Tuesday, 21 March 2023

दुनिया की वित्त पूंजी नै कसूता अंधेर मचाया।।*

 *दुनिया की वित्त पूंजी नै कसूता अंधेर मचाया।।*

*सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।*

1

जोंक बनकै लहू चूसै आज कारपोरेट साहूकार

कदेतैं हुक्म बजाती आयी सै केंद्र की सरकार 

देश भक्त जो असली उनको बताते आज गद्दार

नकली देश भक्त आज बनगे देश के   पहरेदार

*राष्ट्रभक्ति के नाम पै तो अंध विश्वास फैलाया।।*

सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।

2

कोटे परमट आले भेड़िए आज बनें सैं हितकारी

मजदूर किसान लूट लिए सबकी अक्कल मारी

मीठी मीठी बात करें पर भीतर तैं पूरे अत्याचारी

बकरी भेड़ समझैं हमनै आज के ये न्याकारी

*कारपोरेट और वित्तपूंजी नै देश मैं धुम्मा ठाया।।*

सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।

3

रिश्वतखोर मगरमच्छ पूरे हिन्दुस्तान मैं छागे

मजदूर किसान की कमाई चूट चूट कै नै खागे

अरबों के बने मालिक औधे घणे चौखे पागे

किसानी संकट के चलते ये किसान फांसी लागे

*नये नये जुमले छोड़ कै यो हिन्दुस्तान भकाया।।*

सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।

4

तीन मुंही नाग जहरी एकफन पै बड़ा व्यापारी

दूजे फन पै बैठी मारै भ्रष्टाचार की या थानेदारी

तीजे फन पै पूंजीपति करता कसूती मारा मारी

तीनों मिलकै देखो ये लूट घणी मचारे अत्याचारी

*रणबीर सिंह नै यो टूटया फुटया छन्द बनाया।।*

सारे देशों मैं घुसगी मेहनतकश लूट कै खाया।।

Monday, 20 March 2023

जन स्वास्थ्य अभियान कहै एक अभियान चलावैं रै।

 जन स्वास्थ्य अभियान कहै एक अभियान चलावैं रै।

ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं रै।।

कुदरत साथ संघर्ष म्हारा बहोत पुराणा कहते रै

यो तनाव जब घणा होवै कहैं बीमार घणे रहते रै

बिना कुदरत नै समझैं माणस दुख हजारां सहते रै

इसतै मेल मिलाप होज्या तै सुख के झरने बहते रै

जिब दोहण करैं कुढ़ाला तो उड़ै रोगै पैर जमावैं रै।।

सिन्धु घाटी की जनता नै सेहत के नियम बनाये थे

चौड़ी गाल ढकी नाली ये घर हवादार चिनाये थे

पीवण खातर बणा बावड़ी न्यारे जोहड़ खुदवाये थे

जितनी समझ थी उनकी रल मिल पूरे जोर लगाये थे

जिब पैदावार के ढंग बदलैं बीमारी बी पल्टा खावैं रै।।

माणस मैं लालच बधग्या, कुदरत से खिलवाड़ किया

,बिना सोचें समझें कुदरत का सन्तुलन बिगाड़ दिया

लालची नै बिना काम करें बिठा ऐश का जुगाड़ लिया

माणस माणस मैं भेद होग्या रिवाज न्यारा लिकाड़ लिया

समाज के अमीर गरीब मैं क्यों न्यारी बीमारी पावै रै।।

साफ पाणी खाणा और हवा रोक सकैं अस्सी बीमारी

ना इनका सही बंटवारा सै मनै टोहली दुनिया सारी

जिस धोरै ये चीज थोड़ी सैं उड़ै होवै बीमारी भारी

होयां पाछै इलाज सै म्हंगा न्यू माणस की श्यामत आरी

रणबीर सिंह नै छन्द बनाया मिलकै सारे गावैं रै।।


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Friday, 17 March 2023

ना असली बात पिछाणी रै।।

 पिट पिट कै सबक ना सीख्या ना असली बात पिछाणी रै।।

किसान जै नहीं जाग्या तो पड़ैगी घणी मुसीबत ठाणी रै।।

1)

