तीजां का त्यौहार
लाल चूंदड़ी दामन काला ,झूला झूलन चाल पड़ी।
कूद मारकै चढ़ी पींग पै ,देखें सहेली साथ खड़ी ।
झोटा लेकै पींघ बधाई , हवा मैं लाल चूंदड़ी लहराई
ऊपर जाकै तले नै आई , उठें दामण की झाल बड़ी।
पींघ दूगनी बढ़ती आवै, घूंघट हवा मैं उड़ता जावै
झोटे की हींग बढ़ावै ,बाजैं पायां की ये छैल कड़ी ।
मुश्किल तैँ आयी तीज, फुहारां मैं गयी चूंदड़ी भीज
नयी उमंग के बोगी बीज, सुख की देखि आज घड़ी।
रणबीर पिया की आई याद , झूलन मैं नहीं आया स्वाद
नहीं किसे नै सुनी फ़रियाद आंसूआं की या लगी झड़ी।
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