तर्ज-- सखी री आज रूत सामण की आई
आई आज तुम्हारे पास ,
थारे तैं बहोत घणी आस ,
मनै मुक्ति दिवादे जरूर सासू जी।।
1
बिगड़ी मैं सगा भाई भी आंख बदलज्या,
डरता कोये बला गल मैं ना घलज्या,
देवर की नजर ठीक नहीं ,
लगती सही उसकी नीत नहीं,
चोरी जारी ना हमको मंजूर सासू जी।।
2
लेल्यो इम्तिहान रण से ना भागूँ
मरज्यां पर कदे प्रण ना त्यागूं
मांगूं इज्जत मेरी तूँ बचाले री
छोटे बेटे नै ईब समझा ले री
ना तो वो कर बैठैगा कसूर सासू जी।।
3
आपस की तकरार जा ना ल्हकोयी
अवैध रिस्ता बना इज्जत चाहवै खोई
कोई रास्ता नहीं देवै नहीं दिखाई
उसनै इज्जत माट्टी मिलानी चाही
होरया था शराब नशे मैं चूर सासू जी।।
4
थोड़ी कहि नै थाम ज्यादा समझियो
मतना उसकी बाताँ के मैं उलझियो
करियो बात राह पै आवै देवर री
ना तो कदे पाछै पछतावै देवर री
फेर मैं तोड़ूँ उसका गरूर सासू जी ।।
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