Monday, 27 April 2015

दिल्ली आल्यो

दिल्ली आल्यो
गिणकै दिये सैं बोल तीन सौ साठ दिल्ली आल्यो
यो दुखी किसान देखै थारी बाट दिल्ली आल्यो
ज्यान मरण मैं आरी क्यों तम गोलते कोन्या 
या फसल हुई बर्बाद क्यों तम तोलते कोन्या 
कति बोलते कोन्या बनरे लाट दिल्ली आल्यो
इसी नीति अपनाई किसान यो बर्बाद करया
घर उजाड़ कै म्हारा अडाणी का आबाद करया
घना यो फसाद करया तोल्या घाट दिल्ली आल्यो
म्हारे बालक सरहद पै अपनी ज्यान खपावैं
थारे घूमैं जहाझयां मैं म्हारे खेत मैं धक्के खावैं
भूख मैं टीम बितावैं थारे सैं ठाठ दिल्ली आल्यो
धरती म्हारी खोसण की क्यों राह खोल दई
गिहूं धान क्यों म्हारी बिकवा बिन मोल दई
मचा रोल दई गया बेरा पाट दिल्ली आल्यो
रणबीर
27.4.2015

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