Wednesday, 14 June 2017

मेहर सिंह

मेहर सिंह एक दिन मोर्चे पर लेटे लेटे सोचता है। क्या बताया भला ््
अंग्रेजां नै घणे जुल्म ढाये अपणा राज जमावण मैं ।
फूट गेरो राज करो ना वार लाई नीति अपनावण मैं ।
किसानों पर घणे कसूते अंग्रेजों नै जुल्म कमाये थे
कोल्हू मैं पीड़ पीड़ मारे लगान भी उनके बढ़ाये थे
जंगलां की शरण लिया करते ये पिंड छुटवावण मैं ।
मजदूरों को बेहाल करया ढाका जमा उजाड़ दिया
मानचैस्टर आगै बढ़ा जलूस ढाका का लिकाड़ दिया
ढाका की आबादी घटी माहिर मलमल बणावण मैं।
ठारा सौ सतावन की जंग मैं  देशी सेना बागी होगी
अंग्रेजां के हुए कान खड़े या चोट कसूती लागी होगी
आजादी की पहली जंग लड़ी गयी थी सत्तावण मैं।
युवा घने सताए गोरयां नै सारे रास्ते लांघ दिए देखो
भगत सिंह राजगुरु सुखदेव ये फांसी टांग दिए देखो
रणबीर सिंह करै कविताई या जनता जगावण मैं।

No comments: