एक फौजी की फौजण
महिलाओं की व्यथा किस तरह से बयां करती है भला:
दिन काटे चाहूं सूं मैं सुख तैं कोन्या कटण देवैं।।
कुछ भी ना कहती मैं फेर भी कोन्या टिकण देवैं।।
1
झाड़ झाड़ बैरी होगे आज हम बरगी बीरां के
मोह माया तैं दूर पड़ी फेर दिल डिगे फकीरां के
बदमाश इनकी लकीरां के शासक ना पिटण देवैं।।
अच्छाई के बोए बीज ये कति कोन्या पकण देवैं ।।
2
कइ बै जी करै फांसी खाल्यूं इनकै अकल लागै
सहेली बोली बात मान मेरी मतना प्राण त्यागै
कसक कति ना जागै ये पोल कोन्या पटण देवैं।।
हम कितनी ए रोलयां ये दुख कोण्या हटण देवैं।।
3
बताओ पिया के करूं मैं इनपै गीत बनादे नै
द्रोपदी चीर हरण गाओ म्हारे हरण पै गादे नै
बना रागनी सुणा दे नै हम तेज कोन्या घटण देवैं।।
म्हारी जिंदगी के इनको दबान कोन्या बटण देवैं।।
4
गाम कै गोरे खड़े पावैं भैंस के म्हा कै तान्ने मारैं
इंसानियत जमा भूलगे भोंं किसे की इज्जत तारैं
बिना बात के ये खंगारैं सांस कोन्या लेवण देवैं।।
रणबीर बरगे म्हारी ये इज्जत कोन्या लुटण देवैं।।
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