Saturday, 15 April 2023

किस्सा सफदर हाशमी

 किस्सा सफदर हाशमी

*****1

निचोड़ हो लिया

सफ़दर जी की हत्या से निचोड़  हो लिया।।

हुया  हड्खाया राजवर्ग यो तोड़ हो लिया।।

1

एक जनवरी साल नवासी मोटा चाला होग्या

हुया हमला सफ़दर ऊपर घायल कुढाला होग्या

हमलावर खुद राज करनीये खुल्ला पाला होग्या 

सफ़दर के नाटक का ढंग योतै  निराला होग्या  

यो राजनीती और हत्या का गठजोड़ हो लिया ।।

2

चारों कूट मैं शोक फैलग्या कूकी दुनिया सारी 

गाँव गाँव और शहर शहर मैं  दुखी हुए नर नारी    

पैरिस लन्दन रोम के अन्दर सदमा था बड़ा भरी

कलाकार था जग मैं नामी थी संस्कृति प्यारी 

यो सरकारी चिलत्तर का भन्दा फोड़ हो लिया ।।

3

सफ़दर हाश्मी डस लिया सर्प राज का काला है

अभिव्यक्ति की आजादी का इब तक यो टाला है

राजवर्ग की भाषा बोलो वर्ना मुंह पर  ताला है

साच पर से जो पर्दा ठावै उसी ज्यान का गाला है

राजवर्ग सारी जगह का दीखे एक औड हो लिया ।।

4

जल्दी संभलो रचना कारो कला पर यो हमला है

जन पक्ष की कला हमारी ना बिल्कुल ये अबला है  

रोंदना चाहते हो तुम  जैसे करता हाथी पगला है

हबीब भारती विचार करों  क्या कदम हमारा अगला है

वर्ग लुटेरा हत्यारा यो एक ठयोड़  हो लिया ।। 


******2

भारी दिल से साथी सारे हो नतमस्तक करैं प्रणाम।।

सभी श्रद्धा के फूल चढ़ावैं सफदर हाशमी तुम्हें सलाम।।

1)

सारे मिलकर कसम उठाएं जन जन तक ले जाएं पैगाम 

जो काम ये रहा अधूरा हम इसे पूरा देंगे सर अंजाम 

कभी ना देखें सुबह शाम सफदर हाशमी तुम्हें सलाम। 

2)

चलें उस पर जो राह तेरी ना करना बिल्कुल आराम 

सच्चाई का बिगुल बजावें कांप उठेंगे ये चारों धाम 

हो बदमाशों की नींद हराम सफदर हाशमी तुम्हें सलाम।

3

भरोसा है हम सबको सहादत जावे ना ये नाकाम 

सारी जनता पुकार उठी  है गुंडागर्दी को कसो लगाम

इंसानियत ना करो बदनाम सफदर हाशमी तुम्हें सलाम।

4

जाकर सभी अलख जगायें ठीक गलत का यह संग्राम 

जनता जब सुर में बोलेगी नहीं रहें फिर दूर मुकाम 

गूंजता रहेगा तुम्हारा नाम सफदर हाशमी तुम्हें सलाम।

5

सॉरी जनता अब जागेगी अभिव्यक्ति ना रहे गुलाम 

बोवे पेड़ बबूल का तो कहां से उगेंगे खेत में आम 

मुनाफाखोर ये बड़ा छद्दाम सफदर हाशमी तुझे सलाम।

6

हल्ला बोल को हम ले जाएंगे हर शहर और हर गाम रणबीर सिंह कैसे भूले शब्द तेरी कला तेरा कलाम 

साथी मरा नहीं गुमनाम सफदर हाशमी तमे तुम्हें सलाम।

******3

मौत सफदर की दिन धौली घंटी कानों के म्हां बजा गई।

बात कहण का हक सै म्हारा निशान सवालिया लगा गई।

1

तीन मुँही नागिन काली सी या गुंडागर्दी फण ठावै सै 

एक फण पै गुंडा बैठकै चाकू छुरी पिस्तौल चलावै सै 

दूजे फण पै पुलिस बैठकै गुंडयां का साथ निभावै सै 

तीजे फण पै शासक बैठकै पूरा ए प्रपंच यो रचावै सै 

मेरा रोम-रोम कर्णावै सै चोट छाती के भीतर समा गई ।

2

अपनी ज्यान की परवाह की ना दूज्यां की जान बचाई सै 

हिर फ़िर दीखै सफदर उसनै ज्यान की बाजी लाई सै

दरवाजे पै अड़या अंगद बणकै सीने मैं लाठी खाई सै

कलाकार था पक्का सुणले कला मैं ज्यान खपाई सै

चिता जली जब थारी हाशमी आग मन के म्हां लगा गई।

3

माला हाशमी नै मशाल उठाई साहिबाबाद फेर पहुंच गई 

वाहे जागां नाटक वोहे लेकै दरबारे जनता मैं पहुंच गई

शेरनी बरगा जिगरा लेरी दीखै फर्ज निभावण पहुंच गई 

बोल जमूरे हल्ला बोल बस्ती मैं दिखावण पहोंच गई

माला तेरी फोटो अखबारां मैं हुक दिल के म्हां उठा गई।

4

शरीर तेरे नै बेशक हमतैं अपना नाता तोड़ लिया सै 

कला तेरी तेरे कलाम तैं हमनै नाता जोड़ लिया गुंडागर्दी की राजनीति तैं मनै तो मूंह मोड़ लिया सै

