका लिया।।*

छत्तीस  सो रूपये का स्टील आज पैंसठ सो तैं ऊपर जा लिया।।

11)

म्हारी खेती नै जो बचावै , रोटी बी हमनै दिलवावै , म्हारे देश नै जो बचावै,लहर ईसी ठावां भाइयो।।

1

अम्बानी अडानी  खेल बनारे,

देश शासकां की रेल बनारे , 

इननै तारी सै बुरी ढाल, किसान और मजदूर की खाल, जनता करदी कसूती बेहाल, देश मैं काट बिछावां भाइयो।।

2

जिब ये रोटी नहीं दे पाये 

हटकै मंदिर नै ले आये ,

जात पै हम बांटे चाहे, धर्म पै खूब काटे चाहे, मन ये करे खाटे चाहे , देश मैं अलख जगावां भाइयो।।

3

कारपोरेट की दया पै छोड़ दिये, 

म्हारे तैं नाते कति तोड़ लिए

किसान आंदोलन का साथ हुया, सहारा दिन और रात का हुया, मजदूर का भी साथ हुया,देश मैं एकता बधावां भाइयो।।

4

किसान संघर्ष फेर बढैगा  , 

अम्बानी अडानी  की भद पिटैगा,

रणबीर नै करी कविताई ,तुरत फुरत मैं

रागनी बनाई, चुनल्यां एके की राही, देश नै बचावां भाइयो।।


12)

युग पुरुष डॉ भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर उनकी याद के रूप में एक रागनी*****

बाबा साहेब अंबेडकर 

शिक्षित होकै संगठन बनाकै संघर्ष का नारा लाया रै।।

विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।

1

दलित शोषित महिलाओं को समाज  मैं सम्मान मिलज्या

म्हारी दरद भरी जिंदगी मैं खुशी का कोय फूल खिलज्या

सामाजिक समानता बारे संघर्ष का बिगुल बजाया रै।।

विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।

2

चौदह अप्रैल ठारा सौ कियानवै इस दुनिया मैं आये 

परिवार मैं बाबा साहेब ये चौदहवीं सन्तान बताये

दलितोत्थान के विचार तैं युग बदलो का नारा ठाया रै।।

विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।

3

नागपुर सम्मेलन के मां उणनै एक बात समझाई थी 

देश की उन्नति का पैमाना महिलाओं की हालत बताई थी

सभी तबकों का कल्याण होवै इसा संविधान बनाया रै।।

विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।

4

उन्नीस सितंबर का दिन था मनु स्मृति जलाई कहते 

समतामूलक समाज की बाबा जी अलख जगाई कहते 

रणबीर उनके विचारों पै कर कोशिश छंद बनाया रै।।

विचार मानवता वाद का पूरी दुनिया मैं पंहुचाया रै।।


13)

11 अप्रैल को महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती के मौके पर ज्योतिबा फुल्ले जी की याद में ****

उनीसवीं सदी मैं भारत दूज्यां का गुलाम बताया।।

धर्म जात पै यो बंटया टुकड्यां के मैं दिखाया।।

1

समाज पै परम्परावादी सोच घणी छारी थी

ज्ञान सत्ता के स्रोतां पै उच्च वर्गों की थानेदारी थी

व्यवस्था नै अछूत वर्ग यो हिंदुस्तान मैं बनाया।।

धर्म जात पै यो बंटया टुकड्यां के मैं दिखाया।।

2

इस वर्ग नै अपमान सह्या अभाव घणे झेले

अँधेरी गुफाओं बीच मैं ये तबके गए धकेले

गैर बराबरी की आग नै भारत देश जलाया।।

धर्म जात पै यो बंटया टुकड्यां मैं दिखाया।।

3

इनपै जुल्म ढाल ढाल के खूब करे जावैं थे

जानवरां तैं भुंड़ी ढाल घणे बोझ धरे जावैं थे 

वंचितों को म्हारे समाज नै बहोत घणा सताया।।

धर्म जात पै यो बंटया टुकड्यां के मैं दिखाया।।

4

कई जात अछूत के भीतर समाज नै बनाई

बस्ती गाम तैं बाहर म्हारे हिंदुस्तान मैं बसाई

धरती पर भी थूकन का दखे पाबंद लगाया।।

धर्म जात पै यो बंटया टुकड्यां के मैं दिखाया।।

5

गले मैं हंडिया लटका कै ये तबके चाल्या करते

निशान साफ करे बिन ना कदम डाल्या करते 

दूरी बनी रैह जिमा घण्टी बजाने का लगाया।।

धर्म जात पै यो बंटया टुकड्यां के मैं दिखाया।।

6

बीड़ा ज्योतिबा फुल्ले नै इनके खिलाफ उठाया

शिक्षा का प्रसार किया घर घर अलख जगाया

कहै रणबीर दबंगों नै घणा विरोध जताया।।

धर्म जात पै यो बंटया टुकड्यां  के मैं दिखाया।।


14)

नोएडा और गुड़गामा

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।

1

मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो

तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो

तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो

रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो

इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

2

अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै

ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै

भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कतिअकेला पावैं रै

गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै

आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

3

मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई

अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई

फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई

उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई

मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

4

मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई

दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई

घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई

नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई

बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।


15)

फाग का दिन आ जाता है , फौजी को छुट्टी नहीं मिलती , तो उसकी पत्नी क्या कहती है भला --- 


मनै पाट्या कोण्या तोल, क्यों करदी तनै बोल,नहीं गेरी चिट्ठी खोल, क्यों सै छुट्टी मैं रोल,मेरा फागण करै मखोल, बाट तेरी सांझ तड़कै।।

1

या आई फसल पकाई पै, 

आज जावै दुनिया लाई पै,

लागै दिल मेरे पै चोट, मैं ल्यूं क्यूकर इसनै ओट,सोचूं खाट के मैं लोट, तूं कित सोग्या पड़कै।।

2

खेतां क्यार मैं मेहनत करकै, 

रंज फिकर यो न्यारा धरकै

लुगाइयां नै रोनक लाई, कट्ठी हो बुलावण आई, मेरी कोण्या पार बसाई, तनै कसक कसूती लाई, पहली दुलहण्डी याद आई, मेरा दिल कसूता धड़कै।।

3

इसी किसी या तेरी नौकरी, 

कुणसी अड़चन तनै रोकरी,

अमीरां के त्योहार घणे सैं, म्हारे तो एकाध बणे सैं, खेलैं रलकै सभी जणे सैं, बाल्टी लेकै मरद ठणे सैं,मेरे रोंगटे खड़े तनै सैं, आज्या अफसर तै लड़कै।।

4

मारैं कोलड़े आंख मीचकै, 

खेलैं फागण जाड़ भींचकै,

उड़ै आग्या था सारा गाम, पड़ै था थोड़ा घणा घाम,पाणी के भरे खूब ड्राम, दो तीन थे जमा बेलगाम, मनै लिया फेर कोलड़ा थाम, मारया आया जो जड़कै।।

5

पहल्यां आली ना धाक रही, 

ना बीरां की वा खुराक रही,

तनै मैं नई बात बताउं, डरती सी यो जिकर चलाउं,रणबीर पै बी लिखवाउं, होवे पिटाई हररोज दिखाउं, कुण कुण सै सारी गिणवाउं, नहीं खड़ी होती अड़कै।।


16)

बाजे भगत जी तो दुनिया से चले गये परन्तु वह अपने पीछे बहुत बड़ी धरोहर छोड़ गये । इस धरोहर का नाश करने के प्रयत्न किये गए मगर यह अभी भी जिन्दा है। क्या बताया भला***

घणा गुणवान था, सही इन्सान था, गीत घणे सुरीले गाग्या, न्यों बाजे भगत कहवाग्या।।

1

वचन का धनी माणस था चौगिरदे नै मशहूर हुया

मौका कदे नहीं चूक्या इसा गावण का शरूर हुया

लख्मी दादा नै टक्कर ले ली बाजे का के कसूर हुया

दिल के मैं जो खटक गई वा कहवण ताहिं मशहूर हुया

वे साहमी अड़गे, फेर रुक्के पड़गे , रंग काट नया छाग्या।।

न्यों बाजे भगत कहवाग्या।।

2

लाम्बा सांस घणा बताया तर्ज बनाई थी न्यारी

ना मंदा बोल्या चाल्या ना चलायी तलवार दुधारी

मनै कोण्या बेरा लाग्या किसनै बात दबाई सारी

बाजे का छन्द कड़ै गया किसनै रोल मचाई भारी

वो गरीब बताया, घणा रै दबाया, मनै राज बात का पाग्या।

न्यों बाजे भगत कहवाग्या।।

3

हाजिर जवाब हद दर्जे का करै घणा कमाल था रै

बहरे तबील जब गावै था झूमै बांके लाल था रै

उपरा तली की कली भरै छोड्डे नहीं मलाल था रै

उल्टा सीधा मैं कोण्या गाँऊं बतावै अपना ख्याल था रै

नहीं भुंडा गाया,ना कदे घबराया,वो अपना फर्ज निभाग्या।

न्यों बाजे भगत कहवाग्या।।

4

आज कही मेरी याद राखियो बाजे नै फ़रमाया न्यों 

अमीर का कत्ल माफ़ हो गरीब जासै सताया क्यों 

गरीब की बहू सबकी जोरू इसा खेल रचाया क्यों 

द्रोपदी पै महाभारत होग्या म्हारा चीर हरण दबाया क्यों

तेरी याद सतावै, नहीं पार बसावै, रणबीर कोण चूट कै खाग्या।

न्यों बाजे भगत कहवाग्या।।


17)

किस्सा ऊधम सिंह /  रणबीर सिंह दहिया

वार्ताः13 मार्च, 1940 को हाल के अन्दर सभा हो रही थी। आमना सामना हुआ माइकल ओ डायर से । आंखों में आंखें मिली। आंखों ही आंखों में कुछ कहा एक दूसरे को। मौका पाते ही ऊधम सिंह ने निशाना साध दिया। कवि ने क्या बताया भलाः


धांय-धांय धांय-धांय होई उड़ै दनादन गोली चाली थी॥

कांपग्या क्रैक्सटन हाल सब दरवाजे खिड़की हाली थी॥

1

पहली दो गोली दागी उस डायर की छाती के म्हां

मंच तै नीचै पड़ग्या ज्यान ना रही खुरापाती के म्हां

काढ़ी गोली हिम्माती के म्हां खतरे की बाजी टाली थी॥

कांपग्या क्रैक्सटन हाल सब दरवाजे खिड़की हाली थी॥

2

लार्ड जैट कै लागी जाकै दूजी गोली दागी थी

लुई डेन हेन हुया घायल मेम ज्यान बचाकै भागी थी

चीख पुकार होण लागी थी सब कुर्सी होगी खाली थी॥

कांपग्या क्रैक्सटन हाल सब दरवाजे खिड़की हाली थी॥

3

बीस बरस ग्यारा म्हीने मै जुलम का बदला तार लिया

तेरह मार्च चैबीस मैं माइकल ओ डायर मार दिया

अचम्भित कर संसार दिया उनै कोन्या मानी काली थी॥

कांपग्या क्रैक्सटन हाल सब दरवाजे खिड़की हाली थी॥

4

जलियां आले बाग का बदला लिया लन्दन मैं जाकै

अंग्रेजां नै हुई भिड़ी धरती भाग लिये वे घबराकै

रणबीर नै कलम उठाकै नै झट चार कली ये घाली थी।।

कांपग्या क्रैक्सटन हाल सब दरवाजे खिड़की हाली थी॥


18)

सरतो की दास्तान 

बेरोजगार बेटी की जिंदगानी दुखी घणी संसार मैं।।

बेटा मेरा फिरै सै भरमता नौकरी की इंतजार मैं।।

1

म्हारी गेल्याँ के बनरी होन्ती नहीं कितै सुनाई हे

घरां बाहर जुल्म नारी पै जड़ बिघणां की बताई हे

शरीर पै नजर गड़ाई हे इस पुरुषवादी संसार मैं।।

2

बिना नौकरी पति पत्नी उल्टे काम पड़ें करने हे

घर आले मारैं तान्ने कानां होज्यां डाटे भरने हे

ये सूकगे बहते झरने हे आपस की तकरार मैं।।

3

म्हारी गेल्याँ भुंडी बणै किसे नै बता नहीं पावां

गरीबी की या मार कसूती चुपचाप सहते जावां


दिन रात ज्यान खपावां ना हो खबर अखबार मैं।।

4

घणे दुखी सां ब्याह पाछै हम दोनूं घर के धौरी 

बिना काम बैठे सैं ठाली आज घणी दुर्गति होरी 

दोनूं दुखी छोरे छोरी रणबीर सरतो के परिवार मैं।।


19)

सूचना का हक

यो म्हारा हक सूचना का किसनै सहम दबाया सै।

सबनै यो हक मिलज्या सवाल जगत मैं छाया सै।

1

सामाजिक विकास मैं ज्यान खपाई जनता नै

भूखे पेट रैहकै भी करी सै कमाई जनता नै

यो पेट भराई  जनता नै कड़ै खाणा थ्याया सै।

सबनै यो हक मिलज्या सवाल जगत मैं छाया सै।

2

आह भरैं बदनाम होज्यां उनका कत्ल माफ सै

कब्जा किसका सूचना पै मसला कति साफ सै

बिना रिजाई लिहाफ सै किसा जमाना आया सै।

सबनै यो हक मिलज्या सवाल जगत मैं छाया सै।

3

सौ पिस्से चाले दिल्ली तैं पन्दरा थ्यावैं हमनै रै

पिचासी कड़ै गए ना कोये भी बतावैं हमनै रै

धौंस तैं दबावैं हमनै रै जी घणा दुख पाया सै।

सबनै यो हक मिलज्या सवाल जगत मैं छाया सै।

4

टन कपास मैं धागा कितना यो निकलता रै

रणबीर धागे का लत्ता कितना यो बनता रै

हिसाब नहीं मिलता रै ज्यां कलम उठाया सै।

सबनै यो हक मिलज्या सवाल जगत मैं छाया सै।

20)

*कैलेंडरां तैं मूर्ति हटाकै दिलां तैं क्युकर हटाओगे* 

*इसे बुरे कर्म करो सो बहोतै घणा पछताओगे*

1

इतनी घटिया हरकत पहलम कदे देखी कोण्या

दूज्यां के तवे ऊपर कदे लोगां नै रोटी सेकी कोण्या

*लोगां मैं इज्जत अपनी थाम घणी कम कराओगे।।*

2

रोज अफवाह फैला कै जनता घणी बेकूफ़ बनाई

बेरोजगारी महंगाई चाहो थाम इनकै पाछै छिपाई

*ओछी राजनीति करकै नै देश का भट्ठा बिठाओगे।।*

3

मूर्ति हटाकै नाम बदल कै कै दिन राज चलै थारा

जात धर्म पै जनता लड़ा कै कै दिन काज चलै थारा

*मनुवाद का जहर फैला कै अपना नाश कराओगे।।*

4

किसान आंदोलन नै थारे फेल करे ये हथियार रै

जनता जाग रही सै कहवै हो जाओ खबरदार रै

*रणबीर सिंह आज कहै अपनी तम भिद्द पिटवाओगे।।*


21)

*26 जनवरी गणतंत्र  दिवस**

देश के गणतंत्र पै खतरा देखो घणा कसूता आया।।

घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।

1

आबादी बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया

पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया

बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज भरया

ईमानदारी की करी कमाई फेर किसान नै कड़े सरया

भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।

घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।

2

फासीवादी तौर तरीके राज के आज देखण मैं आये

विरोध करैं उनपै देशद्रोह के मुकद्दमे जाते रोज बनवाये

जात पात पै बांटण के इणनैं तीर तुक्के खूब चलाये

एक साल बोर्डरों पै किसानों नै राज कै रोज सांस चढ़ाये

*एक साल डटे बोर्डरां ऊपर नहीं पाछे नै कदम हटाया।।*

घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।

3

यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी

यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी

यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी

यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान बनाई थी

*वायदा खिलाफी देख थारी किसानों का सिर चकराया।।*

घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।

4

गणतंत्र  दिवस पै कसम लेवां वायदे पूरे करावैंगे

भगत सिंह हर के राह पै जोर लाकै हम कदम बढ़ावैंगे

किसान आंदोलन के बारे मैं घर-घर अलख जगावैंगे

समझौते के वायदयां ताहिं मिलकै नै हांगा लावैंगे

*रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।।*

घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।


22)

*बंगाल आर्मी विद्रोह*

इस प्रकार इस विद्रोह के ज्यादा व्यापकता वाले कारण थे। देश प्रेम की भावना और अंग्रेजों के जुल्मों के खिलाफ गुस्सा था। अंग्रेजों के प्रति सहानुभूति खत्म होती जा रही थी। ऐसी राष्ट्रीय भावना गौ और सूअर की चर्बी लगे कारतूसों के इस्तेमाल से पैदा नहीं की जा सकती थी। ध्यान देने योग्य बात यह हैं कि अंग्रेजों के विरूद्ध जंग में हमारे फौजियों ने इन्ही कारतूसों का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया था। मेरठ से देसी फौज दिल्ली के लिए चल पड़ी। क्या बताया भलाः



*बंगाल आर्मी फौज के सिपाही डटगे रणभूमि मैं आकै॥*


*हिंदु मुस्लिम साथ लड़े फिरंगी पड़या तिवाला खाकै॥*

1

हर जवान फौजी के दिल मैं उमंग भरी घणी भारी रै 


सारै फौजी पाछै-पाछै चाले आगै पांडे क्रान्तिकारी रै 


*न्यों सोचैं थे फौजी तिरंगा लहरा दयां दिल्ली जाकै॥*

हिंदु मुस्लिम साथ लड़े फिरंगी पड़या तिवाला खाकै॥


तिल-तिल करकै आगे बढ़ते देश आजाद कराया चाहवैं 


धर कांधे बन्दूक फौजी सभी कदम तै कदम मिलावैं 


*थी नई-नई तकरीब भिड़ाई सारै भाज्या फिरंगी घबराकै॥*

हिंदु मुस्लिम साथ लड़े फिरंगी पड़या तिवाला खाकै॥

3

महिला कति पाछै रही कोन्या हर जगां वो साथ लड़ी 


अंग्रेजां नै होई धरती भीड़ी ये देखी औरत साथ खड़ी 


*पहली आजादी की जंग फिंरगी छोड़या कति रंभा कै॥*

हिंदु मुस्लिम साथ लड़े फिरंगी पड़या तिवाला खाकै॥

4

बंगाल आर्मी फोजी सेना नया इतिहास रचाया था 


तन-मन-धन सब लाकै देश आजाद कराना चाहया था 


*रणबीर सिंह करै कविताई रै कलम अपनी या ठाकै॥*

हिंदु मुस्लिम साथ लड़े फिरंगी पड़या तिवाला खाकै॥


23)

*नए साल 2022 की चुनौती*

*फासीवाद का शिकंजा सत्ता नए साल मैं बढावैगी।।*

*इसके विरोध मैं या जनता सड़कां के ऊपर आवैगी।।*

1

यो बेरोजगारी का मुद्दा इसका कितै बी जिकर कोन्या

फांसी खा खाकै किसान मरैं इसका कोय फिकर कोन्या 

*एमएसपी पै हटकै किसानी 

अपने रंग दिखावैगी।।* 


2

शिक्षा म्हंगी इलाज महंगा गरीब जमा निचौड़ दिया

असंगठित मजदूर मारया सारा कानून मरौड़ दिया

*मजदूर कर्मचारी यूनियन दिल्ली मैं विरोध जतावैगी।।*

3

पुलवामा कदे सीएए ल्यावैं जात धर्म पै बांट रहे

आर्थिक संकट के हल तैं शाह मोदी जी नाट रहे

*नये साल मैं बैर आपस का सत्ता और घणा बधावैगी।।*

4

जात धर्म पै लडां नहीं हम असली मांग उठावांगे

हो एकजुट नए साल मैं हम धर्मान्धता नै हरावांगे

*देश की जनता मिलकै रणबीर बहुविविधता बचावैगी।।*


24)

*2022 का साल* 

*आज नया साल शुरू होग्या इसमैं नया हिंदुस्तान के चाहवै सै।।*

*किसानी संघर्ष जीत्या पाछले मैं जिकरा सुणण मैं आवै सै।।*

1

आंदोलन कारी किसानों को म्हारा सै क्रांतिकारी सलाम भाई  

जो किसान म्हारे शहीद होगे इतिहास मैं होग्या नाम भाई 

*आज देश किसानी संघर्ष का जीत उत्सव मनावै सै।।*

 किसानी संघर्ष जीत्या पाछले मैं जिकरा सुणण मैं आवै सै।।

2

देश मैं इंसानियत हटकै उभरै हम इस साल मैं हाँगा लावांगे

म्हारा प्रजातंत्र फेर हुँकार भरै 

मिलकै संविधान बचावांगे

*इस लड़ाई का राह हमनै यो किसानी संघर्ष सही दिखावै सै।।*

किसानी संघर्ष जीत्या पाछले मैं जिकरा सुणण मैं आवै सै।।

3

कदर जनता की आवाज की हटकै आवै म्हारे हिंदुस्तान मैं 

इज्जत होवै गरीब कमेंरे की होज्या शांति पूरे ही जहान मैं

*हो गजब का भारत म्हारा जनता इंकलाब का नारा लावै सै।।*

किसानी संघर्ष जीत्या पाछले मैं जिकरा सुणण मैं आवै सै।।

इस साल मैं ईसा माहौल बनै इंसान नै पूरा सम्मान मिलै

कहै रणबीर नहीं लुटैं कमेरे उन सबका हट कै चेहरा खिलै 

*संयुक्त किसान मोर्चे की जीत नए समाज की राह बतावै सै।* 

किसानी संघर्ष जीत्या पाछले मैं जिकरा सुणण मैं आवै सै।।


25)


74 का हरियाणा तरक्की करग्या रै

*चौहत्तर साल का होग्या हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ।।*

*सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।*

1

जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढ़ती जावै सै

देश के सुब्याँ मैं हरियाणा का नंबर वन यो आवै सै

सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै सै 

छैल गाभरू छोरा इसका लड़न फ़ौज के म्हें जावै सै

खेतां के म्हें नया खाद बीज यो ट्रेक्टर घराटा ठावै सै 

फरीदाबाद सोनीपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै 

*सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ।।*

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

2

ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ सैं रै

जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ सैं रै

भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ सैं रै 

अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें जाँ सैं रै 

बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां मैं फांसे जाँ सैं रै 

कुछ परवाने भाइयो फिर भी इनके करतब नापें जाँ सैं रै 

*बिन धरती आला दो किल्ले आला ज्यान तैं मरग्या रै ।।*

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

3

खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब ये तार गए 

ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए 

चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए 

बिना जलाएं बिजली के बिल कर कसूती मार गए 

ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मर के जल तार गए 

पिस्से आल्यां के ट्यूबवेल थ्रेशर चाल धुआं धार गए 

*गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड़ देखो आज यो भरग्या रै ।।*

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

4

गाम गाम मैं सड़क जो बनाई फायदा कौन उठावैं सैं

बस तो आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं सैं

पीसे आल्यां के छोरट ले मोटर साईकिल धूल उड़ावैं सैं

टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सैं

सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावैं सैं

रोड़ी फ़ोडै पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सैं

*बस नै रोकैं कोन्या रोकैं तो भाड़ा गोज नै कसग्या रै ।।*

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

5

बिन खेती आल्यां का गाम मैं मुश्किल रहना होग्या

मजदूरी उप्पर चुपचाप दबंगा का जुल्म सहना होग्या 

चार छः महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या 

चीजां के रेट तो बढ़गे सैं प़र पुराने प़र बहना होग्या 

फालतू मतना मांगो नफे दबंग का नयों कहना होग्या 

गाम छोड़ शहर पड़ै आना घर एक तरियां ढहना होग्या 

*भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या रै ।।*

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

6

खेती करणिया मैं भी लोगो या जात कारगर वार करै

एक जागां बिठाकै गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै

किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै 

ट्रैक्टर आले बिना ट्रैक्टर आल्यां की देखो लार फिरै

घणी कसूती हालत होगी बिलखता यो परिवार फिरै 

बिन धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै 

*जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ।।*

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

7

घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी

दो लाख मैं बेचै किल्ला चेहरे की लाली सारी झड़गी थी 

चूस चूसकै खून गरीब का अमीर के मुंह की लाली बढगी थी 

कर्जे माफ़ होगे एकब़र तो फेर कीमत धरती की बधगी थी 

आगै कैसे काम चलैगा रै एक ब़रतो इसतैं सधगी थी 

आगली पीढ़ी के करैगी म्हारी तै क्यूकरै धिकगी थी

*हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै।।*

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

8

शहरों का के जिकरा दस प्रतिशत आप्पा भूल रहया यो 

आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो 

याद बस आज रिश्वत खोरी जमा नशे मैं टूहल रहया यो 

इन्सान तै हैवान बनग्या मिलावट में हो मशगूल रहया यो 

चोरी जारी ठगी बदमाशी के सीख रणबीर उसूल रहया यो

इसी तरक्की कै लागै गोली पसीना बह फिजूल रहया यो 

*फेर भी रुके मारैं तरक्की के कलम लिखना बंद करग्या रै।।*

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै ।।


26)

किसान आंदोलन जीत गया**


खेती नै बचावैगी जो, रोटी बी दिलावैगी जो, देश नै बचावैगी जो, देश मैं इसी लहर उठगी भाइयो।।

1

अडानी अम्बानी खेल बनारे,

केंद्र सरकार की रेल बनारे , 

बंगाल मैं हारी बुरी ढाल,तमिलनाडु नै तारी खाल, केंद्र सरकार हुई बेहाल, इसकी काट बिछगी सै भाइयो।।

2

जिब ये रोटी दे नहीं पाये रै

ये मंदिर नै हटकै लियाये रै,

जात पै हम बांटे चाहे, धर्म पै खूब काटे चाहे, मन ये करे खाटे चाहे , या जनता समझगी सै भाइयो।।

3

कारपोरेट की दया पै छोड़ दिये, 

म्हारे तैं नाते जमा तोड़ लिए

किसान आंदोलन साथ हुया, सहारा दिन रात हुया, मजदूर का भी हाथ हुया, आस म्हारी बढ़गी सै भाइयो।।

4

किसान संघर्ष जीत गया रै , 

सीखा एकता की रीत गया रै,

रणबीर नै करी कविताई, तुरत आज रागनी बनाई, चुनल्यां एके की राही तानाशाही इब फंसगी सै भाइयो।।


27)

नशा नाश कररया रै

नशे पते का व्यापार, बढ़ाती जावै सरकार

इतनी कसूती मार, म्हारी समझ नहीं आवै।।

1

अफीम और हीरोइन का भारत गढ़ बताया

यो माफिया नशे पते का पूरी दुनिया मैं छाया

लत कसूती लवादे यो,नेता नै मरवादे यो 

भुन्डे कर्म करादे यो,म्हारी समझ नहीं आवै।।

नशे पते का व्यापार, बढ़ाती जावै सरकार

इतनी कसूती मार, म्हारी समझ नहीं आवै।।

2

माफिया नशे पते का कई देशां मैं राज चलवावै

सी आई ए तैं मिलकै यो बहोत उधम मचवावै

युवा जमा बर्बाद हों, बहोत घणे फसाद हों

कैसे नशे से आजाद हों, म्हारी समझ नहीं आवै।।

नशे पते का व्यापार, बढ़ाती जावै सरकार

इतनी कसूती मार, म्हारी समझ नहीं आवै।।

3

एक तरफ दारू के ठेके ये रोज खुलाये जावैं

दूजी तरफ नशा मुक्ति केंद्र रोज चलाये जावैं

जहर पिलाऊ विकास, नहीं हमनै अहसास

विकास नहीं सै विनाश, म्हारी समझ नहीं आवै।।

नशे पते का व्यापार, बढ़ाती जावै सरकार

इतनी कसूती मार, म्हारी समझ नहीं आवै।।

4

परिवार नै यो नशा खत्म पूरी तरियां करदे

म्हारी जिंदगी अंदर यो जहर कसूता भरदे

सच्ची लिखै सै रणबीर, सही खीँचै सै तस्वीर

नशा मारदे सै जमीर,म्हारी समझ नहीं आवै।।

नशे पते का व्यापार, बढ़ाती जावै सरकार

इतनी कसूती मार, म्हारी समझ नहीं आवै।।

28)


कैसा घर 

ना मनै पीहर देख्या होगे तीन साल सासरै आई नै।

भूल गई मैं परिवार सारा भूली बाहण मां जाई नै।।

बीस बरस रही जिस घर में उस घर तै नाता टूट गया

खेली खाई जवान हुई सब किमै पाछै छूट गया

मेरे सुख नै कौण लूट गया बताउं कैसे रूसवाई नै।।

आज तक अनजान था जो उंतै सब कुछ सौंप दिया

विश्वास करया जिसपै उनै छुरा कड़ मैं घोंप दिया

ससुर नै लगा छोंक दिया ना समझया बहू पराई नै।।

मनै घर बसाना चाहया अपणा आप्पा मार लिया

गलत बात पै बोली कोण्या मनै मौन धार लिया

फेर बी तबाह घरबार किया ना देखैं वे अच्छाई नै।।

किसे रिवाज बनाये म्हारे इन्सान की कदर रही नहीं

सारी बात बताउं क्यूकर समझो मेरी बिना कही

के के ईब तलक सही आई ना रणबीर की लिखाई मैं।।

29)

मेरा संघर्ष

गाम की नजरां के म्हां कै बस अडडे पै आऊं मैं।

कर्इ बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाऊं मैं।।

भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या,करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा

लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाऊं मैं।।

बस मैं के के बणै मेरी साथ,नहीं बता सकती सब बात

भोले चेहरे करैं उत्पात, मौके उपर धमकाऊंं मैं।।

दफतर मैं जी ला काम करूं,पलभर ना आराम कंरू

किंह किहं का नाम धरूं, नीच घणे बताऊं मैं।।

डर मेरा सारा र्इब लिकड़ गया,दिल भी सही होंसला पकड़ गया, 

जै रणबीर अकड़ गया, तो सबक सिखाऊंं मैं।।

30)

जाल अमेरिका का

अमरीका तनै जाल बिछाया,

हिंसा और यो नशा फैलाया,

हरेक देश तनै दबाणा चाहया,

तेरी चाल समझ मैं आई सै।।

1

फीम सुलफा चरस बिकादी,

हथियारां की सुरंग बिछादी,


तेरे होगे आज सही पौ बारा,

यो नौजवान फंसग्या म्हारा

म्हारी तबीयत होगी खारया, 

थारी सारी काली कमाई सै।।

2

तूफान अश्लीलता का ल्याया, 

गाभरू कै यो खून मुंह लगाया,


चैनल पर चैनल गया चलाया,

अंधविश्वास का दीप जलाया,

मीडिया कति गुलाम बनाया,

अराजकता कसूत फलाई सै।।

3


ब्लयू फिल्मां की बाढ़ सी ल्यादी,

काली कमाई इसमैं ख़ूब लगादी,


हिंसा के रिकार्ड तोड़ दिये, 

म्हारे छोरा छोरी जोड़ लिये,

हिंसक घोड़े खुले छोड़ दिये, 

सोच समझ चाल चलाई सै।।

4


एक हाथ तै लूटै सै हमनै, 

दूजे हाथ तै चूटै सै हमनै,


न्यों ध्यान हटावै सचाई तैं, 

ऐश करो म्हारी कमाई पै,

रणबीर की कविताई पै,

उम्मीद जनता नै लाई सै।।

31)

सेहत दिवस

सेहत दिवस सात अप्रैल का हम हर साल मनावैं रै।

ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं रै।।

1

कुदरत साथ संघर्ष म्हारा बहोत पुराणा कहते रै

यो तनाव जब घणा होवै कहैं बीमार घणे रहते रै

बिना कुदरत नै समझैं माणस दुख हजारां सहते रै

इसतै मेल मिलाप होज्या तै सुख के झरने बहते रै

जिब दोहण करैं कुढ़ाला तो उड़ै रोगै पैर जमावैं रै।।

ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं रै।।

2

सिन्धु घाटी की जनता नै सेहत के नियम बनाये थे

चौड़ी गाल ढकी नाली ये घर हवादार चिनाये थे

पीवण खातर बणा बावड़ी न्यारे जोहड़ खुदवाये थे

जितनी समझ थी उनकी रल मिल पूरे जोर लगाये थे

जिब पैदावार के ढंग बदलैं बीमारी बी पल्टा खावैं रै।।

ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं रै।।

3

माणस मैं लालच बधग्या, कुदरत से खिलवाड़ किया

बिना सोचें समझें कुदरत का सन्तुलन बिगाड़ दिया

लालची नै बिना काम करें बिठा ऐश का जुगाड़ लिया

माणस माणस मैं भेद होग्या रिवाज न्यारा लिकाड़ लिया

समाज के अमीर गरीब मैं क्यों न्यारी बीमारी पावै रै।।

ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं रै।।

4

साफ पाणी खाणा और हवा रोक सकैं अस्सी बीमारी

ना इनका सही बंटवारा सै मनै टोहली दुनिया सारी

जिस धोरै ये चीज थोड़ी सैं उड़ै होवै बीमारी भारी

होयां पाछै इलाज सै म्हंगा न्यू माणस की श्यामत आरी

*रणबीर सिंह नै छन्द बनाया मिलकै सारे गावैं रै।।*

ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं रै।।

32

मजदूर

कुछ भी आच्छा नहीं लागै बिन मकसद हांडूँ मैं।

नहीं दिन रात चैन मनै बस पड़या पड़या बाँडूँ मैं।

1

मजदूरी मिलती कोण्या मिहने मैं दिन बीस मनै

खेत क्यार मैं मशीन आगी करी सै तफ्तीश मनै

ध्याड़ी दोसौ कम तीस मनै मुश्किल दिन काढूँ मैं।

2

सडकां पै काम रहया ना ईंट भट्ठे भी बन्द होगे

चिनाई भी कम होरी सै ये लाखों मजदूरी खोगे

मालिक तो ऐसी मैं सोगे नक्सा असली मांडूँ मैं।

3

गाम बरोणा जिला सोनीपत हरियाणा मैं बास सै 

होली क्युकर खेलूं मैं मेरा मन रहवै यो उदास सै

नहीं याड़ी कोये खास सै चेहरा किसका माँडूँ मैं।

4

गरीब की बूझ नहीं आज ख्याल होवै अमीरां का

हमनै भकावैं न्यों कैहकै सारा खेल सै लकीरां का

बाणा हुया फ़क़ीरां का रणबीर नया गीत चाँडूँ मैं।

33)


1

देखो सेहत पढ़ण बिठाई , या पढ़ाई व्यापार बनाई, शासक वर्ग की चतुराई, गरीब अधर मैं लटकै।।

1

यूनिवर्सिटी वीसी आज होग्या मानस पक्का सरकारी

उसकी क्वालिफिकेशन होवै हो माणस पूरा दरबारी

इज्जत प्रोफेसर की घटाई, अध्यापकां की श्यामत आई, नकल चारों तरफ छाई, छात्र अंधेरे बीच भटकै।।

2

लड़कियों का बाहर जाणा बहुत घणा मुश्किल होज्या

मूंह मैं घालण नै हो ज्यावैं लड़की होंश हवाश  खोज्या

हिम्मत करकै आगै आई, करना चाहती सभी पढ़ाई, कांधा मिलाकै लडें लड़ाई, बदहाली दिल मैं खटकै।।

3

छात्र युवा महिला मिलकै विचार सभी करण लागे

इनके विचार सुणकै नै ये धन के लोभी डरण लागे

बढ़िया मिलै सबनै पढ़ाई, मिलकै सोचां लोग लुगाई, युवा लड़की करैं अगवाही, लड़के साथ देवैं डटकै।।

4

किसानों बरगी लहर चलावैं हम सारे  हिंदुस्तान मैं

मानवता की भावना हो पैदा भारत के हर इंसान मैं

हिंदुस्तान लेवै अंगड़ाई,सबकी होवै आड़े सुनवाई, नहीं जागे तो होवै पिटाई,रणबीर का दिल चटकै।।

34)

कमला का सपना टूट गया

डॉक्टर बनूं पढ़ लिख कै यो मन का सपना मेरा।

मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।

1. 

मां बाबू अनपढ़ म्हारे घणे लाड प्यार तैं पढ़ाई

खेती मैं नहीं पूरा पाटै उल्टी सीधी ना कोए कमाई

धरती गहणे धरकै पढ़े दो बाहण और एक भाई

मेहनत कर आगै बढ़िये मेरे तैं या सीख सिखाई

दो भैंस बांध दूध बेचैं करजे का बढ़ता आवै घेरा।।

मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।

2. 

भाई नै एम ए करकै बी नहीं कितै नौकरी थ्याई

गाम मैं किरयाणे की फेर उसकी दुकान खुलाई

बड्डी बाहण बीएड कर बैठी या घर मैं बिन ब्याही

मेरी पी एम टी टैस्ट मैं सत्तरहवीं पोजीसन आई

काउंसलिंग खातर गई उड़ै दिया दिखाई झेरा।।

मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।

3. 

ठारा हजार म्हिने की पहले साल की फीस बताई

पसीना आया गात मेरे मैं धरती घूमती नजर आई

मेरै आंख्यां मैं आंसूं आगे फेर मां की तरफ लखाई

हाल क्यूकर ब्यां करूं मैं ना कलम मैं ताकत पाई

अपने दलाल बिठारया दीखै यो उडै़ वर्ग लुटेरा।।

मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।

4. 

फीस देण की आसंग कोण्या मन मारकै आगी फेर

गाम मैं यकीन करैं ना बोले माच्या किसा अन्धेर

इस सरकार मैं बैठे जितने ना कटावैं गरीबां की मेर

बेरा ना या कद  होवैगी हम गरीब लोगां की सबेर

रणबीर न्यों बूझै ये बालक क्यूकर पढ़ावै कमेरा।।

मरीजां का इलाज करूंगी हो घर का दूर अन्धेरा।।

35)


इसी किताब 

म्हारे हाथों मैं मात मेरी या इसी किताब दे दे री।।

उलझे औड़ सवालां का जो सीधा जवाब दे दे री।

1

इसी मिशाल दुनिया मैं कदे किसे नै पाई हो

राम के घर मैं आग कदे खुद खुदा नै लाई हो

रामराज का नाम लेकै क्यों राज करै अन्याई हो

धर्म के नाम पै बस्ती क्यों गुजरात मैं जलाई हो

आजाद भगत सिंह सा जो इंकलाब दे दे री।।

2

बोले क्यों बेकूफ़ी करो तमनै के दीखता कोण्या

अंग्रेज के राज मैं सूरज कदे भी छिपता कोण्या

देख्या हमनै साच्चा माणस कदे बिकता कोण्या 

नेक कमाई सही राही तैं कदे बी डिगता कोण्या 

म्हारी कमाई कित जावै सारा हिसाब दे दे री।।

3

अच्छाई पै बुराई आज अपना रोब जमावै क्यों

सल्फास गोली मजबूरी मैं यो माणस खावै क्यों

महिला भी सुरक्षित कोण्या दोष इसे कै लावै क्यों

नौजवान बेरोजगार घूमता सारे देश मैं पावै क्यों

बढ़िया दुनिया बणावण का जो ख्वाब दे दे री।।

4

माणस क्युकर सुखी रहवै रास्ता सही दिखादे नै

झूठ साच का भेद खोल कै सबनै आज बतादे नै

धर्म नाम पै क्यों मारामारी भेद खोल समझादे नै

दुनिया सुख तैं बसज्या कुछ नई बात सिखादे नै

रणबीर कहै ऊतां कै समाज नकाब का दे दे री।।


36)

ब्याह

मां बाप नै  छोड एकली अनजान लोगों बीच मैं आई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

1

बीस साल के गाढ़े रिश्ते खत्म सब किमैं दो पल के म्हां

नया घर खिड़की और दरवाजे भरे लागते छल के म्हां

इस सारे दल बल के म्हां नहीं हिम्माती दिया दिखाई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

2

शरीर मेरे पै चर्चा होई जन चर्चा डांगर की होवै बेबे

रूंढी खूंडी काली धोली मेरे कद नै यो कुनबा रोवै

बेबे

सास न्यारी चाक्की झोवै बेबे कहै बहु ना सुथरी थ्याई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

3

पांच सात दिन करया दिखावा थे बहोतै लाड लडाये

खाट तैं नीचै पां ना टिकावै सारे मदद नै भाजे आये

फेर असली रंग दिखाये मैं घणी वारी समझण पाई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

4

औरत के हक मैं ना जो ससुराल का रिश्ता चलाया 

इसमैं बदल जरूरी सै रणबीर सौ का तोड़ लगाया

छोटा मोटा गीत बनाया या असलियत खोल बताई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

37)


कई साल पहले लिखी एक रचना**********

हरियाणा तरक्की करग्या रै

दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ।।

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

1

जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै

देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो हरयाणा का आवै सै

सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै सै 

छैल गाभरू छोरा इसका लड़न फ़ौज के म्हें जावै सै

खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै 

फरीदाबाद सोनीपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै 

सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ।।

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

2

ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै 

जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै 

भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै 

अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें जाँ रै 

बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां मैं फांसे जाँ रै 

कुछ परवाने भाइयो फिर भी इनके करतब नापें जाँ रै 

बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यान तैं मरग्या रै ।।

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

3

खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए 

ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए 

चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए 

बिना जलाएं बिजली के बिल कर कसूती मार गए 

ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए 

पैसे आल्यां के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार गए 

गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

4

गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सें

बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं सें

पैसे आल्यां के छोरट ले मोटर साईकिल धूल उड़ावें सें

टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सें 

सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावें सें 

रोड़ी फ़ोडै पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सें 

बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै कसग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

5

बिन खेती आल्यां का गाम मैं मुश्किल रहना होग्या

मजदूरी उप्पर चुपचाप दबंगा का जुल्म सहना होग्या 

चार छः महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या 

चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने प़र बहना होग्या 

फालतू मतना मांगो नफे दबंग का नयों कहना होग्या 

गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या 

भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

6

खेती करणिया मैं भी लोगो जात कारगर वार करै

एक जागां बिठावै गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै

किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै 

ट्रैक्टर आले बिना ट्रैक्टर आल्यां की या लार फिरै

इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो परिवार फिरै 

बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै 

जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

7

घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी

दो लाख मैं बेचे किल्ला चेहरे की लाली सारी झडगी थी 

चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढगी थी 

कर्जे माफ़ होगे एकब़र तो फेर कीमत धरती की बधगी थी 

आगे कैसे काम चलैगा रै एक ब़रतो इसतैं सधगी थी 

आगली पीढ़ी के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए धिकगी थी

हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै|| 

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै|| 

8

शहरों का के जिकरा करूँ मानस आप्पा भूल रहया यो 

आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो 

याद बस आज रिश्वत खोरी जमा नशे मैं टूहल रहया यो 

इन्सान तै हैवान बनग्या मिलावट में हो मशगूल रहया यो 

चोरी जारी ठगी बदमाशी के सीख रणबीर उसूल रहया यो

इसी तरक्की कै लगे गोली पसीना बह फिजूल रहया यो 

फेरभी रुके मारे तरक्की के कलम लिखना बंद करग्या रै। 

सब चीजां के ठाठ लग्गे यो कोठा नाज का भर ग्या रै।।

38)

गलत बंटवारा

एक चौथाई और तीन चौथाई रोटी का बंटवारा यो।

म्हारी मेहनत कमाई उनकी गल्त सै डंगवारा यो।।

1. 

विश्व बैंक ने भारत तांहि जारी इसा फरमान करया

सरकारी खरच्यां मैं कटौती जमा खुल्या ऐलान करया

बीच की खाई चौड़ी होगी किसा उदारीकरण थारा यो।।

म्हारी मेहनत कमाई उनकी गल्त सै डंगवारा यो।।

2. 

सब किमै नीलाम करण लागरे क्यों कौड़ियां के दामां मैं

किसान तबाह सारे मजदूर घणा नाश ठाय्या गामां मैं

अपणा बणकै चोट मारगे खुलग्या भेद सारा यो।।

म्हारी मेहनत कमाई उनकी गल्त सै डंगवारा यो।।

3. 

बैर ईर्ष्या मेरा तेरी जातियॉं मैं बांट कै लूट लिये

स्वदेशी का ढोंग रचा कै म्हारे ज्वार बाजरे चूट लिये

नफरत का जाल बिछाया आग्या समझ मैं नजारा यो।।

म्हारी मेहनत कमाई उनकी गल्त सै डंगवारा यो।।

4. 

पूरी रोटी पै हक म्हारा सै रणबीर नै बताई या

जनता विरोधी कानून बना म्हारी रोटी हथियाई या

म्हारी किस्मत माड़ी बताकै करगे अपणे पौ बारा क्यों।।

म्हारी मेहनत कमाई उनकी गल्त सै डंगवारा यो।।

39)

हरि के हरियाणे मैं

श्यामत म्हारी आई, कोन्या दीखै राही, चढ़ी सै करड़ाई

हरि के हरियाणे में।।

बोहर और भालोठ बताये, रूड़की किलोई संग दिखाये

कर्जा चढग्या भारी, आया बैंक सरकारी, डूंडी पिटगी म्हारी

हरि के हरियाणे मैं।

धरती चढ़गी लाल स्याही मैं, कसर नहीं रही तबाही मैं

आज घंटी खुड़की, किलोई चाहे रूड़की, होवैगी म्हारी कुरड़ी

हरि के हरियाणे मैं।।

आमदन या घाट लिकड़ती लागत तो बाधू लानी पड़ती

सब्सिडी खत्म म्हारी, देई घरां मैं बुहारी, श्यामत आगी भारी

हरि के हरियाणे मैं।।

महंगी होन्ती जा सै पढ़ाई रै, रणबीर मरैं बिना दवाई रै

दुख होग्या भार्या, मन बी होग्या खार्या, नहीं रास्ता पार्या

हरि के हरियाणे मैं।।

40)

जमीन जल और जंगल पै अमीर कब्जा बढ़ावै सै।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

1

जमीन पै कब्जा करकै हाईटैक सिटी बनाते आज

उजड़ कै जमीन तै कित जावै ना खोल बताते आज

बीस लाख मैं ले कै किल्ला बीस करोड़ कमाते आज

इनके बालक तै ऐश करैं म्हारे ज्यान खपाते आज

आदिवासी नै जंगल मां तै हांगा करकै हटावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

2

जंगल काट-काट कै गेरे ये मुनापफा घणा कमागे रै

आदिवासी दिये भजा उड़ै तै बहुत से ज्यान खपागे रै

मान सम्मान खातर लड़े वे ज्यान की बाजी लागे रै

देशी लुटेरे बदेशी डाकुआं तै ये चौड़ै हाथ मिलागे रै

किसान की आज मर आगी यो संकट मैं फांसी लावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

3

बिश्लेरी पानी की बोतल बाजार मैं दस की मिलती रै

दूध सस्ता और पानी महंगा बात सही ना जंचती रै

साफ पानी नहीं पीवण नै बढ़ती बीमारी दिखती रै

पानी म्हारा दोहन उनका पीस्से की भूख ना मिटती रै

जमीन जंगल जल गया संकट बढ़ता ए आव सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

4

औरत दी एक चीज बना बाजार बीच या बिकती रै

म्हंगाई बढ़ती जा कीमत एक जगहां ना टिकती रै

घणा लालची माणस होग्या हवस कदे ना मिटती रै

अमीरी गरीबां नै खाकै बी आज मा ना छिकती रै

रणबीर बरोने आला घणी साची लिखता घबरावै सै।।

गरीब लाचार खड़या आसमान तरफ लखावै सै।।

41)

आत्म सम्मान

आत्म सम्मान बेच देश का धनवान बने हांडैं सैं।

पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।

1

लच्छेदार भाषण देकै जनता बेकूफ बनाई किसनै

हमनै लूटैं कामचोर बतावैं या प्रथा चलाई किसनै

खूनी भेड़िया इस समाज मैं इन्सान बने हांडैं सैं।।

पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।

2

बालक इनके बिगड़लिये सब अवगुण पाल रहे रै

सट्टा बाजारी चोरी जारी चाल कसूती चाल रहे रै

पशु भावना के शिकार ये नौजवान बने हांडैं सैं।।

पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।

3

इन्सानियत सारी भूल गये पीस्सा ईष्ट भगवान हुया

सारे परिवार खिंड मिंड होगे रोब्बट यो इन्सान हुया

समाज की ये बढ़ा कै पीड़ा दयावान बने हांडैं सैं।।

पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।

4

परम्परा के घेरे में पहल्यां घर मैं बोच दबाई किसनै

आधुनिकता के नाम पै या बाजार ल्या बिठाई किसनै

रणबीर महिला चीज बनाई खुद दलाल बने हांडैं सैं।।

पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।


42)

विश्व बैंक 

विश्व बैंक हमारा रक्षक हमने रक्षक माना इसको। 

निकला यह पूरा ही भक्षक अनुभव से जाना इसको।   

  गरीबी और बेकारी सबके खत्म होने की आस उठी

मगर पन्दरा साल के भीतर जवान बेटे की लाश उठी

विश्वबैंक के कान हों तो गरीब की व्यथा सुनाना इसको।

शिक्षा जगत में गुणवत्ता का इसने ही प्रचार किया  

जैसी शिक्षा थी अपनी उस पर जमकर प्रहार किया

महंगी शिक्षा गुणवत्ता नहीं इतना तो बताना इसको।

स्वस्थ जगत का रंग बदला बड़े अस्पताल ले आए 

मेरे जैसे गरीब गुरबा तो इनके अंदर नहीं घुस पाए 

अपोलो फोर्टिस की कल्चर ये जरा समझाना इसको।  

   बहुराष्ट्रीय कंपनियों का यह रक्षक असल में पाया 

मुखौटा हमारी मदद का रंग रंगीला इसने लगाया 

रणबीर का पैन खोसने का ना मिला बहाना इसको।


43)

कार्बन साइकल नै समझां जै दुनिया बचाणी रै।।

धरती संकट बढ़ता आवै होज्या कुनबा घाणी रै।।

1

पौधे करैं ऑक्सीजन पैदा ये सूरज के प्रकाश मैं

कार्बन डाइऑक्साइड सौखैं ये भोजन की आस मैं

संघर्ष और निर्माण का इतिहास बनाया प्राणी रै।।

2

इस ब्रह्मांड को समझैँ इसमैं हम सां कड़े खड़े

कुदरत के नियम जाणे म्हारे कदम भी सही पड़े

इसका जब मजाक उड़ाया पड़ी मूंह की खाणी रै।।

3

आस पास और दुनिया मैं कैसे यह संसार चलै

कुदरत और जनता को कैसे यो धनवान छलै

इस धनवान लुटेरे की कोन्या चाल पिछाणी रै।।

4

चल चल पूंजी खावैगी या म्हारे पूरे ही समाज नै

धरती का संकट बढ़ाया सै इसके तेज मिजाज नै

विकास टिकाऊ बचा सकता म्हारी सबकी हाणी रै।।

44)

पृथ्वी अपना संकट ये आज सबको सुनाती है।।

चारों तरफ से हमला अस्तित्व बचाना चाहती है।। 

हरियाणा की धरती से गिद्ध खत्म हुए जा रहे 

मोर भी जगह-जगह पर आज मरे हुए हैं पा रहे 

कैंसर बढ़ते जा रहे आज हमें समझ ना आती है ।।

जमीन हमारे खेतों की बांज होती जा रही आज 

फसल सब कुछ करके भी नहीं बढ़ पा रही आज 

बीमारी क्यों छा रही आज जमीन भी बिक जाती है। 

बाजारू विकास के तले टिकाऊ विकास खो गया 

कैसा दोहन कुदरत का देखो चारों तरफ हो गया 

बीज बिघन के बो गया धरती की हद छाती है।

सामाजिक सूचक हमारे बहुत हो गए खराब 

आर्थिक सूचक से काम नहीं चलेगा जनाब 

लिख रहे हैं ऐसी किताब जो सब भेद बताती है।

45)


ये ग्लोबल वार्मिंग के बादल भारत पै मंडरावैं रै।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंस दान यो अंदाज लगावैं रै।।

1

विकास शील देशों ऊपर आज खतरा घणा बताया

मार पड़ेगी घनी कसूती नुकसान ना जा संगवाया 

कम हो खेतों मैं जीरी तीस प्रतिशत का अंदाज लाया

गिंहू पै भी असर पड़ेगा चार प्रतिशत यो दिखलाया 

पर्यावरण और बिगड़ ज्या सांस मुश्किल तैं ले पावैं रै।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंस दान यो अंदाज लगावैं रै।।

2

अर्थ व्यवस्था भारत की पै घनघोर संकट छाज्यावै

जीडीपी म्हारा कम होज्या मानस दुख घणा पाज्यावै

बरसात भी कम होगी हम नै गरमी जड़ तैं खाज्यावै 

राजस्व मैं ते रा प्रतिशत की कहैं गिरावट आज्यावै

तेरा करोड़ टन खेती मैं घाटा साइंस दान बतावैं रै।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंस दान यो अंदाज लगावैं रै।।

3

समुंदर का स्तर फेर एक मीटर ऊंचा हाेज्यागा 

छह लाख हेक्टेयर भूमि नै इसका पाणी डबोज्यागा  

सत्तर लाख लोग उजडैंगे बीज बीघन के बोज्यागा 

भूख तैं लोग मरैंगे भूखे यो मानस आप्पा खोज्यागा 

खासकर मुंबई आले घणा कसूता नुकसान उठावैं रै।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंस दान यो अंदाज लगावैं रै।।

4

लगाम बढ़ते तापमान पै मिल जुल कै लाणी होगी

बढ़या क्यों यो तापमान घर घर अलख जगाणी होगी

छिक्मा हम पेड़ लगावाँ जोर की रीत चलानी होगी

अमरीका और यूरोप समझैं मिलकै आवाज उठानी होगी

कहै रणबीर लेल्यो संभाला धरती नै जरूर बचावैं रै।।

गंगा नदी लुप्त होज्यागी साइंस दान यो अंदाज लगावैं रै।।

46)

ग्रामीण संकट 

चारों तरफ तैं घेरया , सांस मुश्किल तैं लेरया

कति निचौड़ कै गेरया, राम क्यूं आंधा होग्या।।

1

एमएसपी पै हमला सै, बचावण की आस मनै

लाम्बा संघर्ष चलैगा इतनै ना सुख की सांस मनै

दीखें बिल सैं फांसी के, समों नहीं सैं हांसी के

दौरे पड़ें सैं ये खांसी के, राम क्यूं आंधा होग्या।।

2

पूरा हाँगा लाकै मनै दिन रात खेत कमाया देखो

जितना खर्च हुया मेरा उतना भी ना थ्याया देखो

ना मेरी समझ मैं आया, नहीं किसे न समझाया

पग पग पै धोखा खाया, राम क्यूं आंधा होग्या।।

3

धरती बैंक आल्यां कै लाल स्याही मैं चढ़गी सै

बीस लाख की बोली कुड़की कीमत बढ़गी सै

बीस लाख का के करूंगा, किस डगर पैर धरूँगा

आज बच्या काल मरूंगा, राम क्यूं आंधा होग्या।।

4

कितने भाई सल्फास की गोली खा खा मरते रै

जी मेरा भी करता ख़ालयूं ये गधे खेती चरते रै

नहीं देखूँ मैं कुआं झेरा, रणबीर सिंह साथी मेरा

चलावै संघर्ष ईब कमेरा,राम क्यूं आंधा होग्या।।

47)

मेहर सिंह


सिसाने के पंडित कृष्न चन्द भी उसी पलटन में थे जिसमें फौजी मेहर सिंह थे। पंडित जी के पास चिठ्ठी आती है कि चाची ने लड़की को जन्म दिया है। गांव में ही दादी दाई ने ठीक ढंग से डलिवरी करवा दी। चाची ने दादी दाई को एक सूट और पांच रुपये दिये। इसी कारण दोनों में दादी दाई के बारे में बातचीत होती है। मेहर सिंह के गांव की दाई भी बड़ी मशहूर थी आस पास के गांव में भी लोग उसे बुलाते थे। मेहर सिंह पंडित जी को उसके बारे में बताते हैं। क्या बताया भला-


मानवता कै घली बेड़ी दिल मेरा घणा घबरावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के म्हैं ल्यावै।।

1

नौ म्हिने पलकै पेट मैं जब दुनिया मैं आणा चाहवै

मां कै प्रशव पीड़ा जोर की वा पड़ी खाट मैं चिलावै

दाई दादी फेर सारे कुण्बे कै याद बहोत घणी आवै

खून मैं हाथ सान कै दूजे के बालक नै सांस दिवावै

बलक लिटा जच्चा धोरै वा अपना फरज निभावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के म्हैं ल्यावै।।

2

सौ मांतै अस्सी आज बी या जाप्पे करावै दादी म्हारी

घणा गजब का काम करै संसार दिखावै दादी म्हारी

माड़ी बी उक चूक होज्या तै बिसराई जावै दादी म्हारी

जात पात मैं बटे समाज मैं धक्के खावै सै दादी म्हारी

दूर तैं बगा कै रोटी फैंकैं दादी दुखी मन तैं ठावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के म्हैं ल्यावै।।

3

ये रिवाज कदे कदीमी के मानकै दादी चुप होज्या 

अपनी व्यथा बतावै किसनै बैठ कोने मैं वा रोज्या

इसा जुलमी हाल देखकै माणस कैसे चैन तैं सोज्या

इसे व्यवहार नै के चाटै जो मान सम्मान खोज्या

दादी दाई कई बै पंडित जी याद बहोत घणी आवै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के म्हैं ल्यावै।।

4

जात पात तैं हो उपर मानवता मानवता नै याद करां

मानवता का इन्सानी रिस्ता दुनिया मैं आबाद करां

पीस्से की गुलाम मानसिकता छोड़ो या फरियाद करां

न्यों कहै मेहर सिंह मानवता खातर जिन्दा बाद करां

रणबीर नये समाज सुधार तैं दादी दाई सम्मान पावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के म्हैं ल्यावै।।

किस्सा शहीद भगत सिंह 

शहीद भगत सिंह की याद में 

***48

हट कै क्यूकर बुलाऊँ मैं , पुनर्जन्म नहीं गया बताया ।।

तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।

1

तेईस साल का था जिब तूं फांसी का फंदा चूम गया 

इन्कलाब जिंदाबाद का नारा फिरंगी का सिर घूम गया 

पगड़ी सम्भाल जट्टा का गाना इनपै भारतवासी झूम गया 

बम्ब गेरया असम्बली के मैं तूं मचा देश मैं धूम गया 

समतावादी समाज बानावां इसका विचार यो बढाया ||

तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।

2

मार्क्सवाद तैं ले कै प्रेरणा शोषण ख़त्म करना चाहया था 

सबके हक़ बराबर होंगे इंकलाबी नारा यो लाया था 

यानी सी उमर भगत सिंह तेरी गाँधी को समझाया था 

गोरे जा कै काले आज्यांगे  सवाल तनै यो ठाया था 

क्रांतिकारी नौजवानों का संगठन तमनै मजबूत बनाया ||

तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।

3

ढाल ढाल के भारत वासी सबकी भलाई चाही तनै 

यो सपना पूरा होज्या म्हारा नौजवान सभा बनाई तनै 

अंध विश्वासी भारत मैं लड़ी विचारों की लडाई तनै 

वर्ग संघर्ष सही रास्ता जिसपै थी  शीश चढ़ाई तनै  

तेरा रास्ता भूल गये ना सबकै आजादी का फल थ्याया ||

तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।।

4

तेरे सपनों का भारत देश भगत सिंह हम बना वांगे 

मशाल जो तनै जलाई वा घर घर मैं हम ले ज्यावांगे 

थाम नै फांसी खाई थी हम ना पाछै कदम हटा वांगे 

जात पात गोत नात पै ना झूठा झगडा हम ठा वांगे 

रणबीर सिंह बरोने आले नै दिल तैं यो छंद बनाया ||

तेरे विचारों पै चले हजारों ज्यां आजादी का दिन आया ।। 


***48 


भगत सिंह (जन्म: 28  सितम्बर 1907 , मृत्यु: 23 मार्च 1931) भारत के एक प्रमुख क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे। भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए जिस साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया, वह आज के युवकों के लिए एक बहुत बड़ा आदर्श है। इन्होंने केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप इन्हें 23 मार्च 1931 को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया गया। सारे देश ने उनके बलिदान को बड़ी गम्भीरता से याद किया। पहले लाहौर में साण्डर्स-वध और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय असेम्बली में चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। भगत सिंह ने मार्क्सवादी विचारधारा का गहन मंथन किया और इसी को संघर्ष का आधार बनाया |

सोने की चिड़िया  भारत म्हारा इसका हाल देखले आकै  ॥ 

जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥ 

1

मेहनत कश देशवासियों नै यो खून पसीना एक करया 

खेत कारखाने खूब कमाए यो देश खजाना खूब भरया 

टाटा अम्बानी लूट कै लेगे आज अपने प्लान बनवाकै ॥ 

जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥ 

2

तीनों फांसी का फन्दा चुम्मे दुनिया मैं इतिहास बनाया 

थारी क़ुरबानी नै भारत मैं  आजादी का अलख जगाया 

दिखावा करैं थारे नाम का असल मैं धरे टांड पै बिठाकै ॥ 

3

जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥ 

भ्रष्टाचार ठाठे मारै देखो दिल्ली के राज दरबारों मैं 

कुछ भृष्ट नेता भ्रष्ट अफसर मौज करैं सरकारों मैं 

बाट आजादी के फ़लां की आज  हम देखां सां मुंह बाकै ॥

जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥ 

4

प्रेरणा लेकै थारे तैं हम आज कसम उठावां सारे रै 

ज्यान की बाजी लाकै नै सपने पूरे करां थारे रै 

लिखै रणबीर साची सारी आज एक एक बात जमाके ॥

जिसा चाहया थामनै कोन्या हमनै देख्या हिसाब लगाकै ॥


***50


भगत सिंह राज गुरु सुखदेव के सपने अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं। इसके कारणों में जाना और विचार करना जरूरी है। क्या बताया भला-- 


सपने चकनाचूर करे थारे देश की सरकारां नै।

जल जंगल जमीन कब्जाए देश के सहूकारां नै ।

1

शिक्षा हमें मिलै गुणकारी , भगत सिंह सपना थारा

मरै ना बिन इलाज बीमारी, भगत सिंह सपना थारा

भ्रष्टाचार कै मारांगे बुहारी, भगत सिंह सपना थारा

महिला आवै बरोबर म्हारी, भगत सिंह सपना थारा

बम्ब गेर आवाज सुनाई, बहरे गोरे दरबारां नै।

2

समाजवाद ल्यावां भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना

कोए दुःख ना ठावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना

दलित जागां पावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना

अच्छाई सारै छावै भारत मैं, भगत सिंह थारा सपना

जनता चैन का सांस लेवै बिन ताले राखै घरबारां नै।

3

थारी क़ुरबानी के कारण ये आजादी के दिन आये

उबड़ खाबड़ खेत संवारे देश पूरे मैं खेत लहलाये

रात दिन अन्न उपजाया देश अपने पैरों पै ल्याये

चुनकै भेजे जो दिल्ली मैं उणनै हम खूब बहकाये

आये ना गोरयां कै काबू कर लिए अपने रिश्तेदारां नै।

4

समाजवाद की जगां अम्बानीवाद छाता आवै देखो

थारे सपने भुला कै धर्म पै हमनै लड़वावै देखो

मुजफ्फरनगर हटकै भगत सिंह थामनै बुलावै देखो

दोनों देशों मैं कट्टरवाद आज यो बढ़ता जावै देखो

रणबीर खोल कै दिखावै साच आज के नम्बरदारां नै। 


51*******


भारत देश बहुत सालों तक गुलाम रहा। देश भक्तों ने संघर्ष किया तो 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ। सबसे बड़ा गणतन्त्र है। क्या बताया भला--

