Tuesday, 2 August 2016

राजा और रानी के किस्से कब तक???


किसे और की कहानी कोन्या, इसमैं राजा रानी कोण्या
अपनी बात सै बिरानी कोण्या, थोड़ा दिल नै थाम लियो।
यारी घोड़े घास की भाई, नहीँ चले दुनिया कहती आई
बाहूँ और बोऊँ खेत मैं, बालक रूलते मेरे रेत मैं
भरतो मरै मेरी सेत मैं ,अन्नदाता का मत नाम लियो ।
जमकै लूटै मण्डी हमनै, बीज खाद महंगा मिलै सबनै, 
मेहनत लुटै मजदूर किसान की,आँख फूटी भगवान की
भरै तिजूरी क्यों शैतान की,देख सभी के काम लियो।
छियासठ साल की आजादी मैं, कसर रही ना बर्बादी मैं
बालक म्हारे सैं बिना पढ़ाई, मरैं बचपन मैं बिना दवाई
कड़ै गई म्हारी कष्ट कमाई , झूठी हो तै लगाम दियो।
शेर बकरी का मेल नहीं, घणी चालै धक्का पेल नहीं
आपा मारें पार पड़ैगी धीरे, मेहनतकश रूपी जितने हीरे
बजावैं जिब मिलकै ढोल मंजीरे, रणबीर का सलाम लियो

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