समझण आले नै रणबीर काफी बता यो निचोड़ दिया सै

गुंडा गर्दी के खिलाफ मौत फिजां भारत के म्हां बणा गई 

5.1.1989

****4

जनतंत्र का असली चेहरा आंख्यां के स्याहमी आग्या।

इस की बुराई करनिया नै यो जमा जान तै खाग्या।

1

मेरा मन होया उदास सफदर हाशमी साथी खास 

कोण्या देखी जावै लाश रंज गात मैं छाग्या।

2

मनै पाट्या कोण्या तोल कौन करै इतनी रोल दिन धोली गुंडा टोल उड़ै क्युकर गोली चलाग्या।

3

गुंडे पुलिज़ यार हुए, मजदूरों पर वार हुए  ऊपर मालिक असली सवार हुए सफदर असली बात बताग्या।

लूटैं डाकू चोर लुटेरे दिखावै नुक्कड़ असली चेहरे, म्हारे घालै बैरी घेरे सफदर घेरा तोड़ बगाग्या। 


*****5

तेरी कला के मोल का गुंडागर्दी के ढोल का आज तोड़ खुलासा होग्या रै।।

1

तेरी मौत की खबर सुनी मेरै बाकी रही कोण्या जनतंत्र का चेहरा साहमी मनै दिखाई देरया आज मोटा रास्सा होग्या रै।।

2

तेरी मौत हुए पाछे बेरा लाग्या कद और काठी का

पीठ तनै कति दिखाई कोण्या सीने मैं घा लाठी का 

मौत तैं बढ़कै असूल रहे सबके होठां पै झूल रहे उनका उलटा पाशा होग्या रै।

3

मेरी नजरां के म्हां मोल बढ़ग्या तेरे ईमान का एक दिन विचार तेरा चेहरा बदळै हिंदुस्तान का बैरी दुखी खासा होग्या रै।

