हरियाणा के समाज मैं
किसानां की मर आगी हरियाणा के समाज मैं ॥
धरती जरूरी जागी हरियाणा के समाज मैं ॥
रैहवण नै मकान कड़ै खावण नै नाज नहीं
पीवण नै पाणी कड़ै बीमारी का इलाज नहीं
महँगाई जमा खागी हरियाणा के समाज मैं ॥
कपास पीटी धान पीट दिया गेहूं की बारी सै
सल्फास की गोली खा मरां हुई या लाचारी सै
या किसानी दुःख पागी हरियाणा के समाज मैं ॥
बदेशी कंपनी कब्ज़ा करगी ये हिन्दुस्तान मैं
लाल कालीन बिछाए किसनै इनकी शान मैं
इतनी घनी क्यों भागी हरियाणा के समाज मैं ॥
खेती म्हारी बर्बाद होगी उनकी आँख मींचगी
नाड़ म्हारी पाई तलवार उनकी क्यों खींचगी
रणबीर की छंद छागी हरियाणा के समाज मैं ॥
किसानां की मर आगी हरियाणा के समाज मैं ॥
धरती जरूरी जागी हरियाणा के समाज मैं ॥
रैहवण नै मकान कड़ै खावण नै नाज नहीं
पीवण नै पाणी कड़ै बीमारी का इलाज नहीं
महँगाई जमा खागी हरियाणा के समाज मैं ॥
कपास पीटी धान पीट दिया गेहूं की बारी सै
सल्फास की गोली खा मरां हुई या लाचारी सै
या किसानी दुःख पागी हरियाणा के समाज मैं ॥
बदेशी कंपनी कब्ज़ा करगी ये हिन्दुस्तान मैं
लाल कालीन बिछाए किसनै इनकी शान मैं
इतनी घनी क्यों भागी हरियाणा के समाज मैं ॥
खेती म्हारी बर्बाद होगी उनकी आँख मींचगी
नाड़ म्हारी पाई तलवार उनकी क्यों खींचगी
रणबीर की छंद छागी हरियाणा के समाज मैं ॥
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