Saturday, 18 February 2023

साथी वीरेंदर शर्मा

 साथी वीरेंदर शर्मा


सन 1992 में साक्षरता आंदोलन के दौर में साथी ने कार में आग लगने पर अपनी जान जोखिम में डाल कर कार की सवारियों को तो बचा लिया मगर सड़क पर फैले पैट्रोल की आग में बुरी तरह झुलस गया और दो तीन दिन तक मौत से संघर्ष किया।

ज्यांन की परवाह की ना कूदया पीड़ा देख परायी रै।।

जवानी खपादी वीरेंद्र नै समझ दूज्यां की भलाई रै।।

उसतै बढ़िया दीखै कोण्या भाई अकल इंसान की

म्हारे ताहिं राह दिखाई सै उसनै असल इंसान की

भुलाये तैं भी ना भूली जा भाई शक्ल इंसान की

म्हारे ताहिं तस्वीर बनाई उसनै अटल इंसान की

न्यों कहैया करै था साथी मिलकै लडांगे लड़ाई रै।।

लोगों के मोल उसनै रोज घटते बढ़ते देखे भाई

बदमाशों की चांदी आड़ै शरीफ लोग पिटते देखे

लोगों मैं बढ़ी बेरोजगारी सही राह तैं हटते देखे

शहीद भगत सिंह से वीर आजादी पै मिटते देखे

भगत सिंह की राही चल्या वीरेंद्र वीर सिपाही रै।।

ज्ञान विज्ञान समिति मैं थी साथी की कताई हुई

एक एक बात कै उप्पर थी समिति मैं सफाई हुई

समाज कैसे चलता म्हारा बैठकै पूरी धुनाई हुई

गया समझाया हमेशा गरीब की क्यूँ पिटाई हुई

शहीद वीरेंद्र समझ गया अनपढ़ता की खाई रै।।

साथी तेरे सपनों को हम मंजिल तक ले जायेंगे

सच कहना अगर बगावत हम गीत यही गायेंगे

आज नहीं तो कल साथी पूरी दुनिया पर छायेंगे

मानव का बैरी मानव हो ना ऐसा जमाना लायेंगे

रणबीर ईबे रंग अधूरा बनाई तसबीर जो भाई रै ।।

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