Saturday, 1 October 2022

भगत सिंह 8 से 21

 वार्ता

लेखक भगत सिंह को आह्वान करके क्या कहता है ------
रागनी 8
देख ले आकै सारा हाल , क्यों देश की बिगड़ी चाल, सोने की चिडया सै कंगाल , भ्रष्टाचार नै करी तबाही ।।
1
अंग्रेज तैं लड़ी लडाई , थारी कुर्बानी आजादी ल्याई
देश के लुटेरों की बेईमानी फेर म्हारी बर्बादी ल्याई
क्यों भूखा मरता कमेरा , इसनै क्यूकर लूटै लुटेरा, करया चारों तरफ अँधेरा,माणस मरता बिना दवाई ।।
2
चारों कान्ही आज दिखाऊँ , घोटालयां की भरमार दखे
दीमक की तरियां खावै सै समाज नै यो भ्रष्टाचार दखे
ये चीर हरण रोजाना होवें , नाम देश का जमा ड़बोवैं , लुटेरे आज तान कै सोवें, शरीफों की श्यामत आई ।।
3
थारे विचारों के साथी तो डटरे सें जमकै मैदान के माँ
गरीबों की ये लड़ें लडाई म्हारे पूरे हिंदुस्तान के माँ
भगत सिंह ये साथी थारे , तेरी याद मैं कसम उठारे, संघर्ष करेँ यो बिगुल बजारे ,चाहते ये मानवता बचाई ।।
4
बदेशी कंपनी थारे देश नै फेर गुलाम बनाया चाहवैं
मेहनत लूट मजदूर किसानों की ये पेट फुलाया चाहवैं
भारी दिल तैं साथी रणबीर, लिखै देश की सही तहरीर, भगत तमनै जो बनाई तस्बीर, देख जमा ए पाड़ बगाई।।


वार्ता-- 23 मार्च को फांसी की सजा दी गई और तीनों को सतलुज के किनारे पर जलाया गया। क्या बताया भला-


रागनी 9
राज गुरु सुख देव भगत सिंह तेईस मार्च नै फांसी पै लटकाये।।
हुसैनी वाला में अधजले तीनूं  सतलुज नदी के मैं गये बहाए।।
1
धार्मिक कट्टरवाद और अंधविश्वास समाज के बैरी बताये
विकास के पक्के रोड़े सैं इनपै लिख कै संदेश घर घर पहूंचाये
लिख मैं नास्तिक क्यों सूं एक पुस्तिका मैं अपने विचार बताये।।
2
इंसान के छूने से सवाल करया हम अपवित्र कैसे हो ज्यावैं
पशु नै रसोई मैं ले जाकै क्यों हम अपनी गोदी के मैं बिठावैं
कति शर्म नहीं आती हमनै क्यों इसे रिवाज समाज मैं चलाये।।
3
जो चीज आजाद विचारों नै बर्दाश्त नही कर पावै देखो रै
हों इसी चीज खत्म समाज तैं तीनूं नौजवान चाहवैं देखो रै
समाजवाद के पढ़े विचार इंकलाब जिंदाबाद के नारे लाये।।
4
लोग नहीं लड़ें आपस के मैं जरूरत वर्ग चेतना की बताई
किसान मजदूर की असली बैरी पूंजीपति की वर्ग समझाई
सुखदेव राजगुरु भगत सिंह नै रणबीर ना पाछै कदम हटाये ।।


वार्ता
शहीद भगत सिंह पर रचित एक रागनी
रागनी 11
भगतसिंह नै अपनी निभाई ईब हम अपनी निभावांगे ।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
1
इंसानियत भूलकै समाज हैवानियत कान्ही चाल पड़या
शोषण रहित समाज का सपना चौराहे पै बेहाल खड़या
थारा संगठन जिस खातर लड़या उस विचार का परचम फैहरावांगे।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
2
तेईस साल की कुल उम्र चरों कान्ही तैं इतना ज्ञान लिया
बराबर हों इंसान दुनिया के मिलकै तमनै ब्यान दिया
मांग महिला का सम्मान लिया थारी क्रांति का झंडा लैहरावांगे।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
3
हंसते हंसते फांसी चूमगे इंकलाब जिंदाबाद का नारा लाया
बम्ब गैर कै एसैम्बली मैं नारा अंग्रेजां कै था याद दिलवाया
मिलकै सबनै प्रण उठाया गोरयां नै हम बाहर भजावांगे।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
4
जेल मैं पढी किताब के थोड़ी नोट किया सब डायरी मैं
आतंकवादी का मतलब समझां फर्क समझां क्रांतिकारी मैं
कहै रणबीर बरोने आला घर घर थारा सन्देश लेज्यावांगे।।
इंसानियत का विचार उनका पूरी दुनिया मैं पहोंचावांगे।।
11.9.2016