4

ब्रेख्त के लवै पहुंच गया दुनिया रुक्के मारै 

बैरी संग महलां के म्हां रणबीर आज बिचारै 

नुक्कड़ तेरा प्यासा होग्या रै । 


********6

इबारत पढ़ली माला नै चेहरे के ऊपर लिखी हुई। 

तसवीर बैरी की देखी आंख्यां कै म्हां खींची 

हुई। 

1

पूरा साथ निभावण की कसम वो अपनी तोड़ चल्या 

माला पूरा करिए वो काम जो मैं अधूरा छोड़ चल्या 

कैहगी मुंह मैं मोड़ चल्या बिपता के म्हं फंसी 

हुई। 

2

हाशमी की आंख्यां मैं पूरा भरत देश दिया दिखाई

पंजाब का भंगड़ा लँगड़ा क्यों भाई का दुश्मन भाई

कितै लुटै भरतो भरपाई मुट्ठी हाशमी की भिंची हुई।

3

माला की हद छाती सै जो इतना सदमा ओट 

गई

आंसू पीगी वा हटकै जीगी छिपा अपनी चोट 

गई

साहिबाबाद उल्टी लौट गई हलचल उड़ै मची 

हुई।

4

बिना सफदर माला नै नाटक वोहे फेर खेल दिया था

उड़ै आतंक गुंडागर्दी का रणबीर कर फेल दिया था

इतना बता गेल दिया था याद दिल के म्हां बसी हुई।

7

सारे भारत मैं जाग हुई थारी मौत बनगी चिंगारी।। 

कला सड़कों पै आ उतरी करी लड़ने की तैयारी।।

1

भारत पाकिस्तान साथ मैं घणे देश तैयार हुए

कवि सम्मेलन साथ मैं नाटक कई हजार हुए

दुखी राजदरबार हुए माला हाशमी अलख जगारी।।

2

मोटे राम खेल्या नाटक दिल्ली मैं मशहूर हुया

थारी कला का प्रेमी यो दिल्ली का मजदूर हुया

क्यों हत्यारा मगरूर हुया ना कोये बात बिचारी।।

3

नाटक टीवी लिखना पढ़ना सब क्याहें मैं आगै था

नुक्कड़ नाटक इसा दिखावै जो देखै वोहे जागै था

दुश्मन नैं डर लागै था क्यों थारी कलम पुकारी।।

4

म्हारा काफिला बढ़ता जागा दुश्मन हत्यारे दंग होंगे

पैदा होवैं हज़ारों सफदर आड़े आर पार के जंग होंगे

रणबीर सिंह न्यारे ढंग होंगे या दिल्ली आज बतारी।।

8*****

दो जनवरी सफदर हाशमी याद तनै संसार करै।।

आंसू गेरै शबाना आजमी नाटक माला त्यार करै।।

1

थारी कुर्बानी रंग ल्याई नुक्कड़ मंडली त्यार हुई

कला जो थांमनै सिखाई थी दुश्मन से दो चार हुई

माला हाशमी पतवार हुई या समुंद्र गैहरा पार करै।।

2

सहमत नै मंगोल पुरी मैं जनोत्सव साछी मनाया रै

जो सपना देख्या  सफदर नै साकार वही बनाया रै

आम आदमी सिखाया रै नुक्कड़ सही हथियार जरै।।

3

फिरकापरस्ती नै देश पै अपना घेरा डाल दिया देखो

माणस का बैरी माणस धर्म का फेरा घाल दिया देखो

गाना बना फिलहाल दिया देखो कलम या होशियार करै।।

4

हिन्दू मुस्लिम लड़ा दिए अपना मतलब काढण नै

सफदर नै खेल दिखाया फिरते सिर नै चांडण नै

रणबीर सिंह नै डांटण नै दुखी म्हारी सरकार फिरै।।



******9

वार्ता:

14.12.90 को सफदर हाशमी को याद करते हुए एक रागनी लिखी---

समाज की खातर कुर्बान हुए वे आज तलक तो मरे नहीं ।।

कुर्बान देश पर होने वाले कदे कभी किसी से डरे नहीं ।।

1

सफ़दर की हांसी हवा मैं आज भी न्योंये गूँज रही

चारों धाम था मच्या तहलका हो दुनिया मैं बूझ रही 

बैरी को नहीं सूझ रही पिछले गढ़े इब्बऐ भरे नहीं ।।

2

मीडिया मैं जगहां बनाई विडीयो बढ़िया त्यार करी थी

खिलती कलियाँ के महां बात सही हर बार करी थी 

जवानी उसकी हुनकर भरी थी गलत काम कदे करे नहीं ।।

3

जितने जीया सफ़दर साथी जीया जमा जी भर कै नै 

था लेखक बढ़िया अदाकार नुकड़ रच्या कोशिश कर कै नै 

निभाया वायदा मर कै नै जुल्मों से सफ़दर डरे नहीं ।।

4

एक सफ़दर नै राह दिखाई हजारों सफ़दर आगे आवैंगे 

माला हाश्मी बनी सै चिंगारी घर घर मैं अलख जगावैंगे 

हम फिरकापरस्ती तैं टकरावैंगे रणबीर के कलम जरे नहीं ।।

*****10

साथी सफदर हाशमी अब जनवादी आंदोलन का एक जबरदस्त प्रतीक बन गया है।

सलाम सफ़दर को सलाम । उनके बारे एक रागनी के माध्यम से कुछ कहने का प्रयास---

सफदर हाशमी गूँजै आज भी कानां मैं पैगाम थारा।।।

पूरा करण लागरे आज अधूरा रहया जो काम थारा।।

1

बाजार व्यवस्था माणस खाणी खत्म करी चाही थी

नाटक खेल्या साहिबाबाद मैं ज्यान की बाजी लाई थी

चश्मयां आला हंसता चेहरा मन मैं घूमै तमाम थारा।।

पूरा करण लागरे आज अधूरा रहया जो काम थारा।।

2

मफलर घाल गले मैं नुकड़ नाटक खेल्या थामनै था

कांग्रेस के गुंडयां का वार छाती पै झेल्या थामनै था 

मारकै बी कड़ै मार सके वे अमर होग्या नाम थारा।।

पूरा करण लागरे आज अधूरा रहया जो काम थारा।।

3

सारी बात लिखदयूं थारी नहीं ताकत कलम मेरी मैं

हम हरियाणे के कलाकार करां रोशनी रात अंधेरी मैं

मनुवाद हटकै करया चाहवै हिंदुस्तान गुलाम म्हारा।।

पूरा करण लागरे आज अधूरा रहया जो काम थारा।।

4

दिल की एक एक धड़कन मैं पूरा अहसास थारा यो

थारा मजमून याद पूरा दिल नहीं सै कति खारा यो

रणबीर सिंह इंकलाबी थामनै सफदर सलाम म्हारा।।

पूरा करण लागरे आज अधूरा रहया जो काम थारा।।


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