आम तौर पर चुनाव के वक्त बहुत वायदे किये जाते हैं ।
मगर चुनाव के बाद हालात बदल जाते हैं ।
क्या बताया इस रागनी में-------
बणे पाछै ना कोये बूझै कित का कौण बतावैं ।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
ईब तलक तो बूझे ना आज याद आई सै म्हारी
गली गली मैं घूमै सै मंत्री जी की ईब महतारी
म्हणत लूट ली सै सारी म्हारे चक्कर खूब कटावैं।
पीसा दारू जात गोत का देख्या चाल्या दौर आड़ै
असली मुद्दे पाछै रैहगे असनायी नै पकड़या जोर आड़ै
म्हारा बनाया मोर आड़ै जा चंडीगढ़ मैं मौज उड़ावैं।
परवाह नहीं करते फेर म्हारी पढ़ाई और लिखाई की
बालकपन मैं बूढ़े होज्यां हमनै खावै चिंता दवाई की
ना सोचें म्हारी भलाई की उलटे हमपै इल्जाम लगावैं।
नित करते ये कांड हवाले समाज कति दबोया क्यों
म्हारी आह उटती ना माफ़ उनका कत्ल होया क्यों
साच हमतैं ल्हकोया क्यों ये सपने झूठे घणे दिखावैं।
रणबीर
मगर चुनाव के बाद हालात बदल जाते हैं ।
क्या बताया इस रागनी में-------
बणे पाछै ना कोये बूझै कित का कौण बतावैं ।
जनता जाओ चाहे धाड़ कै घर अपना भरते जावैं।
ईब तलक तो बूझे ना आज याद आई सै म्हारी
गली गली मैं घूमै सै मंत्री जी की ईब महतारी
म्हणत लूट ली सै सारी म्हारे चक्कर खूब कटावैं।
पीसा दारू जात गोत का देख्या चाल्या दौर आड़ै
असली मुद्दे पाछै रैहगे असनायी नै पकड़या जोर आड़ै
म्हारा बनाया मोर आड़ै जा चंडीगढ़ मैं मौज उड़ावैं।
परवाह नहीं करते फेर म्हारी पढ़ाई और लिखाई की
बालकपन मैं बूढ़े होज्यां हमनै खावै चिंता दवाई की
ना सोचें म्हारी भलाई की उलटे हमपै इल्जाम लगावैं।
नित करते ये कांड हवाले समाज कति दबोया क्यों
म्हारी आह उटती ना माफ़ उनका कत्ल होया क्यों
साच हमतैं ल्हकोया क्यों ये सपने झूठे घणे दिखावैं।
रणबीर
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