वार्ता
भगत सिंह जेल से अपने पिताजी के नाम एक पत्र लिखकर सरकार को उनके द्वारा भेजी अपील का सख्त विरोध करते हैं । क्या बताया इस रागनी में :-
रागनी 11
अर्जी पिता किशनसिंह नै ट्रिब्यूनल ताहीं दी बताई थी।।
दलील दे बचाव खातर  कोर्ट जाणे की प्लान बनाई थी ।।
1
भगत सिंह और उसके साथी इसतैं सहमत नहीं बताये
अंग्रेजां की बदले की नीति बोले पिता समझ नहीं पाये
जिंदगी की भीख नहीं मांगां सन्देश बाबू धोरै भिजाई थी।।
दलील दे बचाव खातर-------
2
हम तो हैरान पिताजी क्यों आपनै आवेदन भेज दिया
बिना मेरे तैं सलाह करें इसा गल्त क्यों काम किया
राजनितिक विचारों की दूरी कई बारियां समझाई थी।।
दलील दे बचाव खातर-------
3
थारी हाँ ना के ख्याल बिना मैं अपना काम करता आया सूँ
मुकद्दमा नहीं लड़ूंगा इसपै मैं धुर तैं खड़या पाया सूँ
अपने सिद्धान्त कुर्बान करकै नहीं बचना कसम खाई थी।।
दलील दे बचाव खातर---------
4
आप पिता मेरे ज्यां करकै मनै सख्त बात नहीं लिखी सै
थारी या बड़ी कमजोरी बात साफ़ मनै कहनी सिखी सै
रणबीर इस्सी उम्मीद कदे मनै आपतैं नहीं लगाई थी।।
दलील दे बचाव खातर---------
16.9.16

वार्ता
इतिहास गवाह है कि जब जब जनता में जागरूकता आई उसने उस दौर के अपने शासकों को झुकाया है।क्या बताया भला-
रागनी 12
जब जब जनता जागी  यो जुल्मी शोषक झुका दिया ।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।
1
आजाद देश का सपना पहुंचा शहर और गांव मैं
भगत सिंह फांसी टूटा जोश था  देश तमाम मैं
दुर्गा भाभी गेल्याँ  जुटगी इस आजादी के काम मैं
लाखाँ नर और नारी देगे या कुर्बानी गुमनाम मैं
कुर्बानी बिना नहीं आजादी गांधी अलख जगा दिया ।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।
2
गोरे गये आगे काले गरीबी जमा मिटी नहीं सै
बुराई बढती आवै सै भिद्द इसकी पिटी नहीं सै
अच्छाई संघर्ष करण लागरी आस जमा घटी नहीं सै
जनता एक दिन जीतेगी या उम्मीद छुटी नहीं सै
म्हारी एकता तोडण़ खातिर जात पात घणा फैला दिया।।
भारत तैं जुल्मी गौरा मिलकै सबनै भगा दिया।।
3
जात पात हरियाणा की सै सबतैं बड्डी बैरी भाइयो
विकास पूरा होवण दे ना दुनिया याहे कैहरी भाइयो
वैज्ञानिक सोच काट सै इसकी जड़ घणी गहरी भाइयो
अमीराँ की जात अमीरी म्हारै गरीबी फैहरी भाइयो
समता वादी समाज होगा संघर्ष का डंका बजा दिया ।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।
4
दारू माफिया मुनाफा खोर इनकी पक्की यारी देखो
भ्रष्ट पलसिया औछा नेता करता चौड़े गद्दारी देखो
बिचोलिया घणे पैदा होगे म्हारी अक्ल मारी देखो
लंबे जन संघर्ष की हमनै कर ली तैयारी देखो
रणबीर भगत सिंह ने रास्ता सही दिखा दिया।।
भारत तैं जुल्मी गोरा मिलकै सबनै भगा दिया ।।


