Saturday, 5 August 2017

ज्ञानी राम शास्त्री जी की रागनी

नव उदारीकरण ने समाज को कहां पहुंचा दिया,
 ज्ञानी राम शास्त्री जी की रागनी में एक झलक 

माणस माणस दुश्मन होग्या प्रेम रहया ना आपस मैं
सब दुनिया मतलब की होगी धोखा बसग्या नस नस मैं
भाई बहन पिता माता बेटा बेटी ना यार रहया
बीर मर्द भी नकली होगे कोण्या साचा प्यार रहया
अपणा बणकै जड़ काटै ना किसे पै एतबार रहया
अपने मतलब खात्तर जो जिंदगी भर ताबेदार रहया
जब थोड़ा सा काम चालज्या आंख बदलज्या दिन दस मैं
सब दुनिया मतलब की होगी----(1)
कितना करल्यो भला किसे का कोय मानता श्यान नहीं
सीधा माणस कपटी लिकड़ै बिल्कुल रही पिछाण नहीं
अपनी अकल बड़ी समझैँ सब चाहे रत्ती भर ज्ञान नहीं
जिसके मन मैं पाप नहीं सै इसा कोय इन्सान नहीं 
हर माणस चाहवै सै मन मैं दूजे नै राखूं बस मैं
सब दुनिया मतलब की होगी----(2)
दो उंगल का छोरा भी आज बड़े बड़याँ नै मात करै
मूर्ख और नादान पुरुष आज स्यासत  गेल्याँ बात करै
ओरों की हिणी चाहवै और अपनी ऊपर लात करै
बख्त नहीं दूजे नै अपनी खात्तर काली रात करै
थोड़ी सी भी परख रही ना भुण्डे आच्छे माणस मैं
सब दुनिया मतलब की होगी----(3)
बोल चाल व्यवहार सभी मैं कोरा नकलीपन होग्या
कोण्या रही सुहाण किसे की सब का पापी मन होग्या
ले लयूं मोल दूसरे नै जणु जिसकै धोरै धन होग्या 
पैसे कारण सज्जन माणस भी पाणी दुर्जन होग्या 
" ज्ञानी राम" देख ली दुनिया दोष काढ़ दयूं किस किस मैं
सब दुनिया मतलब की होगी ---(4)

1 comment:

@hitsha said...

Thanks for sharing my Grandfather's Ragni . Join our channel 'Haryanvi Folk Hub' on you tube for more such ragnis

Hitesh
9466597357