Friday, 29 November 2024

किस्सा सुभाष बोस

 किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

लेखक-- डॉ रणबीर सिंह दहिया 

सुभाष चंद्र बोस के पिता जानकीदास बॉस पिछली सदी 18वीं के 80 के दशक में उड़ीसा आए थे तथा वकालत के पेशे में खुद को स्थापित करके कटक में बस गए थे। वहीं 23 जनवरी सन 1897 दिन शनिवार को सुभाष बोस का जन्म हुआ। उनके पिता माही नगर के बॉस लोगों के वंशज थे जबकि सुभाष बोस की मां प्रभाबती बल्कि कहना चाहिए प्रभावती हटखोला के परिवार से आई थी। सुभाष बोस अपने माता पिता के छटवें पुत्र तथा कुल मिलाकर नौवीं संतान थे। सुभाष बोस का परिवार बहुत अमीर तो नहीं था पर एक खाता पीता मध्यवर्गीय परिवार अवश्य था। और इसलिए सुभाष बोस को कभी भी किसी भी किस्म के अभाव का सामना नहीं करना पड़ा । गरीबी क्या होती है यह सुभाष ने बचपन में नहीं जाना ।

सुभाष बोस से पहले का दौर:

अठाहरवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारत का शासन अंग्रेजों के हाथों में चले जाने के परिणामस्वरूप भारतीय समाज किस तरह की उथल-पुथल तथा परिवर्तनों से गुजरा होगा, इसका अनुमान लगा पाना इतना आसान नहीं था किसी के लिए भी।

मगर उसके बाद के दौर को समझने के लिए उस दौर को जानना भी जरूरी था ।

हिंदुस्तानी राजे रजवाड़ों की विदाई के साथ ही उनकी छत्र छाया पलने बढ़ने वाले जागीरदार तथा सामन्त भी जड़ों से उखड़ गए। इनका स्थान नई नौकरशाही ने ले लिया। व्यापार करने आये और शासक बन बैठे। परन्तु ये दोनों काम बिना भारत वासियों के एक हिस्से की मदद के यह सम्भव नहीं था। यह थी नौकरशाही।

किसानों पर तथा आम जनता पर अंग्रेजों के अत्याचार बढ़ते जाते हैं |

--जलियावाला कांड हुआ फिर रोलेट एक्ट की बात चली और गाँधी जी का भारत छोडो आंदोलन चला। अंग्रेजों के अत्याचार बढ़ गए। लोगों को जेलों में डाल दिया जाने लगा। उधर आजाद हिन्द फ़ौज का होंसला बनाये रखने के लिए बहुत सारी बातें सुभाष चन्दर बोस

फौजियों से करते हैं | अंग्रेजों के अत्याचारों के बारे फौजियों को जगरूक करते हैं । क़्या बताया भला ---

अंग्रेजों नै लूट मचाई यो चारों कूट रोला पड़ग्या।

एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।

1

घर बनाये तबेले देश मैं  रही माणस की खोड़ नहीं

जात पात पर भिड़वारे  आज जुल्मों  का औड़ नहीं

शोषण करैं  देश का इमान का जुलूस लिकड़ग्या।।

एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।

2

मेहनत करी लोगां नै विज्ञान नै राह दिखाया

या दुनिया बदल दई घणा खून पसीना बाहया

गोरयां  नै डाण्डी मारी भारत कति ए तै पिछड़ग्या ।।

एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।

3

न्याय की बात भूलगे नहीं ठीक करया बंटवारा

पांच सितारा होटल दूजे कान्ही यो फूटया ढारा

देश  की कमाई का मुनाफा अंग्रेजों कै बड़ग्या।।

एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।

4

रेडिओ पै सपने हमनै आज खूब दिखाये जावैं

रणबीर लालच देकै नै  पिठू आज बनाये  जावैं

डर आजादी की लड़ाई तैं गोरा और अकड़ग्या || 

एक दूजे के गल कटावैं राज पाट जमा सड़ग्या।।


2###

एक बार आजाद हिन्द फ़ौज में धर्मों को लेकर फौजियों में चर्चा होने लगी |  बात सुभाष चन्दर बोस तक पहुंचती है तो सुभाष बोस फौजियों से बात करते हुए कहते हैं:-

भारत जैसे देशों में और विशेषकर उन भारतीय परिवारों में जहां कि रूढ़िवादी, संकीर्ण, साम्प्रदायिक या जातीय  भेदभाव को बढ़ावा देने वाली सोच को महत्व दिया जाता है, वहां अक्सर देखा जाता है कि लोग उम्र या शरीर से भले ही बड़े हो जायें , यहां तक कि बड़ी बड़ी डिग्रीयां भी हासिल कर लें, किंतु तब भी दृष्टिकोण के मामले में , सोच के मामले में वे छोटे ही बने रहते हैं , उनकी बुद्धि विकसित नहीं हो पाती और इसलिए समय समय पर सामाजिक या पारिवारिक परंपराओं के विरुद्ध विद्रोह सामने आते हैं। और इसी मौके पर नेताजी