वार्ता
23 मार्च को जब शहादत का दिन आता है तो लेखक के मन में बहुत से विचार इन शहीदों के बारे में आते हैं। क्या बताया भला-
रागनी 13
देख हालत आज देश की थारी याद घणी आवै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
1
सबको शिक्षा काम सबको का नारा थामने लाया था
इंकलाब जिंदाबाद देश में जोर लगा गुंजाया था
शोषण रहित समाज थारी डायरी लिखा पावै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
2
अंग्रेजों के खिलाफ थाम नै जीवन दा पै लगा दिया

आजादी का संदेश यो घर घर के में पहुंचा दिया
तीनों साथी फांसी चढ़गे  देश शहादत मना वै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
3
सरफरोशी की तमन्ना बोले इब म्हारे दिल मैं सै
देखना सै जोर कितना बाजू ए कातिल थारे मैं सै
एक नौजवान तबका थाम नै उतना ए चाहवै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।
4
धर्म के नाम पर समाज बांटें आज देश भगत बनरे
हिंदू मुस्लिम के नाम पै बना कै पाले बन्दी तनरे
रणबीर थारी कुर्बानी हम सब मैं जोश लयावै सै।।
आज तो देशद्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

वार्ता
शहादत का दिन मनाया जाता है। कई गायक आते हैं । भगत सिंह सुखदेव राजगुरु की शहादत को याद करते हुए एक गायक यह रागनी गाता है--
रागनी 14
जनता की जनवादी क्रांति हम बदल जरूर ल्यावाँगे रै ॥ 
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
1
जनतन्त्र का मुखौटा पहर कै राज करै सरमायेदारी या
जल जंगल जमीन धरोहर बाजार के मैं बेचै म्हारी या
हम लोगां का लोगां की खातर लोगां का राज चलावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
2
कौन लूटै जनता नै इब सहज सहज पहचान रहे
आज घोटाले पर घोटाले कर ये कारपोरेट बेईमान रहे
एक दिन मिलकै इन सबनै हम जेल मैं पहोंचावांगे रै  ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
3
जनता जाओ चाहे भाड़ मैं बिदेशी पूंजी तैं हाथ  मिलाया
दरवाजे खोल दिए उन ताहिं गरीबाँ का सै भूत बनाया
जमा बी हिम्मत नहीं हारां मिलकै नै सबक सिखावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
4
बढ़ा जनता मैं  बेरोजगारी ये नौजवान भटकाये देखो 
जात पात गोत नात मैं बांटे आपस मैं भिड़वाये देखो
किसान मजदूर के दम पै करकै संघर्ष दिखावांगे रै ॥
भगतसिंह राजगुरु सुखदेव का यो देश बणावांगे रै ॥
वार्ता
23 साल की उम्र का जिक्र करते हुए लेखक इस प्रकार से अपने विचार व्यक्त करता है-
रागनी 15
भगत सिंह तेईस साल का यो नौजवान हुया क्रांतिकारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
1
नौजवान सभा बनाकै सारे क्रन्तिकारी एक मंच पै आये
गोरयां की गुलामी खिलाफ पूरे देश मैं अलख जगाये
आजाद राजगुरु सुखदेव पड़े थे गोरयां पै भारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
2
गोरयां नै आतंकवादी ये सारे क्रांतिकारी बताये दखे
म्हारी आजाद सरकारां नै नहीं ये इल्जाम हटाये दखे
देखी म्हारी सरकारां की आज पूरे देश नै गद्दारी।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
3
फांसी का हुक्म सुनाया सारे देश नै विरोध करया था
यो विरोध देख कसूता अंग्रेज बहोत घणा डरया था
एक दिन पहलम फांसी तोड़े जनता नै भरी हूंकारी ।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
4
इंसानी समाज का सपना भगत सिंह हर नै लिया यो
गोरे गए ये देशी आगे सपन्यां पै ध्यान नहीं दिया यो
कहै रणबीर बरोने आला म्हारै थारी याद घणी आरी ।।
इंकलाब जिंदाबाद नारा लाया कांपी गोरी सरकार सारी।।
वार्ता
शहीदों के सपनों को आजादी के बाद धीरे धीरे भुला दिया गया। दो भारत बना दिये जाते हैं। क्या बताया भला--