यो गणतंत्र सबतै बड्डा भारत आवै कुहाणे मैं।।

भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

2

दो सौ साल गोरया नै भारत गुलाम राख्या म्हारा था

गूंठे कटाये कारीगरां के मलमत दाब्या म्हारा था

सब रंगा का समोवश था फल मीठा चाख्या म्हारा था

भांत-भांत की खेती म्हारी नहीं ढंग फाब्या म्हारा था

फूट गेर कै राज जमाया कही जाती बात समाणे मैं।।

भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

2

वीर सिपाही म्हारे देस के ज्यान की बाजी लाई फेर

लक्ष्मी सहगल आगै आई महिला विंग बनाई फेर

दुर्गा भाभी अंगरेजां तै जमकै आड़ै टकराई फेर

याणी छोरियां नै गोरयां पै थी पिस्तौल चलाई फेर

गोरे लागे राजे रजवाड़यां नै अपणे साथ मिलाणे मैं।।

भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

3

आवाज ठाई जिननै उनके फांसी के फंदे डार दिये

घणे नर और नारी देस के काले पाणी तार दिये

मेजर जयपाल नै लाखां बागी फौजी त्यार किये

फौज आवै बगावत पै म्हारे बड्डे नेता इन्कार किये

नेवी रिवोल्ट हुया बम्बी मैं अंग्रेज लगे दबाणे मैं।।

भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।।

4

आजादी का सपना था सबकी पढ़ाई और लिखाई का

आजादी का सपना था सबका प्रबन्ध हो दवाई का

आजादी का सपना था खात्मा होज्या सारी बुराई का

आजादी का सपना था आज्या बख्त फेर सचाई का

हिसाब लगावां आजादी का रणबीर सिंह के गाणे मैं।।

भगत सिंह शहीद हुये इसके आजाद कराणे मैं।। 


52******


पन्दरा अगस्त आजादी का दिन --एक लेखा जोखा उन कुर्बानियों का जिनके दम पर देश आजाद हुआ--- 


कितने गये काला पानी कितने शहीद फांसी टूटे रै।।

पाड़  बगा दिए  गोरयां के गढ़रे थे जो देश मैं खूंटे रै ।।

1

पहली आजादी की जंग थारा सो सतावन  मैं लड़ी थी 

बंगाल आर्मी करी बगावत जनता भी साथ भिड़ी थी 

ठारा  सौ सतावन के मैं जन क्रांति के बम्ब फूटे रै ।।

2

भगत सिंह सुख देव राजगुरु फांसी का फंदा चूमे 

उधम सिंह भेष बदल कै लन्दन की गालाँ  मैं घूमे 

चंदर शेखर आजाद साहमी गोरयां के छक्के छूटे रै।।

3

सुभाष चन्द्र बोश नै आजाद हिंद फ़ौज बनाई थी 

महिला विंग खडी करी लक्ष्मी सहगल संग आई थी 

धुर तैं आजादी खातिर ये किसान मजदूर भी जुटे रै ।।

4

गाँधी की गेल्याँ जनता जुड़गी हर तरियां साथ दिया  

चाल खेलगे गोरे फेर बी देश मैं बन्दर बाँट किया 

बन्दे मातरम अलाह हूँ अकबर ये हून्कारे उठे रै ।।

5

सोच घूमै इब्बी जिसने देख्या खूनी खेल बंटवारे का 

लाखां घर बर्बाद हुए यो क़त्ल महमूद मुख्त्यारे का 

दो तिहाई नै आज बी रोटी टुकड़े पानी संग घूंटे रै ।।

6

छियासठ साल मैं करी तरक्की नीचे तक गई नहीं 

ऊपरै ऊपर गुल्पी आजादी नीचै जावन दई नहीं 

रणबीर सिंह टोह कै ल्यावै खुये मक्की के भूट्टे  रै ।।


53****** 


भगत सिंह हर के सपने 

जिन सपन्यां खातर फांसी टूटे हम मिलकै पूरा करांगे ।।

उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।

1

सबको मिलै शिक्षा पूरी यही तो थारा विचार बताया

समाज मैं इंसान बराबर तमनै यो प्रचार बढ़ाया

एक दूजे नै कोए ना लूटै थामनै समाज इसा चाहया

मेहनत की लूट नहीं होवै सारे देश मैं अलख जगाया

आजादी पाछै कसर रैहगी हम ये सारे गड्ढे भरांगे।।

उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।

2

फुट गेरो राज करो का गोरयां नै खेल रचाया था 

छूआ छूत पुराणी समाज मैं लिख पर्चा समझाया था

समाजवाद का पूरा सार सारे नौजवानों को बताया था

शोषण रहित समाज होज्या इसा नक्शा चाहया था

थारे विचार आगै लेज्यावांगे हम नहीं किसे तैं डरांगे।।

उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।

3

नौजवानो को भगत सिंह याद आवै सै थारी क़ुरबानी 

देश की खातर फांसी टूटे गोरयां की एक नहीं मानी

देश की आजादी खातर तकलीफ ठाई थी बेउन्मानी

गोरयां के हाथ पैर फूलगे जबर जुल्म करण की ठानी 

क्रांतिकारी कसम खावैं देश की खातर डूबाँ तिरांगे।।

उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।

4

बहरे गोरयां ताहिं हमनै बहुत ऊंची आवाज लगाई 

जनता की ना होवै थी सुनायी ज्यां बम्ब की राह अपनाई 

नकाब फाड़ना जरूरी था गोरे खेलें थे  घणी चतुराई 

गोरयां की फ़ौज म्हारी माहरे उप्पर करै नकेल कसाई

रणबीर कसम खावां सां चाप्लूसां तैं नहीं घिरांगे।।

उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।। 


54******

**भगत सिंह के रास्ते को अपनाना  होगा**


एक दिन जनता जागैगी, भ्रष्ट राजनीति भागैगी, घोटाल्याँ पाबंदी लागैगी, इन सबकी सै आस मनै।।

1

असल मैं तो नौकरी आज बहोत घणी बची कोण्या

बिना सिफारिश पीसे मिलज्या या बात जँची कोण्या

यो हिसाब जनता माँगैगी,या कसूरवारां नै टाँगैगी,

ठेकेदारां नै पूरा छांगैगी, इसका सै अहसास मनै।।

2

जो भी परिवर्तन आया वा या जनता ल्याई देखो

शोषण का रूप बदल्या जब जनता ली अंगड़ाई देखो

लगाम अमीरों कै लागैगी,हथकड़ी उनकै फाबैगी,

जनता उस दिन नाचैगी,उलगी आवैगी सांस मनै।।

3

जनता की जनवादी क्रांति सुधार आवै पूरे समाज मैं

कोये भूखा नहीं सोवै अमन शांति छावै पूरे समाज मैं

छुआछूत ना टोही पावैगी ,भ्रष्टाचार ना भाजी थ्यावैगी, भूख ना फेर सतावैगी , बनता दीखै इतिहास मनै।।

4

यो हासिल करने खातर  भगत सिंह बनना होगा

जनतंत्र असली खातर संघर्ष मैं उतरना होगा

अर्थ नीति बदली जावैगी,फेर सांस मैं सांस आवैगी,दुनिया मैं शांति छावैगी, रणबीर देवै विश्वास मनै।। 


55*****


लेखक भगत सिंह को आह्वान करके क्या कहता है ------

देख ले आकै सारा हाल , क्यों देश की बिगड़ी चाल, सोने की चिडया सै कंगाल , भ्रष्टाचार नै करी तबाही ।।

1

अंग्रेज तैं लड़ी लडाई , थारी कुर्बानी आजादी ल्याई 

देश के लुटेरों की बेईमानी फेर म्हारी बर्बादी ल्याई 

क्यों भूखा मरता कमेरा , इसनै क्यूकर लूटै लुटेरा, करया चारों तरफ अँधेरा,माणस मरता बिना दवाई ।।

2

चारों कान्ही आज दिखाऊँ , घोटालयां की भरमार दखे 

दीमक की तरियां खावै सै समाज नै यो भ्रष्टाचार दखे 

ये चीर हरण रोजाना होवें , नाम देश का जमा ड़बोवैं , लुटेरे आज तान कै सोवें, शरीफों की श्यामत आई ।।

3

थारे विचारों के साथी तो डटरे सें जमकै मैदान के माँ 

गरीबों की ये लड़ें लडाई म्हारे पूरे हिंदुस्तान के माँ 

भगत सिंह ये साथी थारे , तेरी याद मैं कसम उठारे, संघर्ष करेँ यो बिगुल बजारे ,चाहते ये मानवता बचाई ।।

4

बदेशी कंपनी थारे देश नै फेर गुलाम बनाया चाहवैं 

मेहनत लूट मजदूर किसानों की ये पेट फुलाया चाहवैं 

भारी दिल तैं साथी रणबीर, लिखै देश की सही तहरीर, भगत तमनै जो बनाई तस्बीर, देख जमा ए पाड़ बगाई।।


56*****


राज गुरु सुख देव भगत सिंह तेईस मार्च नै फांसी पै लटकाये।।

हुसैनी वाला में अधजले तीनूं  सतलुज नदी के मैं गये बहाए।।

1

धार्मिक कट्टरवाद और अंधविश्वास समाज के बैरी बताये

विकास के पक्के रोड़े सैं इनपै लिख कै संदेश घर घर पहूंचाये

लिख मैं नास्तिक क्यों सूं एक पुस्तिका मैं अपने विचार बताये।।

2

इंसान के छूने से सवाल करया हम अपवित्र कैसे हो ज्यावैं 

पशु नै रसोई मैं ले जाकै क्यों हम अपनी गोदी के मैं बिठावैं

कति शर्म नहीं आती हमनै क्यों इसे रिवाज समाज मैं चलाये।।

3

जो चीज आजाद विचारों नै बर्दाश्त नही कर पावै देखो रै

हों इसी चीज खत्म समाज तैं तीनूं नौजवान चाहवैं देखो रै

समाजवाद के पढ़े विचार इंकलाब जिंदाबाद के नारे लाये।।

4

लोग नहीं लड़ें आपस के मैं जरूरत वर्ग चेतना की बताई

किसान मजदूर की असली बैरी पूंजीपति की वर्ग समझाई

सुखदेव राजगुरु भगत सिंह नै रणबीर ना पाछै कदम हटाये ।।


57****

शहीद भगत सिंह पर रचित एक रागनी::

भगतसिंह नै अपनी निभाई ईब हम अपनी निभावांगे ।।

इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।

इंसानियत भूलकै समाज हैवानियत कान्ही चाल पड़या

शोषण रहित समाज का सपना चौराहे पै बेहाल खड़या

थारा संगठन जिस खातर लड़या उस विचार का परचम फैहरावांगे।।

तेईस साल की कुल उम्र चरों कान्ही तैं इतना ज्ञान लिया 

बराबर हों इंसान दुनिया के मिलकै तमनै ब्यान दिया 

मांग महिला का सम्मान लिया थारी क्रांति का झंडा लैहरावांगे।।

हंसते हंसते फांसी चूमगे इंकलाब जिंदाबाद का नारा लाया

बम्ब गैर कै एसैम्बली मैं नारा अंग्रेजां कै था याद दिलवाया

मिलकै सबनै प्रण उठाया गोरयां नै हम बाहर भजावांगे।।

जेल मैं पढी किताब के थोड़ी नोट किया सब डायरी मैं 

आतंकवादी का मतलब समझां फर्क समझां क्रांतिकारी मैं

कहै रणबीर बरोने आला घर घर थारा सन्देश लेज्यावांगे।।

11.9.2016 


58*****

किस्सा शहीद भगत सिंह

भगत सिंह जेल से अपने पिताजी के नाम एक पत्र लिखकर सरकार को उनके द्वारा भेजी अपील का सख्त विरोध करते हैं । क्या बताया इस रागनी में :- 

अर्जी पिता किशनसिंह नै ट्रिब्यूनल ताहीं दी बताई थी।।

दलील दे बचाव खातर  कोर्ट जाणे की प्लान बनाई थी ।।

भगत सिंह और उसके साथी इसतैं सहमत नहीं बताये 

अंग्रेजां की बदले की नीति बोले पिता समझ नहीं पाये

जिंदगी की भीख नहीं मांगां सन्देश बाबू धोरै भिजाई थी।1।

दलील दे बचाव खातर-------

हम तो हैरान पिताजी क्यों आपनै आवेदन भेज दिया

बिना मेरे तैं सलाह करें इसा गल्त क्यों काम किया 

राजनितिक विचारों की दूरी कई बारियां समझाई थी।

2।

दलील दे बचाव खातर-------

थारी हाँ ना के ख्याल बिना मैं अपना काम करता आया सूँ

मुकद्दमा नहीं लड़ूंगा इसपै मैं धुर तैं खड़या पाया सूँ

अपने सिद्धान्त कुर्बान करकै नहीं बचना कसम खाई थी3।

दलील दे बचाव खातर---------

आप पिता मेरे ज्यां करकै मनै सख्त बात नहीं लिखी सै

थारी या बड़ी कमजोरी बात साफ़ मनै कहनी सिखी सै 

रणबीर इस्सी उम्मीद कदे मनै आपतैं नहीं लगाई थी।।4

दलील दे बचाव खातर---------

16.9.16 


59*******

जब जब जनता जागी  यो जुल्मी शोषक झुका दिया ।।

भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।। 

आजाद देश का सपना पहुंचा शहर और गांव मैं 

भगत सिंह फांसी टूटा जोश था  देश तमाम मैं

दुर्गा भाभी गेल्याँ  जुटगी इस आजादी के काम मैं 

लाखाँ नर और नारी देगे या कुर्बानी गुमनाम मैं 

कुर्बानी बिना नहीं आजादी गांधी अलख जगा दिया ।।

भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।

गोरे गये आगे काले गरीबी जमा मिटी नहीं सै

बुराई बढती आवै सै भिद्द इसकी पिटी नहीं सै 

अच्छाई संघर्ष करण लागरी आस जमा घटी नहीं सै

जनता एक दिन जीतेगी या उम्मीद छुटी नहीं सै 

म्हारी एकता तोडण़ खातिर जात पात घणा फैला दिया।।

भारत तैं जुल्मी गौरा मिलकै सबनै भगा दिया।।

जात पात हरियाणा की सै सबतैं बड्डी बैरी भाइयो

विकास पूरा होवण दे ना दुनिया याहे कैहरी भाइयो

वैज्ञानिक सोच काट सै इसकी जड़ घणी गहरी भाइयो

अमीराँ की जात अमीरी म्हारै गरीबी फैहरी भाइयो

समता वादी समाज होगा संघर्ष का डंका बजा दिया ।।

भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।। 

दारू माफिया मुनाफा खोर इनकी पक्की यारी देखो 

भ्रष्ट पलसिया औछा नेता करता चौड़े गद्दारी देखो 

बिचोलिया घणे पैदा होगे म्हारी अक्ल मारी देखो 

लंबे जन संघर्ष की हमनै कर ली तैयारी देखो 

रणबीर भगत सिंह ने रास्ता सही दिखा दिया।।

भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।


60******

23 मार्च शहादत दिवस के मौके पर

देख हालत आज देश की थारी याद घणी आवै सै।।

आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

1

सबको शिक्षा काम सबको का नारा थामने लाया था 

इंकलाब जिंदाबाद देश में जोर लगा गुंजाया था 

शोषण रहित समाज थारी डायरी लिखा पावै सै।।

आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

2

अंग्रेजों के खिलाफ थाम नै जीवन दा पै लगा दिया 


आजादी का संदेश यो घर घर के में पहुंचा दिया 

तीनों साथी फांसी चढ़गे  देश शहादत मना वै सै।।

आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

3

सरफरोशी की तमन्ना बोले इब म्हारे दिल मैं सै 

देखना सै जोर कितना बाजू ए कातिल थारे मैं सै

एक नौजवान तबका थाम नै उतना ए चाहवै सै।।

आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

4

धर्म के नाम पर समाज बांटें आज देश भगत बनरे 

हिंदू मुस्लिम के नाम पै बना कै पाले बन्दी तनरे

रणबीर थारी कुर्बानी हम सब मैं जोश लयावै सै।।

आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।। 


61******

जनता की जनवादी क्रांति हम बदल जरूर ल्यावाँगे रै ॥  

भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥ 

1

जनतन्त्र का मुखौटा पहर कै राज करै सरमायेदारी या 

जल जंगल जमीन धरोहर बाजार के मैं बेचै म्हारी या 

हम लोगां का लोगां की खातर लोगां का राज चलावांगे रै ॥ 

भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥ 

2

कौन लूटै जनता नै इब सहज सहज पहचान रहे 

आज घोटाले पर घोटाले कर ये कारपोरेट बेईमान रहे 

एक दिन मिलकै इन सबनै हम जेल मैं पहोंचावांगे रै  ॥ 

भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥ 

3

जनता जाओ चाहे भाड़ मैं बिदेशी पूंजी तैं हाथ  मिलाया 

दरवाजे खोल दिए उन ताहिं गरीबाँ का सै भूत बनाया 

जमा बी हिम्मत नहीं हारां मिलकै नै सबक सिखावांगे रै ॥

भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥ 

4

बढ़ा जनता मैं  बेरोजगारी ये नौजवान भटकाये देखो  

जात पात गोत नात मैं बांटे आपस मैं भिड़वाये देखो 

किसान मजदूर के दम पै करकै संघर्ष दिखावांगे रै ॥

62)

शरूपनखा के साथ ज्यादती/ सीता के साथ ज्यादती

शरूपनखा के बारे आज सारी बात खोल बताऊँ मैं ।।

वा आजाद ख्यालात की महिला जंगलों मैं दिखाऊँ मैं।।

रावण की भांण शरूपनखा चरित्रहीन बताई क्यों 

बिंदास महिला शरूपनखा साच्ची बात छिपाई क्यों 

लक्ष्मण तैं कुछ कैहदी बदले की आग जलाई क्यों 

वा भी इंसान बराबर की राम कै समझ ना आई क्यों 

किसे बी बात पै क्यों काटे कान नाक सवाल ठाउँ मैं ।।

म्हारी पौराणिक कथाओं मैं औराक़ को एक चीज दिखाया

बहन का बदला रावण नै लक्ष्मण तैँ क्यों ना चुकाया

उसनै भी सीता महिला पै यो अपना निशाना लगाया 

नाक काटण का दोषी लक्ष्मण सीता को सबक सिखाया

लक्ष्मण रेखा क्यों लांघी सीता उसकै दोष लगाऊं मैं।।

राम नै लंका फ़ूंकवादी सीता उल्टी ल्या लाज बचाई

असल मैं तै उसनै सीता बिलकुल नहीं थी अपनाई

अग्निपरीक्षा की मांग उसकी या सीता नै ठुकराई

सीता नै बूझी या परीक्षा रामजी तनै क्यों लेनी चाही

सबके साहमी अपमान मेरा परीक्षा कैसे निभाऊं मैं।।

सीता की हिम्मत देखो एकली जंगलों मैं चली गई

किसे नै भी रोकी कोन्या सीता राम राज मैं छली गई

लव कुश पाले कुटिया मैं या जिंदगी सारी दली गई

पुरुषवाद बचाने खातर चढ़ाई सीता की बलि गई

रामायण की छिपी सच्चाई रणबीर साहमी ल्याऊं मैं।।

63)


ज्ञान विज्ञान का पैगाम

सुखी जीवन हो म्यारा ज्ञान विज्ञान का पैगाम सुणो।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

1

सारे पढ़े लिखे होज्यां नहीं अनपढ़ टोहया पावै फेर

खाण पीण की मौज होज्या ना भूख का भूत सतावै फेर

बीर मरद का हक बरोबर हो इसा रिवाज आवै फेर

यो टोटा गरीब की चौखट पै भूल कै बी ना जावै फेर

सोच समझ कै चालांगे तो मुशिकल ना सै काम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

2

मिलकै नै सब करां मुकाबला हारी और बीमारी का

बरोबर के हक होज्यां तै ना मान घटै फेर नारी का

भाईचारा फेर बढ़ैगा नहीं डर रहै चोरी जारी का

सुख कै सांस मैं साझा होगा इस जनता सारी का

भ्रष्टाचार की पूरी तरियां कसी जावै लगाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

3

आदर्श पंचायत बणावां हरियाणा मैं न्यारी फेर

दांतां बिचालै आंगली देकै देखै दुनिया सारी फेर

गाम स्तर पै बणी योजना लागू होज्या म्हारी फेर

गाम साझली धन दौलत सबनै होज्या प्यारी फेर

सुख का सांस इसा आवैगा नां बाजै फेर जाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।

4

कोए अनहोनी बात नहीं ये सारी बात सैं होवण की

बैठे होल्यां लोग लुगाई घड़ी नहीं सै सोवण की

इब लड़ां ना आपस मैं या ताकत ना खोवण की

बीज संघर्ष का बोवां समों सही सै या बोवण की

कहै रणबीर सिंह गूंजैगा चारों कूठ यो नाम सुणो।।

हरियाणे के सब नर-नारी ध्यान लगाकै तमाम सुणो।।


64)

मीठी मीठी बात करैं ये पर भीतर तैं काले।।

देशद्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।

1

बण जोंक खून चूसैं वे साहूकार बणे हाँडें सैं 

हम भूखे फिरैं घूमते वे ताबेदार बणे हांडें  सैं

लेरे सैं महल अटारी वे थानेदार बणे हांडें सैं

काल के जो दुराचारी वे दिलदार बणे हांडें सैं

अफवाह फैला देश मैं कर दिए मोटे चाले।।

देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।

2

बढा कै नै महंगाई खागे लोगां नै लूट लूट कै

भ्रष्टाचार भरया नशां मैं इनकी कूट कूट कै

बिन रिश्वत काम ना होवैं रोल्यो फुट फुट कै

अंधविश्वास खावैं देखो साइंस नै चूट चूट कै

वाजीरां के बनें अफसर भतीजे और साले।।

देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले ।।

3

जोंक भेड़िये जो पहले मगरमच्छ देवें दिखाई

ठोक ठोक भरैं तिजूरी कर अन्धधुन्ध कमाई

जनता की नहीं होती आज देश मैं कितै सुनाई 

आठों पहर डर रहवै कदे आज्याँ पापी कसाई

कदे बीफ के शक पै कत्ल कर पाड़ दें चाले।।

देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।

4

काले नाग बने जहरी ये कारपोरेट के व्यापारी

चीनी गैस तेल नाज ये कठ्ठी कर लेते सारी

नागां का के भरोसे कद आज्याँ बाहर पिटारी 

सारा देश डर मैं जीवै ना पै यो हमला जारी 

रहिए संभल कै नै सुण रणबीर बरोने वाले।।

देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।


65)

सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार

1

बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै

बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै

उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै

मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै

इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 

सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था

बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था

मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था

बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

3

कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया

पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया

ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया

सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया

पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

4

ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं

उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 

फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं

आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं

कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

66)


मैं पढ़ी लिखी होती तै दिल खोल तनै दिखा देती।

लिखकै सारी बात पिया जी तत्काल तनै बुला लेती ।।

1

बचपन मैं पढ़ नहीं पाई मनै भाई खूब खिलाया था

माँ बाबू अनपढ़ मेरे नहीं रस्ता स्कूल दिखाया था

गोबर पाथना खूब सिखाया था जड़ मैं भाई बिठा लेती।

2

छोरी का पढ़ना ठीक नहीं बस इतना ही सुण्या हमनै

दुख सुख किस्मत करकै इस ए नक्शा बुण्या हमनै

नहीं खुद रस्ता चुणया हमनै भाभी दो बात सिखा देती।

3

देखते देखते म्हारे साहमी यो बख्त पुराणा बदल गया

नए तौर तरीके खोज लिए साइंस का बढ़ दखल गया

ईब मनुष्य हो सफल गया साइंस मरते नै जिला देती।

4

मेरी पार बसावै पिया तो विद्या पढज्यां सारी नै

डर लागै दुनिया के कहवै लग्या राम बुढ्यारी नै

रणबीर सिंह से लिखारी नै लिखकै बोल हिला देती।


67)

ठण्डी बाल

तन ढक्कन नै चादर ना घणी ठण्डी बाल चलै।

एक कून मैं पड़ रहना धरां सिर कै हाथ तलै।।

1. फुटपाथ सै रैन बसेरा घणे सुन्दर मकान थारे

दो बख्त की रोटी मुश्किल रोज बनैं पकवान थारे

दीखे इरादे बेइमान थारे सत्ते का जी बहोत जलै।।

2. होटल मैं बरतन मांजैं करैं छोटी मोटी मजूरी

थारे घरां की करैं सफाई घर अपने मैं गन्द पूरी

कद समझी या मजबूरी जाड़ी बाजैं ज्यों शाम ढलै।।

3. थारे ठाठ-बाट देख निराले हूक उठे दिल म्हारे मैं

पुल कै नीचै लेटे देखां लैट चसै उड़ै चौबारे मैं

गरम कमरे थारे मैं यो साहब मेम का प्यार पलै।।

4. म्हारी एक नहीं सुनै राम थारे महलां बास करै

इसे राम नै के हम चाटां पूरी ना कोए आस करै

रणबीर सब अहसास करै दिल मैं आग बलै।।

68)

चारों कांहीं 

चारों कांहीं तैं लुट पिट लिया अपणा ठिकाणा पाज्या रै।।

जातपात और इलाके ऊपर के थ्याया मनै बताज्या रै।।

छोटू राम नै राह दिखाया बोलना ले सीख किसान रै

दुश्मन की पहचान करकै तोलना ले सीख किसान रै

तीस साल मैं हिरफिर कै कर्जा हट हट कै नै खाज्या रै।।

2

जात गोत इलाके पर किसान कसूते बांट दिए देखो

किसान की कमाई लूट लई सबतैं न्यारे छांट दिए देखो

आज अन्नदाता क्यों सै भूखा कोए मनै समझाज्या रै।।

3

दो किले धरती बची थी बीस लाख किले के लगवाए 

धरती गई चालीस लाख फेर तनै वे भी खा पदकाये

चकाचौंध मची घणी कसूती आंख जमा चुंधियाज्या रै।।

4

पिस्से आले तेरी कौम के क्यों तनै तड़पता छोड़ गए 

किमैं दलाल बने ठेकेदार तेरे तैं क्यों नाता तोड़ गए

कुलदीप किसान सभा मैं सोच समझ कै इब तो आज्या रै।।

69)

फरवरी 2014


बदली आंख युद्ध जीत कै अंग्रेजों की सरकार नै।।

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

1

फिरंगी की हालत खराब हुई  शुरू पहला वल्र्ड वार हुया 

भारत देश नै करां आजाद अंग्रेजों का यो प्रचार हुया

इसे शर्त पै मदद गार हुया ले सारे घर परिवार नै।।

2

जर्मन चढ़ता आवै लन्दन पै अंग्रेजों नै हाथ फैलाया था

मदद करो रै अंग्रेजों की गांधी जी नै नारा लाया था

रंगरूट भर्ती करवाया था यो देख्या सारे संसार नै।।

3

वायदा करकै नाट गया यो विश्वास खोया म्हारा था

काले कानून करे लागू माइकल ओ डायर हत्यारा था

होमरूल का नारा था हुई मुश्किल फिरंगी दरबारर नै।।

4

कलकत्ता कोर्ट मैं जज भारतवासी हसन इमाम रै

किलेटन बेहूदे गोरे नै गाली देदी थी सरेआम रै

देश उठ लिया तमाम रै देख फिरंगी अत्याचार नै।।

6.11.1990


70)

पंजाब में खालिस्तान का दौर और फिर सिखों के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे। उसी दौर की लिखी एक रागनी :--

बुरा हाल देख देश का आज मेरा जिगरा रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

1

मेल मिलाप खत्म हुया पकड़या राह तबाही का

सिख हिन्दू का गल काटै हिन्दू सिख भाई का

मारकाट बिना बात की यो सै काम बुराई का 

पर फिकर सै किसनै देखै खेल जो अन्याई का

माता खड़ी बिलख रही जिगर का टुकड़ा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

2

पंजाब मैं लीलो लुटगी चमन दिल्ली मैं रोवै सै

धनपत तूँ कड़ै डिगरग्या चमन गली गली टोह्वै सै

यो सारा चमन उजड़ चल्या तेरा साज कित सोवै सै

ना मन की बुझनिया कोय लीलो बैठ एकली रोवै सै

कित तैं ल्याऊं लख्मीचंद जिसनै सही छंद पिरोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

3

चौड़े कालर फुट लिया यो भांडा इस कुकर्म का

धर्म पै हो लिए नँगे ना रहया काम शर्म का 

लाजमी हो तोड़ खुलासा इस छिपे हुए भ्रम का

घड़ा भर लिया पाप का यो खुलग्या भेद मरम का 

देखी रोंवती हीर मनै जन सीने मैं तीर चुभोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

4

इसे कसूते कर्म देखकै सूख गात का चाम लिया

प्रीत लड़ी बिखर गई अमृता नै सिर थाम लिया

शशि पन्नू की धरती पै कमा कसूता नाम लिया 

भगत सिंह का देश भाई हो बहोत बदनाम लिया

असली के सै नकली के सै यो सच गया पूरा धोया ।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

5

फिरकापरस्ती दिखै सै इन सब धर्मां की जड़ मैं

लुटेरा राज चलावै सै बांट कै धर्मां की लड़ मैं

जितनी ऊपर तैं धौली दीखै कॉलस उतनी धड़ मैं

जड़ दीखें गहरी हों जितनी गहरी हों बड़ मैं

या धर्म फीम इसी खाई दुनिया नै आप्पा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

6

सिर ठाकै जीणा हो तै धर्म राजनीति तैं न्यारा हो 

फेर मेहनत करणीया का आपस मैं भाईचारा हो

फेर नहीं कदे देश मैं लीलो चमन का बंटवारा हो

कमेरयां की बनै एकता ना चालै किसे का चारा हो

रणबीर बी देख नजारा ठाडू बूक मार कै रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

71)


1983-1984 creation

पौश मास – पोह का म्हिना रात अंधेरी


पोह का म्हिना रात अन्धेरी, पड़ै जोर का पाळा

सारी दुनिया सुख तैं सोवै मेरी ज्यान का गाळा


सारे दिन खेतां के म्हां मनै ईख की करी छुलाई

बांध मंडासा सिर पै पूळी, हांगा लाकै ठाई

पूळी भारया जाथर थोड़ा चणक नाड़ मैं आई

आगे नै डिंग पाट्टी कोन्या, थ्योड़ अन्धेरी छाई

झटका देकै चणक तोड़ दी हुया दरद का चाळा


साझे का तै कोल्हू था मिरी जोट रात नै थ्याई

रुंग बुळथ के खड़े हुए तो दया मनै भी आई

इसा कसाई जाड्डा था भाई मेरी बी नांस सुसाई

मजबूरी थी मिरे पेट की, कोन्या पार बसाई

पकावे तैं न्यों कहण लग्या कदे होज्या गुड़ का राळा


कई खरच कठ्ठे होरे सैं, ज्यान मरण मैं आई

गुड़ नै बेचो गुड़ नै बेचो, इसी लोलता लाई

छोरी के दूसर की सिर पै, आण चढ़ी करड़ाई

सरकारी करजे आळयां नै, पाछै जीप लगाई

मण्डी के म्हां फंसग्या क्यूकर होवै जीप का टाळा


खांसी की परवाह ना करी, पर ताप नै आण दबोच लिया

डाक्टर नै एक सूआ लाया, दस रुपये का नोट लिया

मेरे पै गरदिश क्यों चढ़गी, मनै इसा के खोट किया

कई मुसीबत कठ्ठी होगी, सारियां नै गळजोट लिया

रणबीर साझे जतन बिना भाई टळै ना दुख का छाला।

                                 

72)

पीस्याँ का जुगाड़ बनाया या धरती गहणै धरकै नै

नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै

1

दोनों जणे आगै पाछै चाले ज्यूँ घोड़ी कै पाछै बछेरा

कितना दुखी पाग्या मेरी खातर भाईयो बाप यू मेरा

कहया सिपाही बणकै बाबू मैं दुःख दूर करूंगा तेरा

दस के बनाऊँ बीस लाख जै कदे बस चालैगा मेरा

सपने मैं चढ़ घोड़ी पै चल्या धर्मबीर सिपाही बणकै नै

2

बाबू के दिल मैं धड़का था कदे बिचौलिया पीसे खाज्या

धरती खोयी पीसे भी जाँ कदे ज्यान मरण मैं ना आज्या

कदे झूठ बहका कै बिचौलिया म्हारै थूक कसूता लाज्या

सोचै बिस्वास करना होगा न्यूएँ क्यूकर नौकरी थ्याज्या

बाबू घबराया नहीं देख्या था इसे रासे के मैं पड़कै नै

3

टूटे से ऑटो मैं बैठकै नै दोनूं शहर बीच आगे कहते

एस पी दफ्तर मैं भीड़ देखी भोत घणे चकरागे कहते

माणस ऊपर माणस चढ़रया वे एकबै घबरागे कहते 

बोली चढ़गी पंदरा पै कई बिचौलिए बतलागे कहते

सी एम की सिफारिस वे आले चालें घणे अकड़कै नै

4

साठ सीट बतावैं थे सिफारिशों का भाईयो औड़ नहीं था

कई सीएम के कुछ पीएम के टेलीफोनों का तोड़ नहीं था 

गाभरू छोरे छह फिट के उड़ै उनका कोय जोड़ नहीं था

पढ़ाई लियाकत अर गातकै कोय उड़ै बांधै मोड़ नहीं था

लाइन मैं धर्मबीर लाग्या लत्ते काढण एक एक करकै नै 

5

जिले जिले मैं पुलिस की भर्ती रूका रोला माच गया

असनाई रिश्तेदारी टोहवैं मामला दिखा साच गया

कई सिफारशी हुए भर्ती बाकि पै यो पीसा नाच गया

बिचौलियाँ के पौ बारा हरेक कर तीन दो पांच गया

बिचौलिया नै नोट गिनाये भरतू पै एक एक करकै नै

6

भर्ती होवण की खातर उड़ै हजारां छोरे आरे देखे

सुथरा छैल गात रै उनका चेहरे कति मुरझारे देखे

रिश्वत खोरी खुली होरी छोरयां कै पसीने आरे देखे

गेल्याँ हिम्मती भी ये रणबीर पाँ कै पाँ भिड़ारे देखे

लिस्ट मैं आग्या बिचौलिया लेग्या बाकि के गिण कै नै


73)

बढ़ा महंगाई लूट मचावैं ,जात धर्म पर लड़वावैं 

म्हारी धरत्ती खोस्या चाहवैं, चटा जनता नै धूल रहे।

1

अडानी और अम्बानी की मातहत है सरकार म्हारी

टैक्स लगा लगाकै इसनै जनता की खाल उतारी

साम्प्रदायिकता फैलारी, कहै आच्छे दिन भकारी

बिदेशी कम्पनी छाती जारी, तोड़ देश के असूल रहे ।

बढ़ा महंगाई लूट मचावैं ,जात धर्म पर लड़वावैं 

म्हारी धरत्ती खोस्या चाहवैं, चटा जनता नै धूल रहे।

2

भ्रष्टाचार बढ़ता जा यो व्यापम घोटाला देखो भाई

अध्यादेश धरत्ती का करते करया चाला देखो भाई

महिला की करैं थानेदारी, ये फरमान करते जारी

रूढ़िवाद के बनगे प्रचारी, पकड़ मामले तूल रहे ।

बढ़ा महंगाई लूट मचावैं ,जात धर्म पर लड़वावैं 

म्हारी धरत्ती खोस्या चाहवैं, चटा जनता नै धूल रहे।

विकास जनता का कहते, तिजूरी भरैं अम्बानी की 

सब्सिडी खत्म गरीबों की,बढ़ा दई या अडानी की

महिला खड़ी पुकार रही, दलित पर बढ़ मार रही

बढ़ न्यों ये बलात्कार रही, राज नशे मैं टूहल रहे

बढ़ा महंगाई लूट मचावैं ,जात धर्म पर लड़वावैं 

म्हारी धरत्ती खोस्या चाहवैं, चटा जनता नै धूल रहे।

4

आच्छे दिनों का सपना के बेरा कित खोग्या भाई

मजदूर किसान कर्मचारी घणा दुखी होग्या भाई

बरोने आला रणबीर यो , लिखता सही तहरीर यो

मामला घणा गंभीर यो, भाई चारा जमा भूल रहे ।

बढ़ा महंगाई लूट मचावैं ,जात धर्म पर लड़वावैं 

म्हारी धरत्ती खोस्या चाहवैं, चटा जनता नै धूल रहे।

74)


या महंगाई मारै , रूप कसूते धारै , जमा खाल नै तारै , मुश्किल पार पड़ै म्हारी।।

1

ट्रैक्टर की बाही रपीये तीस तैं 

आज चढगी एक सौ बीस पै

ट्यूबवैल की सिंचाई , थ्रेशर की कढ़ाई, मन्डी की लुटाई, इणनै करी मुशीबत भारी।।

2

गोहाने तैं रोहतक का बस भाड़ा 

पचास साल मैं करया सै कबाड़ा

पाट्या कूड़ता म्हारा, दुख होग्या भारया, पाया ना किनारा, म्हारी होगी तबियत खारी।।

3

बजट तैं पहलमै क्यों भा बढ़ाये

जनता कै खूब पसीने लिवाये

डीजल माट्टी तेल , महंगी करदी रेल, मचाई धक्का पेल,घणी दुखी हुई सवारी।।

4

कई गुणा महंगी हुई दवाई

बिना डोनेशन ना बची पढ़ाई

यो टीचर दुखी ना छात्र सुखी, संकट चहूँ मुखी, रणबीर की कलम पुकारी।।


75)

मेहनत कश  किसान

मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।।

1

चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै

दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै

दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै

सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै

नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया।।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।।

2

थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै

बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै

सोसाटी और लाला जी से कर्ज भरया कढ़ावै सै

लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै

ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया ।।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।।

3

कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला

सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला

कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला

कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला

बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया।।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।।

4

बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो

कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो

सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो

थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो

देखी तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।।

76)


आया फागण 

फागण का मिहना आग्या , चारों कांही हरियाली छाई।।

इब ना गरमी ना सर्दी लागै या रूत खेलण की आई ।।

1 चंपा चमेली सखी सहेली करी फागण खेलण की तैयारी 

बहु नवेली मिलकै खेली पूरा फागण का रंग जमारी

साठे मैं बुढ़िया होरी रसिया,जनूं पां मींडकी ठारी

लाडू बर्फी ल्याकै असर्फी आंगली चाट चाट कै खारी

रिस्सालो फेर मार धमोड़ा नई तान खोज कै ल्याई।।

फागण का मिहना आग्या , चारों कांही हरियाली छाई।।

2 पीले फूल रहे खेत मैं झूल, चाला मोटा रूपरया सै

सिरसों की फली लागै भली,पूरा ए पेडा झुकरया सै

थोड़ी फुहार पड़ी झूमगी लड़ी सुरग जणु बसरया सै

खुभात करै पर उभाना फिरै, फील गुड हंसरया सै

या चाँद की चांदनी रात ,मोर नै सुरीली कूक सुनाई।।

फागण का मिहना आग्या , चारों कांही हरियाली छाई।।

3 बाट दिखाकै हाड़े खवाकै फागण का मिहना आया

बैठ सांझ कै गीत छाँट कै सही सुर मैं फिर गाया

बैठी कोए लेटी कोए बाट मैं ना बालम घर मैं पाया

होली के दिन कैसे खिले दिल ना कोए गुलाल ल्याया 

बिन बालम किसी होली इसे चिंता नै मैं खाई।।

फागण का मिहना आग्या , चारों कांही हरियाली छाई।।

4 देवर आकै गुलाल लगाया भाभी नै कोलड़ा माँज लिया

इतने मैं रूक्का पड़ग्या दो ठोल्यां का लाठा बाज लिया 

किसे का सर फूट गया कोए घर कांही भाज लिया

देवर भाभी तैं नहीं बोलै हो कसूता नाराज लिया 

रणबीर बरोने आले नै करी टूटी फूटी या कविताई ।।

फागण का मिहना आग्या , चारों कांही हरियाली छाई।।

77)

मत बनो कसाई

मत बनो पिता कसाई हो तेरी बेटी मैं।।

बचपन मैं दुभांत करी,कोन्सा किसे कै बात जरी

भाई खावै दूध मलाई हो तेरी बेटी मैं।।

घी माता को एक धड़ी दस दिन मैं करी खड़ी

ठीकरे फोड़ मातम मनाई हो तेरी बेटी मैं।।

घी माता की दो धड़ी चालीस दिन सम्भाल बड़ी

दादी नै थाली बजाई हो तेरी बेटी मैं।।

महिला दुश्मन अपनी जाई की हालत भूरो और भरपाई की

सारी उल्टी सीख सिखाई हो तेरी बेटी मैं।।

पढ़ण खंदाया स्कूल मैं भाई नहीं कदे मेरी बारी आई 

घर अन्दर मोस बिठाई हो तेरी बेटी मैं।।

बालकपन मैं ब्याह रचाया वारी मेरी समझ मैं आया

रणबीर सिंह की कविताई हो तेरी बेटी मैं।।

78)

एक महिला की पुकार 

खत्म हुई सै श्यान मेरी , मुश्किल मैं सै ज्यान मेरी 

छोरी मार कै भान मेरी , छोरा चाहिए परिवार नै ||

पढ़ लिख कै कई साल मैं मनै नौकरी थयाई बेबे 

सैंट्रो कार दी ब्याह मैं , बाकी सब कुछ ल्याई बेबे 

घर का सारा काम करूँ , ना थोड़ा बी आराम करूँ 

पूरे हुक्म तमाम करूँ , औटूं सासू की फटकार नै ||

पहलम मेरा साथ देवै था वो मेरे घर आला बेबे 

दो साल पाछै छोरी होगी फेर वो करग्या टाला बेबे 

चाहवें थे जाँच कराई ,कुनबा हुया  घणा कसाई 

मैं बहोत घनी सताई , हे पढ़े लिखे घरबार नै ||

जाकै रोई पीहर के महँ पर वे करगे हाथ खड़े 

दूजा बालक पेट मैं जाँच कराण के दबाव पड़े  

ना जाँच कराया चाहूं मैं, पति के थपड़ खाऊँ मैं 

जी चाहवै मर जाऊं मैं , डाटी सूँ छोरी के प्यार नै ||

दूजी छोरी होगी सारा परिवार तन कै खड्या हुया 

नाराजगी अर गुस्सा दिखे सबके मुंह जडया हुया  

आमीर के धोरै जाऊं मैं ,अपनी बात बताऊँ मैं 

रणबीर पै लिखाऊँ मैं  , बदलां बेढंगे संसार नै ||

80)


एक बाप 

कुनबा सारा मूंधा पड़या नहीं होती छोरी की सगाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घणी पढाई।।

पढ़ लिख कै बेटी आई ऍफ़ एस अफसर बणगी

दहेज़ एक करोड़ पै पहोंच्या नश माथे की तणगी

म्हणत करी दिन रात मुड़कै पाछै नहीं लखाई।।

बिन ब्याही बेटी का घर मैं बोझ घणा कसूता होज्या

मेरे बरगा पक्का मानस बी सबर यो अपना खोज्या

घर मैं रहवै सूनापन जिब नहीं दिखै कोए राही।।

जात के भित्तर आई ए एस कोए बी मिलता कोण्या

एक मिल्या तो उसका गोत म्हारे गाम मैं चलता कोण्या

इन गोतां के रोले नै सब लोगों की पींग बधाई।।

माथा पाकड़ कै बैठ गया तीन साल जूती तुड़वाली

या उम्र तीस साल की ओवर ऐज के खाते मैं जाली 

दो तीन और अफसर थे उनकी मांग बेढंगी पाई।।

बेटी नै तो कर लिया फैसला ब्याह नहीं करवाने का

माँ बोली हमनै के ठेका बेटी जात बीच ब्याहने का

कौम के ठेकेदारां नै कदे म्हारे पै तरस नहीं खाई।।

जात छोड़ ब्याह करने का मेरा तो जी करता कोण्या

बिन ब्याही रह्वैगी बेटी या सोच दिल भरता कोण्या

जात मनै लागै थी प्यारी फेर इसनै मेरी करी पिटाई।।

नयों ए कित धक्का देदयूं मेरी समझ नहीं आता आज

एक करोड़ कड़े तैं ल्याऊं मेरा तो खाली खाता आज

दो च्यार लाख मैं नहीं करते कौमी बेटे मेरी सुनाई।।

भीतरै भित्तर सोचूँ कितै बेटी प्रेम विवाह करले

नीरस जिंदगी जो उसकी उसनै खुशियाँ तैं भरले

वा बागी होकै करले शादी होज्यागी मेरी मनचाही।।

तीरूं डूबूँ जी होरया इसनै रोज समझाऊँ क्यूकर

अपनी कौम का घटियापन दिल खोल दिखाऊँ क्यूकर 

म्हारे बरगे माणसां की होरी सारे कै जग हंसाई।।

नौकरी के कारण कई देशां मैं बेटी नै जाना पड़ता 

भांत भांत के लोगों तैं उसनै उड़ै हाथ मिलाना पड़ता 

खुलापन आया जीवन मैं दे सहमी यो आज दिखाई ।।

81)


फौजी देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं । एक रात एक बैंकर में दो फ़ौजी रात काटने के लिए अपने अपने घर गाँव की बातचीत करते हैं । दो महीने पहले एक फौजी छुट्टी पर गाँव आया तो उसके गाँव में एक जघन्य हत्याकांड हुआ मिला। उसके बारे में महेंद्र अपने साथी फ़ौजी सुरेंद्र को सुनाता है। सुरेंद्र का दिल वह सब सुनकर दहल उठता है और वह अपनी मां को एक चिठ्ठी में क्या लिखता है भला:-

औरत की जमा कदर रही ना यो किसा बुरा जमाना आग्या माँ।।

सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।

1

दो बदमाशां नै मिलकै नाबालिग बच्ची पै अत्याचार किया

बदफेली करी पहलम तै फेर मौत के घाट उतार दिया

इन पापियां नै के मिलग्या सारा हरियाणा पुकार दिया

कहैं पुलिस तैं पीसे जिमाये यो कर काबू थानेदार लिया

घणे दिन लाश ना टोही पाई न्यों गुहांड घणा चकराग्या माँ।।

सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।

2

नौ मई का मनहूस दिन था मासूम बच्ची नै वे लेगे ठाकै नै

पुलिस ताहिं नाम बता दिएपर झांकी ना वा गाम मैं आकै नै

कई जणे थाने में पहोंचे उड़ै रपट लिखानी चाही जाकै नै

थानेदार नै रपट तो लिखी बहोत घणे धक्के खवाकै नै

अपराधी सांड ज्यों रहे घूमते बेटी कै घर मैं मातम छाग्या माँ।।

3

सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।

क्यों म्हारी रपट लिखी ना जाती म्हारे ऊपर धौंस जमाई जावै

क्यों या पुलिस खावण नै आती उल्टा म्हारी करी पिटाई जावै

क्यों गरीब जनता न्या ना पाती या रपट कमजोर बनाई जावै

क्यों कमेरी जनता धक्के खाती म्हारी लाज ना बचाई जावै

सामना करना पड़ेगा हमनै मेरा दिल ये बात समझाग्या माँ।।

सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।

4

घणे जोश मैं हम पहरा देरे थे सुनकै जी उदास हुया माता

सिविल मैं जमा डूबा पड़गी क्यों आज सत्यानाश हुया माता

फेर बी तेरा बेटा लड़ेगा डटकै यो वायदा खास हुया माता

रणबीर सही छन्द बणावै उसनै फ़ौज़ियाँ का डेरा भाग्या माँ।।

सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।

82)


पिरथी कामरेड मेरे याद बहोत घणा आवै सै

सन कहत्तर का वाका कई बै मनै उलझावै सै

1

चंडीगढ़ संघर्ष समिति नै संघर्ष बिगुल बजाया

विक्रम पिरथी सिंह नै मेडिकल लेकै नै आया 

कई दिनां का साथ वो दिमाग ऊपर छावै सै।।

2

कुरुक्षेत्र में डिग्री फूंकी मनै जिब बेरा लाग्या था

थारा यो स्टाइल पिरथी बहोत ए घणा फ़ाब्या था

इमरजेंसी में जेल गया नहीं कति घबरावै सै।।

3

 77 मैं भट्टू चुनाव उड़े के रंग निराले देखे 

नौजवान साथी बहोत से उड़ै मोर्चा संभाले देखे 

गरीब का एजेंडा भट्टू मैं पार्टी पूरी ढालां ठावै सै।।

4

 बीमारी की परवाह की ना पार्टी मैं जिंदगी लाई थी

सादा खाना पीना था थारा रात दिन लड़ी लड़ाई थी 

रणबीर पार्टी क्रांति के काम आगै बढ़ाये चाहवै सै।।

83)

मिल  मालिक तैं पंगा लेवै अक्ल मारगी तेरी हो

खून चूस्या मज़दूरां का आवण लगी अंधेरी हो

1

पहल्यां आला कड़ै जमाना चुपचाप नौकरी करले

हड़ताल तैं ना बात बणै चाहे सिर पै टोकरी धरले

भाज भाज कै मरले ना सुख की आवै सबेरी  हो

खून चूस्या मज़दूरां का आवण लगी अंधेरी हो

2

इसमैं कोये शक कोण्या बख्त घणा बुरा आग्या 

हमनै बहोतै सबर करया जी घणा दुख पाग्या

मालिक लूट कै खाग्या नहीं झूठी बात मेरी हो।

खून चूस्या मज़दूरां का आवण लगी अंधेरी हो

3

मालिक दखे हो मालिक तोड़ ऊँका म्हारा नहीं सै

उसके हाथ घणे लाम्बे इतना जाथर थारा नहीं सै

मालिक बिन गुजारा नहीं सै यूनियन के देरी हो

खून चूस्या मज़दूरां का आवण लगी अंधेरी हो

4

मालिक नै पांच साल हो लिए रणबीर बात ना सुनता

कारखाने बन्द होवण लागरे मिलकै राही नहीं चुनता

घाणा कसूता जाल बुणता देना चाहवै यो घेरी हो

खून चूस्या मज़दूरां का आवण लगी अंधेरी हो

84)

1999 की रचना


शाषक

जनता नै दुखी करकै ना कोए शाषक सुखी रह पाया।।

जनता का राज जनता द्वारा जनता ताहिं गया बताया।।

सिस्टम व्यक्ति पर भारी बहुत देर मैं समझ पाते हैं

कहीं खरीद फरोख्त कहीं डर का रोब खूब जमाते हैं

चित बी मेरी पिट बी मेरी आम आदमी मरते जाते हैं 

हमारी मेहनत की शाषक हर तरह से लूट मचाते हैं

जनता और शाषक के बीच वर्ग संघर्ष मूल जताया।।

यो समझे बिना ईमान दार घणा कुछ नहीं कर पावै

चाहे तो पी एम बणाद्यां आखिर कठपुतली बण जावै

सिस्टम के हाथ बहोत सैं संस्कृति इसका साथ निभावै

म्हारी सोच गुलामी की यही सिस्टम कई तरियां बनावै

सिस्टम बदलें बिन जनता का जनता नै राज ना थ्याया।।

शाषक बांट कर हमें अपनी मनमानी खूब चलावैं देखो

दस नब्बै की लड़ाई आज खास तरियां ये छिपावैं देखो

दस की करकै सही पिछाण नब्बै ना एकता बनावैं देखो

दस की एकता घणी कसूती जात गोत पै वे लडावैं देखो

खेत खान मैं हम कमाते फेर बी सांस चैन का ना आया।।

ये जेब कतरे धर्मात्मा बणकै पूरे देष मैं छाये देखो

ये भाशा जनता की बोलते जनता के भूत बनाये देखो

ये मुखौटे बदल बदल कै हर पांच साल मैं आये देखो

ये अपने पेट फुलागे रै म्हंगाई नै उधम मचाये देखो

रणबीर नब्बै की खातर सोच समझ कै कलम उठाया।।

85)

दामिनी

कलकता  हवाई अड्डे पर पता लगा की दामिनी ने अपने संघर्ष की आखिरी साँस सिंघपुर में ली है तो बहुत दुःख हुआ और यह रागनी वहीँ पर कल लिखी -----

याद रहैगा थारा  बलिदान दामिनी भारत देश जागैगा ।।

थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी समाज पूरा हिसाब मांगैगा ।।

सिंघापुर  मैं ले जा करकै  बी हम थामनै बचा नहीं पाये  

थारी इस कुर्बानी नै दामिनी आज ये सवाल घने ठाये  

गैंग रेप की कालस का यो अँधेरा भारत देश तैं भागैगा ।।

थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी समाज पूरा हिसाब मांगैगा ।।पूरा देश थारी साथ यो पूरी तरियां खड्या हुया

जलूस विरोध प्रदर्शन कर समाज सारा अड़या हुया

फांसी तोड़े जावैंगे वे जालिम इसपै  हांगा पूरा लागैगा ।।

थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी समाज पूरा हिसाब मांगैगा ।।

महिला संघर्ष की थाम दामिनी आज एक प्रतीक उभरगी

दुनिया मैं थारी कुर्बानी की कोने कोनै सन्देश दिगर गी

इसमें शक नहीं बचर या कोर्ट जालिमों नैं फांसी टांग़ैगा।।

थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी समाज पूरा हिसाब मांगैगा ।।

लम्बा संघर्ष बदलन का सोच समझ आगै बढ़ ज्यांगे

मंजिल दूर साईं दामिनी हम राही सही पै चढ़ ज्यांगे

कहै रणबीर सिंह नए साल मैं जालिम जरूरी राम्भैगा ।।

थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी समाज पूरा हिसाब मांगैगा ।।

86)


क्या क्यों और कैसे बिना

क्या क्यों और कैसे बिना मिलै दुनिया का सार नहीं।।

ज्ञान विज्ञान के प्रकाश बिना होवै दूर अन्धकार नहीं।।

नीले आसमान मैं क्यों ये चकमक करते तारे भाई

क्यों इन्द्रधनुष के म्हां ये रंग बिरंगे प्यारे भाई

मोर के पंख न्यारे भाई क्यों लाया कदे विचार नहीं।।

तोता कोयल फर फर करकै क्यूकर गगन मैं उडज्यां

क्यों ना बिल्ली के तन पै भी पंख मोर के उगज्यां

क्यों मकड़ी जाला बुणज्यां म्हारी समझ तैं बाहर नहीं।।

क्यों जुगनू की कड़ के उपर जलती हुई मशाल भाई

क्यों गैंडे अर हाथी की पीठ सै उनकी ढाल भाई

विज्ञान के ये कमाल भाई झूठा इसका प्रचार नहीं।।

क्यों फूल गुडहल का हो सुर्ख एक दम लाल कहैं

क्यों झिलमिल करता ये मकड़ी का जाल कहैं

विज्ञान ठावै सवाल कहैं या माया अपरम पार नहीं।।

आम नीम अर इमली क्यों हमनै खड़े दिखाई दें

क्यों समुन्द्र मैं ऊंची नीची उठती लहर दिखाई दें

मछली क्यों रंगीन दिखाई दें जानै सै नम्बरदार नहीं।।

जुबां पै लाग्या ताला यो हमनैं पड़ै तोड़ना सुनियो

सवालां का यो पिटारा तो हमनै पड़ै खोलना सुनियो

हमनै पड़ै बोलना सुनियो क्यों बिना म्हारा उद्धार नहीं।।

87)


कम्मो मनबीर के बारे एक दिन बैठी बैठी सोचती है । कैसे जलूस पर गोली चली और मनबीर के सीने में लगी और उसे वहीँ ढेर कर गयी । क्या बताया भला-- 

मनै न्यों कहया करै था सुन्दर भारत देश बनावांगे ।

सही सोच हो साथ प्रेम का हम दुश्मन तैं टकरवांगे ।

ना रहै फट्या पुराना कई कई तैयारी होज्यांगी 

ढेरे ज़ूम लीख जितनी सब दूर बीमारी होज्यांगी

दरी गलीचे तोशक तकिये वस्तु सारी होज्यांगी 

ओढण पहरण बोल चाल की बातै न्यारी होज्यांगी 

निधड़क घूमै तेरे बरगी हम इसा शहर बसावांगे ।

टूट्या फुटया मकान रहै ना बढ़िया मकान बनावाँ

कितै चौखट कितै अलमारी ये रोशन दान लगावां 

सौफ सेट होगा घर मैं हम पलंग निवार बिछावां

उनपै लेट आराम करांगे जब म्हणत करकै आवां

ना लोड़ पड़ै ताले की हम इसा समाज बनावांगे ।

न्यों बोल्या समों आणी जाणी साचा सै प्यार मेरा

साझी रहूंगा गम तेरे मैं दुःख सुख का इकरार मेरा 

जित भी रहूंगा सुण कम्मो चाहूँ सुखी संसार तेरा 

राही टेढ़ी जबर बैरी सै करांगे मिलकै पार घेरा 

प्यार का इस दुनिया नै सही नया अंदाज सिखावांगे।

समझी बरोबर की साथी चाहया मिलकै साथ निभाणा

कम्मो समझी इंसान सदा चाहया जोड़ीदार बणाणा

ना छोड़ूँ बीच भँवर मैं सिख्या धुरका साथ पुगाणा 

दोनूंआं की मंजिल क्रांति फेर कम्मो किसा घबराणा

रणबीर सिंह तैं मिलकै सिस्टम कै पलटा लगावांगे।

88)


बारा बाट

इब होगे बारा बाट कसूते होती कितै सुनाई ना।

चूट-चूट कै खागे हमनै मिलती कितै दवाई ना।।

1. कुल सौ बालक म्हारे देश के दो कॉलेज पढ़ण जावैं सैं

  पेट भराई मिलै तीस नै सत्तर भूखे क्यों सो जावैं सैं

  बिना नौकरी ये छोरे गाभरू आपस मैं नाड़ कटावैं सैं

  काले जबर कानून बना कै म्हारे होंठ सिमणा चाहवैं सैं

  नब्बे की रेह-रेह माटी देखी इसी तबाही ना।।

2. बेकारी महंगाई गरीबी तो कई गुणी बढ़ती जावै रै

  जब हक मांगै कट्ठे होकै वे तान बन्दूक दिखावैं रैं

  साहूकार हमनै बांटण नै नई-नई अटकल ल्यावैं रैं

  म्हारी जूती सिर भी म्हारा न्यों म्हारा बेकूफ बणावैं रैं

  थोथा-थोथा पिछौड़ दे सारा छाज इसी अपनाई ना।।

3. इतनी मैं नहीं पार पड़ी दस नै जुल्मी खेल रचाया यो

  नब्बे की कड़ तोड़ण खातर तिन मुहा नाग बिठाया यो

  निरा देशी साहूकारा लूटै एक फण इसा बणाया यो

  दूजा फण सै थोड़ा छोटा उस पै बड्डा जमींदार टिकाया यो

  तीजे फण फिरंगी बैठ्या सै उसकी कोए लम्बाई ना।।

4. इस तरियां इन लुटेरयां नै नब्बे हाथ न्यों बांट दिए

  लालच दे कै सब जात्यां मैं अपणे हिमाती छांट लिए

  उडारी क्योंकर भरै मैंना धरम की कैंची तै पर काट दिए

  हीर अर रांझयां बिचालै देखो अक्खन काणे डाट दिए

  नब्बे आगै दस के करले इसकी नापीं गहराई ना।।

89)

बेटी हुई सिवासन जब तैं घरां रोजाना झगड़ा होवै हे।।

मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।। 

1

समझदार कोये वर ना मिलता होगी घणी लाचारी बेबे

सीधे मूंह कोये बात ना करता होगी मुश्किल भारी बेबे 

छोरियां की कदर रही नहीं आज फिरती मारी मारी बेबे 

दहेज बिना कोये हां ना भरता चाली किसी या बीमारी बेबे 

रोजाना कमनूँ चेहरा दीखै वा कदे सूबकै कदे रोवै हे।।

मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।। 

2

गऊ सी दुधारू चाहवैं  सारे चारों तरफ पीसा नाच रहया 

पशु माणस मैं फर्क रहया ना में धन रिस्तयाँ नै जांच रहया

नाश होण में  कसर नहीं पिट झूठ कै साहमी साच रहया

कार लेकै भी जलाकै मारैं चारों कांहीं हाहाकार माच रहया

परिवार सारा पड़या चिंता मैं खड़या हाथ कालजा होवै हे।

मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।। 

3

भैंस बीमार होवै जब सैड़ देसी डॉक्टर नै टोहवैं ये

छोरी मरै बिलख बिलख कै ना दवन्नी ऊंपै खोवैं ये

आज पढ़े लिखे जमाने मैं सरे आम कत्ल होवें ये

दिन रात फिकर लगी रहै नहीं नींद चैन की सौवैं ये

किस्मत का खेल बतावैं काटै जो जिसे बीज बोवै हे।।

मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।। 

4

ये रंग ढंग देख जमाने के जी घणा दुखी पाग्या मेरा हे

काले धन नै दिया म्हारै चौगिरदें यो किसा घेरा हे

कोये बी राह ना दिखता मनै टोहनाहो कुआं झेरा हे

घर नै बेटी आज बोझ बनी यो दीखता घोर अंधेरा हे

वैष्णो देबी पूज कै आयी सुनी वा बढ़िया वर टोहवै हे।।

मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।। 

5

सारे खोट की जड़ डूँगै रणबीर न्यों मनै समझावै सै

मेरी समझ मैं आँती कोण्या वो सही तसवीर दिखावै सै

कहै सरमायेदारी खेल रचारी म्हारे संकट रोज बढ़ावै सै

समुन्दर किनारै बैठ कदे ना असली मोती यो थयावै सै

वैज्ञानिक सोच जरूरी बेबे नहीं सूके थूक बिलोवै हे।।

मनै कति ना बेरा पटता क्यूं उसका भाग नपूता सोवै हे।।


90)

मनमर्जी का बयाह 

चाँद - कमला सुनले बात मेरी मतना रोपै चाला हे 

कमला - एक बै जो मन धार लिया कोन्या होवै टाला हे 

चाँद - म्हारे बरगी छोरी नै ना ब़र आपै टोहना चाहिए 

कमला- गलत रीत बात पुराणी ना इनका मोह होना चाहिए 

चाँद - अपनी जात कुटम्ब कबीला ना कदे नाम डबोना चाहिए 

कमला - जात पात का झूठा रोला दिल का बढ़िया होना चाहिए 

चाँद-के टोह्या तनै छैल गाभरू रंग का दीखै काला हे ||

कमला- रूप रंग में के धरया सै माणस गजब निराला हे ||

चाँद- नकशक रूप रंग पै तौ या दुनिया मारती आई सै 

कमला-बिना बीचार मिलें तौ फेर कोन्या भरती खाई सै

चाँद - मात पिता ब़र टोहवै या दुनिया करती आई सै 

कमला- डांगर ज्यों खूँटें बाँधें ज्णों गऊ चरती पाई सै 

चाँद- बात मानले कमला बेबे टोहले बीच बीचाला हे||

कमला- उंच नीच देख लाई सै कोन्या बदलूँ पाला हे ||

चाँद- यो भूत प्रेम का दखे थोड़े दिन मैं उतर ज्यागा 

कमला-एक सै मंजिल म्हारी क्यूकर प्यार बिखर ज्यागा 

चाँद - बख्त की मार पडैगी हे वो तनै छोड़ डिगर ज्यागा 

कमला- बख्त गैल लडै मिलकै संघर्ष मैं प्रेम निखर ज्यागा 

चाँद- ज्यान बूझ कै करै मतना जिंदगानी का गाला हे ||

कमला- वो मने चाहवै सै मैं बी फेरूँ उसकी माला हे ||

चाँद- गाम गुहांड घर थारे नै जात बाहर करैगा हें

कमला-बढ़िया बात नै रोकै वो गलत बीचार मरैगा हें 

चाँद-घर बार बिना ना तम्नै यो दिन चार सरैगा ह़े 

कमला - गादड़ की मौत मारे जो एक बार डरेगा ह़े 

चाँद- कमला तूं फेर पछतावैगी थारा पिटे दिवाला ह़े || 

कमला-चान्द्कौर क्यूं घबरावै सै रणबीर म्हारा रूखाला ह़े ||


91)

पंजाब में खालिस्तान का दौर और फिर सिखों के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे। उसी दौर की लिखी एक रागनी :--

बुरा हाल देख देश का आज मेरा जिगरा रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

1

मेल मिलाप खत्म हुया पकड़या राह तबाही का

सिख हिन्दू का गल काटै हिन्दू सिख भाई का

मारकाट बिना बात की यो सै काम बुराई का 

पर फिकर सै किसनै देखै खेल जो अन्याई का

माता खड़ी बिलख रही जिगर का टुकड़ा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

2

पंजाब मैं लीलो लुटगी चमन दिल्ली मैं रोवै सै

धनपत तूँ कड़ै डिगरग्या चमन गली गली टोह्वै सै

यो सारा चमन उजड़ चल्या तेरा साज कित सोवै सै

ना मन की बुझनिया कोय लीलो बैठ एकली रोवै सै

कित तैं ल्याऊं लख्मीचंद जिसनै सही छंद पिरोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

3

चौड़े कालर फुट लिया यो भांडा इस कुकर्म का

धर्म पै हो लिए नँगे ना रहया काम शर्म का 

लाजमी हो तोड़ खुलासा इस छिपे हुए भ्रम का

घड़ा भर लिया पाप का यो खुलग्या भेद मरम का 

देखी रोंवती हीर मनै जन सीने मैं तीर चुभोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

4

इसे कसूते कर्म देखकै सूख गात का चाम लिया

प्रीत लड़ी बिखर गई अमृता नै सिर थाम लिया

शशि पन्नू की धरती पै कमा कसूता नाम लिया 

भगत सिंह का देश भाई हो बहोत बदनाम लिया

असली के सै नकली के सै यो सच गया पूरा धोया ।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

5

फिरकापरस्ती दिखै सै इन सब धर्मां की जड़ मैं

लुटेरा राज चलावै सै बांट कै धर्मां की लड़ मैं

जितनी ऊपर तैं धौली दीखै कॉलस उतनी धड़ मैं

जड़ दीखें गहरी हों जितनी गहरी हों बड़ मैं

या धर्म फीम इसी खाई दुनिया नै आप्पा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

6

सिर ठाकै जीणा हो तै धर्म राजनीति तैं न्यारा हो 

फेर मेहनत करणीया का आपस मैं भाईचारा हो

फेर नहीं कदे देश मैं लीलो चमन का बंटवारा हो

कमेरयां की बनै एकता ना चालै किसे का चारा हो

रणबीर बी देख नजारा ठाडू बूक मार कै रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।


92)

पीस्याँ का जुगाड़ बनाया या धरती गहणै धरकै नै

नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै

1

दोनों जणे आगै पाछै चाले ज्यूँ घोड़ी कै पाछै बछेरा

कितना दुखी पाग्या मेरी खातर भाईयो बाप यू मेरा

कहया सिपाही बणकै बाबू मैं दुःख दूर करूंगा तेरा

दस के बनाऊँ बीस लाख जै कदे बस चालैगा मेरा

सपने मैं चढ़ घोड़ी पै चल्या धर्मबीर सिपाही बणकै नै

2

बाबू के दिल मैं धड़का था कदे बिचौलिया पीसे खाज्या

धरती खोयी पीसे भी जाँ कदे ज्यान मरण मैं ना आज्या

कदे झूठ बहका कै बिचौलिया म्हारै थूक कसूता लाज्या

सोचै बिस्वास करना होगा न्यूएँ क्यूकर नौकरी थ्याज्या

बाबू घबराया नहीं देख्या था इसे रासे के मैं पड़कै नै

3

टूटे से ऑटो मैं बैठकै नै दोनूं शहर बीच आगे कहते

एस पी दफ्तर मैं भीड़ देखी भोत घणे चकरागे कहते

माणस ऊपर माणस चढ़रया वे एकबै घबरागे कहते 

बोली चढ़गी पंदरा पै कई बिचौलिए बतलागे कहते

सी एम की सिफारिस वे आले चालें घणे अकड़कै नै

4

साठ सीट बतावैं थे सिफारिशों का भाईयो औड़ नहीं था

कई सीएम के कुछ पीएम के टेलीफोनों का तोड़ नहीं था 

गाभरू छोरे छह फिट के उड़ै उनका कोय जोड़ नहीं था

पढ़ाई लियाकत अर गातकै कोय उड़ै बांधै मोड़ नहीं था

लाइन मैं धर्मबीर लाग्या लत्ते काढण एक एक करकै नै 

5

जिले जिले मैं पुलिस की भर्ती रूका रोला माच गया

असनाई रिश्तेदारी टोहवैं मामला दिखा साच गया

कई सिफारशी हुए भर्ती बाकि पै यो पीसा नाच गया

बिचौलियाँ के पौ बारा हरेक कर तीन दो पांच गया

बिचौलिया नै नोट गिनाये भरतू पै एक एक करकै नै

6

भर्ती होवण की खातर उड़ै हजारां छोरे आरे देखे

सुथरा छैल गात रै उनका चेहरे कति मुरझारे देखे

रिश्वत खोरी खुली होरी छोरयां कै पसीने आरे देखे

गेल्याँ हिम्मती भी ये रणबीर पाँ कै पाँ भिड़ारे देखे

लिस्ट मैं आग्या बिचौलिया लेग्या बाकि के गिण कै नै।।

93)

मेरा संघर्ष

गाम की नजरां के म्हां कै बस अडडे पै आऊं मैं।

कई बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाऊं मैं।।

भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या,

करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा

लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाऊं मैं।।

बस मैं के के बणै मेरी साथ,

नहीं बता सकती सब बात,

भोले चेहरे करैं सैं उत्पात, मौके उपर धमकाऊंं मैं।।

दफतर मैं जी ला काम करूं,

पलभर ना आराम कंरू

किंह किहं का नाम धरूं, नीच घणे बताऊं मैं।।

डर मेरा सारा ईब लिकड़ गया,

दिल भी सही होंसला पकड़ गया, 

जै रणबीर अकड़ गया, 

तो सबक सिखाऊंं मैं।।


94)

एक महिला की पुकार 

खत्म हुई सै श्यान मेरी , मुश्किल मैं सै ज्याण मेरी, छोरी मार कै भाण मेरी, छोरा चाहिए परिवार नै।।

1

पढ़ लिख कै कई साल मैं ,

मनै नौकरी थ्याई बेबे

सैंट्रो कार दी ब्याह मैं ,

बाकि सब कुछ ल्याई बेबे 

घर का सारा काम करूं, 

ना थोड़ा भी आराम करूं, पूरे हुक्म तमाम करूं, 

ओटूं सासू की फटकार नै।।

ख़त्म हुई सै---

2

पहलम मेरा साथ देवै था ,

यो मेरे घर आला बेबे 

दो साल पाछै छोरी होगी, फेर करग्या टाला बेबे 

चाहवैं थे जांच कराई, 

कुन्बा हुया घणा कसाई,

मैं बहोत घणी सताई,

हे पढ़े लिखे घरबार नै।।

ख़त्म हुई सै---

3

जाकै रोई पीहर के म्हं , 

पर वे करगे हाथ खड़े

दूजा बालक पेट मैं जांच कराने के दबाव पड़े

ना जांच कराया चाहूँ मैं, पति के थप्पड़ खाऊँ मैं, 

जी चाहवै मर जाऊं मैं, डाटी सूँ छोरी के प्यार नै।।

खत्म हुई सै---

4

दूजी छोरी होगी सारा परिवार तण कै खड़्या हुया

नाराजगी और गुस्सा दिखे सबके मूंह जड़या हुया

किसकै धोरै जाऊं मैं, अपनी बात बताऊं मैं, रणबीर पै लिखवाऊं मैं,

बदळां बेढंगे संसार नै।।

खत्म हुई सै----


95)

चांद सिंह जी ने reconstruct किया रागनी को लय सुर के हिसाब से भी ***

ईसी लगी चोट,मनै लेई ओट,मेरै गई फिरते जी पै लाग,

हे लागरी मेरे तन मै आग।।टेक

1. 

