रमलू नै महिला कंडक्टर तैं बूझया - थाम कितने घंटे बस मैं रहो सो ?
महिला कंडक्टर - जी 24 घंटे।
रमलू - वा क्युकर ?
महिला कंडक्टर- देखिए, 8 घंटे तो सिटी बस मैं रहूं सूं अर बाकी के 16 घंटे घर आले के बस मैं ।
Wednesday, 3 November 2021
बस में
Tuesday, 2 November 2021
स्वास्थ्य का ढांचा
मुनाफाखोर कम्पनियां नै यो स्वास्थ्य ढांचा कब्जाया।।
पाणी बिकता खाणा महंगा यो प्रदूषण आज फ़ैलाया।।
1 सरकारी स्वास्थ्य सेवा ढावैं प्राईवेट नै बढ़ावा देवैं
जनता धक्के खा सरकारी मैं प्राईवेट घणे पीस्से लेवैं
दवा मशीन महंगी करदी गरीब मुश्किल तैं खेवैं
पीस्से आले की ज्याण बचै गरीब दुत्कार सेहवैं
बीमारियां का औड़ नहीं कदे डेंगू कदे स्वाइन फ्लू आया।।
पाणी बिकता खाणा महंगा यो प्रदूषण आज फ़ैलाया।।
2 एम्पेनलमेंट पै प्राईवेट का इलाज लेते कर्मचारी
बड़े अस्पतालों मैं जावै अफसरशाही या सारी
लाखों मैं इलाज हर्ट अटैक का बचै जेब जिसकी भारी
प्राइवेट बीमा कंपनी भी भ्रष्टाचार मैं धँसती जारी
घर फूंक तमाशा पड़ै देखना जै चाहते ज्याण बचाया।।
पाणी बिकता खाणा महंगा यो प्रदूषण आज फ़ैलाया।।
3 वातावरण प्रदूषण तैं बढ़ी कैंसर और दमा बीमारी
कीटनाशक बढे गात मैं जिंदगी मुश्किल होती जारी
झोला छाप दवा देसी ये बनी गरीब की लाचारी
ये आर एम पी डॉक्टर स्टीरायड खिलावैं भारी
घणे बढ़गे टोने टोटके बढ़ी अन्धविश्वास की माया।।
पाणी बिकता खाणा महंगा यो प्रदूषण आज फ़ैलाया।।
4 एक तरफ हैल्थ टूरिज्म दूजी तरफ झाड़ फूंक छाये
कितै कमी नर्सों की कितै ये डॉक्टर कम बताये
कितै कमी दवा की कितै औजार कम ल्या पाये
निजी अस्पताल रोज खुलैं ना कोये कानून बनाये
रणबीर सिंह मुनाफे नै म्हारी सेहत का धुम्मा ठाया।।
पाणी बिकता खाणा महंगा यो प्रदूषण आज फ़ैलाया।।
Sunday, 24 October 2021
मंगत राम शास्त्री
हरियाणवी गजल
मिरी आजाद ख्याली का मनै कुछ तो हुया फैदा.
मेरा बेखौफ जीणे का तरीका हो लिया लैह्दा..
मुबारक हो उनै मझबी किताबां की पवित्तरता
जड़ै बेअदबियां कहकै कतल करणे का हो रैदा.
बिना जाणें बिना समझें धरम के नाम पै हत्या
निरी धरमान्धता कोन्या पलानिंग हो सै बाकैदा.
सुणैं ना बात भी पूरी करैं हत्या कसाई
ज्यूं इजाजत या नहीं देन्दा गुरू दशमेश का कैदा.
चुवाइस हो जनम लेवण त पहले जो छंटाई की
बता फेर कोण चाह्वैगा गरीबां कै हुवै पैदा.
लिकड़ ज्या तोड़ कै पिंजरा बगावत कर जमान्ने तै
के दाई ऊत जा री सै जो जीवनभर भरै बैदा.
इबारत जो लिखी संविधान म्हं निरपेख पन्थां की
बचाणी लाजमी होगी कवि "खड़तल" करै वैदा.
मंगतराम शास्त्री "खड़तल"
सुभाष चन्द्र बोस
सभी दोस्तों को महान देशभक्त सुभाषचंद्र बोस के जन्मदिन की क्रांतिकारी बधाई । नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 कोओड़िशाकेकटकशहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकीनाथबोस और माँ का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। पहले वे सरकारीवकीलथे मगर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। उन्होंने कटक कीमहापालिका में लम्बे समय तक काम किया था और वेबंगालविधानसभाके सदस्य भी रहे थे। अंग्रेज़ सरकार ने उन्हेंरायबहादुरका खिताब दिया था। प्रभावती देवी के पिता का नाम गंगानारायण दत्त था। दत्त परिवार कोकोलकाताका एक कुलीन परिवार माना जाता था। प्रभावती और जानकीनाथ बोस कीकुल मिलाकर 14 सन्तानें थी जिसमें 6 बेटियाँ और 8 बेटे थे। सुभाष उनकी नौवीं सन्तान और पाँचवें बेटे थे। अपने सभी भाइयों में से सुभाष को सबसे अधिक लगाव शरद चन्द्र सेथा। शरदबाबू प्रभावती और जानकीनाथ के दूसरे बेटे थे। सुभाष उन्हें मेजदा कहते थें। शरदबाबू की पत्नी का नाम विभावती था।शिक्षादीक्षा से लेकर आईसीएस तक का सफरसुभाष का उन दिनों का चित्र जब वे सन् 1920 में इंग्लैण्ड आईसीएस करने गये हुए थेकटक के प्रोटेस्टेण्ट यूरोपियन स्कूल से प्राइमरी शिक्षा पूर्ण कर 1909 में उन्होंने रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल में दाखिला लिया। कॉलेज के प्रिन्सिपल बेनीमाधव दास के व्यक्तित्व का सुभाष के मन पर अच्छा प्रभाव पड़ा। मात्र पन्द्रह वर्ष की आयु में सुभाष ने विवेकानन्द साहित्य का पूर्ण अध्ययन कर लिया था। 1915 में उन्होंनेइण्टरमीडियेट की परीक्षा बीमार होने के बावजूद द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। 1916 में जब वे दर्शनशास्त्र (ऑनर्स) में बीए के छात्र थे किसी बात पर प्रेसीडेंसी कॉलेज के अध्यापकों और छात्रों के बीच झगड़ा हो गया सुभाष ने छात्रों का नेतृत्व सम्हाला जिसके कारण उन्हें प्रेसीडेंसी कॉलेज से एक साल के लिये निकाल दिया गया और परीक्षा देने पर प्रतिबन्ध भी लगा दिया। 49वीं बंगाल रेजीमेण्ट में भर्ती के लिये उन्होंने परीक्षा दी किन्तु आँखें खराब होने के कारण उन्हें सेना के लिये अयोग्य घोषित कर दिया गया। किसी प्रकार स्कॉटिश चर्च कॉलेज में उन्होंने प्रवेश तो ले लिया किन्तु मन सेना में ही जाने को कह रहा था। खाली समय का उपयोग करने के लियेउन्होंने टेरीटोरियल आर्मी की परीक्षा दी और फोर्ट विलियम सेनालय में रँगरूट के रूप में प्रवेश पा गये। फिर ख्याल आया कि कहीं इण्टरमीडियेट की तरह बीए में भी कम नम्बर न आ जायें सुभाष ने खूब मन लगाकर पढ़ाई की और 1919में बीए (ऑनर्स) की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।कलकत्ता विश्वविद्यालयमें उनका दूसरा स्थान था।पिता की इच्छा थी कि सुभाष आईसीएस बनें किन्तु उनकी आयु को देखते हुए केवल एक ही बार में यह परीक्षा पास करनी थी। उन्होंने पिता से चौबीस घण्टे का समय यह सोचने के लिये माँगा ताकि वे परीक्षा देने या न देने पर कोई अन्तिम निर्णय ले सकें। सारी रात इसी असमंजस में वह जागते रहे किक्या किया जाये। आखिर उन्होंने परीक्षा देने का फैसला किया और 15 सितम्बर 1919 को इंग्लैण्ड चले गये। परीक्षा की तैयारी के लिये लन्दन के किसी स्कूल में दाखिला न मिलने पर सुभाष ने किसी तरह किट्स विलियम हाल में मानसिक एवं नैतिक विज्ञान की ट्राइपास (ऑनर्स) की परीक्षा का अध्ययन करने हेतु उन्हें प्रवेश मिल गया। इससे उनके रहने व खाने की समस्या हल हो गयी। हाल में एडमीशन लेना तो बहाना था असली मकसद तो आईसीएस में पास होकर दिखाना था। सो उन्होंने 1920 में वरीयता सूची में चौथा स्थान प्राप्त करते हुए पास कर ली।इसके बाद सुभाष ने अपने बड़े भाई शरतचन्द्र बोस को पत्र[7]लिखकर उनकी राय जाननी चाही कि उनके दिलो-दिमाग पर तोस्वामी विवेकानन्दऔर महर्षिअरविन्द घोषके आदर्शों ने कब्जा कर रक्खा है ऐसे में आईसीएस बनकर वह अंग्रेजों की गुलामी कैसे कर पायेंगे? 22 अप्रैल 1921 को भारत सचिव ई०एस० मान्टेग्यू को आईसीएस से त्यागपत्र देने का पत्र लिखा। एक पत्र देशवन्धु चित्तरंजन दास को लिखा। किन्तु अपनी माँ प्रभावती का यह पत्र मिलते ही कि "पिता, परिवार के लोग या अन्य कोई कुछ भी कहे उन्हें अपने बेटे के इस फैसले पर गर्व है।" सुभाष जून 1921 में मानसिक एवं नैतिक विज्ञान में ट्राइपास (ऑनर्स) की डिग्री के साथ स्वदेश वापस लौट आये।