रागनी 16
साइनिंग और सफरिंग देखो दो भारत बणा राखे रै।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थारे सपने भुला राखे रै।।
1
सफरिंग का कितै जिकरा ना साइनिंग खूब चढ़ाया रै
सफरिंग नै लूट लूट कै देखो यो साइनिंग गया बनाया रै
भगत सिंह थारे सारे सपने मिट्टी मैं मिला राखे रै।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थारे सपने भुला राखे रै।।
2
समाजवाद का सपना थारा ना देता कितै दिखाई रै
सबको शिक्षा काम सबको होती ना कितै सुनाई रै
महिला कितै सुरक्षित ना कसूते साँस चढ़ा राखे रै।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थारे सपने भुला राखे रै।।
3
दलितों नै हक मांगे तो इन पर अत्याचार बढ़गे रै
तत्ववादी हिन्दू मुस्लिम म्हारी छाती पै चढ़गे रै
धामिर्कता की जगां धर्मान्धता के पाठ पढ़ा राखे रै।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थारे सपने भुला राखे रै।।
4
महंगाई बेकारी असुरक्षा नै कड़ तोड़ कै धरदी रै
किसान फांसी खा खा मरते बुरी हालत करदी रै
कहै रणबीर घोटाळ्यां नै आज ऊधम मचा राखे रै ।।
भगत सिंह सुखदेव राजगुरु थारे सपने भुला राखे रै।।
वार्ता
तीनों शहीदों को याद करते हुए आज के हिंदुस्तान की हालत ब्यान करते हुए क्या बताया भला-
रागनी 17

भगत सिंह राजगुरु सुखदेव सबको है प्रणाम म्हारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
1
बेरोजगारी नै कहर मचाया आसमानां जा कै चढ़गी देख
गरीब की रोटी चटनी खुसगी किसानों की पींग बधगी देख
हर पांच मिनट मैं फांसी खावैं लूट की लकीर कढ़गी देख
पढ़ाई लिखाई और इलाज की  कसूती कीमत बढ़गी देख
अमीर थे वे घने अमीर होगे झूठा लेवैं आज नाम थारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
2
महिला कितै महफूज रही ना असुरक्षा का माहौल छाया
बदमाशों नै गाम शहरों मैं महिलावां पै घना कहर ढाया
यारे प्यारे भी नहीं शर्मावैं महिलाओं को चीज बनाया
आनर किलिंग होवैं सैं रोजाना जिकरा अखबारों मैं आया
थारे सपनों की अर्थी ठवा दी झूठा नहीं सै इल्जाम म्हारा ।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
3
नंबर वन हरियाणा के मैं दलितों पै अत्याचार बढ़े रै
दुलिना और गोहाना ना भूले मिर्चपुर मैं फेर सांस चढ़े  रै
दबंगों की चा लै आज बी उनके नखरे जमा नहीं घटे रै
पहचान की राजनीति मैं आज दलित भी कसूते फंसे  रै
छुआछूत बारे लिख्या थामनै अनदेखा हुया सब काम थारा।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
4
समाजवाद का सपना देखया उसकी खातर फांसी खाई रै
मानस का मानस ना बैरी हो थामनै सही राह दिखाई  रै
आज के काले गोरयां नै गोरे गोरयां की रीत निभाई रै
बेरोजगारी और महंगाई पै फासीवाद की नीव धराई  रै
कहै रणबीर बरोने आला सारै पहोंचावंगे पैगाम थारा ।।
शोषण रहित समाज का सपना चकनाचूर तमाम थारा।।
वार्ता
भगत सिंह और उनके साथियों का समाजवाद का सपना था। भगत सिंह ने विस्तार से इस बारे लिखा भी। क्या बताया भला-
रागनी 17
थारा समाजवाद का सपना भगत सिंह आगै बढ़ावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
1
इस बाजार व्यवस्था नै सारे कै उधम घणा मचाया सै
मानवता पाछै छोड़ दई यो विज्ञान तकनीक बनाया सै
पर्यावरण का सत्यानाश करया लालच घणा छाया सै
कुदरती संसाधन का दोहन बेहिसाब आज करवाया सै
पूंजीवादी बाजार की जड़ दीखली या सबनै समझावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
2
हिंदुस्तान मैं बाजारवाद के टाटा अम्बानी पुजारी देखो
इनके तलहैडू म्हारी सरकार जमा ए अक्कल मारी देखो
गोड्डे टिकवाये किसानां के मजदूर बनाये भिखारी देखो
अम्बानी की अमीरी बधाई गरीबां की हुई लाचारी देखो
भगत सिंह थारी राही चालां नहीं पाछै कदम हटावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
3
शहीदों थारी या कुर्बानी एक दिन अपना रंग दिखावैगी
बेरोजगारी खत्म होज्यागी महिला पूरा सम्मान पावैगी
जंगी हथियार खत्म करे जावैं दुनिया मैं शांति छावैगी
जात गोत मजहब ताहिं या मानवता सबक सिखावैगी
दुनिया मैं समाजवाद का नारा मिलकै नै सारे लगावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।
4
सिर्फ बात नहीं सैं कहवण की ये होवण की बात सारी
लुटेरे कमेरे की लड़ाई असली बाकी लड़ाई खाई बधारी
वर्ग संघर्ष का रास्ता सही रणबीर की कलम भी पुकारी
आज इसपै चलने का मौका दुनिया मैं संकट आया भारी
भगत सिंह जन्म दिन थारा हम जोश खरोश तैं मनावैं रै।।
थोड़े सां पर बुलन्द होंसले सैं जमा नहीं झूठ भकावैं रै।।

