------रामधारी खटकड़
कौण सुणैगा पीड मेरी , मैं किसनै आज सुणाऊँ
आस पेट की मरवावैं , मैं क्यूकर कहण पुगाऊँ........(टेक)
1. एक बेटी मेरै पहलां हो री , बहोतै लागै प्यारी
आस दूसरी होई गर्भ म्हं , या भी सै लाचारी
घर-कुणबे नै बेटा चाहिए , सबनै बात बिचारी
डाक्टर धोरै लेजावण की , कर रे थे तैयारी
अल्ट्रासाउण्ड करवा दिया , सारी खोल बताऊँ...............
2. कन्या बताई मेरे गर्भ म्हं , उतरे सब के चेहरे
मेरा पति न्यूं कहण लग्या , भाग फूटग्ये मेरे
फिर बोल्या ले करा सफाई , गर्दिश के सैं फेरे
मैं बोली क्यूं जुल्म करै , ये काम ना आच्छे तेरे
चाल ओडे तै घर नै आग्ये , मैं चारों ओड लखाऊँ.................
3. छोह म्हं आकै कहण लगे , यू गर्भ गिराणा चाहिए
दुज्जी छोरी होवण ना दें , पिण्ड छुडाणा चाहिए
मैं बोली के खोट मेरा , कुछ तो शरमाणा चाहिए
वे बोले तनै घर-कुणबे का कहण पुगाणा चाहिए
आज मेरी कोय सुणता ना, मैं कित जा रुधन मचाऊँ.............
4. बूंद लहू की मारण खातर पूरी त्यारी हो ली
बेटी नै दें मार गर्भ म्हं , लिहाज-शर्म कति खो ली
कडै गया भगवान म्हारा, कित जा शान लहको ली
म्हारे पांयाँ की या बेडी , क्यूकर जा गी खोली
"रामधारी" दे साथ म्हारा , फेर मैं भी झण्डा ठाऊँ......
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