हरियाणे मैं दो काम हुए हरित क्रांति जब तैं आई सै

साधन आला तै खूब चढ़ाया चेहरे पै खूबै लाली छाई सै

सारे कै सुनी जावै इसकी दुख सुख की आज कहाणी रै।।

2)

बिना साधन आला फेफड़ दिया या महंगाई नै रेल बनाई रै

बेकरी बधी सुल्फा दारु गाभरू चढ़ाए उल्टी राही रै

कुछ पुलिस अफसर अर मंत्री बदमशां का भरते पाणी रै।।

3)

मेहनतकस की माँगां तैं दखे इनका कोये सरोकार नहीं

लावै पूंछ पंजाबी लोकल की इसतैं भूंडी कोये कार नहीं

भूख सतावै चौबीस घंटे या जनता फिरै कति उभाणी रै।।

4)

मारे जां हरियाणे मैं रणबीर जो रहे हम खबरदार नहीं

सांझे संघर्ष बिना हार मानै लूट का बैरी दरबार नहीं

गरीब का कोये मददगार नहीं होंती आवै कुन्बा घाणी रै।।


Thursday, 9 March 2023

खून

 रमलू--थाम रोज चुकंदर खाया करो।

धमलो--क्यों?

रमलू--इसके खाने तैं खून शुद्ध, लाल अर गाढ़ा होज्या सै।

धमलो--अच्छा इब थाम खून भी हाई क्वालिटी का पीओगे?

भिखारी

 पहला भिखारी--एक आदमी मेरे तैं बूझै था अक मैं कितना अक कमा लयूं सूँ? पर मैं कुछ नहीं बोल्या बस चुप रहया।

दूसरा भिखारी-- इसा क्यों करया?

पहला भिखारी--मनै शक था अक कदे वो इन्कम टैक्स आला ना हो!