वार्ता


भगत सिंह जेल से अपने पिताजी के नाम एक पत्र लिखकर सरकार को उनके द्वारा भेजी अपील का सख्त विरोध करते हैं । क्या बताया इस रागनी में :-
रागनी 18
अर्जी पिता किशनसिंह नै ट्रिब्यूनल ताहीं दी बताई थी।।
दलील दे बचाव खातर  कोर्ट जाणे की प्लान बनाई थी ।।
भगत सिंह और उसके साथी इसतैं सहमत नहीं बताये
अंग्रेजां की बदले की नीति बोले पिता समझ नहीं पाये
जिंदगी की भीख नहीं मांगां सन्देश बाबू धोरै भिजाई थी।1।
दलील दे बचाव खातर-------
हम तो हैरान पिताजी क्यों आपनै आवेदन भेज दिया
बिना मेरे तैं सलाह करें इसा गल्त क्यों काम किया
राजनितिक विचारों की दूरी कई बारियां समझाई थी।2।
दलील दे बचाव खातर-------
थारी हाँ ना के ख्याल बिना मैं अपना काम करता आया सूँ
मुकद्दमा नहीं लड़ूंगा इसपै मैं धुर तैं खड़या पाया सूँ
अपने सिद्धान्त कुर्बान करकै नहीं बचना कसम खाई थी।3।
दलील दे बचाव खातर---------
आप पिता मेरे ज्यां करकै मनै सख्त बात नहीं लिखी सै
थारी या बड़ी कमजोरी बात साफ़ मनै कहनी सिखी सै
रणबीर इस्सी उम्मीद कदे मनै आपतैं नहीं लगाई थी।।
दलील दे बचाव खातर---------
16.9.16
वार्ता
शहीद भगत सिंह को याद करते हुए लेखक क्या लिखता है भला--
रागनी 19
तेरी याद सतावै सै, दुख बढ़ता आवै सै
कानां पर कै जावै सै, म्हारी कोये ना सुणता।।
1
एक ओड़ नै तो सती का जश्न खूब मनाया जावै
औरत को दूजे कांहीं बाजार बीच नचाया जावै
जड़ै होज्या सै सुनवाई,इंसानियत जड़ै बताई, समाजवाद की राही, भगत कोये ना चुनता।।
2
मुनाफाखोरी की संस्कृति जिस समाज मैं आ ज्यावै
मानवता उड़ै बचै कोण्या या जड़ मूल तैं खा ज्यावै
पूंजी का खेल बताया, नहीं समझ मैं आया
आपस मैं भिड़वाया, भगत भेद नहीं खुलता।।
3
और मुनाफा चाहिए चाहे लाश गेरणीं हो ज्यावैं
साइनिंग दुनिया आले एयरकंडिसन्ड मैं सो ज्यावैं
गरीब क्यों भूखा मरै,मेहनत भी खूब करै
साइनिंग ऊंपै नाम धरै,भगत नहीं चैन मिलता।।
4
आपा धापी माच रही भाई का गल भाई काट रहया
नयेपन के नाम पै नँगापन चाला भुण्डा पाट रहया
जात पात की राही नै, ऊंच नीच की खाई नै, देख गरीब की तबाही नै, रणबीर देख दिल  हिलता।।
वार्ता
शहीद ए आजम भगत सिंह
रागनी 20
माता जी मनै आज्ञा देदे देश नै आजाद कराऊँ मैं
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
1
माता तनै लाड प्यार तैं देश भक्ति का पाठ पढ़ाया
जिसकी खातर तैयार किया सुण माता बख्त वो आया
अपनी छाती का दूध पिलाया नहीं कोख लजाऊं मैं।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
2
शेर बबर की तरियां सीना खोल चलैं क्रांतिकारी
गाजर मूली समझैँ गोरे क्यों उनकी अक्कल मारी
बढ़ती जागी ताकत म्हारी साची साच बताऊँ मैं।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
3
देश मैं अलख जगावैं क्रांतिकारी देकै नै क़ुरबानी
कई बरस हो लिए माता गोरी ताकत नहीं मानी
नहीं डरते हम हिंदुस्तानी कोण्या झूठ भकाऊं मैं।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।
4
अंग्रेज गोरे फुट गेरै अपणा राज बचावण नै रै
देश की जनता मिलकै लड़ैगी देश छुडावण नै रै
रणबीर छंद बणावण नै रै या कलम घिसाऊं मैं ।।
री माता दूध तेरा यो करकै सफल दिखाऊं मैं ।।



