एक तस्वीर
आओ आज हम देखें औरत की सही तस्वीर सखी ॥
दिया समाज ने जो हमको कहती हम तकदीर सखी ॥
घर में खटना पड़ता म र द की नजर में मोल नहीं
औरत भी समझे इसे किस्मत लगा सकी तोल नहीं
करती हम मखौल नहीं हालत हमारी है गंभीर सखी ॥
घर खेत में काम करें जुताई और बुवाई करती बहना
चारा पानी झोटा बुग्गी दिन और रात मरती बहना
बैठी आहें भरती बहना समझें किस्मत की लकीर सखी ॥
कैसा सलूक करते हमसे मालिक बंधुआ का व्यवहार यहाँ
खाना दोयम कपडा दोयम मिले दोयम सारा संसार यहाँ
करोड़ों महिला बीमार यहाँ इलाज की नहीं तदबीर सखी ॥
अहम् फैंसले बिना हमारे मर्द बैठकर आज करते देखो
जुल्म करते भरी हम पर नहीं किसी से भी डरते देखो
नहीं हम विचार करते देखो तोड़ें कैसे ये जंजीर सखी ॥
सदियों से होता ही आया है पर किया मुकाबला है हमने
सिर धड की बाजी लगा कर नया रास्ता चुन है हमने
समता सपना बुन है हमने मिलेंगे बहुत राहगीर सखी ॥
खुद चुपचाप सहती जाती मानें कुदरत का खेल इसको
सदियों से सहती आयी हैं समझें राम का मेल इसको
आज भी रही हैं झेल इसको दुखी हुआ रणबीर सखी ॥
आओ आज हम देखें औरत की सही तस्वीर सखी ॥
दिया समाज ने जो हमको कहती हम तकदीर सखी ॥
घर में खटना पड़ता म र द की नजर में मोल नहीं
औरत भी समझे इसे किस्मत लगा सकी तोल नहीं
करती हम मखौल नहीं हालत हमारी है गंभीर सखी ॥
घर खेत में काम करें जुताई और बुवाई करती बहना
चारा पानी झोटा बुग्गी दिन और रात मरती बहना
बैठी आहें भरती बहना समझें किस्मत की लकीर सखी ॥
कैसा सलूक करते हमसे मालिक बंधुआ का व्यवहार यहाँ
खाना दोयम कपडा दोयम मिले दोयम सारा संसार यहाँ
करोड़ों महिला बीमार यहाँ इलाज की नहीं तदबीर सखी ॥
अहम् फैंसले बिना हमारे मर्द बैठकर आज करते देखो
जुल्म करते भरी हम पर नहीं किसी से भी डरते देखो
नहीं हम विचार करते देखो तोड़ें कैसे ये जंजीर सखी ॥
सदियों से होता ही आया है पर किया मुकाबला है हमने
सिर धड की बाजी लगा कर नया रास्ता चुन है हमने
समता सपना बुन है हमने मिलेंगे बहुत राहगीर सखी ॥
खुद चुपचाप सहती जाती मानें कुदरत का खेल इसको
सदियों से सहती आयी हैं समझें राम का मेल इसको
आज भी रही हैं झेल इसको दुखी हुआ रणबीर सखी ॥
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