Tuesday, 21 May 2013

HARYANVI RAGNI: jahreelee hawa

HARYANVI RAGNI: jahreelee hawa

jahreelee hawa

चारों तरफ जहरीली हवा चल रही यारो
इसकी ना कहीं भी दावा मिल रही यारो
जहरीली हवा के हैं जो असली जिम्मेवार
वही इसे साफ करने के बने ठेकेदार
दिन पर दिन ये हवाएं तो तेज हो रही हैं
हमारी समाज की मासूम जाने खो रही हैं
पेड़ लगाओ दूसरी तरफ काटते जाओ
नशा मुक्ति केंद्र खोलो ठेके भी खुलाओ
कैसा अजीबो गरीब विकास है हमारा देखो
दारू व्यापारी मौज में बार छह ठारा देखो
अंगरेजी शराब के ठेके रोजाना खुलते
शहरी गामोली दारू पी पी कर मरते
पैसा चाहिए चाहे कुछ भी करना पड़े
मालिक की ऐश मजदूर हैं भूखे खड़े 

SUNO BAAT

सुनो हरियाने के लोगो कई बात पुरानी होगी
छोड़ पुरानी बातां नै नयी मिशल बनानी होगी
पूंजीपतियाँ  नै म्हारे देश का सत्यानाश करया
करे घने ये कांड हवाले गरीब कति बांस गरया
भारत बदनाम हुआ भ्रष्टाचार मैं धांस गरया
जी स्पैक्ट्रम घोटाला पीस्से खा कई पास करया
कामरेडाँ नै छोड़ कै ये सारी पार्टी कानी होगी ॥
गरीबाँ के असली हिम्म़ाती सरे जग नै बेरा यो
संघर्ष करकै नै पूंजीपति कै दिया सै घेरा  यो
इनके बिना फ़लै फूलै नहीं  गरीबाँ का डेरा यो
पूंजीपति कै लगाम घालदें हो दूर अँधेरा यो
मोहर दांती हथौड़े पै हम सब नै लानी होगी ॥
महिलाओं की शकुन्तला नै खूब लड़ी लडाई
सी पी एम् नै मजदूरों की हमेश मांग उठाई
घटिया राजनीति कै इननै ल्यादी सै करड़ाई
बढ़िया राजनीति की एक नयी लहर चलायी
हिस्सार के लोगो या नैय्या पार ले जानी होगी ॥
हिस्सार मैं इबकै ये हाजरी दर्ज करावेंगे
निगम मैं जाकै संघर्ष का इतिहास रचावैंगे
चोरी जारी ठगी नहीं  रहै इसा ढंग बनावेंगे
हिसार छाज्या हरियाने मैं नया अंदाज सिखावैंगे
शकुन्तला की पार्टी इबकै जरूर जितानी होगी ॥



जन चेतना हवाला कांड

जन चेतना हवाला कांड
हो हो देश मैं चाला हो गया
खुद खेती नै खावनिया रखवाला हो गया
हवाला कांड हुआ भारत मैं शोर माचरया भारी सै
नेताओं और अधिकारीयों की पोल खोल दी सारी सै
वामपंथियों नै छोड़ कै इसमैं हर एक पार्टी आरी सै
पांच साल पहले का मशला थारे सामने ल्याऊं मैं
चन्द्र शेखर नर सिम्हा  सरकार का हाल सुनाऊँ मैं
दबा लिया यूं कांड हवाला या गद्दारी दर्शाऊँ  मैं
हो हो फेर संभाला हो गया
जाँच कराओ मशले की एक पाला हो गया ॥
मार्क्सवादी कमयुनिष्ट पार्टी नै दौर चलाया संसद मैं
एक बार नहीं बार बार यूं शोर मचाया संसद मैं
पर नहीं सुनी नर सिम्हाँ नै इसा जोर दिखाया संसद मैं
जितने इसमें शामिल नेता मौन धारण करें रहे
६ ५ करोड़ की रिश्वत को तिजोरियों में भरे रहे
बेशक जाओ देश खड़े मैं धन कै पाछै पड़े रहे
हो हो इब उछाला हो गया
दो पत्रकारों की याचिका पै उजियाला हो गया ॥
किस मतलब तैं रिश्वत ली गयी यूं भी हाल सुनाऊँ सारा
बिजली कोयला स्टील रेलवे उद्योग चलै भारत मैं म्हारा
विदेशी कंपनी लूट  मचाओ रिश्वत खोरों नै किया इशारा
दूसरी तरफ गया देख्या  सारा देश भाड़ मैं गेरया
देश तोड़ बाजार हवाला उगार्वादियों तैं धन देरया
सब प्रजा भयभीत बणादी मानस भी दिया मार भतेरा
हो रोज का ढाला हो गया
यही नहीं यूं तो सारा देश घोटाला हो गया ॥
उदारीकरण और निजीकरण का दौर चलाया भारत मैं
सार्वजनिक सेवाएं और उद्योग बिकवाया भारत मैं
जन कल्याण बजट सरकारी घाट बनाया भारत मैं
कदे  शेयर घोटाला चिन्नी घोटाला टेली फोन घोटाला पाया सै
सार्वजानिक उद्योगों की बिक्री मैं पिसा खाया सै
कहै हरिचंद इन चोरों नै म्हारा खाली देश बनाया सै
हो देश दिवाला हो गया
विदेशी कर्ज मैं म्हारा मुंह कला हो गया ॥