मेरी गैल ईसा चाला होगया मै कयुकर बात बताऊँ हे।

ईज्जत मेरी लुटगी हे बेबे किस आगै मै दूखडा गाऊँ हे।

ये सुरते बरगे फिरैं लुंगाडे कीस कीस तैं आब बचाऊँ हे।

देख अकेली नै फाछै पडलें कितने अक नाम सुणाऊँ हे।

ना पार बसावै,हे राम बचावै,

हे गया लाग खोड मैं दाग।।1

2. 

जीस घर गाम नही होता सम्मान लुगाई का।

वै उत अनपुत गए करया जडै अपमान लुगाई का।

देवताओं मै भी बतलाया पहला अस्थान लुगाई का।

अपनी कुख तै जणया रचया यो जहान लुगाई का।

ना या बात जरा सी,मेरै छाई उदासी,

 हे  बाहण मनै डसग्या वो जहरी नाग।2 !

3. 

गाम राम मेरी पुकार सुणो  जीवते जी मै मरली।

अबला हो सै जात बिर की या तै मेरै जरली।

टक्कर मार मरू बैरी कै मनै करडी छाती करली।

किसकी करूँ शर्म मेरी चोडे मै आब उतरली।

ना बैठूँ मै डरकै,चालूं हिम्मत करकै,

हे बाहण मेरे फुट लीए सैं भाग।3 !!

4. 

हे कितै डुबकै मरजयां सोचूँ कदे फाँसी खावण की।

हे कदे न्यू सोचूँ जेल करादूँ उस सुरते रावण की।

मन मै पक्की ठाण लेई ना उलटा कदम हटावण की।

हे जीसकी ईज्जत चाली वा फेर नही हो आवण की।

ना कदम हटाऊं,फाँसी करवाऊं,

हे जा फेर तूँ रणबीर सिहँ कित भाग।4!!


96)

गुंडा गर्दी

गुंडा गर्दी करकै मेरा जीना होग्या भारी हे।।

मेरी ना पार बसावै खोल सुनादयूं सारी हे।।

1

बोली लागैं इसी गात मैं चलै जन जर्मन का पिस्तौल

हो बजर केसा जिया करना दिल होज्या मेरा डावांडोल

किस तरियां ये बात बताऊँ मेरी जबान हुई अनबोल

मनै जबर भय लागै ना तन पै मांस रहया बेबे

था थोड़ा ढेठ गात मैं कोण्या मेरे पास रहया बेबे

गुंडागर्दी के चलते कोण्या सुख का सांस रहया बेबे

इनै बातों की चर्चा करै कुएं की पणिहारी हे।

मेरी ना पार बसावै खोल सुनादयूं सारी हे।।

2

बने हांडें छैल गाभरू ना गल्त सही का हौंस जमा

शरीफ भी और ऊत लूँगाड़े हमपै पाकैं बोस जमा

बाहर लिकड़ना मुश्किल सै घरां बिठादी मोस जमा

सारी दुनिया मैं होग्या पापियों का यो पूरा जोर

गात बचाकै जीना होवै मची तबाही चारों और

थाणे मैं सुनते कोण्या अन्याय होरया घन घोर

समझ मैं आग्या गुंडागर्दी होंती जावै सरकारी हे।।

मेरी ना पार बसावै खोल सुनादयूं सारी हे।।

3

रोजाना की भुंडी बाणी म्हारी नाड़ तले नै गोगी

बेरा ना कद आंख खुलें क्यों या जनता सोगी

किस किस का जिकरा सबकी रे रे माटी होगी

गुंडे खुले घूमते रहैंगे या तो मेरे दिल मैं जरगी

आगै के गुल खिलेंगे कौनसी इतने ए मैं सरगी

घणी लुगाई दुखी होकै खा खा कै फांसी मरगी

जड़ गुंडा गर्दी की डूंगहै चोये के मैं जारी हे।

मेरी ना पार बसावै खोल सुनादयूं सारी हे।।

4

चोर जार ठग मौज उड़ावै देखे गरीब दुख भरते

गधे रंग रास मनावैं हिरन आज जंगलों मैं चरते

कैंडे आले मानस की मर फिरैं गुलामी करते

कहैं किस्मत की माया सै जमा म्हारी अक्ल मारी

मीडिया कर नाश रहया फ़िल्म ये तरकीब बतारी

रणबीर सिंह बनै निशाना सारी जागां या नारी हे।।

मेरी ना पार बसावै खोल सुनादयूं सारी हे।।



97)

लिए कर्ज के मैं डूब, हमनै तिरकै देख्या खूब,


 ना भाजी म्हारी भूख, लुटेरयां नै जाल बिछाया, हे मेरी भाण


1. ज्यों.ज्यों इलाज करया मर्ज बढ़ग्या म्हारा बेबे


  पुराने कर्जे पाटे कोण्या नयां का लाग्या लारा बेबे


  झूठे सब्जबाग दिखाये, अमीरां के दाग छिपाये


  गरीबां के भाग लिवाये, कर सूना ताल दिखाया,  हे मेरी भाण


2. विश्व बैंक चिंघाड़ रहया घरेलू निवेश कम होग्या


  म्हंगाई ना घटती सखी, गरीबी क्यों बढ़ती सखी


   जनता भूखी मरती सखी, नाज का भण्डार बताया हे मेरी भाण


3. जल जंगल और जमीन खोस लिए म्हारे क्यों


  सिरकै उपर छात नहीं दिए झूठे लारे क्यों


  आदिवासी तै मार दिया, किसानां उपर वार किया


   कारीगर धर धार दियाए बेरोजगारी नै फंख फैलाया, हे मेरी भाण


4.इलाज करणिया डाक्टर बी खुद हुया बीमार फिरै


  सुआ लवाल्यो सुवा लवाल्यो करता या प्रचार फिरै


  होगी महंगी आज दवाई, लुटगी सारी आज कमाई


  रणबीर सिंह बात बताई, खोल कै भेद बताया,  हे मेरी भाण


98)

काढ़ा

छोरी कै ताप आया था मने देसी काढ़ा प्याया फेर।।

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

डाक्टर नै पूरी जाँच करकै शुरू कर इलाज दिया

हल्का खाना गया बताया बंद कर सब नाज दिया

दवा लिखी चार ढाल की फीस मैं कर लिहाज दिया

गन्दा पानी फैलावे बीमारी बता यो सही काज दिया

ताप फेर बी ना टूट्या पेट मैं दर्द जताया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

डाक्टर जमा हाथ खड़े करग्या काली रात अँधेरी थी

बीजल लस्कैं बाल चलती दी बीप्ता नै घेरी थी 

खड्या लाखऊँ बेटी कान्ही जमा अकल मारगी मेरी थी  

वा नयों बोली बाबू बचाले मैं घनी लाडली तेरी थी

गूंठा टेक कै पाँच हजार ब्याज पै मैं लयाया  फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

चाल गाम तैं बाबू बेटी मेडिकल मैं चार बाजे आये

नर्स डाक्टर सोहरे  थक कै हमने आके नै वे ठाए

सारी बात बूझ कै म्हारी फेर बहोत से टेस्ट कराये 

एक्सरे देख कै वे डाक्टर फेर आपस मैं बतलाये  

परेशान जरूरी सै ताऊ अंत मैं छेद बताया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

पायां ताले की धरती खिसकी हाथ जोड़ कै फ़रमाया

मेरा खून चाहे जितना लेल्यो चाहूं बेटी नै बचाया

एक बोतल  एक माणस तै उसनै यो दस्तूर बताया

ओढ़ानै  मैं जाऊं कडे मने पह्याँ कान्ही हाथ बढाया

डाक्टर पाछे नै होग्या उसनै मैं धमकाया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

पलंग धौरे  बैठ गया मेरी बेटी मेरे कान्ही लखाई

एकदम सिसकी आगी मेरे पै ना गयी आंख मिलाई

डाक्टर नै बेरा ना क्यूकर फेर दया म्हारे पै आई

एक मने देई दो उडे तै बोतल खून की दिलवाई

परेशान सही होग्या डाक्टर नै धीर बंधाया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

बीस दिन रहे मडिकल मैं खर्चा तीस हजार होग्या

एक किल्ला पड्या टेकना पर बेटी का उपचार होग्या

मेडिकल  के डाक्टर का सारी उम्र का कर्जदार होग्या

उनकी उड़ऐ  देखी जिन्दगी रणबीर सिंह ताबेदार होग्या

इलाज करवाकै  बेटी का अपने घर नै मैं आया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।


99)

मत बनो कसाई

मत बनो पिता कसाई हो तेरी बेटी मैं।।

बचपन मैं दुभांत करी,

कोन्सा किसे कै बात जरी

भाई खावै दूध मलाई हो तेरी बेटी मैं।।

घी माता को एक धड़ी 

दस दिन मैं करी खड़ी

ठीकरे फोड़ मातम मनाई हो तेरी बेटी मैं।।

बेटा होणे पै घी दो धड़ी 

चालीस दिन सम्भाल बड़ी

दादी नै थाली बजाई हो 

तेरी बेटी मैं।।

महिला दुश्मन अपनी जाई की 

हालत भूरो और भरपाई की

सारी उल्टी सीख सिखाई हो तेरी बेटी मैं।।

पढ़ण खंदाया स्कूल मैं भाई नहीं कदे मेरी बारी आई 

घर अन्दर मोस बिठाई हो तेरी बेटी मैं।।

बालकपन मैं ब्याह रचाया वारी मेरी समझ मैं आया

रणबीर सिंह की कविताई हो तेरी बेटी मैं।


100)

एक बाप का दुःख 

कुनबा सारा मूँधा पड़या नहीं होती छोरी की सगाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

1

पढ़ लिख कै बेटी आई एफ एस अफसर बणगी

दहेज़ एक करोड़ पै पहोंच्या सिर की नस तणगी

मेहनत करी दिन रात मुड़कै पाछै नहीं लखाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

2

बिन ब्याही बेटी का घर मैं बोझ घणा कसूता होज्या रै

मेरे बरगा सिद्धान्ति माणस भी सबर अपना खोज्या रै

घर मैं दीखै सूनापन जब ना पावै कोये राही।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

3

जात के भीतर आई ऐ एस कोये भी मिलता कोण्या

एक मिल्या तो गोत उसका म्हारे गाम मैं चलता कोण्या 

इन गोतां के चक्कर नै म्हारी तो पींग सी बधाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

4

माथा पाकड़ कै बैठ गया तीन साल जूती तुड़वाली

या उम्र तीस साल की ओवर ऐज खाते मैं जाली

दोतीन और अफसर थे उनकी मांग बेढंगी पाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

5

बेटी नै तो कर लिया फैंसला ब्याह नहीं कावाने का 

मां बोली हमनै के ठेका बेटी जात बीच ब्याहने का

कौम के ठेकेदारां नै नरमी नहीं  बरती चाही।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

6

जात छोड़ ब्याह करने का मेरा तो जी करता कोण्या

बिन ब्याही रह्वैगी बेटी न्यों सोच दिल भरता कोण्या 

जात मनै लागै थी प्यारी इसनै मेरी करी पिटाई।।

7

न्योंये कित धक्का दे दयूं आज मेरी समझ नहीं आता

एक करोड़ कड़े तैं ल्याऊं आज मेरा तो यो खाली खाता

दो च्यार लाख मैं नहीं करते कौमी बेटे मेरी सुनाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

8

भितरै भितर सोचूँ कितै बेटी प्रेम विवाह करले

नीरस जिंदगी जो उसकी उसनै खुशियों तैं भरले

वा बागी होकै करले शादी होज्यगी मेरी मनचाही।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

9

तिरूं डूबूँ जी होरया इसनै रोज समझाऊँ क्यूकर

जात भितर की सीमा दिल खोल दिखाऊं 

क्यूकर

म्हारे बरगे माणसां की होरी सारे कै जग हंसाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

10

नौकरी के कारण बेटी नै कई देशां मैं जाना पड़ता 

भांत भांत के लोगां तैं उसनै उड़ै हाथ मिलाना पड़ता 

रणबीर खुलापन आया यो आज साहमी दे दिखाई ।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।


101)

फौजी देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं । एक रात एक बैंकर में दो फ़ौजी रात काटने के लिए अपने अपने घर गाँव की बातचीत करते हैं । दो महीने पहले एक फौजी छुट्टी पर गाँव आया तो उसके गाँव में एक जघन्य हत्याकांड हुआ मिला। उसके बारे में महेंद्र अपने साथी फ़ौजी सुरेंद्र को सुनाता है। सुरेंद्र का दिल वह सब सुनकर दहल उठता है और वह अपनी मां को एक चिठ्ठी में क्या लिखता है भला:-

औरत की जमा कदर रही ना यो किसा बुरा जमाना आग्या माँ।।

सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।

1

दो बदमाशां नै मिलकै नाबालिग बच्ची पै अत्याचार किया

बदफेली करी पहलम तै फेर मौत के घाट उतार दिया

इन पापियां नै के मिलग्या सारा हरियाणा पुकार दिया

कहैं पुलिस तैं पीसे जिमाये यो कर काबू थानेदार लिया

घणे दिन लाश ना टोही पाई न्यों गुहांड घणा चकराग्या माँ।।

सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।

2

नौ मई का मनहूस दिन था मासूम बच्ची नै वे लेगे ठाकै नै

पुलिस ताहिं नाम बता दिएपर झांकी ना वा गाम मैं आकै नै

कई जणे थाने में पहोंचे उड़ै रपट लिखानी चाही जाकै नै

थानेदार नै रपट तो लिखी बहोत घणे धक्के खवाकै नै

अपराधी सांड ज्यों रहे घूमते बेटी कै घर मैं मातम छाग्या माँ।।

3

सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।

क्यों म्हारी रपट लिखी ना जाती म्हारे ऊपर धौंस जमाई जावै

क्यों या पुलिस खावण नै आती उल्टा म्हारी करी पिटाई जावै

क्यों गरीब जनता न्या ना पाती या रपट कमजोर बनाई जावै

क्यों कमेरी जनता धक्के खाती म्हारी लाज ना बचाई जावै

सामना करना पड़ेगा हमनै मेरा दिल ये बात समझाग्या माँ।।

सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।

4

घणे जोश मैं हम पहरा देरे थे सुनकै जी उदास हुया माता

सिविल मैं जमा डूबा पड़गी क्यों आज सत्यानाश हुया माता

फेर बी तेरा बेटा लड़ेगा डटकै यो वायदा खास हुया माता

रणबीर सही छन्द बणावै उसनै फ़ौज़ियाँ का डेरा भाग्या माँ।।

सुनकै लोगां की काली करतूत, यो मेरा दिल घणा घबराग्या माँ।।


102)

बिना बात के रासे मैं इब बख्त गंवाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै जात धर्म का बाणा ठीक नहीं।।

1

बेरोजगारी गरीबी महंगाई हर दिन बढ़ती जावै भाई

जो बी मेहनत करने आला दूना तंग होन्ता आवै भाई

जब हक मांगै कट्ठा होकै तान बन्दूक दिखवावै भाई

कितै भाई तै कितै छोरा उनकी बहका मैं पावै भाई

खुद के स्वार्थ मैं देश कै हमनै बट्टा लाणा ठीक नहीं ।।

अपने संकट काटण नै जात धर्म का बाणा ठीक नहीं।।

2

म्हारी एकता तोड़ण खातर बीज फूट का बोवैं भाई

मैं पंजाबी तूँ बंगाली जहर इलाके का बिलौवें भाई

तूँ हरिजन मैं जाट सूँ का नश्तर कसूता चुभोवैं भाई

आपस के म्हां करा लड़ाई ये नींद चैन की सोवैं भाई

इनके बहकावे मैं आपस मैं भिड़ जाणा ठीक नहीं ।।

अपने संकट काटण नै जात धर्म का बाणा ठीक नहीं।।

3

म्हारी समझ नै भाइयो दुश्मन औछी राखणा चाहवै

म्हारे सारे दुखां का दोषी हमनै यो सरमायेदार ठहरावै 

कहैं खलकत घणी बाधू होगी इसनै इब कौन खवावै

झूठी बातां का ले सहारा उल्टा हमनै ए ओ धमकावै

इन बातां के बहकावे मैं कमेरयां का आणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै जात धर्म का बाणा ठीक नहीं।।

4

हमनै दूर रहण की शिक्षा दे खुद राजनीति तैं राज करै

वर्ग संघर्ष की राही बिना म्हारा इब कोण्या काज सरै

हम कट्ठे होकै देदयां घेरा यो दुश्मन भाजम भाज मरै

झूठे वायदयां गेल्याँ रणबीर क्युकर पेटा आज भरै

आपस मैं मरैं यारे प्यारे ईसा तीर चलाना ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै जात धर्म का बाणा ठीक नहीं।।

1986


103)


नशा नाश कररया रै

नशे पते का व्यापार, 

बढ़ाती जावै सरकार

इतनी कसूती मार, 

म्हारी समझ नहीं आवै।।

1

अफीम और हीरोइन का भारत गढ़ बताया

यो माफिया नशे पते का पूरी दुनिया मैं छाया

लत कसूती लवादे यो,

नेता नै मरवादे यो 

भुन्डे कर्म करादे यो,

म्हारी समझ नहीं आवै।।

नशे पते का व्यापार, बढ़ाती जावै सरकार

इतनी कसूती मार, म्हारी समझ नहीं आवै।।

2

माफिया नशे पते का कई देशां मैं राज चलवावै

सी आई ए तैं मिलकै यो बहोत उधम मचवावै

युवा जमा बर्बाद हों, 

बहोत घणे फसाद हों

कैसे नशे से आजाद हों, म्हारी समझ नहीं आवै।।

नशे पते का व्यापार, 

बढ़ाती जावै सरकार

इतनी कसूती मार, 

म्हारी समझ नहीं आवै।।

3

एक तरफ दारू के ठेके ये रोज खुलाये जावैं

दूजी तरफ नशा मुक्ति केंद्र रोज चलाये जावैं

जहर पिलाऊ विकास, 

नहीं हमनै अहसास

विकास नहीं सै विनाश, म्हारी समझ नहीं आवै।।

नशे पते का व्यापार, बढ़ाती जावै सरकार

इतनी कसूती मार, म्हारी समझ नहीं आवै।।

4

परिवार नै यो नशा खत्म पूरी तरियां करदे

म्हारी जिंदगी अंदर यो जहर कसूता भरदे

सच्ची लिखै सै रणबीर, सही खीँचै सै तस्वीर

नशा मारदे सै जमीर,म्हारी समझ नहीं आवै।।

नशे पते का व्यापार, बढ़ाती जावै सरकार

इतनी कसूती मार, म्हारी समझ नहीं आवै।।

104)

जात धर्म नै कौन पालरया  हमनै पड़ै समझना भाई।।

वोहे लूट की राही चालरया जिनै इसकी महिमा गाई।।

1

जात धर्म की राजनीति मैं जद ताहिं माची रोल रैहगी 

गांठ पल्ले कै मार लियो तद ताहिं ढकी पोल रैहगी

इनमैं जहर गुड़ तैं मीठा कद ताहिं चाली बोल रैहगी

प्यास मिटै कोण्या म्हारी जद ताहिं नेजु डोल रैहगी

बकरी का के मेल शेर तैं या तो दुनिया कहती आई।।

वोहे लूट की राही चालरया जिनै इसकी महिमा गाई।।

2

पंजाबी का बिना नौकरी छोटी मोटी रेहड़ी लावै सै

ब्राह्मण का करै हजूरी सहूकारां की पत्तल ठावै 

सै

जाट का बिना नौकरी गिहूँआँ की गोली खावै 

सै

कदे आज्याँ एक पाले मैं न्यों लुटेरा बेकूफ़ बनावै सै

ठेकेदार जात के मारैं तान्ने , क्यों जात पै उंगली ठाई।।

वोहे लूट की राही चालरया जिनै इसकी महिमा गाई।।

3

लाओ विचार जमात का फेर भाइयां का कठ होज्या

असली मांगों लड़ें मिलकै फेर धनवानां का मठ होज्या

कित जाट ब्राह्मण बचै फेर इंसानां का गठ होज्या 

मुनाफाखोर चोर सैं जितने फेर बेईमानां का भठ होज्या

सपने लिए इसे राज के भगत सिंह हर नै फांसी खाई।।

वोहे लूट की राही चालरया जिनै इसकी महिमा गाई।।

4

इस जमात का नमूना उसनै इस तरियां पेश किया

जात पै लड़ाई खतरे की इसतैं सदा ही परहेज किया

जमातां की सै असल लड़ाई ईसा उणनै उपदेश दिया

चोला तार भगाया जात का फेर क्रांतिकारी भेष किया

चक्रव्यूह समझण की चाहणा रणबीर सिंह नै बताई।।

वोहे लूट की राही चालरया जिनै इसकी महिमा गाई।।

105)

सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार

1

बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै

बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै

उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै

मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै

इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 

सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था

बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था

मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था

बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

3

कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया

पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया

ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया

सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया

पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

4

ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं

उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 

फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं

आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं

कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार


106)

खिड़वाली गांव के लोगों की 1857 की आजादी की लड़ाई में दी गई कुर्बानियों को याद करते हुए एक रागनी। क्या बताया भला:-

ठारा सौ सत्तावन मैं आजादी की पहली जंग लड़ी।।

खिड़वाली की पलटन नै तोड़ी कई मजबूत कड़ी।।

1

मानस खिड़वाली के भिड़गे अंग्रेजां के साहमी जाकै

दो फिरंगी तहसील मैं मारे मेम पड़ी तिवाला खाकै

भीतरला जमा भरया पड़या बाट देखैं थे एड्डी ठाकै

पाछले जुलमां का सारा हिसाब फेर धरा लिया आकै

फिरंगी से लड़ने की पूरी गुप्त योजना सही घड़ी।।

खिड़वाली की पलटन नै तोड़ी कई मजबूत कड़ी।।

2

बही शेख और लालू बाल्मिकी जमकै लड़ी लड़ाई थी

तिरखा बाल्मिकी मोहमा शेख हिम्मत खूब दिखाई थी

जुलफी मोची सुनार रामबक्स आजादी पानी चाही थी

बेमा बाल्मिकी इदुर मोची नै ज्यान की बाजी लाई थी

मुफ़ी औला पठान लड़या साथ मैं जनता खूब भिड़ी।।

खिड़वाली की पलटन नै तोड़ी कई मजबूत कड़ी।।

3

मोहर नीलगर खिड़वाली का ना मुड़कै कदे लखाया

सायर बाल्मिकी लड़ाकू नै फिरंगी तैं सबक सिखाया

सुनाकी बाल्मिकी साथ लड़या वो कदे नहीं घबराया

बीर मर्द जितने सबनै धुर ताहिं का साथ निभाया 

फिरंगी राज के कफ़न मैं इस जंग नै कील जड़ी।।

खिड़वाली की पलटन नै तोड़ी कई मजबूत कड़ी।।

4

खिड़वाली ना रहया एकला साथ गामड़ी आया था

एक बै कब्जा रोहतक पै सबनै मिलकै जमाया था

फिरंगी भाज लिया था नहीं कोय रास्ता पाया था

बहादुरशाह जफ़र को राजा सबनै ही अपनाया था

रणबीर बरोने आला बतावै जंग की ये बात बड़ी।।

खिड़वाली की पलटन नै तोड़ी कई मजबूत कड़ी।।


107)

आज चौधरी छोटू राम की जयन्ती के मौके पर ।

बताते हैं कि चौधरी छोटू राम किसान को  दो बातें सीखने की सीख देते थे। क्या बताया भला-------

सुण  भोले से किसान दो बात मेरी मान ले।

बोलना ले सीख और दुश्मन को पहचान ले।

1

म्हारी कमाई कित जावै इसका बेरा लाणा हो

दुश्मन लूटैं मित्तर बणकै इसकी तह मैं जाणा हो

पूरा हिसाब लगाणा हो भले बुरे का सही ज्ञान ले।

2

चोखी धरती आले का छोरा मनै बेरुजगार दिखा

मेहनत करने आले का मनै भरया परिवार दिखा

अपणे पै इतबार दिखा सुण लगाकै ध्यान ले।

3

घोड़े घास की यारी या बता क्यूकर मिल ज्यागी

बकरी शेर की यारी या सारी दुनिया हिल ज्यागी

या यारी कैसे खिल ज्यागी तोड़न की ईब ठाण ले।

4

इस सिस्टम के कारण भरष्टाचार सब होरे सैं 

बाँट कै जात धर्म पै लूटैं मिलकै काले गोरे सैं

भूखे म्हारे छोरी छोरे सैं रणबीर बचा जान ले।


108)

कद सी स्याणा होगा 

किसान तेरी या कष्ट कमाई कित जावै बेरा लाणा होगा।

या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा ।

1

दोसर करकै धरती नै अपणा खून पसीना बाहवाँ सां

गेर गण्डीरी सही बीज की हम ऊपर तैं मैज लगावां सां

पड़ै कसाई जाड्डा जमकै हम खेताँ मैं पाणी लावां सां

रात दिन मेहनत करकै माटी मैं माटी हो ज्यावां सां

दो बुलध तैं एक रैह लिया कद तांहिं न्यों धिंगताणा होगा।

या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा ।

2

कदे नुलाणा कदे बाँधणा कदे ततैया मोटा लड़ ज्यावै

कदे अळ कदे कीड़ा लागै कदे ईंख नै कंसुआ खावै

कदे औला कदे सूखा पड़ज्या हमनै कोण्या रोटी भावै

कदे गात नै ये पत्ते चीरैं कदे काली नागण फन ठावै

मील मैं हो भेड मुंडाई कद तांहिं मन समझाणा होगा।

या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा ।

3

सुनले कमले ईब ध्यान लगाकै म्हारे मरण मैं बिसर नहीं

आज कुड़की आरी म्हारे घर मैं नाश होण मैं कसर नहीं

जीते बी कोण्या मरते बी कोण्या औण पौण मैं बसर नहीं 

चारोँ लाल कड़ै गए भाई के गई सै फोन मैं खबर नहीं 

कोण्या पार जावै म्हारी जै यो न्यारा न्यारा ठिकाणा होगा।

या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा ।

4

इसकी खातर गाँव गाँव मैं जथेबंदियाँ का जाल बिछावां

जीणा चाहवाँ तै भाईयो यूनियन नै अपणी ढाल बणावाँ

बिना रोएँ तो बालक भी भूखा जंगी अपणी चाल बनावाँ

रणबीर सिंह बख्त लिकड़ज्या बरोने मैं फिलहाल बनावाँ 

तगड़ा संगठन बनाकैअपणा जंग का बिगुल बजाणा होगा 

या सारी दुनिया स्याणी होगी तूँ कद सी स्याणा होगा।।

109)

जाकै देखां गामां के हम रंग बदलते जावैं ।।

ताश खेलते पावैं पुराने ढंग बदलते जावैं।।

1

धरती बंटती बंटती या एक किल्ले पै जाली 

चौपाड़ों की हाल बुरी पड़ी रहैं सैं खाली

नलक्यां की टूटी ना भरी गंदगी तैं नाली

बिना धरती आले आज घूमें जावैं ठाली

जोहड़ रहे ना बणी रही सब बंग बदलते जावैं।।

ताश खेलते पावैं पुराने ढंग बदलते जावैं।।

2

टेप रेकॉर्ड खत्म हुए यो मोबाइल आग्या रै

पुराणी धुन भूल रहे डी जे सबनै भाग्या रै

नौजवानों के म्हें मोह बाइक का छाग्या रै

कई जगां खुली अकेडमी उनमें बैठण लाग्या रै

म्हारे रहण की शर्त आज दबंग बदलते जावैं ।।

ताश खेलते पावैं पुराने ढंग बदलते जावैं।।

3

भैंस नै गाम ये थामे दूध बेच गुजारा होवै 

महिला सारे काम करै न्यार सिर पै ढोवै

कितै महफूज कोण्या गैंग रेप रोजाना होवै 

स्कूलों के हाल बुरे सैं देख कै नै मन रोवै

रिश्ते परिवारों के ये सब संग बदलते जावैं।।

ताश खेलते पावैं पुराने ढंग बदलते जावैं।।

4

अन्धविश्वाशों का यो बढ़ता आवै सै घेरा

कई ढाल की कावड़ कहैं करैं दूर अँधेरा

गणेश आये घर घर मैं कहैं ल्यावै नया सबेरा

हारी और बीमारी का घर घर हुया बसेरा

रणबीर शहर गाम होकै तंग बदलते जावैं।।

ताश खेलते पावैं पुराने ढंग बदलते जावैं।।


110)

नफरत भजावण का यो सही टेम आ रहया सै।।

भीड़तंत्र आज देश नै सिर उप्पर ठा रहया सै।।

1

पन्दरा लाख का वायदा सारे जुमलेबाज भूल गये

 किसान फांसी के मामले क्यों पकड़ ये तूल गये

एक जादूगर की जादूगरी ये भारतवासी झूल गये

जात धर्म पै बाँट बणा जनता विरोधी रूल गये

हम नकली नै असली समझे भारतवासी दुःख पारया सै।।

भीड़तंत्र आज देश नै सिर उप्पर ठा रहया सै।।

2

गरीब अमीर की खाई दिन दूनी बढ़ती जावै रै

अडानी अम्बानी लूट रहे साथ मैं सरकार पावै रै

उनके कत्ल भी माफ़ सैं म्हारी आह ना सुहावै रै

भीड़ गुंडयां की आज या कानून पढण  बिठावै रै

मनु स्मृति का पौथा अपने सीने कै ला रहया सै।।

भीड़तंत्र आज देश नै सिर उप्पर ठा रहया सै।।

3

जुमले बाजां नै छोड़ कै तूँ कोये दूजा सहारा करले

इन पाखंडियों से आज भाई अलग किनारा करले

इसनै सबक सिखाने का जनता जुगाड़ दोबारा करले 

अपनी एकता की खातर दुःख सुख एकसारा करले

कित कित रोवाँ लोगो जुल्म ढाँवता जा रहया सै।।

भीड़तंत्र आज देश नै सिर उप्पर ठा रहया सै।।

4

बहु विविधता देश की मिलजुल कै बचानी हमनै 

गंगा जमुनी संस्कृति म्हारी इसकी अलख जगानी हमनै 

जात धर्म पर नहीं फहां इंसानियत आगै ल्याणी हमनै

सबका देश हमारा देश घर घर सन्देश पहोंचानी हमनै

देशद्रोही कैहकै विरोधी नै भाईयो डराना चाहरया सै।।

भीड़तंत्र आज देश नै सिर उप्पर ठा रहया सै।।


111)


सन 14 की तीज 

सन 14 की तीज का सुण्लयो हाल सुणाउं मैं।।

बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

1

गुलगुले सुहाली मनै कितै टोहै पाये कोण्या सुनियो

नीम पीपल झूलैं जिनपै नजर आये कोण्या सुनियो

काला दामण लाल चूंदड़ी ल्याकै कड़े तैं दिखउं मैं।।

बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

2

नीम पीपल के डाहले पै जेवड़यां की पींग घालते रै

झूल झूलते तो ये पते टहनी उनकी गैल हालते रै

मिलकै पड़ौसन झूल्या करती ईब कड़े तैं ल्याउं मैं।।

बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

3

कोथली मैं सुहाली आन्ती ये पूड़े घरां बनाया करते 

कई दिन सुहानी घेवर रल मिलकै सब खाया करते 

लंगर बांध देवर झोटे देता ये के के बात गिणाउं मैं।।

बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

तीजां का त्यौहार साम्मण मैं मौसम बदल जावै देखो

अकेलापन दूर होज्या सै मेल मिलाप यो बढ़ावै देखो

क बोहर भालोठ आया देख कै ना पाई पींग बताउं मैं।।

कहै रणबीर हुड्डा पार्क मैं तीस नै तीज मणाउं मैं।।


112)

तार्किक बातां के हिम्माती अपनी ज्याण खपाई हमेश।।

झूठी बात नहीं ये सारी दे इतिहास गवाही हमेश।।

1

चार्वाक नै वेदां की पारलौकिकता पै सवाल उठाया था

घोर निंदा पड़ी औटनी उसका लिख्या सब जलाया था

आज तलक ये बात सारी हमतैं गई छिपाई हमेश।।

2

यूरोप मैं कॉपरनिक्स का रूढ़िवाद नै भूत बनाया

गैलीलियो तैं फांसी सुनादी मुश्किल तैं पैंडा छुटवाया

तार्किकता की कट्टरवाद तैं हुई सै लड़ाई हमेश।।

3

सर्वाट्स नै दुनियावी कारण बताए बीमारी के

ब्रूनो बोल्या ईश्वरीय कारण नहीं बीमारी म्हारी के

तार्किकता नै प्रकाश की भारत में लौ जलाई हमेश ।।

4

दोनों वैज्ञानिक पुरोहितों नै जिन्दा जलाए बताऊँ मैं

वैज्ञानिक म्हारे पुरोहितों तैं लड़े सैं हमेश दिखाऊं मैं

रणबीर अन्त मैं तर्क नै या पुरोहिती हराई हमेश।।


113)


साथी महावीर नरवाल की याद में

*ज्ञान विज्ञान आंदोलन नै थारी याद बहोत घणी आवै।।*

*नरवाल थारा मुस्कुराता चेहरा कदे नहीं भुलाया जावै।।*

1

बणवासा मैं जन्म लिया पिता प्रताप सिंह सूबेदार थे

माता फूलवती तैं मिले घणे पहली संतान नै प्यार थे

हाई स्कूल जनता बुटाना के बताए छात्र होनहार थे

दसवीं पास करकै नै आगै पढ़ने के थारे विचार थे

*एचएयू मैं बीएससी होनर्ज मैं दाखिला सत्तर मैं ले पावै।।*

नरवाल थारा मुस्कुराता चेहरा कदे नहीं भुलाया जावै।।

2

गोल्ड मैडल लिया बीएससी मैं हांगा ला करी पढ़ाई थी

छात्रों के हक मैं जोर लाकै एचएयू मैं लड़ी लड़ाई थी

वैज्ञानिक सोच का सहारा लेकै उनकी ताकत बढ़ाई थी

इंदरजीत साथी का सम्पर्क पाया

एचएयू मैं जगां बनाई थी

*तर्क वितर्क करकै प्रशासन तैं अपनी बात समझावै।।*

नरवाल थारा मुस्कुराता चेहरा कदे नहीं भुलाया जावै।।

3

एमरजेंसी का विरोध किया था दोनूं जेल मैं डाल दिये

एक साल ताहिं राखे जेल मैं उड़ै कर पक्के ख्याल लिये

शिव वर्मा हर की किताब पढ़ी और पढ़ाये कमाल किये

एमरजेंसी पाछै टीचर मोर्चे हटकै दोनों नै सम्भाल लिए

*बाजरे की नई किस्म खोज कै अपना यो हुनर चमकावै।।*

नरवाल थारा मुस्कुराता चेहरा कदे नहीं भुलाया जावै।।

4

अध्यापिका नीलम गेल्याँ थामनै प्रेम विवाह रचाया था

एक लड़की एक लड़का जन्मे न्यों परिवार आगै बढ़ाया था

नीलम जी गुजर गई मां बाप दोनों का फर्ज निभाया था

हिसार तैं रोहतक आये विज्ञान मंच पै समय लगाया था

*स्कूल कालेजों मैं जाकै खेल खेल मैं वैज्ञानिक सोच फ़ैलावै।।*

नरवाल थारा मुस्कुराता चेहरा कदे नहीं भुलाया जावै।।

5

नताशा बेटी अर आकाश बेटे तैं क्रांतिकारी विचार समझाये

नताशा बेटी नै जेएनयू मैं सीएए खिलाफ अभियान चलाये

झूठे मुकदमे बणा उनपै सरकार नै छात्र जेल अंदर पहुचाये

महावीर थामनै बेटी नताशा के हौंसले जेल मैं भी बढ़ाये

*फ़िल्म संस्थान कलकत्ता मैं आकाश अपना हुनर बढ़ावै।।*

नरवाल थारा मुस्कुराता चेहरा कदे नहीं भुलाया जावै।।

6

साक्षरता आंदोलन हिसार मैं गजब की भूमिका निभाई

जाट आरक्षण मैं भड़की हिंसा झट सद्भावना समिति बनाई

पूरे हरियाणा मैं लायब्रेरी अभियान

इसकी पूरी प्लान समझाई

जन विज्ञान केंद्र हरियाणा की नींव नरवाल थामनै धराई

*ज्ञान विज्ञान आंदोलन अधूरे काम पूरे करण पै जोर लगावै।।*

नरवाल थारा मुस्कुराता चेहरा कदे नहीं भुलाया जावै।।

7

बणवासे गाम के छोरे नै रोल मॉडल की छवि बनाई रै

गाम तैं चालकै एचएयू मैं छात्र यूनियन की श्यान बढ़ाई रै

बहनों के लालण पालण मैं थामनै

गजब जिम्मेदारी निभाई रै

मिलकै समाज सुधार की हरियाणे मैं खूब अलख जगाई रै

*मूर्ख रणबीर सब किमैं थारे बारे एक रागनी मैं पिरोया चाहवै।।*

नरवाल थारा मुस्कुराता चेहरा कदे नहीं भुलाया जावै।।


114)

ब्याह

मां बाप नै  छोड एकली अनजान लोगों बीच मैं आई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

1

बीस साल के गाढ़े रिश्ते खत्म सब किमैं दो पल के म्हां

नया घर खिड़की और दरवाजे भरे लागते छल के म्हां

इस सारे दल बल के म्हां नहीं हिम्माती दिया दिखाई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

2

शरीर मेरे पै चर्चा होई जन चर्चा डांगर की होवै बेबे

रूंढी खूंडी काली धोली मेरे कद नै यो कुनबा रोवै

बेबे

सास न्यारी चाक्की झोवै बेबे कहै बहु ना सुथरी थ्याई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

3

पांच सात दिन करया दिखावा थे बहोतै लाड लडाये

खाट तैं नीचै पां ना टिकावै सारे मदद नै भाजे आये

फेर असली रंग दिखाये मैं घणी वारी समझण पाई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।

4

औरत के हक मैं ना जो ससुराल का रिश्ता चलाया 

इसमैं बदल जरूरी सै रणबीर सौ का तोड़ लगाया

छोटा मोटा गीत बनाया या असलियत खोल बताई।।

पीहर भूल अपनाइए सासरा मां नै मैं खूब समझाई।।


115)

हरियाणा के जन्म दिन के बहाने; मेरे आदर्शों का हरियाणा कुछ इस प्रकार का होगा:---

किसा हरियाणा हो म्हारा इतना तो जाण लयाँ ।।

शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।।

1

समानता होगी हरियाणे मैं उंच नीच रहै नहीं

न्या मिलैगा सबनै भाई अन्या कोये सहै नहीं

ओछी कोये कहै नहीं बढ़ा इतना ज्ञाण लयाँ।।

शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।।

2

अच्छाई का साथ देवां चाहे देणी होज्या ज्यान

बुराई का विरोध करां चाहे तो लेले कोये प्राण

बचावां हम अपना सम्मान खोल या जुबाण लयाँ।।

शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।।

3

सादगी शांति का आड़ै हरियाणे मैं प्रचार होगा

माणस नहीं लूट मचावैं सुखी फेर घरबार होगा

सही माणस हकदार होगा यो कहना माण लयाँ ।।

शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।।

4

जनता नै हक मिलज्याँ चारोँ कान्ही भाईचारा हो

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ना कितै अँधियारा हो

हरियाणा सबतैं न्यारा हो रणबीर नै पिछाण लयाँ।।

शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।।


116

साम्मन  का मिहना आग्या फौजी छुट्टी नहीं आया तो सरोज फौजी की घरवाली एक चिठ्ठी के द्वारा क्या लीख कर भेजती है --------:

साम्मन  आया  बाट दिखा कै तेरा पिया इंतजार मनै  

देखूं सूँ बाट शाम सबेरी तूं आवैगा यो एतबार मनै 

मन मैं उठें झाल घनी याद पाछला साम्मन आया हो 

सारे कुनबे नै तीज मनाई तनै झूला खूब झुलाया हो 

खीर अर हलवा खाया हो तेरे संग बैठ भरतार  मनै

सरतो का घर आला देख्या मिहने की छुट्टी आरया सै

अपनी घर आली  नै वो तै पलकां उप्पर बिठा रया  सै

अनूठा प्यार जतारया सै सूना लागे यो घर बार मनै  

नान्ही नान्ही बूँद पड़ें काले बादल छाये चारों और

जोहड़ भरया मिंह के पानी तै बागां के मैं नाचें मोर 

टूट्न आली सै मेरी डोर  देखी घनी बाट इस बार मनै  

कई बै मोबाइल मिलाया आउट ऑफ रेंज पावै सै

दिल की बात समझ पिया यो रणबीर छंद बनावै सै 

सरोज कितना चाहवै सै ना कदे करया इजहार मनै  --


117)

बिना बात के रासे मैं इब बख्त गंवाना ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

1

बेरोजगारी गरीबी महंगाई हर दिन बढ़ती जावै सै

जो भी मेहनत करने आला दूना तंग होता आवै सै

जब हक मांगै अपना वो तान बन्दूक दिखावै सै

कितै भाई कितै छोरा उसकी बहका मैं आवै सै

खुद के स्वार्थ मैं देश कै बट्टा लाणा ठीक नहीं ।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

2

म्हारी एकता तोड़ण खातिर बीज फूट का बोवैं सैं

मैं पंजाबी तूँ बंगाली जहर इलाके का ढोवैं सैं

मैं हरिजन तूँ जाट सै नश्तर कसूता चुभोवैं सैं

आपस कै महं करा लड़ाई नींद चैन की सौवैं सैं

इनके बहकावे मैं आपस मैं भिड़ जाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

3

म्हारी समझ नै भाइयो दुश्मन ओछी राखणा चाहवै

म्हारे सारे दुखां का दोषी यो हमनै ए आज ठहरावै 

कहै खलकत घणी बाधू होगी इसनै इब कौन खवावै

झूठी बातां का ले सहारा उल्टा हमनै ए वो धमकावै

इन सबके बहकावे मैं कमेरे का आणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

4

हमनै दूर रहण की शिक्षा दे राजनीत तैं राज करै

वर्ग संघर्ष की राही बिना इब कोण्या काज सरै

कट्ठे होकै देदयाँ घेरा दुश्मन भाजम भाज मरै

झूठे वायदां गेल्याँ म्हारा क्यूकर पेटा आज भरै

आपस मैं मरैं यारे प्यारे इसा तीर चलाणा ठीक नहीं।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।।

5

आज समझलयां काल समझलयां समझना पड़ै जरूरी

दोस्त दुश्मन का फर्क समझलयां या सै आज मजबूरी

सही गलत का अंदाज समझलयां ना चालै जी हजूरी

मेहनतकश भाई समझलयां झोड़ कै झूठी गरूरी

रणबीर सिंह की बातां का मखौल उड़ाणा ठीक नहीं ।।

अपने संकट काटण नै यो जात का बाणा ठीक नहीं ।


118)

दाई का जीवन

मानवता कै घाली बेड़ी दिल मेरा घणा घबरावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के मैं ल्यावै।।

1

नौ मिहने पलकै पेट मैं जब दुनिया मैं आणा चाहवै

माँ कै प्रसव पीड़ा जोरकी वा पड़ी खाट मैं चिलावै

दाई दादी फेर सारे कुन्बे कै याद बहोत घणी आवै

खून मैं हाथ सांनकै अपने बालक नै सांस दिवावै

बालक लिटा जच्चा धोरै वा अपना फर्ज निभावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के मैं ल्यावै।।

2

सौ मां तैं कई आज बी या जाप्पे करवावै दाई म्हारी

घणा गजब का काम करै संसार दिखावै दाई म्हारी

माड़ी ऊक चूक होज्या तैं बिसराई जावै दाई म्हारी

जातपात पै बंटे समाज मैँ ना आदर पावै दाई म्हारी

दूर तैं बगाकै रोटी दें उसनै दाई दुखी मन तैं ठावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के मैं ल्यावै।।

3

ये रिवाज कदे कदीमी के मानकै दादी चुप होज्या

अपनी व्यथा बतावै किसनै बैठ कोने मैं वा रोज्या

ईसा जुल्मी हाल देखकै माणस कैसे चैन तैं सोज्या

इसी तरक्की नै के चाटैं जो आपसी रिश्ते ये खोज्या

पुराना ठीक ना करया ज्यां नया भी बिगड़ता जावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के मैं ल्यावै।।

4

जात पात धर्म तैं ऊपर हो मानवता नै आजाद करां

मानवता का इंसानी रिश्ता दुनिया मैं आबाद करां

पिस्से की गुलाम मानसिकता मिलकै नै बर्बाद करां

जात पात पै ना खड़या आज कोये हम फसाद करां

रणबीर नये समाज सुधार तैं दादी दाई सम्मान पावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के मैं ल्यावै।।


119)

खून के रिश्ते तै गाढ़ा यो पसीने का रिश्ता बताया।।

जात के रिश्ते तै ठाडा जमात का रिश्ता दिखाया।।

1

इस दुनिया मैं तीन ढाल के माणस आज गिणवाऊँ

एक ठोड़ तै उनकी जिनकै हाथै ए हाथ दिखलाऊँ

दूजी ठोड़ के हाथां गेल्याँ कुछ साधन भी बतलाऊँ

तीजी ठोड़ हाथ कोण्या साधन ही साधन जुटवाऊं

सारे रिश्ते भीतर इनकै नहीं बाहर का रिश्ता पाया ।।

2

निरे हाथ सैं जिसकै कुछ साधन आले का भाई

दोनूंआं नै जात भूलकै पड़ै करनी कष्ट कमाई

साधन आला बैठ चैन तैं दोनों की करै लुटाई

छिपावै तासीर लूट की जब देवै जात दुहाई

पड़कै जाल भर्म के म्हां आज खून का रिश्ता भाया।।

3

जाट कमावै बाहमण भी खेतों मैं कच्चा माल उगावै

खेत मजदूर दलित भी इनकी गेल्याँ यो ज्यान गलावै

मजदूर मशीन चलाकै नै उसका पक्का माल बनावै

शर्मा जाखड़ राम जीत सिंह इन सबका मोल लगावै

मुनाफाखोरी का सबतैं कांटे का यो रिश्ता समझाया।।

4

अमीर गरीब दो जमात सैं अमीर गरीब नै बहकावै

एक भाई अफसर होज्या ना गरीब भाई नैं सँगवावै

पीसे आला दलित भी न्यारा पानी का मटका धरवावै

साथ ना देवै खून का रिस्ता यो पीसा सब करवावै

मेहनतकश का असली मैं जमात का रिश्ता छिपाया।।

5

जमात की कड़ तोड़न खातर जात खून की ढाल बनै

या खड़पटवार की ढालां बिन बात की बबाल बनै

जात ढेरयां आला कुड़ता काढ़े पाछै जंजाल टलै

जमात का हो चाबुक फेर घोड़ा दुड़की चाल चलै

बनै पसीने तैं पूंजी रणबीर मार्क्स नै यो पाठ पढ़ाया ।।


120)

*इब छोरा झंडा गाडैगा दूजे देश के महं जा कै नै ।।*

*कंपनी भेजै सै उसनै वो  घर भर देगा कमा कै नै ।।*

रिसाल कौर नयों बोली भारत मैं ए खा कमा ल्यांगे 

कदे जाकै ना उल्टा आवै थोड़े मैं काम चला ल्यांगे 

*छोरा आंख बदलग्या तो मैं मर ज्याँ  फांसी खा कै नै ।।*

छोरी बयाह दी थयादी इब छोरे की बारी आई 

बेरा ना के के सोच्या सै इब उल्गी साँस ले पाई 

*मेम साहब ले आया तो फेर  देखिये एडी ठा कै नै।।*

इतना डर क्यूं  मानै यो उसकी जिन्दगी का सवाल 

पुराने ज़माने बादल गये इब आगे नए नए ख्याल 

*इमोशनल होयें ना काम चलै चालां  दिल समझा कै नै।।*

संस्कारी छोरा सै म्हारा तूं जमा बी घबरावै मतना 

पश्चिमी हवा ना लागन दे तूं रोड़े अटका वै मतना 

*कहै रणबीर बखत बदलगे  कदे देखां मुंह बा कै नै ।।*


121)

86 के दौर के हालात पर 

डांगर बरोबर माणस होगे फासला खास रहया कोण्या।।

माची घणी सै आपा धापी बरतावा धांस रहया कोण्या।।

1

लूट पाट का दरबार लग्या चिड़िया नै खा बाज रहया

हो दिन धौली कत्लोगारत भरोसा कोण्या आज रहया

बलात्कारी बणे चौधरी हो बदचलनी का राज रहया

पुलिस बदमाशां की यारी हो किसा बेढंगा काज रहया

बढ़ी बेकारी भूख गरीबी यो पीसा पास रहया कोण्या।।

2

श्यामत चढ़गी कीमत बढ़गी पूरे सात असमानां मैं

बिना बात करवाया घात हिन्दू और मुसलमानां 

मैं

गरीब रोवै सै नसीबां नै आवै सरकारां की चालां मैं

भेडिये भीतर तैं असली ये घले बकरी की खालां मैं

दिन रात कमाया बावला कदे शाबाश कहया कोण्या।।

3

नाक तैं आगै देखण नै  खामखा मतना जतन करो

लूट गरीब की मेहनत नै फेर भगवती का भजन करो

गरीब अमीर की खाई नै बस बात बातां मैं दफन करो

नाश राही सुरग मिलता अच्छाई नै जला वतन करो

होगे भोगी ढोंगी कसूते जनता पै जावै सहया कोण्या।।

4

मुनाफा चाहिए अमीराँ नै बणग्या पैमाना समाज का

बिकता ईमान यो कपूरे का ना काम शर्म लिहाज का

रणबीर आज बिकै मुख्यमंत्री इस पूंजीवादी राज का

अमीर दूना अमीर हुया कितै तोड़ा हुया अनाज का

पूर्ण मल गाया खूब दादा नै पर यो नाश लहया कोण्या ।।

1.6.86


122)

आजादी

*खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।*

*इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।*

1

आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था

लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था

एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था

कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था

*इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै या ऊंची बोल दी ।*

2

सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया

करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया

सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया

हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया

*हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज या खंगोल दी।*

3

भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे

नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे

इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे

दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे

*गौरे गए आगे काले रणबीर की छाती छोल दी।*

4

फुट गेरो और राज करो ये नीति वाहे चाल रहे रै

कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै

आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै

वैज्ञानिक नजर जिसकी जी नै कर बबाल रहे रै

*इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की खोल दी।*

2003-2004

123)

मनै घूम जमाना देख लिया आओ असल तस्वीर दिखाऊँ।।

मेहनत करता भुखा मरता माणस हुया गमगीर दिखाऊँ।।

1

फाईलां का बोझ एक गाड्डी अफसर का भय देख्या सै

बालक की फीस की चिंता स्याही का भी खर्चा देख्या सै

एक बेटी दहेज नै खोसी  हाल दूजी का बुरा देख्या सै

कितनी बी ल्हको छिपालयां जनता यो भितरला

देख्या सै

चौबीस घण्टे काम करां रै गैल छुटी या नकसीर दिखाऊँ।।

2

सायरन की आवज दीखै दीखै हाजरी आले की फटकार

मशीन की खटपट भी दीखै दीखै माँ बीमार पड़ी लाचार

कम बोनस की चोट कसूती दीखै या मालिक की 

बबकार

भेड़िया ज्यों खड़या दीखै यो बही खाते आला साहूकार

जात धरम तैं पीटै हमनै हम पीटें बताई लकीर दिखाऊँ।।

3

यो खाद बीज का भा दीखै भय ओल्यां का मोटा दीखै

टपके का डर भुण्डा दीखै यो सूखे का ढंग खोटा

दीखै

कमती माल उपज का दीखै खेत मैं बड़या झोटा दीखै

सारे राहयां बरबाद हुए रै बिगड़ी हुई या तकदीर दिखाऊँ।।

4

रोजाना यो संकट म्हारा घणा गहरा होन्ता आवै देखो

ना मिल बैठ बात करै दूना दूर दूर भाजता जावै देखो

जितना दूर भगावां टोटा यो उतना नजदीक पावै देखो

इस तरियां नहीं बात बनै रणबीर कलम घिसावै देखो 

यूनियन बिना चारा कोण्या असल भाई तदबीर बताऊं।।


124)

आज का दौर *** एक रागनी के माध्यम से **

दुनिया की के हालत होगी बाजार चौगरदें छाया।।

भैंस बंधी घर घर मैं फिर दूध ढोलां के म्हं पाया।।

1

खेत खलिहान की साथ आज भैंसों के लागे लारे रै

टोहे बी नहीं पांते घी के किसे घर मैं आज बारे रै

थोड़ा साँस आया करता आज घूटन मानगे सारे रै

महिलावां कै अनीमिया नै हटकै नै डंक मारे रै

बाजरे की खिचड़ी गौजी का आज जोड़ा तोड़ बगाया।।

2

पहले भाईचारा था छोरे बहू लेन आया करते

जिब रोटी जिम्मन बैठें थे खांड बूरा खाया करते

पड़ौसी दूध के बखौरे बटेऊ ताहिं ल्याया करते

दूजे के बटेऊ नै पड़ौसी आंख्यां पै बिठाया करते

बैठे रहैं फूंक बुढ़िया सी अपना ए बटेऊ ना भाया।।

3

आबो हवा मैं जहर घुल्या कीटनाशक छागे भाई

युवा के नर्वस सिस्टम पै छींटा गुस्से का लागे भाई

पेट नै पकड़ हांडे जाओ डॉक्टर हाथ ठागे भाई

म्हारी कष्ट कमाई नै देखो दिल्ली आले खागे भाई

टैस्ट होज्याँ मैडीकल मैं नहीं किसे नै कष्ट उठाया।।

भैंस बंधी घर घर मैं फिर दूध ढोलां के म्हं पाया।।

4

किलो दूध मिलै पचास का उसमैं आधा पानी पावै

महंगाई का औड़ रहया ना मानस के खा के ना खावै

कुपोषण बालकों मैं आज दिन दिन बढ़ता जावै

बाजार व्यवस्था दोषी सै पर दोष कोए नहीं लावै

राम की इच्छा कैहकै रणबीर म्हारा मोर नचाया।।

भैंस बंधी घर घर मैं फिर दूध ढोलां के म्हं पाया।।


125)

नया बीज और खाद नया सोच समझ तनै अपनाया

हरित क्रांति का बन अगुआ नंबर वन पै पहोंचाया 

बैल की खेती छोड़ तनै ट्रेक्टर की खेती अपनाई रै

हल और राछ बाछ पुराने सबतें ही पिंड छटवाई रै

बिजली बहोत घनी भाई रै दीवा कून मैं तनै बगाया ||

लाल दामन काली चुन्दडी आज देखण नै बी तरसाए

कदे कदाउ  खंडवा धोती ये नए नए फैशन अपनाये

लेंटर आले मकान बनवाये देशी तैं अंगरेजी पै आया ||

छुआ छूत की आदत ना बदली नहीं समझ मैं आई रै

जात पात की कट्टरता दूनी कोली भर छाती कै लाई रै

महिला भ्रूण हत्या बढ़ाई रै दुनिया मैं नाक कटवाया ||

बहोत सी चीजां मैं विवेक तेरा घणा आगे निकल गया

जात पात और गोत नात पै बावले क्यों बीचल गया

विवेक पर तैं क्यों फिसल गया रणबीर बी घबराया।।

126)

लेखक भगत सिंह को आह्वान करके क्या कहता है ------

देख ले आकै सारा हाल , क्यों देश की बिगड़ी चाल, सोने की चिडया सै कंगाल , भ्रष्टाचार नै करी तबाही।।

अंग्रेज तैं लड़ाई लड़ी थारी कुर्बानी आजादी ल्याई, 

छाई लुटेरों की बेईमानी या फेर म्हारी बर्बादी ल्याई 

क्यों भूखा मरता कमेरा , इसनै क्यूकर लूटै लुटेरा,करया चारों तरफ अँधेरा,माणस मरता बिना दवाई ।।

2

चारों कान्ही आज दिखाऊँ , घोटालयां की भरमार दखे 

दीमक की तरियां खावै सै समाज नै यो भ्रष्टाचार दखे 

ये चीर हरण रोजाना होवें , नाम देश का जमा ड़बोवैं, लुटेरे आज तान कै सोवें, शरीफों की श्यामत आई ।।

3

थारे विचारों के साथी तो डटरे सें जमकै मैदान के माँ 

गरीबों की ये लड़ें लडाई म्हारे पूरे हिंदुस्तान के माँ 

भगत सिंह ये साथी थारे , तेरी याद मैं कसम उठारे,संघर्ष करेँ यो बिगुल बजारे ,चाहते ये मानवता बचाई ।।

4

बदेशी कंपनी तेरे देश नै फेर गुलाम बनाया चाहवैं 

मेहनत लूट मजदूर किसानों की ये पेट फुलाया चाहवैं 

भारी दिल तैं साथी रणबीर, लिखै देश की सही तहरीर, भगत तनै जो बनाई तस्बीर, देख जमा ए पाड़ बगाई।।


127)

अहिल्या बाई को जीवन के कदम कदम पर दिक्कतें आई उसने सती होने से इनकार किया। पर्दा कभी नहीं किया और देश सेवा बतौर रानी के उसने की । एक गीत के माध्यम से--

अहिल्या नै सती प्रथा का विरोध किया नई राह दिखाई हे।

विधवा हुई पर जमा नहीं किसे मौके ऊपर घबराई हे।

1

पक्का इरादा सही सोच तैं  रूढ़िवादी बात ललकारी थी आत्मबल के दम के ऊपर ये मुसीबत झेली सारी थी 