स्वतन्त्रता संग्राम में प्रवेश और कार्यकोलकाता के स्वतन्त्रता सेनानीदेशबंधु चित्तरंजन दासके कार्य से प्रेरित होकर सुभाष दासबाबू के साथ काम करना चाहते थे।इंग्लैंडसे उन्होंने दासबाबू को खत लिखकर उनके साथ काम करने की इच्छा प्रकट की।रवींद्रनाथ ठाकुरकी सलाह के अनुसार भारत वापस आने पर वे सर्वप्रथममुम्बईगये औरमहात्मा गांधीसे मिले। मुम्बई में गांधी जी मणिभवन में निवास करते थे। वहाँ 20 जुलाई 1921 को गाँधीजी और सुभाष के बीच पहली मुलाकात हुई। गाँधी जी ने उन्हेंकोलकाता जाकर दासबाबू के साथ काम करने की सलाह दी। इसके बाद सुभाष कोलकाता आकर दासबाबू से मिले।उन दिनों गाँधी जी ने अंग्रेज़ सरकार के खिलाफअसहयोग आंदोलनचला रखा था। दासबाबू इस आन्दोलन काबंगालमें नेतृत्व कर रहे थे। उनके साथ सुभाष इस आन्दोलन में सहभागी हो गये। 1922 में दासबाबू नेकांग्रेसके अन्तर्गतस्वराज पार्टीकी स्थापना की।विधानसभाके अन्दर से अंग्रेज़ सरकार का विरोध करने के लिये कोलकाता महापालिका का चुनाव स्वराज पार्टी ने लड़कर जीता और दासबाबू कोलकाता के महापौर बन गये। उन्होंने सुभाष को महापालिका का प्रमुख कार्यकारी अधिकारी बनाया। सुभाष नेअपने कार्यकाल में कोलकाता महापालिका का पूरा ढाँचा और काम करने का तरीका ही बदल डाला। कोलकाता में सभी रास्तों के अंग्रेज़ी नाम बदलकर उन्हेंभारतीयनाम दिये गये। स्वतन्त्रता संग्राम में प्राण न्यौछावर करने वालों के परिवारजनों को महापालिका में नौकरी मिलने लगी।बहुत जल्द ही सुभाष देश के एक महत्वपूर्ण युवा नेता बन गये।जवाहरलाल नेहरूके साथ सुभाष ने कांग्रेस के अन्तर्गत युवकों की इण्डिपेण्डेंस लीग शुरू की। 1928 में जबसाइमन कमीशनभारत आया तब कांग्रेस ने उसे काले झण्डे दिखाये। कोलकाता में सुभाष ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। साइमन कमीशन को जवाब देने के लिये कांग्रेस ने भारत का भावी संविधान बनाने का काम आठ सदस्यीय आयोग को सौंपा।मोतीलाल नेहरूइस आयोग के अध्यक्ष और सुभाष उसके एक सदस्य थे। इस आयोग ने नेहरू रिपोर्ट पेश की। 1928 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कोलकाता में हुआ। इस अधिवेशन में सुभाष ने खाकी गणवेश धारण करके मोतीलाल नेहरू को सैन्य तरीके से सलामी दी। गाँधी जी उन दिनों पूर्ण स्वराज्य की माँग से सहमत नहीं थे। इस अधिवेशन में उन्होंने अंग्रेज़ सरकार से डोमिनियन स्टेटस माँगने की ठान ली थी। लेकिन सुभाषबाबू और जवाहरलाल नेहरू कोपूर्ण स्वराजकी माँग से पीछे हटना मंजूर नहीं था। अन्त में यह तय किया गया कि अंग्रेज़ सरकार को डोमिनियन स्टेटस देने के लिये एक साल का वक्त दिया जाये। अगर एक साल में अंग्रेज़ सरकार ने यह माँग पूरी नहीं की तो कांग्रेस पूर्ण स्वराज की माँग करेगी। परन्तु अंग्रेज़ सरकार ने यह माँग पूरी नहीं की। इसलिये 1930 में जब कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता मेंलाहौरमें हुआ तब ऐसा तय किया गया कि 26 जनवरी का दिन स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जायेगा।26 जनवरी 1931 को कोलकाता में राष्ट्र ध्वज फहराकर सुभाष एक विशाल मोर्चे का नेतृत्व कर रहे थे तभी पुलिस नेउन पर लाठी चलायी और उन्हें घायल कर जेल भेज दिया। जब सुभाष जेल में थे तब गाँधी जी ने अंग्रेज सरकार से समझौताकिया और सब कैदियों को रिहा करवा दिया। लेकिन अंग्रेज सरकार नेभगत सिंहजैसे क्रान्तिकारियों को रिहा करने सेसाफ इन्कार कर दिया। भगत सिंह की फाँसी माफ कराने के लियेगाँधी जी ने सरकार से बात तो की परन्तु नरमी के साथ। सुभाष चाहते थे कि इस विषय पर गाँधीजी अंग्रेज सरकार के साथ किया गया समझौता तोड़ दें। लेकिन गांधीजी अपनी ओर से दिया गया वचन तोड़ने को राजी नहीं थे। अंग्रेज सरकार अपने स्थान पर अड़ी रही और भगत सिंह व उनके साथियों को फाँसी दे दी गयी। भगत सिंह को न बचा पाने पर सुभाष गाँधी और कांग्रेस के तरिकों से बहुत नाराज हो गये।कारावास1939 में सुभाषचन्द्र बोस का अखिल भारतीय कांग्रेस कमीटी की बैठक में आगमनसौजन्य: टोनी मित्रअपने सार्वजनिक जीवन में सुभाष को कुल 11 बार कारावास हुआ। सबसे पहले उन्हें 16 जुलाई 1921 में छह महीने का कारावास हुआ।1925 में गोपीनाथ साहा नामक एक क्रान्तिकारी कोलकाता के पुलिस अधीक्षक चार्लस टेगार्ट को मारना चाहता था। उसने गलती से अर्नेस्ट डे नामक एक व्यापारी को मार डाला। इसके लिए उसे फाँसी की सजा दी गयी। गोपीनाथ को फाँसी होनेके बाद सुभाष फूट फूट कर रोये। उन्होंने गोपीनाथ का शव माँगकर उसका अन्तिम संस्कार किया। इससे अंग्रेज़ सरकार ने यह निष्कर्ष निकाला कि सुभाष ज्वलन्त क्रान्तिकारियों से न केवल सम्बन्ध ही रखते हैं अपितु वेउन्हें उत्प्रेरित भी करते हैं। इसी बहाने अंग्रेज़ सरकार ने सुभाष को गिरफ़्तार किया और बिना कोई मुकदमा चलाये उन्हें अनिश्चित काल के लियेम्याँमारकेमाण्डलेकारागृह में बन्दी बनाकर भेज दिया।5 नवम्बर 1925 को देशबंधु चित्तरंजन दास कोलकाता में चल बसे। सुभाष ने उनकी मृत्यु की खबर माण्डले कारागृह में रेडियो पर सुनी। माण्डले कारागृह में रहते समय सुभाषकी तबियत बहुत खराब हो गयी। उन्हेंतपेदिकहो गया। परन्तु अंग्रेज़ सरकार ने फिर भी उन्हें रिहा करने से इन्कार कर दिया। सरकार ने उन्हें रिहा करने के लिए यह शर्त रखी कि वे इलाज के लियेयूरोपचले जायें। लेकिन सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इलाज के बाद वे भारत कब लौट सकते हैं। इसलिए सुभाष ने यह शर्त स्वीकार नहीं की। आखिर में परिस्थिति इतनी कठिन हो गयी कि जेल अधिकारियों को यह लगने लगा कि शायद वे कारावास में ही न मर जायें। अंग्रेज़ सरकार यह खतरा भी नहीं उठाना चाहती थी कि सुभाष की कारागृह में मृत्यू हो जाये। इसलिये सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया। उसके बाद सुभाष इलाज के लियेडलहौजीचले गये।1930 में सुभाष कारावास में ही थे कि चुनाव में उन्हें कोलकाता का महापौर चुना गया। इसलिए सरकार उन्हें रिहा करने पर मजबूर हो गयी। 1932 में सुभाष को फिर से कारावासहुआ। इस बार उन्हेंअल्मोड़ाजेल में रखा गया। अल्मोड़ा जेल में उनकी तबियत फिर से खराब हो गयी। चिकित्सकों की सलाह पर सुभाष इस बार इलाज के लिये यूरोप जाने को राजी हो गये।यूरोप प्रवास१९३३ में शल्यक्रिया के बाद आस्ट्रिया के बादगास्तीनमें स्वास्थ्य-लाभ करते हुएसन् 1933 से लेकर 1936 तक सुभाष यूरोप में रहे। यूरोप में सुभाष ने अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए अपना कार्य बदस्तूर जारी रखा। वहाँ वेइटलीके नेतामुसोलिनीसे मिले, जिन्होंने उन्हें भारत के स्वतन्त्रता संग्राम मेंसहायता करने का वचन दिया।आयरलैंडके नेता डी वलेरा सुभाष के अच्छे दोस्त बन गये। जिन दिनों सुभाष यूरोप में थे उन्हीं दिनों जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू काऑस्ट्रियामें निधन हो गया। सुभाष ने वहाँ जाकर जवाहरलालनेहरू को सान्त्वना दी।बाद में सुभाष यूरोप में विठ्ठल भाई पटेल से मिले। विठ्ठल भाई पटेल के साथ सुभाष ने मन्त्रणा की जिसे पटेल-बोस विश्लेषण के नाम से प्रसिद्धि मिली। इस विश्लेषण में उन दोनों ने गान्धी के नेतृत्व की जमकर निन्दा की। उसके बाद विठ्ठल भाई पटेल जब बीमार हो गये तो सुभाष ने उनकी बहुत सेवा की। मगर विठ्ठल भाई पटेल नहीं बचे, उनका निधन हो गया।विठ्ठल भाई पटेल ने अपनी वसीयत में अपनी सारी सम्पत्ति सुभाष के नाम कर दी। मगर उनके निधन के पश्चात् उनके भाईसरदार वल्लभ भाई पटेलने इस वसीयत को स्वीकार नहीं किया। सरदार पटेल ने इस वसीयत को लेकर अदालत में मुकदमा चलाया। यह मुकदमा जीतने पर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने भाई की सारी सम्पत्ति गान्धी के हरिजन सेवा कार्य को भेंट कर दी।1934 में सुभाष को उनके पिता के मृत्युशय्या पर होने की खबर मिली। खबर सुनते ही वे हवाई जहाज सेकराचीहोते हुए कोलकाता लौटे। यद्यपि कराची में ही उन्हे पता चल गया था कि उनके पिता की मृत्त्यु हो चुकी है फिर भी वे कोलकाता गये। कोलकाता पहुँचते ही अंग्रेज सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और कई दिन जेल में रखकर वापस यूरोप भेज दिया।ऑस्ट्रिया में प्रेम विवाहसुभाष का उनकीपत्नीके साथ दुर्लभचित्रसन् 1934 में जब सुभाषऑस्ट्रिया में अपना इलाज कराने हेतु ठहरे हुए थे उस समय उन्हें अपनी पुस्तक लिखने हेतु एक अंग्रेजी जानने वाले टाइपिस्ट की आवश्यकता हुई। उनके एक मित्र नेएमिली शेंकल(अं: Emilie Schenkl) नाम की एक ऑस्ट्रियन महिला से उनकी मुलाकात करा दी। एमिली के पिता एक प्रसिद्धपशु चिकित्सकथे। सुभाष एमिली[8]की ओर आकर्षितहुए और उन दोनों में स्वाभाविक प्रेम हो गया।नाजी जर्मनीके सख्त कानूनों को देखते हुए उन दोनों ने सन् 1942 में बाड गास्टिन नामक स्थान परहिन्दूपद्धति से विवाह रचा लिया।वियेनामें एमिली ने एक पुत्री को जन्म दिया। सुभाष ने उसे पहली बार तब देखा जब वह मुश्किल से चार सप्ताह की थी। उन्होंने उसका नाम अनिता बोस रखा था। अगस्त 1945 मेंताइवानमें हुई तथाकथित विमान दुर्घटना में जब सुभाष की मौत हुई, अनिता पौने तीन साल की थी।[9][10]अनिता अभी जीवित है। उसका नाम अनिता बोस फाफ (अं: Anita Bose Pfaff) है। अपने पिता के परिवार जनों से मिलने अनिता फाफ कभी-कभी भारत भी आती है।हरीपुरा कांग्रेस का अध्यक्ष पदनेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गान्धी के साथ हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन में (सन् 1938) उन दोनों के बीचराजेन्द्र प्रसादऔर नेताजी के वायेंसरदार बल्लभ भाई पटेलभी दिख रहे हैं।1938 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन हरिपुरा में होना तय हुआ। इस अधिवेशन से पहले गान्धी जी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सुभाष को चुना। यह कांग्रेस का 51 वाँ अधिवेशन था। इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चन्द्र बोस का स्वागत 51 बैलों द्वारा खींचे हुए रथ में किया गया।इस अधिवेशन में सुभाष का अध्यक्षीय भाषण बहुत ही प्रभावीहुआ। किसी भी भारतीय राजनीतिक व्यक्ति ने शायद ही इतना प्रभावी भाषण कभी दिया हो। अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में सुभाष ने योजना आयोग की स्थापना की। जवाहरलाल नेहरू इसकेपहले अध्यक्ष बनाये गये। सुभाष नेबंगलौरमें मशहूर वैज्ञानिक सरविश्वेश्वरय्याकी अध्यक्षता में एक विज्ञान परिषद की स्थापना भी की।1937 मेंजापाननेचीनपर आक्रमण कर दिया। सुभाष की अध्यक्षता में कांग्रेस नेचीनीजनता की सहायता के लिये डॉ॰ द्वारकानाथ कोटनिस के नेतृत्व में चिकित्सकीय दल भेजने का निर्णय लिया। आगे चलकर जब सुभाष ने भारत केस्वतन्त्रता संग्राममें जापान से सहयोग किया तब कई लोग उन्हे जापान की कठपुतली और फासिस्ट कहने लगे। मगर इस घटना से यह सिद्ध होता हैं कि सुभाष न तो जापान की कठपुतली थे और न ही वे फासिस्ट विचारधारा से सहमत थे।कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा1938 में गान्धीजी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सुभाषको चुना तो था मगर उन्हें सुभाष की कार्यपद्धति पसन्द नहीं आयी। इसी दौरान यूरोप मेंद्वितीय विश्वयुद्धके बादल छा गए थे। सुभाष चाहते थे किइंग्लैंडकी इस कठिनाई का लाभ उठाकर भारत का स्वतन्त्रता संग्राम अधिक तीव्र किया जाये। उन्होंने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में इस ओर कदम उठाना भी शुरू कर दिया था परन्तु गान्धीजी इससे सहमत नहीं थे।1939 में जब नया कांग्रेस अध्यक्ष चुनने का वक्त आया तब सुभाष चाहते थे कि कोई ऐसा व्यक्ति अध्यक्ष बनाया जाये जो इस मामले में किसी दबाव के आगे बिल्कुल न झुके। ऐसा किसी दूसरे व्यक्ति के सामने न आने पर सुभाष ने स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष बने रहना चाहा। लेकिन गान्धी उन्हें अध्यक्ष पद से हटाना चाहते थे। गान्धी ने अध्यक्ष पद के लियेपट्टाभि सीतारमैयाको चुना। कविवररवीन्द्रनाथ ठाकुरने गान्धी को खत लिखकर सुभाष को ही अध्यक्ष बनाने की विनती की।प्रफुल्लचन्द्र रायऔरमेघनाद साहाजैसे वैज्ञानिक भी सुभाष को ही फिर से अध्यक्ष के रूप में देखना चाहतें थे। लेकिन गान्धीजी ने इस मामले में किसी की बात नहीं मानी। कोई समझौता न हो पाने पर बहुत बरसों बाद कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद के लिये चुनाव हुआ।सब समझते थे कि जब महात्मा गान्धी ने पट्टाभि सीतारमैय्या का साथ दिया हैं तब वे चुनाव आसानी से जीत जायेंगे। लेकिन वास्तव में सुभाष को चुनाव में 1580 मत और सीतारमैय्या को 1377 मत मिले। गान्धीजी के विरोध के बावजूद सुभाषबाबू 203 मतों से चुनाव जीत गये। मगर चुनावके नतीजे के साथ बात खत्म नहीं हुई। गान्धीजी ने पट्टाभि सीतारमैय्या की हार को अपनी हार बताकर अपने साथियों से कह दिया कि अगर वें सुभाष के तरीकों से सहमत नहीं हैं तो वें कांग्रेस से हट सकतें हैं। इसके बाद कांग्रेस कार्यकारिणी के 14 में से 12 सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। जवाहरलाल नेहरू तटस्थ बने रहे और अकेले शरदबाबू सुभाष के साथ रहे।1939 का वार्षिक कांग्रेस अधिवेशन त्रिपुरी में हुआ। इस अधिवेशन के समय सुभाषबाबू तेज बुखार से इतने बीमार हो गये थे कि उन्हें स्ट्रेचर पर लिटाकर अधिवेशन में लाना पड़ा। गान्धीजी स्वयं भी इस अधिवेशन में उपस्थित नहीं रहे और उनके साथियों ने भी सुभाष को कोई सहयोग नहीं दिया।