Thursday, 9 March 2023

विकास कहूँ या कहूँ तबाही 

 विकास कहूँ या कहूँ तबाही 

विकास कहूँ या कहूँ तबाही , बात मेरी समझ नहीं आई,

हुई क्यों गामां की इसी छिताई , दिल्ली के गाम चर्चा मैं आये ॥ 

दिल्ली का विस्तार हुआ तो अनेक गाम इसमें आये थे 

धरती अक्वायर करी इनकी घने सब्ज बाग़ दिखाए थे 

बहोत घर बर्बाद हुए , जमा थोड़े घर आबाद हुए 

पीकै दारू कई आजाद हुए , चपेट मैं युवा लड़के आये॥ 

दिल्ली तैं कोए सबक लिया ना ईब हरयाणा की बारी 

एन  सी आर  के नाम तैं इसकी बर्बादी की तैयारी 

विकास पर कोए चर्चा ना , आज पूरा पटता खर्चा ना 

इसपै लिख्या कोए पर्चा ना , बीस लाख एक किल्ले के लाये॥ 

नशे का डूंडा पाड़  दिया ये नौजवान चपेट मैं आये 

फ्री सैक्श के खोल दरवाजे युवक युवती भरमाये 

हाल करे कसूते लूटेरे नै , मचाई लूट इनै चौफेरे  नै 

बाँट जात पात पै कमेरे नै , नंबर वन के नारे लगाये ॥ 

ईको अर जेंडर फ्रेण्डली विकास समता साथ ल्यावै 

ना तो दिल्ली जैसे खाग्या न्यूए एनसीआर इसनै खावै 

बहस विकास ऊप्पर चलावां , नया  हरयाणा किसा  बणावां 

रणबीर नक्शा मिलकै खिंचावाँ ,कैसे यो हरयाणा बच पाये ॥

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