Monday, 20 May 2013

एक तस्वीर

एक तस्वीर
आओ आज हम देखें औरत की सही तस्वीर सखी ॥
दिया समाज ने जो हमको कहती हम तकदीर सखी ॥
घर में खटना पड़ता म र द की नजर में मोल नहीं
औरत  भी समझे इसे  किस्मत लगा सकी तोल नहीं
करती हम मखौल नहीं हालत हमारी है गंभीर सखी ॥
घर खेत में काम करें जुताई और बुवाई करती बहना
चारा पानी झोटा बुग्गी दिन और रात मरती बहना
बैठी आहें भरती बहना समझें किस्मत की लकीर सखी ॥
कैसा सलूक करते हमसे मालिक बंधुआ का व्यवहार यहाँ
खाना दोयम कपडा दोयम मिले दोयम सारा संसार यहाँ
करोड़ों महिला बीमार यहाँ इलाज की नहीं तदबीर सखी ॥
अहम् फैंसले बिना हमारे मर्द बैठकर आज करते देखो
जुल्म करते भरी हम पर नहीं किसी से भी डरते देखो
नहीं हम विचार करते देखो तोड़ें कैसे ये जंजीर सखी ॥
सदियों से होता ही आया है पर किया मुकाबला है हमने
सिर धड की बाजी लगा कर नया रास्ता चुन है हमने
समता सपना बुन है हमने मिलेंगे बहुत राहगीर सखी ॥
खुद चुपचाप सहती जाती मानें कुदरत का खेल इसको
सदियों से सहती आयी हैं समझें राम का मेल इसको
आज भी रही हैं झेल इसको दुखी हुआ रणबीर सखी ॥

लाठी गोली

लाठी गोली  बन्दूक हथियार धरे रह ज्यांगे आ डै 
किसान पाछै ह टै नहीं चूची बचा फाह ज्यांगे आ डै 
किसान करता कष्ट कमाई अपना खून पसीना बाह वै 
कष्ट कमाई घर मैं आज्या हरियाने का किसान चाह वै 
और कोए तनै पाया नहीं  इन गरीबों नै क्यूं तूँ गाह वै 
चीफ मिनिस्टर बनाया जिननै उननै आज क्यूं ताह वै 
जमीन घोटाले खूब करे के बोल चुपाके लह ज्यांगे आ डै ॥ 
ट्रांसफोर्मर ठीक कारन का के गलत सै नारा  बतलाओ 
बिजली नहीं मिलती हमनै के कसूर सै म्हारा बतलाओ 
पूंजीपति का पानी भरो सो के ख्याल सै थारा बतलाओ 
गोली चलवा निर्दोषों पै करना चाहो निपटारा बतलाओ 
लाठी गोली थारी देखांगे जुल्म क्यूकर सह ज्यांगे आ डै ॥ 
कैथल मैं लाठी चार्ज का तमनै हिसाब चुकाना होगा 
मारुती कांड करवाया दखे घणा ऐ पछ ताना होगा 
हरियाणा खागे लूट कै कांग्रेस इनेलो पछताना होगा 
इतने दबा दिए किसान इब्तो सिर यो ठाना होगा 
जितने महल बनाये तमनै सारे के सारे ढहज्यांगे आ डै ॥ 
कुर्बानी किसानों की या जरूर अपना रंग ल्यावैगी 
संगठन बना मजबूत अपना तेरै पूरे साँस चढावैगी 
किस किस नै करेगा भीतर गिनती किट ताहीं जावैगी 
इब होन्स संभाल किमै ना या जनता सबक सिखावैगी 
कुलदीप से ठा ठी भजनी सही बोल कह ज्यांगे आ डै ॥ 

Friday, 10 May 2013

मेहनती किसान हुआ बिरान

मेहनती किसान हुआ बिरान  
दुनिया तनै बाहवै   सै धरती बाहवण आले 
खोल दे  जात के ताले ये तनै मरावण  आले 
भैंस खरीदै  तूं जब तो  दूध काढ कै नै देखै सै
बुलध खरीदै जब तूं तो खुद काढ कै देखै सै 
इंख के बीज ताहीं तूं खूब हांड कै देखै सै 
नए औजारों  नै बी तूं खूब चांड कै देखै सै  
फेर बी क्यूं ना दीखैं तनै तेरा भा लगावण आले ||
कई बरस तैं देख रहया तेरी बदहाली होगी 
तनै भकाज्याँ आई बरियाँ  इबकै खुशाली होगी 
माथे की क्यों फूट गयी या दूनी कंगाली होगी 
चादर नीचै भा लागै  या दिल्ली टक्शाली होगी 
क्यूं इतने आछे लागें सें तनै भकावण आले|| 
रंग बदल कै ढंग बदल कै आ ज्यावैं   देख
तूं भी सोचै ना पीपी इनकी ठोक्यावै देख
भैंस की ढाला  यो  कई बार फिर ज्यावै  देख
एक बै गयी बात फेर पाँच साल मैं आवै देख
फेरबी आछे लागें सें तेरा नाश कारावण आले ||
सारे माठे चालने पाए जो तनै बाह कै देखे 
अदल बदल भी करी ऊपर नीचै लाकै देखे 
खेत मैं बैसक लिए जो तनै चाला कै देखे 
वोट गेर दी फेर पाँच साल मुंह बाकै  देखे
ना बेरा पाट्या क्यूं भावें माठा चालावण आले || 
बाही मैं लागू माल टिकाऊ क्यूं ना भित्तर घलता
साठ साल होगे तनै नयोंए हाँडै क्यूं ठान बदलता 
सोच्चन की बात बावले  महारा बालक हाँडै रूलता 
खून पस्सीने तै बाग़ सींच रहे फूल अमीर कै खिलता 
रणबीर कहै अपनी सोच दूसरयाँ नै ख़वावन आले ॥ 
 
 

दुखती रग

 दुखती रग
ठीक थोडा गलत घना जगत मैं पीस्सा सर चढ़  कै  बोलै ॥
सांझै दारू पी कै रमलू सारी रात बहार भीतर वो डो लै ॥
कोए घर बार नहीं आज बच्या मानस चाहे बच्या हो घर मैं
घणी कुसंस्कृति बढावै  सै  दारू या दारू पीवनिया नर मैं
बाहर भीतर वो तां कै  झाँ कै  कलह जहर घणा घो लै ॥
बिना नौकरी बिन ब्याहे गाम गाम मैं घूम रहे दिखाऊँ
नशे पते के शिकार हुए किस किस के नाम गिनाऊँ
या हालत हरियाणे के गामां की मेरा कालजा छो लै ॥
नैतिकता जमा ख़तम हुई व्यभिचार घना बढ़ता जा वै
प्यार मोहब्बत कै ताला लाया अवैध सम्बन्ध सारै पावै
साच बोलानिया धक्के खावै मौज करै जो जमा कम तोलै ॥
घोटाले पै घोटाले करते म्हारे अफसर नेता ये  मिलकै 
कोए दण्ड ना इनकी खातर ठेस कसूती लागै  दिल कै
रणबीर सिंह बरोने आला आज  दुखती रग नै पपोलै ॥

Thursday, 9 May 2013

कमेरा

कमेरा 
मेरी कोए न सुनता आज छाया सारै यो लुटेरा ॥ 
भक्षक बनकै रक्षक देखो देरे किसान कै घेरा ॥ 
 
ट्रेक्टर की बाही मारै  ट्यूबवैल का रेट  सतावै
थ्रेशर की कढ़ाई मारै  भा फसल का ना थ्यावै 
फल सब्जी ढूध  सीत सब ढोलां मैं घल ज्यावै 
माटी गेल्याँ माटी होकै बी सुख का साँस ना आवै 
बैंक मैं सारी धरती जाली दीख्या चारों कूट अँधेरा॥ 
 
निहाले पै रमलू तीन रूपया सैकड़े पै ल्यावै
वो साँझ नै रमलू धोरे दारू पीवन नै आवै
निहाला कर्ज की दाब मैं बदफेली करना चाहवै
विरोध करया तो रोज पीस्याँ की दाब लगावै
बैंक अल्यां की जीप का बी रोजाना लग्या फेरा॥ 
बेटा बिन ब्याह हाँडै सै घर मैं बैठी बेटी कंवारी
रमली रमलू नयों बतलाये मुशीबत कट्ठी  होगी सारी 
खाद बीज नकली मिलते होगी ख़त्म सब्सिडी  म्हारी
माँ टी बी की बीमार होगी बाबू कै दमे  की बीमारी
रौशनी कितै दीखती कोन्या घर मैं टोटे का डेरा॥ 
 
माँ अर बाबू म्हारे  नै  यो जहर धुर की नींद सवाग्या
माहरे घर का जो हाल हुआ वो सबके साहमी आग्या  
जहर क्यूं खाया उनने यो सवाल कचौट कै खाग्या   
म्हारी कष्ट कमाई उप्पर कोए दूजा दा क्यों लाग्या
कर्जा बढ़ता गया म्हारा मरग्या रणबीर सिंह कमेरा  ॥ 
 

AN CRITICAL REVIEW IS MUST TO ADVANCE FURTHER OTHERWISE STAGNATION WILL CONTINUE

AN CRITICAL REVIEW IS MUST TO ADVANCE FURTHER OTHERWISE STAGNATION WILL CONTINUE
यहाँ के प्रसिद्ध सांगियों  दीप चंद  , अलिबक्ष  लख्मीचंद ,बाजे भगत  ,मेहर सिंह ,मांगेराम ,चंदरबादी, धनपत , राम कृशन व्यास ,खेमचंद व दयाचंद  की रचनाओं का गुणगान तो बहुत किया गया या हुआ है मगर उनकी आलोचनात्मक समीक्षा की जानी अभी बाकी है | रागनी कम्पीटिसनों का दौर एक तरह से काफी कम हुआ है | दो चार महिला गायकों की बाजारू  मांग बची है | फूहड़ पन बढ़ रहा है | ऑडियो कैसेटों की जगह सी डी लेती जा रही है जिनकी सार वस्तु में पुनरुत्थान वादी व  अंध उपभोग्तवादी  मूल्यों का घालमेल साफ नजर आता है | हरयाणा के  लोकगीतों पर भी समीक्षातमक काम कम हुआ है | महिलाओं के दुःख दर्द का चित्रण काफी है | हमारे त्योहारों के अवसर के बेहतर गीतों की बानगी भी मिल जाती  है | कई भजनी भी हुए हैं जिन्होंने समाज सुधार के गीत बनाये भी और गाये भी |  हरिक्रिशन पटवारी , देबीराम आजाद , बस्ती राम , प्यारेलाल ,नरसिंह पिरथ्विसिंह बेधड़क  कुछ नाम है और भी हो सकते है | इनकी रचनाओं को भी देखने परखने की जरूरत है | अपनी धरोहर को बचा कर रखना और उससे सबक लेना यही मुख्य काम बनता है हम आप सब का |--

गरीब किस्सान की आप बीती

गरीब किस्सान की आप बीती
दो किल्ले धरती सै मेरी मुश्किल हुया गुजारा रै
खाद बीज सब महंगे होगे कुछ ना चालै  चारा रै
बुलध यो पड्या बेचना ट्रैक्टर की मार पड़ी
मैं एकला कोन्या लोगो मेरे जिसयाँ की लार खड़ी
स्वाद प्याज की चटनी का पाछै सी होग्या खारा रै 
मिंह बरस्या कोन्या ट्यूबवैल का खर्चा खूब हुया
धान पिटग्या मंदी के माँ इसका चर्चा खूब हुया 
चावल का भा ना तले आया देख्या इसा नजारा रै 
भैंस बांध ली बेचूं दूध यो दिन रात एक करां
तीन हजार भैंस बीमारी के गए डाक्टर के घरां 
तीस हजार कर्जा सिर पै टूट्या पड्या ढारा  रै 
बालक धक्के खान्ते हाँडै  इननै रुजगार नहीं 
छोरी बिन ब्याही बिन दहेज़ कोए त्यार नहीं
छोरा हाँडै गालाँ  मैं मेरे बाबू का चढ़ज्या   पारा रै
घर आली करै सिलाई दिन रात करै वा काले
खुभात फालतू बचत नहीं हुए ये कसूते चाले
दारू पी दिल दातून बालक कहैं मने आवारा रै
कर्जा जिस पै लिया उसकी नजर घनी बुरी सै
घरां आकै जम्जया सै दिलपे चल्ले  मेरे छुरी सै
रणबीर बरोनिया का बिक्गया  घर का हारा  रै

Wednesday, 8 May 2013

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