समझदार बीरबानी 

 रमलू-- मनै समझदार बीरबानी तैं ब्याह करना चाहिए था।

धमलो-समझदार औरत थारे तैं कदे बी ब्याह कोण्या करै।

रमलू--मनै बस योहे साबित करना था।

देश मैं एफ डी आई आगी इसकी लूट सारे कै छागी

 2012 की डायरी से 

देश मैं एफ डी आई आगी इसकी लूट सारे कै छागी

बकशै कोण्या या चूट कै खागी सुणल्यो सब नर नारी

किसान का घणा फायदा होगा जोर के रुके मार रहे

गरीब के हितैषी आले ये आज मुखौटे अपने तार रहे 

या तो घर कसूते घालैगी म्हारी एक बी नहीं चालैगी 

या आच्छी तरियां खंगालैगी सुणल्यो सब नर नारी।

कहते कोए नुक्सान नहीं ये फायदे कई बतावैं सैं

हों पैदा कई लाख नौकरी हमनै कहकै नै भकावैं सैं

हरित क्रांति पै भी बहकाये नुक्सान कदे ना बताये 

म्हारे इसनै छक्के छड़वाये सुणल्यो सब नर नारी ।

अमरीका आले सीधे नहीं रिमोट तैं राज करते रै

अपनी पुरानी तकनीक म्हारे पै धिंगतानै धरते रै

सिर बी म्हारा जूती म्हारी रिमोट तैं पिटाई सै जारी

लूट खसोट मचाई भारी सुणल्यो सब नर नारी।

नए दौर के रंग निराले गरीब जमा कुचल्या जावै

मध्यम वर्ग का बड़ा हिस्सा चौड़ै खड़या लखावै

कहै साच्ची बात रणबीर अमीर की दीखै तसबीर

गरीब की फोड़ेंगे तकदीर सुणल्यो सब नर नारी ।

, चटा जनता नै धूल रहे।

 बढ़ा महंगाई लूट मचावैं,  जात धर्म पर लड़वावैं

म्हारी धरती खोस्या चाहवैं , चटा जनता नै धूल रहे।

अम्बानी और अडाणी की मातहत है सरकार म्हारी

टैक्स लगा लगा कै इसनै जनता की खाल उतारी

साम्प्रदायिकता फैलारी, कहै आच्छे दिन बहकारी

बदेशी कम्पनी छाती जारी, तोड़ देश के असूल रहे।

भरष्टाचार बढ़ता जावै सै व्यापम घोटाला देखो रै

अध्यादेश भूमि अधिग्रहण ना करते टाला देखो रै

महिला की करैं थानेदारी, करते ये फरमान जारी

बणे रूढ़िवाद के प्रचारी , पकड़ मामले टूल रहे ।

विकास जनता का कहते तीजूरी भरैं अम्बानी की 

सब्सिडी खत्म गरीबों की, बढ़ा दई अडाणी की 

महिला खड़ी पुकार रही, दलित पर बढ़ मार रही 

बढ़ क्यों अत्याचार रही, राज नशे मैं टूहल रहे ।

अच्छे दिनां का सपना के बेरा  कित खोग्या रै

मजदूर किसान कर्मचारी घणा दुखी होग्या रै

बरोने आला रणबीर रै, लिखता सही तस्वीर रै

मामला घणा गंभीर रै, भाईचारा जमा भूल रहे ।

यो किसा घोटाला रै।

 मेरा चालै कोण्या जोर मनै लूटैं मोटे चोर

नहीं पाया कोये ठौर कटी पतंग की डोर 

मनै लावैं डांगर ढ़ोर यो किसा घोटाला रै।

मेरा बोलना जुल्म हुया 

उनका बोलना हुक्म हुया

सारे ये मुनाफा खोर ये थमा धर्म की डोर

बनावैं ये म्हारा मोर सुहानी इनकी भोर

ऐश करैं डाकू चोर मन इनका काला रै।

ये भारत के पालन हार 

क्यों चोरां के सैं ताबेदार 

म्हारे पै टैक्स लगावैं बोलां तो खावण आवैं

मिल्ट्री सैड़ दे बुलावैं चोरां की मौज करावैं

काले का सफेद बणावै भजैं राम की माला रै।

महंगाई की मार कसूती

सिर म्हारा म्हारी जूती

यो रोजगार मन्दा सै यो सिस्टम गन्दा सै

यो मालिक का रन्दा सै घालै दोगला फंदा सै

क्यूकर जीवै बन्दा सै हुया ढंग कुढाला रै।

पत्थर पुजवा बहकाये 

भक्षक रक्षक दिखाये

काले नाग डसगे क्यों ये शिकंजे कसगे क्यों

दो संसार बसगे क्यों गरीब जमा फ़ंसगे क्यों

रणबीर पै हंसगे क्यों कर दिया चाला रै।

विकास कहूँ या कहूँ तबाही 

 विकास कहूँ या कहूँ तबाही 

विकास कहूँ या कहूँ तबाही , बात मेरी समझ नहीं आई,

हुई क्यों गामां की इसी छिताई , दिल्ली के गाम चर्चा मैं आये ॥ 

दिल्ली का विस्तार हुआ तो अनेक गाम इसमें आये थे 

धरती अक्वायर करी इनकी घने सब्ज बाग़ दिखाए थे 

बहोत घर बर्बाद हुए , जमा थोड़े घर आबाद हुए 

