820
बैर क्यों ?
इसी कोए मिशाल भाई कदे दुनिया मैं पाई हो।
हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई हो।।
राम रहिम नानक ईसा ये तो दीखैं नर्म देखो
चमचे इनके हमेश पावैं पतीले से गर्म देखो
याद हो किसे कै बस्ती कदे राम नै जलाई हो।।
हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई हो।।
ब्रूनो मारया मारया धर्म की इस राड़ नै
किसे धर्म सैं जित रूखाला खुद खा बाड़ नै
एक दूजे की मारी मारी किसे धर्म नै सिखाई हो।।
हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई हो।।
घरां मैं बुढ़ापा ठिठरै मजार पै चादर चढ़ावैं
बिकाउ सैं जो खुद वे म्हारी कीमत लगावैं
खड़े मंदिर मस्जिद सूने बस्ती दे वीरान दिखाई हो।।
हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई हो।।
सूरज हिन्दू चन्दा मुसिल्म तारयां की के जात
किसकी साजिश ये बिचारे क्यों टूटैं आधी रात
रणबीर धर्म पै करां क्यों बिन बात लड़ाई हो।
हिन्दु के घर मैं आग खुद कदे खुदा न लाई हो।।
821
बदेशी पूंजी जो हम ल्याण लागरे
नकेल बिना बदेशी पूंजी देश मैं धुम्मा ठा देगी।।
खान जल जंगल जमीन सबनै चूसकै बगा आरडीदेगी।।
सौ रुपये लगावैगी तो पांच हजार लूटकै लेज्यागी
खून पसीने की कमाई नै बैरण चूट कै लेज्यागी
अमीर गरीब की खाई या दिन ब दिन बढ़ा देगी।।
नकेल बिना........
अपणे दलाल बणा कै गामां ताहिं या पहोंच गई
कर दारू नशे तैँ हमला इज़्ज़त म्हारी नोच लई
पोर्नोग्राफी मोबाईल मैं घर घर मैं पहोंचा देगी।।
नकेल बिना ......
मुठ्ठी भर नै देकै नौकरी पालतू पशु बनावैं सैं
जात पात पै बाँट कै कारपोरेट मौज उड़ावैं सैं
दंगे करवाकै देश मैं मानस घणे मरवा देगी।।
नकेल बिना .......
गरीब और गरीब होवें अमीरां की चाँदी होज्यागी
देश की घनखरी जनता या इसकी बांदी होज्यागी
कहै रणबीर भका भका कै म्हारै सांस चढ़ा देगी।।
17 मई 2015
822
एक बख्त इसा आवैगा ईब किसान तेरे पै।
राहू केतू बणकै चढ़ज्यां ये धनवान तेरे पै।।
म्हारी कमाई लूटण खातर झट धेखा देज्यां रै
भाग भरोसे बैठे रहां हम दुख मोटा खेज्यां रै
धरती घर कब्जा लेज्यां रै बेइमान तेरे पै।।
सारी कमाई दे कै भी ना सूद पटै तेरा यो
ठेठ गरीबी मैं सुणले ना बख्त कटै तेरा यो
करैगा राज लुटेरा यो फेर शैतान तेरे पै।।
ध्रती गहणै धर लेंगे तेरी सारी ब्याज ब्याज मैं
शेर तै गादड़ बण ज्यागा तू इसे भाजो भाज मैं
कौण देवै फेर इसे राज मैं पूरा ध्यान तेरे पै।।
इन्सानां तै बाधू ओड़े डांगर की कीमत होगी
सरकार फिरंगी म्हारे देश मैं बीज बिघन के बोगी
अन्नदाता नै खागी ना बच्या ईमान तेरे पै।।
सही नीति और रस्ता हमनै ईब पकड़ना होगा
मेहनत करने आले जितने मिलकै लड़ना होगा
हक पै अड़ना होगा यो भार श्रीमान तेरे पै।।
मेहनतकश नै बी हक मिलै इसी आजादी चाहिये
आबाद होज्या गाम बरोना ना कति बर्बादी चाहिये
रणबीर सा फरियादी चाहिये जो हो कुर्बान तेरे पै।।
823
याहे दुनिया
जोसै वो सै इस दुनिया मैं जानल्यां हम सच्चाई नै।
बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।
आज की दुनिया का अपना एक इतिहास बताया
झूठे कामचोरों नै अपना यो मुखौटा न्यारा बनाया
साच झूठ मैं जंग होती, कुदरत नै पाठ पढ़ाया
साच छिप नहीं सकती, झूठ की हो नश्वर काया
पदार्थ तै बनी दुनिया, समझां विद्वानां की लिखाई नै।।
बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।
