AN CRITICAL REVIEW IS MUST TO ADVANCE FURTHER OTHERWISE STAGNATION WILL CONTINUE
यहाँ के प्रसिद्ध सांगियों दीप चंद , अलिबक्ष लख्मीचंद ,बाजे भगत ,मेहर सिंह ,मांगेराम ,चंदरबादी, धनपत , राम कृशन व्यास ,खेमचंद व दयाचंद की रचनाओं का गुणगान तो बहुत किया गया या हुआ है मगर उनकी आलोचनात्मक समीक्षा की जानी अभी बाकी है | रागनी कम्पीटिसनों का दौर एक तरह से काफी कम हुआ है | दो चार महिला गायकों की बाजारू मांग बची है | फूहड़ पन बढ़ रहा है | ऑडियो कैसेटों की जगह सी डी लेती जा रही है जिनकी सार वस्तु में पुनरुत्थान वादी व अंध उपभोग्तवादी मूल्यों का घालमेल साफ नजर आता है | हरयाणा के लोकगीतों पर भी समीक्षातमक काम कम हुआ है | महिलाओं के दुःख दर्द का चित्रण काफी है | हमारे त्योहारों के अवसर के बेहतर गीतों की बानगी भी मिल जाती है | कई भजनी भी हुए हैं जिन्होंने समाज सुधार के गीत बनाये भी और गाये भी | हरिक्रिशन पटवारी , देबीराम आजाद , बस्ती राम , प्यारेलाल ,नरसिंह पिरथ्विसिंह बेधड़क कुछ नाम है और भी हो सकते है | इनकी रचनाओं को भी देखने परखने की जरूरत है | अपनी धरोहर को बचा कर रखना और उससे सबक लेना यही मुख्य काम बनता है हम आप सब का |--
यहाँ के प्रसिद्ध सांगियों दीप चंद , अलिबक्ष लख्मीचंद ,बाजे भगत ,मेहर सिंह ,मांगेराम ,चंदरबादी, धनपत , राम कृशन व्यास ,खेमचंद व दयाचंद की रचनाओं का गुणगान तो बहुत किया गया या हुआ है मगर उनकी आलोचनात्मक समीक्षा की जानी अभी बाकी है | रागनी कम्पीटिसनों का दौर एक तरह से काफी कम हुआ है | दो चार महिला गायकों की बाजारू मांग बची है | फूहड़ पन बढ़ रहा है | ऑडियो कैसेटों की जगह सी डी लेती जा रही है जिनकी सार वस्तु में पुनरुत्थान वादी व अंध उपभोग्तवादी मूल्यों का घालमेल साफ नजर आता है | हरयाणा के लोकगीतों पर भी समीक्षातमक काम कम हुआ है | महिलाओं के दुःख दर्द का चित्रण काफी है | हमारे त्योहारों के अवसर के बेहतर गीतों की बानगी भी मिल जाती है | कई भजनी भी हुए हैं जिन्होंने समाज सुधार के गीत बनाये भी और गाये भी | हरिक्रिशन पटवारी , देबीराम आजाद , बस्ती राम , प्यारेलाल ,नरसिंह पिरथ्विसिंह
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