पीकै दारू कई आजाद हुए , चपेट मैं युवा लड़के आये॥ 

दिल्ली तैं कोए सबक लिया ना ईब हरयाणा की बारी 

एन  सी आर  के नाम तैं इसकी बर्बादी की तैयारी 

विकास पर कोए चर्चा ना , आज पूरा पटता खर्चा ना 

इसपै लिख्या कोए पर्चा ना , बीस लाख एक किल्ले के लाये॥ 

नशे का डूंडा पाड़  दिया ये नौजवान चपेट मैं आये 

फ्री सैक्श के खोल दरवाजे युवक युवती भरमाये 

हाल करे कसूते लूटेरे नै , मचाई लूट इनै चौफेरे  नै 

बाँट जात पात पै कमेरे नै , नंबर वन के नारे लगाये ॥ 

ईको अर जेंडर फ्रेण्डली विकास समता साथ ल्यावै 

ना तो दिल्ली जैसे खाग्या न्यूए एनसीआर इसनै खावै 

बहस विकास ऊप्पर चलावां , नया  हरयाणा किसा  बणावां 

रणबीर नक्शा मिलकै खिंचावाँ ,कैसे यो हरयाणा बच पाये ॥

Wednesday, 1 March 2023

बहुमूल्य प्रतिभा हरियाणे की उनको पढ़ण बिठा रहे।।

 बहुमूल्य प्रतिभा हरियाणे की उनको पढ़ण बिठा रहे।।

अयोग्य बेकूफ आगै बढ़ाये विरोधी स्वर को दबा रहे।।
1
तकनीक और सूचना का युग पूरा संसार एक गाम बणाया
इसके दम पै  कारपोरेट नै गली मोहल्ले तक जाल बिछाया
स्थानीय काम धंधे पिटगे गरीब कै सांस चढ़ा रहे।।
2
बहोत घरों मैं मां बाप अगली पीढ़ी बारे चिंता ठारे
कोये रास्ता नहीं दीखता ज्यां करकै घना भय खारे
सुलटे काम बचे कोण्या उल्टे काम पीसा घणा दिवा रहे।।
3
किसान मजदूर सरपंच पिटरे मिलजुल कै मंच बनाना हो
नया नवजागरण जात पात के खिलाफ हर गांव चलाना हो
अडानी अम्बानी हर लूट रहे किसान आंदोलन ये सिखा रहे।।
4
शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार पै संकट ल्या दिया भारी भाई
जातपात धर्म मजहब पै बांटकै म्हारी अक्कल मारी भाई
रणबीर सिंह बरगे  लिखारी यो संघर्ष का राह दिखा रहे।।

माहौल चारों कान्हीं का देवै सै तनावपूर्ण दिखाई।।

 



माहौल चारों कान्हीं का देवै सै तनावपूर्ण दिखाई।।
अविश्वास हिंसा अपराध नै आज चौपड़ सार बिछाई ।।
1
यो नशे पते का व्यापार देखो पकड़ घणी तूल रहया
बेरोजगारी अर म्हंगाई का फंदा जनता पै झूल रहया
अविश्वास का आडंबर फूल रहया फिजूलखर्ची भी छाई।।
2
सोशल मीडिया पै भी अंधविश्वास खूब फैलाया जा
चमत्कार बताकै पढ़या लिख्या यो आज भकाया जा
मंदिर मस्जिद मैं खँदाया जा चर्च भी इनकै संग आई।।
3
संघर्ष का रास्ता छुड़वाकै पूजा पाठ का राह दिखाया
धार्मिक आस्था म्हारी थारी इनका सहारा लेकै भकाया
हर दो मील पै मंदिर खुलाया असली संकट जावै छिपाई।।
4
सरपंच दुखी कर राखे किसानी संकट भी घणा बढ़ाया
सरकारी ढांचा बेचकै नै प्राईवेट ताहिं आज यो थमाया
हरेक तबका सडकां पै आया रणबीर नै कलम
घिसाई।।

संसार मैं तूँ क्यूँ आया, तनै के खोया के पाया,

 संसार मैं तूँ क्यूँ आया, तनै के खोया के पाया,

हिसाब कदे ना लाया, या न्यूएँ उम्र गुजारी।।

1

ना आच्छी किताब पढ़ी अश्लील साहित्य भाग्या

टी वी नशा हिंसा का यो माहौल शरीर नै खाग्या

बात काबू कोण्या आई, पकड़ी क्यूँ उल्टी राही

करी घर की तबाही, या बात ना कदे बिचारी।।

2

ज्ञान सबतैं बड्डा धन दुनिया मैं बताया रै

ज्ञान जीवन मैं बता कितना तनै कमाया रै

मन होज्या तेरा गन्दा ,यो काले धन का धंधा

बणग्या गल का फंदा, इसनै अक्कल फेर दी सारी।।

3

तूँ बचन सुथरे बोलै फेर करता घटिया काम 

पिछाण कर्मा तैं होवै खाली बचनों के ना दाम

यो संयम तनै खोया , बीज ईर्ष्या का बोया,

बहोतै गन्द सै ढोया, करनी सीखी चोरी जारी।।

4

समय सार जिंदगी का  कैहगे बड़े बड़ेरे न्यों 

कर बर्बाद समय नै बेहाल हुए भतेरे न्यों 

दूजे की कमी निगाही , ना देखी दिल की खाई

आज साफ दे दिखाई, रणबीर बेशर्मी थारी।।