Thursday, 9 May 2013

गरीब किस्सान की आप बीती

गरीब किस्सान की आप बीती
दो किल्ले धरती सै मेरी मुश्किल हुया गुजारा रै
खाद बीज सब महंगे होगे कुछ ना चालै  चारा रै
बुलध यो पड्या बेचना ट्रैक्टर की मार पड़ी
मैं एकला कोन्या लोगो मेरे जिसयाँ की लार खड़ी
स्वाद प्याज की चटनी का पाछै सी होग्या खारा रै 
मिंह बरस्या कोन्या ट्यूबवैल का खर्चा खूब हुया
धान पिटग्या मंदी के माँ इसका चर्चा खूब हुया 
चावल का भा ना तले आया देख्या इसा नजारा रै 
भैंस बांध ली बेचूं दूध यो दिन रात एक करां
तीन हजार भैंस बीमारी के गए डाक्टर के घरां 
तीस हजार कर्जा सिर पै टूट्या पड्या ढारा  रै 
बालक धक्के खान्ते हाँडै  इननै रुजगार नहीं 
छोरी बिन ब्याही बिन दहेज़ कोए त्यार नहीं
छोरा हाँडै गालाँ  मैं मेरे बाबू का चढ़ज्या   पारा रै
घर आली करै सिलाई दिन रात करै वा काले
खुभात फालतू बचत नहीं हुए ये कसूते चाले
दारू पी दिल दातून बालक कहैं मने आवारा रै
कर्जा जिस पै लिया उसकी नजर घनी बुरी सै
घरां आकै जम्जया सै दिलपे चल्ले  मेरे छुरी सै
रणबीर बरोनिया का बिक्गया  घर का हारा  रै

No comments: