दास्ताँ मजदूर की
राजी खुसी की मत बूझै ,बंद कर दे जिक्र चलाना हे |
दिन तै पहल्यां रोट बांध कै ,पडै चौंक मैं जाणा हे |
देखूं बाट बटेऊ ज्यूं , कोए इसा आदमी आज्या
मनै काम पै ले चालै , ज्या बाज चून का बाजा
नस नस म्हं खुशी होवै , जे काम रोज का ठ्याज्या
इसे हाल म्हं मनै बता दे , कौनसा राजी पाज्या
नहीं दवाई नहीं पढ़ाई , नहीं मिलै टेम पै खाना हे |
देखे ज्याँ सूँ मैं बाट काम की , सदा नहीं मिलता हे
एक महीने म्हं कई बार तो ,ना मेरा चूल्हा जलता हे
बच्चयाँ कानी देख देख कै , मेरा कालजा हिलता हे
रहै आधा भूखा पेट सदा , न्यूं ना चेहरा खिलता हे
तीस बरस की बूढ़ी दिखूँ मैं , पड़ग्या फीका बाना हे |
कदे कदे तो हालत बेबे , इस तै भी बदतर होज्या
दूध बिना मेरे बालक , काली चा पी कै सोज्याँ
नहीं आवती नींद रात भर , चैन मेरा कति खोज्या
यो सिस्टम का जुल्म मेरी , ज्याँ के झगडे झौज्या
रिश्तेदार घरां आज्यं तो,पद्ज्य सै शरमाना हे |
खाली डिब्बे पड़े घरां , ना एक जून का सामाँ हे
निठल्ले लोग लूट लूट कै , कठ्ठा कर रे नामां हे
वाहे रोज पहर कै जावै , पाट्या पूत पजामां हे
"रामफल सिंह" चक्कर खावै, मुश्किल गात थामाँ हे
म नै हकीकत पेश करी यो , मत ना समझो गाना हे |
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