किसा वर हो
सरोज सरतो ब्याह शादी की आपस मैं बतलाई हे।
सरोज किसा वर चाहवै अपना उसनै बात चलाई हे।
1
सरोज बोली शांत शुभा हो माणस सबर आला हो
लिहाज करना आंता हो विश्वास गजब निराला हो
शरीर का चाहे सांवला हो मन का नहीं वो काला हो
निस्वार्थ भाव का धौरी हो समझै बख्त कुढ़ाला हो
दौलत का वो भूखा ना हो ना जाणै घणी अंघाई हे।
सरोज किसा वर चाहवै अपना उसनै बात चलाई हे।
2
पाछली गलती तैं सीखै वो आगे का फेर ख्याल करै
जमा बहाने नहीं बणावै कही बात तैं कति नहीं फिरै
असलियत का हिम्माती हो दिखावे पै नहीं कान धरै
दहेज का लोभी नहीं हो पराई चीज ऊपर नहीं मरै
अपने दिल की खोल सारी सरोज नै बात बताई हे।
सरोज किसा वर चाहवै अपना उसनै बात चलाई हे।
3
ऊंचा रूतबा हो उसका घमंड जमा नहीं करता हो
औरां नै बर्बाद करकै नै वो ना अपने घर नै भरता हो
झूठी बात नै नहीं मानै साच कहन तैं ना डरता हो
अत्याचार के विरोध मैं वो सोच कै नै डिंग धरता हो
दोस्त आला बरतेवा करै नहीं समझै निरी लुगाई हे।
सरोज किसा वर चाहवै अपना उसनै बात चलाई हे।
4
सीधी पाधरी शादी करले ईसा मानस वो खास हो
निराशा नहीं हो जिसमैं आशा हमेशा उसके पास हो
दुख सुख का हो साथी ना सुल्फे दारू का दास हो
मनै भी एक इंसान समझै चाहूँ बढ़िया मेरी सास हो
रणबीर के धोरै जावांगी उसपै इसी लिस्ट बताई हे।
सरोज किसा वर चाहवै अपना उसनै बात चलाई हे।
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