या पिछड़ी समाज मारी थी फिर भी आवाज उठाई हे।

विधवा हुई पर जमा नहीं किसे मौके ऊपर घबराई हे।

2

ढाई सौ साल पहलम सती विरोध का झंडा ठाया था 

सती होंण तैं इनकार किया समाज घणा छटपटाया था

नहीं पाछै कदम हटाया था नई मिशाल बनाई हे।

विधवा हुई पर जमा नहीं किसे मौके ऊपर घबराई हे।

3

एक औरत की छवि मैं जमकै विश्वास भरया बेबे

झूठी मर्यादा का दिखावा सिर तैं उसनै तार धर्या5 बेबे

झुकना ना स्वीकार करया बेबे लाम्बी लड़ी लड़ाई हे।

विधवा हुई पर जमा नहीं किसे मौके ऊपर घबराई हे।

4

रणबीर या कथा निराली सारे सुनो ध्यान लगाकै

घणे तान्ने सहे उसनै जो मारे समाज नै पिनाकै

सही राह पै कदम बढ़ा कै या चाली अहिल्या बाई हे।

विधवा हुई पर जमा नहीं किसे मौके ऊपर घबराई हे।


128)

मनमर्जी का बयाह 

चाँद - कमला सुनले बात मेरी मतना रोपै चाला हे 

कमला - एक बै जो मन धार लिया कोन्या होवै टाला हे 

चाँद - म्हारे बरगी छोरी नै ना ब़र आपै टोहना चाहिए 

कमला- गलत रीत बात पुराणी ना इनका मोह होना चाहिए 

चाँद - अपनी जात कुटम्ब कबीला ना कदे नाम डबोना चाहिए 

कमला - जात पात का झूठा रोला दिल का बढ़िया होना चाहिए 

चाँद-के टोह्या तनै छैल गाभरू रंग का दीखै काला हे ||

कमला- रूप रंग में के धरया सै माणस गजब निराला हे ||

चाँद- नकशक रूप रंग पै तौ या दुनिया मारती आई सै 

कमला-बिना बीचार मिलें तौ फेर कोन्या भरती खाई सै

चाँद - मात पिता ब़र टोहवै या दुनिया करती आई सै 

कमला- डांगर ज्यों खूँटें बाँधें ज्णों गऊ चरती पाई सै 

चाँद- बात मानले कमला बेबे टोहले बीच बीचाला हे||

कमला- उंच नीच देख लाई सै कोन्या बदलूँ पाला हे ||

चाँद- यो भूत प्रेम का दखे थोड़े दिन मैं उतर ज्यागा 

कमला-एक सै मंजिल म्हारी क्यूकर प्यार बिखर ज्यागा 

चाँद - बख्त की मार पडैगी हे वो तनै छोड़ डिगर ज्यागा 

कमला- बख्त गैल लडै मिलकै संघर्ष मैं प्रेम निखर ज्यागा 

चाँद- ज्यान बूझ कै करै मतना जिंदगानी का गाला हे ||

कमला- वो मने चाहवै सै मैं बी फेरूँ उसकी माला हे ||

चाँद- गाम गुहांड घर थारे नै जात बाहर करैगा हें

कमला-बढ़िया बात नै रोकै वो गलत बीचार मरैगा हें 

चाँद-घर बार बिना ना तम्नै यो दिन चार सरैगा ह़े 

कमला - गादड़ की मौत मारे जो एक बार डरेगा ह़े 

चाँद- कमला तूं फेर पछतावैगी थारा पिटे दिवाला ह़े || 

कमला-चान्द्कौर क्यूं घबरावै सै रणबीर म्हारा रूखाला ह़े ||


129)

दो बोल 

गरीब अमीर का मेल नहीं ,बकरी शेर का खेल नहीं 

सही कातल नै जेल नहीं , बीर मरद की रखैल नहीं 

जी छोड़े अमर बेल नहीं ,या दुनिया कहती आई ||

बिना शिक्षा के ज्ञान नहीं , बिना ज्ञान हो सम्मान नहीं 

तोह्वां हम असल सच्चाई , जो सबकै साहमी आई 

कमेरे की हो ख़ाल तराई , जाने सरतो और भरपाई 

या बात गयी अजमाई , ना मने झूठ भकाई || 

बिना मणि के नाग नहीं , बिना माली के बाग़ नहीं 

लूटेरे बिना हो ना लूट , और कोए ना बोवै फूट 

सबर का यो प्यावें घूँट , नयों हमनै खावें चूट 

अमीर फेर दिखावें बूट , कदे समझ ना पाई ||

बिना सुर के राग नहीं, बिना घर्षण के आग नहीं 

दफ़न सभी फरयाद हुई, घनी लीलो चमन बर्बाद हुई 

कबूल नहीं फरयाद हुई , मेहनत सारी खाद हुई 

कमजोर म्हारी याद हुई , नयों या नौबत ठाई ||

ना बिन पदार्थ कुछ साकार , ना बिन तत्व गुणों का सार 

ये नीति इसी चाल रहे , बिछा हम पर जाल रहे 

बिकवा घर का माल रहे , सब ढालां कर काल रहे 

गलूरे बना ये लाल रहे, रणबीर की श्यामत आई || 

  ranbir-

1989

130)

आत्म सम्मान

आत्म सम्मान बेच देश का धनवान बने हांडैं सैं।

पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।

1

लच्छेदार भाषण देकै जनता बेकूफ बनाई किसनै

हमनै लूटैं कामचोर बतावैं या प्रथा चलाई किसनै

खूनी भेड़िया इस समाज मैं इन्सान बने हांडैं सैं।।

पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।

2

बालक इनके बिगड़लिये सब अवगुण पाल रहे रै

सट्टा बाजारी चोरी जारी चाल कसूती चाल रहे रै

पशु भावना के शिकार ये नौजवान बने हांडैं सैं।।

पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।

3

इन्सानियत सारी भूल गये पीस्सा ईष्ट भगवान हुया

सारे परिवार खिंड मिंड होगे रोब्बट यो इन्सान हुया

समाज की ये बढ़ा कै पीड़ा दयावान बने हांडैं सैं।।

पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।

4

परम्परा के घेरे में पहल्यां घर मैं बोच दबाई किसनै

आधुनिकता के नाम पै या बाजार ल्या बिठाई किसनै

रणबीर महिला चीज बनाई खुद दलाल बने हांडैं सैं।।

पाखण्ड रचा कै दिन धौली भगवान बने हांडैं सैं।।


131)

शोषण हमारा

बदेशी कम्पनी आगी, हमनै चूट-चूट कै खागी

अमीर हुए घणे अमीर, यो मेरा अनुमान सै।।

हमनै पूरे दरवाजे खोल दिये,बदेशियां नै हमले बोल दिये

ये टाटा बिड़ला साथ मैं रलगे, उनकै घी के दीवे बलगे

बिगड़ी म्हारी तसबीर, या संकट मैं ज्यान सै।।

पहली चोट मारी रूजगार कै, हवालै कर दिये बाजार कै

गुजरात मैं आग लवाई क्यों, मासूम जनता या जलाई क्यों

गई कड़ै तेरी जमीन, घणा मच्या घमसान सै।।

म्हारी खेती बरबाद करदी, धरती सीलिंग तै आजाद करदी

किसे नै ख्याल ना दवाई का, भट्ठा बिठा दिया पढ़ाई का

घाली गुरबत की जंजीर, या महिला परेशान सै।।

सल्फाश की गोली सत्यानासी, हरदूजे घर मैं ल्यादे उदासी

आठ सौबीस छोरी छोरा हजार,बढ़या हरियाणे मैं अत्याचार 

लिखै साची सै रणबीर, नहीं झूठा बखान सै।।


132)

शाषक

जनता नै दुखी करकै ना कोए शाषक सुखी रह पाया।।

जनता का राज जनता द्वारा जनता ताहिं गया बताया।।

1

सिस्टम व्यक्ति पर भारी बहुत देर मैं समझ पाते हैं

कहीं खरीद फरोख्त कहीं डर का रोब खूब जमाते हैं

चित बी मेरी पिट बी मेरी आम आदमी मरते जाते हैं 

हमारी मेहनत की शाषक हर तरह से लूट मचाते हैं

जनता और शाषक के बीच वर्ग संघर्ष मूल जताया।।

2

यो समझे बिना ईमान दार घणा कुछ नहीं कर पावै

चाहे तो पी एम बणाद्यां आखिर कठपुतली बण जावै

सिस्टम के हाथ बहोत सैं संस्कृति इसका साथ निभावै

म्हारी सोच गुलामी की यही सिस्टम कई तरियां बनावै

सिस्टम बदलें बिन जनता का जनता नै राज ना थ्याया।।

3

शाषक बांट कर हमें अपनी मनमानी खूब चलावैं देखो

दस नब्बै की लड़ाई आज खास तरियां ये छिपावैं देखो

दस की करकै सही पिछाण नब्बै ना एकता बनावैं देखो

दस की एकता घणी कसूती जात गोत पै वे लडावैं देखो

खेत खान मैं हम कमाते फेर बी सांस चैन का ना आया।।

4

ये जेब कतरे धर्मात्मा बणकै पूरे देष मैं छाये देखो

ये भाशा जनता की बोलते जनता के भूत बनाये देखो

ये मुखौटे बदल बदल कै हर पांच साल मैं आये देखो

ये अपने पेट फुलागे रै म्हंगाई नै उधम मचाये देखो

रणबीर नब्बै की खातर सोच समझ कै कलम उठाया।।

133)

मुनाफे की फसल

खेतां मैं अपणे मुनाफे की आज फ़सल उगाया चाहवैं।।

किसान की कष्ट कमाई नै औने पौने मैं कब्जाया चाहवैं।।

1

म्हारे हाथ बांध कै हमनै बनाया चाहते बेकार रै

म्हारे दिमाग कर काबू मैं इनकी मदद करै सरकार रै

अपणे फैंसले करे पाछै ये म्हारी मोहर लवाया चाहवैं ।।

2

ना सोचो ना सवाल करो बस उनकी करो जयजयकार रै

कितने गुनाह वे करो उनके सारे साजिश स्वीकार रै

अंधभक्ति का पाठ पढाकै पक्के अंधभक्त बनाया चाहवैं ।।

3

लोकतंत्र के मलबे पै खड़ा करना चाहते अपणा निजाम

फर्क झूठ और सच्चाई का मिटाना चाहते आज तमाम

राह मैं बिछा कै कांटे कैहवैं थारा साथ निभाया चाहवैं।।

4

घेर लिये चारों कांहीं तैं ये कैहते थारी पूरी आजादी सै

बिगाड़ नै कैहवैं सुधार करदी म्हारी घणी

बर्बादी सै

रणबीर सिंह ये थैली आले म्हारा मोर  नचाया चाहवैं।।


134)

अहिल्या बाई को जीवन के कदम कदम पर दिक्कतें आई उसने सती होने से इनकार किया। पर्दा कभी नहीं किया और देश सेवा बतौर रानी के उसने की । एक गीत के माध्यम से--

अहिल्या नै सती प्रथा का विरोध किया नई राह दिखाई हे।

विधवा हुई पर जमा नहीं किसे मौके ऊपर घबराई हे।

1

पक्का इरादा सही सोच तैं  रूढ़िवादी बात ललकारी थी आत्मबल के दम के ऊपर ये मुसीबत झेली सारी थी 

या पिछड़ी समाज मारी थी फिर भी आवाज उठाई हे।

विधवा हुई पर जमा नहीं किसे मौके ऊपर घबराई हे।

2

ढाई सौ साल पहलम सती विरोध का झंडा ठाया था 

सती होंण तैं इनकार किया समाज घणा छटपटाया था

नहीं पाछै कदम हटाया था नई मिशाल बनाई हे।

विधवा हुई पर जमा नहीं किसे मौके ऊपर घबराई हे।

3

एक औरत की छवि मैं जमकै विश्वास भरया बेबे

झूठी मर्यादा का दिखावा सिर तैं उसनै तार धर्या5 बेबे

झुकना ना स्वीकार करया बेबे लाम्बी लड़ी लड़ाई हे।

विधवा हुई पर जमा नहीं किसे मौके ऊपर घबराई हे।

4

रणबीर या कथा निराली सारे सुनो ध्यान लगाकै

घणे तान्ने सहे उसनै जो मारे समाज नै पिनाकै

सही राह पै कदम बढ़ा कै या चाली अहिल्या बाई हे।

विधवा हुई पर जमा नहीं किसे मौके ऊपर घबराई हे।


135)

एक महिला की पुकार 

खत्म हुई सै श्यान मेरी , मुश्किल मैं सै ज्यान मेरी 

छोरी मार कै भान मेरी , छोरा चाहिए परिवार नै ।।

1

पढ़ लिख कै कई साल मैं मनै नौकरी थयाई बेबे 

सैंट्रो कार दी ब्याह मैं , बाकी सब कुछ ल्याई बेबे 

घर का सारा काम करूँ , ना थोड़ा बी आराम करूँ 

पूरे हुक्म तमाम करूँ , औटूं सासू की फटकार नै ।।

2

पहलम मेरा साथ देवै था वो मेरे घर आला बेबे 

दो साल पाछै छोरी होगी फेर वो करग्या टाला बेबे 

चाहवें थे जाँच कराई ,कुनबा हुया  घणा कसाई 

मैं बहोत घनी सताई , हे पढ़े लिखे घरबार नै ।।

3

जाकै रोई पीहर के महँ पर वे करगे हाथ खड़े 

दूजा बालक पेट मैं जाँच कराण के दबाव पड़े  

ना जाँच कराया चाहूं मैं, पति के थपड़ खाऊँ मैं 

जी चाहवै मर जाऊं मैं , डाटी सूँ छोरी के प्यार नै ।।

4

दूजी छोरी होगी सारा परिवार तन कै खड्या हुया 

नाराजगी अर गुस्सा दिखे सबके मुंह जडया हुया  

अमीर के धोरै जाऊं मैं ,अपनी बात बताऊँ मैं 

रणबीर पै लिखाऊँ मैं  , बदलां बेढंगे संसार नै ।।


136)

15/3/1993

इतनी दारू क्यों पीवै, कर लिया सत्यानाश तनै।।

तों आच्छा बीच्छा था, दुनिया कहै बदमाश तनै।।

1

धमलो

जितनी चाद्दर उतना ए पसरो, या दुनिया कहती आई

दारू सुल्फे के चक्कर मैं या धरती बटै लाई

यार बॉस जितने तेरे, उणनै मेरे पै नजर जमाई

खप्पर भरणी दारू नै , मेरी सारी ए टूम बिकाई

इतना घटिया माणस होग्या क्युकर दयूं शाबाश तनै।।

2

रमलू

मेरे बस की बात कोण्या ठेका मेरे पाहयां नै खींचै

सांझ होंते की गेल्याँ सांस होवै ऊपर और नीचै

बोतल जब पूरी भीतर जाले,या आंख मेरी मींचै

गम सारे भूलूँ धमलो या सोचण के पट भींचै

तिरूं डुबूं रहवै कालजा सब बातां का अहसास मनै।।

3

धमलो

घर कोए बच्या नहीं सै माणस छिदा बचरया सै

बाबू टोहवै बेटे आली यो बेटा बाबू कै खसरया सै

पी दारू ऐड़े बैड़े बोलैं घरां अंधेरा यो बसरया सै

औरत कितै महफूज नहीं गल मैं फांसा फँसरया सै

हाथ जोड़ कहण मेरा थोड़ा जमा ना हो विश्वास तनै।।

4

रमलू

आदत पड़गी कोण्या छूटती मैं होरया अलाचार जमा

घर फूंक तमाशा होग्या खो देगा यो घरबार जमा

टूम ठेकरी भी बिक़वादे बनै दुधारी तलवार जमा

ठेके बन्द करती कोण्या म्हारी या सरकार जमा

दारू छोड्या चाहूँ लाजमी मिलै सुरग का पास मनै।।

5

धमलो

कितने बर नेम करे सुण सुण कै नै तंग आगी

क्युकर कुन्बा चालै म्हारा इसकी चिंता मनै खागी

खुले आम बिकते पैग बताए लत बालकां मैं छागी

माक्खी भिनकें कुत्ते चाटैं नाली मैं जा ठोड़ी लागी

रणबीर झूठे लारे देकै खवाई दही भामै कपास तनै।।


137)

चीनी मील

खेत मैं ईंख खड्या सै, चीनी मील बन्द पड्या सै।

टोटा घरां आण बड्या सै, नहीं दीखै कोए राही।।

1. मेहनत करकै बाहये खेत जी लाकै बोई गंडेरी थी

  ईंख नुलाया शिखर दोफेरी मेरी गैल मरी भतेरी थी

  पात्ते हाथ चीरगे म्हारे रै, हम ईंख बांधण चाहरे रै

  इसपै घणी आशा लारे रै, बेटी की करी सगाई।।

2. मील आल्यां नै पर्ची ना दी मारया मारया फिरता रै

  अपमान करैं कम तोलैं कहर मेरे पर गिरता रै

  ईंख आज मेरा सूक रहया, कुछ मनै ना सूझ रहया

  अजीत पै मैं बूझ रहया, करी क्यों म्हारी तबाही।।

3. मुलायम सिंह जुग-जुग जीयो भा बढ़िया दिया म्हारा

  कल्याण सिंह नै दागी गोली मारया किसान बिचारा

  कांग्रेस कै पटकी मारांगे, मुलायम पै सब कुछ वारांगे

  पार वामपंथ नै तारांगे, बीजेपी की श्यामत आई।।

4. जातपात का भ्रम टूटैगा , किसान एकता जिन्दाबाद

  अमीरां की चाल समझगे या मुनाफाखोरी मुर्दाबाद

  संघर्ष का बिगुल बजाया रै, यो झण्डा लाल उठाया रै

  रणबीर नै राह दिखाया रै, गजब की करी कविताई।।

138)

विश्व बैंक संगठन

विश्व व्यापार संगठन के सै मनै खोल बतादे सारी।

सारी दुनिया बीच होरी सै क्यों चरचा इसकी भारी।।

1. 

किसके हक मैं काम करै किसकी करता डूबा ढेरी

टी वी अखबारां मैं छाया जिकरा इसका शाम सबेरी

गाम मैं किसे नै बेरा ना फरमान कड़े तै हुया जारी।।

सारी दुनिया बीच होरी सै क्यों चरचा इसकी भारी।।

2. 

कोए बतावै फायदे इसके म्हारी समझ मैं आवै ना

कोए कहवै सत्यानाशी सै इसकी तरफ लखावै ना

किसनै किसकी ईंके दम पै क्यूकर अक्कल मारी।।

सारी दुनिया बीच होरी सै क्यों चरचा इसकी भारी।।

3. 

भारत की सरकार बता क्यों हुई लाचार दिखाई दे

इसके बारे मैं सही सही क्यों ना प्रचार सुनाई दे

इसकी सारी पोल खोल कै कोए समझ बधादे म्हारी।।

सारी दुनिया बीच होरी सै क्यों चरचा इसकी भारी।।

4. 

दोहा नाम आया अखबारां मैं उड़ै के के फैंसले होगे

एक बै हमनै बता द्यो कूण बीज बिघन के बोगे

कहै रणबीर बरोने आला जनता की श्यामत आरी।।

सारी दुनिया बीच होरी सै क्यों चरचा इसकी भारी।।


138)

खागड़ देशां नै

विकसित खागड़ देशां नै आपाधापी कसूत मचाई रै।।

 ट्रेड सैंटर के हमले नै या मन्दी चारों कूट फैलाई रै।।

१. अमरीका मैं डेढ लाखां की नौकरी देखो खोस लई

 ब्रिटेन जापान जर्मनी मैं उड़ अमीरां की होंस गई

 पैदावार घणी खपत थोड़ी फेर नई चाल चलाई रै।।

 ट्रेड सैंटर के हमले नै या मन्दी चारों कूट फैलाई रै।।

२. आतंकवाद नै हथियार बणा गरीब देशां मैं बड़गे

 पहल्यां इसतै दूध प्याया फेर इसे गेल्यां भिड़गे

 अफगानिस्तान बणा खाड़ा एक तरफा करी लड़ाई रै।।

 ट्रेड सैंटर के हमले नै या मन्दी चारों कूट फैलाई रै।।

३. ईराक इरान सोमालिया अपणे निशाने पै बिठाये

 उत्तरी कोरिया पै इननै फेर कसूते तीर चलाये

 तीसरी दुनिया डरा धमका कै अपणी मण्डी बनाई रै।।

 ट्रेड सैंटर के हमले नै या मन्दी चारों कूट फैलाई रै।।

४. डबल्यू टी ओ विश्व बैंक साथ मैं मुद्रा कोष बताया

 तीसरी दुनिया मैं जाल कसूता मिलकै नै फैलाया

भारत बरगे देशां की रणबीर सिंह श्यामत आई रै।।

 ट्रेड सैंटर के हमले नै या मन्दी चारों कूट फैलाई रै।।


139)

मैडीकल के छात्र के कत्ल के वक्त लिखी एक रागनी 

क्यों खिलता फूल तोड़ दिया घणा बुरा जमाना आग्या।।

यार नै यार का कत्ल करया मेरा दिमाग तिवाला खाग्या।।

1

तीनों यारां नै मैना में मौज मस्ती खूब मनाई थी नींद की गोली यतेन्द्र नै बीयर बीच मिलाई थी कई दिन पहलम कत्ल की उनै स्कीम बनाई थी गल घोंटकै मार दिया आवाज कती ना आई थी   

सारी डॉक्टर कौम कै यतेंद्र यो कसूती कालस लाग्या।

यार नै यार का कत्ल करया मेरा दिमाग तिवाला खाग्या।।

2

माता कै के बाकी रही जब खबर कत्ल की आई टेलीफोन पै बात हुई ईबीसी फेटण भी नहीं पाई कोर्स पूरा होग्या सोचै थी मैं कर दयूं इब सगाई

क्यों कत्ल हुया बेटे का ना करी कदे कोये बुराई

खुद तै चल्या गया सोनी फेर पूरे घर नै जमा ढाग्या।।

यार नै यार का कत्ल करया मेरा दिमाग तिवाला खाग्या।।

3

क्यों यार का यार बैरी करते क्यों विचार नहीं 

दारू नशे हिंसा का रोक्या क्यों यो व्यापार नहीं 

कांफ्रेंस प्यावैं जमकै दारू न्यों होवै उद्धार नहीं 

या हिंसा ना रोकी तो बचै किसे का घरबार नहीं

दारू नशे हिंसा का पैकेज यो चारों तरफ आज छाग्या।

यार नै यार का कत्ल करया मेरा दिमाग तिवाला खाग्या।।

4

एक औड़ नै कुआं दीखै दूजे औड़ खाई मैं धसगे

घणे जण्यां के अरमानों नै ये नाग काले डसगे

बैर ईर्ष्या लोभ मोह जनूँ तो रग रग के मैं बसगे 

हरियाणे के छोरे छोरी कसूते भंवर के मैं फ़सगे

मैडीकल ऊपर सोचो मिलकै रणबीर सवाल यो ठाग्या।।

यार नै यार का कत्ल करया मेरा दिमाग तिवाला खाग्या।।


145)

किसी आजादी

देश मैं किसी आजादी आई, गरीबों कै और गरीबी छाई

अमीरों नै सै लूट मचाई , म्हारी पेश कोए ना चलती।।

1

भगत सिंह नै दी कुर्बानी, जनता नै खपाई जवानी

हैरानी हुई थी गोरयां नै, कमर कसी छोरी छोरयां नै

देश बाँट दिया सोहरयां नै,ज्यां म्हारी काया जलती ।।

अमीरों नै सै लूट मचाई , म्हारी पेश कोए ना चलती।।

2

ये गोर गए तो आगे काले, हमनै नहीं ये कदे सम्भाले

चाले कर दिए बेईमानों नै, भूल गए हम इंसानों नै

इन म्हारे देशी हुक्मरानों नै, करदी मूल भूत गलती।।

अमीरों नै सै लूट मचाई , म्हारी पेश कोए ना चलती।।

3

बोवनिया की धरती होगी,सब जातयाँ की भर्ती होगी

सरती होगी नहीं बिरान, खुश होवैंगे मजदूर किसान

भगत सिंह करया ऐलान, अंग्रेजों की ये बात खलती।।

अमीरों नै सै लूट मचाई , म्हारी पेश कोए ना चलती।।

4

मुनाफाखोर देश पै छाये,पीस्से पै सब लोग नचाये

लगाये भाव बाजार मैं, नहीं कसर सै भ्रष्टाचार मैं

इन वायदों की भरमार मैं, आस म्हारी रही छलती।।

अमीरों नै सै लूट मचाई , म्हारी पेश कोए ना चलती।।

5

ये मकान सैं परिवार नहीं, मानस तो सै घरबार नहीं

सरकार नहीं सुनती म्हारी, जाल कसूता बुनती जारी

गरीबों कै आज ठोकर मारी, रणबीर कै आग बलती।।

अमीरों नै सै लूट मचाई , म्हारी पेश कोए ना चलती।।

2008


146)

पढ़ाई लिखाई व्यापार बणादी डब्ल्यूटीओ की सरकार नै।

या फीस कई गुणा बधा दी मारे म्हंगाई की रफ्रतार नै।।

1. स्कूल बक्से ना बक्से कालेज इस बढ़ती फीस के जाल तैं

 कश्मीर तै केरल तक बींधे यो मांस तार लिया सै खाल तै

 चारों कान्ही हाहाकार माचग्या इस आण्डी बाण्डी चाल तैं

 जमा धरती कै मार दिये के तम वाकफ ना म्हारे हाल तै

 एक चौथाई साधण जुटाओ कहवैं लूटो जनता लाचार नै।।

2. यूजीसी कटपुतली बणादी उल्टे नियम बणवाये जावैं

 दो सी बीस फीस थी पहलम तेरां हजार भरवाये जावैं

 दिल्ली यूनिवर्सिटी मैं सात हजार शुरू मैं धरवाये जावैं

 बन्धुओ थारी बढ़ी फीस या लेगी खोस कै म्हारी बहार नै।।

3. दो हजार आटोनोमस कालेज पूरे भारत में चलाये सैं

 नये कोर्स कम्प्यूटर बरगे इनके अन्दर ये खुलवाये सैं

 इन कोर्सों के रूपये लाखां इन कालजां नै भरवाये सैं

 गरीब बालक माखी की ढालां काढ़ कै बाहर बगाये सैं

 युद्ध कान्हीं ध्यान बंटा कै चाहो बढ़ाना इस भ्रष्टाचार नै।।

4. विश्व बैंक के कहने पै बन्धुओ क्यों गोड्डे टेके तमनै

 उनके फायदे खातर क्यों म्हारे फायदे नहीं देखे तमनै

 सब्सिडी खत्म गरीबां की बर्बादी पै परोंठे सेके तमनै

 जनता साथ जान बूझ कै ईब फंसा लिये पेचे तमनै

 रणबीर सिंह की कलम बचावै देश की पतवार नै।।


147)

1

देखो सेहत पढ़ण बिठाई , या पढ़ाई व्यापार बनाई, शासक वर्ग की चतुराई, गरीब अधर मैं लटकै।।

1

यूनिवर्सिटी वीसी आज होग्या मानस पक्का सरकारी

उसकी क्वालिफिकेशन होवै हो माणस पूरा दरबारी

इज्जत प्रोफेसर की घटाई, अध्यापकां की श्यामत आई, नकल चारों तरफ छाई, छात्र अंधेरे बीच भटकै।।

2

लड़कियों का बाहर जाणा बहुत घणा मुश्किल होज्या

मूंह मैं घालण नै हो ज्यावैं लड़की होंश हवाश  खोज्या

हिम्मत करकै आगै आई, करना चाहती सभी पढ़ाई, कांधा मिलाकै लडें लड़ाई, बदहाली दिल मैं खटकै।।

3

छात्र युवा महिला मिलकै विचार सभी करण लागे

इनके विचार सुणकै नै ये धन के लोभी डरण लागे

बढ़िया मिलै सबनै पढ़ाई, मिलकै सोचां लोग लुगाई, युवा लड़की करैं अगवाही, लड़के साथ देवैं डटकै।।

4

किसानों बरगी लहर चलावैं हम सारे  हिंदुस्तान मैं

मानवता की भावना हो पैदा भारत के हर इंसान मैं

हिंदुस्तान लेवै अंगड़ाई,सबकी होवै आड़े सुनवाई, नहीं जागे तो होवै पिटाई,रणबीर का दिल चटकै।।


148)

सिर भी म्हारा जूती म्हारी गंजे बणा कै छोड़ दिये।।

नया टोरड़ा एक ना लाया पुराने औटड़े फोड़ दिये।।

1

डंकल खागड़ खड़या सुंसावै खुर्रियाँ माट्टी ठावै

आण बड़या जै म्हारी सीम मैं वो बैरी घणी गस खावै

भारत का बुलध रम्भावै खडडुआं नै कर गठजोड़ लिए।

नया टोरड़ा एक ना लाया पुराने औटड़े फोड़ दिये।।

2

खागडां तैं बचावण खातर यो पेटेंट कानून बनाया

ठारा साल तै करी रूखाली नहीं डंकल नै भी डां ठाया

विश्व बैंक नै ईसा फंसाया म्हारे गोड्डे कसूते तोड़ दिये।।

नया टोरड़ा एक ना लाया पुराने औटड़े फोड़ दिये।।

4

मेरी यूनियन सभा सै तेरी बन्द करां इस तकरार नै

कट्ठे होकै संघर्ष करां मार दिए राज दरबार नै

तेज कर लड़ाई की धार नै  खागडां के मूंह मोड़ दिये।।

नया टोरड़ा एक ना लाया पुराने औटड़े फोड़ दिये।।

कई खड़डू म्हारे देश मैं खागडां तैं हाथ मिलारे सैं बुलधां का जी काढ़ण नै सतरंगा जाल बिछारे सैं

रणबीर ये बांटना चाहरे सैं लगा सारा निचौड़ लिए।।

नया टोरड़ा एक ना लाया पुराने औटड़े फोड़ दिये।।


149)

जनसंख्या

जनसंख्या क्यों बधगी भाई मिलकै मन्थन करना होगा।

असल सच्चाई के सै भाई कान खोल कै सुनना होगा।।

1. अट्ठासी करोड़ कमेरे बताये म्हारे प्यारे भारत देश मैं

  इतने कम्प्यूटर बेकार पड़े गोली खा मरैं क्लेश मैं

  क्यों पाछै रैहगे रेस मैं हमनै आज समझना होगा।।

2. जनसंख्या घटानी हो तै गरीबी मार भगानी होगी रै

  गरीबी मां बढ़ती आबादी की ईंकै आग लगानी होगी रै

  घर घर अलख जगानी होगी रै ना तै दुख भरना होगा।।

3. कुणबा उतना पलज्या जितना या जानै दुनिया सारी

  मिलज्या खाणा और दवाई नहीं होवै कोए बी लाचारी

  फेर क्यों जनता बढ़ती जारी सवाल खड़या करना होगा।।

4. अनपढ़ता बेकारी और गरीबी तीनों ही मां जाई ये

  जनसंख्या बढ़ती इनके कारण रणबीर नै बात बताई ये

  इतनै लड़नी आज लड़ाई ये नहीं हमनै डरना होगा।।


150)

घड़ा भर लिया पाप का एक दिन फूटैगा जरूर।

मेहनतकश पड़ कै सोग्या कदे तो उठैगा जरूर।।

1 पगडंडी की राज भवन तै आज खुलकै तकरार ठनी

  दलित की गर्दन के उपर आज नंगी तलवार तनी

  अमीरी जालिम हर बार बनी एक दिन टूटैगा गरूर।।

2 महलां मैं रहै उजाला म्हारे घर मैं काली रात रहै

  जनता भोली सड़कां उपर गुण्डागर्दी की लात सहै

  जो नहीं साची बात कहै कदे धूल चाटैगा जरूर।।

3 बिके लिखारी गुण गावैं गलत नै सही ठहरावैं

  दस नब्बै का असली खेल ना  साची बात बतावैं

  जोंक खून नै पी ज्यावैं कदे पैंडा छूटैगा जरूर।।

4 अनपढ़ता बेकारी और गरीबी तीनों ही मां जाई ये

  अनपढ़ता कै दे ले घेरा ना मुश्किल फेर लड़ाई ये

  रोड़ा अटकावैंगे कसाई वे यो डूंडा पाटैगा जरूर।।


151)

फागण

यो बख्त फागण का आग्या, जोश मेरे गात मैं छाग्या।

मनै यो जान्ता जाड़ा भाग्या, देखूं तेरी बाट पिया।।

1. 

 सांझै लुगाई कट्ठी होज्यां सैं, म्हां बीच कै ताने देज्यां सैं

  तेरे बिन कोए फाग नहीं, आच्छा लागै कोए राग नहीं

  मेरे बरगा कोए निरभाग नहीं, सबकी ओटूं डाट पिया।।

2. 

 तेरी फौज मेरी ज्यान का गाला, अफसर तेरा सै घणा कु

  मैं भेज द्यूंगी तार फौजी, ना करिये जमा वार फौजी

  भली मिली तनै नार फौजी, नहीं किसे तैं घाट पिया।।

3. 

  दुलहन्डी दोनों मिलकै खेलांगे, दुख दरद हम सब झेलांगे

  घणा बुरा जमाना आरया सै, माणस नै माणस खारया सै

  चमन मैं धुमां छारया सै, इसनै आकै छांट पिया।।

4. 

  सास बहू हम मिलकै रहवां, हाथ जोड़ बस इतना कहवां

  करिए थोड़ा सा ख्याल तूं, हो ल्याइये लाल गुलाल तूं

  ले लिए म्हारी सम्भाल तूं, करै रणबीर ठाठ पिया।।


152)

पिया मेरै या सुस्ती तेरी घणी कसूती रड़कै हो

कर दिया शरीर खोखला भीतर दारू नै बड़कै हो

1

टाट बिछा ताश खेलना इसकी आदत कसूत पड़ी

घर के काम जाओ धाड़ कै सुनीता देखें जा बाट खड़ी

मेरे ऊपर जमावै तड़ी बिन बात घणा फड़कै हो।।

2

खेत जमा नहीं कमावै सूकी पड़ी रहवै क्यारी या

नाला साफ नहीं करता कमी पाणी की भारी या

तेरी चिंता खारी या सोच कै कालजा धड़कै हो।।

3

गाम मैं पड़ौसी छोरी उसपै गेरी नजर बुरी सै

नंगी तस्वीर खींच उसकी चलाई क्यों छुरी सै

न्यों नैया कद पार तिरी सै बुरी संगत मैं पड़कै हो।।

4

चुगली करना ठाली घूमना इब तनै यो सीख लिया

सांस चढज्यां खांसी आवै रणबीर बंडल दो फूंक दिया 

मन घणा ढीठ किया बात जावै कानां के जड़कै हो।।

153)

गुप्ती घा जिगर मैं होगे पीकै दारु सतावै मतना।।

निर्दोषी से कुणबा तेरा इसके दोष लगावै मतना।।

1

पीकै दारु पड़या रहै कटती नहीं दिन रात पिया  

बिना बात तूँ करै पिटाई दुख पावै सै गात पिया

घर की इज्जत खोदी तनै और बट्टा लगावै मतना।।

निर्दोषी से कुणबा तेरा इसके दोष लगावै मतना।।

2

बुरे कर्म रोज करै सै तनै कति शर्म नहीं आवै

चोरी जारी ठगी सीखी चोर कै पिस्से ले ज्यावै 

तेरी के मैं धोक मारूं मान सम्मान घटावै मतना।।

निर्दोषी से कुणबा तेरा इसके दोष लगावै मतना।।

3

क्यूँ दारू पी गल्तान रहै दिल अपने की बात बता 

तड़कै शुरू होज्या नहीं देखै दिन और रात बता

होवण सै कुनबा घाणी और गलती खावै मतना।।

निर्दोषी से कुणबा तेरा इसके दोष लगावै मतना।।

4

तेरी दारू कारण आज पड़गे बालकां नै धक्के खाणे

क्यूँ दारू की खातिर बेचे ये बर्तन भांडे तनै बिराणे

रणबीर मौत के मुंह मैं जिंदगी म्हारी धकावै मतना।।

निर्दोषी से कुणबा तेरा इसके दोष लगावै मतना।।


154)

सांझ नै दिलबाग आया तो पेटैंट पै बात सुरू होगी अर राजो उसपै बूझण लागी -

 बतादे करकै ख्याल पिया, यो पेटैंट के जंजाल पिया,

 उठती दिल मैं झाल पिया, यो करें कैसे कंगाल पिया,

 सै योहे मेरा सवाल पिया, मनै जवाब दिये खोल कै।

 समिति नै जलसा करकै ये सारी बात बताई हो,

 सन पैंतालिस तै पहल्यां गोरयां नै लूट मचाई हो,

 आच्छी कहे सरकार पिया, समिति करै इन्कार पिया,

 अमरीका बदकार पिया, बणाया देश बजार पिया,

 क्यों बढ़ती तकरार पिया, मनै जवाब दिये तोल कै।

 बढ़िया से पेटैंट घणा, मन मेरा तै मानै कोण्या हो,

 यो कैसे बढ़ै निर्यात पिया, घटै कैसे आयात पिया,

 क्यूकर बचै औकात पिया, म्हारी चढ़ी सै श्यात पिया,

 क्यों मारग्या सन्पात पिया, मनै जवाब दिये टटोल कै।

 खाद पाणी बिजली खुसगे, यो अपणा बीज ना होगा,

 स्कूल यूनिवर्सिटी ऊपर कब्जा, कम्पनी का होगा,

 फेर ना मिलै दवाई पिया, घणी बढ़ै म्हंगाई पिया,

 किसनै रोल मचाई पिया, जनता झूठ भकाई पिया,

 क्यूकर बचै तबाहि पिया, मनै जवाब दिये बोलकै।


155)

साम्मन  का मिहना आग्या फौजी छुट्टी नहीं आया तो सरोज फौजी की घरवाली एक चिठ्ठी के द्वारा क्या लीख कर भेजती है --------:

साम्मन  आया  बाट दिखा कै तेरा पिया इंतजार मनै  

देखूं सूँ बाट शाम सबेरी तूं आवैगा यो एतबार मनै 

मन मैं उठें झाल घनी याद पाछला साम्मन आया हो 

सारे कुनबे नै तीज मनाई तनै झूला खूब झुलाया हो 

खीर अर हलवा खाया हो तेरे संग बैठ भरतार  मनै

सरतो का घर आला देख्या मिहने की छुट्टी आरया सै

अपनी घर आली  नै वो तै पलकां उप्पर बिठा रया  सै

अनूठा प्यार जतारया सै सूना लागे यो घर बार मनै  

नान्ही नान्ही बूँद पड़ें काले बादल छाये चारों और

जोहड़ भरया मिंह के पानी तै बागां के मैं नाचें मोर 

टूट्न आली सै मेरी डोर  देखी घनी बाट इस बार मनै  

कई बै मोबाइल मिलाया आउट ऑफ रेंज पावै सै

दिल की बात समझ पिया यो रणबीर छंद बनावै सै 

सरोज कितना चाहवै सै ना कदे करया इजहार मनै  --


156)

बाबा फरीद 

बाबा फरीद थारे शहर मैं मनै निराला ढंग देख्या।। 

सूट बूट पहरे औड़ मनै घणा कसूता नंग देख्या।।

1

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई थारी राही चाले थे 

कौन के खावै के पहरै सै नहीं सवाल घाले थे 

हाथां मैं हाथ सबनै डाले थे ना समां तंग देख्या।।

2

आज उसा प्यार मुलाहजा मनै ना दिया दिखाई 

जित सारे कट्ठे हुया करते सुनसान वा जागां पाई 

मानस आज हुया कसाई चोर जारां का रंग देख्या।।

3

फरीद जी थारे कोट नै आज कर कोण बदनाम रहे 

वेहे बणकै थारे रूखाले अपने छिपा काले काम रहे 

खड़का जाम पै जाम रहे शरीफ आदमी दंग देख्या।।

फरीद बता थारी त्याग तपस्या ये कड़ै चली गयी रै 

थारी या मेहनती जनता बता आज क्यों छली गयी रै 

बे कसूर दली गयी रै रणबीर इसके संग देख्या ।।

रणबीर


157)

किसनै किसका के ठा राख्या, मुंह नै फुलाएं हांड रहे।।

जनता तै बनाई काली गऊ ये अमीर बण सांड रहे।।

1

धन काला और काले काम सफेद लबादा औड़ रहे

वैश्वीकरण नै बता दवाई पूरे समाज नै बांड रहे

कदे हवाला यो कदे तहलका कर कांड पै कांड रहे।

2

रक्षक बणकै भक्षक आगे समाज का ताणा तोड़ दिया

गुंडागर्दी छाई समाज मैं शरीफ का बाणा छोड़ दिया

आजादी की जंग के मुखबिर, बैठे कुर्सी पै बांड रहे।।

3

शीतल घर ये ठंडी कार होटल पांच सितारा इनके

चित भी मेरी पिट भी मेरी आज पौ बारा इनके

उनके चलैं जहाज हवाई ये बण उनके भांड रहे।।

4

पीस्सा छाग्या दुनिया मैं आज कब्जा बाजार करग्या

अमीर घणा अमीर होग्या गरीब ज्यान तैं मरग्या

रणबीर बरोने आले कै तोहमद अमीर मांड रहे।।


159)

वायदा करकै नाटै, उंका ना पूरा पाटै।

डाहल नै खुद काटै, पीटें जावै लकीर नै।।

वो हमेश झूठ का साथ होसै

सोच उसकी जमा बासी होसै

वो माणस पापी हो, करै अपना धापी हो

थाह ना जा नापी हो, बात कही कबीर नै

ना बात बतावै दिल की कदे,

ना बात करै अकल की कदे,

हो करम का मुआ, वो लालच का कुआ

जहरी उंका सुआ, करै खतम शरीर नै।।

डाहल नै खुद काटै, पीटें जावै लकीर नै।।

विज्ञान का बैरी कसूता होसै,

इनै बरतै खूब नपूता वोसै,

तकनीक नै बरतै, पीस्सा खूबैए खरचै

औरां नै ओ बरजै, सराहवै सै अमीर नै।।

डाहल नै खुद काटै, पीटें जावै लकीर नै।।

ओ बनी बनी का यार सबका

चोर चार ठग जितना तबका

झूठ पै ऐश करता, फेर बी ना भरता

कहे बिना ना सरता, बरोनिया रणबीर नै।।

डाहल नै खुद काटै, पीटें जावै लकीर नै।।


160)

एक रागनी छोटे परिवार के हालात के बारे--

टेक- जमा छोटा सा परिवार म्हारा, फेर बी क्यों नहीं ठीक गुजारा।

यो चढ़ग्या सै करजा भारया , ज्याण मरण मैं आयी हे।।

1

मेहनत से हर काम किया , नहीं दो घड़ी आराम किया

किया गुंडयां नै जीणा हराम , इनकै लगावै कोण लगाम

डर लाग्या रहै सुबह शाम, इसे फ़िकर नै खाई हे ।।

2

हम दो हमारे दो का सै नारा यो, फेर बी घर सुखी ना म्हारा क्यों

न्यूं मनै कोये समझादयो नै, सारा खोल कै बता दयो नै

रोग की जड़ दिखला दयो नै, क्यों होती नहीं सुनायी हे।।

3

एक बेटा पढ़ता हिसार मैं , ओ पड़ता दो ढ़ाई हजार मैं

घरबार मैं मेर रही नहीं, मन की म्हारे ताहिं कहि नहीं

दिखती करज की बही नहीं, ब्याज नै करी तबाही हे।।

4

दूजा बेटा करै पढ़ाई न्यारी, बदेशी कम्पनी उनै बुलारी

भारी संकट मिलने का होग्या , बेरा ना प्यार कड़ै म्हारा खोग्या

म्हारै नश्तर घणे चुभोग्या ,न्यूँ घणी बेचैनी छाई हे।

5

म्हारा बाबू जी सै पंजाब मैं, नहीं रहता किसे की दाब मैं 

जनाब मैं कोये भी कमी ना सै, फेर भी चढ़ी म्हारै खता सै

रणबीर किसनै पता सै, क्यूं चढ़री करड़ाई हे।।


161)

बढां अगाड़ी भाईयो लड़ण का मौका है फिलहाल

हाथ दिखादयां मजदूर किसान।।

पूंजीपति का सामना करना है, संघर्ष कर आगै बढ़ना है, एका बनाकर चलना है, कर एक दूजे का ख्याल

हाथ दिखादयां मजदूर किसान।।

अपने हकां ऊपर हम भिड़ जावाँ, बेड़ी तोड़ आगै बढ़ पावां, नक्शा देश का बदलकै दिखावां, ठाकै तिरंगा तत्काल

हाथ दिखादयां मजदूर किसान।।

म्हारे हकां नै पूंजीपति दबावैं सैं, ये काले क़ानून बनवावैं सैं, म्हारी कमाई लूटना चाहवैं सैं, ये पूंजीपति चंडाल

हाथ दिखादयां मजदूर किसान।।

मजदूर किसान का नारा सै, यो हिंदुस्तान सबका प्यारा सै,मजबूत रणबीर भाई चारा सै,मुक्ति की उठें सैं झाल

हाथ दिखादयां मजदूर किसान।।

162)


हिमा दास ने 20 दिन में 6 गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया। 

हिमा दास नै छह गोल्ड मेडल जीतकै करकै कमाल दिखाया ।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

1

आसाम की रहने आली हिमा नै अपना 

घरबार छोड़ना पड़या 

घरवालों नै घर छोडन पै कर दिया पूरा

एकबै बबाल खड़या

कोच नै समझ कै सारा मामला हाथ पैर जोड़ कै मनाया।। 

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

2

हिमा दास करकै दौड़ रोजाना सहज सहज बढ़ी आगै 

निपोन कोच नै कई गुर सिखाए उसतै 

ज्यांतैं कढ़ी आगै

गरीब परिवार की बेटी हिमा दास नै 

पसीना खूब बहाया।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

3

बीस दिन मैं छटा गोल्ड जीत लिया मचाया रूक्का सारै 

सारे एशिया मैं चर्चा होगी उसकी सुन दिल खिलगे म्हारे

हिमा दास नै इतिहास रच दिया देखो

देश का मान बढ़ाया।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

4

जितना सम्मान चाहिए मिलना हिमा नै

कहते मिल्या कोण्या

सरकार का खजाना पूरे दिल तैं उसपै 

कहते खुल्या कोण्या

कहै रणबीर सिंह शाबाश हिमा दास दिल लाकै छंद बनाया।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।


163)

अमेरिका नचा रहा है और आगे और नचाएगा। क्या बताया भला------------  

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

आत्मनिर्भरता का नारा यो कष्ट क्यों झेल रहया ।।

1

ड्रोन विमान खरीदण नै अमरीका का दौरा करया 

एफ सोलां भारत मैं बणै उसनै यो एजेंडा धरया 

जूनियर सैन्य पार्टनर कहै हमनै वो धकेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

2

म्हारी सरकार खुशी तैं पुगावै अमरीका के फरमान 

अमरीका बनकै तानाशाह करता देशों का अपमान 

सेना के खुफिया तंत्र मैं अपने एजेंट धकेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

3

अमरीका चाहवै सैन्य रिश्ते अपनी ढाल के भाई

गोड्डे टिकवाकै मानैगा वो चलावैगा अपणी राही

अपणे हथियार बेचण नै घाल म्हारै नकेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

4

विश्व शांति के पैमाने हथियार विक्रेता बतावै रै

अपणी कीमत पै बेचकै घणी लूट यो मचावै रै

कहै रणबीर अमरीका म्हारे रक्षा तंत्र नै ठेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।


164)

पन्दरा अगस्त आजादी का दिन --एक लेखा जोखा 


कितने गये काला पानी कितने शहीद फांसी टूटे रै।।

पाड़  बगा दिए  गोरयां के गढ़ रे थे जो देश मैं खूंटे रै ।।

1

पहली आजादी की जंग थारा सो सतावन  मैं लड़ी थी 

बंगाल आर्मी करी बगावत जनता भी साथ भिड़ी थी 

ठारा  सौ सतावन के मैं जान क्रांति के बम्ब फूटे रै ।।

2

भगत सिंह सुख देव राजगुरु फांसी का फंदा चूमे 

उधम सिंह भेष बदल कै लन्दन की गालाँ  मैं घूमे 

 चंदर शेखर आजाद सहमी गोरयां के छक्के छूटे रै।।

3

सुभाष चंदर बोश नै आजाद हिंद फ़ौज बनाई थी 

महिला विंग खडी करी लक्ष्मी सहगल संग आई थी 

दो  सौ साल राज करगे ये किसान मजदूर लूटे रै ।।

4

गाँधी की गेल्याँ जनता जुडगी हर तरियां साथ दिया  

चाल खेलगे गोरे फेर बी देश मैं बन्दर बाँट किया 

बन्दे मातरम अलाह हूँ अकबर ये हून्कारे उठे रै ।।

5

सोच घूमै इब्बी जिसने देख्या खूनी खेल बंटवारे का 

लाखां घर बर्बाद हुए यो क़त्ल महमूद मुख्त्यारे का 

दो तिहाई नै आज बी रोटी टुकड़े पानी संग घूंटे रै ।।

6

छियासठ साल मैं करी तरक्की नीचे तक गई नहीं 

ऊपरै ऊपर गुल्पी आजादी नीचै जावन दई नहीं 

रणबीर सिंह टोह कै ल्यावै खुये मक्की के भूट्टे  रै ।।


165)

31 जुलाई 2022 को तीज है, इस मौके की एक रागनी 

लाल चूंदड़ी दामण काला, झूला झूलण चाल पड़ी।

कूद मारकै चढ़ी पींग पै देखै सहेली साथ खड़ी।।

झोटा लेकै पींग बधाई, हवा मैं चुंदड़ी लाल लहराई

उपर जाकै तले नै आई, उठैं दामण की झाल बड़ी।।

पींग दूगणी बढ़ती आवै, घूंघट हवा मैं उड़ता जावै

झोटे की हिंग बधावै, बाजैं पायां की छैल कड़ी।।

मुश्किल तै आई तीज, फुहारां मैं गई चुंदड़ी भीज

नई उमंग के बोगी बीज, सुख की देखी आज घड़ी।।

रणबीर पिया की आई याद, झूलण मैं आया नहीं स्वाद

नहीं किसे नै सुनी फरियाद, आंसूआं की या लगी झड़ी।।


166)

23 जुलाई जन्म दिन के मौके पर 

क़िस्सा चन्द्र शेखर आजाद 

वहां शहर में चन्द्रशेखर सहज सहज क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आ जाता है। सुखदेव, राजगुरु, शिव वर्मा, भगतसिंह के साथ उसका तालमेल बनता है। वह आजादी की लड़ाई का एक बहादुर सिपाही का सपना देखने लगता है। वह अपनी जिन्दगी दांव पर लगाने की ठान लेता है। क्या बताया फिर-


तर्ज: चौकलिया


चन्द्रशेखर आजाद नै अपणी जिन्दगी दा पै लादी रै॥

फिरंगी गेल्या लड़ी लड़ाई उनकी जमा भ्यां बुलादी रै॥


फिरंगी राज करैं देश पै घणा जुलम कमावैं थे

म्हारे देश का माल कच्चा अपणे देश ले ज्यावैं थे

पक्का माल बना कै उड़ै उल्टा इस देश मैं ल्यावैं थे

कच्चा सस्ता पक्का म्हंगा हमनै लूट लूट कै खावैं थे

भारत की फिरंगी लूट नै आजाद की नींद उड़ादी रै॥

किसानां पै फिरंगी नै बहोत घणे जुलम ढाये थे

खेती उजाड़ दई सूखे नै फेर बी लगान बढ़ाये थे

जो लगान ना दे पाये उनके घर कुड़क कराये थे

किसानी जमा मार दई नये नये कानून बनाये थे

क्रान्तिकारियां नै मिलकै नौजवान सभा बना दी रै॥

जात पात का जहर देश मैं इसका फायदा ठाया था

आपस मैं लोग लड़ाये राज्यां का साथ निभाया था

व्हाइट कालर आली शिक्षा मैकाले लेकै आया था

साइमन कमीशन गो बैक नारा चारों कान्हीं छाया था

म्हारी पुलिस फिरंगी नै म्हारी जनता पै चढ़ा दी रै॥

जलियां आला बाग कान्ड पापी डायर नै करवाया था

गोली चलवा मासूमां उपर आतंक खूब फैलाया था

मनमानी करी फिरंगी नै अपना राज जमाया था

जुल्म के खिलाफ आजाद नै अपना जीवन लाया था

रणबीर नै तहे दिल तै अपणी कलम चलादी रै॥


167)

साम्मन  का मिहना आग्या फौजी छुट्टी नहीं आया तो सरोज फौजी की घरवाली एक चिठ्ठी के द्वारा क्या लीख कर भेजती है --------:

साम्मन  आया  बाट दिखा कै तेरा पिया इंतजार मनै  

देखूं सूँ बाट शाम सबेरी तूं आवैगा यो एतबार मनै 

मन मैं उठें झाल घनी याद पाछला साम्मन आया हो 

सारे कुनबे नै तीज मनाई तनै झूला खूब झुलाया हो 

खीर अर हलवा खाया हो तेरे संग बैठ भरतार  मनै

सरतो का घर आला देख्या मिहने की छुट्टी आरया सै

अपनी घर आली  नै वो तै पलकां उप्पर बिठा रया  सै

अनूठा प्यार जतारया सै सूना लागे यो घर बार मनै  

नान्ही नान्ही बूँद पड़ें काले बादल छाये चारों और

जोहड़ भरया मिंह के पानी तै बागां के मैं नाचें मोर 

टूट्न आली सै मेरी डोर  देखी घनी बाट इस बार मनै  

कई बै मोबाइल मिलाया आउट ऑफ रेंज पावै सै

दिल की बात समझ पिया यो रणबीर छंद बनावै सै 

सरोज कितना चाहवै सै ना कदे करया इजहार मनै

168)

म्हारे प्रदेश हरयाणा नै तरक्की का ढूंह मार दिया।।

सौ मैं तैं नबै तो भूखे हांडै दस कसूता सिंगार दिया।।

1

दारू के ठेके गाम गाम मैं रोज तरक्की कररे देखो

पिला पिला दारू मिला पाणी अपने घर भररे देखो

फ्लाई ओवर खूब बनाये लगा टैक्साँ  का अंबार दिया।।

सौ मैं तैं नबै तो भूखे हांडै दस कसूता सिंगार दिया।।

2

दोचार जिल्यां मैं दीखै विकास बाकी खड़े लखावैं रै

इलाकावाद जात पात के देखो झंडे खूब फहरावैं रै

भ्रष्टाचार करै रोज तरक्की ईसा तरीका उभार दिया।।

सौ मैं तैं नबै तो भूखे हांडै दस कसूता सिंगार दिया।।

3

तरां तरां की कार घूमती कई तरां के ठेकेदार देखो

सारी चीज बिकैं चौड़े मैं यो बनाया इसा बाजार देखो

युवा लड़के लड़की सबको बेरोजगारी से सिंगार दिया।।

सौ मैं तैं नबै तो भूखे हांडै दस कसूता सिंगार दिया।।

4

एक हाथ तैं कड़ थेपड़ दें दूजे हाथ तैं फंदा डाल रहे

विकास की नहीं आज ये विनाश की राही चाल रहे

रणबीर जो बोल्या साहमी वो पुचकार कै दुत्कार दिया।।

सौ मैं तैं नबै तो भूखे हांडै दस कसूता सिंगार दिया।।


169)

साथियो सुनियो 

भोर तै कितै खोगी यो हुया घनघोर अंधेरा ।। 

ढ़बियो रूकियो ना एक दिन होवैगा सबेरा ।।

1

बेरोजगारी बढ़ती जावै जुमलयां का औड़ ना

कमेरयो करियो एकता इसका और तौड़ ना

बिना एकता जी काढ़ै म्हारा पूंजीपति लुटेरा।।

ढ़बियो रूकियो ना एक दिन होवैगा सबेरा ।।

2

लूट म्हारी थारी देश मैं यो बढ़ाता जावै भाई

क्युकर खेल रचावै ना म्हारी समझ मैं आई

समाज का ताणा बाणा बखेर दिया सै भतेरा।।

ढ़बियो रूकियो ना एक दिन होवैगा सबेरा ।।

3

जोर जबरदस्ती रोजाना म्हारी गेल्याँ होवै सै

संस्कृति के नाम ऊपर सूआ कसूता चुभोवै सै

म्हारी कितै बूझ नहीं बढ़या भुखमरी का घेरा।।

ढ़बियो रूकियो ना एक दिन होवैगा सबेरा ।।

4

दिखावे दिखावे रैहगे असली बात रही कोण्या

के कसर रहेगी नाश मैं कति झूठ कही कोण्या

रणबीर पिस्ता जावै सै रोजाना देश मैं कमेरा।।

ढ़बियो रूकियो ना एक दिन होवैगा सबेरा ।।


170)

रेगुलर नौकरी पाना कोन्या कति आसान बताऊँ मैं।।

सी ऍम ऍम पी सब धोरै पाँच साल तैं धक्के खाऊँ मैं।। (टेक)

1

पहलम कहवैं थे टेस्ट पास करे पाछै तूं बताईये

पास करे पाछै बोले पहले चालीस गये बुलाईये

एक विजिट चार सिफरिसी दो हजार तले आऊँ मैं।।

2

सरकारी नौकरी रोज तड़कै ढूंढूं सूँ अख़बार मैं

दुखी इतना हो लिया सूँ यकिन रहया ना सरकार मैं

एजेंट हाँडें बोली लानते कहैं चाल नौकरी दिवाऊं मैं।।

3

एम् सी ए कर राखी कहैं डेटा आपरेटर लवा देवां

कदे कहैं नायब तसीलदार ल्या तनै बना देवां

तिरूँ डूबूं मेरा जी होरया सै पी दारू रात बिताऊँ मैं।।

4

घर आली पी एच डी करै उसकी फिकर न्यारी मन्नै

दोनूं बेरोजगार रहे तो के बनेगी या चिंता खारी मन्नै

रणबीर बरोणे आळे तनै सुनले दुखड़ा सुनाऊँ मैं।।


171)

किसे और की कहाणी कोन्या,

 इसमैं राजा रानी कोन्या,

सै अपनी बात बिराणी कोन्या, 

थोड़ा दिल नै थाम लियो।।


यारी घोड़े घास की भाई, 

नहीं चलै दुनिया कहती आई

मैं बाऊं और बोऊं खेत मैं, बाळक रुळते मेरे रेत मैं

भरतो मरती मेरी सेत मैं, अन्नदाता का मत नाम लियो।।


जमकै लूटै सै मण्डी हमनै, बीज खाद मिलै मंहगा सबनै

मेहनत लुटै मजदूर किसान की, 

आंख फूटी क्यों भगवान की

भरै तिजूरी क्यों शैतान की, देख सभी का काम लियो।।


चाळीस साल की आजादी मैं, कसर रही ना बरबादी मैं

बाळक म्हारे सैं बिना पढाई, मरैं बचपन मैं बिना दवाई

कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई, झूठी हो तै लगाम दियो।।


शेर बकरी का मेळ नहीं, घणी चालै धक्का पेल नहीं

टापा मारें पार पडैग़ी धीरे, मेहनतकश रुपी जितने हीरे

बजावैं जब मिलकै ढोल मंजीरे, 

रणबीर का सलाम लियो।।


172)

म्हारा हरयाणा दो तरियां आज दुनिया के महँ छाया

आर्थिक उन्नति करी कम लिंग अनुपात नै खाया (टेक)

1

छाँट कै मारें पेट मैं लडकी समाज के नर नारी

समाज अपनी कातिल की माँ कै लावै जिम्मेदारी

जनता हुइ सै हत्यारी पुत्र लालसा नै राज जमाया।।

2

औरत औरत की दुश्मन यो जुमला कसूता चा लै

आदमी आदमी का दुश्मन ना यो रोजै ए घर घा लै

समाज की बुन्तर सा लै यो हरयाणा बदनाम कराया।।

3

वंश का पुराणी परम्परा पुत्र नै चिराग बतावें देखो

छोरा जरूरी होना चाहिए छोरियां नै मरवावें देखो

जुलम रोजाना बढ़ते जावें देखो सुन कै कांपै सै काया।।

4

अफरा तफरी माच रही महिला कितै महफूज नहीं

जो पेट मार तैं बचगी उनकी समाज मैं बूझ नहीं

आती हमनै सूझ नहीं, रणबीर सिंह घणा घबराया।।



173)

जहर मोदी मीडिया नै किसानां के खिलाफ फैलाया हे॥

जमीनी हक़ीक़त देख कै मोदी बहोत घणा घबराया हे॥

1.

वार्ता मैं किसान झुके नहीं अपनी मांग पै सही खड़े

सरकार के सारे हथकंडे एकता आगै ओछे पड़े

रोज घड़कै मोदी मीडिया घणी झूठी ख़बर ल्याया हे॥

2.

बढ़िया अनुशासन किसानों का देख दुनिया दंग रैहगी

भाजपा सरकार जानबूझ कै इनकी गेल्याँ क्यूं फैहगी

खिंचगी आर पार की लड़ाई किसान पूरा प्लान सुनाया हे॥

3.

तीन कानून वापसी बिना किसान ना उल्टा जावैगा हे

सांस दिल्ली सरकार कै यो घणे कसूते चढ़ावैगा हे

कर कई मिहनयाँ का इंतज़ाम किसान दिल्ली आया हे॥

4.

