ब्राह्मन छोरी हरिजन छोरा ब्याह का फैंसला करया दखे
छोरी के बाबू नै अपना साफा छोरे पाहयाँ बीच धरया दखे
बाबू बोल्या मैं फांसी खालयूं घर कै कलास लावै मतना
ब्याह रिश्ते सब बंद होजयाँ जीनते जी मरवावै मतना
छोटे भाई नै कोण ब्याहवै छोरी जुलम कमावै मतना
ऊंच नीच कुछ सोच किमै म्हारी नाक कटावे मतना
काली नागन की तरियाँ क्यों तेरे भीतर जहर भरया दखे ||
छोरा छोरी जब माने कोन्या छोरी घर ताले मैं कैद करी
पीट पीट कै सीधी करणी चाही छाती बन्दूक लयांन धरी
छोरी नै घने कष्ट सहे पर किसे और की नहीं हाँ भरी
बोली मरना सै मंजूर मने कुनबे कै नहीं या बात जरी
कचहरी मैं दरखास देदी घर कुनबा थोडा ड़रया दखे ||
माँ पिता की पार बसाई कोन्या उनने ब्याह रचाया फेर
ना किसे नै फांसी खाई पार मातम घर मैं छाया फेर
म्हारा कोए वास्ता नहीं तेरे तै बाबू नै हुकम सुनाया फेर
माँ तै आखिर माँ ठहरी लुह्क छिप मिलना चाहया फेर
छोरी इतनी करड़ी लिक्डैगी कुन बे कै नहीं जरया दखे ||
दो साल पाछै बाबू मरग्या इस बाहने घरां चले गये
कोए मुंह तै बोल्या कोन्या वे अपने घर मैं छले गये
खाली घर मैं बैठ कै आगे अरमान सभी दले गये
करेले की ढाल कढ़ाई के मैं क्यों वे दोनों तले गये
कहै रणबीर सिंह बारोने आला मेरा पता नहीं भरया दखे
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