एक फौजी ने 1971 की लड़ाई में शहादत दी थी। सउसके परिवार ने इन सालों में क्या भुगता है यह ईस परिवार के सदस्य ही जानते हैं । दो तीन बार उसकी विधवा को अपने खुद के इलाज के लिए सरकारी बड़े अस्पताल के दरवाजे से अपना सा मुँह लेकर लौटना पड़ा। जब कारगिल की लड़ाई
की खबर उस महिला तक पहुँचती है तो वह सिहर उठती है और क्या सोचने लगती है भला-
टेक -
ये जंग क्यों होते दुनिया मैं नहीं पाट्या सै तोल कति
दूश्मणी तै ये खूब निभा दें या यारी का नहीं मोल कति
नब्बे करोड़ भूखी जनता क्यों दीखै किसे नै देस
इनकी खातर दिल म्हारे मैं क्यों प्यार का सै लेश नहीं
राजे राजे एकसे बताये क्यों दीखता इनका फेस नहीं
जंग के कारण के सैं क्यों यो जंग का मिटता क्लेश नहीं
कुर्सी बचावण का रोला सै या धरदी आज खोल कति
दुश्मनी -------
2
हथियारां पै जो खरचा होवै यो खर्चा शिक्षा पै ना होंता
बिना बात के खरच नै मानस हांडै जीवन भर ढोंता
मुनाफाखोर न टिकन दे औरां नै ना खुद सुख तैं सोंता
लूट खसोट रहवै मचान्ता साहमी झूठ मूठ का रोन्ता
मिलावट करै मानस मारै दे देश प्रेम नै घोल कति
दुश्मनी------
3
देश आजाद कराया हमनै फांसी का फन्दा चूम गये
म्हारे होंसले कै आगै मुँह गोरयां की तोपां के घूम गये
गोरे दिये भजा आड़े तैं ये काले हो नशे मैं झूम गये
आजाद देश के सपने म्हारे आज चाट क्यों धूल गये
देश प्रेम का मतलब के सै दीखै खुलगी पोल कति
दुश्मनी -----
4
मेरे देश के भाईयो बताओ के मकसद कुरबानी का
देश आजाद रहवै कहते मत करो काम नादानी का
म्हारी खातर देश प्रेम पर खुद सै काम सैलानी का
हम आह भरें बदनाम होज्यां माफ़ कत्ल खानदानी का
रणबीर सुनता हो तै जवाब दिए करती ना मख़ौल कति
दुश्मनी -----------
(कई साल पहले की रचना है )
की खबर उस महिला तक पहुँचती है तो वह सिहर उठती है और क्या सोचने लगती है भला-
टेक -
ये जंग क्यों होते दुनिया मैं नहीं पाट्या सै तोल कति
दूश्मणी तै ये खूब निभा दें या यारी का नहीं मोल कति
नब्बे करोड़ भूखी जनता क्यों दीखै किसे नै देस
इनकी खातर दिल म्हारे मैं क्यों प्यार का सै लेश नहीं
राजे राजे एकसे बताये क्यों दीखता इनका फेस नहीं
जंग के कारण के सैं क्यों यो जंग का मिटता क्लेश नहीं
कुर्सी बचावण का रोला सै या धरदी आज खोल कति
दुश्मनी -------
2
हथियारां पै जो खरचा होवै यो खर्चा शिक्षा पै ना होंता
बिना बात के खरच नै मानस हांडै जीवन भर ढोंता
मुनाफाखोर न टिकन दे औरां नै ना खुद सुख तैं सोंता
लूट खसोट रहवै मचान्ता साहमी झूठ मूठ का रोन्ता
मिलावट करै मानस मारै दे देश प्रेम नै घोल कति
दुश्मनी------
3
देश आजाद कराया हमनै फांसी का फन्दा चूम गये
म्हारे होंसले कै आगै मुँह गोरयां की तोपां के घूम गये
गोरे दिये भजा आड़े तैं ये काले हो नशे मैं झूम गये
आजाद देश के सपने म्हारे आज चाट क्यों धूल गये
देश प्रेम का मतलब के सै दीखै खुलगी पोल कति
दुश्मनी -----
4
मेरे देश के भाईयो बताओ के मकसद कुरबानी का
देश आजाद रहवै कहते मत करो काम नादानी का
म्हारी खातर देश प्रेम पर खुद सै काम सैलानी का
हम आह भरें बदनाम होज्यां माफ़ कत्ल खानदानी का
रणबीर सुनता हो तै जवाब दिए करती ना मख़ौल कति
दुश्मनी -----------
(कई साल पहले की रचना है )
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