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई आपस मैं सब भाई भाई

जवान किसान जनता के ऐके की मिसाल बनाई

रणबीर सिंह सोच समझ कै यो छंद तुरंत बनाया हे।।

174)

अडानी अम्बानी

 टांड पै बिठा जनता नै अम्बानी अडानी लूट रहे ।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

1

मुट्ठी भर तो पावैं नौकरी कई लाख का पैकेज थ्यावै

बीच बीच में एक दो बै यूके फ्रांस के चक्कर लगावै

एम टेक आले पै मजबूरी या चपड़ासी गिरी करावै

बेरोजगारी बढ़ै रोजाना यो नौजवान खड्या लखावै

अडानी अम्बानी की कम्पनी कुछ तो चांदी कूट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

2

एक तरफ विकास का नारा लगता राज दरबारां मैं

कौन फालतू मुनाफा कमावै होड़ लगी साहूकारां मैं

इनके तलवे चाटें जावैं ये ना फर्क कोये सरकारां मैं

संकट इस विकास करकै आया किसानी  परिवारां मैं

गंभीर संकट के चलते भरोसे जनता के इब टूट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

3

अम्बानी अडानी की लूट इस संकट की जड़ मैं देखो 

झिपाने नै लड़वा जात धर्म पै लठ मरैं कड़ मैं देखो

जात धर्म पै भिड़वा दिए हुए फिरैं अकड़ मैं देखो 

असली नकली म्हारै भी नहीं आये पकड़ मैं देखो

कितै गौमाता कितै गीता पर सिर ये म्हारे फूट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

4

दूसरे देश भी इस लूट मैं बड्डे हिस्सेदार बणे भाई

उनकी पूंजी ले अडानी उनके सूबेदार बणे भाई

एमरजेंसी लागू होगी देशद्रोही थानेदार बणे भाई

काले धन का जिकरा ना उन्के पहरेदार बणे भाई

कुलदीप हम क्यों रोजाना अपमान का पी घूंट रहे।।

फिरैं लड़ाते जात धर्म पै कुछ नेता खुले छूट रहे।।

175)

दिसम्बर 2013 नए साल 2014 पर लिखी एक रागनी 

साइनिंग इंडिया सफरिंग इंडिया अंतर बढ़ता जाता रै।।

क्युकर पाटां इस अंतर नै नहीं कोए मनै समझाता रै।।

1

यो शाइनिंग इंडिया बहोत घणा आगै जा लिया बताऊँ मैं

गुड़गामा नया और पुराना देखल्यो ना जमा झूठ भकाऊं मैं

नए और पुराने का अंतर ना जमा मेरे जिस्यां नै उलझाता रै।।

क्युकर पाटां इस अंतर नै नहीं कोए मनै समझाता रै।।

2

पुराने ढांच्यां तैं लोग घणे दुखी हो लिए हिंदुस्तान के

कई पुरानी सोच ओछी जूती काटै पैरां नै मजदूर किसान के

नए ढांचे कोण्या मिटा पारे यो भ्रष्टाचार घूमै दनदनाता रै।।

क्युकर पाटां इस अंतर नै नहीं कोए मनै समझाता रै।।

3

नए साल मैं नई इबारत जनता लिखनी चाहवै जरूर

जात मजहब तैं ऊपर उठकै भ्रष्टाचार मिटावै जरूर

लड़ाई लाम्बी सै संघर्ष मांगती समों नहीं झूठ बहकाता रै।।

क्युकर पाटां इस अंतर नै नहीं कोए मनै समझाता रै।।

4

सिस्टम एक रात मैं बदळै ईसा इतिहास ना टोहया पावै

सिर धड़ की कुर्बानी मांगै जब कितै खरोंच इसकै आवै

मेरा जी तो ये अंतर कम करने को पूरी तरियां चाहता रै।।

क्युकर पाटां इस अंतर नै नहीं कोए मनै समझाता रै।।

5

बहोत सी उपलब्धियां आज पाछले साल की गिनाई जावैंगी 

ये नाकामियां इतनी घणी सैं इनतैं कति नहीं छिप पावैंगी

आणे आले बख़्त मैं मनै जो दीखै आम जन नहीं देख पाता रै।।

क्युकर पाटां इस अंतर नै नहीं कोए मनै समझाता रै।।

6

फासिज्म नए ब्रांड का आज म्हारे सिर पै आण खड़या भाई

तरल पूंजी के नए डिजाइन पूंजी ला हांगा घडकै ल्याई भाई

रणबीर जूझणा नए साल मैं इसकी झलां गेल्याँ चाहता रै।।

क्युकर पाटां इस अंतर नै नहीं कोए मनै समझाता रै।।



176)

आज काल चौखे ब्योन्त आला खूबै काच्चे काटै भाई रै।।

ऑन लाइन पै काम काढ़ो या किसी स्कीम चलाई रै।।

1

मॉल घणे गजब के खोले मिलै सब किमैं एक छात नीचै

बाहर खड़या खड़या गरीब अपने खाली पेट नै भींचै

ब्यौन्त आला घरां बैठ्या करै बुकिंग जहाज हवाई रै।।

ऑन लाइन पै काम काढ़ो या किसी स्कीम चलाई रै।।

2

अपोलो बरगे फाइव स्टार अस्पताल गजब खोल दिये

इलाज का खर्चा महंगा सुन गरीब के हिये डोल दिये

गरीब मरो सड़कै बेशक कहवण की ये मुफ्त दवाई रै।।

ऑन लाइन पै काम काढ़ो या किसी स्कीम चलाई रै।।

3

एयर कंडीसन्ड जीवन का न्यारा बढ़िया संसार बनाया

स्कूल घर अस्पताल कार सिनेमा सारे कै जाल बिछाया

होटलों मैं चलैं दारू पार्टी उड़ै पिस्से नै धूम मचाई रै।।

ऑन लाइन पै काम काढ़ो या किसी स्कीम चलाई रै।।

4

किसी तरक्की म्हारे देश की थोड़ा सा गम्भीर सवाल यो

गरीब मरै बिन रोटी भूखा नहीं किसे नै इसका मलाल यो

गरीब नै आज अपनी बेचैनी या पूरी दुनिया तैं बताई रै।।

ऑन लाइन पै काम काढ़ो या किसी स्कीम चलाई रै।।

5

सब रंगां का समावेश यो भारत देश हमारा देश होवै 

जात पात और मजहब का आड़ै यो नहीं क्लेश होवै

रणबीर आज सोच समझ कै  करता कलम घिसाई रै।।

ऑन लाइन पै काम काढ़ो या किसी स्कीम चलाई रै।।

जनवरी 2004


177)

खोरी गाँव में लगातार ज़मीन ख़रीदकर बसते रही यहाँ की मेहनतकश आबादी। यह ओखला, बदरपुर और फरीदाबाद औद्योगिक क्षेत्रों में अपना हाड़-माँस गलाती है।

क्या बताया भला---

*वन संरक्षण के कानून लगा कै जुल्म कररी सै सरकार।।*

*बसे फरीदाबाद मैं सालां तैं क्यों उजाड़ रही परिवार ।।*

1

देश भर मैं लाखां हेक्टेयर जंगल कारपोरेट ताहिं उजाड़े

सुप्रीम कोर्ट भी आंख मूंदग्या जब जंगलां के तंबू पाड़े

खोरी की झुग्गी झोंपड़ी तोड़ी हजारां लोग गए लिकाड़े

हरियाणा के शासन नै करे बहोत घणे उन गेल्याँ खाड़े

*कोरोना काल मैं बेघर करने पै ये हुक्म करे बारम्बार।।*

बसे फरीदाबाद मैं सालां तैं क्यों उजाड़ रही परिवार ।।

2

पाछले मिहने की सात तारीख नै फैंसला कोर्ट नै दोहराया

बेदाखली प्रक्रिया पूरी करो छह हफ्ते का टाइम सुनाया

खोरी गांव अरावली पर्वत के जंगलां का हिस्सा बताया

सरकारी जमीन पै अवैध कब्जा पंजाबी कानून दिखाया 

*उजाड़ कै खोरी तैं बसाने का नहीं हुक्म किया दरबार।।*

बसे फरीदाबाद मैं सालां तैं क्यों उजाड़ रही परिवार ।।

3

भूमाफिया नै ये जमीन गैर कानूनी ढंग तैं बेची कहते

सन उन्नीस सौ सत्तर तैं मजदुर बताये खोरी मैं 

रहते

उबड़ खाबड़ जमीन समतल करी दुख दर्द बहोत सहते

दुख हुआ बहोत घणा जिब देखे झोंपड़ी मकान ढहते

*कट्ठे होकै कररे मुकाबला पुलिस की होसै लाम्बी कतार।।*

बसे फरीदाबाद मैं सालां तैं क्यों उजाड़ रही परिवार ।।

4

पांच सितारा होटल बनारे  उनपै सवाल क्यों ना ठाया

फार्म हाउस भी बना राखे जिकरा तक कोण्या आया

दोभांत कानून लागू करने मैं कारण मजदूर समझ पाया

संघर्ष का रास्ता खोरी गांव नै आखिर मैं सै अपनाया

*रणबीर या लाम्बी लड़ाई सै जीतै कमेरा हारैगा साहूकार।।*

बसे फरीदाबाद मैं सालां तैं क्यों उजाड़ रही परिवार।।

178)

आज पांच प्रतिशत और पिचानवे प्रतिशत के बीच की लड़ाई पूरी दुनिया मैं 

अलग अलग रूप से लड़ी जा रही है । इसे समझने की बहुत जरूरत  है । 

क्या बताया भला कवि ने :

पिचानवै और पांच की दुनिया मैं छिड़ी लड़ाई रै ॥ 

पांच नै प्रपंच रच कै पिचानवै की गेंद बनाई रै ॥ 

पांच की ज़ात मुनाफा मुनाफा उनका सै भगवान 

मुनाफे की खातर मचाया पूरी दुनिया मैं घमासान 

मुनाफा छिपाने खातर प्रपंच रचे सैं बे उनमान 

हथियार किस्मत का ले धराशायी कार्या इंसान 

पिचानवै रोवै किस्मत नै पांच की देखो चतुराई रै ॥ 

पांच नै प्रपंच -----------------------------------।। 

पूरे संसार के माँ पांच की कटपुतली सरकार 

फ़ौज इनके इसारे पर संघर्षों पर करती वार 

कोर्ट कचहरी बताये दुनिया मैं इनके ताबेदार 

इनकी रोजाना बढ़ती जा मंदी मैभी लूट की मार 

कितै ज़ात कितै धर्म पै पिचानवै की फूट बढ़ाई रै ॥ 

पांच नै प्रपंच -----------------------------------।। 

सारा तंत्र पांच खातर पिचानवै नै लूट रहया रै 

कमाई पिचानवै की [पर पांच ऐश कूट रहया रै 

पिचानवै बंटया न्यारा न्यारा पी सबर का घूँट रहया रै 

गेर कै फूट पिचानवै मैं पांच खागड़ छूट रहया रै 

आपस मैं सिर फुडावां सम्मान इज्जत गंवाई रै ॥ 

पांच नै प्रपंच -----------------------------------।। 

जब पिचानवै कठ्ठा होकै घाळ अपनी घालैगा भाई 

भ्र्ष्टाचारी पांच का शासन ऊपर तक हालैगा भाई 

ठारा कै बाँटै एक आवै ना कोए अश्त्र चालैगा भाई 

नया सिस्टम खड्या हो इंसानियत नै पालैगा भाई 

कहै रणबीर दीखै ना और कोए मुक्ति की राही रै ॥ 

पांच नै प्रपंच ---------------------------------

179)

चारों कांहीं 

चारों कांहीं तैं लुट पिट लिया अपणा ठिकाणा पाज्या रै।।

जातपात और इलाके ऊपर के थ्याया मनै बताज्या रै।।

छोटू राम नै राह दिखाया बोलना ले सीख किसान रै

दुश्मन की पहचान करकै तोलना ले सीख किसान रै

तीस साल मैं हिरफिर कै कर्जा हट हट कै नै खाज्या रै।।

जात पात और इलाके ऊपर के थ्याया मनै बताज्या रै।।

2

जात गोत इलाके पर किसान कसूते बांट दिए देखो

किसान की कमाई लूट लई सबतैं न्यारे छांट दिए देखो

आज अन्नदाता क्यों सै भूखा कोए मनै समझाज्या रै।।

जातपात और इलाके ऊपर के थ्याया मनै बताज्या रै।।

3

दो किले धरती बची थी बीस लाख किले के लगवाए 

धरती गई चालीस लाख फेर तनै वे भी खा पदकाये

चकाचौंध मची घणी कसूती आंख जमा चुंधियाज्या रै।।

जातपात और इलाके ऊपर के थ्याया मनै बताज्या रै।।

4

पिस्से आले तेरी कौम के क्यों तनै तड़पता छोड़ गए 

किमैं दलाल बने ठेकेदार तेरे तैं क्यों नाता तोड़ गए

कुलदीप किसान सभा मैं सोच समझकै इब आज्या रै।।

जातपात और इलाके ऊपर के थ्याया मनै बताज्या रै।।

फरवरी , 2014


180)

वैज्ञानिक दृषिट

वैज्ञानिक दृष्टि बिन सृष्टि नहीं समझ मैं आवै।

कुदरत के नियम जाण कै समाज आगै बढ़ पावै।।

1

किसनै सै संसार बणाया किसनै रच्या समाज यो

म्हारा भाग कहैं माड़ा बांधैं कामचोर कै ताज यो

सरमायेदार क्यों लूट रहया सै मेहनतकशी की लाज यो

भ्रष्टाचारी की चांदी होरी गरीब नै दुखी करै सै खाज यो 

क्यों ना समझां बात मोटी कूण म्हारा भूत बणावै।।

कुदरत के नियम जाण कै समाज आगै बढ़ पावै।।

2

कौण पहाड़ तोड़ कै करता धरती समतल मैदान ये

हल चला खेती उपजावै उसे का नाम किसान ये

कौण कमेरा चीर कै खोदै चांदी सोने की खान ये

ओहे क्यों कंगला घूम रहया चोर बण्या धनवान ये

करमां के फल मिलै सबनै क्यों कैहकै बहकावै।।

कुदरत के नियम जाण कै समाज आगै बढ़ पावै।।

3

हम उठां अक अनपढ़ता का मिटा सकां अन्धकार यो

हम उठां अक जोर जुलम का मिटा सकां संसार यो

हम उठां अक उंच नीच का मिटा सकां व्यवहार यो

हम उठां अक नहीं बचै  जुल्म करनिया थानेदार यो 

जात पात और भाग भरोसे कोण्या पार बसावै।।

कुदरत के नियम जाण कै समाज आगै बढ़ पावै।।

4

झूठयां पै ना यकीन करां म्हारी ताकत सै भरपूर

म्हारी छाती तै टकरा कै गोली होज्या चकनाचूर

जागते रहियो मत सोइयो म्हारी मंजिल ना सै दूर

सिरजन होरे हाथ म्हारे सैं घणे अजब रणसूर

नया समाज सुधार का रणबीर रास्ता बतावै।।

कुदरत के नियम जाण कै समाज आगै बढ़ पावै।।


181)

मीठी मीठी बात करैं ये पर भीतर तैं काले।।

देशद्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।

1

बण जोंक खून चूसैं वे साहूकार बणे हाँडें सैं 

हम भूखे फिरैं घूमते वे ताबेदार बणे हांडें  सैं

लेरे सैं महल अटारी वे थानेदार बणे हांडें सैं

काल के जो दुराचारी वे दिलदार बणे हांडें सैं

अफवाह फैला देश मैं कर दिए मोटे चाले।।

देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।

2

बढा कै नै महंगाई खागे लोगां नै लूट लूट कै

भ्रष्टाचार भरया नशां मैं इनकी कूट कूट कै

बिन रिश्वत काम ना होवैं रोल्यो फुट फुट कै

अंधविश्वास खावैं देखो साइंस नै चूट चूट कै

वाजीरां के बनें अफसर भतीजे और साले।।

देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले ।।

3

जोंक भेड़िये जो पहले मगरमच्छ देवें दिखाई

ठोक ठोक भरैं तिजूरी कर अन्धधुन्ध कमाई

जनता की नहीं होती आज देश मैं कितै सुनाई 

आठों पहर डर रहवै कदे आज्याँ पापी कसाई

कदे बीफ के शक पै कत्ल कर पाड़ दें चाले।।

देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।

4

काले नाग बने जहरी ये कारपोरेट के व्यापारी

चीनी गैस तेल नाज ये कठ्ठी कर लेते सारी

नागां का के भरोसे कद आज्याँ बाहर पिटारी 

सारा देश डर मैं जीवै ना पै यो हमला जारी 

रहिए संभल कै नै सुण रणबीर बरोने वाले।।

देश द्रोही देश भक्त घणी झूठ फैंकण आले।।


182)

बैर क्यों

इसी कोए मिशाल भाई कदे दुनिया मैं पाई हो।

हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई लाई हो।।

1

राम रहित नानक ईसा ये तो दीखैं नर्म देखो

चमचे इनके हमेश पावैं पतीले से गर्म देखो

याद हो किसे कै बस्ती कदे राम नै जलाई हो।।

हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई लाई हो।।

2

ब्रूनो मारया मारया गांधी धर्म की इस राड़ नै

ये किसे धर्म सैं जित रूखाला खुद खा बाड़ नै

एक दूजे की मारी मारी किसे धर्म नै सिखाई हो।।

हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई लाई हो।।

3

घरां मैं बुढ़ापा ठिठरै मजार पै चादर चढ़ावैं

बिकाउ सैं जो खुद वे ईब म्हारी कीमत लावैं

खड़े मन्दिर मस्जिद सुने बस्ती दे वीरान दिखाई हो।।

हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई लाई हो।।

4

सूरज हिन्दू चन्दा मुस्ल्मि तारयां की के जात

किसकी साजिश ये विचारे क्यों टूटैं आधी रात

रणबीर धर्म पै करां क्यों बिन बात लड़ाई हो।।

हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई लाई हो।।


183)

नशे पते का व्यापार, बढ़ाती जावै सरकार,इतनी कसूती मार, म्हारी समझ नहीं आवै।।

1

अफीम और हीरोइन का भारत घढ बताया 

आज माफिया नशे पते का पूरी दुनिया मैं छाया 

लत कसूती लवा दे यो ,नेता नै मरवादे यो,भुन्डे कर्म करादे यो,म्हारी समझ नहीं आवै।।

2

माफिया नशे पते का कई देशां मैं राज चलावै 

सी आई ए तैं मिलकै यो बहोत ऊधम मचावै 

युवा जमा बर्बाद हों,बहोत घणे फसाद हों , कैसे नशे से आजाद हों,म्हारी समझ नहीं आवै।।

3

एक तरफ दारू ठेके हर रोज ख़ुलाये जावैं

दूजी तरफ नशा मुक्ति केन्द्र रोज चलाये जावैं

जहर पिलाऊ विकास , नहीं हमनै अहसास , विकास नहीं सै विनास ,नहीं म्हारी समझ मैं आवै।।

4

परिवार नै यो नशा खत्म पूरी तरियां करदे

म्हारी जिंदगी अंदर यो जहर कसूता भरदे

सच्ची लिखै सै रणबीर,सही खींचै सै तस्वीर , नशा मारदे सै जमीर, म्हारी समझ नहीं आवै ।।


184)

सारे एकसी बात करैं किसकी मानूं बात पिया ॥

वोट लियाँ पाछै कई मारते कसूती लात पिया ॥

1

म्हारी पढ़ाई उप्पर सब अपने रंग मैं बोलैं

म्हारी कैड़ खड़े होकै थोड़े से बात सही  तोलैं

ये बालक नयों ए घूमैं  कोए नहीं पूछै जात पिया ॥

2

बीमार होज्यां तो इलाज करवाना मुस्किल होवै  

झाड़ फूंक पूजा पाजा गरीब इलाज उड़ै टोहवै

अन्धविसवासी कहै बतावैं म्हारी ऑकात पिया ॥

3

बिना नौकरी पैर भिड़ावैं काला धन खींच रह्या

क्यों खेवनहार आँख इस कांहीं  तैं मींच रह्या

बेकार मानस नै बरतै खूबै या जात पात पिया॥

4

अमीर गरीब की खाई खुबै आज बढ़ायी देख

राम का रोल्ला नहीं सै नीति इसी ए बनाई देख

रणबीर बतावै हमनै कैसे कटै या रात पिया ॥


185)

या जापानी कम्पनी आई , रोहतक मैं फैक्ट्री लाई

कर्मचारियों की करी खिंचाई, करमी एकता जिंदाबाद

1

कर्मचारियों नै कट्ठे होकै अपनी यूनियन बनानी चाही

लीडरों ताहिं कम्पनी नै फेर दिखादी बाहर की राही

कर्मचारियों नै आवाज ठाई, कम्पनी नै धौंस जमाई

कर्मचारियों की छंटनी चाही, करमी एकता जिंदाबाद ।

यूनियन बनाने का हक कम्पनी खोस्या चाहवै सै

जो बोलै उसकी नाड़ या कम्पनी मोस्या चाहवै सै

एक जुट होकै आवाज ठाई, कम्पनी भीतर तैं घबराई

उप्पर तैं सख्ती दिखलाई, करमी एकता जिंदाबाद ।

3

प्रशासन भी कम्पनी की टहल बजाण लग्या भाई 

कम्पनी के इशारे पै कर्मचारी नै धमकाण लग्या भाई

दूसरे मजदूर संघ आये, एकता के नारे लगाये

कर्मचारी के हौंसले बढ़ाये, करमी एकता जिंदाबाद।

4

कर्मचारी अपनी मांगों पै रणबीर ये मजबूत खड़े

ये लालच डर कै साहमी पूरी तरियां सैं हुए खड़े

पुलिस नै करी पिटाई , लड़की गेट पर तैं उठाई

कई कई धारा लगाई, कमरी एकता जिंदाबाद ।


186)

या बढ़गी बेरोजगरी, यो करजा चढ़ग्या भारी, हुई दुखी जनता सारी, महान हुया हरियाणा।

1

म्हारे बालक मरैं बिना दवाई, महंगी होंती जावै पढ़ाई

नाबराबरी साँस चढ़ारी , कारपोरेट अत्याचारी, मीडिया इसका प्रचारी, महान हुया हरियाणा।

2

जात पात मैं बाँटी जनता, विरोध किया तो काटी जनता

किसान की श्यामत आरी, महिला की इज्जत जा तारी, बढ़ती जावै चोरी जारी

महान हुया हरियाणा।

3

झूठे जुमले रोजाना देते,खबर म्हारी कदे ना लेते, 

होंती जा तबियत खारी, जनता हिम्मत नहीं  हारी, शासक हुया भ्रष्टाचारी, 

महान होया हरियाणा। 

4

महिला वंचित सुणल्यो सारे, बिना संघर्ष के नहीं गुजारे

लड़े हैं जीत हुयी म्हारी, जीतैंगे भरतू  भरतारी , यो रणबीर म्हारा लिखारी, 

महान हुया हरियाणा ।


187)

कट्ठे होल्यां

बहोत दिन होगे पिटत्यां नै ईब कट्ठे होकै देख लियो।।

बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।

1

करड़ी मार नई नीतियां की या सबपै पड़ती आवै सै

देश नै खरीदण की खातर बदेशी कंपनी बोली लावै सै

या ठेकेदारी प्रथा सारे कै बाहर भीतर छान्ती जावै सै

बदेशी कंपनी पै कमीशन यो नेता अफसर खावै सै

मन्दिर का छोड़ कै पैण्डा भूख गरीबी पै रोकै देख लियो।।

बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।

2

जड़ै जनता की हुई एकता उड़ै की सत्ता घबराई सै

थोड़ा घणा जुगाड़ बिठाकै जनता बहकानी चाही सै

जड़ै अड़कै खड़ी होगी जनता लाठी गोली चलवाई सै

लैक्शनां पाछै कड़ तोड़ैंगे या सबकी समझ मैं आई सै

ये झूठे बरतन जितने पावैं ताम सबनै धोकै देख लियो।।

बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।

3

हालात जटिल हुये दुनिया मैं समझणी होगी बात सारी

ईब ना समझे तो होज्या नुकसान म्हारा बहोतैए भारी

पैनी नजर बिना दीखै दुश्मन हमनै घणा समाज सुधारी

हम सब की सोच पिछड़ी नजर ना नये रास्ते पै जारी

भीतरले मैं अपणे भी दिल दिमाग गोकै देख लियो।।

बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।

4

जात धरम इलाके पै हम न्यारे-न्यारे बांट दिये रै

कुछ की करी पिटाई कुछ लालच देकै छांट लिये रै

म्हारी एकता तोड़ बगादी ये पैर जड़ तै काट दिये रै

ये देशी बदेशी लुटेरे म्हारे हकां नै नाट लिये रै

रणबीर सिंह दुख अपणे के ये छन्द पिरोकै देख लियो।।

बैर भूल कै आपस का प्रेम के बीज बो कै देख लियो।।


188)

बात पते की 

क्यों दो आंख लेकै भी आंधे हमनै सड़ांध देवे दिखाई ना ।।

बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।

1

ईमानदारी का पाठ पढावें नेता अफसर संसार मैं

इनकम टैक्स  की चोरी करना बालक सीखें परिवार मैं

इस काले धन की बहार मैं दीखे फेर कति सच्चाई ना ।।

बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।

2

ऊपर बैठे अफसर नेता लेरे बदेशी बैंकं मैं खाते ये

जड़ मैं भ्रष्टाचार पणपै तो क्यूकर हारे रहवैं पाते ये 

इननै चाहियें चिमटे ताते ये इनकी कोए और दवाई ना ।।

बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।

3

साठ हजार करौड़ का कर्जा म्हारे देश के अमीरां पै  

सरकार म्हारी चालती देखो इनकी काढी लकीरां पै

हम खंदाये संत और फकीरां पै साच समझ मैं आई ना ।।

बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।

4

दारू सुल्फा नशा खोरी हमतैं  इनकी राही पकड़ा दी

बिना सोचें समझें हमनै भकड़ बाल कै नै दिखा दी 

रणबीर सिंह नै छंद बना  दी या साच जमा छिपाई ना ।।

बिल्ली देख कबूतर आंख मूँद कै कहवै आड़े  बिलाई ना।।

189)

जात नै माणस का माणस बैरी बणा जबर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

1

दो किले आला जाट बी आज जाट सभा की कोली मैं

भूखा मरदा ब्राह्मण बी यो ब्राह्मण सभा की झोली मैं

फिरै भरमता रोड़ बिचारा आज रोड़ सभा की टोली मैं

दलित भी बन्ट्या हुया देखो यो कई रंगों की रोली मैं

जात पात का घणा कसूता दखे विष यो भर राख्या सै ।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

2

जात के रंग ढंग मैं सै या मानवता बाँटण की मक्कारी

कथनी घणी सुहानी लागै सै पर पाई करणी मैं गद्दारी

काली नाग और पीत नाग ये भाई बिठाये एक पिटारी

मुँह मैं राम बगल मैं छुरी भाई सै या बुझी जहर दुधारी

जात्यां के बुगळे भगतां नै यो मिला सुर मैं सुर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

3

ब्राह्मण खत्री वैश्य और शुद्र ये चार वरण बताये सुणो

मनु जी नै फेर वरणां कै जात्यां के पैबन्द लगाये सुणो

गोत नात कबिल्यां भितर बेरा नहीं कद सी आये सुणो

जन्म कारण जात माणस की ग्रन्थ लिख़कै ल्याये सुणो

इसकी आड़ मैं लुटेरे लूटैं माणस बणा सिफर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

4

ढेरयां आला कुड़ता म्हारा या जात पात बताई आज

गेहूं के खेत मैं ऊग्या हुया बथुआ जात सुझाई आज

ठेके कै म्हां लागी सुरसी गिहूँआं की मर आई आज

ये कमेरे दुखी जात्यां मैं नेतावां नै चादर घुमाई आज

काढ बगादे यो कुड़ता इसनै आज कर बेघर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

5

जात छोड़ कट्ठे होंवैं काम करणिये भुखे मरणीये भाई

गोत नात छोड़ कट्ठे हों ये जितने नौकरी चढ़निये भाई

टूचावाद छोडकै कट्ठे हों सब बेरोजगार फिरणीये भाई

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ये मानवता पर चलनिये भाई

म्हारै ना जात किसे काम की कर क्यों सबर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

6

सारी दुनिया रुके देकै नै ईब दो जमात बतारी देख

एक कमेरा जिसकी मेहनत दुनिया मैं रंग दिखारी देख

दूजा लुटेरा जिसनै लूटी म्हारी सजाई दुनिया सारी देख

या पाले बंदी छिपाने खातर चलै जात की आरी देख

म्हारे माल के हम भिखमंगे यो बना आडम्बर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।


190)

अंध विश्वास 

अंधविश्वास नै भारत मैं आज पूरा उछाल दिखाया रै।।

महाकाव्य म्हारे जितने सैं सबको इतिहास बताया रै।।

1

ईश्वर की पूजा करने तैं कहते बच्चे पैदा हो ज्यावैं रै

ब्याह शादी करकै नै क्यों पति पत्नी का रगड़ा ल्यावैं रै

इसे झूठे प्रचार करकै नै यो भारत पूरा भरमाया रै।।

2

लक्ष्मी की पूजा तैं कहते अपरंपार धन मिल ज्यावै रै

फेर व्यापार लेन देन का यो झमेला समझ ना आवै रै

टीवी चैलनां नै दिन रात लक्ष्मी का घणा शोर मचाया रै।।

3

सत्यनारायण कथा तैं कहते सुख संसाधन मिल जाते

फेर काम की तलाश मैं क्यों फिरैं बदेशों तक धक्के खाते

आम जनता नै बेकूफ़ बनाकै राज अपना जमाया रै।।

4

जो किसान पस्सीना बहाकै नै सारे भारत का पेट भरै

जै मींह इंद्र पूजे तैं आवै तो किसान आत्म हत्या क्यों करै

किसान की लूट छिपावण ताहिं अंधविश्वास फैलाया रै।।

5

जै रक्षा सूत्र म्हारी सबकी रक्षा सब क्याहें तैं करता रै

तो धर्म पाखण्डी और यो नेता क्यों कमांडो लियें फिरता रै

समाज सुधारकों नै भी था अपने बखतां समझाया रै।।

6

कहैं लक्ष्मण रेखा खींच दयो उसनै दुश्मन लांघ ना सकै

सेना क्यों लाई सरहद पै इन झूठों तैं सच्चाई ना ढंकै

रणबीर बरोने आले नै सोच समझ कै छंद बनाया रै।।


191)

विवेक

सूरज साहमी कोहरा टिकै ना अज्ञान विवेक मयी वाणी कै।।

अज्ञानता छिन्न-भिन्न होण लगै हो पैदा चिन्तन न्या प्राणी कै।।

1

ढोंग अर अन्ध विश्वास पै टिक्या चिन्तन फेर बचै कोण्या

यज्ञ हवन वेद शास्त्र फेर पत्थर पूजा प्रपंच रचै कोण्या

पुरोहित की मिथ्या बात का दुनिया मैं घमशान मचै कोण्या

मन्द बुद्धि लालची माणस कै विवेकमय दया पचै कोण्या

शिक्षित अनपढ़ धनी निर्धन बीच मैं आवैं फेर कहाणी कै।।

2

आत्मा परमात्मा सब गौण होज्यां सामाजिक दृष्टि छाज्या फेर

समानता एक आधार बणै औरत सम्मान पूरा पाज्या फेर

मानवता पूरी निखर कै आवै दुनिया कै जीसा आज्या फेर

कार्य काररणता नै समझकै माणस कैसे गच्चा खाज्या फेर

माणस माणस का दुख समझै ना गुलाम बणै राजराणी कै।।

3

संवेदनशील समाज होवै ईश्वर केंद्र मैं रहवै नहीं

मानव केन्द्रित संस्कृति हो पराधीनता कोए सहवै नहीं

स्वतंत्रता बढ़ै व्यक्ति की परजीवी कोण कहवै नहीं

खत्म हां युद्ध के हथियार माणस आपस मैं फहवै नहीं

विवेक न्याय करूणा समानता खरोंच मारैं सोच पुराणी कै।।

4

अदृश्य सत्ता का कोझ आड़ै फेर कति ना टोहया पावै

सोच बिचार के तरीके बदलैं जन चेतना बढ़ती जावै

मनुष्य खुद का सृष्टा बणै कुदरत गैल मेल बिठावै

कर्म बिना बेकार आदमी जो परजीवी का जीवन बितावै

रणबीर बरोने आला ना लावै हाथ चीज बिराणी कै।।


192)

एक महिला की पुकार 

खत्म हुई सै श्यान मेरी , मुश्किल मैं सै ज्यान मेरी 

छोरी मार कै भान मेरी , छोरा चाहिए परिवार नै ||

1

पढ़ लिख कै कई साल मैं मनै नौकरी थयाई बेबे 

सैंट्रो कार दी ब्याह मैं , बाकी सब कुछ ल्याई बेबे 

घर का सारा काम करूँ , ना थोड़ा बी आराम करूँ 

पूरे हुक्म तमाम करूँ , औटूं सासू की फटकार नै ||

2

पहलम मेरा साथ देवै था वो मेरे घर आला बेबे 

दो साल पाछै छोरी होगी फेर वो करग्या टाला बेबे 

चाहवें थे जाँच कराई ,कुनबा हुया  घणा कसाई 

मैं बहोत घनी सताई , हे पढ़े लिखे घरबार नै ||

3

जाकै रोई पीहर के महँ पर वे करगे हाथ खड़े 

दूजा बालक पेट मैं जाँच कराण के दबाव पड़े  

ना जाँच कराया चाहूं मैं, पति के थपड़ खाऊँ मैं 

जी चाहवै मर जाऊं मैं , डाटी सूँ छोरी के प्यार नै ||

4

दूजी छोरी होगी सारा परिवार तन कै खड्या हुया 

नाराजगी अर गुस्सा दिखे सबके मुंह जडया हुया  

अमीर के धोरै जाऊं मैं ,अपनी बात बताऊँ मैं 

रणबीर पै लिखाऊँ मैं  , बदलां बेढंगे संसार नै ||


193)

सोनीपत जिले मैं यो सिसाना गाम सुन्या होगा।।

इसे गाम का रहने आला बाजे नाम सुन्या होगा।।

स्कूल चौपाल बनवाये ज्यां बाजे भगत कहवाया 

किस्से रचे कई फेर यो सांग घना बढ़िया रचाया 

इसे गाम का सांगी पंडित मांगे राम सुन्या होगा।।

2

पंडित कृष्ण चन्दर नै भी रागनी लिखी जमकै

किसान मजदूर पै कलम चलती दिखी जमकै

होशियार सिंह का किस्सा तमाम सुन्या होगा ।। 

3

खिलाड़ी वाल्ली बॉल के कई दिए सिसाने नै

कबड्डी टीम छोरियां की तगमे लिए सिसाने नै 

महाबीर खिलाड़ी नै किया कमाल सुन्या होगा ।।

4

इस गाम मैं और भी खास बात पावेंगे देखो 

इनतैं लेकै नै प्रेरणा और भी आगै आवेंगे देखो

रणबीर पै साच कहने का इल्जाम सुन्या होगा।।


194)

मतना खेलो तम म्हारी गेल्याँ खेल यो म्हंगा पड़ज्यागा।।

म्हारे नौजवान साथ आगे उस दिन नक्शा झड़ज्यागा।।

1

म्हारी तबाही लिखी जिनमैं सब नीति इसी बना राखी 

उप्पर तैं कड़ थेपड़ो म्हारी जड़ मैं सुई चुभा राखी 

किसान इब समझै सारी कसूती ढाल यो भीड़ज्यागा ।।

2

इतने तैँ काम ना चल्या न्यारी न्यारी जातां मैं बाँट दिए 

किसानां की कड़ तोड़ दी पर कसूते ढालाँ काट दिए 

हूंकार भर किसान यो राज कै साहमी अड़ज्यागा।।

3

बांटल्यो जात धर्म उप्पर घने दिनां ना पार पड़ैगी

किसान समझै धीरे धीरे हट हट कै मार पड़ैगी

अपणे बचा मैं सोचैगा यो धुर की लड़ाई लड़ज्यागा।।

4

अडाणी और अम्बानी सुणो सुणो बदेशी कम्पनी आल्यो 

किसान लावा बण फूटैगा बच सकै ज्यान तो बचाल्यो

रणबीर ले ल्यो रै सम्भाला ना हाल जमा बिगड़ज्यागा।।

11.5.2015


195)

डॉक्टर दोषी कोन्या

एक करोड़ फीस आज एम बी बी एस की बतावैं सैं।।

दो तीन करोड़ ये एम एस एम डी ताहिं धरावैं सैं ।।

1

स्वास्थ्य का पूरा मामला आज एक व्यापार बनाया सै

इसका दोषी डाक्टर तबका यो गलत प्रचार फैलाया सै

नीतियों नै कहर ढाया यो सेवा नै व्यापार बनावैं सैं।।

दो तीन करोड़ ये एम एस एम डी ताहिं धरावैं सैं ।।

2

चार करोड़ की डिगरियां यो सेवा भाव ख़तम करदें

पांच करोड़ नर्सिंग होम के जले पै नमक छिड़कदें

नीतियां दस करोड़ लुआ कै सस्ता इलाज चाहवैं सैं।। 

दो तीन करोड़ ये एम एस एम डी ताहिं धरावैं सैं ।।

3

स्वास्थ्य पर खर्च सरकारी आए साल घटता जावै

सरकारी ढांचा सेहत सेवा का आज देश मैं लड़खडावै

पेट आयुष्मान के नाम पै  ये बीमा कम्पनी फुलावैं सैं।।

दो तीन करोड़ ये एम एस एम डी ताहिं धरावैं सैं ।।

4

डाक्टर भाईयो समझो चाल यो कारपोरेट क्यों छाया

छोटे नर्सिंग होम बन्द करावै  कारपोरेट इसी नीति ल्याया

रणबीर सोचां गल्त नीति  कैसे सांस 

चढावैं सैं।।

दो तीन करोड़ ये एम एस एम डी ताहिं धरावैं सैं ।।


196)

बर्बाद करण का ठेका क्यूँ सरकार तनै ठाया।।

म्हारी जूती सिर म्हारा खेल समझ नहीं आया।।

1

विकास नाम पै विनाश यो हरियाणे का करया 

अम्बानी और अडानी उनके गैहनै गाम धरया

सड़क फ्लाई ओवर यो टोल प्लाजा सारै छाया।।

2

हरित क्रांति के कारण छोटा हिस्सा धनवान हुया

बाकी का गाम सारा यो बहोत घणा परेशान हुया

चोये मैं कीटनाशक घुलग्या कहर कसूता ढाया।।

3

गाम शहर के स्कूल सरकारी पढ़ण बिठाये रै

ये अस्पताल सरकारी कई जागां खाली पाये रै

यो इलाज हुया महंगा धरती बेच बच्चा बचाया।।

4

नौकरी ताहिं टूटें जूती बालक म्हारे रूलगे रै

ये सिफ़ारसी पीस्से आले लेकै नौकरी पलगे रै

रणबीर बरोने आले नै दिल तैं छंद बनाया ।।


197)

छोरी कै ताप आया था मने देसी काढ़ा प्याया फेर।।

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर।।

डाक्टर नै पूरी जाँच करकै शुरू कर इलाज दिया

हल्का खाना गया बताया बंद कर सब नाज दिया

दवा लिखी चार ढाल की फीस मैं कर लिहाज दिया

गन्दा पानी फैलावे बीमारी बता यो सही काज दिया

ताप फेर बी ना टूट्या पेट मैं दर्द जताया फेर।।

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर।।

2

डाक्टर जमा हाथ खड़े करग्या काली रात अँधेरी थी

बीजल लस्कैं बाल चलती दी बीप्ता नै घेरी थी 

खड्या लाखऊँ बेटी कान्ही जमा अकल मारगी मेरी थी  

वा नयों बोली बाबू बचाले मैं घनी लाडली तेरी थी

गूंठा टेक कै पाँच हजार ब्याज पै मैं लयाया  फेर।।

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर।।

3

चाल गाम तैं बाबू बेटी मेडिकल मैं चार बाजे आये

नर्स डाक्टर सोहरे  थक कै हमने आके नै वे ठाए

सारी बात बूझ कै म्हारी फेर बहोत से टेस्ट कराये 

एक्सरे देख कै वे डाक्टर फेर आपस मैं बतलाये  

परेशान जरूरी सै ताऊ अंत मैं छेद बताया फेर ।।

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर।।

4

पायां ताले की धरती खिसकी हाथ जोड़ कै फ़रमाया

मेरा खून चाहे जितना लेल्यो चाहूं बेटी नै बचाया

एक बोतल  एक माणस तै उसनै यो दस्तूर बताया

ओढ़ानै  मैं जाऊं कडे मने पह्याँ कान्ही हाथ बढाया

डाक्टर पाछे नै होग्या उसनै मैं धमकाया फेर ।।

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर।।

5

पलंग धौरे  बैठ गया मेरी बेटी मेरे कान्ही लखाई

एकदम सिसकी आगी मेरे पै ना गयी आंख मिलाई

डाक्टर नै बेरा ना क्यूकर फेर दया म्हारे पै आई

एक मने देई दो उडे तै बोतल खून की दिलवाई

परेशान सही होग्या डाक्टर नै धीर बंधाया फेर।।

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर।।

6

बीस दिन रहे मडिकल मैं खर्चा तीस हजार होग्या

एक किल्ला पड्या टेकना पर बेटी का उपचार होग्या

मेडिकल  के डाक्टर का सारी उम्र का कर्जदार होग्या

उनकी उड़ऐ  देखी जिन्दगी रणबीर सिंह ताबेदार होग्या

इलाज करवाकै  बेटी का अपने घर नै मैं आया फेर।।

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर।।


198)

चारों कान्हीं तैं खावण लागरे  बची इब कति समाई कोण्या।।

कमेरयां की कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।

1

कुर्बान होज्यांगे पर झुकां नही नयूं मिलकै कसम खाई

किसानी संघर्ष की आवाज आज पूरे देश मैं पहूंचाई

काले कानून मंजूर नहीं हम होण देवैं तबाही कोण्या।।

म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।

2

लूटैं बनकै म्हारे हितेषी इब आंख आज म्हारी खुलगी

तीन काले कानूनों मैं मजदूर भी लुटैंगे या तस्वीर मिलगी

कहते कानून थारे भले मैं हमनै पाई वा भलाई कोण्या।।

म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।

3

किसान मजदूर की कमाई पै अडानी अम्बानी ऐश करैं

म्हारे बालक सल्फास खाकै ये बिन आयी इब मौत मरैं

खावैं हमनै दीमक की ढालां चाहते म्हारी भलाई कोण्या।।

म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।

4

किसान आंदोलन मजदूर एकता जबरदस्त तैयार होगी

कितणी ए लाठी गोली चलाओ ताकतवर एकता हरबार होगी

रणबीर बरोणे आले की रहै पाछै आज कविताई कोण्या।।

म्हारी सारी कमाई लूट लई रास्ता बिना लड़ाई कोण्या।।


199)

संघर्ष भारी

सोच सोच कै हार  गया आज क्यों बढ़गे ये बलात्कारी।।

पहले  भी हुआ करैं थे  नहीं मुंह  खोल्या  करती नारी।।

1

भोग की वस्तु हो सै  नारी ग्रन्थ  हमारे खूब  पुकारे

मर्द के दिमाग मैं विचार ये सैं  सदियों पुराने छाहरे

ईब मुंह खोलन लागी  करतूत थारी  साहमी आरी ।।

2

पूरे समाज मैं खतरा होग्य़ा  कोए बी महफूज नहीं

काले  धन की लीला छागी सच्चाई की बची गूँज नहीं

नंगेपन और हवस की अपसंस्कृति बढ़ती जारी ।।

3

गरीब दलित आदिवाशी घने दिनों तैं  यो झेल रहे

ये शरीफ सभ्य समाज के बना महिला का खेल रहे

दो मिनट मैं ठीक नहीं होवेगी सदियों की चली बीमारी ।।

4

कई स्तर पर रणबीर मिलकै पूरा हांगा लाना होगा  

न्यारे न्यारे बाजे छोड़ कै साझला बाजा बजाना होगा

आज नया नव जागरण विचार संघर्ष  मांगे भारी ।।


200)

मेड एक महीना इन्तजार के बाद  अपनी मैडम के पास जाकर हाथ जोड़कर कहती है- मैडम अब भूख बर्दास्त नहीं हो रही । कुछ करो। क्या कहती है भला-

मैडम जी मेरी बात सुणो मैं थारी शरण मैं आई।।

मिहना होग्या खाली होगे या साची बात बताई।।

1

टोटा खोटा बुरा जगत मैं जीवन दे ना मरण दे

पांच हजार अगाऊ दे बालकां का पेट भरण दे

मत भूखे मरण दे मैडम थारे पै आस लगाई।।

मिहना होग्या खाली होगे या साची बात बताई।।

2

एक मिहने का काल डाउन आटा दाल खत्म होये

कदे पेट दर्द कदे दस्त बाबू बालक दर्द कारण रोये

सारे कष्ट मनै ये ढोये कोरोना नै कहर मचाई।।

मिहना होग्या खाली होगे या साची बात बताई।।

3

किसे के बसकी बात ना कुदरत का यो न्या सै

कुदरत नै पैदा करी या कोरोना वायरस बला सै

मिलकै लड़ा तो भला सै मैं इतना समझ पाई।।

मिहना होग्या खाली होगे या साची बात बताई।।

4

रणबीर कहै मैडम मेरा इतना कहण पुगादयो

तीन हजार की जरूरत इसका साहरा लादयो

म्हारा भूखा घर बसादयो मन की बात सुनाई।।

मिहना होग्या खाली होगे या साची बात बताई।।


201)

फ्लोरेंस नाइ टिनगेल   

फ्लोरेंस नाइ टिनगेल   नै दुखिया का दुःख बांट्या   हे 

वा अपना दर्द भूल गयी दुज्याँ का दर्द काट्या  हे

वर्ल्ड वार मैं घायल फ़ौजी उनकी सेवा खूब करी 

दिन रात कदे ना देखे हथेली उप्पर ज्यान  धरी  

जितने फ़ौजी अस्पताल मैं सबका ए दिल डाट्या हे

दवा पट्टी और देख भाल दिल लगा करी उसनै

निराश फौजियाँ मैं फेर जीने की आश भरी उसनै

लालटेन आली नाइ टिनगेल   का सबनै बेरा पाट्या हे

मानव सेवा मरीज की सेवा रास्ता उन्नै दिखाया हे

मानव प्रेम का सन्देश यो दुनिया के  मैं पोंह्चाया हे

लालटेन तै करी रोशनी अँधेरा जग का छानट्या  हे 

नर्सिंग  प्रोफेशन  को भी दुनिया मैं सम्मान दिवाया

अवरोध घने पार करे यो करकै  नै कमाल  दिखाया 

मानव सेवा तै कदे बी नहीं दिल उसका नाट्या हे ||


202)

नक्सलवाद कितै पाकिस्तान ये जवान म्हारे झोंक दिए 

अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए 

1

शासक तंत्र का खेल दखे नहीं म्हारी समझ मैं आया रै

देश भक्ति के  नाम पै जवान फ्रंट उप्पर लड़वाया रै

खेत मैं किसान दोफारे के मां यो पस्सीने पोंछता पाया रै

सरहद की रुखाली कराई खेत मैं हाँगा लगवाया रै

हक मांगे जिब जिब जनता नै चढ़ा सूली की नोक दिए।

अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए 

2

 दोनूंआं की देश सेवा तैं देखो अम्बानी का पेट फुलवाया 

हमनै आवाज उठाई तो दोनूं फ्रण्टों पै हमें धमकाया 

या किसी देशभक्ति जिसनै आज गरीब संकट बढ़ाया

सोचो जवानों और किसानों तमनै किसका राज बचाया

जिब हम बोलैं तो कहते ये कौन देशद्रोही भोंक दिए।

अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए 

3

बेरा ना कितने किसान म्हारे ज्यान अनसमझी  मैं खोगे

म्हारे देश के भक्त बेरा ना आज कित तान कै सोगे 

हक मांगैं वे देशद्रोही देश लूटैं वे देश प्रेमी होगे

जात पात पै बांट दिए कमेरे ये बीज बिघ्न के बोगे 

म्हारे संघर्षों के सारे रास्ते बांट बांट कै देखो रोक दिए।

अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए 

4

देश द्रोह करणीये वे सैं जो हक छीन रहे किसानों के

देश द्रोही भक्त बणे हांडै आज हिमाती लुटेरे शैतानों के

म्हारे देश प्रेमी किसान क्यों आज शिकार अपमानों के

मुट्ठी भर शैतान क्यों बणे शासक देश मैं इंसानों के 

कहै रणबीर छंद बनाकै ये समझा सही श्लोक दिए ।।

अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए।।


203)

सिस्टम की नीतियां नै बहोत घणा ऊधम मचाया रै।।

सरकारी ढांचा शिक्षा का प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।

1

शिक्षा के सरकारी ढांचे नै शासन तंत्र खराब करै

इसका दोष जान बूझ कै टीचरों ऊपर जनाब धरै

कि तै ढांचे का टोटा कि तै मास्टर हुया बिरान फिरै

सही ढाल का टीचर भी नौकर शाही तैं घणा डरै

दोष टीचरां कै लादया प्राइवेट का धर्राटा ठाया रै।।

सरकारी ढांचा शिक्षा का प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।

एक बात समझलयां सारे जनता की मदद चाहवैगी

सरकारी ढांचा बचाना हो गरीब की जिबै पार जावैगी

नहीं बचे स्कूल सरकारी तो या जनता धक्के खावैगी 

महंगी शिक्षा का बोझ या बताओ किस तरि या  ठावैगी 

भक्षक बणकै रक्षक छागे कसूता माहौल बनाया रै।।

सरकारी ढांचा शिक्षा का प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।

3

यूनिवर्सिटी स्कूल कालेज सब पै हमला बोल दिया

गंगा जमुनी संस्कृति म्हारी उड़ा कसूता मखौल दिया

हिंदुत्व की ताकड़ी मैं बहु धर्मा भारत तोल दिया

जात धर्म पै बढ़ा झगड़े भाईचारे मैं जहर घोल दिया

आम जन की शिक्षा का जान बोझ भट्ठा बिठाया रै।।

सरकारी ढांचा शिक्षा का प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।

4

पढ़ लिख कै बालक कदे बेरा पाड़लें लुटेरों का 

उलझाओ जात धर्म पै जितना बालक कमेरों का 

कमेरे समझे कोन्या बिछ्या जाल यो चोरों का

जय भीम इन्कलाब का नारा लाया जावै चितेरों का

रणबीर सिंह नै जोर लगा अपना कलम घिसाया रै।।

सरकारी ढांचा शिक्षा का प्राइवेट की भेंट चढ़ाया रै।।


204)

मान सिंह मनहेडा गाँव का एक गरीब किसान है | उसकी धर्मपत्नी रिसाल कौर बिल्कुल अनपढ़ है | बेटा कुलदीप मेहनत करके पढ़ा और सोफ्टवेयर इंजिनीयर बन  गया | अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गयी | कंपनी के काम से यु के छः महीने के लिए उसे भेजा जा रहा है | मान सिंह और रिसाल कौर की आपस में बातचीत होती है | तरह तरह के सवाल दिमाग में आते हैं | क्या बताया भला :-

इब छोरा झंडा गाडैगा दूजे देश के महं जा कै  नै॥   

कंपनी भेजै सै उसनै वो  घर भर देगा कमा कै नै॥  

रिसाल कौर नयों बोली भारत मैं ए खा कमा ल्यांगे 

कदे जाकै ना उल्टा आवै थोड़े मैं काम चला ल्यांगे 

छोरा आंख बदलग्या तो मैं मर ज्याँ  फांसी खा कै नै ||

छोरी बयाह दी थयादी इब छोरे की बारी आई 

बेरा ना के के सोच्या सै इब उल्गी साँस ले पाई 

मेम साहब ले आया तो फेर  देखिये एडी ठा कै नै ||

इतना डर क्यूं  मानै यो उसकी जिन्दगी का सवाल 

पुराने ज़माने बदल गये इब आगे नए नए ख्याल 

इमोशनल होयें ना काम चलै चालां  दिल समझा कै नै ||

संस्कारी छोरा सै म्हारा तूं जमा बी घबरावै मतना 

पश्चिमी हवा ना लागन दे तूं रोड़े अटका वै मतना 

कहै रणबीर बखत बदलगे  कदे देखां मुंह बा कै नै  ||


205)

आंगनबाड़ी वर्कर 

आंगनबाड़ी में काम करूं अपनी बीती बताऊं बेबे ।।

काम घणा करणा होवै सै तनख्वाह नाम की पाऊं बेबे ।।

1

मां और बच्चों की सेवा का केंद्र आंगनबाड़ी बताया 

भूख कुपोषण तैं निपटने का यो ग्रामीण केंद्र बणाया

उन्नीस सौ पिचासी मैं यो सरकार नै प्रोग्राम चलाया 

आंगन आश्रय भी कहदें सैं  पूरे हिंदुस्तान के मैं फैलाया 

सार्वजनिक स्वास्थ्य का ढांचा बुनियादी कहाऊँ बेबे।।

काम घणा करणा होवै सै तनख्वाह नाम की पाऊं बेबे ।।

गांव की महिलाओं ने गर्भ निरोध का परामर्श देती 

गर्भनिरोधक सप्लाई करण की जिम्मेदारी भी मैं लेती 

सेफ पीरियड का बेरा ना जानती बैठकै नै मेरे सेती 

कइयों की सुनकै व्यथा कई बै आंख भी मैं भेती

जी करड़ा करकै नै उन ताहिं बात सारी समझाऊं बेबे।।

काम घणा करणा होवै सै तनख्वाह नाम की पाऊं बेबे ।।

और कामा की गेल्याँ यो पोषण शिक्षा काम मेरा 

खून की कमी कइयां मैं  चालती हाण आवै अंधेरा

खाने पीने मैं के खाणा हो कईयाँ नहीं 

इसका बेरा 

बालक कुपोषित मां का भी पीला पड़ता आवै चेहरा 

के के खाना पीना चाहिए कई कई घंटे मैं लाऊं बेबे ।।

काम घणा करणा होवै सै तनख्वाह नाम की पाऊं बेबे ।।

4

सतरां रजिस्टर सम्भालती या बात जरै कौन्या थारै

बुनियादी दवाई भी देनी कई काम ये जिम्मे म्हारै

टीकाकरण की जिम्मेवारी घर घर घूमना होज्या सारै 

छोटे बालकां नै पढ़ाऊँ कामां का यो बोझ मनै मारै

रणबीर और बी दुख घणे किसनै जाकै बताऊं बेबे।।

काम घणा करणा होवै सै तनख्वाह नाम की पाऊं बेबे ।।


206)

नए का पुराना आधार होता है 


नए और पुराने का हमेशा संघर्ष   हुया बताया है। 

पुराने की नीवं पर नया महल बनता आया है। 

1

पुराने को खत्म करके बताओ नया कैसे बनेगा

पुराने की  कमी छाँट के इसकी अच्छाई पे खिनेगा

रीत बहुत पुराणी है कई बार पुराना  घबराया है।  

पुराने की नीवं पर नया महल बनता आया है। 

2

जरूरी नहीं नया भी बढ़िया हो ये सारे का सारा

 इंसानों में खाई करे पैदा वो नया नहीं है हमारा 

जो सबका भला करे वही नया सही ठहराया है। 

 पुराने की नीवं पर नया महल बनता आया है। 

3

तर्क और विवेक ये परखने के औजार बताये 

नियम कुदरत के जाने बिना दुःख नए ने ठाये  

कुदरत के साथ तालमेल से कर कमाल दिखाया है। 

पुराने की नीवं पर नया महल बनता आया है। 

4

मेरे बीरा क्यों लड़ते हो इस नए और पुराने पर

सोच समझ बढ़ो आगे रणबीर सिंह के गाने पर

संघर्ष से  बनता नया दीखती पुराने की भी छाया है।

पुराने की नीवं पर नया महल बनता आया है।


207)

जुल्मी घूँघट 

देवर भाभी की बहस

देवर- के होग्या दो दिन मैं क्यों घणा उप्पर नै मुह ठाया तनै।।

भाभी-दुनिया मैं एक इन्सान मैं भी ढंग तैं जीवणा चाहया मनै।।

           देवर

      बता भाभी गाम की इज्जत यो घूंघट नहीं सुहावै क्यों

      रिवाज नीची नजर तैं जीने का आंख तैं आंख मिलावै क्यों

      उघाड़े सिर चालै गाम मैं सरेआम म्हारी नाक कटावै क्यों

      सीटी मारैं कुबध करैं हाथ भिरड़ां के छते तों लगावै क्यों

      बहू सजै ना घूंघट के बिना बिन बूझें तार बगाया तनै।।

           भाभी

      रिवाजां की घाल कै बेड़ी क्यों बिठा करड़ा डर राख्या

      दुभान्त जिन रिवाजां मैं उनका भरोटा सिर पै धर राख्या

      घूंघट का रिवाज घणा बैरी ईनै पंख म्हारा कुतर राख्या

      कान आंख नाक मुह बांधे ज्ञान दरवाजा बन्द कर राख्या

      घूंघट ज्ञान का दुश्मन होसै पढ़ लिख कै बेरा लाया मनै।।

             देवर

      क्यूकर ज्ञान का दुश्मन सै तूं किसनै घणी भका राखी सै

      तेरै अपनी बुद्धि सै कोन्या चाबी और किसे नै ला राखी सै

      घंूघट तार कै पूरे गाम मैं ईज्जत धूल मैं खिंडा राखी सै

      सारा गााम थू थू करता घर घर तेरी बात चला राखी सै

      उल्टे रिवाज चला गाम मैं यो कसूता तूफान मचाया तनै।।

            भाभी

       ब्याह तैं पहलम तेरे भाई तैं घूंघट की खोल करी थी

       कही और सोच समझल्यां उनै ब्याह की तोल करी थी

       मनै सारी बात साफ बताई इनै ल्हको कै रोल करी थी

       रणबीर सिंह गवाह म्हारा मनै कति नहीं मखौल करी थी

       साची साच बताई सारी देवर कति ना झूठ भकाया मनै।।


208)

संविधान पढ़ण बिठाया

धरम की करकै तेज धार , नफरत की चला कटार

देश दिया धरती कै मार , संविधान पढ़ण बिठाया।।

1

बेरोजगारी घणी आज बढ़ादी यो दुखी फिरै नौजवान

कृषि संकट घणा बढ़ाया फांसी खाता आज किसान

तीन सौ सत्तर के  तार , कश्मीर करया और बीमार

कैब पै करादी हाहाकार , संविधान पढ़ण बिठाया।।

2

जितनी सरकारी कंपनी सबनै बेचण की त्यारी रै

शिक्षा महंगी दवाई महंगी जनता की खाल तरी रै

यो जुमले बाजी का प्रचार , जनता भकाई बारम्बार

निजीकरण की बढ़ा रफ्तार , संविधान पढ़ण बिठाया।।

3

आधार कार्ड के म्हाँकै सबकै सांस कसूते चढ़ाये रै

खाते मोबाईल सारे जरूरी आधार कै बांधने चाहे रै

धर्म जात का ले हथियार , बढ़ाई समाज मैं तकरार

बहु विविधता पै कर वार ,संविधान पढ़ण बिठाया।।

4

एक राष्ट्र और एक भाषा एक संस्कृति का नारा लाया

फासीवादी हिन्दू राष्ट्र का नारा हटकै गया सै ठाया

कमेरे पै चलाकै कटार , कारपोरेट के बन ताबेदार

बदेशी खातर खोले द्वार ,संविधान पढ़ण बिठाया।।


209)

खूनी कीड़े नई सदी के

नई सदी के ये खूनी कीड़े फेर गुलाम बनाया चाहवैं।

संकट फैला के चारों कान्हीं म्हारा मोर नचाया चाहवैं।।

1. पानी खाद बिजली पै सब्सिडी खत्म हुई सारी क्यों

 धरती लाल स्याही मैं चढ़ी दरवाजे खड़ी बीमारी क्यों

 ब्याह शादी मुश्किल होगे बढ़ी ईब बेराजगारी क्यों

 पेट्रोल डीजल महंगे करे ना ढंग की मोटर लारी क्यों

बढ़ा कै बेरोजगारी नै ये म्हारी ध्याड़ी घटाया चाहवैं।।

संकट फैला के चारों कान्हीं म्हारा मोर नचाया चाहवैं।।

2. गिहूं अर चावल देश मैं ये चिड़िया घर मैं टोहे पावैंगे

 दूध शीत बिना ये बालक म्हारे भैंसा कान्ही लखावैंगे

 फसल के मालिक बिदेशी होज्यां दूर बैठ हुकम चलावैंगे

 हम के बोवां अर के खावां देशी बदेशी साहूकार बतावैंगे

 दारू सुलफा स्मैक पिलाकै हमनै कूण मैं लाया चाहवैं।।

संकट फैला के चारों कान्हीं म्हारा मोर नचाया चाहवैं।।

3. दारू बुरी बीमारी जगत के मां जानै दुनिया सारी भाई

 फेर क्यों या काढ़ी जावै सै नुकसान करती भारी भाई

 माफिया पाल ये दारू के करैं फेर फरमान जारी भाई

 म्हारे बालक फंसावैं जाल मैं म्हारा अकल मारी भाई

 लाशां के उपर दारू बेचैं अपणा मुनाफा बढ़ाया चाहवैं।।

संकट फैला के चारों कान्हीं म्हारी मोर नचाया चाहवैं।।

4. अमरीका जापान मैं सब्सिडी हम देते सभी किसानां नै

 इम्पोर्ट ड्यूटी भारया उनकी पिटवाते म्हारे धानां नै

 उड़े कुत्ते बिल्ली मौज करैं मुश्किल आड़ै इन्सानां नै

 कमेरे जमा चूस कै बगाये देशी बिदेशी धनवानां नै

 कहै रणबीर सिंह मुनाफा खोर ये लगाम लगाया चाहवैं।।

संकट फैला के चारों कान्हीं म्हारा मोर नचाया चाहवैं।।


210)

चुहतर साल की आजादी मैं बढ़ी अमीर गरीब की खाई।।

जनता बांटी जात धर्म पै गल्त पकड़ी विकास की राही।।

1

उबड़ खाबड़ खेत क्यार किसानों नै खूब संवारे फेर

माट्टी गेल्यां माट्टी होकै देश के हालात सुधारे फेर

कारखाने चला मजदूरों नै कर दिये वारे के न्यारे फेर

हरित क्रान्ति मजदूर किसान ल्याये भरे गोदाम सारे फेर

बहोत घणे ये डैम बनाये कमेरयों नै बाजी ज्यान की लाई।।

जनता बांटी जात धर्म पै गल्त पकड़ी विकास की राही।।

2

सहज सहज आजाद देश नै दुनिया मैं नाम कमाया

म्हारे युवा लड़के लड़की इननै खेलां मैं दम दिखाया

तरक्की तैं रफतार पकडा़ दी मिलकै नै जोर लगाया

बंटवारा ठीक हुया कोन्या मेहनत कै बांटै थोड़ा आया

मेहनत फिरै सड़कां पै कुछ की तरक्की खूबै ए भाई।।

जनता बांटी जात धर्म पै गल्त पकड़ी विकास की राही।।

3

आजादी के सपने म्हारे सहज सहज ये बिखर गये

मुनाफाखोरां के चेहरे तो भारत देश मैं निखर गये

बहोत तो लागे धरती कै कुछ पहोंच उंचे सिखर गये

मुठ्ठी भर तो ऐश करते वंचित तबके हो सिफर गये

एक तरफ अम्बानी देखो दूजे कान्ही खड़ी धापां ताई।।

जनता बांटी जात धर्म पै गल्त पकड़ी विकास की राही।।

4

लूट खसोट का माहौल ईब सबकै साहमी आया देखो

घोटाले पै घोटाले करैं बेशरमी का आलम छाया देखो

मेहनत कश तो पीस दिया अमीरां उधम मचाया देखो

बन्दर बांट मचा राखी कमेरा गया घणा सताया देखो

कहै रणबीर बरोने आला करुं सूं दिल तैं कविताई।।

जनता बांटी जात धर्म पै गल्त पकड़ी विकास की राही।।


211)

मुंह मेरे पै एसिड फैंक्या सुनियो आप बीती सुणाउं मैं।।

चेहरा कति विकृत होग्या खोल कै किसनै दिखाउं मैं।।

1

यो हादसा हुया साथ मेरी दो हजार पांच में देखो

गरीब घर की बेटी सूं मैं तपी संकट की आंच मैं देखो

खूब घूमी उन दिनां मैं कचहरी की तरफ लखाउं मैं।।

चेहरा कति विकृत होग्या खोल कै किसनै दिखाउं मैं।।

2

इसे बीच मैं मेरे पिता जी म्हारे तैं नाता तोड़ गये

रिस्तेदार भी कई जणे म्हारै आना जाना छोड़  गये

मां रोवै बैठ अकेली बंद कमरे मैं कैसे समझाउं मैं।।

चेहरा कति विकृत होग्या खोल कै किसनै दिखाउं मैं।।

3

भाई कै टी बी होरी देखो मां उसका इलाज करावै कैसै

आमदनी का कोए साधन ना घर का खर्च चलावै कैसै

आंटी म्हारा खर्च औटरी  उसका कैसे कर्ज चुकाउं मैं।।

चेहरा कति विकृत होग्या खोल कै किसनै दिखाउं मैं।।

सात आपरेशन हो लिए मनै हार कति मानी कोन्या

हमदरदों नै मदद करी आंटी का कोए सानी कोन्या

अपने पाहयां खड़ी होकै मिशाल नई दुनिया मैं रचाउं मैं।।

चेहरा कति विकृत होग्या खोल कै किसनै दिखाउं मैं।।

4

उम्र कैद होनी चाहिये सै दस साल की सजा ना काफी सै

दस साल की काट सजा वो तो आकै उल्टा रचावै शादी सै

चेहरे की बदहाली होरी मेरी यो कैसे घरबार बसाउं मैं।।

चेहरा कति विकृत होग्या खोल कै किसनै दिखाउं मैं।।

5

तेजाब की खुली बिक्री रोकै या अरदास मेरी समाज तैं

म्हारे बरगी महिलावां की या फरमास मेरी समाज तैं

इसी पीड़ितां नै मिलै नौकरी रणबीर यो कानून चाहूं मैं।।

चेहरा कति विकृत होग्या खोल कै किसनै दिखाउं मैं।।


212)

कै दिन राज चलैगा रै।

वोट लिए बहकाकै

वोट लिए हम बहकाकै  ईब बिजली के रेट बढ़ाकै

म्हारे तांहिं आँख दिखाकै कै दिन राज चलैगा रै।

1

बिजली कितने घण्टे आवै किसान इसपै विचार करै

कम बिजली की तूँ क्यूँ म्हारे सिर पै तलवार धरै

बिलां के उप्पर धमकाकै बिल धिंगतानै भरवाकै

राज की धौंस दिखाकै  कै दिन राज चलैगा रै।।

2

बिजली की चोरी थारे चमचे रोज हमनै करते देखे

करखनेदारां के एस डी ओ पाणी हमनै भरते देखे

जितनी बिजली होवै पैदा इसतैं किसनै कितना फैदा

बिना कोये कानून कैदा कै दिन राज चलैगा रै।।

3

मुफ़्त बिजली पाणी देऊं एक बै न्यों कैह बहकाये

भरपूर बिजली लगातार मिलै वोट थे तणै गिरवाये

कर्मचारी साथ मिलाकै  बैठ गया कुर्सी पै जाकै

रोज ये झूठी सूँह खाकै एकै दिन राज चलैगा रै।।

4

निजीकरण ना होवण दयूं इनकी घोषणा तणै करी

लारे लप्पे घणे दिए थे जनता नै पीपी तेरी भरी थी

विश्व बैंक तनै धमकावै  तूँ म्हारे पै छोह मैं आज्यावै

रणबीर सिंह छंद बणावै कै दिन राज चलैगा रै।।


213)

