तीन कानून बणाकै यो किसान धरती कै मारया हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
1.
बुलध और गाड्डी पड़े बेचने ट्रैक्टर की मार पड़ी हे
हम एकले कोण्या म्हारे जिसां की लार खड़ी हे
एमएसपी का जिकरा ना जी हुया घणा खारया हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
2.
लागत खेती की बढ़गी म्हारा ख़र्चा ख़ूब होवै हे
तीन बिल ये पास करे जिनका चर्चा ख़ूब होवै हे
म्हारी गेल्याँ कोये चर्चा ना देख्या ईसा नजारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
3.
भैंस बाँध ली दूध बेचां यो दिन रात एक करां
तीन हज़ार भैंस बीमारी के डॉक्टर जी कै गए घरां
सिर पै कर्जा तीस हज़ार टूट्या पड़या यो ढारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
4.
बालक म्हारे धक्के खावैं इण ताहिं रोजगार नहीं
छोरी भी बिन ब्याही रहगी बिन दहेज़ कोए तैयार नहीं
छोरे हांडैं गालां मैं घरक्याँ का चढ़ज्या पारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
5.
पशू पालां करैं सिलाई दिन रात करैं हम काले
खुभात फालतू बचत नहीं ये हुए कसूते चाले
किसान यूनियनां नै लाया इंकलाब का नारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
6.
किसान मज़दूर छोटे व्यापारी पै नज़र धरी बुरी हे
तीन बिलां के खिलाफ सांझा संघर्ष सही धुरी हे
रणबीर बरोनिया दिल तैं यो गीत बनाया थारा हे॥
कारपोरेट सिर पै बिठाए उधम मचाया भारया हे॥
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