जो आया दुनियां के म्हां उनै पड़ै लाजमी जाणा हो।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।1
बीर मरद तै हो उत्पत्ति या जाणै दुनिया सारी सै
पांच भूत के योग तै या कहते बणी सृष्टि म्हारी सै
या तासीर खास योग की जीव मैं होवै न्यारी सै
मिजाज जिब बिगड़ै योग का जीव नै हो लाचारी सै
इसकी गड़बड़ मैं मौत कहैं हो बन्द सांस जब आणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
2
पहले जनम मैं जिसे करे कहैं इस जनम मैं निबटै
इस जनम मैं जिसे करे कहैं अगले के म्हां लिपटै
दोनों बात गलत लागै क्यों ना इसका इसमें सिमटै
साहमी हुए की चिन्ता ना क्यों बिना हुए कै चिपटै
इसे जनम का रोला सारा बाकी लागै झूठा ताणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
3
मनुष्य सामाजिक जीव कहैं बिन समाज डांगर होज्या
लेकै समाज पै चाहिये देणा बिन इसके बांदर होज्या
माली बिना बाग और खेती बिन पाणी बांगर होज्या
मरकै कोए ना आया उलटा जलकै पूरा कांगर होज्या
साइंस नै बेरा पाड़ लिया ईब छोड्डो ढंग पुराणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
4
आच्छे भूण्डे करमां करकै या दुनिया हमनै याद करै
या गुणी के गुण गावै आड़ै पापी कंस की यादे तिरै
यो शरीर जल बणै कारबन प्याराकर कर याद मरै
मेहर सिंह फौजी बरोने का रणबीर करता याद फिरै
करमां आला ना मरै कदे ना पाले राम का गाणा हो।।
सुरग नरक किसनै देख्या बस होसै फरज पुगाणा हो।।
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