टेक.......ये मर्द बड़े बेदर्द बड़े

ना टोह्या पा वै भ्रष्टाचारी औ दिन कद आवैगा ।।

ना दुखी करै बेरोजगारी औ दिन कद आवैगा ।।

1

रोटी कपडा किताब कापी नहीं घाट दिखाई देंगे 

चेहरे की त्योरी मिटज्याँ सब ठाठ दिखाई देंगे 

काम करने के घंटे पूरे फेर ये आठ दिखाई देंगे  

म्हारे बालक बी बणे हुए मुल्की लाट दिखाई देंगे 

कूकै कोयल बागों मैं प्यारी औ दिन कद आवैगा ।।

ना दुखी करै बेरोजगारी औ दिन कद आवैगा ।।

2

दूध दही का खाना हो बालकां नै मौज रहैगी 

छोरी माँ बापां नै फेर कति नहीं बोझ रहैगी 

तांगा तुलसी नहीं रहै दिवाली सी रोज रहैगी 

बढ़िया ब्योहर हो ज्यागा ना सिर पै फ़ौज रहैगी 

ना होवै औरत नै लाचारी औ दिन कद आवैगा।।

ना दुखी करै बेरोजगारी औ दिन कद आवैगा ।।

3

सुल्फा चरस फ़ीम का ना कोए अमली पावै 

माणस डांगर नहीं रहै नहीं कोए जंगली पावै 

पीस्सा ईमान नहीं रहै ना कोए नकली पावै 

दान दहेज़ करकै नै दुःख ना कोए बबली पावै 

होवैं बराबर नर और नारी औ दिन कद आवैगा ।।

ना दुखी करै बेरोजगारी औ दिन कद आवैगा ।।

4

माणस के गल नै माणस नहीं कदे बी काटैगा 

गाम बरोना रणबीर का असली सुर नै छाँटैगा 

लिख कै बात सबकी सबके दुःख नै बांटैगा 

वोह पापी होगा जो आज इसा बनने तैं नाटैगा 

राड़  खत्म हो म्हारी थारी औ दिन कद आवैगा ।।

ना दुखी करै बेरोजगारी औ दिन कद आवैगा ।।


214)

एक आह्वान रागनी 

हम कदम मिलजुलके मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 

हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 

गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 

सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे

निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 

अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 

सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 

प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 

मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 

महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 

रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 

सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 

पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 

बढ़े हुए कदम हमारे रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥


215)

आज काल के कई नेता म्हारे दिल तैं उतर लिये

कहवैं किमैं और करते किमैं पर म्हारे कुतर लिये

1

जै मेरी बस चालज्या तै दिन मैं तारे दिखवा दयूं

इन लिडरां नै दो रेलां मैं नेपाल के मैं भिजवा दयूं

बाह कै खूब देखे हमनै इब टूट म्हारे सबर लिये

कहवैं किमैं और करते किमैं पर म्हारे कुतर लिये

2

जी करता जनता धोरै इनकी इब पोल खुलवाऊं 

ये पापी घनघोर कसूते ये नारे सारे कै लगवाऊं

राजगुरु भगतसिंह से नेता चढ़ा अपनी नजर लिये 

कहवैं किमैं और करते किमैं पर म्हारे कुतर लिये

3

दो दिन मैं धन काला फेर सबका कढ़वा देवैंगे

अरबां मैं खेलैं देखो इनकै हथकड़ी लगवा देवैंगे

फोली फोली खाई सै नहीं सही नेता टकर लिये

कहवैं किमैं और करते किमैं पर म्हारे कुतर लिये

4

जनहित की राजनीती का सबनै पाठ पढ़ावैं रै

इसकी खातर जन मोर्चा मजबूत आज बनावैं रै

कहै रणबीर बरोणे आला चढ़ सही डगर लिये

कहवैं किमैं और करते किमैं पर म्हारे कुतर लिये


216)

सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार

1

बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै

बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै

उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै

मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै

इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 

सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था

बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था

मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था

बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

3

कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया

पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया

ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया

सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया

पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

4

ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं

उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 

फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं

आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं

कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार


217)

मिल  मालिक तैं पंगा लेवै अक्ल मारगी तेरी हो

खून चूस्या मज़दूरां का आवण लगी अंधेरी हो

1

पहल्यां आला कड़ै जमाना चुपचाप नौकरी करले

हड़ताल तैं ना बात बणै चाहे सिर पै टोकरी धरले

भाज भाज कै मरले ना सुख की आवै सबेरी  हो

खून चूस्या मज़दूरां का आवण लगी अंधेरी हो

2

इसमैं कोये शक कोण्या बख्त घणा बुरा आग्या 

हमनै बहोतै सबर करया जी घणा दुख पाग्या

मालिक लूट कै खाग्या नहीं झूठी बात मेरी हो।

खून चूस्या मज़दूरां का आवण लगी अंधेरी हो

3

मालिक दखे हो मालिक तोड़ ऊँका म्हारा नहीं सै

उसके हाथ घणे लाम्बे इतना जाथर थारा नहीं सै

मालिक बिन गुजारा नहीं सै यूनियन के देरी हो

खून चूस्या मज़दूरां का आवण लगी अंधेरी हो

4

मालिक नै पांच साल हो लिए रणबीर बात ना सुनता

कारखाने बन्द होवण लागरे मिलकै राही नहीं चुनता

घाणा कसूता जाल बुणता देना चाहवै यो घेरी हो

खून चूस्या मज़दूरां का आवण लगी अंधेरी हो

1999 की रचना


218)

*खलकत कहते जिननै उन बिना जीना मुश्किल होवैगा।।*

*किसान बिना म्हारी रोटी का  फेर झमेला कौण झोवैगा।।*

1

खलकत नहीं होवै तै म्हारे घर की कौण करै सफाई

उनके अपने घर क्यों गन्दे जिननै म्हारी फर्श चमकाई

*सफाई का मतलब समझै वो फेर क्यों गन्दगी मैं सोवैगा।।*

किसान बिना म्हारी रोटी का  फेर झमेला कौण झोवैगा।।

2

मध्यम वर्ग के वासी उनमैं कमी कई बताते देखे

कामचोर पिस्सेचोर तोहमद और भी कई लाते देखे 

*उल्टे काम कहते करै वो उसे काटैगा जिसे बोवैगा।।*

किसान बिना म्हारी रोटी का  फेर झमेला कौण झोवैगा।।

3

उसके कांधे पै पाँ धरकै जा पहोंचे थाम असमानां मैं

क्यों फांसी खावण नै मजबूर के कमी सै किसानां मैं

*कहैं उसकी किस्मत सै वो न्योएँ सुरग मैं डले ढोवैगा।।*

किसान बिना म्हारी रोटी का  फेर झमेला कौण झोवैगा।।

4

भाखड़ा डैम बणावण आले शहीद हुए उड़ै कई जणे

ताज महल बनाने वाले कद उनकी याद मैं बुत बणे

*रणबीर सिंह बरोणे आला बस ये साच्चे गीत पिरोवैगा।।*

किसान बिना म्हारी रोटी का  फेर झमेला कौण झोवैगा।।


219)

भूख 

भूख बीमारी घणी कलिहारी कहैं इसका कोये इलाज नहीं।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

1

भूख रूआदे भूख सुआदे भूख बिघन का काम करै

भूख सतादे भूख मरादे भूख ये जुल्म तमाम करै

कितना सबर इंसान करै उनकै माचै खाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

2

शरीर बिकादे खाड़े करादे भूख कति बर्बाद करै

आछे भुन्डे काम करादे मानस हुया बर्बाद फिरै

आज कौन किसे नै याद करै दीखै कोये हमराज नहीं 

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

3

भूख पैदा करै भिखारी पैदा बड़े बड़े धनवान करै

एक नै भूख दे करकै दूजा पेट अपना बेउन्मान भरै

एक इत्तर मैं स्नान करै दूजे धोरै दो मुट्ठी नाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

4

लूट नै दुनिया भाइयो दो पाल्यां बिचाळै बांट दई 

मेहनत करने आला भूखा मक्कारी न्यारी छाँट दई

लूट नै सच्चाई आँट दी रणबीर सुनै धीमी आवाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।


220)

LOKPAL BIL KISA HO--FOLK SONG


लोक पाल बिल  हो तगड़ा ,नहीं होना चाहिए लंगड़ा 

ईब किस बात पै झगडा , लोक पाल बिल पास करो ।।

भ्रष्टाचार का डूंडा पाट्या देखो भारत देश म्हारे मैं 

कालेधन  का बोलबाला देखो इस हिंदुस्तान सारे  मैं 

नीति इसी बनाई उननै ,अपनी नीत डिगाई हमनै 

बात आडै पहोंचाई हमनै ,लोक पाल बिल पास करो ।।

भ्रष्टाचार इस सिस्टम का प्रेरक गया बताया यो 

कारपोरेट का यो सिस्टम रूखाला बन कै आया यो 

घोटाल्यां मै नेता तो पकड़े ,सही बात ये ठीक जकड़े 

कारपोरेट ये हाँडै अकड़े ,लोक पाल बिल पास करो ।।

कारपोरेट मीडिया अन जी ओ तीनों  इस मैं ल्याओ 

ये राख  बाहर लोकपाल तैं लंगड़ा मतना बनाओ 

लोकतंत्र आज बचाना हो ,लोकपाल पास कराना हो 

सिस्टम नया बनाना हो ,लोक पाल बिल पास करो ।।

प्रधानमंत्री कुछ बातों मैं इसके भीतर ल्याणा चाहिए 

सही मानसां नै इस तैं नहीं जमा  घबराना चाहिए 

यो रणबीर बारोने आला,छंद कसूते पिरोने आला 

साच पै जिन्दगी झोने आला ,लोक पाल बिल पास करो ।।


221)

मेरे पिया नै दारु सट्टे मैं चारों किल्ले लिए जिता।।

सारा कुंबा देवै दुहाई छोरे ने दिए घणे सता।।

1

शुरू में लाग्या पीवण देखा देखी अपने यारां की

सहज सहज बाण पड़ी शर्म नहीं परिवारां की

संगत ले ली बदकारां की गाम नै चल्या पता।।

सारा कुंबा देवै दुहाई छोरे ने दिए घणे सता।।

2

सरकार ठेके बंद करो म्हारे पै होवैगा अहसान

मनै मरना दीखै सै मेरे गैल मरैंगी दो सन्तान

नेता हुए क्यों अनजान उनका हुया भ्रष्ट मता।।

सारा कुंबा देवै दुहाई छोरे ने दिए घणे सता।।

3

पीछा छुड़वाना चाहवै सै या ना पीछा छोड़ रही

घर कोये बच्या नहीं ना कोए माणस की खोड़ रही

नहीं दुखा की औड़ रही टोहूँ कौन सा राह बता।।

सारा कुंबा देवै दुहाई छोरे ने दिए घणे सता।।


4

रणबीर यो दारू आला ना जिया ना मरया करै

सारा कुंबा संकट मैं दारू आले का घिरया करै

यो घर घर डरया करै दारू बलावै रोज चिता।।

सारा कुंबा देवै दुहाई छोरे ने दिए घणे सता।।


222)

दीवाली

कितै मनै दीवाली चौखी कितै लिकड़या दीखै दिवाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

1

बनवास काट वापिस आये जिब दीवाली मनाई जावै

अच्छाई पिटे चारों कान्ही आज बुराई बढ़ती आवै 

इसे माहौल मैं दीवाली कोये माणस कैसे आज मनावै

राम की नगरी मैं माणस यो बेबस खड्या लखावै   

म्हारी बदरंगी दुनिया का यो कोण्या पाया राम रुखाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

2

कैसे खील पतासे मैं ल्याऊं, घर मैं मुस्से कुला करैं 

मेहनत करकै रोटी खावाँ सां , श्याम सबेरी दुआ करैं

फेर बी उनकी चांदी होरी सै दिन रात जो बुरा करैं 

हमनै या दुनिया बनाई , हमतें रामजी क्यों गिला करैं 

राम कै तौ मिटादे अँधेरा , नातै  होगा दुनिया मैं चाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

3

राम राज मैं बढै गरीबी या बात समझ मैं आई कोण्या

इसा के हुया चाला बता , करवाते आज पढ़ाई कोण्या

तेरे  राज मैं हमनै रामजी मिलती आज दवाई कोण्या

क्यों थारे राज मैं सुरक्षित आज ये लोग लुगाई कोण्या

दुनिया का मालिक बणन का  करदे राम जी इब टाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

4

बता क्यूकर दीवाली मनाऊं, रास्ता मनै  बता दे तूं 

समता होज्या दुनिया मैं इसा , रास्ता मनै दिखा दे तूं 

औरत नै इन्सान समझां म्हारा हरियाणा इसा बनादे तूं 

तेरे बस का ना यो करना तै  म्हारे जिम्मै लगादे तूं 

लोगां का भरोसा उठता जावै , कहै रणबीर बरोने आला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।


223)


सब्सिडी अमीरां की

म्हारी कै कट मरया अमीरां की सबसिडी बढ़ाई देखो।

राष्ट्र भक्ति के नारे लगाकै कितनी लूट मचाई देखो।।

1. 

राशन प्रणाली तोड़ बगाई किसानां की भ्यां बुलवादी

बाल्को कंपनी बूझै कोए क्यों या माट्टी मोल बिकादी

धारावी झोंपड़ पट्टी की एक प्रतिशत गरीबी बतादी

आकड़यां का खेल रचाकै देश तै गरीबी जमा भगादी

स्वदेशी का सांग करया बदेशी कंपनी ये बुलाई देखो।।

राष्ट्र भक्ति के नारे लगाकै कितनी लूट मचाई देखो।।

2. 

नौकरी मिलैं आगले जनम मैं इस जन्म मैं घटावैगा

डीजल खाद बिजली म्हंगे सस्ते किसान कित पावैगा

चीनी माचीस चाय बिस्कुट पहलम तै म्हंगे खावैगा

दिल के छेद आला मरीज पां पीट के मर जावैगा

छियासठ हजार नौकरी आये साल की क्यों घटाई देखो।।

राष्ट्र भक्ति के नारे लगाकै कितनी लूट मचाई देखो।।

3. 

कार न्यारी ढाल की जितनी सबके रेट घटाये आज

एयर कंडीशन्ड सस्ते होंगे मंत्राी नै बताये आज

कोका पैपसी सस्ते करे बदेशियां तै हाथ मिलाये आज

कई बिल पास कर दिए  उत्पाद शुल्क गये बढ़ाये आज

देश बेचण की तैयारी सरकारी नहीं शरमाई देखो।।

राष्ट्र भक्ति के नारे लगाकै कितनी लूट मचाई देखो।।

4. 

किसान फांसी खा खा मरते उनकै मौज उड़ाई जावैं

निजीकरण उदारीकरण की दी घटिया ये दवाई जावैं

जात धर्म पै लड़वां के ये असली बात छिपाई जावैं

म्हारे खिलाफ बिल ल्याकै कसूती खाल तराई जावैं

रणबीर सिंह दिल भीतर तै करता कविताई देखो।।

राष्ट्र भक्ति के नारे लगाकै कितनी लूट मचाई देखो।।


224)

6 अगस्त 

हिरोशिमा नागाशाकी पै अमेरिका नै बम्ब गिराया रै ||

दुनिया सारी या दहल उठी धरती का दिल कंपाया  रै  ||

हिरोशिमा शहर तबाह होग्या लाखों लोग मारे गये 

सबक सिखावां जापान तनै अमरीकी लगा नारे गये 

आज बी भुगतै हिरोशिमा यो परमाणु  बम छाया  रै ||

परमाणु कणों नै मार करी विकलांगता उड़े छाई 

कई बरसों जापान के महां या मची कसूत तबाही 

अमेरिका का जुल्मी चेहरा सबके सहमी आया रै ||

तीन दिन पाछै नागाशाकी मैं दूसरा बम्ब गिरा दिया 

अपनी कड़ थेपड़ली अक जापान माट्टी मैं मिला दिया 

या मानवता खडी लखाई राक्षस नै खेल रचाया रै ||

प्रयोगशाला जापान बनाया परमाणु हथियारां की 

आगे ताहीं का राह बांधया लाइन लगी ताबेदारां  की  

आधी तैं फालतू दुनिया नै अटम बम्ब  बिसराया रै ||

परमाणु कण घणा भुंडा इसका सारे विरोध कराँ

मतना खेलो  इसकी गेल्याँ मिलके नै अनुरोध कराँ  

जापान मैं अमेरिका नै यो कहर घणा कसूता ढाया रै 

यकीन और विश्वास मेरा एक दिन दुनिया जागैगी

मानवता के सहमी या अमेरिकी दादागिरी भगैगी

रणबीर बरोने आला ये टोह टोह कै छंद ल्याया रै ||  

--


225)

दशहरा 2016

अच्छाई की जीत बुराई पै दशहरा जावै सै मनाया।।

रावण हराया रामजी नै यो ज्यां  जावै आज जलाया।।

1

या तो राम रावण की सै कदे महाकथा लिखी बताई

तुलसीदास नै एक लिखी दूजी बाल्मीकि जी नै बनाई

बात एक जिसी उनमैं कुछ फर्क बी उनमैं सै पाया।1।

2

आज के राम रावण पर हम विचार नहीं करते 

म्हारी कमाई लूटकै कौन आज के रावण घर भरते 

अडानी अम्बानी जुड़वां रावण पूरा देश लूटकै खाया।2।

3

इनतै बड्डा आज का रावण यो अमेरिका बताऊँ मैं 

पूरी दुनिया डरा राखी इसकी फ़ौज जुल्मी दिखाऊँ मैं 

झूठे इल्जाम लगा कै नै करकै हमला इराक खिंडाया।3।

4

आज के रावण कैसे जलावां इसपै बैठ विचार करांगे 

राम रावण मैं फर्क का पूरा यो खाका पूरा तैयार करांगे 

कहै रणबीर बरोने आला यो छंद तोड़ का बनाया ।4।


226)

Gandhi ji ke sath Lal Bahadur Shashtri ji ko bhi salam 


लाल बहादुर शास्त्री

लाल बहादुर शास्त्री का कद छोटा उंचा घणा बिचार था।।

जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।

1

दुनिया मैं या उत्थल पुथल चारों कान्ही माच रही थी

गुलाम देशां मैं अंग्रेजी सेना खेल नंगा नाच रही थी

गरीब जनता की साथ मैं या कर खींचम ख़ाँच रही थी

लाल बहादुर नै जन्म लिया साल उन्नीस सौ पांच रही थी

शारदा प्रसाद बाप टीचर था सादा गरीब परिवार था।।

जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।

2

डेढ़ साल का जमा बालक याणा पिता स्वर्ग सिधार गये

छोटे से बालक उपर जिम्मेदारी परिवार की ये डार गये

चाचा के कहने पै वाराणसी मैं पढ़ खातर पधार गये

मिश्रा जी मिले शहर मैं उनके हो पक्के मददगार गये

आजादी की जंग का मिश्रा नै खाका बताया बारम्बार था।।

जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।

3

लाल बहादुर शास्त्री जी कै आजादी का जनून चढ़या

महात्मा गांधी जी पै उननै असहयोग का पाठ पढ़या

जिब बायकॉट की बात चली शास्त्री सबतै आगै कढ़या

मिश्रा और चाचा नाराज हुये लाल पै गुस्सा खूब बढ़या

माता ललिता देवी नै साथ दिया जताया अपना प्यार था।।

जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।

4

लाहौर सैसन कांग्रेस का शास्त्री अटैंड करकै आया

पूर्ण स्वराज का नारा लाकै जंग का गया बिगुल बजाया

आजादी पाछै जनता का मंत्री पद पै साथ निभाया

नेहरू बाद प्रधानमंत्री बने देश आगै बढ़ाना चाहया

कहै रणबीर बरोने आला वो माणस घणा होनहार था।।

जय जवान जय किसान का नारा लाया घणा दमदार था।।


227)

दाग

देश की इंसानियत कै दाग कई लागे दिखाऊँ मैं।।

भाईचारे पै हमला कसूता या बात सही बताऊँ मैं।।

1

समाज मैं आर्थिक संकट रोजाना बढ़ता जावै सै

उद्योग बंदी पै आगे बेरोजगार खड़्या लखावै सै

सरकारी नौकरी खत्म हुई या दिहाड़ी पै थ्यावै सै

घर का गुजारा मुश्किल तैं यो कमेरा कर पावै सै

कारपोरेट लूटै हमनै म्हारी घटा मजदूरी बताऊँ मैं।।

भाईचारे पै हमला कसूता या बात सही बताऊँ मैं।।

2

लूटेरे लूटन की खातिर फूट जनता मैं डाल रहे

कितै हिन्दू मुस्लिम कितै जात का बिछा जाल रहे

हिन्दू राष्ट्र का नारा ये फैला भुन्डा जंजाल रहे

दलित का सारे देश मैं कर ये कसूता हाल रहे

सेकुलरिज्म पै हमला यो कैसे इसनै आज बचाऊं मैं।।

भाईचारे पै हमला कसूता या बात सही बताऊँ मैं।।

3

लूट का सिस्टम और घणा मजबूत होंता आवै रै

पाखंड अंधविश्वास के रोजाना यो पाठ पढ़ावै रै

मेरे कष्टों का कारण यो मेरी किस्मत मैं बतावै रै

लूटेरा कष्टों का दोषी ये बात म्हारे तैं यो छिपावै रै

टीवी मीडिया के महं कै रोजाना हमनै भकावै रै

आगै के के होवैगा देश मैं इशारयां मैं समझाऊं मैं।।

भाईचारे पै हमला कसूता या बात सही बताऊँ मैं।।

4

जात पात का पाला छोड़ कै बड़े मंच पै आणा होगा

किसान संगठन कट्ठे हों मजदूर भी साथ मिलाणा होगा

किसान मजदूर का मोर्चा तगड़ा घणा बनाणा होगा 

बेरोजगारी महंगाई खिलाफ जनता को साथ ल्याणा होगा

कहै रणबीर बरोने आला मानवता बचाना चाहूं मैं।।

भाईचारे पै हमला कसूता या बात सही बताऊँ मैं।।


228)

ON OCCASION OF 15 th AUGUST---AN INTROSPECTION--FOLK SONG


   छियासठ  बरस की आजादी

छियासठ  बरस की आजादी मैं लोगो के खोया के पाया 

बनाई ईमारत चालीस मंजली पर खुले मैं बिस्तर लाया  

आजादी का सपना म्हारा सबनै रोजगार मिलेगा फेर 

आजादी का सपना म्हारा सबनै घरबार मिलेगा फेर 

आजादी का सपना म्हारा सबनै उपचार मिलेगा फेर 

आजादी का सपना म्हारा सबनै संस्कार मिलेगा फेर 

सारे भारतवासी शिक्षित होज्याँ मिलके अलख जगाया ||

किसान मजदूर खुभात करी खेतों मैं खूब कमाये दोनों 

माट्टी गेल्याँ माट्टी होगे मुड़ कै  नै नहीं लखाए दोनों 

बड़े बड़े शहर बसाये विकास की रीढ़ कहाए दोनों 

तीसरी शक्ती बनेगा भारत बैठे सें आस लगाये दोनों 

जमींदार और अमीर किसान नै सबतें ज्यादा फायदा ठाया ||

टाटा बिडला करोड़ पति थे दौलत का आज औड नहीं 

अम्बानी के महल का पूरे भारत देश मैं कोए तौड़ नहीं 

अमीर होगे अमीर कसूते गरीबन नै ठिकाना ठौड़ नहीं 

काले धन का राम हिम्मती होण देता भांडा फौड़ नहीं 

अन्ना हजारे गुम होगे राम देव की झल कै सै  इबै माया ||

सपना पूरा हुया नहीं सै किसान मजदूर कमेरे का 

जात पांत पै बाँट कसूते माहौल बना दिया अँधेरे का 

म्हारी बाँट नै मजबूत करया यो लूट का जाल लूटेरे का 

रणबीर सिंह बरोने आला समझै सै खेल बघेरे का 

किसान मजदूर के एके बिना सपना पूरा ना हो पाया ||


229)

विश्व कर्मा दिवस के मौके पर 

आप के सुझावों के लिये तरमीम करने के वास्ते 

छोटे मोटे औजार हमारे बणावैं महल अट्टारी रै

कारीगरों की मेहनत नै इनकी लियाकत उभारी रै

मंजिलों के हिसाब लगाकै ईमारत की नींव धरी जाती

मालिक जिसी चाहवैं उसी मजबूत नींव भरी जाती

खिड़की दरवाजे रोशन दान की माप तौल करी जाती 

करणी और हुनर हथौड़े का ईंट पै ईंट ये धरी जाती 

लैंटर डालण की न्यारी हो आज बतादयूं कलाकारी रै।

छजे पर तैं पाँ फिसलज्या सिर धरती मैं लागै जाकै

एकाध बै पडूँ कड़ कै बल फेर रोऊँ ऊंचा चिलाकै

रीड की हड्डी जवाब देज्या पटकैं अस्पताल मैं ठाकै

सरकार कोए मदद करै ना देख लिया हिसाब लगाकै

काम करण के खतरे इतने भुगतां खुद हारी बीमारी रै।

जितनी ईमारत सैक्टरों की सारी हमनै बनाई देखो

नींव से लेकर तीन मंजिल की करी ये चिनाई देखो

म्हारी खातर एक कमरा सै पांच नै घर बसाई देखो 

इतने महल बनाकै रात फुटपाथों पर बिताई देखो 

म्हारी एकता रंग ल्यावैगी औजारों मैं ताकत भारी रै।

असंगठित क्षेत्र के भाई सारे मिलकै आवाज लगावां

अपने हकों की खातर मजदूर भाइयों को समझावाँ

वोट कदम पर अपने नेता विधान सभा मैं पहोंचावां

मिलकै विश्वकर्मा दिवस नै सारे हरियाणा मैं मनावां

कहै रणबीर बरौने आला या एकता बढ़ावां म्हारी रै।


230)

दारू और दवा की दुकान 

दारू और दवा की दुकान हर गाम शहर मैं पाज्या

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या

पी दारू मजदूर किसान अपने घर का नाश करै

दारू फैक्ट्री बन्द होवैं महिला इसकी आस करै

आस करती होज्या बूढी पति नै इतनै दारू खाज्या।।

दवा के रेट का कोए हिसाब ना गोज ढ़ीली करज्या

मरीज खरीद कै खाली होज्या डॉक्टर की गोज भरज्या

पूरा इलाज फेर भी न होवै चानचक सी मौत आज्या।।

दारू का बेर या नाश करै सर्कार क्यों फैक्ट्री खुलवावै

रोज खोल दूकान दारू की मौत न्यौता देकै बुलवावै

के बिना दारू विकास ना हो कोए आकै मनै बताज्या।।

इलाज महँगा कर दिया गरीब बिना दवाई मरता 

इलाज ब्योपार बणा दिया खामियाजा मरीज भरता 

रणबीर बरोने आला सोच समझ कलम घिसाज्या।।

19.3.2015


231)

आज ही पानीपत के मौके पर लिखी रागनी :

घणा बढ़िया काम करया सारे स्कूलों की छुट्टी करदी ।।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पानीपत मैं नींव धरदी।।

रोजाना ही बलात्कार होवैं बस मैं छेड़खानी होती रोज

घर भित्तर भी लूटी जाती बाहर भी इज्जत खोती रोज

घुट घुट कै नै या महिला रोज कई कई बरियां मरदी।।

नारे लगाना बात आच्छी सिर्फ नारयां तैँ काम ना चालै 

समाज पुत्र लालसा खिलाफ जब तक ना कबड्डी घालै

तेजाब फैंकैं ठा लेज्यावैं असुरक्षा तैँ महिला डरदी।।

छोरा छोरी बराबर होज्यां यो काम कति आसान कोन्या

बाजार मैं लयाकै बनादी चीजो समझी जा इंसान कोन्या 

मालिकाना हक़ देते कोन्या नारयाँ गेल्याँ झोली भरदी।।

बराबर का मतलब जब समझ मैं आज्या म्हारी रै

पेट मैं मारण की फेर नहीं बचैगी कोए लाचारी रै

भोग की वस्तु बणा महिला काट सारी इसकी परदी।।

समझ नहीं आंदा क्यूकर बाजार के मैं सुरक्षा पावै

एक बाजार यो दूजा यो पुरुष प्रधान परिवार छावै

कहै रणबीर बरोने आला आड़ै बाड़ खेत नै चरदी।।

22.1.2015


232)

राय फीम्चियाँ की 

दो फीमची आपस मैं बतलाये , सिगरेट के दो तीन सुट्टे लाये 

भीतर बाहर के हाल सुनाये , मतना बुरा मानियो भाइयो रै ||

एक फीमची नयों बोल्या  हमनै वे लोग नैतिकता सिखावैं रै 

जो रोजाना साँझ  कै पूरी बोतल बिना पानी के चढ़ावैं रै 

म्हारी फ़ीम ऊपर रोला मचाया ,दो बरियाँ पाँच सौ जुरमाना लाया 

के उनका कोए बिटोडा जलाया , मतना बुरा मानियो भाइयो रै ||

दूजा बोल्या लहर या न्यारी लुन्गाड़े नश्हेडी दारू बाज 

शरीफ बीर मर्द चालें बच कै या गूंजै इनकी ए आवाज  

दो तीन गुट इनके बनरे रै , रिवाल्वर आपस मैं तनरे रै   

भ्रष्ट नेता की गौज मैं घलरे रै , मतना बुरा मानियो भाइयो रै ||

गामाँ  के महां  किसे बहु बेटी की ना इज्जत महफूज रही 

भ्रष्ट पुलिस भ्रष्ट नेता साथ लुन्गाड़े की हो आडै बूझ रही 

जोर जबरदस्ती रौजे चा लै रै , किते लालच पूरे घर घालै रै 

काला धन इसे कुब्धी पा लै रै , मतना बुरा मानियो भाइयो रै ||

गाम की इज्जत के ये सारे फेर बण जाते ठेकेदार दखे 

कद के पुवाडे ये कर बैठैं नहीं रहया कोए एतबार दखे 

रणबीर बरोने आला कैहरया , कलम ठा कै इन गेल्याँ फैहरया 

सड़ांध ऊठ ली बाकी के रैहरया , मतना बुरा मानियो भाइयो रै ।।

233)

मुन्शी प्रेम  चन्द जयंती के मौके पर 

मुंशी प्रेमचंद ने लगभग 300 कहानियां और 14 उपन्यास लिखे । जन्म 31 जुलाई 1880  को हुआ । 8  अक्टूबर 1936 को चल बसे । एक रागनी के माध्यम से :

बनारस तैं  चार मील की दूरी यो लमही गाम सुण्या होगा ॥ 

इसे गाम का रहने आला था प्रेम चन्द नाम सुण्या होगा ॥ 

असली  नाम धनपत राय यो उनका गया बताया भाई 

तांगा तुलसी मैं दिन काटे खस्ता हाल गया जताया भाई 

 लाल गंज गाम मैं पढ़ने खातर इनको गया खंदाया भाई 

इसे हालात मैं पलकै नै यो कलम गया था पिनाया भाई 

अल्हड बालकपन बीत्या खेल कै  सुबो शाम सुण्या होगा॥ 

इसे गाम का रहने आला----------------------------------॥ 

बालकपन मैं माता जी बहोत घणी  बीमार होगी भाई

दिनों दिन बढ़ी बीमारी खान पीन तैं लाचार होगी भाई 

घर मैं घने हाथ भींचरे थे  मुश्किल उपचार होगी भाई 

चल बसी माता सोचै बैठ्या जिंदगी बेकार होगी भाई 

सात साल की उम्र याणी माता का इंतकाम सुण्या होगा ॥

 इसे गाम का रहने आला-----------------------------------॥ 

माँ का जगह बहन बड़ी नै घर मैं ली बताई भाईयो 

शादी हुए पाछै बेबे बी सासरै गयी खन्दाई भाईयो

दुनिया सूनी लागी जिंदगी मुश्किल बितायी भाईयो 

अपने पात्रों मैं भी कथा कई बरियां दिखाई भाईयो

उनकी कहानियों मैं यो किस्सा हमनै तमाम सुण्या होगा ॥ 

 इसे गाम का रहने आला----------------------------------॥ 

चुनार गाम मैं मास्टरी की मुश्किल तैं नौकरी थ्याई रै 

बालकपन मैं ब्याह होग्या इब माड़ी उल्गी साँस आई रै 

इंटर पास करी फेर पूरी  बी ए तक की करी पढ़ाई रै

जगह जगह घणे तबादले जान जीवन सहमी आई रै 

रणबीर लिखे कहनी उपन्यास उन्मैं पैगाम सुण्या होगा ॥ 

 इसे गाम का रहने आला---------------------------------॥


234)

किसानों पर एक रागनी 


इकत्तीस जुलाई चार घण्टे किसान मोर्चा डालैगा डेरा ।। 

यो बंध पूरे देश मैं करैगा इब कर लिया इंतजार भतेरा ।।

1

खेती की लागत बढ़ाते जावैं जुमलयां का औड़ नहीं

कमेरयो करल्यो एकता इसका और कोये तौड़ नहीं

बिना एकता जी काढ़रया म्हारा यो पूंजीपति लुटेरा।।

यो बंध पूरे देश मैं करैगा इब कर लिया इंतजार भतेरा।।

2

लूट म्हारी थारी देश मैं या सरकार बढ़ाती जावै भाई

जात धर्म के रोज खेल रचती ना म्हारी समझ मैं आई

समाज का यो ताणा बाणा इसनै बखेर दिया भतेरा।।

यो बंध पूरे देश मैं करैगा इब कर लिया इंतजार भतेरा ।।

3

किसान आंदोलन तैं भरोसा एमएसपी का दिया इसनै 

कई मिहने बाट दिखादी इब ताहिं कुछ ना किया इसनै

म्हारी गेल्याँ करया धोखा इसका सबनै पटग्या बेरा ।।

यो बंध पूरे देश मैं करैगा इब कर लिया इंतजार भतेरा ।।

4

संयुक्त किसान मोर्चे नै चार घण्टे बंध का किया एलान 

इकतीस जुलाई नै डटकै आंदोलन करैंगे देश के किसान 

रणबीर कसूता पीस दिया यो पूरे हिंदुस्तान का  कमेरा।।

यो बंध पूरे देश मैं करैगा इब कर लिया इंतजार भतेरा ।।



235)


यो संयुक्त किसान मोर्चा फेर हटकै उठ लिया बतावैं।।

तारीख इकत्तीस जुलाई की चार घण्टे का बंध लगावैं।।

1

वायदा खिलाफी का मामला ये बीज बिघन के बोग्या रै

जय जवान जय किसान फेर संघर्ष ताहिं तैयार होग्या रै

न्यूनतम समर्थन मूल्य पै ये सरकार आले ठेंगा दिखावैं।।

तारीख इकत्तीस जुलाई की चार घण्टे का बंध लगावैं।।

2

जय जवान जय किसान या भावना चाहते खत्म

करना

किसान मोर्चे का यो फैंसला मिलकै आगै कदम धरना

जवान वर्दी धारी किसान सैं किसान मोर्चा आले समझावैं।।

तारीख इकत्तीस जुलाई की चार घण्टे का बंध लगावैं।।

3

ट्रैक्टर टू ट्वीटर पै रोक करी मांग वापिस ले सरकार 

सयुंक्त किसान मोर्चा इब हटकै संघर्ष करण नै

तैयार

मांग मानले सारी सरकार नहीं तो हटकै सांस चढ़ावैं।।

तारीख इकत्तीस जुलाई की चार घण्टे का बंध लगावैं।।

4

आठ मांग किसान मोर्चे की इसका मांग पत्र यो बनाया

मांग पत्र किसान मोर्चे नै सरकार के धोरै फेर तैं पहूंचाया

सितम्बर मैं संघर्ष पै रणबीर किसान पूरा जोर

दिखावैं।।

तारीख इकत्तीस जुलाई की चार घण्टे का बंध लगावैं।।


236)

मतना करो वार किसानों,हो जाओ तैयार किसानों, ले एकता का हथियार किसानों , लड़नी धुर की लड़ाई रै।।

1

देख लिया पूरे समाज मैं किसान कितै महफूज नहीं

लागत फालतू आमदन थोड़ी होती कितै भी बूझ नहीं

कोण्या संघर्ष आसान दखे, होगा आड़े घमासान दखे, हारैगा अडानी शैतान दखे, बची नहीं कति समाई रै।।

2

सरकारी कानून क्यों देखो बणकै नै दीवार खड़े रै

कैहवन नै किसानां खातर योजनावाँ के प्रचार बड़े रै

जालसाजी तैं फूट गिरवावैं,सारे कै ये लूट मचवावैं,जात धर्म पै ये लड़वावैं, कितनी सहवांगे पिटाई रै।।

3

किसान निर्माता कहने आले आज कड़ै चले गये

देखो नै भूंडी तरियां आज ये किसान छले गये

कोण्या सहवां अपमान भाई, समाज मैं पावां सम्मान भाई, चलावाँ मिलकै अभियान भाई, डंके की चोट बताई रै।।

4

जीना सै तो लड़ना होवै,संघर्ष हमारा नारा होगा

संयुक्त किसान मोर्चा हथियार लड़ाई का म्हारा होगा

इब तो मिलकै बोल भाई, झिझक ले अपनी खोल भाई, जावै यो अडानी डोल भाई, रणबीर नै अलख जगाई रै।।


237)

घर के अंदर और बाहर

घर भीतर इज्जत दा पर बाहर बुरी नजर छाई।।

महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।

1

किसा बख्त आग्या आज हम कितै महफूज नहीं 

हवस छागी या बड़े भाग पै मानवता की बूझ नहीं 

हम हार नहीं मानांगी लडांगी धुर ताहिं लड़ाई।।

महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।

2

राम बी ना म्हारा हिम्माती हजारों चीर हरण होवैं

एक द्रोपदी महाभारत होगी आज शाषक ताण कै सोवैं

भतेरी बाट देखी राम तेरी खुद अपनी बांह संगवाई।।

महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।

3

गैंग रेप बढे हरयाणा मैं समाज खड़्या लखावै

भाई चारे के नाम पै दबंग रेप की कीमत लगावै

सामंती या बाजारी सोच दुश्मन समझ मैं आई।।

महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।

4

समझौते के नाम पै दुखिया नै दो लाख दिवादे

करवाकै समझौता रेपीस्ट नै सजा तैं यो बचादे

कहै रणबीर हार ना मानैं हम चढ़ी जीत की राही।।

महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।


238)

ऊधम सिंह मेरे ग्यान मैं, भारत देश की श्यान मैं

               इस सारे विश्व महान मैं, यो तेरा नाम अमर हो गया।।

               असूलां की जो चली लड़ाई, उसमैं खूब लड़या था तूं

               स्याहमी अंग्रेजां के भाई, डटकै हुया खड़या था तूं

               बबर शेर की मांद के म्हां, अकेला जा बड़या था तूं

               अव्वल था तु ध्यान मैं, रस था तेरी जुबान मैं

               सारे ही हिंदुस्तान मैं, यो तेरा पैगाम अमर हो गया।।

               देख इरादा पक्का तुम्हारा, हो गया मैं निहाल जमा

               भारत मां की सेवा में दे दिया सब धन माल जमा

               एक बै मरकै देश की खातर जीवै हजारौ साल जमा

               डायर नै सबक चखान मैं, इस लड़ाई के दौरान मैं

               निशाना सही बिठान मैं, यो तेरा काम अमर होग्या।।

               पक्के इरादे के साहमी अंग्रेजां की पार बसाई ना

               जलियां आला बाग देखकै फेर तेरै हुई समाई ना

               धार लई अपने मन मैं किसे और तै बताई ना

               तू अपने इस इम्तिहान मैं, अपनी ही ज्यान खपान मैं

               देश की आन बचान मैं, तू डेरा थाम अमर होग्या।।

               जो लड़ी-लड़ाई तनै साथी वा लड़ाई थी असूला पै

               वुर्बानी तेरी रंग ल्यावैगी जग थूकै ऊल जलूलां पै

               जिस बाग का फूल हुया नाज करंै उसके फूलां पै

               ईब आग्या सही पहचान मैं, भूले थे हम अनजान मैं

               तूं सफल हुया मैदान मैं, यो तेरा सलाम अमर होग्या।।


239)

लेकै तिरंगा हाथां मैं बीज संघर्ष के बोकै देख लियो।।

कई बरस होगे एकले पिटत्यां नै कट्ठे होकै देख लियो।।

1

करड़ी मार नई नीतियां की या सबपै पड़ती आवै सै

देश नै खरीदण की खातर बदेशी कंपनी बोली लावै सै

या ठेकेदारी प्रथा सारे कै बाहर भीतर छान्ती जावै सै

बदेशी कंपनी पै कमीशन यो नेता अफसर खावै सै

कावड़ का छोड़ कै पैण्डा भूख गरीबी पै रोकै देख लियो।।

कई बरस होगे एकले पिटत्यां नै कट्ठे होकै देख लियो।।

2

जड़ै जनता की हुई एकता उड़ै की सत्ता घबराई सै

थोड़ा घणा जुगाड़ बिठाकै जनता बहकानी चाही सै

जड़ै अड़कै खड़ी होगी जनता लाठी गोली चलवाई सै

लैक्शनां पाछै कड़ तोड़ैंगे या सबकी समझ मैं आई सै

ये झूठे बरतन जितने पावैं ताम सबनै धोकै देख लियो।।

कई बरस होगे एकले पिटत्यां नै कट्ठे होकै देख लियो।।

3

हालात जटिल हुये दुनिया मैं समझणी होगी बात सारी

ईब ना समझे तो होज्या नुकसान म्हारा बहोतैए भारी

पैनी नजर बिना दीखै दुश्मन हमनै घणा समाज सुधारी

हम सब की सोच पिछड़ी नजर ना नये रास्ते पै जारी

भीतरले मैं अपणे भी दिल दिमाग गोकै देख लियो।।

कई बरस होगे एकले पिटत्यां नै कट्ठे होकै देख लियो।।

4

हम जात धरम इलाके ऊपर न्यारे-न्यारे बांट दिये रै

कुछ की करी पिटाई कुछ लालच देकै छांट लिये रै

म्हारी एकता तोड़ बगादी ये पैर जड़ तै काट दिये रै

आज ये देशी बदेशी लुटेरे म्हारे हकां नै नाट लिये रै

रणबीर सिंह दुख अपणे के ये छन्द पिरोकै देख लियो।।

कई बरस होगे एकले पिटत्यां नै कट्ठे होकै देख लियो।।



240)

मनुवाद 

अनादि ब्रह्म नै धरती पै यो संसार रचाया कहते

मुंह बांह जांघ चरणों तैं सै सबको बसाया कहते

1

मुंह तैं बाह्मण पैदा करे चर्चा सारे हिंदुस्तान मैं

बाँहों से क्षत्रीय जन्मे जो डटते आये जंगे मैदान मैं

जांघ से वैश्य पैदा करे लिख्या म्हारे ग्रन्थ महान मैं 

चरणों से शुद्र जन्म दिये आता वर्णों के गुणगान मैं 

चार वर्णों का किस्सा यो जातों का जाल फैलाया कहते

2

भगवान नै शुद्र के ज़िम्मे यो एक काम लगाया 

बाक़ी तीनों वर्णों की सेवा शुद्र का फर्ज बताया

शुद्र जै इणनैं गाली देदे जीभ काटो विधान सुनाया

नीच जात का बता करकै उसतैं सही स्थान दिखाया

मनुस्मृति ग्रन्थ मैं पूरा हिसाब गया लिखाया कहते

3

शुद्र जै किसे कारण तै इणनैं नाम तैं बुला लेवै

दस ऊँगली लोहे की मुंह मैं कील ठुका देवै

भूल कै उपदेश देदे तै उसके कान मैं तेल डला देवै 

लाठी ठाकै हमला करै तो शुद्र के वो हाथ कटा देवै 

मनु स्मृति नै शुद्र खातर नर्क कसूत रचाया कहते

4

बाबा अम्बेडकर जी नै मनुस्मृति देश मैं जलाई थी

उंच नीच की या कुप्रथा मानवता विरोधी बताई थी

कमजोर तबके कट्ठे होल्यो देश मैं अलख जगाई थी

आरएसएस मनुवाद ल्यावै असली शक्ल दिखाई थी

रणबीर महात्मा बुद्ध भी इसपै सवाल ठाया कहते


241)

कहां गए सोनी महिवाल या बात बूझना चाहूं मैं

बात घणी बड्डी कोन्या फिर भी जूझना चाहूं मैं 

1

हीर और रांझा का किस्सा क्यों आज बी गाया जावै

 आज की हीरां नै क्यों आज फांसी पै चढ़ाया जावै

 या परंपरा क्यों भूलगे यो सवाल पूछना चाहूं मैं।।

बात घणी बड्डी कोन्या फिर भी जूझना चाहूं मैं ।।

2

नल दमयंती नै क्यों पाले राम रोजाना गावै रै

जो मर्जी तैं वर टोह्वै उनै आज फांसी दी जावै रै

किसी परम्परा सै आज सवाल सूझना चाहूं मैं।।

बात घणी बड्डी कोन्या फिर भी जूझना चाहूं मैं ।।

3

द्रोपदी चीर हरण हुया उसपै महाभारत दिखाते हैं

हजारों चीर हरण होते आज क्यों चुप रह जाते हैं

परंपरा आज कौनसी भारी सवाल पूछना चाहूं मैं ।।

बात घणी बड्डी कोन्या फिर भी जूझना चाहूं मैं ।।

4

आज के हिसाब मैं यो गल्त सही खोजना होगा रै

रूढ़िवादी विचार का हमनै साथ छोड़ना होगा रै

रणबीर वैज्ञानिक सोच की या पींघ झूलना चाहूं मैं।।

बात घणी बड्डी कोन्या फिर भी जूझना चाहूं मैं ।।


242)

बाल मजूरी

बचपन जवानी और बुढ़ापा सब गढ़मढ़ हो गए 

बचपन में की बाल मजूरी सपने सब ही खो गए

दो साल की थी तो पिता जी ने साथ छोड़ दिया 

तीन साल की थी तो माता जी ने नाता तोड़ लिया 

बचपन में मेरे जैसे बच्चे तो बस डले ही ढो गए

बचपन जवानी और बुढ़ापा सब गढ़मढ़ हो गए 

बड़ा भाई मेरा शराबी बहुत डर लगता मुझको 

बाल मजूरी मेरी मजबूरी मालिक ठगता मुझको 

काम ज्यादा पैसे थोड़े आज कानून सब सो गए

बचपन जवानी और बुढ़ापा सब गढ़मढ़ हो गए 

एक घर में छोड़ दिया दिन रात मजूरी करती मैं

कर पूरे घर की सफाई मुश्किल से पेट भरती मैं

मालिक का गुस्सा देख मेरे दिलो-दिमाग रो गए

बचपन जवानी और बुढ़ापा सब गढ़मढ़ हो गए 

एक नहीं हजारों लाखों बच्चे ये भारत महान के 

बाल मजूरी को मजबूर हुए ये तारे हिंदुस्तान के 

किस्मत का लेके बहाना जीवन में कांटे बो गए

बचपन जवानी और बुढ़ापा सब गढ़मढ़ हो गये।।


243)


*खलकत कहते जिननै उन बिना जीना मुश्किल होवैगा।।*

*किसान बिना म्हारी रोटी का  फेर झमेला कौण झोवैगा।।*

1

खलकत नहीं होवै तै म्हारे घर की कौण करै सफाई

उनके अपने घर क्यों गन्दे जिननै म्हारी फर्श चमकाई

*सफाई का मतलब समझै वो फेर क्यों गन्दगी मैं सोवैगा।।*

किसान बिना म्हारी रोटी का  फेर झमेला कौण झोवैगा।।

2

मध्यम वर्ग के वासी उनमैं कमी कई बताते देखे

कामचोर पिस्सेचोर तोहमद और भी कई लाते देखे 

*उल्टे काम कहते करै वो उसे काटैगा जिसे बोवैगा।।*

किसान बिना म्हारी रोटी का  फेर झमेला कौण झोवैगा।।

3

उसके कांधे पै पाँ धरकै जा पहोंचे थाम असमानां मैं

क्यों फांसी खावण नै मजबूर के कमी सै किसानां मैं

*कहैं उसकी किस्मत सै वो न्योएँ सुरग मैं डले ढोवैगा।।*

किसान बिना म्हारी रोटी का  फेर झमेला कौण झोवैगा।।

4

भाखड़ा डैम बणावण आले शहीद हुए उड़ै कई जणे

ताज महल बनाने वाले कद उनकी याद मैं बुत बणे

*रणबीर सिंह बरोणे आला बस ये साच्चे गीत पिरोवैगा।।*

किसान बिना म्हारी रोटी का  फेर झमेला कौण झोवैगा।।


244)

ग्रामीण संकट 

चारों तरफ तैं घेरया , सांस मुश्किल तैं लेरया

कति निचौड़ कै गेरया, राम क्यूं आंधा होग्या।।

1

एमएसपी पै हमला सै, बचावण की आस मनै

लाम्बा संघर्ष चलैगा इतनै ना सुख की सांस मनै

दीखें बिल सैं फांसी के, समों नहीं सैं हांसी के

दौरे पड़ें सैं ये खांसी के, राम क्यूं आंधा होग्या।।

2

पूरा हाँगा लाकै मनै दिन रात खेत कमाया देखो

जितना खर्च हुया मेरा उतना भी ना थ्याया देखो

ना मेरी समझ मैं आया, नहीं किसे न समझाया

पग पग पै धोखा खाया, राम क्यूं आंधा होग्या।।

3

धरती बैंक आल्यां कै लाल स्याही मैं चढ़गी सै

बीस लाख की बोली कुड़की कीमत बढ़गी सै

बीस लाख का के करूंगा, किस डगर पैर धरूँगा

आज बच्या काल मरूंगा, राम क्यूं आंधा होग्या।।

4

कितने भाई सल्फास की गोली खा खा मरते रै

जी मेरा भी करता ख़ालयूं ये गधे खेती चरते रै

नहीं देखूँ मैं कुआं झेरा, रणबीर सिंह साथी मेरा

चलावै संघर्ष ईब कमेरा,राम क्यूं आंधा होग्या।।


245)

साम्राज्यवाद के निशाने पै युवा लड़के और लड़की

बेरोजगारी हिंसा और नशा घंटी खतरे की खड़की (टेक)

1

सही बातों तैं धयान हटा कै नशे का मंतर पकडाया

लड़की फिरती मारी मारी समाज यो पूरा भरमाया

ब्यूटी कंपीटीसन कराकै देई लवा ऐश की तड़की।।

बेरोजगारी हिंसा और नशा घंटी खतरे की खड़की (टेक)

2

निराशा और दिशा हीनता दे वें चारों तरफ दिखाई

बात बात पै हर घर के महँ मचरी सै खूब लडाई

सल्फाश की गोली खा कै करैं जीवन की बंद खिड़की।।

बेरोजगारी हिंसा और नशा घंटी खतरे की खड़की (टेक)

3

युवा लड़की की ज्यान पै शाका पेट मैं शाका छाया

रोज हिंसा का शिकार बनैं ना साँस सुख का आया

वेश्यावृति घनी फैलाई जणूं जड़ ये फ़ैली बड़ की।।

बेरोजगारी हिंसा और नशा घंटी खतरे की खड़की (टेक)

4

एक तरफ सै चका चौंध यो दूजी तरफ अँधेरा

दिन पै दिन बढे यो संकट ना दिखे जमा सबेरा

रणबीर सिंह विरोध करेँ हम बाजी ला कै धड़ की।।

बेरोजगारी हिंसा और नशा घंटी खतरे की खड़की (टेक)


246)

मिलकै नै आवाज लगावां बुनियादी हक क्यों खोस लिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

1

शिक्षा का अधिकार म्हारा आज पढन क्यों बिठाया

स्वास्थ्य का अधिकार म्हारा कर हवन क्यों भकाया

रोजगार खोस करोड़ों के उड़ा उनके होंस दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

2

भ्रष्टाचार के पंख क्यों ये चारों कांहीं फैला दिए

बेरोजगारों के कॉन्ध्यां पै कावड़ क्यों टिका दिए

आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी वे शहीद बना ठोस दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

3

जिणनै भी आवाज उठाई वे दमन का शिकार बनाये

मजदूर किसानों के ऊपर बहोत घणे कहर ढाये

दबे नहीं लाठी गोली तैं  जनता नै

बढ़ा रोष दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।

4

जात धर्म पै कलह कराकै एकता जनता की तोड़ी

बेरोजगारी भुखमरी तैं आज ध्यान

जनता की मोड़ी

रणबीर लांबे चौड़े वायदे जनता साहमी परोस दिए।।

के सोच कै नै तमनै संविधान के पन्ने मोस दिए।।



247)

क्यों गरीब बालक पीटया या बात पूछणा चाहूँ मैं।।

घटना बहोत घनी गम्भीर  ज्यां करकै जूझणा चाहूँ मैं।।

1

बीस जुलाई का दिन था सुलाना गाम बताया रै

छैल सिंह मास्टर नै कहैं पिटाई का कहर ढाया रै

जाति सूचक बोल क्यों बोले यो सवाल सूझणा चाहूँ मैं।।

घटना बहोत घनी गम्भीर  ज्यां करकै जूझणा चाहूँ मैं।।

2

इतनी करी पिटाई कान पै बहोत घणी चोट लागी रै

आंख भी चोटिल करदी बालक कै अंधेरी छागी रै

आखिर मैं दम तोड़ गया के कसूर था बूझणा चाहूँ मैं।।

घटना बहोत घनी गम्भीर  ज्यां करकै जूझना चाहूँ मैं।।

3

मास्टरजी नै अपना मटका पाणी का न्यारा धरया

बालक नै जै पी लिया पाणी तो इसा के जुल्म करया

दलित बालक इसा बरतावा थारे बाल मूंजणा चाहूँ मैं।।

घटना बहोत घनी गम्भीर  ज्यां करकै जूझना चाहूँ मैं।।

4

सारे एक बराबर नागरिक संविधान मैं लिख्या बतावैं

फेर क्यों मास्टरजी बरगे जात पात का

जहर फैलावैं

रणबीर बना रागनी बालक की  साच पै गूंजणा चाहूँ मैं।।

घटना बहोत घनी गम्भीर  ज्यां करकै जूझणा चाहूँ मैं।।


248)

देश बेच दिया म्हारा, स्वदेशी का नारा लाकै।।

अमीराँ की चांदी करी गरीब गेरे कुंए मैं ठाके।।

1

चाल थारी सै आण्डी बाण्डी

नीति पाई सै बहोत लाण्डी

तमनै मारी सै खूबै डाण्डी, या जनता बहकाकै।।

2

कितै मस्जिद तोड़ी तमनै 

कितै अफवाह छोड़ी तमनै 

सोच जनता की मोड़ी तमनै, उल्टी बात सिखाकै।।

3

सेहत बेची म्हारी आज या

शिक्षा बेची सारी आज या

कृषि पै महा मारी आज या,मरते फांसी खा खाकै।।

4

तमनै नँगे हो बोली लाई

फसल फूट की बोई चाही

रणबीर चाहवै रोक लगाई, इब कलम उठाकै।।


249)

दुलिना कांड 

धार्मिक कट्टरवाद की झज्जर मैं पड़ी काली छाया।।

भीड़ कट्ठी करकै मौत का यो तांडव नाच नचाया।।

1

टैम्पो भरया खालां का पुलिस चौकी पै रोक्या था

पिस्से मांगे पुलिस नै रोब जमा कै नै ठोक्या था

एक दलित नै टोक्या था नहीं हमनै जुल्म कमाया।।

2

चार घंटे थाम्बे राखे सारै अफवाह फैला दई 

गऊ माता मारी देखो जनता सारी बहका दई

भीड़ कट्टरवाद नै जुटा लई खूबै ऐ जहर फैलाया।।

3

पांचों चौकी तैं काढे पुलिस चुप चाप खड़ी थी

पत्थर मारने करे शुरू वा तै नाज्जुक घड़ी थी

चाहिए चौकसी घणी थी ना हवा मैं फायर चलाया।।

4

मरने तैं पहलम पांचों हाथ जोड़ कै चिल्लाए थे

दलित हिन्दू सां हम भी अपणे नाम बताए थे

ऊपर नै हाथ ठाये थे रणबीर नहीं बचा पाया।।


250)

गलत राही 

हम जिस राही पर चाळे, इसनै घर कसूते घाल्ले

गरीबी नै देखो डेरे डाल्ले, ना टिकाऊ विकास की राही।।

मुठ्ठी भर की मौज हुई देखो बड़ा हिस्सा दुःख पारया रै

रोजगार दुनिया मैं क्यों आज सिकुड़ता जारया रै

रोजगार मिल्या ना टूटे गोड्डे, प्रदेशां मैं जाकै दुःख भोगे, 

अपने बालक पाच्छे छोड्डे,मजदूर की तो मर आई।।

गरीबी मैं घूमें ये लड़के, पटेल गुजरात मैं भड़के

जाट हरियाणे मैं रड़के, बढ़ी अमीर गरीब की खाई।।

रोजगार खत्म किया देश मैं ,जात पात पै लड़वाओ

जात पात फूट तैं ना काम चलै, धर्म पै दंगे करवाओ

बदेशी पूंजी लयाकै देश मैं, करैंगे विकास भारत का

सदियाँ तैं लेगे लूट कै, इस राही विनास भारत का 

विकास थोड़ा लूट घणी सै, लुटेरे कमेरे बीच तणी सै

बेरोजगारी पै खूब ठणी सै, गोमाता की पूंछ पकड़ाई।।

आज जनता के दुःखां का राजपाट नै फिकर नहीं रै

शिक्षा महंगी कर दी म्हारी सेहत का जिकर नहीं रै

नफरत का जहर फैलाकै, जात धर्म पै लड़वाकै

देश भक्ति का शोर मचाकै,जनता जमा लूट  कै खाई।।


251)

देश बेच दिया म्हारा, स्वदेशी का नारा लाकै।।

अमीराँ की चांदी करी गरीब गेरे कुंए मैं ठाके।।

1

चाल थारी सै आण्डी बाण्डी

नीति पाई सै बहोत लाण्डी

तमनै मारी सै खूबै डाण्डी, या जनता बहकाकै।।

2

कितै मस्जिद तोड़ी तमनै 

कितै अफवाह छोड़ी तमनै 

सोच जनता की मोड़ी तमनै, उल्टी बात सिखाकै।।

3

सेहत बेची म्हारी आज या

शिक्षा बेची सारी आज या

कृषि पै महा मारी आज या,मरते फांसी खा खाकै।।

4

तमनै नँगे हो बोली लाई

फसल फूट की बोई चाही

रणबीर चाहवै रोक लगाई, इब कलम उठाकै।।


252)

आजादी

खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।

इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।

1

आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था

लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था

एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था

कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था

इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै या ऊंची बोल दी ।

2

सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया

करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया

सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया

हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया

हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज या खंगोल दी।

3

भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे

नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे

इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे

दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे

गौरे गए आगे काले रणबीर की छाती छोल दी।

4

फुट गेरो और राज करो ये नीति वाहे चाल रहे रै

कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै

आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै

वैज्ञानिक नजर जिसकी जी नै कर बबाल रहे रै

इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की खोल दी।

2003.2004


253)

#अपनीरागनी 

86 के दौर के हालात पर 

डांगर बरोबर माणस होगे फासला खास रहया कोण्या।।

माची घणी सै आपा धापी बरतावा धांस रहया कोण्या।।

1

लूट पाट का दरबार लग्या चिड़िया नै खा बाज रहया

हो दिन धौली कत्लोगारत भरोसा कोण्या आज रहया

बलात्कारी बणे चौधरी हो बदचलनी का राज रहया

पुलिस बदमाशां की यारी हो किसा बेढंगा काज रहया

बढ़ी बेकारी भूख गरीबी यो पीसा पास रहया कोण्या।।

2

श्यामत चढ़गी कीमत बढ़गी पूरे सात असमानां मैं

बिना बात करवाया घात हिन्दू और मुसलमानां 

मैं

गरीब रोवै सै नसीबां नै आवै सरकारां की चालां मैं

भेडिये भीतर तैं असली ये घले बकरी की खालां मैं

दिन रात कमाया बावला कदे शाबाश कहया कोण्या।।

3

नाक तैं आगै देखण नै  खामखा मतना जतन करो

लूट गरीब की मेहनत नै फेर भगवती का भजन करो

गरीब अमीर की खाई नै बस बात बातां मैं दफन करो

नाश राही सुरग मिलता अच्छाई नै जला वतन करो

होगे भोगी ढोंगी कसूते जनता पै जावै सहया कोण्या।।

4

मुनाफा चाहिए अमीराँ नै बणग्या पैमाना समाज का

बिकता ईमान यो कपूरे का ना काम शर्म लिहाज का

रणबीर आज बिकै मुख्यमंत्री इस पूंजीवादी राज का

अमीर दूना अमीर हुया कितै तोड़ा हुया अनाज का

पूर्ण मल गाया खूब दादा नै पर यो नाश लहया कोण्या ।।

01.06.1986


254)

पिया

उड़ै जै रोटी खावै पिया तै आड़े आकै पीये पाणी।।

बाट तेरी मींह बरगी सै या करै पुकार तेरी राणी।।

1

तनै बताऊं इस घर मैं दीखै घोर अंधेरा हो

कदे बरोने मैं पिया तेरा सूना पडज्या डेरा हो

तंगी घर की फेर याद तेरी दिया ताप नै घेरा हो

डेढ़ साल हो लिया पूरा ना लाया एक बी फेरा हो

कई दिन तै बीमार पड़ी सूँ होती दीखै कुन्बा घाणी।।

2

फूलां तैं तोलण जोगी थी मेरा होग्या नाश शरीर का

पीस्सा कोण्या घर मैं इलाज बिना के होसै तासीर का

बहता पाणी गुणकारी हो कुछ ना बनै खड़े नीर का

मन बहोत घणा घबरावै भरोसा कोण्या तकदीर का

बालक रोवैं पायतां बैठ कै उम्र सै इबै इनकी याणी।।

3

थोड़ी लिखी नै घणी मानिये हाथ जोड़ कै कहण मेरा

मेरा देवर नीत डिगावै मुश्किल होरया यो रहण मेरा

इसी बातां नै बता पिया मन क्युकर करै सहण मेरा

इसे घरबासे तैं आच्छा तो आकै करदे दहण मेरा

किसतै बुझूं जाकै नै पिया कित होगी अर्जी लेजाणी।।

4

जब छुट्टी आवै तो ल्याईये मेरा सूट सिम्या सिमाया

बालकां के लत्ते भी ल्याईये सभी मिलै बन्या बणाया

पाजेब का एक जोड़ा ल्याईये सही ढाल घड़या घड़ाया

भूलिए मतना बालम मेरा सब कुछ लिख्या लिखाया

रणबीर आकै सम्भाल पिया कदे पड़ज्या लाश उठाणी।।

जुलाई 1986


255)

नारी

माणस तो बणै बिचारा कहैं बिघणां की जड़ या नारी।।

बतावैं वासना छिपावण नै चोट कामनी की हो न्यारी।।

1

योग ध्यान करणिया नारद पूरा योगी गया जताया

विश्व मोहिनी पै गेरी लार काया मैं काम जगाया

पाप लालसा डटी ना उसकी मोहिनी का कसूर बताया

सदियां होगी औरत ऊपर हमेशा यो इल्जाम लगाया

आगा पाछा देख्या कोन्या सही बात नहीं बिचारी।।

2

कीचक बी एक हुया बतावैं विराट रूप का साळा

दासी बणी द्रोपदी पै दिया टेक पाप का छाळा

अपनी बुरी नजर जमाई कर्या चाहया मुंह काळा

भीम बली नै गदा उठाई जिब देख्या जुल्म कुढ़ाळा

सारा राज पुकार उठ्या था नौकरानी की अक्कल मारी।।

3

पम्पापुर मैं रीछ राम का बाली बेटा होग्या देखो

सुग्रीव की बहु खोस लई बीज कसूते बोग्या देखो

गैंद बणा दी जमा बीर की उसका आप्पा खोग्या देखो

जमीन का हक खोस लिया मोटा रासा होग्या देखो

सबतैं घणी सताई जावै घर मैं हो चाहे करमचारी।।

4

पुलस्त मुनि का पोता हांगे मैं पूरा ए मगरुर होया

पंचवटी तें सीता ठाकै घमण्ड नशे मैं चूर होया

सीता थपी कलंकणी थी धोबी का कथन मंजूर होया

उर्मिला का तप फालतू था जिकरा चाहिए जरुर होया

झूठी शान की बलि चढ़ाई रणबीर या सबला म्हारी।।


256)

एक टीचर की आत्म  कथा 


के बुझैगी बात मेरी तूं मैं जिन्दगी तैं तंग आगी हे ।।

घर की सोच गैल नौकरी मैं बहोत घणा दुःख पागी हे ।।

1

सारे सोवें सुबह सबेरी रात के कासन मांजने होज्याँ 

गैस जलाऊँ पानी ल्याऊं फेर ये टीकड़ पाथने होज्याँ 

चा पिलाऊँ सब्जी बनाऊं फेर बी सुनने सांठने  होज्याँ 

सासू होवै बीमार मेरी फेर ये रंधीन  रान्धने होज्याँ  

दो पाटन  बीच जी आग्या मैं जवानी मैं जंग खागी हे।।

2

कदे चूल्हे  पै सब्जी जलज्या कदे दूध उफाना लेज्या

जै बख्त नहीं आंख खुलै सासू मोटा उल्हाना देज्या 

मेरी हद छाती देखले ना तो कौन बिराना खेज्या 

कदे रात मैं बिस्तर नै म्हारा छोटा न्याणा भेज्या 

भाज लूज कै करूँ तयारी वार होवण की चिंता छागी हे।। 

3

बारा कोस पै स्कूल जाना टैम्पू की मिलै सवारी हो 

भीड़ बेमौका होसै उसमैं बैठन की मनै  लाचारी हो 

जमा नाश होज्या साड़ी का नहीं जावै पर हमारी हो 

टैम्पू छुटज्या फेर हो सै हमनै यो संकट भारी हो 

बस कंडक्टर लिया पडै ना हम कई बै लडाई उकागी हे।।

4

थोड़ी सी वार होण पै या एक चौथाई छुट्टी कटज्या 

घने धक्के खाने होँसें म्हारा मन यो  कसूता भरज्या 

बालक भी हुए ये ऊत घने कोए ऊत पवाडा करज्या

के खाक पढ़ावें हम उड़े बची उमंग जमा मर ज्या 

बोल बतला कै आपस मैं न्योयें कई साल टपागी  हे।।

5

हैड मास्टरनी का के जिकरा सै मनै घणा डर लागै सै 

अपनी करै वा ऑन ड्यूटी म्हारी पूरी छुट्टी काटै  सै    

मैगजीन अख़बार रिसाले सब वा अपने घरां राखै सै 

वा स्वेटर बी बणवावै सै ना बनावै तो उसनै डाटै  सै 

यो किस्सा जमाना आया सै या बाड़ खेत नै खागी हे।।

6

कदे सी टी डी का रोला कदे जी पी ऍफ़ उल्टा कढ़रया 

कदे केस दिवाओ दो दो दीखै रूक्का जोर का पड़ रया 

इन छः मिहने आलियां का पासना केसों खातर पटरया  

बालक ये क्योकर इब पढ़ावें जी म्हारा फांसी पै चढ़रया 

चार सौ मैं केस ल्याना सै ना तुरत नौकरी जागी हे।।

7

साँझ का चौका सै बेमौका मैं तो  कसूती पीस दई हे 

बिना डोरी के फंदे नै इब उलझा मैं  दिन तीस दई हे  

मेरी गेल्याँ राम जी नै बी बना चार सौ बीस दई हे 

सारे कुनबे नै मिलकै मेरी तो या बांध घीस दई हे   

रणबीर किस बिध बात बनै मैं तै दिल खोल दिखागी हे।।


257)

चोट

या चोट मनै ,गई घोट मनै,गई फिरते जी पै लाग

ईब खेलूं मैं खूनी फाग।।

1

चाला होग्या गाला होग्या क्यूकर बात बताऊँ बेबे

इज्जत गंवाई चिंता लाई क्यूकर ज्यान बचाऊँ बेबे

डाकू लुटेरे फिरैं घनेरे क्यूकर गात छिपाऊं बेबे

देख अकेली करी बदफेली क्यूकर हालात बताऊँ बेबे

ना पार बसाई नहीं रोटी भाई मेरै सुलगै बदन मैं आग 

ईब मैं खेलूं खूनी फ़ाग ।।

2

के बुझेगी भाण राहन्दे काटूँ दिन मर पड़कै हे

दिन रात परेशान हुई मैं रोऊं कोठे मैं बड़कै हे

बात बणी घणी कसूती मेरे भीतर मैं रड़कै हे

रामजी किसा खेल रचाया सोचूँ खाट मैं पड़कै हे

ये उल्टा धमकावैं मनै कुलटा बतावैं उसनै कहैं ये बेदाग

ईब मैं खेलूं खूनी फ़ाग ।।

3

जिस देश मैं नहीं करते सही सम्मान लुगाई का 

उस देश का नाश लाजमी जड़ै अपमान लुगाई का 

सारी उम्र भज्या रामजी नहीं भुगतान दुहाई का

घणा अष्टा बना दिया सै यो इम्तिहान लुगाई का

मैं तो मरली दिल मैं जरली ल्याऊं नाश जले कै झाग 

ईब मैं खेलूं खूनी फाग।।

4

राम गाम सुनता होतै हम कति ज्यान तैं मरली 

औरत ईब्बे और सताई जा या मेरे दिल मैं जरली

सबला लूटी अबला लूटी बना दासी घर मैं धरली 

इबै तो और सहना होवैगा रणबीर के इतने मैं सरली 

होंठ सीऊं कोण्या चुप जीऊँ कोण्या तेरा करूं सामना निर्भाग

ईब मैं खेलूं खूनी फ़ाग ।।


258)


मनै घूम जमाना देख लिया आओ असल तस्वीर दिखाऊँ।।

मेहनत करता भुखा मरता माणस हुया गमगीर दिखाऊँ।।

1

फाईलां का बोझ एक गाड्डी अफसर का भय देख्या सै

बालक की फीस की चिंता स्याही का भी खर्चा देख्या सै

एक बेटी दहेज नै खोसी  हाल दूजी का बुरा देख्या सै

कितनी बी ल्हको छिपालयां जनता यो भितरला

देख्या सै

चौबीस घण्टे काम करां रै गैल छुटी या नकसीर दिखाऊँ।।

2

सायरन की आवज दीखै दीखै हाजरी आले की फटकार

मशीन की खटपट भी दीखै दीखै माँ बीमार पड़ी लाचार

कम बोनस की चोट कसूती दीखै या मालिक की 

बबकार

भेड़िया ज्यों खड़या दीखै यो बही खाते आला साहूकार

जात धरम तैं पीटै हमनै हम पीटें बताई लकीर दिखाऊँ।।

3

यो खाद बीज का भा दीखै भय ओल्यां का मोटा दीखै

टपके का डर भुण्डा दीखै यो सूखे का ढंग खोटा

दीखै

कमती माल उपज का दीखै खेत मैं बड़या झोटा दीखै

सारे राहयां बरबाद हुए रै बिगड़ी हुई या तकदीर दिखाऊँ।।

4

रोजाना यो संकट म्हारा घणा गहरा होन्ता आवै देखो

ना मिल बैठ बात करै दूना दूर दूर भाजता जावै देखो

जितना दूर भगावां टोटा यो उतना नजदीक पावै देखो

इस तरियां नहीं बात बनै रणबीर कलम घिसावै देखो 

यूनियन बिना चारा कोण्या असल भाई तदबीर बताऊं।।



259)

करां एकता बेबे 

देश एकता खतरे मैं बेबे हमनै रैहना तैयार पड़ैगा।।

जुल्मो सितम की टक्कर मैं हमनै अड़ना हरबार पड़ैगा।।

1

कई बाहण न्यों कहवैं सैं क्यों अपनी तरफ लखाती ना

देश की सोच्चण चाल पड़ी घर बार की सोची जाती ना

देश बिना कड़ै रोटी सैं बेबे म्हारी समझ मैं आती ना

म्हारी भूख क्यों बढ़ती जावै इसका हिसाब लगाती ना

घर का संकट न्यारा कोण्या हमनै करना विचार पड़ैगा।।

2

सारी बहनों को पड़ै जगाणा सै मुश्किल काम म्हारा

समता संगठन बनाये बिना ना दिखता कोये चारा

सारी बहनों नै कट्ठी करकै हम लावां मिलकै नारा

साम्प्रदायिकता जहरी नाग सै डस लिया चैन सारा

जात धर्म की छोड़ लड़ाई हमनै होणा इकसार पड़ैगा।।

3

अपना संगठन बणा करकै सब बहनों नै बतलावांगी

म्हारा सिंदूर कौन पूँछग्या सब बहनों नै

समझावांगी

समता और नारी शिक्षा का मतलब खोल दिखावांगी

सब भाइयां गेल्याँ रल मिल कै हम संविधान बचावांगी

सम्भालना होगा हम सभणै इब करणा यो प्रचार पड़ैगा।।

4

गलत दिशा दिखा हमनै बैरी अपना फायदा ठावैं हे

कदे औरत अपने हक मांगै न्यों उल्टी राह दिखावैं हे

धर्म का फतवा देकै एक दूजे के सिर कटवावैं हे

भ्रम फैलाकै जनता बीच हमनै आपस मैं लड़वावैं हे

कहै रणबीर रही एकली तो हमनै मरणा बारंबार पड़ैगा।।


260)

आपस के रगड़े मैं

आपस के रगड़े मैं भाई म्हारी असल लड़ाई लटकती रहज्यागी।।

एका नहीं करया तो औलाद भाई अपना सिर पटकती रहज्यागी।।

1

क्यों अनसमझी मैं लड़कै नै हमसफ़रां तैं बिगाड़ करै

म्हारा वर्ग सहयोग का रास्ता घर अंदर म्हारे उजाड़ करै

न्यों क्योकर काम चलैगा जै नुकसान खेत मैं बाड़ करै

वर्ग संघर्ष का सही रास्ता सै तों ईसपै मतना राड़ करै

दुश्मन के संग तो लाड करै छाती मैं बात खटकती रहज्यागी।।

एका नहीं करया तो औलाद भाई अपना सिर पटकती रहज्यागी।।

2

आपस का हम द्वेष त्याग कै बढ़ा कै अपना काम दिखावाँ

दुनिया की घुड़ दौड़ मैं हम अपना ताम झाम दिखावाँ

आगै आने आले बख्त का हम बना सही प्रोग्राम दिखावाँ

कित कित आगै बढ़ना सै खोल कै सारे मुकाम दिखावाँ

घणा करकै मजबूत काम दिखावाँ ना ज्यान भटकती रहज्यागी।।

एका नहीं करया तो औलाद भाई अपना सिर पटकती रहज्यागी।।

3

इस वर्ग संघर्ष की पढ़ाई नै हम सारे ही परवान चढ़ावां

गैल मैं अपने बालकां ताहिं वर्ग संघर्ष का पाठ पढ़ावां

भगतसिंह जिसे वीरों की हम हांगा लाकै स्यान बढ़ावां

गरीब अमीर लड़ने का सारे मिलकै समान चन्डावां

सोच की सही धार कढ़ावां दुश्मन कै खटकती रहज्यागी।।

एका नहीं करया तो औलाद भाई अपना सिर पटकती रहज्यागी।।

4

इबी नहीं बखत बिचारया तै जीवन म्हारा निष्फल होवै

दुश्मन म्हारी ताकत पिछाणै ना ओ चैन की नींद सोवै

पिला चेहरा लाल बनाना सै ना कीमती यो पल खोवै

रणबीर सिंह संघर्ष का साथी ना यो सूखा थूक बिलौवै

फेर सुख का ढंग न्यों होवै साहूकारी सिर पटकती रहज्यागी।।

एका नहीं करया तो औलाद भाई अपना सिर पटकती रहज्यागी।।


261)

सर्व कर्मचारी संघ नगर पालिका कर्मचारी संघ के सम्मेलन के मौके पर 

कितना ए दमन करल्यो इब कर्मचारी ना डरने का ।।

कितने सब्ज बाग दिखाल्यो थारी चाटुकारी ना करने का।।

1

दमन करया तो सुनल्यो सड़कों पर फिर जंग होगा

एक तरफ पुलिस थारी साहमी कर्मचारी संघ होगा

लाल चौगिरदें रंग होगा थारी ताबेदारी ना करने का।।

कितने सब्ज बाग दिखाल्यो थारी चाटुकारी ना करने का।।

2

सस्पैंड करकै लालच देकै पार थारी नहीं जाणे की

बख्त सै लेल्यो सम्भाला समों फेर नहीं सै आने की 

सोचो वायदा पुगाणे की जहाज अत्याचारी ना तिरने का ।।

कितने सब्ज बाग दिखाल्यो थारी चाटुकारी ना करने का।।

3

झूठे साच्चे बाहने लाकै क्यों कर टाल मटोल रहे रै

पहले आल्यां कै दां मारे अपनी कड़ नै रोल रहे रै

क्यों ताकत तोल रहे रै थारी पहरेदारी ना करने का।।

कितने सब्ज बाग दिखाल्यो थारी चाटुकारी ना करने का।।

4

दो सौ चालीस दिन आले रेगुलर क्यों ना करे दखे

पुरानी पेंशन देनी ओटी ऑर्डर क्यों ना करे दखे

काम क्यों ना करे दखे रणबीर इंतजारी ना करने का।।

कितने सब्ज बाग दिखाल्यो थारी चाटुकारी ना करने का।।


262)


महिलाओं का गन्दे पोस्टरों के खिलाफ रोष

सरड़क कै ऊपर मनै देखी पन्दरा बीस लुगाई हे।।

चेहरे पै रोष घणा था कांधै पै सीढी ठाई हे।।

1

लाम्बी सी पतली छोरी झटपट सीढ़ी पै चढ़गी थी

महिला समिति जिंदाबाद कहकै आगे नै बढ़गी थी

लोग घणे कट्ठे होगे थे वे चेहरे उनके पढ़गी थी

अश्लील पोस्टर पाड़े थे मुट्ठी हवा मैं कढ़गी थी

एक भोली सी सूरत आली चौगरदें नै लखाई हे।।

चेहरे पै रोष घणा था कांधै पै सीढी ठाई हे।।

2

आगे नै डिंग पाटी ना मैं भी उनके म्हां रलगी हे

मनै दो पोस्टर करे काले उमंग न्यारी ए खिलगी हे

मैं चारों कांहीं लखाई आंख देवर तैं मिलगी हे

कूची गई छूट हाथ तैं मेरी पूरी काया हिलगी हे

मनै कोण्या होंश रहया मैं भाजी घर नै आई हे।।

चेहरे पै रोष घणा था कांधै पै सीढी ठाई हे।।

3

मन मैं था भय घणा तावली सी भीतर बड़गी थी

वे लुगाई बहादुर थी जो करड़ी होकै लड़गी थी

संगठन इब बणाणा होगा बात कानां मैं पड़गी थी

ऊंचा बोल समझ साफ थी जोप जोप कै जड़गी थी

भूंडे पोस्टर जो दीवारों पै सभकी करी पुताई हे।।

चेहरे पै रोष घणा था कांधै पै सीढी ठाई हे।।

4

सिस्टम का कमाल बतावैं औरत बस एक चीज बणादी

बीर मर्द की आपस मैं आज देखो शमशीर तणा दी

सास बहू का यो रिश्ता घणी ऊंची भीत चिणा दी

मंडी मैं दी बिठा महिला पूरी या देखो रीत गिणा दी

दवा महिला समिति बतावै रणबीर नै समझाई हे।।

चेहरे पै रोष घणा था कांधै पै सीढी ठाई हे।।

1986--87 की रचना


263)

महिला समिति की महिलाएं अपनी मांगों के लिए डी. सी.की कोठी पर धरना देती हैं । उनकी नेता भरतो को बुलाने आती हैं ।भरतो तैयार होकर चलती है तो मौजी उसका पति पूछता है कहाँ जा रही हो। भरतो इस सवाल जवाब में क्या कहती है भला:

मौजी:

तैयारी करकै कित चाली यो बालक इब्बे याणा सै।।

भरतो: 

महिला समिति का धरणा उसके म्हं मनै जाणा सै।।

मौजी:

इबकी गई कद आवैगी यो खाणा किन्नै बनाणा सै।।

भरतो:

रोटी पोकै धरदी मनै बस घाल कै तनै खाणा सै।।

मौजी:

के काढैगी धरने पै ये उल्टी सीख सिखावैं सैं

या राही तो ठीक नहीं तनै इसपै कौन ले ज्यावैं सैं 

मनै नहीं बेरा लाग्या कौन ये पाठ पढ़ावैं सैं 

पाछले दो मिहने होगे बढ़ चढ़ कै बात बणावैं सैं 

घरां रैहना जरूरी तेरा हमनै टूर पै जाणा सै।।

भरतो:

सारी उम्र मैं मेरा तो पहला बुलावा आया यो

महिला समिति बणी सै उसनै कदम उठाया यो

औरत नै जागना चाहिए पूरी ढालाँ समझाया यो

बिजली पाणी की खातर धरणा आज लगाया यो 

इतनी सी मोहलत दे दे मनै तो वचन पुगाणा सै।।

मौजी:

दिल की बूझै मेरी तो आछी लागी ये बात नहीं 

कित धक्के खावैगी तों पहचानै क्यों औकात नहीं 

न्यों घर छोड़ कै जाणा दीखै आछी शुरुआत नहीं

कहण मानले यो मेरा बस इतना ही समझाणा सै।।

भरतो:

कई पढी लिखी ये बेबे बढ़िया बात बतावैं सैं 

बीर नै आगै आणा चाहिए इस तरियां समझावैं सैं 

बीर मर्द नै ये गाड्डी के पहिये दो दिखावैं सैं

घर का संकट कम होज्या न्यों धरणा आज लगावैं सैं 

रणबीर सिंह संग मिलकै घर घर अलख जगाणा सै ।।


264)

जात धर्म नै कौन पालरया  हमनै पड़ै समझना भाई।।

वोहे लूट की राही चालरया जिनै इसकी महिमा गाई।।

1

जात धर्म की राजनीति मैं जद ताहिं माची रोल रैहगी 

गांठ पल्ले कै मार लियो तद ताहिं ढकी पोल रैहगी

इनमैं जहर गुड़ तैं मीठा कद ताहिं चाली बोल रैहगी

प्यास मिटै कोण्या म्हारी जद ताहिं नेजु डोल रैहगी

बकरी का के मेल शेर तैं या तो दुनिया कहती आई।।

वोहे लूट की राही चालरया जिनै इसकी महिमा गाई।।

2

पंजाबी का बिना नौकरी छोटी मोटी रेहड़ी लावै सै

ब्राह्मण का करै हजूरी सहूकारां की पत्तल ठावै 

सै

जाट का बिना नौकरी गिहूँआँ की गोली खावै 

सै

कदे आज्याँ एक पाले मैं न्यों लुटेरा बेकूफ़ बनावै सै

ठेकेदार जात के मारैं तान्ने , क्यों जात पै उंगली ठाई।।

वोहे लूट की राही चालरया जिनै इसकी महिमा गाई।।

3

लाओ विचार जमात का फेर भाइयां का कठ होज्या

असली मांगों लड़ें मिलकै फेर धनवानां का मठ होज्या

कित जाट ब्राह्मण बचै फेर इंसानां का गठ होज्या 

मुनाफाखोर चोर सैं जितने फेर बेईमानां का भठ होज्या

सपने लिए इसे राज के भगत सिंह हर नै फांसी खाई।।

वोहे लूट की राही चालरया जिनै इसकी महिमा गाई।।

4

इस जमात का नमूना उसनै इस तरियां पेश किया

जात पै लड़ाई खतरे की इसतैं सदा ही परहेज किया

जमातां की सै असल लड़ाई ईसा उणनै उपदेश दिया

चोला तार भगाया जात का फेर क्रांतिकारी भेष किया

चक्रव्यूह समझण की चाहणा रणबीर सिंह नै बताई।।

वोहे लूट की राही चालरया जिनै इसकी महिमा गाई।।

1987


265)

पंजाब में खालिस्तान का दौर और फिर सिखों के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे। उसी दौर की लिखी एक रागनी :--

बुरा हाल देख देश का आज मेरा जिगरा रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

1

मेल मिलाप खत्म हुया पकड़या राह तबाही का

सिख हिन्दू का गल काटै हिन्दू सिख भाई का

मारकाट बिना बात की यो सै काम बुराई का 

पर फिकर सै किसनै देखै खेल जो अन्याई का

माता खड़ी बिलख रही जिगर का टुकड़ा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

2

पंजाब मैं लीलो लुटगी चमन दिल्ली मैं रोवै सै

धनपत तूँ कड़ै डिगरग्या चमन गली गली टोह्वै सै

यो सारा चमन उजड़ चल्या तेरा साज कित सोवै सै

ना मन की बुझनिया कोय लीलो बैठ एकली रोवै सै

कित तैं ल्याऊं लख्मीचंद जिसनै सही छंद पिरोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

3

चौड़े कालर फुट लिया यो भांडा इस कुकर्म का

धर्म पै हो लिए नँगे ना रहया काम शर्म का 

लाजमी हो तोड़ खुलासा इस छिपे हुए भ्रम का

घड़ा भर लिया पाप का यो खुलग्या भेद मरम का 

देखी रोंवती हीर मनै जन सीने मैं तीर चुभोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

4

इसे कसूते कर्म देखकै सूख गात का चाम लिया

प्रीत लड़ी बिखर गई अमृता नै सिर थाम लिया

शशि पन्नू की धरती पै कमा कसूता नाम लिया 

भगत सिंह का देश भाई हो बहोत बदनाम लिया

असली के सै नकली के सै यो सच गया पूरा धोया ।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

5

फिरकापरस्ती दिखै सै इन सब धर्मां की जड़ मैं

लुटेरा राज चलावै सै बांट कै धर्मां की लड़ मैं

जितनी ऊपर तैं धौली दीखै कॉलस उतनी धड़ मैं

जड़ दीखें गहरी हों जितनी गहरी हों बड़ मैं

या धर्म फीम इसी खाई दुनिया नै आप्पा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

6

सिर ठाकै जीणा हो तै धर्म राजनीति तैं न्यारा हो 

फेर मेहनत करणीया का आपस मैं भाईचारा हो

फेर नहीं कदे देश मैं लीलो चमन का बंटवारा हो

कमेरयां की बनै एकता ना चालै किसे का चारा हो

रणबीर बी देख नजारा ठाडू बूक मार कै रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

6/1/86


266)

भूख 

भूख बीमारी घणी कलिहारी कहैं इसका कोये इलाज नहीं।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

1

भूख रूआदे भूख सुआदे भूख बिघन का काम करै

भूख सतादे भूख मरादे भूख ये जुल्म तमाम करै

कितना सबर इंसान करै उनकै माचै खाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

2

शरीर बिकादे खाड़े करादे भूख कति बर्बाद करै

आछे भुन्डे काम करादे मानस हुया बर्बाद फिरै

आज कौन किसे नै याद करै दीखै कोये हमराज नहीं 

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

3

भूख पैदा करै भिखारी पैदा बड़े बड़े धनवान करै

एक नै भूख दे करकै दूजा पेट अपना बेउन्मान भरै

एक इत्तर मैं स्नान करै दूजे धोरै दो मुट्ठी नाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।

4

लूट नै दुनिया भाइयो दो पाल्यां बिचाळै बांट दई 

मेहनत करने आला भूखा मक्कारी न्यारी छाँट दई

लूट नै सच्चाई आँट दी रणबीर सुनै धीमी आवाज नहीं ।।

बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।


267)

रामजी 

सबकी कथा सुनै रामजी मेरी बीती तूँ सुणले ।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले ।।

1

दिन रात कमाऊं हाड तोड़कै क्यों दुखड़ा काल करै

या गर्मी शर्दी घाम खेत मैं खड़्या नया बबाल करै

नहीं इब तलक तनै बिचारया मारण का मत हाल करै

इब खोल बतादे सारी किस तरियां मनै कंगाल करै

सवा पांच का प्रसाद चढ़ाऊँ मेरी भी तूँ सुधले ।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले ।।

2

मेहरबानी दूजी तरफ तेरी लोग खूब मौज उड़ावैं

कमाई में करण लागरया लूट वे जालिम ले ज्यावैं

मेरे पै काम तीस का करवाकै देकै आठ बहकावैं

पूंजी बनाकै मेहनत मेरी मनै डाकू चोर ठहरावैं

तूँ हिम्मात करै झूठ की बजा उसकी धुनले।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले ।।

3

सस्ता लेकै महंगा देवैं नीति इसी चाल रहे सैं

देदे कै करज दाब लिया बिछा मेरे पै जाल रहे सैं

सारी धरती गहनै धरली बिकवा घर का माल रहे सैं

बतावैं इसमैं तेरी महिमा सब तरियां कर काल रहे सैं

भरोसे की इमारत ढह ली इसनै हट कै नै चिणले।।

4

कहैं तेरे हुक्म बिना तो एक पत्ता तक ना हिलता

सारी चीज तों बनावै मेरा हिस्सा क्यों ना मिलता 

न्याकारी किसा सै तूँ मेरे बगीचे फूल ना खिलता

खुद मनै बतादे क्यों बेइमानां का राज ना गिरता

जड़ दीख ली तेरी रामजी किसाए जाल तूँ बुणले।।

दूध का दूध पाणी का पाणी हंस बनकै तूँ चुणले।।


268)

खून के रिश्ते तै गाढ़ा यो पसीने का रिश्ता बताया।।

जात के रिश्ते तै ठाडा जमात का रिश्ता दिखाया।।

1

इस दुनिया मैं तीन ढाल के माणस आज गिणवाऊँ

एक ठोड़ तै उनकी जिनकै हाथै ए हाथ दिखलाऊँ

दूजी ठोड़ के हाथां गेल्याँ कुछ साधन भी बतलाऊँ

तीजी ठोड़ हाथ कोण्या साधन ही साधन जुटवाऊं

सारे रिश्ते भीतर इनकै नहीं बाहर का रिश्ता पाया ।।

2

निरे हाथ सैं जिसकै कुछ साधन आले का भाई

दोनूंआं नै जात भूलकै पड़ै करनी कष्ट कमाई

साधन आला बैठ चैन तैं दोनों की करै लुटाई

छिपावै तासीर लूट की जब देवै जात दुहाई

पड़कै जाल भर्म के म्हां आज खून का रिश्ता भाया।।

3

जाट कमावै बाहमण भी खेतों मैं कच्चा माल उगावै

खेत मजदूर दलित भी इनकी गेल्याँ यो ज्यान गलावै

मजदूर मशीन चलाकै नै उसका पक्का माल बनावै

शर्मा जाखड़ राम जीत सिंह इन सबका मोल लगावै

मुनाफाखोरी का सबतैं कांटे का यो रिश्ता समझाया।।

4

अमीर गरीब दो जमात सैं अमीर गरीब नै बहकावै

एक भाई अफसर होज्या ना गरीब भाई नैं सँगवावै

पीसे आला दलित भी न्यारा पानी का मटका धरवावै

साथ ना देवै खून का रिस्ता यो पीसा सब करवावै

मेहनतकश का असली मैं जमात का रिश्ता छिपाया।।

5

जमात की कड़ तोड़न खातर जात खून की ढाल बनै

या खड़पटवार की ढालां बिन बात की बबाल बनै

जात ढेरयां आला कुड़ता काढ़े पाछै जंजाल टलै

जमात का हो चाबुक फेर घोड़ा दुड़की चाल चलै

बनै पसीने तैं पूंजी रणबीर मार्क्स नै यो पाठ पढ़ाया ।।


269)

देख्या इसा गोरख धंधा मेहनत कौडी मोल बिकादी।।

अमीर गरीब का गल काटै घणी कसूती रोल मचादी।।

1

ज्यों ज्यों उम्र बढ़ै मेरी त्यों त्यों करजा बढ़ता जा

डांगर भूखे मरते ठाण मैं सूका तूड़ा भी मिलता ना

आढ़ती कै फसल चली जा करजा मेरा घटता ना

देखो उल्टी रीत जगत की मेरा ए पेटा भरता ना

भगवान भी ना सुणता मेरी घणी रापट रोल मचादी।।

2

यो किस्सा चक्कर होणी का ना मेरी समझ मैं आया

घराँ या सिवासन बेटी बैठी दुनिया नै लानत लाया

पहला समधी ना लिया पड़ै मैं इस चिंता नै खाया

मकड़ी ज्यों घिरया जाल मैं ना ठोर ठिकाना पाया

वा बिन आई बूढ़ी होली पायां की रमझोल बिकादी।।

3

आंख्यां देखी बात बतारया झूठी बात के सौ कोड़े खाऊं

क्यों नहीं सुनते भाई मैं राम गाम की कथा सुनाऊं

लागत  फालतू आमदन कम क्युकर घरबार चलाऊं

दिन रात मेहनत करता माट्टी गेल्याँ माट्टी हो जाऊं

गर्मी शर्दी की परवाह कोण्या जिंदगी अनमोल लुटादी।।

4

हंसण बोलण का काम ना वे  किलकारी भूल गया

ना कितै आणजाण की फुरसत रिस्तेदारी

भूल गया

दूध जलेबी फाग तीज वे सब लछेदारी

भूल गया

नहीं आपा याद रहया अपनी घरबारी

भूल गया

रणबीर मनै तेरे आगै अपनी छाती आज खोल दिखादी।।


270)

तोड़ की बात 

स्वास्थ्य और शिक्षा का यो सरकार नै बजट घटाया रै।।

स्वामीनाथन रिपोर्ट नाटगे किसान फांसी पै चढ़ाया रै।।

1

विश्व बैंक मुद्रा कोष गेट की तिग्गी मार गहरी करती

बदेशी पूंजी देशी कारपोरेट म्हारी कष्ट कमाई चरती

पन्दरा लाख काले धन तैं म्हारी गौज क्यों नहीं भरती

महंगाई तैं ध्यान हटाणे नै दंगे करवाने तैं नहीं डरती 

मेल देशी बदेशी पूंजी का साम्प्रदायिकता तैं बिठाया रै।।

स्वास्थ्य और शिक्षा का यो सरकार नै बजट घटाया रै।।

2

पब्लिक सेक्टर ऊपर इसका हमला घणा भारी देखो

प्राइवेट सैक्टर की चाँदी सरकार बणी महतारी देखो 

कई लाख  करोड़ बारा साल मैं सब्सिडी जारी देखो

अम्बानी के तलवे चाटते मजदूरां पै धरी आरी देखो 

सातवें वेतन आयोग का कर्मचारी पै तीर चलाया रै।।

स्वास्थ्य और शिक्षा का यो सरकार नै बजट घटाया रै।।

3

हरियाणे मैं भी अपणे वायदे भाजपा जमा भूल गई

राज नशे मैं कसूती ढालां देखो सरकार टूहल गई

पढ़ाई की शर्त का चुनाव पै बणा छाकटा रूल गई

आरक्षण पै खेल खेलकै पकड़ा तबाही नै तूल गई

जात और धर्म का जाणकै यो जहर कसूत फैलाया रै।।

स्वास्थ्य और शिक्षा का यो सरकार नै बजट घटाया रै।।

4

स्कूली शिक्षा हो चाहे उच्च शिक्षा सारै फीस बधाई सै

सरकारी अस्पतालों मैं भी बिन डॉक्टर इलाज चाही सै

सरकारी नौकरियां पै आज या कसूती कटार चलाई सै

किसान मजदूर मारे धरती कै महिला की भ्यां बुलाई सै

रणबीर लेल्यो  सम्भाला विकास नहीं विनास कराया रै।।

स्वास्थ्य और शिक्षा का यो सरकार नै बजट घटाया रै।।



271)

गुंडा गर्दी

इस गुंडा गर्दी नै बेबे ज्यान काढ ली मेरी हे ।।

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

1

रोज तडकै  होकै त्यार मनै हो कालेज के म्हं जाना

नपूता रोज कून पै पावै उन्नै पाछै साईकल लाना 

राह मैं बूढ़े ठेरे बी बोली मारैं हो मुश्किल मन समझाना 

मुंह  मैं घालन नै होज्याँ मनै साब्ती नै चाहवैं खाना

उस बदमाश जले नै एकबै चुन्नी तार ली मेरी हे।।

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

2

मनै सहमी सी नै माँ आगे फेर बात बताई सारी

सीधी जाईये सीधी आईये मनै समझावै महतारी

तेरा ए दोष गिनाया जागा जै तनै या बात उभारी

फेर के रह्ज्यगा बेटी जिब इज्जत लुटज्या म्हारी

बोली हाथ जोड़ कै कहरी मनै मान ली भतेरी हे।।

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

3

न्यों गात बचा कै मनै  पूरे तीन साल गुजार दीये 

एच ए यूं  मैं लिया दाखिला पढ़न के विचार कीये 

वालीबाल मैं लिकड़ी आगे  सबके हमले पार कीये

के बताऊँ  किस किस नै मेरे पै जो जो वार कीये

मार मार कै तीर कसूते या छाती साल दी मेरी हे।।

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

4

कुछ दिन पहलम का जिकरा दूभर जीणा  होग्या

इन हीरो होंडा आल्यां  का रोज का गमीणा  होग्या

कई बै रोक मेरी राही खड्या वोहे कमीणा  होग्या

उस दिन बी मैं रोक लई घूँट खून का पीणा  होग्या

कई हाँसें थे उडै  जिब साईकल थाम ली मेरी हे।।

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

5

मेरी आँख्यां  आगे अँधेरा था पर मने वो थपेड दिया 

जोर का मारया धक्का मोटर साईकल धकेल दिया

नयों बोल्या मैं ना असली जै घाल नहीं नकेल दिया

तनै पड़ैगा भुगतना छोरी मोटा तित्तया यो छेड़ दिया

न्यों कहै उस नीच जले नै बांह मोस दी मेरी हे ।।

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

6

भीड़ मैं तै फेर एक छोरा थोड़ा सा आगे नै आया था 

के थारे बहन बेटी नहीं सै वो थोड़ा सा गुर्राया था

उतरया  पेट मैं छः इंची बेचारे नै चक्कर खाया था

देख लिया अंजाम उसका  जिन्नै बीच मैं पैर अड़ाया  था

ठा फिट फटी भाज गये उन्नै लाज राख दी मेरी हे।।

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

7

एक बोल्या के बिगडया  तेरा छोरा ज्यान तै खूज्यागा

दूजा बोल्या ताली दो हाथों बाजै नया पवाड़ा बूज्यागा

मैं सोचूँ के होगा जिब यो बर्ताव  म्हारी जड़ों मैं चूज्यागा

सराफत नहीं टोही पावै बदमाशी का लाग यो ढूँज्यागा

हांगा ला बचा लिया डाक्टरों नै  बचा साख दी मेरी हे।।

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

8

हे मेरी बहना म्हारी गेल्याँ इसी बात रोज बनै सै हे

इसे ऊतों की या सड़कों ऊपर पूरी फ़ौज फिरै सै हे

एक एक करकै तेरी मेरी या कटती गोज फिरै सै हे

सब कठठी  होल्यो नै सबनै कहती सरोज फिरै सै हे

पुलिस मुश्किल मदद करै रणबीर गांठ बांध दी मेरी हे।।

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।


272)

सृष्टि

सृष्टि बारे सब धर्मां नै न्यारा-न्यारा अन्दाज लगाया।।

देवी भगवती पुराण न्यों बोलै एक देवी संसार रचाया।।

1

ब्रह्मा के भगत जगत मैं ब्रह्म को जनक बताते भाई

शिव पुराण का किस्सा न्यारा शिव जी जनक कहाते भाई

गणेश खण्ड न्यों कहवै गणेश जी दुनिया चलाते भाई

सुरज पुराण की दुनिया सुरज महाराज घुमाते भाई

विष्णु आले न्यों रुक्के मारते विष्णु की निराली माया।।

देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।

2

विष्णु और महेश के चेले दुनिया मैं घणे बताये देखो

आपस मैं झगड़ा करकै कई बै सिर फड़वाये देखो

आपस की राड़ मेटण नै त्रिमूर्ति सिद्धांत ल्याये देखो

ब्रह्मा पैदा करैं विष्णु पालैं शिव नै संहार मचाये देखो

बाइल नै सबतै हटकै पैगम्बर का नाम चलाया।।

देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।

3

यो बुद्धमत उभर कै आया त्रिमूर्ति का विरोध किया

जैन मत बी गया चलाया नहीं दोनों को सम्मान दिया

यहूदी और धर्म ईसाई एक ईश्वर को धार लिया

इस्लाम नै एक खुदा मैं अपणा लगाया फेर हिया

दुनिया मैं माणस नै एक ईश्वर सिद्धान्त पनपाया।।

देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।

4

बिना सोचें समझें इसाइयां नै परमेश्वर गले लगाया सै

मुसलमान क्यों पाछै रहवैं यो अल्लाह हाकिम बनाया सै

सिक्खां नै शब्द टोह लिये औंकार झट दे सी सुनाया सै

हिन्दुआं नै तावल करकै नै ओइम दिल पै खिनवाया सै

माणस एक पर धर्म इतने जीवन क्यूकर जावै बिताया।।

देवी भगवती पुराण न्यों बोले एक देवी संसार रचाया।।


273)

बदली आंख युद्ध जीत कै अंग्रेजों की सरकार नै।।

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

1

फिरंगी की हालत खराब हुई  शुरू पहला वल्र्ड वार हुया 

भारत देश नै करां आजाद अंग्रेजों का यो प्रचार हुया

इसे शर्त पै मदद गार हुया ले सारे घर परिवार नै।।

2

जर्मन चढ़ता आवै लन्दन पै अंग्रेजों नै हाथ फैलाया था

मदद करो रै अंग्रेजों की गांधी जी नै नारा लाया था

रंगरूट भर्ती करवाया था यो देख्या सारे संसार नै।।

3

वायदा करकै नाट गया यो विश्वास खोया म्हारा था

काले कानून करे लागू माइकल ओ डायर हत्यारा था

होमरूल का नारा था हुई मुश्किल फिरंगी दरबारर नै।।

4

कलकत्ता कोर्ट मैं जज भारतवासी हसन इमाम रै

किलेटन बेहूदे गोरे नै गाली देदी थी सरेआम रै

देश उठ लिया तमाम रै देख फिरंगी अत्याचार नै।।

6.11.1990


274)


निशान काला जुलम कुढाला यो जलियां आला बाग हुया।।


अंग्रेज हकुमत के चेहरे पै घणा बड्डा काला दाग हुया।।

1

देश की आजादी की खातर बाग मैं तोड़ होग्या

इतिहास के अन्दर बाग एक खास मोड़ होग्या

देश खड़या एक औड़ होग्या जिब यो खूनी फाग हुया।।

अंग्रेज हकुमत के चेहरे पै घणा बड्डा काला दाग हुया।।

2

इसतै पहलम बी देश भक्ति का था पूरा जोर हुया

मुठ्ठी भर थे क्रान्तिकारी सुधार वादियों का शोर हुया

दंग फिरंगी चोर हुया बुलन्द आजादी का राग हुया।।

अंग्रेज हकुमत के चेहरे पै घणा बड्डा काला दाग हुया।।

3

शहरी बंगले गाम के कंगले सबको ही झकझोर दिया

कांप उठी मानवता सारी जुलम घणा महाघोर किया

एकता को कमजोर किया इसा फिरंगी जहरी नाग हुया।।

अंग्रेज हकुमत के चेहरे पै घणा बड्डा काला दाग हुया।।

4

कुर्बानी दी उड़ै वीरों नै वा जावै कदे बी खाली ना 

जिब जनता ले मार मंडासा फेर पार किसे की चाली ना

जीतो बैठैगी ठाली ना रणबीर सिंह चाहे निर्भाग हुया।।

अंग्रेज हकुमत के चेहरे पै घणा बड्डा काला दाग हुया।।


275)


*उसी दौर की एक और रागनी*

*आजादी के आंदोलन की लहर*

अंग्रेज फिरंगी लारया अड़ंगी म्हारे प्यारे प्रदेश पंजाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै युवा बच्चा पंजाब मैं।।

1

तिलक दहाड़े ऐनी पुकारै होम रूल ल्याकै मानांगे

जनता चाली धरती हाली देश आजाद कराकै मानांगे

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई मिलाकै चालां कांधा पंजाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै युवा बच्चा पंजाब मैं।।

2

हथियार उठाकै अलख जगाकै चले क्रांतिकारी बंगाल मैं

नौजवान पंजाबी हमला जवाबी चाहया देना हर हाल मैं

साथी लाला हरदयाल मैं फेर उठी थी चिंगारी दोआब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै युवा बच्चा पंजाब मैं।।

3

पाल्टी बनाई गद्दरी भाई दूर विदेश मैं जा करकै देखो 

करे हथियार उड़ै तैयार ज्यान की बाजी ला करकै देखो

हिंदुस्तान मैं आ करकै देखो भरया देश प्रेम नवाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै युवा बच्चा पंजाब मैं।।

4

तीन सौ हिंदुस्तानी जहाज जापानी कनाडा कांहीं चाल पड़े

कनाडा तैं ताहे उल्टे आये सोचें राह मैं सारे बेहाल खड़े

जेलों मैं दिए डाल बड़े कुछ आये रणबीर तैर सैलाब मैं ।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै युवा बच्चा पंजाब मैं।।


276)


अंग्रेज हुकूमत ताहिं दी चुनौती पहली ठारा सो सतावन मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

1

सबक सिखावन नै हमको डायर जुल्मी तिलमिला गया था

रोलेट एक्ट खत्म करो हड़ताल देख कै बौखला गया था

बच्चा बुढ़ा कुलमुला गया था झेले कष्ट अंग्रेज भजावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

2

इस पाछै तो भारत सारा आजादी खातर कूद पड़या था

पाली हाली क्लर्क बाबू जाड़ भींच कै खूब लड़या था

उधम लन्दन मैं जा बड़या था ओडायर तैं हिसाब चुकावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

3

तेरा अप्रैल का दिन था कट्ठे बाग मैं नर नार हुए थे

काले कानून उल्टे लेओ वे लड़ने खातर तैयार हुए थे

पैने अंग्रेज के हथियार हुए थे म्हारी आवाज दबावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

4

फेर बख्त की धार बदलगी जलियाँ वाले बाग के म्हां

सारे हिंदुस्तानी कूद पड़े थे आजादी आले फाग के म्हां

रणबीर कूद पड़े आग के म्हां देश नै आजाद करावण मैं।।


277)


*दाई का जीवन*

मानवता कै घाली बेड़ी दिल मेरा घणा घबरावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के मैं ल्यावै।।

1

नौ मिहने पलकै पेट मैं जब दुनिया मैं आणा चाहवै

माँ कै प्रसव पीड़ा जोरकी वा पड़ी खाट मैं चिलावै

दाई दादी फेर सारे कुन्बे कै याद बहोत घणी आवै

खून मैं हाथ सांनकै अपने बालक नै सांस दिवावै

बालक लिटा जच्चा धोरै वा अपना फर्ज निभावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के मैं ल्यावै।।

2

सौ मां तैं कई आज बी या जाप्पे करवावै दाई म्हारी

घणा गजब का काम करै संसार दिखावै दाई म्हारी

माड़ी ऊक चूक होज्या तैं बिसराई जावै दाई म्हारी

जातपात पै बंटे समाज मैँ ना आदर पावै दाई म्हारी

दूर तैं बगाकै रोटी दें उसनै दाई दुखी मन तैं ठावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के मैं ल्यावै।।

3

ये रिवाज कदे कदीमी के मानकै दादी चुप होज्या

अपनी व्यथा बतावै किसनै बैठ कोने मैं वा रोज्या

ईसा जुल्मी हाल देखकै माणस कैसे चैन तैं सोज्या

इसी तरक्की नै के चाटैं जो आपसी रिश्ते ये खोज्या

पुराना ठीक ना करया ज्यां नया भी बिगड़ता जावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के मैं ल्यावै।।

4

जात पात धर्म तैं ऊपर हो मानवता नै आजाद करां

मानवता का इंसानी रिश्ता दुनिया मैं आबाद करां

पिस्से की गुलाम मानसिकता मिलकै नै बर्बाद करां

जात पात पै ना खड़या आज कोये हम फसाद करां

रणबीर नये समाज सुधार तैं दादी दाई सम्मान पावै।।

हम दुत्कारां उसनै जो हमनै दुनिया के मैं ल्यावै।।


278)


लिए कर्ज के मैं डूब, हमनै तिरकै देख्या खूब,


 ना भाजी म्हारी भूख, लुटेरयां नै जाल बिछाया, हे मेरी भाण


1. ज्यों.ज्यों इलाज करया मर्ज बढ़ग्या म्हारा बेबे


  पुराने कर्जे पाटे कोण्या नयां का लाग्या लारा बेबे


  झूठे सब्जबाग दिखाये, अमीरां के दाग छिपाये


  गरीबां के भाग लिवाये, कर सूना ताल दिखाया,  हे मेरी भाण


2. विश्व बैंक चिंघाड़ रहया घरेलू निवेश कम होग्या


  म्हंगाई ना घटती सखी, गरीबी क्यों बढ़ती सखी


   जनता भूखी मरती सखी, नाज का भण्डार बताया हे मेरी भाण


3. जल जंगल और जमीन खोस लिए म्हारे क्यों


  सिरकै उपर छात नहीं दिए झूठे लारे क्यों


  आदिवासी तै मार दिया, किसानां उपर वार किया


   कारीगर धर धार दियाए बेरोजगारी नै फंख फैलाया, हे मेरी भाण


4.इलाज करणिया डाक्टर बी खुद हुया बीमार फिरै


  सुआ लवाल्यो सुवा लवाल्यो करता या प्रचार फिरै


  होगी महंगी आज दवाई, लुटगी सारी आज कमाई


  रणबीर सिंह बात बताई, खोल कै भेद बताया,  हे मेरी भाण


279)

तनै ज्यान तैं बढ़कै चाहूँ के बुझैगी दिल मेरे की।।

जिन बातां की चिंता तनै जंजाल बनी चित मेरे की।।

1

पहल्यां तूं मनै बतादे ये बात कौन तनै पढ़ावै सै

जिनका हमनै बेरा ना तों इसी टोह कै ल्यावै सै

फूटे ढारे आली बतादे क्यों सपने खूब सजावै सै

औ दिन सै कड़ै करमां मैं क्यों चर्चा रोज चलावै सै

आलीशान मकान चाहवै सै ढहती जावैं ईंट मंडेरे की।।

जिन बातां की चिंता तनै जंजाल बनी चित मेरे की।।

2

भगवान भी ना सुनता म्हारी घणी रापट रोल मचादी

ना गर्मी सर्दी की परवाह जिंदगी अनमोल लुटा दी

तूं बिन आई बूढ़ी होगी पायां की रमझोल बिकादी

माणस का गल माणस पै कटावैं या घणी रोल मचादी

हंसण बोलण का काम नहीं या लाली

उड़गी चेहरे की।।

जिन बातां की चिंता तनै जंजाल बनी चित मेरे की।।

3

कुणसे लोक की बात करै इस लोक मैं या बात नहीं

मेहनत करनीया भुखा सै चैन कदे दिन रात नहीं

दूध दही नै रोवै सै आड़े बिन लतयां ढकै गात नहीं 

पलँग निवारी कित तैं आवै घरां सोवण नै खाट नहीं

कहैं ईश्वर की माया सै कै खता पिछले जन्म तेरे की।।

जिन बातां की चिंता तनै जंजाल बनी चित मेरे की।।

4

यो दाता का विधान किसा नहीं मेरी समझ मैं आवै

बणाया यो मिजान किसा दस का तूड़ा सौ मैं थ्यावै

सिखाया यो ज्ञान किसा नहीं बातां की तह मैं जावै

कमला यो रूझान किसा बैठया ठग मुफ्त मैं खावै

रणबीर समझ तैं बाहर हुई तरकीब लुटनिया लुटेरे की।।

जिन बातां की चिंता तनै जंजाल बनी चित मेरे की।।


280)

चिड़िया चुगगी खेत चेत बिन आगी नींद रूखाले नै।।

म्हारा घेर लिया तन जन मकड़ी के पुरे होए जाले नै।।

1

बढ़ै मंहगाई रोज सवाई यो गरीब आदमी तंग पाग्या

बदेशी पूंजी लूट की कुंजी लूटी म्हारी धन और माया 

जूती म्हारी खाल उतारी घणा कसूता भ्रम फैलाया

राणी राजा बैजू बाज्या कोन्या म्हारा हाल सुणाया

लख्मी दादा रोया चभोया डंक पापी विष हर काले नै।।

2

अमीर गरीब दो जात बताई चालो सही पिछाण कै

इसतैं न्यारा जो झगड़ा ठारया खूब देखियो छाण कै

गाड्डी फूँकवाके हमनै लड़वाकै साहब बैठगे ताण कै

जात भूल कै जमात समझल्यां नहीं अड़ै भगवान कै

बारा बाट या टूटी खाट नहीं दीखै गावन आले नै।।

3

चारों कांहीं लपट उठ री रासा मोटा छिड़ग्या क्यों

निर्दोष मरैं सैं भारत मैं रक्षक भक्षक बणग्या क्यों

हमनै लूटण पीटण का यो खुला ठेका छुटग्या क्यों

फर्क गलत सही का यो हिंदुस्तान तैं मिटग्या क्यों

जात पात का भरम गरम करै चितरू के साले नै।।

4

बात साफ सुणल्यो आप असली बात छिपाई जा

देश डबोया कति ल्हकोया नकली बात बताई जा

धर्म की भांग करावै सांग तुरुप चाल चलाई जा

गरीब गरीब का गल काटै इसी प्लान बनाई जा

भाई भोले तूं खड़या होले रणबीर देश बचाले नै।।


281)

तर्ज: फूल तुम्हें भेजा है

मैम्बर पंचायत चुनी गई खुशी गात मैं छाई थी।

ज्ञान विज्ञान आल्यां नै किमै ज्ञान की बात बताई थी।।

1

सबतै पहलम हुआ सामना डरकै देवर मेरे तैं

न्यों बोल्या बैठकां मैं नहीं जाणा बता दी बात तेरे तैं

भाई तै मैं बतला ल्यूंगा इशारे से मैं धमकाई थी।।

ज्ञान विज्ञान आल्यां नै किमै ज्ञान की बात बताई थी।।

2

चाही लोगां तै बात करी घूंघट बीच मैं यो आण मरया

घूंघट खोलण की बाबत यो देवर नै घर ताण गिरया

पति मेरे नै साथ दिया पर कोण्या पार बसाई थी।।

ज्ञान विज्ञान आल्यां नै किमै ज्ञान की बात बताई थी।।

3

म्हिने मैं एक मीटिंग हो इसा पंचायती कानून बताया

मैम्बर सरपंच करैं फैंसला जा फेर लागू करवाया

बिना मीटिंग फैंसले ले कै पंचायत पढ़ण बिठाई थी।।

ज्ञान विज्ञान आल्यां नै किमै ज्ञान की बात बताई थी।।

4

क्यूकर वार्ड का भला करूं तिरूं डूबूं जी मेरा होग्या

सरपंच के चौगरदें बदमाशां का यो पूरा ए घेरा होग्या

घर आला बोल्या चाल सम्भल कै मैं न्यों समझाई थी।।

ज्ञान विज्ञान आल्यां नै किमै ज्ञान की बात बताई थी।।

5

न्यारी-न्यारी सारे कै हम क्यों होकै लाचार खड़ी बेबे

यो हमला घणा भारया सै बिना हथियार खड़ी बेबे

मजबूत संगठन बणावां रणबीर नै करी लिखाई थी।।

ज्ञान विज्ञान आल्यां नै किमै ज्ञान की बात बताई थी।।


282)

ठेकेदारां की आपा धापी

या आपाधापी मचा दई इन देस के ठेकेदारां नै।

सारे रिकार्ड तोड़ दिये धन के भूखे साहूकारां नै।।

1

विकास तरीका घणा कुढ़ाला बेरोजगार बढ़ाया रै

घर कुणबा कोए छोड़या ना घणामहाघोर मचाया रै

बाबू बेटा तै दारू पीवैं सास बहू मैं जंग कराया रै

बूढ़यां की कद्र कड़े तै हो जवानां का मोर नचाया रै

माणस तै हैवान बणाये सभ्यता के थानेदारां नै।।

सारे रिकार्ड तोड़ दिये धन के भूखे साहूकारां नै।।

2

इसा विकास नाश करैगा क्यों म्हारै जमा जरती ना

गरीब अमीर की या खाई क्यों कदे बी भरती ना

चारों कान्ही माफिया छाग्या बुराई आज डरती ना

अच्छाई मैं ताकत इतनी फेर बी या कदे मरती ना

बदेशी कंपनी छागी देदी छूट राजदरबारां नै।।

सारे रिकार्ड तोड़ दिये धन के भूखे साहूकारां नै।।

3

अमरीका दादा पाक गया दुनियां मैं आतंक मचाया

सद्दाम हुसैन साहमी बोल्या यो इराक पढ़ण बिठाया

युगोस्लाविया पै बम्ब गेरे यो कति नहीं शरमाया

तीसरी दुनिया चूस लई भारत मैं भी जाल फैलाया

बदेशी अर देशी डाकू सिर चढ़ाये सरकारां नै।।

सारे रिकार्ड तोड़ दिये धन के भूखे साहूकारां नै।।

4

उल्टी राही चला दई म्हारे देस की जनता किसनै

बेरा पाड़ां सोच समझ कै देश तै भजावां उसनै

उस विकास नै बदलां मोर बनाया सै जिसनै

रणबीर इसा विकास हो जो मेटदे सबकी तिसनै

दीन जहान तै खो देगी जनता इन दरकारां नै।।

सारे रिकार्ड तोड़ दिये धन के भूखे साहूकारां नै।।


283)

भ्रष्ट  राजनीति  नै भाई  कड़ म्हारी तोड़  दई ।।

1

देश  म्हारा  बेच  कै खाया,घना ए उधम मचाया 

गरीब  गया  सै सताया, बांह म्हारी मरोड़ दई ।।

2

मार  दिए  सां मंहगाई नै,कोन्या  दया कसाई नै

गरीबां की अन्याई  नै, हांडी सी घमोड़ दई।।

3

जनता के बुरे हाल  सैं,गाल नेता के लाल सैं

राजनीति के कमाल सैं जनता जमा सिकोड़ दई।

4

लुटेरी राजनीति छाई सै, आछी जमा मुरझाई सै

चारों कान्ही या तबाही सै,अच्छाई या मसोड़ दई।

5

चक्कर ईसा चलाया सै,ना समझ कोए पाया सै

कहते उसकी माया सै, सच मैं झूठ घसोड़ दई।

6

चोर चोर मौसेरा भाई, काले धन तैं करैं कमाई

ईनकी या सही कविताई, रणबीर नै जोड़ दई ।।


284)

मेरा चालै कोण्या जोर हमनै लूटैं अम्बानी चोर

नहीं पाया कोये ठौर कटी पतंग की डोर

हमनै लावैं डांगर ढ़ोर यो किसा घोटाला रै।

म्हरा बोलना जुल्म हुया

उनका बोलना हुक्म हुया

सारे ये मुनाफा खोर ये थमा धर्म की डोर

बनावैं ये म्हारा मोर सुहानी इनकी भोर

ऐश करैं डाकू चोर मन इनका काला रै।

ये भारत के पालन हार

क्यों कारपोरेट के सैं ताबेदार

म्हारे पै टैक्स लगावैं बोलां तो खावण आवैं

मिल्ट्री सैड़ दे बुलावैं चोरां की मौज करावैं

काले का सफेद बणावै भजैं राम की माला रै।

बिलां की मार कसूती

सिर म्हारा म्हारी जूती

घाल्या किसान कै फंदा सै यो सिस्टम घणा गन्दा सै

यो अम्बानी का रन्दा सै घालै दोगला फंदा सै

क्यूकर जीवै बन्दा सै हुया ढंग कुढाला रै।

पत्थर पुजवा बहकाये

भक्षक रक्षक दिखाये

काले नाग डसगे क्यों ये शिकंजे कसगे क्यों

दो संसार बसगे क्यों गरीब जमा फ़ंसगे क्यों

रणबीर पै हंसगे क्यों कर दिया चाला रै।।


285)

हमनै बेकूफ़ बतावैं देखो  घणे होशियार बणे हांडें सैं।।

लूट म्हारा खून पसीना घणे साहूकार बणे हांडें सैं।।

1

सारी उम्र बाबू कमाया उसकी कोण्या पार बसाई फेर

करड़े हाडां की मां म्हारी लाकै हांगा करी कमाई फेर

पैर भिडांतें हांडया करते आज थानेदार बणे हांडें सैं।।

लूट म्हारा खून पसीना घणे साहूकार बणे हांडें सैं।।

2

पढ़ लिख कै हमनै बढ़िया नौकरी लेनी चाही रै

बहोतै जागां धक्के खाये नहीं किसी भी थ्याई रै

बिचौलिया धन कमागे घणे ईज्जतदार बणे हांडें सैं ।।

लूट म्हारा खून पसीना घणे साहूकार बणे हांडें सैं।।

3

बीडीओ सैक्टरी नै मिलकै गाम पढ़ण बिठाया क्यों

बदफेली होवैं रोज आड़े यो राम नहीं शरमाया क्यों

रिश्वत देकै बचते देखो ये घणे ठोलेदार बणे हांडें सैं।।

लूट म्हारा खून पसीना घणे साहूकार बणे हांडें सैं।।

4

महिला जमा महफूज नहीं चौगरदे हाहाकार मच्या रै

बलात्कार छीना झपटी हों ना मान सम्मान बच्या रै

रणबीर सिंह खोल बतावै घणे बदकार बणे हांडें सैं।।

लूट म्हारा खून पसीना घणे साहूकार बणे हांडें सैं।।


286)

अम्बानी नै कपास पीट दी हम देखां खड़े खड़े 

उसे नै म्हारी धान पीट दी हम सोवां पड़े पड़े

1

म्हारी या कस्ट कमाई आंख्यां के साहमी लुटगी

कपास कदे धान की खेती ये आज चोड़ै पिटगी 

सब्सिडी ये सारी घटगी लागते नेता सड़े सड़े 

2

बालक हांडैं बिना नौकरी बिघन घणा होग्या रै

एक छोरे नै खाई गोली सहम ज्यान यो खोग्या रै

सुन्न भीतरला जमा होग्या रै हाथ होगे जड़े जड़े

3

बेटी रैहगी बिन ब्याही ये गोड्डे म्हारे टूट लिए

बिना दहेज ब्याह कड़ै म्हारे पसीने छूट लिए

सांड खुल्ले छूट लिए बुलध मरैं ये बड़े बड़े

4

मां बेटी बाहण आज जमा महफूज रही नहीं

समाज जावैगा पाताल मैं आगै जा कही नहीं

बदमाशी जा सही नहीं रणबीर सां खड़े अड़े


287

हम दिए धरती कै मार, ये अडानी अम्बानी के वार, करने हाथ पड़ें दो चार , सुनियो भारत के  नर नारी।।

1

खेती पर काले बादल छाये, कड़ तोड़ कै धरदी

धान कपास गिहूँ पिटग्या या नाड़ मोड़ के धरदी

या सब्सिडी खत्म करदी, क्यों हांडी पाप की भरदी, असली नहीं सै हमदर्दी , झूठे वायदयां के  बड़े खिलारी।।

2

कारखाने लाखों बन्द होगे बच्या कितै रोजगार नहीं

जात पात और धर्मान्धता का खाली जाता वार

नहीं

काला धन बाजार मैं छाया, अमरीका नै यो जाल बिछाया,जन देश का खूब भकाया,दिखा कै सपने बड़े भारी।।

3

टी वी के चैनलां पै कब्जा सरकारी खबर दिखाई जावैं

सब किमैं बेचण लागरे बाजार मैं ना बोली लवाई जावैं

गरीब बी इंसान होवै सै,क्यों उसका अपमान हो सै, ना तमनै उनमान हो सै, पुरानी रीत घणी अत्याचारी ।।

4

पढ़ाई लिखाई पढण बिठाई गरीब कमेरा कित जावै

सरकारी सेहत ढांचा ढाया गरीब इलाज कित करवावै

जो अनैतिकता खूब फैलावे वो नैतिकता का पाठ पढावै,रणबीर नै भी वो धमकावै, छलनी करदी छाती म्हारी।।


288)

अमेरिका नचा रहा है और आगे और नचाएगा। क्या बताया भला------------  

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

आत्मनिर्भरता का नारा यो कष्ट क्यों झेल रहया ।।

1

ड्रोन विमान खरीदण नै अमरीका का दौरा करया 

एफ सोलां भारत मैं बणै उसनै यो एजेंडा धरया 

जूनियर सैन्य पार्टनर कहै हमनै वो धकेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

2

म्हारी सरकार खुशी तैं पुगावै अमरीका के फरमान 

अमरीका बनकै तानाशाह करता देशों का अपमान 

सेना के खुफिया तंत्र मैं अपने एजेंट धकेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

3

अमरीका चाहवै सैन्य रिश्ते अपनी ढाल के भाई

गोड्डे टिकवाकै मानैगा वो चलावैगा अपणी राही

अपणे हथियार बेचण नै घाल म्हारै नकेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।

4

विश्व शांति के पैमाने हथियार विक्रेता बतावै रै

अपणी कीमत पै बेचकै घणी लूट यो मचावै रै

कहै रणबीर अमरीका म्हारे रक्षा तंत्र नै ठेल रहया।।

अमरीका का खेल आज भारत क्यों खेल रहया।।


289)


6/11/1990 की रचना

बदली आंख युद्ध जीत कै अंग्रेजों की सरकार  नै।।

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

1

फिरंगी की हालत खराब हुई शुरू जब वल्ड वार हुया

भारत देश नै आजाद करां अंग्रजों का यो प्रचार हुया

देश इस शर्त पै मददगार हुया ले सारे घर परिवार

नै।। 

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

2

जर्मन चढ़ता आया लन्दन पै अंग्रजों नै था हाथ फैलाया

मदद करो रै अंग्रेजों की गांधी जी नै था नारा लगाया

रंग रुट भर्ती था करवाया यो देख्या सारे संसार नै।।

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

3

वायदा करकै नै नाट गया यो विश्वास खोया म्हारा था

काले कानून करे लागू माइकल ओ डायर हत्यारा था

होमरूल का नारा था हुई मुश्किल फिरंगी औधेदार नै।।

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

4

कलकत्ता कोर्ट मैं जज बताया भारतवासी हसन इमाम रै

किलेटन बेहूदे गौरे नै गाली उसको देदी थी सरे आम रै

रणबीर देश उठया तमाम रै देख कै फिरंगी अत्याचार नै।।

अपमानित करे भारतवासी उस फिरंगी बदकार नै।।

290***)

आजादी के आंदोलन की लहर

अंग्रेज फिरंगी लारया अड़ंगी म्हारे प्यारे प्रदेश पंजाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।

1

तिलक दहाड़े ऐनी पुकारै होम रूल ल्याकै मानांगे

जनता चाली धरती हाली देश आजाद कराकै मानांगे

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई मिलाकै चालां कांधा पंजाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।

2

हथियार उठाकै अलख जगाकै चले क्रांतिकारी बंगाल मैं

नौजवान पंजाबी हमला जवाबी चाहया देना हर हाल मैं

साथी लाला हरदयाल मैं फेर उठी थी चिंगारी दोआब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।

3

पाल्टी बनाई गद्दरी भाई दूर विदेश मैं जा करकै देखो 

करे हथियार उड़ै तैयार ज्यान की बाजी ला करकै देखो

हिंदुस्तान मैं आ करकै देखो भरया देश प्रेम नवाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै चुच्ची बच्चा पंजाब मैं।।

4

तीन सौ हिंदुस्तानी जहाज जापानी कनाडा कांहीं चाल पड़े

कनाडा तैं ताहे उल्टे आये सोचें राह मैं सारे बेहाल खड़े

जेलों मैं दिए डाल बड़े कुछ आये रणबीर तैर सैलाब मैं ।।

291***

अंग्रेज हुकूमत ताहिं दी चुनौती पहली ठारा सो सतावन मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

1

सबक सिखावन नै हमको डायर जुल्मी तिलमिला गया था

रोलेट एक्ट खत्म करो हड़ताल देख कै बौखला गया था

बच्चा बुढ़ा कुलमुला गया था झेले कष्ट अंग्रेज भजावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

2

इस पाछै तो भारत सारा आजादी खातर कूद पड़या था

पाली हाली क्लर्क बाबू जाड़ भींच कै खूब लड़या था

उधम लन्दन मैं जा बड़या था ओडायर तैं हिसाब चुकावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

3

तेरा अप्रैल का दिन था कट्ठे बाग मैं नर नार हुए थे

काले कानून उल्टे लेओ वे लड़ने खातर तैयार हुए थे

पैने अंग्रेज के हथियार हुए थे म्हारी आवाज दबावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

4

फेर बख्त की धार बदलगी जलियाँ वाले बाग के म्हां

सारे हिंदुस्तानी कूद पड़े थे आजादी आले फाग के म्हां

रणबीर कूद पड़े आग के म्हां देश नै आजाद करावण मैं।।


292)


*उसी दौर की एक और रागनी*

आजादी के आंदोलन की लहर

अंग्रेज फिरंगी लारया अड़ंगी म्हारे प्यारे प्रदेश पंजाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै  बच्चा युवा पंजाब मैं।।

1

तिलक दहाड़े ऐनी पुकारै होम रूल ल्याकै मानांगे

जनता चाली धरती हाली देश आजाद कराकै मानांगे

हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई मिलाकै चालां कांधा पंजाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै बच्चा युवा पंजाब मैं।।