पदार्थ के कई गुण सैं, हर बख्त गतिमान रहै
कदे नष्ट नहीं हो सकता, दुनिया का विद्वान कहै
परिवर्तनशीलता गुण सै, न्यां साइंसदानकहै
वैज्ञानिक सोच जिसकी उनै गुणां की पहचान रहै
पदार्थ का ज्ञान लेना हो सरतो चमेली भरपाई नै।।
बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।
या दुनिया कुदरत के नियमां के हिसाब मैं चलती
माणस करै छेड़खानी तो आंख कुदरत की बलती
जै नियमां का पालन हो कुदरत साथ म्हारे रलती
इसको नष्ट करता बाजार या बात इसकै खलती
बाजार नै माणस लूटे, लूटी कुदरत अन्याई नै।।
बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।
विज्ञान नै कुदरत की सच्चाई के भेद खोल दिये
मानव श्रम करै दौलत पैदा लगा सही तोल दिये
वैज्ञानिक सोच उफंचा गुण सै बता सच्चे बोल दिये
इस सोच के दम पै देखो पाप के हांडे फोड़ दिये
रणबीर बरोने आला समझै विज्ञान की गहराई नै।।
बाकी बात झूठ सारी नहीं आवां किसे की भकाई मैं।।
824
कहानी घर घर की--नौकरानी की नजर से
मरे गरीबी के बोझ तलै , तेरी बी ना कोए पार चलै
अमीरी हमनै रोज छलै , शरीर को कसूत सताऊँ मैं ||
दो घरों में जाकै मैं करूँ यो पूरा काम सफाई का
एक घर डाक्टर का सै दूजा घर वकील अन्यायी का
दोनों घरों का के जिकरा सै , मेरे पै ना कोए फिकरा सै
ख़राब सबका जिगरा सै , पेट पकड़ बैठे दिखाऊँ मैं ||
वकील साहब की वकालत बस इसी चलती बतावें
ओला बोला पीसा उन धौरे धंधा कई ढाल का चलावैं
घर मैं पीटता घरआली नै , बाहर देखो शान निराली नै
बेटा ठाएँ हाँडै दुनाली नै , के के सारी खोल सुनाऊँ मैं ||
डाक्टरनी दुखी कई बर बैठी रोंवती वा पाई बेबे
शौतन का दुःख झेल रही कई बै चुप कराई बेबे
बड्डी कोठ्ठी पर दिल छोट्टे, बाहर शरीफ भित्तर खोट्टे
कुछ तो अकल के बी मोट्टे , कई बै अंदाज लगाऊं मैं ||
घूर घूर कै देखै मने ना डाक्टर का एतबार बेबे
उसकी आँख्यां मैं दीखे यो शैतान हरबार बेबे
डाक्टर का घर छोड़ दिया , तीजे घर मैं बिठा जोड़ लिया
काढ मने यो निचोड़ लिया रणबीर यो बख्त पुगाऊँ मैं ..
825
एक महिला की मई दिवस के मौके पर दास्तान । क्या कहती है वह भला:-
बेरोजगार बेटी की जिंदगानी दुखी घणी संसार मैं।।
बेटा मेरा फिरै सै भरमता नौकरी की इंतजार मैं।।
1
म्हारी गेल्याँ के बनरी होन्ती नहीं कितै सुनाई हे
घरां बाहर जुल्म नारी पै जड़ बिघणां की बताई हे
शरीर पै नजर गड़ाई हे इस पुरुषवादी संसार मैं।।
2
बिना नौकरी पति पत्नी उल्टे काम पड़ें करने हे
घर आले मारैं तान्ने कानां होज्यां डाटे भरने हे
ये सूकगे बहते झरने हे आपस की तकरार मैं।।
3
म्हारी गेल्याँ भुंडी बणै किसे नै बता नहीं पावां
गरीबी की या मार कसूती चुपचाप सहते जावां
दिन रात ज्यान खपावां ना हो खबर अखबार मैं।।
4
घणे दुखी सां ब्याह पाछै हम दोनूं घर के धौरी
बिना काम बैठे सैं ठाली आज घणी दुर्गति होरी
दोनूं दुखी छोरे छोरी रणबीर सरतो के परिवार मैं ।।
826
मई दिवस एक मई नै दुनिया मैं मनाया जावै।।
दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।
1
लड़ी मजदूरां नै कट्ठे होकै दुनियां मैं लड़ाई बेबे
लाल झण्डा रहवै सलामत छाती मैं गोली खाई बेबे
पूरी एकता दिखाई बेबे यो एहसास कराया जावै।।
दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।
2
दी शहादत मजदूरां नै अपने हक लेने चाहे थे
कई सौ मजदूर कट्ठे होकै शिकागे के मैं आये थे
एकता के नारे लाये थे म्हारा हक नहीं दबाया जावै।।
दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।
4
समाजवाद की दुनियां मैं नई सी एक लहर चली
चीन साथ वियतनाम या हर गली और शहर चली
दिन रात आठ पहर चली इतिहास मैं बताया जावै।।
दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।
5
उस दिन तै मजदूर दिवस मेहनत कश मणाण लगे
मजदूर एकता जिन्दाबाद सुण मालिक घबराण लगे
रणबीर सिंह गीत बणाण लगे एक मई नै गाया जावै।।
दुनिया के मजदूरो एक हो नारा यो लगाया जावै।।
827
एक मई नै मजदूर बतलाए उत्थल पुत्थल रहवै जारी।।
अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।
1
बेरोजगारी नहीं आवै काबू या ऊधम घणा मचावैगी
शहर गाम घर घर मैं या अपने भूंडे असर दिखावैगी
सही विकास राही ना पकड़ी या सांस चढ़ावै भारी।।
अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।
2
मजदूरों की जिंदगी पै हमला ईब घणा जबर करैंगे
दिहाड़ी ऊपर चला चाकू अमीर अपनी तिजौरी भरैंगे
बढ़ैंगे संघर्ष देश के मैं यो इंकलाब नारा लेवैगा उभारी।।
अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।
3
किसानों नै देकै बतौले शाशक न्योंये भकाएँ राखैंगे
जीवण देवैं ना ये मरण देवैं बस न्योंये दबाएँ राखैंगे
जात पात भूल कै करनी हो आज बड़े मंच की तैयारी।।
अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।
4
यो सत्ता तंत्र लठ तंत्र तैं रणबीर रोजाना फतूर मचावैगा
संघर्ष किसान और मजदूर का लाठी गोली तैं दबावैगा
आज पूरे हिंदुस्तान की जनता सड़कों के ऊपर आरी।।
अमीर गरीब की बढ़ती खाई ना बसकी रहवै म्हारी।।
01.05.2024
828
एक मई नै हटकै कसम खावां खत्म हुई सै लड़ाई कोन्या
मजदूर किसान लूट लिए सरकार चाहती भलाई कोन्या
1
चार मई ठारा सौ छियासी मैं शिकागो मैं हुई थी लड़ाई
भिडंत हुई कई मजदूर पुलिसिया नै अपनी ज्यान खपाई
विरोध आंदोलन पै हमला मजदूरों कै हुई समाई कोन्या।।
2
उस चार मई के संघर्ष की याद मैं एक मई मनाया जावै
मजदूर संघर्ष का इतिहास जन जन तक पहोंचाया जावै
मजदूर मालिक का संघर्ष मजदूरों नै पाछै कदम हटाई कोन्या।।
3
होज्यावांगे कुर्बान नहीं झुकां नयूं मिलकै कसम खावां
मेहनतकश के संघर्ष की आज आवाज पूरे देश मैं
लेज्यावां
अडानी अंबानी की सुनै सरकार करै म्हारी सुनाई कोन्या।।
4
लूटें हमनै हितैषी बनकै आंख आज म्हारी खुलगी भाई
धर्म जात गोत पै बांटकै लूटो थारी बानगी मिलगी भाई
रणबीर सिंह झूठे वायदे थारे चाहते म्हारी भलाई कोन्या।।
829
शिकागो मैं चार मई ठारा सौ नवासी मैं मीटिंग गई बुलाई।।
मजदूरों के संगठनों नै हो कट्ठे संघर्ष की उड़े बिगुल बजाई।।
1
एक मई ठlरा सौ छियासी अमरीका मैं इननै बिगुल बजाया
पुलिस नै चला गोली आंदोलन को चाहया तत्काल दबाया
कई मजदूर घायल होगे कइयां नै उड़े अपनी ज्यान
खपाई।।
2
तीन साल बाद रंग अपना इस आंदोलन नै दिखाया फेर
अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन था गया बुलाया फेर
रोजाना आठ घंटे काम लिया जावै या थी मांग उठाई।।
3
एक मई नै मजदूर दिवस यो हर साल इब जावैगा मनाया
इस दिन की छुट्टी होवैगी यो फैसला मिलकै किया बताया
मजदूरों नै इस तरियां देखो दुनिया मैं इतिहास बनाई।।
4
आज भी पूरी दुनिया मैं एक मई दिवस जारया सै मनाया
मजदूर एकता जिंदाबाद नारा दुनिया मैं जारया सै
गुंजाया
रणबीर सिंह नै इसपै आज हटकै अपनी कलम घिसाई।।
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