अधिवेशन के बाद सुभाष ने समझौते के लिए बहुत कोशिश की लेकिन गान्धीजी और उनके साथियों ने उनकी एक न मानी। परिस्थिति ऐसी बन गयी कि सुभाष कुछ काम ही न कर पाये। आखिर में तंग आकर 29 अप्रैल 1939 को सुभाष ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना3 मई 1939 को सुभाष ने कांग्रेस के अन्दर हीफॉरवर्ड ब्लॉकके नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की। कुछ दिन बाद सुभाष को कांग्रेस से ही निकाल दिया गया। बाद में फॉरवर्ड ब्लॉक अपने आप एक स्वतन्त्र पार्टी बन गयी।द्वितीय विश्वयुद्धशुरू होने से पहले से ही फॉरवर्ड ब्लॉक ने स्वतन्त्रता संग्राम को और अधिक तीव्र करने के लिये जन जागृति शुरू की।3 सितम्बर 1939 को मद्रास में सुभाष को ब्रिटेन और जर्मनी में युद्ध छिड़ने की सूचना मिली। उन्होंने घोषणा की कि अब भारत के पास सुनहरा मौका है उसे अपनी मुक्ति के लिये अभियान तेज कर देना चहिये। 8 सितम्बर 1939 को युद्ध के प्रति पार्टी का रुख तय करने के लिये सुभाष को विशेष आमन्त्रित के रूप में काँग्रेस कार्य समिति में बुलाया गया। उन्होंने अपनी राय के साथ यह संकल्प भी दोहराया कि अगर काँग्रेस यह काम नहीं कर सकती है तो फॉरवर्ड ब्लॉक अपने दम परब्रिटिश राजके खिलाफ़ युद्ध शुरू कर देगा।
Wednesday, 4 August 2021
पी वी सिंधु का मैडल पक्का
पी वी सिंधु का मैडल पक्का
मार दिया इसनै आज छक्काओकिहारा को दिया धक्का
थोड़ा सा दिल नै थाम लियो ।।
बैंडमिंटन मैं रियो मैं खेल दिखाया देखो
फाइनल मैं पहोंच कै मान बढ़ाया देखो
मीडिया न्यों अंदाज लगावै
मैडल पक्का जरूर बतावै
यो देश थारी तरफ लखावै
सिंधु लगा जोर तमाम दियो ।।
जापान की लड़की हरा अपने पैर जमाये
स्पेनी लड़की गेल्याँ पेचे फाइनल मैं बताये
राष्ट्रपति म्हारे नै दी सै बधाई
प्रधानमन्त्री नै करी सै बड़ाई
परिवार नै खूब खुशी मनाई
काल थकन का मत नाम लियो ।।
रात नै सोईये सिंधु थकान बी तार लिए
काल कौनसे गुर लाने कर विचार लिए
पूरे दम खम तैं खेलिए सिंधु
वार स्पेन की के झेलिये सिंधु
नम्बर तो फालतू लेलिए सिंधु
जितना हार का ना नाम लियो ।।
गोल्ड मैडल पै तूँ ध्यान राखिये पूरा हे
एक गोल्ड देश ले ख्याल राखिये पूरा हे
म्हारे देश की छोरी छारी सैं
रणबीर खूब जोर लगारी सैं
बेशक पेट मैं चलैं कटारी सैं
बुलंद कर देश का नाम दियो ।।
सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।
बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीत आज इतिहास रचाया यो।।
पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।1
सिंधु नै ओकुहारा को सीधे गेमां मैं लाकै जोर हराया रै
हांगा लाकै खेली पी वी सिंधु गोल्ड मैडल देश मैं आया रै
इक्कीस सात इक्कीस सात तैं हराकै देश गौरव बढ़ाया यो।।
पहली भारतीय बनीं सिंधु जिनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।
2
ओकुहारा के खिलाफ यो कैरियर रिकॉर्ड नौ सात करया
स्विट्जरलैंड में पी वी सिंधु नै बैडमिंटन मैं इतिहास रचया
नोजोमी ओकुहारा को मात देकै नै खास माहौल बनाया यो।।
पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।
3
वर्ल्ड के स्तर पै बैडमिंटन मैडल ना कोये बी ल्याया रै
पी वी सिंधु की मेहनत नै रविवार नै यो मैडल पाया रै
शाबाश पी वी सिंधु तनै म्हारी झंडा तिरंगा जितवाया यो।।
पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।
4
यो मुकाबला अड़तीस मिनट चल्या पसीनम पसीन्यां होई
दो सौ सतरा की हार का बदला लेकै याद वा पुरानी धोई
बढ़त बना कै पहले खेल मैं रणबीर आगै कदम उठाया यो ।।
पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।
हिंदुस्तान और हैदराबाद
हिंदुस्तान और हैदराबाद का नाम इस दुनिया मैं लिखवाया सै।।
सिंधु जीतकै टोक्यो मैं मैडल अपने देश का नाम चमकाया सै।।
1
नगर घर गाम सारे तनै देवण लागरे बहोत घणी बधाई आज
थारे कोच की और थारी लग्न गजब का या रंग ल्याई आज
पूरे घर और परिवार नै भी थारा होंसला खूब बढ़ाया सै।।
सिंधु जीतकै टोक्यो मैं मैडल अपने देश का नाम चमकाया सै।।
2
आंध्रप्रदेश बाट देखरया जीत की पूरी पूरी खुशी
मनाने की
मात पिता नै हुई घणी खुशी दूजा गोल्ड मैडल ल्याने की
कश्मीर तैं कन्याकुमारी ताहिं देश जीत पै खुशी मनाता पाया सै।।
सिंधु जीतकै टोक्यो मैं मैडल अपने देश का नाम चमकाया सै।।
3
खेल मैदान मैं चौकसी पूरी हिम्मत करती चली गई फेर
एक एक प्वाइंट जीत कै कदम आगै धरती चली
गई फेर
दूसरे ऑलम्पिक मैडल का यो रेकॉर्ड थामनै बनाया सै।।
सिंधु जीतकै टोक्यो मैं मैडल अपने देश का नाम चमकाया सै।।
4
बढ़ो हमेशा आगै सिंधु बेटी थाम मुड़कै कदे लखाईयो ना
मुश्किलों का करियो सामना कदम पाछे नै हटाईयो ना
रणबीर बरौने आले नै थारी श्यान मैं यो छंद बनाया सै।।
सिंधु जीतकै टोक्यो मैं मैडल अपने देश का नाम चमकाया सै।।
Saturday, 19 June 2021
तीज
तीजां का त्यौहार
लाल चूंदड़ी दामन काला ,झूला झूलन चाल पड़ी।
कूद मारकै चढ़ी पींग पै ,देखें सहेली साथ खड़ी ।
झोटा लेकै पींघ बधाई , हवा मैं लाल चूंदड़ी लहराई
ऊपर जाकै तले नै आई , उठें दामण की झाल बड़ी।
पींघ दूगनी बढ़ती आवै, घूंघट हवा मैं उड़ता जावै
झोटे की हींग बढ़ावै ,बाजैं पायां की ये छैल कड़ी ।
मुश्किल तैँ आयी तीज, फुहारां मैं गयी चूंदड़ी भीज
नयी उमंग के बोगी बीज, सुख की देखि आज घड़ी।
रणबीर पिया की आई याद , झूलन मैं नहीं आया स्वाद
नहीं किसे नै सुनी फ़रियाद आंसूआं की या लगी झड़ी।
Wednesday, 9 June 2021
अपना घर ---270---
अपना घर नै हरयाणा चारों कूट बदनाम किया ||
सी एम सिटी के भीतर घणा घटिया काम किया ||
1
शराफत का लबादा ओढ़ कै कितना ग़दर मचाया
बच्चों की मजबूरी का फायदा अपना घर नै उठाया
शर्म मैं नाड़ तले नै होगी कई का जीणा हराम किया ||
2
बड़े बड़े अफसरों तक मैडम का आना जाना बताया
कुछ शामिल किये खेल मैं कुच्छ को हमराज बनाया
परत उघडती जावैं सें रिकार्ड तलब तमाम किया ||
3
सफ़ेद पोश बण कै काला धंधा कई करते बताये ये
ले दे कै रफा दफा करावें जमा नहीं काबू मैं आये ये
मूल भूत बदल चाहिए अदल बदल देख तमाम लिया||
4
हरेक नागरिक आगे आवै बिना इसके ना बात बनै
गुण दोष पै तोल करकै छाज महँ कै सबका नाज छनै
साहमी ल्याना होगा सारा जो भी आज गुमनाम किया ||
5
दोषी जितने सब नै मिलै सजा रखना होगा ध्यान दखे
भ्रष्ट अफसर पुलिस अर नेता साथ देवे भगवान दखे
रणबीर नै छंद बनाया सबको आज यो पैगाम दिया ||
Monday, 7 June 2021
पीजीएएम के हालात
कुछ समय पहले की हालत बयान की है। हो सकता है
अब कुछ नर्स , डॉक्टर और मशीन आ गए हों। हालात
खराब ही चल रहे हैं सरकार की नीतियों के चलते ।
क्या बताया भला---
पीजीआई एमएस की सुनियो कथा सुनाऊँ देखो।।
लाम्बी तै लाम्बी लाइन उड़ै ओपीडी मैं दिखाऊँ देखो।।
1
सर्जरी विभाग की हालत सुनकै झटके खाये रै
सीनियर रेजिडेंट बीस चाहियें पर पांच बताये रै
ये तीन काम करते बीस का नहीं झूठ भकाऊँ देखो।।
लाम्बी तै लाम्बी लाइन उड़ै -------------
2
सात सौ स्टाफ नर्स आज मैडीकल मैं करती काम
नर्स काम नहीं करती मरीज रोज लगावैं इल्जाम
तीन हजार नर्स चाहियें राज की बात बताऊँ देखो।।
लाम्बी तै लाम्बी लाइन उड़ै----
3