2

हथियार उठाकै अलख जगाकै चले क्रांतिकारी बंगाल मैं

नौजवान पंजाबी हमला जवाबी चाहया देना हर हाल मैं

साथी लाला हरदयाल मैं फेर उठी थी चिंगारी दोआब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै बच्चा युवा पंजाब मैं।।

3

पाल्टी बनाई गद्दरी भाई दूर विदेश मैं जा करकै देखो 

करे हथियार उड़ै तैयार ज्यान की बाजी ला करकै देखो

हिंदुस्तान मैं आ करकै देखो भरया देश प्रेम नवाब मैं।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै बच्चा युवा  पंजाब मैं।।

4

तीन सौ हिंदुस्तानी जहाज जापानी कनाडा कांहीं चाल पड़े

कनाडा तैं ताहे उल्टे आये सोचें राह मैं सारे बेहाल खड़े

जेलों मैं दिए डाल बड़े कुछ आये रणबीर तैर सैलाब मैं ।।

आजाद करावां नहीं घबरावां सोचै बच्चा युवा पंजाब मैं।।


293)


अंग्रेज हुकूमत ताहिं दी चुनौती पहली ठारा सो सतावन मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

1

सबक सिखावन नै हमको डायर जुल्मी तिलमिला गया था

रोलेट एक्ट खत्म करो हड़ताल देख कै बौखला गया था

बच्चा बुढ़ा कुलमुला गया था झेले कष्ट अंग्रेज भजावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

2

इस पाछै तो भारत सारा आजादी खातर कूद पड़या था

पाली हाली क्लर्क बाबू जाड़ भींच कै खूब लड़या था

उधम लन्दन मैं जा बड़या था ओडायर तैं हिसाब चुकावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

3

तेरा अप्रैल का दिन था कट्ठे बाग मैं नर नार हुए थे

काले कानून उल्टे लेओ वे लड़ने खातर तैयार हुए थे

पैने अंग्रेज के हथियार हुए थे म्हारी आवाज दबावण मैं।।

उन्नीस सौ उन्नीस मैं चुनौती दूसरी आवै सै गावण मैं।।

4

फेर बख्त की धार बदलगी जलियाँ वाले बाग के म्हां

सारे हिंदुस्तानी कूद पड़े थे आजादी आले फाग के म्हां

रणबीर कूद पड़े आग के म्हां देश नै आजाद करावण मैं।।


294)

बेरोजगारी नै भारत मैं लड़के लड़की खूब सताए रै।

आज बेरोजगारी और नशे मैं जान बूझकै फंसाए रै।

1

ढाल ढाल के नशे परोस कै कसूती लत लगाई सै

अफीम चरस हीरोइन दारू घर घर में पहुंचाई सै

नशे माफिया नै दुनिया मैं बहोत उधम मचाई सै 

अफ़गानिस्तान गढ़ बनाया अमेरिका की चतुराई सै

आज पंजाब के नौजवान ये नशे में खूब  डुबाये रै।

आज बेरोजगारी और नशे मैं जान बूझकै फंसाए रै।

2

नेता अफसर पुलिस की  तिग्गी कहैं धंधा चला रही 

सरकार छोटे-मोटे नै पकड़े जुल्मियों नै बचा रही 

किततैं आवै कौन व्यापारी बात सारी ये छिपा रही 

शातिर ढंग तैं माफिया तिग्गी पूरा जाल बिछा रही

कोये घर ना बच्या दारू तैं सुल्फे फीम नै आण दबाए रै।। 

आज बेरोजगारी और नशे मैं जान बूझकै फंसाए रै।

3

साथ मैं म्हारे शासकों नै यो फ्री सेक्स का जाल बिछाया सै

स्मार्ट फोन पै पोर्नोग्राफी तैं कसूता उधम मचाया सै

वेश्यावृत्ति बढ़ी टीवी नै सब ढाल का रंग दिखाया सै

लूटो खाओ मौज उड़ाओ घर घर संदेश पहुंचाया सै

बेरोजगार युवक युवती उल्टे धंधयां मैं लगाए रै।।

आज बेरोजगारी और नशे मैं जान बूझकै फंसाए रै।

4

नशा फ्री सेक्स ल्याकै नैं बेरोजगारों का मुंह मोड़ दिया

जात पात और धर्म पै बांटे मानवता का सिर फोड़ दिया 

बहुविविधता भुला दई भाईचारे का धागा तोड़ दिया 

गौ माता का नारा इसकी गेल्याँ  ल्याकै नै जोड़ दिया 

के होगा म्हारे हिंदुस्तान का रणबीर भी घबराए रै।।

आज बेरोजगारी और नशे मैं जान बूझकै फंसाए रै।।


295)

बिना तलासी और बिना वारंट के जेलों के अंदर डार दिए।।

गुप्ती मुकद्दमे चला चलाकै हजारों भारतवासी मार दिए।।

1

वकील दलील अपील नहीं राज उड़ै बताया मनचाही का 

फिरंगी ठेकेदार जनतंत्र का चेहरा असल मैं कसाई का

रोलेट एक्ट नहीं बताया भलाई का सिर वीरों के तार लिए।।

गुप्ती मुकद्दमे चला चलाकै हजारों भारतवासी मार दिए।।

2

सुण फिरंगी हम नहीं हारां दीवाने खुले आम कहण लगे

तोप बन्दूक नहीं डरा सके खून के नाले उड़ै  बहण लगे

अंग्रेजों की गेल्याँ फहण लगे लोगों नै बेटी बेटे वार दिए।।

गुप्ती मुकद्दमे चला चलाकै हजारों भारतवासी मार दिए।।

3

उर्दू का कवि देश मैं मशहूर भाई इकबाल हुया देखो

बीज सींच्या खून की गेल्याँ पौधा बलवान हुया देखो

नायडू कै स्वाभिमान हुया देखो गीत जोशीले त्यार किए।।

गुप्ती मुकद्दमे चला चलाकै हजारों भारतवासी मार दिए।।

4

तीस मार्च नै विरोध हुया था पहली हड़ताल आम हुई

दुकान बाजार बंद होगे सरड़क शहर की सब जाम हुई

गोरयां की नींद हराम हुई रणबीर कसूते अत्याचार किए।।

गुप्ती मुकद्दमे चला चलाकै हजारों भारतवासी मार दिए।।


296)

रामनौमी का दिन बतावैं जलूस निकाल्या था भारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समान बणी थी न्यारी रै।।

1

रोलेट एक्ट उल्टा लेओ हवा मैं गूंज गया था नारा 

अंग्रेजो तम भारत छोड़ जाओ यो देश नहीं सै थारा

एकता का यो झंडा म्हारा हुया जंगे आजादी जारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समों बणी थी न्यारी रै।।

2

फिरंगी भाजम भाज होग्या अमृतसर मैं महाघोर हुया

डिप्टी कमिश्नर होंश भूलग्या चारों कांहीं शोर हुया

जुल्मी डायर घनघोर हुया फायरिंग की करी त्यारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समान बणी थी न्यारी रै।।


दस अप्रैल नै बुला कोठी पै धोखे तैं गिरफ्तार किए 

किचलू डॉक्टर और सतपाल दोनों जेल मैं डार दिए

जनता नै लगा इश्तिहार दिए फिरंगी सरकार हुई

हत्यारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समान बणी थी न्यारी रै।।

4

नेता छोड़ो दोनों म्हारे जलूस फेर बाजार के मैं आया 

पुलिस नै जलूस रोक दिया भंग करण का हुक्म सुनाया

मंजूर कोण्या नारा लगाया आगै बढ़गी या जनता सारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समान बणी थी न्यारी रै।।

5

गोरयां का असली चेहरा उस दिन उजागर होग्या था

निहत्थी भीड़ पै चलाई गोली बेटा नागर सोग्या था

कालजा पात्थर होग्या था रणबीर घणी जनता मारी रै।।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख आये थे समान बणी थी न्यारी रै।।


297)

कोर्ट कचहरी राज पाट का फुटया ढ़ारा देख लिया।

माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।

1

पुलिस बचावै कातिल नै मेरी समझ मैं आई ना

सरकार मदद पै आज्या सै क्यों जमा सरमाई ना

अफसर बिक़ज्यां चौड़े मैं वो मानै कति बुराई ना

घड़ा पाप का भरग्या सै ईब होती जमा समाई ना

लोक लाज लोक राज का तमाशा सारा देख लिया।।

माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।

2

कातिल और चोर लुटेरे मंत्री पुलिस के तलियार बनैं

सही आवाज दबावण नै साहूकारों के हथियार बनैं

आम आदमी डरकै इनतैं चुप रैहकै नै होशियार बनैं

म्हारी चुप्पी नाश करैगी न्यों कोण्या घर परिवार बनैं

इनकी कड़ थेपड़ता मनै सरकारी इशारा देख लिया।।

माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।

3

ये बिल करैं घोर अंधेरा न्यों क्यूकर पार घलैगी रै

कॉपोरेट हुया म्हरा लुटेरा न्यों क्यूकर दाल गलैगी रै

सरकार नै गोड्डे टेक दिए न्यों क्यूकर बात चलैगी रै

खेती उद्योग तबाह होज्यांगे न्यों क्यूकर मार टलैगी रै

ये जहरीले नाग डंक मारैं मरै कमेरा बेचारा देख लिया।

माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।

4

आज के समाज म्हारे की या असली घुंडी खोल दई

चारों स्तम्भ म्हारे जनतंत्र के लिकड़ सबकी पोल गई

सरकार भी जुल्म कमावै न्यों छाती म्हारी छोल दई

रणबीर नै बरोने के मैं सारी साच्ची साच्ची बोल दई

जनता जागै फेर जुल्मी भागै निचोड़ सारा देख लिया।

माणस बिकै दिन धौली यो उल्टा नाजारा देख लिया।।


298)


दारू और दवा की दुकान 

दारू और दवा की दुकान हर गाम शहर मैं पाज्या।।

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या।।

1

पी दारू मजदूर किसान अपने घर का नाश करै

दारू फैक्ट्री बन्द होवैं महिला इसकी आस करै

आस करती होज्या बूढी पति नै इतनै दारू खाज्या।।

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या।।

2

दवा के रेट का कोए हिसाब ना गोज ढ़ीली करज्या

मरीज खरीद कै खाली होज्या डॉक्टर की गोज भरज्या

पूरा इलाज फेर भी न होवै चानचक सी मौत आज्या।।

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या।।

3

दारू का बेर या नाश करै सर्कार क्यों फैक्ट्री खुलवावै

रोज खोल दूकान दारू की मौत न्यौता देकै बुलवावै

के बिना दारू विकास ना हो कोए आकै मनै बताज्या।।

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या।।

4

इलाज महँगा कर दिया गरीब बिना दवाई मरता 

इलाज ब्योपार बणा दिया खामियाजा मरीज भरता 

रणबीर बरोने आला सोच समझ कलम घिसाज्या।।

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या।।

19.3.2015


299)

सामाजिक बीमारी का व्यक्तिगत समाधान बताया क्यों।।

मानस के हालात भुला के माणस जिम्मेदार ठराया क्यों।।

1

देश मैं नशे और हिंसा का पैकेज आज कौन परोस रहया

असली अपराधी देश का आज काढ़ म्हारे मैं दोष रहया

दारू ठेके खुलैं रोजाना नौजवान पीकै हो मदहोश रहया

विकास करैं दारु बेच कै हो नहीं जमा अफसोस रहया

समाज के विकास मैं खोट पीवनिया ऊपर लगाया क्यों ।।

मानस के हालात भुला के माणस जिम्मेदार ठराया क्यों।।

2

क्युकर बन्द करां दारु के दुनिया में फैले व्यापार नै

हजारों लाखों करैं गुजारा क्युकर खोसाँ हम रोजगार नै

रेवेन्यू हजारों करोड का चलाता देशां की सरकार नै

दारु बिकैगी तो पीई जागी तोड़ेगी म्हारे परिवार नै

यो बधै संकट माणस का ठेका दरवाजै पहूंचाया क्यों ।।

मानस के हालात भुला के माणस जिम्मेदार ठराया क्यों।।

3

नशे सैक्स और हिंसा का यो माफिया दुनिया मैं छाया रै

राज पाट राजनीति भीतर चौगरदें यो जाल बिछाया रै

दारू सुल्फे मैं मस्त रहो कहो या सब प्रभु की माया रै

दारू खातर चीज बेचकै पीवण का चलन यो आया रै

विकास राही सत्यानाशी सै ना कोये सवार उठाया क्यों ।।

मानस के हालात भुला के माणस जिम्मेदार ठराया क्यों।।

4

पीवनिया भरतू करतारे का दोष म्हारी रागनी बतावैं

जड़ समस्या की गहरी सैं नहीं खोल कै हमनै समझावैं

पीवनिया पै करैं जुर्माना घाघरी कईयाँ ताहिं पहरावैं

असली दोषी इन बुराइयां के नहीं उन कांहीं लखावैं

रणबीर सिंह बरोणे आला नहीं लोगां नै भाया क्यों ।।

मानस के हालात भुला के माणस जिम्मेदार ठराया क्यों


300)

म्हारा समाज 

एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।

आंधी गली मैं बड़गे लोग इस चिंता नै आज खा लिया।

घर घर देखां घणा कसूता माहौल हुया सै सारे कै

शहर गाम देश दुनिया ब्लड प्रेसर हुया हुशियारे कै

लग्या टपका चौबारे कै माणस घणा काल पा लिया।

एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।

रोज माणस भित्तर तैं टूटै इसा जमाना आन्ता जावै 

घरमैं बाहर भाण बेटी की इज्जत पै हाथ ठान्ता पावै

और तले नै जान्ता जावै बदमाशी नै कब्जा जमा लिया।

एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।

दारू पीकै पड़े रहवाँ हमनै शर्म लिहाज ना कोये 

ताशां पै बैठ करां मशखरी कहवाँ इलाज ना कोये 

दीखै सही अंदाज ना कोये खापां नै मजाक बना लिया।

एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।

रिश्वत की कमाई भूंडी फेर भी इसको स्वीकार लिया 

दहेज नै बीमारी बतावैं सारे फेर बी क्यों चुचकार लिया

विरोध कर ना इंकार किया रणबीर फेर औड़ आ लिया। 

एकबै नजर घुमाकै देखां म्हारा समाज कड़ै जा लिया ।


301)

सबका देश हमारा देश 

सबका हरयाणा हमारा हरयाणा 

मशीन नै तरीके बदले खेत क्यार की कमाई के ।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

1

बाइक उप्पर चढ़कै नै छोरा खेत मैं जावै देखो

ज्वार काट खेत म्हां तैं भरौटा बणा छोड्यावै देखो

भरौटा ल्यावां ट्रेक्टर मैं दिन गए सिर पै ढवाई के।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

2

जिसकै ट्रेक्टर कोण्या उड़ै आज झोटा बुग्गी आगी रै

घरके काम गैल छोटा बुग्गी या औरत नै खागी रै

घणखरे काम औरत जिम्मै मर्द के काम ताश खिलाई के।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

3

प्रवासी मजदूर पै कई का टिक्या खेत क्यार का काम 

म्हणत तैं घिन्न होगी चाहवै चौबीस घण्टे आराम 

दारू बीमारी घर घर मैं आगी करे हालात तबाही के ।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

4

सबका हरियाणा अपना ल्याकै भाईचारा बणावांगे 

मानवता का झंडा हरेक गाम शहर पहोंचावांगे 

कहै रणबीर बरोने आला छंद लिखै ना अंघाई के ।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।


302)

समाज का माहौल

म्हारे समाज कै के होग्या माहौल घणा खराब हुया।।

भाई का भाई बैरी होग्या मर्डर आज बेहिसाब हुया।।

1

एक दूजे की मदद करैं थे हम हारी बीमारी मैं

मेल मिलाप बहोत होते हरेक तीज त्यौहारी मैं

सारी लिहाज शर्म भूले हाय हू चालू जनाब हुया।।

2

दारु सुलफा स्मैक का एन सी आर षिकार हुया

भ्रष्ट पुलिस अफसर नेता तिग्गडे का उभार हुया

सबकै साहमी यो तिग्गडा आज कति बेनकाब हुया।। 

3

एक हिस्से धोरै काला धन और बी बढ़ता जावै सै

बड़ा तबका समाज का यो तले नै खिसकता आवै सै

दिन की रात रात का दिन गलतान पी शराब हुया।।

4

जात पात गोत नात भूलकै एक मंच पर आना होगा

एक दूजे नै प्यार करै जड़ै इसा समाज बनाना होगा

रणबीर जब संघर्ष हो मानैं पूरा हिसाब हुया।।


303)

दारू बीमारी घणी कलिहारी छोड्डै माणस कै लिहाज नहीं

आदत पड़ज्या बात बिगड़ज्या पावै फेर कोये इलाज नहीं

1

दारू सतावै चोरी भी करावै या घणे बिघण का काम करै

दारू रूआदे इज्जत खिन्डादे जिगर खराब तमाम करै

ना सबर सुबहो शाम करै रहै क्यान्हे का भी अंदाज नहीं।।

2

दारू शरीर बिकादे खाड़े करादे माणस हुया बर्बाद फिरै

आच्छे भुण्डे काम कराकै या रोजाना खड़या फसाद करै

पी दारू माणस अलबाद करै फेर काबू रहवै मजाज नहीं।।

3

कंगाल बनादे माणस नै या पैदा बड़े बड़े धनवान करै

घर कुन्बा यो रुलता हांडै बिन आई के यो इंसान मरै 

घोर अन्याय यो भगवान करै घर मैं छोडै दो मुठी नाज नहीं।।

4

शराब और लुटेरे की भाई आपस मैं घणी यारी क्यों

मजलूमां की हो खाल तराई मौज करै साहूकारी क्यों

दारू सिखावै मक्कारी क्यों रणबीर होवै थारै खाज नहीं ।।


304)

बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीत आज इतिहास रचाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

1

सिंधु नै ओकुहारा को सीधे गेमां मैं लाकै जोर हराया रै

हांगा लाकै खेली पी वी सिंधु गोल्ड मैडल देश मैं आया रै

इक्कीस सात इक्कीस सात तैं हराकै देश गौरव बढ़ाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

2

ओकुहारा के खिलाफ यो कैरियर रिकॉर्ड नौ सात करया 

 स्विट्जरलैंड में पी वी सिंधु नै बैडमिंटन मैं इतिहास रचया

नोजोमी ओकुहारा को मात देकै नै खास माहौल बनाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

3

वर्ल्ड के स्तर पै  बैडमिंटन मैडल ना कोये बी ल्याया रै

पी वी सिंधु की मेहनत नै रविवार नै यो मैडल पाया रै

शाबाश पी वी सिंधु तनै म्हारी झंडा तिरंगा जितवाया यो।। 

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

4

यो मुकाबला अड़तीस मिनट चल्या पसीनम पसीन्यां होई

दो सौ सतरा की हार का बदला लेकै याद वा पुरानी धोई

बढ़त बना कै पहले खेल मैं रणबीर  आगै कदम उठाया यो ।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।


305)

पी वी सिंधु का मैडल पक्का 

मार दिया इसनै आज छक्का 

ओकिहारा को दिया धक्का 

थोड़ा सा दिल नै थाम लियो ।।

बैंडमिंटन मैं रियो मैं खेल दिखाया देखो 

फाइनल मैं पहोंच कै मान बढ़ाया देखो 

मीडिया न्यों अंदाज लगावै

मैडल पक्का जरूर बतावै

यो देश थारी तरफ लखावै

सिंधु लगा जोर तमाम दियो ।।

जापान की लड़की हरा अपने पैर जमाये 

स्पेनी लड़की गेल्याँ पेचे फाइनल मैं बताये 

राष्ट्रपति म्हारे नै दी सै बधाई 

प्रधानमन्त्री नै करी सै बड़ाई

परिवार नै खूब खुशी मनाई

काल थकन का मत नाम लियो ।।

रात नै सोईये सिंधु थकान बी तार लिए 

काल कौनसे गुर लाने कर विचार लिए 

पूरे दम खम तैं खेलिए सिंधु

वार स्पेन की के झेलिये सिंधु

नम्बर तो फालतू लेलिए सिंधु 

जितना हार का ना नाम लियो ।।

गोल्ड मैडल पै तूँ ध्यान राखिये पूरा हे 

एक गोल्ड देश ले ख्याल राखिये पूरा हे 

म्हारे देश की छोरी छारी सैं 

रणबीर खूब जोर लगारी सैं

बेशक पेट मैं चलैं कटारी सैं

बुलंद कर देश का नाम दियो ।।

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306)

गुंडागर्दी 

इस गुंडा गर्दी नै बेबे ज्यान काढ़ ली मेरी हे ।

सफ़ेद पोश बदमाशां नै इसी घाल दी घेरी हे ।

1

रोज तड़कै होकै त्यार मनै हो कालेज के म्हं जाणा

नपूता रोज कूण पै पावै उनै पाछै साइकल लाणा

राह मैं बूढ़े ठेरे बी बोली मारैं हो मुश्किल गात बचाणा

मुँह मैं घालन नै होज्यां मनै चाहवैं साबती खाणा

उस बदमाश नाश जले नै चुन्नी तार ली मेरी हे ।

सफ़ेद पोश बदमाशां नै इसी घाल दी घेरी हे ।

2

मनै सहमी सी नै माँ आगै फेर बात बताई सारी

सीधी जाईये सीधी आईये मनै समझावै महतारी

तेरा ए दोष गिनाया जागा जै तणै या बात उभारी

फेर के रैहज्यागा बेटी ज़िब इज्जत लुटज्या म्हारी

माँ हाथ जोड़ कै बोली तेरे और भतेरी हे ।

सफ़ेद पोश बदमाशां नै इसी घाल दी घेरी हे ।

3

नयों गात बचा बचा कै पूरे तीन साल गुजार दिए

एच ए यूं मैं लिया दाखला पढ़ण के विचार किये

वालीबाल मैं लिकड़ी आगै सबके हमले पार किये 

बना संगठन होगा लड़ना सपने इसे मनै धार लिए

मार मार कै तीर कसूते या छाती सालदी मेरी हे ।

सफ़ेद पोश बदमाशां नै इसी घाल दी घेरी हे ।

4

कुछ दिन पहलम का जिकरा दूभर जीना होग्या 

इन हीरो हांडा आल्याँ का रोज का गमीना होग्या 

कई बै रोक मेरी राही खड़या एक कमीना होग्या 

उस दिन बी मैं रोक लई घूँट खून का पीना होग्या 

रणबीर कई खड़े रहैं साईकिल थाम लें मेरी हे ।

सफ़ेद पोश बदमाशां नै इसी घाल दी घेरी हे ।


307)

असहयोग आन्दोलन

असहयोग आन्दोलन की मन मैं पूरी उमंग भरी थी।

चाचा और मिसरा जी नै प्रकट नाराजी खूब करी थी।।

1

स्कूल कॉलेज बायकाट का गांधी जी नै नारा लाया था

बीए का एक साल बच्या शास्त्री नै कदम बढ़ाया था

चाचा नै इस बात का बेरा लाग्या भूंडी ढालां धमकाया था

मिसरा नै चाचा के सुर मैं अपना बी सुर मिलाया था

बोले अपनी पढ़ाई करले ज्यान बिघन मैं घिरी थी।।

चाचा और मिसरा जी नै प्रकट नाराजी खूब करी थी।।

2

अंग्रेजां के राज मैं भारत घणी कसूती ढालां सड़ग्या

सुणकै हुकम चाचा जी का उसकै काला सांप सा लड़ग्या

बोल्या मैं बायकॉट करूंगा अपनी बात पै अड़ग्या

घर और शास्त्री बीच मैं इस बात का रासा छिड़ग्या

मिसरा जी कै साहमी उसनै दिल की बात खोल धरी थी।।

चाचा और मिसरा जी नै प्रकट नाराजी खूब करी थी।।

3

चाचा मिसरा दोनूं नाट गये शास्त्री का जी दुख पाया था

वो माता कै आगै रोया जाकै जी खोल कै उसतै दिखाया था

माता नै सारी बात सुणकै होंसला उसका बधाया था

बी.ए. पास करूंगा जरूरी इसका प्रण करवाया था

कई बार जेल मैं गया जलस्यां मैं बिछाई खूब दरी थी।।

चाचा और मिसरा जी नै प्रकट नाराजी खूब करी थी।।

4

दर्शन मैं ली शास्त्री डिग्री लड़ते-लड़ते करी पढ़ाई

बचन दिया जो माता जी तै बात वा पूरी करकै दिखाई

वाराणसी तै अलाहबाद आ आजादी जंग मैं जान खपाई

पीछै मुड़कै नहीं देख्या फेर अंग्रेजां की थी भ्यां बुलाई

अंग्रेज एक दिन भाजैंगे बात लाल बहादुर कै जरी थी।।

चाचा और मिसरा जी नै प्रकट नाराजी खूब करी थी।।


308)


खून के रिश्ते तै गाढ़ा यो पसीने का रिश्ता बताया।।

जात के रिश्ते तै ठाडा जमात का रिश्ता दिखाया।।

1

इस दुनिया मैं तीन ढाल के माणस आज गिणवाऊँ

एक ठोड़ तै उनकी जिनकै हाथै ए हाथ दिखलाऊँ

दूजी ठोड़ के हाथां गेल्याँ कुछ साधन भी बतलाऊँ

तीजी ठोड़ हाथ कोण्या साधन ही साधन जुटवाऊं

सारे रिश्ते भीतर इनकै नहीं बाहर का रिश्ता पाया ।।

2

निरे हाथ सैं जिसकै कुछ साधन आले का भाई

दोनूंआं नै जात भूलकै पड़ै करनी कष्ट कमाई

साधन आला बैठ चैन तैं दोनों की करै लुटाई

छिपावै तासीर लूट की जब देवै जात दुहाई

पड़कै जाल भर्म के म्हां आज खून का रिश्ता भाया।।

3

जाट कमावै बाहमण भी खेतों मैं कच्चा माल उगावै

खेत मजदूर दलित भी इनकी गेल्याँ यो ज्यान गलावै

मजदूर मशीन चलाकै नै उसका पक्का माल बनावै

शर्मा जाखड़ राम जीत सिंह इन सबका मोल लगावै

मुनाफाखोरी का सबतैं कांटे का यो रिश्ता समझाया।।

4

अमीर गरीब दो जमात सैं अमीर गरीब नै बहकावै

एक भाई अफसर होज्या ना गरीब भाई नैं सँगवावै

पीसे आला दलित भी न्यारा पानी का मटका धरवावै

साथ ना देवै खून का रिस्ता यो पीसा सब करवावै

मेहनतकश का असली मैं जमात का रिश्ता छिपाया।।

5

जमात की कड़ तोड़न खातर जात खून की ढाल बनै

या खड़पटवार की ढालां बिन बात की बबाल बनै

जात ढेरयां आला कुड़ता काढ़े पाछै जंजाल टलै

जमात का हो चाबुक फेर घोड़ा दुड़की चाल चलै

बनै पसीने तैं पूंजी रणबीर मार्क्स नै यो पाठ पढ़ाया ।।


309)

गुंडा गर्दी

इस गुंडा गर्दी नै बेबे ज्यान काढ ली मेरी हे ।।

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

रोज तडकै  होकै त्यार मनै हो कालेज के म्हं जाना

नापूता रोज कून पै पावै उन्नै पाछै साईकल लाना 

राह मैं बूढ़े ठेरे  बी बोली मारें हो मुश्किल गात बचाना 

मुंह  मैं घालन नै होज्याँ मने साब्ती नै चाहवें खाना

उस बदमाश जाले नै या चुन्नी तार ली मेरी हे ||

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

मने सहमी सी नै माँ आगे फेर बात बताई सारी

सीधी जाईये सीधी आईये मनै समझावै महतारी

तेरा ए दोष गिनाया जागा जै तनै या बात उभारी

फेर के रह्ज्यगा बेटी जिब इज्जत लुटजया म्हारी

बोली हाथ जोड़ कै कहरी मनै  मान ली भतेरी हे ||

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

नयों गात बचा कै मनै  पूरे तीन साल गुजार दीये 

एच ए यूं  मैं लिया दाखिला पढ़न के विचार कीये 

वालीबाल मैं लिकड़ी आगे  सबके हमले पार कीये

के बताऊँ  किस किस नै मेरे पै जो जो वार कीये

मार मार कै तीर कसूते या छाती साल दी मेरी हे ||

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

कुछ दिन पहलम का जिकरा दूभर जीणा  होग्या

इन हीरो होंडा आल्यां  का रोज का गमीणा  होग्या

कई बै रोक मेरी राही खड्या वोए कमीणा  होग्या

उस दिन बी मैं रोक लाई घूँट खून का पीणा  होग्या

कई हाँसें थे उडै  जिब साईकल थाम ली मेरी हे ||

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

मेरी आँख्यां  आगे अँधेरा था पर मने वो थपेड दीया 

जोर का मारया धक्का मोटर साईकल धकेल दीया

नयों बोल्या मैं ना असली जै घाल नहीं नकेल दीया

तनै पडे भुगतना छोरी मोटा तित्तया यो छेड़ दीया

नयों कहै उस नीच जाले नै बांह मोस दी मेरी हे ||

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

भीड़ मैं तै फेर एक छोरा थोड़ा सा आगे नै आया था 

के थारे बहन बेटी नहीं सै वो थोड़ा सा गुर्र्याया  था

उतरया  पेट मैं छः इंची बेचारे नै चक्कर खाया था

देख लिया अंजाम उसका  जिन्नै बीच मैं पैर  अड़ाया  था

ठा फिट फटती भाज गये उन्नै लाज राख दी मेरी हे ||

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

एक बोल्या के बिगडया  तेरा छोरा ज्यान तै खूज्यागा

दूजा बोल्या ताली दो हाथों बजै नया पवाडा बूज्यागा

मैं सोचूँ के होगा जिब यो बर्ताव  म्हारी जड़ों मैं चूज्यागा

सराफत ना टोही पावै बदमाशी का लाग यो ढूँज्यागा

हांगा ला बचा लिया डाक्टरों नै  बचा साख दी मेरी हे || 

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।

हे मेरी बहना म्हारी गेल्याँ इसी बात रोज बनै सै हे

इसे ऊतों की या सड़कों ऊपर पूरी फ़ौज फिरै सै हे

एक एक करकै तेरी मेरी या कटती गुज फिरै सै हे

सब कठठी  होल्यो नै सबनै कहती सरोज फिरै सै हे

पुलिश ना मदद करै रणबीर गांठ बांध दी मेरी हे ||

सफ़ेद पोश बदमाशों नै इसी घाल दी घेरी हे।।


310)

आज काल के कई नेता म्हारे दिल तैं उतर लिये।।

कहवैं किमैं और करते किमैं पर म्हारे कुतर लिये।।

1

जै मेरी बस चालज्या तै दिन मैं तारे दिखवा दयूं

इन लिडरां नै दो रेलां मैं नेपाल के मैं भिजवा दयूं

बाह कै खूब देखे हमनै इब टूट म्हारे सबर लिये।।

कहवैं किमैं और करते किमैं पर म्हारे कुतर लिये।।

2

जी करता जनता धोरै इनकी इब पोल खुलवाऊं 

ये पापी घनघोर कसूते ये नारे सारे कै लगवाऊं

राजगुरु भगतसिंह से नेता चढ़ा अपनी नजर लिये।। 

कहवैं किमैं और करते किमैं पर म्हारे कुतर लिये।।

3

दो दिन मैं धन काला फेर सबका कढ़वा देवैंगे

अरबां मैं खेलैं देखो इनकै हथकड़ी लगवा देवैंगे

फोली फोली खाई सै नहीं सही नेता टकर लिये।।

कहवैं किमैं और करते किमैं पर म्हारे कुतर लिये।।

4

जनहित की राजनीती का सबनै पाठ पढ़ावैं रै

इसकी खातर जन मोर्चा मजबूत आज बनावैं रै

कहै रणबीर बरोणे आला चढ़ सही डगर लिये।।

कहवैं किमैं और करते किमैं पर म्हारे कुतर लिये।।


311)


झूठे वायदे

सारे आकै न्यों कहवैं हम गरीबां की नैया पार लगावां।

एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।

1

वोट मांगते फिरैं इसे जणु फिरैं सगाई आले रै

जीते पाछे ये जीजा और हमसैं इनके साले रै

पांच साल बाट दिखावैं एडी ठा ठा इन कान्हीं लखावां।।

एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।

2

नाली तै सोडा पीवण आले के समझैं औख करणिया नै

कार मैं चढ़कै ये के समझैं फेर नंगे पांव धरणियां नै

देसी-विदेसी अमीर लूटैं इनके हुकम रोज बजावां।।

एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।

3

गरमी मैं भी जराब पहरैं के जाणैं दरद बुआई का

गन्डे पोरी नै भी तरसां इसा बोदें बीज खटाई का

जो लुटते खुले बाजार मैं उनका कौणसा देश गिणावां।।

एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावां।।

4

फरक हरिजन और किसान मैं कौण गिरावै ये लीडर

ब्राह्मण नै ब्राह्मण कै जाणा कौण सिखावैं ये लीडर

गरीब और अमीर की लड़ाई रणबीर दुनिया मैं बतावां।।

एक बै वोट गेर दयो म्हारी धरती पै सुरग नै ल्यावाँ।।


312)

बढां अगाड़ी भाईयो लड़ण का मौका है फिलहाल

हाथ दिखादयां मजदूर किसान।।

पूंजीपति का सामना करना है, संघर्ष कर आगै बढ़ना है, एका बनाकर चलना है, कर एक दूजे का ख्याल

हाथ दिखादयां मजदूर किसान।।

अपने हकां ऊपर हम भिड़ जावाँ, बेड़ी तोड़ आगै बढ़ पावां, नक्शा देश का बदलकै दिखावां, ठाकै तिरंगा तत्काल

हाथ दिखादयां मजदूर किसान।।

म्हारे हकां नै पूंजीपति दबावैं सैं, ये काले क़ानून बनवावैं सैं, म्हारी कमाई लूटना चाहवैं सैं, ये पूंजीपति चंडाल

हाथ दिखादयां मजदूर किसान।।

मजदूर किसान का नारा सै, यो हिंदुस्तान सबका प्यारा सै,मजबूत रणबीर भाई चारा सै,मुक्ति की उठें सैं झाल

हाथ दिखादयां मजदूर किसान।।


313)

या लगै भाणजी तेरी, इसनै मतना मारै,

कहूं जोड़ कै हाथ तूं इस पै दया करै नै !!टेक!!


और किसे का दोष नहीं तकदीर मेरी हेट्टी सै,

नौ महीने तक बोझ मरी या मेरे उदर लेटी सै,

या एक बेटी सै मेरी, मत जुलम गुजारै,

क्यों करता आत्मघात, तूं इस पै दया करै नै !!1!!


मेरी बातों पै कंस भाइ, तू कती ध्यान न धरता,

कानां पर कै टाळै सै, मेरा बोल तेरै ना जरता,

क्यों करता डुब्बा-ढेरी, मैं रहूं क्यां कै सहारै,

बाळक मारे सात, तू इस पै दया करै नै !!2!!


मेरे बाळक मारण का तनै बुरा ले लिया चसका,

कै दिन खातिर जुलम करै भाई जीना सै दिन दस का,

बता या किसका सै के लेहरी मत सिर नै तारै,

आखिर कन्या की जात, तू इस पै दया करै नै !!3!!


ऋषि मुनी और योगी मात तनैं ध्यावैं सै बह्म ज्ञानी,

सन्त छज्जू दीप चन्द उन कवियों नै मानी,

वरदान भवानी, देहरी जाण म्हारी होगी सारै,

ये हरदेवा की करामात तू इस पै दया करै नै !!4!!


314)

एक बाप का दुःख 

कुनबा सारा मूँधा पड़या नहीं होती छोरी की सगाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

1

पढ़ लिख कै बेटी आई एफ एस अफसर बणगी

दहेज़ एक करोड़ पै पहोंच्या सिर की नस तणगी

मेहनत करी दिन रात मुड़कै पाछै नहीं लखाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

2

बिन ब्याही बेटी का घर मैं बोझ घणा कसूता होज्या रै

मेरे बरगा सिद्धान्ति माणस भी सबर अपना खोज्या रै

घर मैं दीखै सूनापन जब ना पावै कोये राही।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

3

जात के भीतर आई ऐ एस कोये भी मिलता कोण्या

एक मिल्या तो गोत उसका म्हारे गाम मैं चलता कोण्या 

इन गोतां के चक्कर नै म्हारी तो पींग सी बधाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

4

माथा पाकड़ कै बैठ गया तीन साल जूती तुड़वाली

या उम्र तीस साल की ओवर ऐज खाते मैं जाली

दोतीन और अफसर थे उनकी मांग बेढंगी पाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

5

बेटी नै तो कर लिया फैंसला ब्याह नहीं कावाने का 

मां बोली हमनै के ठेका बेटी जात बीच ब्याहने का

कौम के ठेकेदारां नै नरमी नहीं  बरती चाही।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

6

जात छोड़ ब्याह करने का मेरा तो जी करता कोण्या

बिन ब्याही रह्वैगी बेटी न्यों सोच दिल भरता कोण्या 

जात मनै लागै थी प्यारी इसनै मेरी करी पिटाई।।

7

न्योंये कित धक्का दे दयूं आज मेरी समझ नहीं आता

एक करोड़ कड़े तैं ल्याऊं आज मेरा तो यो खाली खाता

दो च्यार लाख मैं नहीं करते कौमी बेटे मेरी सुनाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

8

भितरै भितर सोचूँ कितै बेटी प्रेम विवाह करले

नीरस जिंदगी जो उसकी उसनै खुशियों तैं भरले

वा बागी होकै करले शादी होज्यगी मेरी मनचाही।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

9

तिरूं डूबूँ जी होरया इसनै रोज समझाऊँ क्यूकर

जात भितर की सीमा दिल खोल दिखाऊं 

क्यूकर

म्हारे बरगे माणसां की होरी सारे कै जग हंसाई।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।

10

नौकरी के कारण बेटी नै कई देशां मैं जाना पड़ता 

भांत भांत के लोगां तैं उसनै उड़ै हाथ मिलाना पड़ता 

रणबीर खुलापन आया यो आज साहमी दे दिखाई ।।

मनै सगे सम्बन्धी कहवैं क्यों इतनी घनी पढ़ाई।।


315)


सोलां सोमवार के ब्रत राखे मिल्या नहीं सही भरतार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घना सै करतार

1

बालकपन तैं चाहया करती मन चाहया भरतार मिलै

बराबर की इंसान समझै ठीक ठयाक सा घरबार मिलै

उठते बैठते सोच्या करती बढ़िया सा मनै परिवार मिलै

मेरे मन की बात समझले नहीं घणा वो थानेदार मिलै

इसकी खात्तर मन्नत मानी चढ़ावे चढ़ाए मनै बेसुमार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

मेरी सहेली नै ब्याह ताहिं एक खास भेद बताया था 

सोलां सोमवार के ब्रत करिये मेरे को समझाया था

बोली मनचाहया वर मिलै जिसनै यो प्रण पुगाया था

मनै पूरे नेग जोग करे एक बी सोमवार ना उकाया था

बाट देखै बढ़िया बटेऊ की यो म्हारा पूरा ए परिवार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

3

कई जोड़ी जूती टूटगी फेर जाकै नै यो करतार पाया

पहलम तै बोले बहु चाहिए ना चाहिए सै धन माया

ब्याह पाछै घणे तान्ने मारे छोरा बिना कार के खंदाया

सपने सारे टूटगे मेरे बेबे सोमवार ब्रत काम ना आया

पशु बरगा बरतावा सै ना करै माणस बरगा व्यवहार

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार

4

ये तो पाखण्ड सारे पाये ना भरोसा रहया भगवान मैं

उसकी ठीक गलत सारी पुगायी ना दया उस इंसान मैं 

फेर न्यों बोले पाछले मैं कमी रही भक्ति तनै पुगाण मैं

आंधा बहरा राम जी भी नहीं आया पिटती छुड़ाण मैं

कहै रणबीर बरोने आला आज पाखंडाँ की भरमार 

दुख की छाया ढली कोण्या निकम्मा घणा सै करतार


316)


दारू और दवा की दुकान 

दारू और दवा की दुकान हर गाम शहर मैं पाज्या

बढ़ी दारूबाजी और बीमारी असल देश की बताज्या

पी दारू मजदूर किसान अपने घर का नाश करै

दारू फैक्ट्री बन्द होवैं महिला इसकी आस करै

आस करती होज्या बूढी पति नै इतनै दारू खाज्या।।

दवा के रेट का कोए हिसाब ना गोज ढ़ीली करज्या

मरीज खरीद कै खाली होज्या डॉक्टर की गोज भरज्या

पूरा इलाज फेर भी न होवै चानचक सी मौत आज्या।।

दारू का बेर या नाश करै सर्कार क्यों फैक्ट्री खुलवावै

रोज खोल दूकान दारू की मौत न्यौता देकै बुलवावै

के बिना दारू विकास ना हो कोए आकै मनै बताज्या।।

इलाज महँगा कर दिया गरीब बिना दवाई मरता 

इलाज ब्योपार बणा दिया खामियाजा मरीज भरता 

रणबीर बरोने आला सोच समझ कलम घिसाज्या।।

19.3.2015


317)

दीवाली

कितै मनै दीवाली चौखी कितै लिकड़या दीखै दिवाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

1

बनवास काट वापिस आये जिब दीवाली मनाई जावै

अच्छाई पिटे चारों कान्ही आज बुराई बढ़ती आवै 

इसे माहौल मैं दीवाली कोये माणस कैसे आज मनावै

राम की नगरी मैं किसान यो लाम्बा आंदोलन चलावै 

म्हारी बदरंगी दुनिया का यो कोण्या पाया राम रुखाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

2

क्युकर खील पतासे मैं ल्याऊं, घर मैं मुस्से कुला करैं 

मेहनत करकै रोटी खावाँ सां , श्याम सबेरी दुआ करैं

फेर बी उनकी चांदी होरी सै दिन रात जो बुरा करैं 

हमनै या दुनिया रचाई , हमतें रामजी क्यों गिला करैं 

राम कै तौ मिटादे अँधेरा , नातै  होगा दुनिया मैं चाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

3

राम राज मैं बढै गरीबी या बात समझ मैं आई कोण्या

इसा के चाला हुया बता, ख्याल मैं म्हारी पढ़ाई कोण्या

थारे राज मैं हमनै रामजी मिलती आज दवाई कोण्या

क्यों थारे राज मैं सुरक्षित आज ये लोग लुगाई कोण्या

दुनिया का मालिक बणन का  करदे राम जी इब टाला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।

4

बता क्यूकर दीवाली मनावैं, रास्ता मनै  बता दे तूं 

समता होज्या दुनिया मैं इसा , रास्ता मनै दिखा दे तूं 

औरत नै इन्सान समझां म्हारा हरियाणा इसा बनादे तूं 

तेरे बस का ना यो करना तै  म्हारे जिम्मै लगादे तूं 

लोगां का भरोसा उठता जावै , कहै रणबीर बरोने आला ।।

कुछ घर मैं हुया चांदना, घणे घरों मैं हुया अँधेरा काला ।।


318)

खाते पीते परिवार के बारे 

माल खजाने धरे रैह ज्यांगे तूँ रोटी खावण नै तरसै।।

शुगर ब्लड प्रेशर की बीमारी तूँ कितै जावण नै तरसै।।

1

नए साधन टोहे मिलकै यो समों पुराना बदल दिया

पुर्जे की जब खोज हुई यो ख्याल पुराना बदल लिया 

मण्डी मैं जिब बोली लागी यो लिया पुराना बदल हिया

गरीब नै दाब कै राखण का यो ढंग पुराना बदल

किया

बालू शाही धरी तेरे साहमी या मूंह मैं आवन नै तरसै।।

2

जीभ चटोरी लालच आग्या तरीके घटिया अपनावै रै

आत्म सम्मान तोड़ै हीणे का गैल कद अपना घटावै रै

अपना बैरी खुद मैं भी होग्या बन्द गली मैं बढ़ता जावै रै

खोखला तेरा जीवन होग्या सच्चाई तनै खावन आवै रै

घर अपने मैं पराया होवै तूँ फेर बतलावण नै तरसै।।

3

पिस्से का कोए औड़ रहया ना धरने नै जागां टोहवै रै

धक धक करै कालजा तेरा नहीं नहीं नींद चैन की सोवै रै

मन का अंधेरा दुखी करै फेर दारू मैं आपा डबोवै रै

सब किमैं सै तेरे धोरै फेर भी क्यों डले सुरग मैं ढोवै रै

सारी हाण धुत्त नशे मैं तू असली सुख पावण नै तरसै।।

4

नहीं तनै कितै भी चैन पड़ै मन मैं घणी उचाटी छाज्या

नहीं दो पैग तैं काम बनै पूरी बोतल भीतर नै खाज्या

काला धन दिमाग चढादे फेर क्युकर मन शांति पाज्या

भूल भुल्या बनज्या जिंदगी तूँ सारी उम्र न्योएँ खपाज्या

कहै रणबीर अंधेरा होज्यागा तूँ गीत बणावण नै तरसै।।


319)

संसार मैं तूँ क्यूँ आया, तनै के खोया के पाया,

हिसाब कदे ना लाया, या न्यूएँ उम्र गुजारी।।

1

ना आच्छी किताब पढ़ी अश्लील साहित्य भाग्या

टी वी नशा हिंसा का यो माहौल शरीर नै खाग्या

बात काबू कोण्या आई, पकड़ी क्यूँ उल्टी राही

करी घर की तबाही, या बात ना कदे बिचारी।।

2

ज्ञान सबतैं बड्डा धन दुनिया मैं बताया रै

ज्ञान जीवन मैं बता कितना तनै कमाया रै

मन होज्या तेरा गन्दा ,यो काले धन का धंधा

बणग्या गल का फंदा, इसनै अक्कल फेर दी सारी।।

3

तूँ बचन सुथरे बोलै फेर करता घटिया काम 

पिछाण कर्मा तैं होवै खाली बचनों के ना दाम

यो संयम तनै खोया , बीज ईर्ष्या का बोया,

बहोतै गन्द सै ढोया, करनी सीखी चोरी जारी।।

4

समय सार जिंदगी का  कैहगे बड़े बड़ेरे न्यों 

कर बर्बाद समय नै बेहाल हुए भतेरे न्यों 

दूजे की कमी निगाही , ना देखी दिल की खाई

आज साफ दे दिखाई, रणबीर बेशर्मी थारी।।



320)

ओले हाथ नै सौले का भरोसा नहीं रहया बताया रै

के होग्या म्हारे समाज कै अंधविश्वास सारै छाया रै

1

बाहण की इज्जत नै भाई समाज के मैं लूट रहया 

गुंडा लेकै रिवाल्वर पूरे गाम मैं खुल्ला छूट रहया

गाम पी खून का घूंट रहया बदमाशों नै डराया रै।।

के होग्या म्हारे समाज कै------

2

शहरां तैं आज गाम घणे असुरक्षित होंते आवैं सैं 

वंचित तबके गामां मैं मुश्किल तैं रात बितावैं सैं 

गुंडे छोरी ठा लेज्यावैं सैं रिवाल्वर का भय बिठाया रै।।

के होग्या म्हारे समाज कै---------

3

जो बोलैं उणनै पीटैं झूठे उनपै इल्जाम लवादें सैं

स्कूल जान्ती छोरी घबरावैं उड़ै जावणा छटवादें सैं

काबू ना आवै तो मरवादें सैं यो किसा जमाना आया रै।।

के होग्या म्हारे समाज कै---------

4

चुप्पी साधें ना पार पड़ै हमनै आवाज उठानी होगी

गुंडागर्दी पै सबनै मिलकै आज लगाम लगानी होगी 

रणबीर कलम चलानी होगी ज्यां यो छंद सै बनाया रै।।

के होग्या म्हारे समाज कै---------


321)


देश बेच दिया म्हारा, स्वदेशी का नारा लाकै।।

अमीराँ की चांदी करी गरीब गेरे कुंए मैं ठाकै।।

1

चाल थारी सै आण्डी बाण्डी

नीति पाई सै बहोत लाण्डी

तमनै मारी सै खूबै डाण्डी, या जनता बहकाकै।।

2

कितै मस्जिद तोड़ी तमनै 

कितै अफवाह छोड़ी तमनै 

सोच जनता की मोड़ी तमनै, उल्टी बात सिखाकै।।

3

सेहत बेची म्हारी आज या

शिक्षा बेची सारी आज या

कृषि पै महा मारी आज या,मरते फांसी खा खाकै।।

4

तमनै नँगे हो बोली लाई

फसल फूट की बोई चाही

रणबीर चाहवै रोक लगाई, इब कलम उठाकै।।



322)

किरण -- एक प्रवाशी परिवार के बारे एक रागनी। क्या बताया भला--

बिहार तैं चालकै आये साँ हरियाणा मैं काम बताया रै।।

किरण साथ दो बालक छोटे गरीबी का सिर पै छाया रै।।

1

पाँच छह दिन रहे टेशन पै रहने की जागां पाई ना

बात करी दो चार जागां कई दिन दिहाड़ी थ्याई ना

कई रात नींद जमा आई ना बालकां नै जमा हिलाया रै।।

2

पंचवटी कालोनी मैं एक टूट्या फुटया सा मकान मिल्या

पानी ल्यावां दूर सड़क पर तैं जोड़ जोड़ दोनों का हिल्या

किरण नै खाना बनाने का काम एक कोठी मैं थ्याया रै।।

3

एक दुकान पर तैं रेहड़ी पै सब्जी बेचन का मिल्या काम 

दो तीन मोहळ्यां मैं जाना सुबह दोपहरी और शाम

चार सौ पांच सौ की बिकै  इसमें कुछ ना बच पाया रै।।

4

चार मिहने पीछै मिस्त्री का दिया काम दिवा ठेकेदार नै

आठ मिहने काम चल्या उड़ै या सांस आई घरबार नै 

पेट पालण का इस ढालाँ रणबीर जुगाड़ बिठाया रै।।

13,08,2011


323)

कुछ लेख डेरा प्रेमियों को मुख्य रूप से दोषी के रूप में देख रहे हैं जो शायद पूरी तरह ठीक नहीं लगता । उसी को ध्यान में रखकर यह हरयाणवी रागनी प्लीज --

अन्धविश्वास

जनता नै अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 

देकै लालच और डर दिखाकै वोट लेकै नै राज मैं आवै ॥ 

मजदूर की मजदूरी खाज्यां ये लीला भगवन की बताते 

किसान की फसल मंडी बीच देखो लगाकै बोली उठाते 

जात धर्म पर अफवाह फ़ैलाकै आपस मैं खूब लड़वाते 

दोनों की म्हणत  की कमाई बैठके महलों अंदर खाते 

भगवान की लीला बता लुटेरा पत्थरों की पूजा करवावै॥

जनता नै अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 

पूरी दुनिया मैं खेल धर्मों का पूंजीपति आज खेल रहे 

शोषण का सिस्टम पक्का आज मजदूर किसान झेल रहे

कितै अंधराष्ट्र वाद कितै  देखे आतंक वाद नै पेल रहे  

गरीब अमीर की खाई बढाक़ै काढ़ जनता का तेल रहे 

लूट नै मर्जी यो पूंजीपति अल्लाह ईशा राम की बतावै ॥ 

जनता अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 

सृष्टि जब तैं वजूद मैं आयी अग्नि और हवा देवता आया 

आगै चल्या समाज तो फेर मानस नै भगवान बनाया 

कुछ देशों मैं अल्लाह आग्या कुरान का पाठ पढ़ाया 

कुछ देशों  मैं ईशा मशीह नै फेर अंगद का पैर जमाया 

इस दुनिया मैं इतने धर्म क्यों सोचकै सिर यो चकरावै ॥ 

जनता अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ॥ 

घरां बैठकै  ग्रन्थ बणाकै जमकै झूठ चलावन लागे रै 

जीभ चटोरे ऊत लूटेरे अन्धविश्वास फलावन लागे रै 

ब्रह्म पारासुर लड़की तैं देखो भोग करावन लागे रै 

आँख कान और नाक सींग मैं  पुत्र जमावन लागे रै 

रणबीर सिंह अपनी कलम अन्धविश्वास खिलाफ उठावै ॥ 

जनता अन्धविश्वासी बनाकै इसनै आज कौन भकावै ||


324)

कहानी घर घर की एक महिला की जुबानी 

मरै गरीबी के बोझ तलै , तेरी बी ना कोए पार चलै  

अमीरी हमनै रोज छलै , शरीर  को कसूत सताऊँ मैं।।

1

दो घरों में जाकै मैं करूँ यो पूरा काम सफाई का

एक घर डाक्टर का सै दूजा घर वकील अन्यायी का

दोनों घरों का के जिकरा सै , मेरे पै ना कोए फिकरा सै

ख़राब सबका जिगरा सै , पेट पकडे  बैठे दिखाऊँ मैं।।

2

वकील साहब की वकालत बस इसी ए सी बतावें

ओला बोला पीसा उन धौरे धंधा कई ढाल का चलावें

घर मैं पीटता  घरआली नै , बाहर देखो शान निराली नै

बेटा ठाएँ हाँडै  दुनाली नै , के के सारी खोल सुनाऊँ मैं।।

3

डाक्टरनी दुखी कई बर बैठी रोंवती  वा पाई बेबे  

शौतन का दुःख झेल रही कई बै चुप कराई बेबे  

बड्डी कोठ्ठी पर दिल छोट्टे, बाहर शरीफ भित्तर खोट्टे

कुछ तो अकल के बी मोट्टे  , कई बै अंदाज लगाऊं मैं ।।

4

घूर घूर कै देखै मने ना डाक्टर का एतबार बेबे

उसकी आँख्यां  मैं दीखे यो शैतान हरबार बेबे

डाक्टर का घर छोड़ दिया , तीजे घर मैं बिठा जोड़ लिया

काढ मनै  यो निचोड़ लिया रणबीर यो बख्त पुगाऊँ मैं।।


325)

शिक्षा 

शिक्षा देश की पढ़ण बिठाई अपणा व्यापार चलाया रै।।

गावों शहर के सरकारी स्कूलां का धुम्मा सा ठाया रै।।

1

सरकारी स्कूल के तम्बू पाड़े प्राइवेट स्कूल ल्याए रै 

प्राइवेट घनी लूट मचारे शिक्षक जावैं घणे सताए रै

शिक्षा स्तर उड़ै भी माड़ा सै माँ बाप तो  दुःख पाये रै 

सरकार नै शिक्षा पै खर्च घटा जनता कै सांस चढ़ाये रै

खराबी के सैं टीचर दोषी कसूता प्रचार कराया रै ।।

शिक्षा देश की पढ़ण बिठाई अपणा व्यापार चलाया रै।।

2

इंजीन्यरिंग कालेज खुलरे सैं बी टेक बिकती गिनाऊँ देखो 

कुछ दिन बीएड कालेज खुल्ले इब बन्द होंते दिखाऊँदेखो 

नर्सिंग कालेज आये घणे उनकी हुई दुर्गति बताऊँ देखो 

मेडिकल कालेजों का काल नै योहे हाल मैं सुनाऊँ देखो 

बेरोजगारी के बादल छारे घुटन का माहौल बनाया रै।।

शिक्षा देश की पढण बिठाई अपणा व्यापार चलाया रै।।

3

साठ लाख मैं एम बी बी एस दो करोड़ की एम डी होगी 

इलाज मैं सेवा कित बचै पिस्से की चकाचौंध इनै ख़ोगी 

गरीब की शिक्षा गई भाड़ मैं सरकार तानकै लाम्बी सोगी 

बाजार व्यवस्था हावी हुई या आज  बीज बिघण के बोगी 

शासक वर्ग नै अपनी खातर न्यारा ढांचा सै बनाया रै।।

शिक्षा देश की पढ़ण बिठाई  अपणा व्यापार चलाया रै।।

4

एयर कण्डीशण्ड दुनिया का भारत न्यारा बना राख्या रै

दूजे कांही नब्बे प्रतिशत कै सांस कसूता चढ़ा राख्या रै

एक की शिक्षा घणी जरूरी दूज्यां का ढोल बजा राख्या रै

जेण्डर बायस  शिक्षा मैं यो कसूते ढाल छिपा राख्या रै 

रणबीर सिंह शिक्षा पै गेरी दुभांत की कसूती छाया रै ।।

शिक्षा देश की पढ़ण बिठाई अपणा व्यापार चलाया रै।।


326)

सबका देश हमारा देश 

सबका हरयाणा हमारा हरयाणा 

मशीन नै तरीके बदले खेत क्यार की कमाई के ।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

1

बाइक उप्पर चढ़कै नै छोरा खेत मैं जावै देखो

ज्वार काट खेत म्हां तैं भरौटा बणा छोड्यावै देखो

भरौटा ल्यावां ट्रेक्टर मैं दिन गए सिर पै ढवाई के।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

2

जिसकै ट्रेक्टर कोण्या उड़ै आज झोटा बुग्गी आगी रै

घरके काम गैल छोटा बुग्गी या औरत नै खागी रै

घणखरे काम औरत जिम्मै मर्द के काम ताश खिलाई के।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

3

प्रवासी मजदूर पै कई का टिक्या खेत क्यार का काम 

म्हणत तैं घिन्न होगी चाहवै चौबीस घण्टे आराम 

दारू बीमारी घर घर मैं आगी करे हालात तबाही के ।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।

4

सबका हरियाणा अपना ल्याकै भाईचारा बणावांगे 

मानवता का झंडा हरेक गाम शहर पहोंचावांगे 

कहै रणबीर बरोने आला छंद लिखै ना अंघाई के ।।

गाड्डी की जागां या बाइक बदलाव दीखैं पढ़ाई के ।।


327)

धन्ना सेठों और हिंदुत्व की दुग्गी देश मैं छाई रै।।

आम आदमी की इसनै कसूती रेल बनाई रै।।

1

बहु विविधता भाईचारे पै खतरा खूब बढ़ाया

संसद भारत देश की इसका मखौल उड़ाया

तर्क सत्य विवेक म्हारा भीड़ नै पढण बिठाया

गौरक्षा के नाम ऊपर उधम घणा सै मचाया

देश मैं अन्धविश्वसां की बाढ़ कसूती आई रै।।

आम आदमी की इसनै कसूती रेल बनाई रै।।

2

बेरोजगारी पै चुप्पी साधी नहीं चिंता किसानी की 

जात धर्म पै बाँटे घृणा बढ़ाई बेउँमानी की

इलाज म्हारे की चिंता ना घणी चिंता अडाणी की

शिक्षा का भट्ठा बिठाया चांदी होरी आज अज्ञानी की

असली मुद्दे घुमा दिए रूलती हांडे भरपाई रै।।

आम आदमी की इसनै कसूती रेल बनाई रै।।

3

फासीवाद का हमला आग्या यो मनै तनै सालैगा

ज्यूकर पूंजीपति कहैगा हुक्म उसका पालैगा

जात धर्म पै लड़वाकै नै म्हारे पै जाल घालैगा

संविधान पाड़ बगाया जा हुक्म राजा का चालैगा

या काट फासीवाद की जनता का मोर्चा बताई रै।।

आम आदमी की इसनै कसूती रेल बनाई रै।।

4

छोड़ बाँट जात पात पै एक मंच पै आणा होगा

नबै दस की लड़ाई का नारा मिलकै लाणा होगा 

पूंजीपति देशी बदेशी को सबक सिखाना होगा

सबनै इंक़लाब जिंदाबाद मिलकै गाणा होगा

कहै रणबीर समझो म्हारी असल लड़ाई रै।।

आम आदमी की इसनै कसूती रेल बनाई रै।।

328)

छोरे की भर्ती

पीस्याँ का जुगाड़ बनाया या धरती गहणै धरकै नै।।

नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।

1

दोनों जणे आगै पाछै चाले ज्यूँ घोड़ी कै पाछै बछेरा

कितना दुखी पाग्या मेरी खातर भाईयो बाप यू मेरा

कहया सिपाही बणकै बाबू मैं दुःख दूर करूंगा तेरा

दस के बनाऊँ बीस लाख जै कदे बस चालैगा मेरा

सपने मैं चढ़ घोड़ी पै चल्या धर्मबीर सिपाही बणकै नै।।

नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।

2

बाबू के दिल मैं धड़का था कदे बिचौलिया पीसे खाज्या

धरती खोयी पीसे भी जाँ कदे ज्यान मरण मैं ना आज्या

कदे झूठ बहका कै बिचौलिया म्हारै थूक कसूता लाज्या

सोचै बिस्वास करना होगा न्यूएँ क्यूकर नौकरी थ्याज्या

बाबू घबराया नहीं देख्या था इसे रासे के मैं पड़कै नै।।

नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।

3

टूटे से ऑटो मैं बैठकै नै दोनूं शहर बीच आगे कहते

एस पी दफ्तर मैं भीड़ देखी भोत घणे चकरागे कहते

माणस ऊपर माणस चढ़रया वे एकबै घबरागे कहते 

बोली चढ़गी पंदरा पै कई बिचौलिए बतलागे कहते

सी एम की सिफारिस वे आले चालें घणे अकड़कै नै।।

नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।

4

साठ सीट बतावैं थे सिफारिशों का भाईयो औड़ नहीं था

कई सीएम के कुछ पीएम के टेलीफोनों का तोड़ नहीं था 

गाभरू छोरे छह फिट के उड़ै उनका कोय जोड़ नहीं था

पढ़ाई लियाकत अर गातकै कोय उड़ै बांधै मोड़ नहीं था

लाइन मैं धर्मबीर लाग्या लत्ते काढण एक एक करकै नै ।।

नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।

5

जिले जिले मैं पुलिस की भर्ती रूका रोला माच गया

असनाई रिश्तेदारी टोहवैं मामला दिखा साच गया

कई सिफारशी हुए भर्ती बाकि पै यो पीसा नाच गया

बिचौलियाँ के पौ बारा हरेक कर तीन दो पांच गया

बिचौलिया नै नोट गिनाये भरतू पै एक एक करकै नै।।

नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।

6

भर्ती होवण की खातर उड़ै हजारां छोरे आरे देखे

सुथरा छैल गात रै उनका चेहरे कति मुरझारे देखे

रिश्वत खोरी खुली होरी छोरयां कै पसीने आरे देखे

गेल्याँ हिम्मती भी ये रणबीर पाँ कै पाँ भिड़ारे देखे

लिस्ट मैं आग्या बिचौलिया लेग्या बाकि के गिण कै नै।।

नौकरी दिवावण चाल दिया लाखां गोज मैं भरकै नै।।


329)


बुरा हाल देख देश का आज मेरा जिगरा रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

1

मेल मिलाप खत्म हुया पकड़या राह तबाही का

जात पात धर्म के ऊपर गल काटै भाई भाई का

मारकाट बिना बात की यो सै काम बुराई का 

पर फिकर सै किसनै देखै खेल जो अन्याई का

माता खड़ी बिलख रही जिगर का टुकड़ा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

2

पंजाब मैं लीलो लुटगी चमन दिल्ली मैं रोवै सै

धनपत तूँ कड़ै डिगरग्या चमन गली गली टोह्वै सै

यो सारा चमन उजड़ चल्या तेरा साज कित सोवै सै

ना मन की बुझनिया कोय लीलो बैठ एकली रोवै सै

कित तैं ल्याऊं लख्मीचंद जिसनै सही छंद पिरोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

3

चौड़े कालर फुट लिया यो भांडा इस कुकर्म का

धर्म पै हो लिए नँगे नहीं रहया काम शर्म का 

लाजमी हो तोड़ खुलासा इस छिपे हुए भ्रम का

घड़ा भर लिया पाप का यो खुलग्या भेद मरम का 

देखी रोंवती हीर मनै जन सीने मैं तीर चुभोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

4

इसे कसूते कर्म देखकै सूख गात का चाम लिया

प्रीत लड़ी बिखर गई अमृता नै सिर थाम लिया

शशि पन्नू की धरती पै कमा कसूता नाम लिया 

भगत सिंह का देश भाई हो बहोत बदनाम लिया

असली के सै नकली के सै यो सच गया पूरा धोया ।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

5

फिरकापरस्ती दिखै सै इन सब धर्मां की जड़ मैं

लुटेरा राज चलावै सै बांट कै धर्मां की लड़ मैं

जितनी ऊपर तैं धौली दीखै कॉलस उतनी धड़ मैं

जड़ दीखें गहरी हों जितनी गहरी हों बड़ मैं

यार धर्म फीम इसी खाई दुनिया नै आप्पा खोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।

6

सिर ठाकै जीणा हो तै धर्म राजनीति तैं न्यारा हो 

फेर मेहनत करणीया का आपस मैं भाईचारा हो

फेर नहीं कदे देश मैं लीलो चमन का बंटवारा हो

कमेरयां की बनै एकता ना चालै किसे का चारा हो

रणबीर बी देख नजारा ठाडू बूक मार कै रोया।।

चारों तरफ मची तबाही खड़्या हाथ कालजा होया।।


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