21

भगत सिंह हर के सपने
जिन सपन्यां खातर फांसी टूटे हम मिलकै पूरा करांगे ।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
1
सबको मिलै शिक्षा पूरी यही तो थारा विचार बताया
समाज मैं इंसान बराबर तमनै यो प्रचार बढ़ाया
एक दूजे नै कोए ना लूटै थामनै समाज इसा चाहया
मेहनत की लूट नहीं होवै सारे देश मैं अलख जगाया
आजादी पाछै कसर रैहगी हम ये सारे गड्ढे भरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
2
फुट गेरो राज करो का गोरयां नै खेल रचाया था
छूआ छूत पुराणी समाज मैं लिख पर्चा समझाया था
समाजवाद का पूरा सार सारे नौजवानों को बताया था
शोषण रहित समाज होज्या इसा नक्शा चाहया था
थारे विचार आगै लेज्यावांगे हम नहीं किसे तैं डरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
3
नौजवानो को भगत सिंह याद आवै सै थारी क़ुरबानी
देश की खातर फांसी टूटे गोरयां की एक नहीं मानी
देश की आजादी खातर तकलीफ ठाई थी बेउन्मानी
गोरयां के हाथ पैर फूलगे जबर जुल्म करण की ठानी
क्रांतिकारी कसम खावैं देश की खातर डूबाँ तिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।
4
बहरे गोरयां ताहिं हमनै बहुत ऊंची आवाज लगाई
जनता की ना होवै थी सुनायी ज्यां बम्ब की राह अपनाई
नकाब फाड़ना जरूरी था गोरे खेलें थे  घणी चतुराई
गोरयां की फ़ौज म्हारी माहरे उप्पर करै नकेल कसाई
रणबीर कसम खावां सां चाप्लूसां तैं नहीं घिरांगे।।
उंच नीच नहीं टोही पावै इसे समाज की नींव धरांगे।।

22

शहीद भगतसिंह
भगत सिंह विचार थारे, देश के शासक

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