बेहोशी विभाग मैं यो टोटा मशीनों का चलता आवै
कम होगी टेबल सर्जन की मरीज लाम्बी डेट पावै
ऑर्डर कर राखे सैं नयूं सालां तैं सुणता आऊं देखो।।
लाम्बी तै लाम्बी लाइन----
4
एक दिन मैं डॉक्टर आड़े डेढ़ सौ मरीज झेलता रै
दूजे देश का डॉक्टर उड़ै पन्दरा मरीज देखता रै
डॉक्टर मरीज भिड़ें आड़े कितनी भिड़ंत गिनाऊँ मैं।।
लाम्बी तै लाम्बी लाइन --------
5
मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना बेरा ना कित पड़ी सै
इसके लागू करने मैं चीज कुणसी या आण अड़ी सै
डिमांड सप्लाई का गैप यो किसकै जिम्मे लगाऊँ देखो।।
लाम्बी तैं लाम्बी लाइन---------
6
राष्ट्रीय बीमा योजना क्यों बन्द करदी पीजीआई मैं
पेशेंट वेलफेयर कमेटी क्यों ढीली होरी कार्यवाही मैं
गरीब का ना और ठिकाना दिल की बात सुनाऊँ देखो।।
लाम्बी तैं लाम्बी लाइन ---------
Sunday, 6 June 2021
घर के अंदर और बाहर
घर के अंदर और बाहर
महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।
1
किसा बख्त आग्या आज हम कितै महफूज नहीं
हवस छागी या बड़े भाग पै मानवता की बूझ नहीं
हम हार नहीं मानांगी लडांगी धुर ताहिं लड़ाई।।
महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।
2
राम बी ना म्हारा हिम्माती हजारों चीर हरण होवैं
एक द्रोपदी महाभारत होगी आज शाषक ताण कै सोवैं
भतेरी बाट देखी राम तेरी खुद अपनी बांह संगवाई।।
महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।
3
गैंग रेप बढे हरयाणा मैं समाज खड़्या लखावै
भाई चारे के नाम पै दबंग रेप की कीमत लगावै
सामंती या बाजारी सोच दुश्मन समझ मैं आई।।
महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।
4
समझौते के नाम पै दुखिया नै दो लाख दिवादे
करवाकै समझौता रेपीस्ट नै सजा तैं यो बचादे
कहै रणबीर हार ना मानैं हम चढ़ी जीत की राही।।
महिला भोग की वस्तु पूरे ज़माने नै आज बनाई।।
किसान उठ लिए
किसान उठ लिए
राजस्थान और महाराष्ट्र का किसान उठ लिया बताया।।पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
1
पैदल भूखे प्यासे किसान महाराष्ट्र की सड़कों पै आये
महिलाओं नै कांधे तैं कांधा मिलाकै आज कदम बढाये
किसान एकता के नारे लाये सड़कों पै झंडा लहराया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
2
खाद बिजली और बीज की कई गुणा कीमत बधाई रै
कई गुणा महंगी करदी देखो म्हारी आज या पढ़ाई रै
किसान की इलाज दवाई रै लूट नै घनघोर मचाया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
3
किसानों के बालक फिरते बेरोजगार एम् ए पास ये
झूठे वायदे रोज भकावैं करते नौजवानों का नास ये
किसान बाँटे जात्याँ मैं खास ये हरियाणा मैं कहर ढाया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
4
किसान पूरा हिंदुस्तान का यो समझ रहया इन बातां नै
किसनी मांगों पै लडें लड़ाई भूलकै आपस की जात्याँ नै
खोलैगा अमीरों के खात्याँ नै रणबीर नै कलम उठाया।।
पंजाब हरियाणे के किसान कै थोड़ा सा समझ मैं आया।।
कट्ठे होल्यां
कट्ठे होल्यां
तीन कानून बणाकै
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
1.
बुलध और गाड्डी पड़े बेचने ट्रैक्टर की मार पड़ी हे
हम एकले कोण्या म्हारे जिसां की लार खड़ी हे
एमएसपी का जिकरा ना जी हुया घणा खारया हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
2.
लागत खेती की बढ़गी म्हारा ख़र्चा ख़ूब होवै हे
तीन बिल ये पास करे जिनका चर्चा ख़ूब होवै हे
म्हारी गेल्याँ कोये चर्चा ना देख्या ईसा नजारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
3.
भैंस बाँध ली दूध बेचां यो दिन रात एक करां
तीन हज़ार भैंस बीमारी के डॉक्टर जी कै गए घरां
सिर पै कर्जा तीस हज़ार टूट्या पड़या यो ढारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
4.
बालक म्हारे धक्के खावैं इण ताहिं रोजगार नहीं
छोरी भी बिन ब्याही रहगी बिन दहेज़ कोए तैयार नहीं
छोरे हांडैं गालां मैं घरक्याँ का चढ़ज्या पारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
5.
पशू पालां करैं सिलाई दिन रात करैं हम काले
खुभात फालतू बचत नहीं ये हुए कसूते चाले
किसान यूनियनां नै लाया इंकलाब का नारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
6.
किसान मज़दूर छोटे व्यापारी पै नज़र धरी बुरी हे
तीन बिलां के खिलाफ सांझा संघर्ष सही धुरी हे
रणबीर बरोनिया दिल तैं यो गीत बनाया थारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
उन्नीस सौ सात
उन्नीस सौ सात
*उन्नीस सौ सात आंदोलन बारे जब हम किताब ठावैं रै।।*
*यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।*
1
लाला जी और अजित सिंह इस आंदोलन के अगाड़ी थे
पगड़ी सम्भाल आंदोलन के वे घणे तगड़े खिलाड़ी थे
*पढ़कै पगड़ी सम्भाल जट्टा बांके दयाल कवि सुनावैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
2
गीत नै अभिमान किसानों का उन बख्तों मैं ललकार दिया
इस कविता के भाव को किसानों नै कर अंगीकार लिया
*गोरे दबावण की खातर किसानों ऊपर घणे जुल्म ढावैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
3
गोरी सरकार कृषि कानून उन्नीस सौ सात के मैं ल्याई थी
चुपके चुपके पास करया नहीं चर्चा किसे तैं चलाई थी
*नहर कालोनियां मैं रहवनियाँ के वे हक खोसे चाहवैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
4
बे उल्लादे जमींदार के मरे पाछै जमीन खोसी चाही थी
जिला अफसर मालिक होगा या काली कानून बनाई थी
*लायलपुर मैं होकै कट्ठे ये हजारों किसान विरोध जतावैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
5
अजित सिंह लाला जी नै किसानों साथ मिलकै विरोध जताए
अनदेखी करी गोरयां नै और घणे उनपै जुल्म थे ढाये
*दोनूं मांडले जेल भेज दिए गोरे आंदोलन दबाया चाहवैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
6
पूरा पंजाब कट्ठा होकै नै विरोध जतावण के ऊपर भिड़ग्या
बढ़ता गया विरोध गोरयां का कानून खारिज करणा पड़ग्या
*ऐतिहासिक हुया वो आंदोलन जब हम हिसाब लगावैं रै ।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
7
गदर लहर बब्बर अकाली इणनै ये विचार आगै बढ़ाये थे
भगत सिंह हर बरगे क्रांतिकारी आजादी जंग मैं छाये थे
*उन्नीस सौ सैंतालीस मैं गोरयां तैं आजादी भारतवासी पावैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
8
रणबीर फेर दी गूंज सुनाई पगड़ी सम्भाल सरोकारों की
काले कानून ल्याई सरकार नहीं पूछ म्हारे विचारों की
*पगड़ी सम्भाल स्वाभिमान पै ये गायक गीत सुनावैं रै।।*
यो किसानों का इतिहासी बड्डा जंग कसूता बतावैं रै।।
पगड़ी संभाल ---280---
पगड़ी सम्भाल
*पगड़ी सम्भाल का दिन आज देश मैं मनाया जावै।।**अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।*
1
एंग्लो सिख युद्ध मैं भाग लिया परदादा फते सिंह नै
आधी जायदाद जब्त करी गोरयां नै म्हारे हिन्द मैं
*दादा अर्जुन सिंह उन बख्तों का समाज सुधारक कहावै।।*
अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।
2
किशन सिंह पिता चाचा अजीत लड़ी आजादी की लड़ाई
चाचा स्वर्ण सिंह साथ मैं इंकलाब जिंदाबाद गूंजाई
*अंग्रेज गोरा इनकै ऊपर सारे तरां के यो जुल्म ढ़ावै।।*
अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।
3
घर की महिलावां नै भी इनका धुर ताहिं साथ निभाया
दादी जयकौर मां विद्यावती कदम तैं था कदम मिलाया
*चाची हरनाम कौर हुक्म कौर भी सारै आगै खड़ी पावै।।*
अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।
4
अंग्रेजों के जुल्मों के खिलाफ लाया पगड़ी सम्भाल का नारा
बालक भगत सिंह नै आंख्या देख्या था यो सारा नजारा
*रणबीर यो किसान आंदोलन पगड़ी सम्भाल याद दिलावै।।*
अजीत सिंह किशन सिंह थारी याद बहोत घणी आवै।।
सम्पूर्ण क्रांति दिवस
*5 जून सम्पूर्ण क्रांति दिवस*
पांच जून नै काले कानून ऑर्डिनेंस पास करया रै।।एक साल हो ज्यागा जब सरकार नै नाश करया रै।।
1
उन्नीस सौ चुहत्तर के मैं पांच जून नै बीड़ा ठाया
जयप्रकाश नारायण नै सम्पूर्ण क्रांति नारा लाया
जेपी नै इस तरियां शुरू नया इतिहास करया रै।।
एक साल हो ज्यागा जब सरकार नै नाश करया रै।।
2
सम्पूर्ण क्रांति दिवस देश के ये किसान मनावैंगे
तीन कानूनाँ की प्रति किसान मजदूर जलावैंगे
भाजपा नेता के दफ्तर पै यो प्रोग्राम खास धरया रै।।
एक साल हो ज्यागा जब सरकार नै नाश करया रै।।
3
जत्था दोआबा तैं चालकै सिंघु बार्डर पै पहोंच्या रै
बार्डरों पर डटे किसानां नै मिलकै यो दिन
सोच्या रै
खेती बचाओ कारपोरेट भगाओ फैंसला पास करया रै।।
एक साल हो ज्यागा जब सरकार नै नाश करया रै।।
4
तीन कानून बिल बिजली रणबीर रद्द करवावैंगे
चारों लेबर कोड रद्द हों किसान मजदूर जोर लगावैंगे
इनकी गलत नीतियों नै फसल का घास करया रै।।
एक साल हो ज्यागा जब सरकार नै नाश करया रै।।
लाजमी जाणा हो
जो आया दुनियां के म्हां उनै पड़ै लाजमी जाणा हो।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।1
बीर मरद तै हो उत्पत्ति या जाणै दुनिया सारी सै
पांच भूत के योग तै या कहते बणी सृष्टि म्हारी सै
या तासीर खास योग की जीव मैं होवै न्यारी सै
मिजाज जिब बिगड़ै योग का जीव नै हो लाचारी सै
इसकी गड़बड़ मैं मौत कहैं हो बन्द सांस जब आणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
2
पहले जनम मैं जिसे करे कहैं इस जनम मैं निबटै
इस जनम मैं जिसे करे कहैं अगले के म्हां लिपटै
दोनों बात गलत लागै क्यों ना इसका इसमें सिमटै
साहमी हुए की चिन्ता ना क्यों बिना हुए कै चिपटै
इसे जनम का रोला सारा बाकी लागै झूठा ताणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
3
मनुष्य सामाजिक जीव कहैं बिन समाज डांगर होज्या
लेकै समाज पै चाहिये देणा बिन इसके बांदर होज्या
माली बिना बाग और खेती बिन पाणी बांगर होज्या
मरकै कोए ना आया उलटा जलकै पूरा कांगर होज्या
साइंस नै बेरा पाड़ लिया ईब छोड्डो ढंग पुराणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
4
आच्छे भूण्डे करमां करकै या दुनिया हमनै याद करै
या गुणी के गुण गावै आड़ै पापी कंस की यादे तिरै
यो शरीर जल बणै कारबन प्याराकर कर याद मरै
मेहर सिंह फौजी बरोने का रणबीर करता याद फिरै
करमां आला ना मरै कदे ना पाले राम का गाणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
साथी वीरेंदर शर्मा
साथी वीरेंदर शर्मा
सन 1992 में साक्षरता आंदोलन के दौर में साथी ने कार में आग लगने पर अपनी जान जोखिम में डाल कर कर की सवारियों को तो बचा लिया मगर सड़क पर फैले पैट्रोल की आग में बुरी तरह झुलस गया और दो तीन दिन तक मौत से संघर्ष किया।
ज्यान की परवाह की ना कूदया पीड़ा देख परायी रै।।
जवानी खपादी वीरेंद्र नै समझ दूज्यां की भलाई रै।।
1
उसतै बढ़िया दीखै कोण्या भाई अकल इंसान की
म्हारे ताहिं राह दिखाई सै उसनै असल इंसान की
भुलाये तैं भी ना भूली जा भाई शक्ल इंसान की
म्हारे ताहिं तस्वीर बनाई उसनै अटल इंसान की
न्यों कहैया करै था साथी मिलकै लडांगे लड़ाई रै।।
2
लोगों के मोल उसनै रोज घटते बढ़ते देखे भाई
बदमाशों की चांदी आड़ै शरीफ लोग पिटते देखे
लोगों मैं बढ़ी बेरोजगारी सही राह तैं हटते देखे
शहीद भगत सिंह से वीर आजादी पै मिटते देखे
भगत सिंह की राही चल्या वीरेंद्र वीर सिपाही रै।।
3
ज्ञान विज्ञान समिति मैं थी साथी की कताई हुई
एक एक बात कै उप्पर थी समिति मैं सफाई हुई
समाज कैसे चलता म्हारा बैठकै पूरी धुनाई हुई
गया समझाया हमेशा गरीब की क्यूँ पिटाई हुई
शहीद वीरेंद्र समझ गया अनपढ़ता की खाई रै।।
4
साथी तेरे सपनों को हम मंजिल तक ले जायेंगे
सच कहना अगर बगावत हम गीत यही गायेंगे
आज नहीं तो कल साथी पूरी दुनिया पर छायेंगे
मानव का बैरी मानव हो ना ऐसा जमाना लायेंगे
रणबीर ईबे रंग अधूरा बनाई तसबीर जो भाई रै ।।
Tuesday, 2 March 2021
स्मार्ट सिटी
स्मार्ट सिटी
सम्राट सिटी बण्या तो कौन बसै कौन उजड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा ॥
1
म्हारे गाम की धरती नै सरकार कब्जाना चाहवै सै
बिकै तीस लाख मैं किल्ला किसान बाधु पाया चाहवै सै
बिन किल्ले आले लोगों का यो पीतलिया लिकड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा ॥
2
राजस्थान मैं जाकै खरीदैं चौधरी बीस किल्ले धरती के
बिना बिसवे आला भटकै हाल बुरे होये सैं सरती के
किसा बुरा जमाना आया यो गरीब जमा पिछड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥
3
पुराने गाम मैं म्हारे पै थोड़ा ए घणा सै रोजगार देखो
हाल बढ़िया नहीं सैं मुश्किल मैं जीवै परिवार देखो
नए शहर मैं कून बड़न दे यो असल उड़ै उघड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥
4
खेत मजूरी बचै नहीं नए शहर मैं काम मिलै ना भाई
घरबार रूल ज्यांगे म्हारे यो चेहरा कदे खिलै ना भाई
रणबीर सिंह की कविताई यो घेरा घणा जकड़ ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥
Wednesday, 24 February 2021
रेल रोको
*रेल रोको का अभियान पूरे हरियाणा मैं चलाया।।*
*कई टेशनां के ऊपर सबनै मिलकै जाम लगाया।।*
1
रोहतक जिले मैं लोगों नै कई टेशनों पै नारे लगाए
रेल नहीं जावण दी रेल पटरी पै बैठकै साथ निभाये
*किसान एकता मोर्चा जिंदाबाद यो नारा खूब गूंजाया।।*
कई टेशनां के ऊपर सबनै मिलकै जाम लगाया।।
2
कुरुक्षेत्र कैथल भिवानी मैं महिला पुरुष आगै आये
किसानों नै भी उनकी गेल्याँ कदम तैं कदम मिलाये
*तीन कानूनों के खोट एक एक खोलकै*
*समझाया।।*
कई टेशनां के ऊपर सबनै मिलकै जाम लगाया।।
3
जींद जिले के बरसौला मैं रेल रोको पूरा सफल करया
बामला मैं महिलाओं नै सबतैं आगै अपना कदम धरया
*पुरुष महिला नौजवानों नै आंदोलन का*
*होंसला बढ़ाया।।*
कई टेशनां के ऊपर सबनै मिलकै जाम लगाया।।
4
यमुना नगर मैं भी टेशन पै चार घण्टे रेल रोक दई
हरियाणा वासियों नै अपनी पूरी ताकत झोंक दई
*रणबीर नै कई प्रदेशों मैं रेल रोको घणा सफल पाया।।*
कई टेशनां के ऊपर सबनै मिलकै जाम लगाया।।
Tuesday, 23 February 2021
आर्थिक मंदी
अर्थव्यवस्था म्हारे देश की ढांचागत संकट बीच आगी।।
संकट के हाल बतावण आली सारी बात देश मैं छागी।।1
विकास दर बेरोजगारी के बहोत दिन आंकड़े छिपाए
इनमें फेरबदल करकै ना बढ़ता संकट ल्हको पाये
सेहत अर्थव्यवस्था की गिरी मामले सबकै साहमी आये
सरकारी अर्थशास्त्री भी आज बहोत घणे सैं घबराए
कबूल करने को मजबूर या कड़वी सच्चाई हिलागी।।
संकट के हाल बतावण आली सारी बात देश मैं छागी।।
2
इस आर्थिक मंदी का आज मजदूर वर्ग शिकार होग्या रै
इनके हकां पै देखो चौड़े यो घणा कसूता प्रहार होग्या रै
जो थोड़ा घणा बचरया था तबाह पूरा परिवार होग्या रै
संकट बढ़ता जावै देश मैं मजदूर घणा लाचार होग्या रै
मजदूर वर्ग नै आर्थिक मंदी आज कसूती ढ़ालां खागी।।
संकट के हाल बतावण आली सारी बात देश मैं छागी।।
3
आर्थिक मंदी खत्म करण नै या सरकार कानून बणावै
देशी बदेशी पूंजीपति के या सरकार तलवे चाटती पावै
लाखों करोड़ की करों मैं छूट कति देवंती नहीं शरमावै
तोहफे दे पूँजीपतियाँ नै हमनै देशभक्ति के पाठ पढ़ावै
बात पक्की इस मॉडल तैं या आर्थिक मंदी बढ़ती जागी।।
संकट के हाल बतावण आली सारी बात देश मैं छागी।।
4
यूनियन बनाने के अधिकार पूंजीपति नै ढीले करवाये
वेतन भत्ते कम करकै नै इसनै हथियार कसूत चलवाये
फिक्की के इशारयां उप्पर पूरे अमल करकै दिखलाये
सौ कानून थे मजदूरों के चार संहिताओं मैं सिमटवाये
दीन हालात या मजदूरों की रणबीर की कलम बतागी।।
संकट के हाल बतावण आली सारी बात देश मैं छागी।।
24 फरवरी जनतन्त्र बचाओ दिवस
24 फरवरी गणतंत्र बचाओ दिवस
*देश के जनतंत्र पै खतरा देखो घणा कसूता आया।।*
*घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।*
1
आबादी बधी दोगणी पर नाज चौगुणा पैदा करया
पचास मैं थी जो हालत उसमैं बताओ के जोड़ धरया
बिना पढ़ाई दवाई खजाना सरकारी हमनै रोज भरया
ईमानदारी की करी कमाई फेर किसान नै कड़े सरया
*भ्रष्टाचार बेइमानी नै क्यों सतरंगा जाल बिछाया।।*
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
2
फासीवादी तौर तरीके राज के आज देखण मैं आये
विरोध करैं उनपै देशद्रोह के मुकद्दमे जाते रोज बनवाये
जात पात पै बांटण के इणनैं तीर तुक्के खूब चलाये
तीन मिहने होगे किसानों नै राज कै रोज सांस चढ़ाये
*डटे हुए सैं बोर्डरां ऊपर कोण्या पाछे नै कदम हटाया।।*
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
3
यो दिन देखण नै के भगत सिंह नै फांसी पाई थी
यो दिन देखण नै के सुभाष बोस नै फौज बनाई थी
यो दिन देखण नै के गांधी बापू नै गोली खाई थी
यो दिन देखण नै के अम्बेडकर ने संविधान बनाई थी
*नये-नये जुमले सुणकै यो सबका सिर चकराया।।*
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
4
जनतंत्र बचाओ दिवस पै कसम लेवां इसनै बचावैंगे
भगत सिंह हर के राह पै जोर लाकै हम कदम बढ़ावैंगे
किसान आंदोलन के बारे मैं घर-घर अलख जगावैंगे
काले कानून वापिस होज्यां मिलकै नै हांगा लावैंगे
*रणबीर सिंह मिलकै सोचां गया बख्त किसकै थ्याया।।*
घणे हुये कुर्बान देस पै जिब आजादी का राह पाया।।
Saturday, 9 January 2021
SAHI RAM ALHA
संघर्ष कथा
सही राम
आँखिन देखी मैं कहता हूँ, सुनी सुनायी झूठ कहाय |
गाम राम की कथा सुनाऊँ , पंचो सुनियो ध्यान लगाय |
हल और बल कुदाली कस्सी , धान बाजरा फसल गिनाय|
भैंस डोलती पूंछ मारती, गैय्या खड़ी खड़ी रम्भाय |
सुबह सवेरे हाली निकलै, गर्मी सर्दी को बिसराय|
सारा दिन वो खटे खेत में , मिटटी संग मिटटी होई जाय |
चाहे धूप जेठ के चलके,चाहे कोहरा दे ठिठुराय |
उसकी धर्म मशक्कत करना, उसको इनकी क्या परवाय|
लेकिन उलटी रीति ये देखो , देऊँ आपका ध्यान दिलाय |
ये दुनिया जो गौरख धंधा , मिहनत कौड़ी हाट लगाय |
हल बैलों वाला भी भूखा , जो खेतों में अन्न उगाय|
मोटे सेठ हड़प कर जाएँ , सारा माल हाथ फैलाय |
रुखा टुकड़ा वे ना पावें, डाकू चिकनी चुपड़ी खाय |
डंगर भूखे मरते मर जाय , भुस्सा उनको मिलता नाय |
जमा फसल देकर बनिए को , कर्जदार फिर भी कहलाय |
ज्यों ज्यों ढलै उमरिया उसकी , त्यों त्यों कर्जा बढ़ता जाय |
यह चक्कर देखो होनी का, वाह फिर भी मरजाद कहाय
घर में बेटी बीस बरस की, कुर्दी की ज्यों बढती जाय |
सेठ साहब का कर्ज न उतरै , लड़की क्योंकर ब्याही जाय |
जो भी देखे लानत भेजै ,वो क्या पडै कुंए में जाय |
बेटी भारी बोझ बाप पर, माँ को औरत रही गरियाय |
पाँच हजार मांगता समधी , उसकी चिठ्ठी पहुंची आय |
लाला उसका अपना बनकर, उंच नीच सब रहा बताय |
दुनिया में मरजाद पालनी, यह मर्दों का धर्म कहाय |
खानदान को दाग लगै ना, बिटिया घर से देओं धकाय |
सारी दुनिया काल चबैना , क्यों फिर पगले तूं पछताय |
जाय कचैड़ी लाला जी संग , उसने दिया अंगूठा लाय |
अब वो नहीं भोमियां कोई , कर मजदूरी पेट चलाय |
छ छ बच्चे कुच्चे सारे , भूखे बिलख बिलख सो जाय |
अगन पेट में धधक रही है, घर का चूल्हा जलता नाय |
खेलन -खावन के दिन आये , सो बच्चे कमगर कहलाय |
हड्डी तोड़ें खून सुखावै , सँझा तक बेगार कराय |
आधी पारदी उजरत देकर , धक्का दें और छुट्टी पाय |
यह अन्याय राम का देखो ,किस किसका दूं नाम गिनाय |
बोटो बोटी नोचें उसकी , लोहू बूँद बूँद पी जाय |
पंचो यह तो एक कहानी , गाम राम की कही सुनाय |
और न जाने कितने दुखड़े , कितने लोग रहे दुःख पाय |
ढांचा यो सारा गड़बड़ है , बुन्गत इसकी समझ न आय |
सब इन्सान बराबर जन्मे , एक पेट दो हाथ कमाय |
एक तो करता ऐश महल में , दर दर दूजा ठोकर खाय |
एक उड़ावै हलवा पूरी, दूजा भूखा मर मर जाय |
यह इंसाफ कहाँ दुनिया में , सोचो पंचो ध्यान लगाय |
एक बना फिरता पंडत है, दूजा रहा चमार कहाय |
एक ही कुदरत एक ही माया ,एक तरह से जन्मे माय |
फिर कोई क्यों ठाकुर बनता , दूजा हरिजन रहा कहाय |
सबरनता का गरब नशीला , त्यौरी उप्पर को चढ़ जाय |
बुलध समझ कै चमड़ी तारै, और फिर उप्पर से गिरयाय |
जिन्दा उसको आग में झोंके , तब तक नशा नहीं थम जाय |
फिर भी उसको गाड्डी मिलती, वो मिटटी में मिलता जाय |
यह कैसा कानून राम का , यह तो नहीं इंसाफ कहाय |
बेटी , बहू,माय हरिजन की, सरेआम इज्जत लुट जाय |
छुट्टा सांड गाँव में डोलै, कोई नहीं सामने आय |
रात दिनों जो खेत जोतता , वो उसका मजदूर कहाय |
मलिक कोई और भूमि का , आनी ये जागीर बताय|
उसको नहीं पता क्या मिटटी , क्या मिटटी की गंध कहलाय |
वो बैठा है महलों अन्दर , उस तक गंध पहुँचती नॉय |
सौ रूपए के कर्ज बदले , बंधुआ सात पुश्त हों जाय |
ऐसा यह कानून राम का , ज्ञानी गुनियों ज्ञान लगाय |
सर्दी गर्मी पीठ पै झेले ,मलिक उसको रहा जुतियाय |
न्याय धर्म के नाम पै पंचो, माणस दिन दिन पिसता जाय|
मिल मजदूरों के बूते ही, चिमनी धुआं उगलती जाय |
पर एक बात सोचियो पंचो ,वो क्यों अधभूखे रह जाय |
सेठ तिजौरी भर भर गाडै , काले धान को रहा छिपाय |
मजदूरों का खून चूसता , लोहू बूँद बूँद पी जाय |
वो महलों में बैठा लेकिन उसकी पूँजी बढती जाय |
शोषण वो कर रहा मजदूर का , उसकी चर्बी बढती जाय |
वो इन्सान नहीं कोई सीधा , दीखत का वो नरम सुभाय |
आदमखोर जानना उसको, उसका दीं धर्म कोई नॉय |
झूठा उसका पोथी पत्रा, झूठे मंदिर रहा बनाय |
मिल सारी मजदूरों की है ,वो झूठा मलिक कहलाय |
मजदूरों को गली देता, हड़तालों को झूठ बताय |
छंटनी कर कर के वो इनकी , और गुंडों से रहा पिटाय|
उसके हाथ बनैले पंजे , उसको खुनी समझो भाय |
उसकी सारी पुलिस फ़ौज है ,गौरमिंट भी वही बनाय |
वो नहीं देगा बोनुस तुमको , वो नहीं रहा स्कूल खुलाय |
छंटनी कर कर लोगों की , घाटा ही घाटा दिखलाय |
उसकी खातिर मारो भूख से , उसको बात लागती नॉय |
वो चमड़ी का मौत भैंसा ,उसके सींग रहे चिकनाय |
उससे लड़ना चाहो गर तो , एक्का पक्का कर लो भाय |
उसके साथ है सारी ताकत , उसकी एक जानियो नॉय
अपनी ताकत एक जूता लो , एक साथ लेओ हाथ मिलाय |
वो खूंखार बनैला भैसा , उसे खून की गंध सुहाय |
वो रोंदेगा बस्ती को भी ,बच्चों को वो चींथत जाय |
यह संघर्ष कथा उनकी है , सुनियो पंचो ध्यान लगाय
जिनके हाथ हथोडा केवल ,दोनाली से अड़ गया जाय
सदियाँ से जो लुटते आये , और लूटना जिनका धर्म कहाय |
जिनके पसीने को गंगा का ,वे गोली में मोल लगाय |
जिनके बूते दुनिया चलती, दुनिया पै हक़ उनका नाय |
सारे दिन जो खटते पिटते, रोती उन्हें रही तरसाय |
कपडा उनको नहीं मयस्सर , दवा दारू की कौन बताय |
उस मेहनत का मौल है ,छाती में बन्दूक अड़ा य |
राय तुम्हारी क्या है ,पंचो,क्या यह नहीं अन्याय कहलाय |
धर्म की बात तुम्हीं कह देना ,लेकिन कहना ध्यान लगाय |
अन्यायी का पक्ष न लेना , पंचो से यकीन उठ जाय |
खूनखोर नरभक्षी देखा,भेद मुखौटा रहा लगाय |
पूरी कौम के ये दुश्मन हैं , इंका तो बस नफा खुदाय |
मेहनतकश का परोपकार है ,नाफखोर की क्या परवाय |
ऊपर से ये चिकने चुपड़े ,अन्दर कोढ़ रहा गन्धाय |
पूरी कौम को कोढ़ी कर दें ,इनसे पिंड छुडाओ भाय |
ये कलंक पूरी दुनिया पर , इंका नामोंनिशा मिटाय |
अब ये दुनिया है नहीं इनकी ,अब ये और बसालें जाय |
पर इन्सान जहाँ होगा ,इनकी पेश पडेगी नॉय |
पंचो मैंने गलत कहा क्या ,झूठ साँच देना बताय |
जिसने इनको जन्म दिया है, वो पग की जूती कहलाय |
बहन खिलौने की वस्तु है , उनको कोठे दिया बिठाय |
हक़ जीने का नारी मांगे ,उसके सिर को रहे जुतियाय |
इनकी यह मर्दूमी देखो , यह इंका दमखम कहलाय |
मांग करेँ जो हक़ अपने की , उसकी खिल्ली दे उडाय |
उसको झांसे दे दे कर ही अब तक उसको भोगे जाय |
नीलामी की यह वस्तु है , इनके मनकी समझें नॉय |
लेकिन पंचो सुनना तुम भी , एक बात देऊँ बतलाय |
नारी जागी है तो देखो ,अब ये हक़ छोड़ेंगी नॉय |
अब ये इनके पग की जूती , और शो पीस बनेंगी नॉय|
मर्जादों की धमकी देकर , उसको रोक सकोगे नॉय |
यह प्रतिबंध हटाना होगा , इनकी शक्ति लेओ परचाय |
शोर शराब नहीं है केवल , पक्की बात लीजियो लाय |
अब ये नहीं कोई पूजा वस्तु ,धर्म कर्म की नहीं परवाय |
एक बराबर मानव शक्ति ,एक को छोटा दिया बताय |
अब यह चालाकी नहीं होगी , सुनियो सजनो ध्यान लगाय |
शोषित पीड़ित जनता की, जो मैं कथा रहा बतलाय |
इतनी लाम्बी कथा है पंचो ,एक एक चीज सुनोगे नॉय |
ना ये किस्सा तोता मैना , ना राजा -रानी की बात |
शोषित पीड़ित जनता की ही ,मैंने आज बताई बात |
नाले के कीड़े सी दुर्गत ,मानुष छोले की हों जाय |
श्रम शक्ति के दुरूपयोग से ,बेडा कैसे पार लगाय |
मानव श्रम को बिन पहचाने , देश रसातल को हों जाय |
गाँधी उनको कम न आया ,अर्थ शाश्त्र को घुन खाय |
मैं पूछूं नेता लोगों से , पहन जो खद्दर रहे इतराय |
कुर्सी जिंका धर्म हों गयी , जनता पडों कुंए में जाय |
कब तक वो देंगे भाषण ही, कब तक वादों की भरमार |
बहुत दिनों की बात नहीं अब , मेहनतकश हों रहे त्यार |
उनके हाथ दरांती अपनी ,और हथोडा रहे उठाय |
लस्सी और कुदाली उनकी ,हाथ बसूला पहुंचा आय |
तैयारी पूरी है उनकी ,अब वो एक लेंय बनाय |
तब मैं आऊंगा और पूछूं ,अब क्यों छुपे किले में जाय |
कहाँ गयी बन्दूक दुनाली ,क्या तलवार गयी बल खाय |
फ़ौज ,पुलिस सब अपने भाई , वो भी शामिल हों जा आय |
वो दिन होगा सज्जनों अपना , वे जल्दी ही पहुंचे आय |
तब तुम सुनना लोकगीत भी , ढोल मजीरा तभी सुहाय |
सही राम
सेठों की यह भरै तिजोरी, लूट को उनकी रहा छुपाय।
बैंक लुटाए, खनिज लुटाए, दौलत सारी रहा लुटाय।
रेल भी बेची, तेल भी बेचा, सेल की तख्ती रहा लगाय।
सब संपत्ति सेठ की झोली, लालच फिर भी मिटता नाय।
फिर खेती पर नजर लगी तो बोला यह भी क्यूं बच जाए।
माल बहुत है इसमें प्यारे, यह भी हमको देओ दिलाय।
खेत किसानी खत्म करो तुम, भूख को दो व्यापार बनाय।
कोई भी प्रपंच रचो तुम, बस मांग हमारी देओ पुगाय।
ढ़ोंगी और प्रपंची राजा, फिर दिया उसने ढ़ोंग रचाय।
मेरा चमत्कार तुम देखो,देऊं ऐसा मैं स्वांग रचाय।
करैं भरोसा सब मुझपर, मैं ऐसा देऊं जाल फैलाय।
अनदाता की आमद दुगनी, बस चुटकी में यूं हो जाय।
इसी ढ़ोंग की आड़ में उसने अपना जाल दिया फैलाय।
संसद उसकी, सत्ता उसकी, बैठ गया वो घात लगाय।
खेत भी उनके, फसलें उनकी, सेठों को मैं लेऊं रिझाय।
मंडी उनकी ,भाव भी उनके, गल्ला सब उनका हो जाय।
तभी कहर टूटा कुदरत का, दुनिया गयी सनाका खाय।
महामारी की आफत आयी, उसने दिया फरमान सुनाय।
घर में रहना ही अच्छा है, आपस में तुम मिलियो नाय।
कभी बजावै ताली-थाली और दीया-बाती रहा कराय।
मजदूरों की गयी मजूरी, धंधा सब चौपट हो जाए।
दुख मारी जनता रोयी, लोगों ने दी जान गवाए।
उसको फिकर रही सेठों, जनता की कुछ सुनता नाय।
विपदा को अवसर में बदलो, हांक यही बस रहा लगाय।
जनता को विपदा ने मारा, पर उसने अवसर लिया बनाय।
पहले हक मारा मजूर का, सेठों का दिया दास बनाय।
खेत-किसानी पर फिर झपटा, मौका उसने छोड़ा नाय।
ढोंग रचाया, स्वांग रचाया, मीठी बातें रहा बनाय।
शीश नवा कर, बात बना कर, मैं दूंगा सबको भरमाय।
लेकिन शैतानी चेहरा वो अनदाता से छुपता नाय।
भरम का पर्दा फाड़ के उसने दिनी यह हुंकार लगाय।
भोला-भाल हूं मैं बेशकं, पर हक अपना छोड़ूंगा नाय।
हक अपने की खातिर फिर वह दिल्ली बॉडर पंहुचा आय।
उस बॉडर पर बेटे बैठे, इस पर बैठ गया खुद आय।
जय जवान और जय किसान का नारा सच्चा दिया बनाय।
जालिम भी तो जालिम ही था, उसमें दया-धर्म कुछ नाय।
छेड़ दिया प्रचार पुराना, झूठा राग रहा सुनवाय।
देशद्रोही और बिचौलिए, सब खालिस्तानी रहा बताय।
खाए और अघाय कहता, कहता दुश्मन रहा भरमाय।
बाहरी मदद पंहुचती उनको, वे किसान बिल्कुल भी नाय।
चैनल-चैनल बात चलायी, झूठी बातें दी फैलाय।
फिर भी पेश गयी उसकी, किसान का निश्चय टूटे नाय।
काले है कानून तुम्हारें, जब तक रद्द करोगे नाय।
एम एस पी पर फसल हमारी, जब तक खरीद करोगे नाय।
हम बैठे हैं इस बॉडर पर, हमको हटा सकोगे नाय।
पाला मांड दिया बैरी ने, पीछे हमको हटना नाय।
राजाजी संग सेठ-ब्यौपारी, प्रजा इधर जुटी है आय।
जीत हमारी होगी निश्चित, अब दीनी ललकार लगाय।
ऐसी यह हुंकार लगायी, थर-थर बैरी है थर्रराय।