सुभाष बोस फौजियों से  एक बात द्वारा धर्म के बारे में क्या  पूछते हैं भला ---   


धरम के सै माणस का मनै कोण बताइयो नै।

माणस मारो लिख्या कड़ै मनै कोण दिखाद्यो नै।।

1

माणस तै मत प्यार करो कौणसा धरम सिखावै

सरेआम अत्याचार करो कौणसा धरम सिखावै

तम दारू का ब्यौपार करो कौणसा धरम सिखावै

रोजाना नर संहार करो कौणसा धरम सिखावै

धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझाद्यो नै।।

2

ईसरा राम और अल्लाह जिब एक बताये सारे रै

इनके चाहवण आले बन्दे क्यूं खार कसूती खारे रै

क्यों एक दूजे नै मारण नै एके जी हाथां ठारे रै

अमीर देस हथियार बेच कै खूबै मौज उड़ारे रै

बैर करो मारो काटो लिखै वो ग्रंथ भुलाद्यो नै।।

धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझाद्यो नै।।

3

मानवता का तत कहैं सब धरमां की जड़ मैं सै

प्रेम कुदरत का सारा सब धरमां की लड़ मैं सै

कदे कदीमी प्रेम का रिस्ता माणस की धड़ मैं सै

कट्टरवाद नै घेर लिया यो धरम जकड़ मैं सै

लोगां तै अरदास मेरी क्यूकरै इनै छटवाद्यो नै।।

धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझाद्यो नै।।

4

यो जहर तत्ववाद का सब धरमां मैं फैला दिया

कट्टरवाद घोल प्याली मैं सब तांहि पिला दिया

स्कीम बणा दंगे करे इन्सान खड़या जला दिया

बड़ मानवता का आज सब धर्मां नै हिला दिया

रणबीर रोवै खड़या इसनै चुप करवाद्यो नै।।

धरम क्यों खून के प्यासे मनै कोण समझाद्यो नै।। 


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3###

सुभाष बोस के पिता जानकी नाथ बोस अठाहरवीं सदी के अस्सी के दशक में उड़ीसा आये थे तथा वकालत के पेशे में खुद की स्थापित करके कटक में बस गए थे । वहीं 23 जनवरी , सन 1897, दिन शनिवार को बोस का जन्म हुआ। इनकी माता जी का नाम प्रभाबती थी। ये अपने माता पिता के छठवें पुत्र और नौवीं सन्तान थे।

सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन (23 जनवरी ) को याद करते हुए उनके पूरे जीवन और उनके संघर्ष  एक रागनी :- 


शत शत शत प्रणाम तनै आजाद हिंद फौज बनाई ।।

फिरंगी की ईसके दम पै तने ईंट तैं ईंट बजाई।।

1

छिहत्तर साल मौत नै  होगे  बेरा नहीं लग पाया 

इतिहास की किताबों मैं यो विमान हादसा बताया 

ठाराँ अगस्त नै मातम छाया खबर मौत की आई ।।

फिरंगी की ईसके दम पै तने ईंट तैं ईंट बजाई।।

2

कद हुई मौत ना बेरा फेर जिंदा तूँ म्हारे दिल मैं 

जिस आजादी खातिर लड़े हटकै फिर मुश्किल मैं

या नाग पुकारै बिल मै धर्म पै नफरत फैलाई ।।

फिरंगी की ईसके दम पै तने ईंट तैं ईंट बजाई।।

3

तेईस जनवरी का दिन हमेशा हमनै याद रहैगा 

दिल म्हारा इस दिन सुभाष बोस जिंदाबाद कहैगा 

जुल्म खिलाफ वो फहैगा जो सच्चा वीर सिपाही ।।

फिरंगी की ईसके दम पै तने ईंट तैं ईंट बजाई।।

4

तेरे सपन्यां का भारत आज तलक ना बन पाया 

मुट्ठी भर ऐस करैं बाकी मरे भूखा तिसाया

रणबीर नै अलख जगाया करकै तेरी कविताई  ।।

फिरंगी की ईसके दम पै तने ईंट तैं ईंट बजाई।। 


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4###

किस्सा सुभाष  चन्दर बोस

एक बार सुभाष बोस और लक्ष्मी सहगल के बीच बातचीत होती है कि आजादी के बाद हिन्दुस्तान का क्या नक्शा होगा ? 

कैसा हिंदुस्तान हम बनाना चाहते हैं तो सुभाष बोस कुछ देर सोचते हैं और अपने सपनों के भारत के बारे में बताते हैं | 

क्या बताया भला – 


लालच लूट खसोट बचै नहीं ईसा  हिन्दुस्तान बसावांगे।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

1

नई तरां का इन्सान उभरै नई तरां के म्हारे समाज मैं

नई बात और बोल नये कहं जां नये सुर और साज मैं

बीमारी टोही नहीं पावै विज्ञान नै लोक हित मैं लगावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

2

दोगली शिक्षा का खात्मा हो ज्ञान पिटारा यो इन्सान होज्या

नाड़ काट मुकाबला रहै ना एक दूजे का सम्मान होज्या

भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै इका नामो निशान मिटावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

3

मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै

लाठी की भैंस नहीं रहै ना हथियारां का फेर सम्मान बचै

प्रदूषण बढ़ता जा धरती शमशान होण तै बचावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

4

महिला नै इन्सान समझां रीत खत्म हो दोयम दरजे की

नौजवानां नै मिलै सही रास्ता ना मार बचै इस करजे की

जातपात खत्म हो सारे कै इन्सान बणां बिगुल बजावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।


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5###

किस्सा सुभाष चन्दर बोस

आगे की पढ़ाई के लिए केम्ब्रिज विश्व विद्यालय में विदेश में गए। वहां के मीठे खट्टे अनुभव रहे। एक महीना लम्बी सिविल सेवा की परीक्षा लन्दन में दी। घरवालों को सूचित किया कि पर्चे अच्छे नहीं हुए।मगर जब नतीजे आये तो इनको प्रावीण्यता - सूची में चौथा स्थान मिला। घर तार भिजवाया। पर उसी वक्त सुभाष के सामने एक और समस्या आ कर खड़ी हो गई। सिविल सेवा में चयन का मतलब था ब्रिटिश सरकार की नौकरी करना। तो सुभाष बोस ने सोचा कि मेरे आदर्शों और सपनों का क्या होगा? क्या मुझे उनको तिलांजलि नहीं देनी पड़ेगी? सात महीनों के लम्बा समय लगा उनको दोराहे पर खड़े खड़े एक तरफ का फैंसला करने में और उन्होंने इस्तीफा दे ही दिया । वास्तव में यह एक गजब मिशाल बनाई थी। क्या बताया भला:-


सुभाष चन्द्र बोस तनै दुनिया मैं कई मिशाल बनाई||

उन बख्तों मैं हांगा लाकै आई सी एस की करी पढ़ाई||

1

कांग्रेस मैं रह कै तनै देश आजाद करवाना चाहया था 

नरम दल तैं  मतभेद थारे थे ज्याँ गरम दल बनाया था 

त्याग कै डिग्री अपनी तनै फेर अंग्रेजों की भ्यां बुलवाई ||

उन बख्तों मैं हांगा लाकै आई सी एस की करी पढ़ाई||

2

अंग्रेज फूट गेरो राज करो की निति कसूत अपनारे थे 

म्हारे बालक करकै भरती हम पै हथियार चलवारे थे 

इनको ताहने खातर थामनै फेर आजाद फ़ौज बनाई ||

उन बख्तों मैं हांगा लाकै आई सी एस की करी पढ़ाई||

3

भेष बदल कै भारत छोड्या जा पहोंचे फेर जापान मैं 

सपना था थारा अक यो आवै स्वराज प्यारे हिंदुस्तान मैं 

महिलाओं की पलटन न्यारी थामनै खडी करकै दिखाई ||

उन बख्तों मैं हांगा लाकै आई सी एस की करी पढ़ाई||

4

सारा हिंदुस्तान याद करै तेरी क़ुरबानी नहीं भुल्या देश 

हुक्मरान तनै भूल गये गोरयां आगे करया खुल्या देश 

रणबीर सिंह बरोने आला करै तेरी जयन्ती पै कविताई ||

उन बख्तों मैं हांगा लाकै आई सी एस की करी पढ़ाई|| 


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6###

किस्सा सुभाष चन्द्र बोस

इस्तीफा देने के बाद सुभाष चन्द्र बोस श्रीमान रॉबर्ट्स से मिलते हैं । वो इस्तीफा न देने प्यार से समझाते हैं मगर वे नहीं मानते। सुभाष बोस सन 1921 में वापिस भारत लौट आते हैं देश की आजादी की लड़ाई में शामिल होने को। यहां से उनके जीवन का एक नया अध्याय शुरू हुआ। इंग्लैंड से बम्बई पहुंचते ही सुभाष गांधी जी से मिलने जाते हैं। उन्होंने ने गांधी जी से जानना चाहा कि वे किस प्रकार देश को आजादी दिलाना चाहते हैं। सुभाष को यह बात पूरी तरह समझ नहीं आयी कि भला सत्याग्रह , अहिंसा और खादी के जरिये देश को कैसे आजादी दिलाई जा सकती है। इसके बाद वे कलकत्ता  चले गए जहां देशबन्धु  चितरंजन दास उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही सुभाष कलकत्ता पहुंचे वैसे ही 'देशबन्धु' ने एक राष्ट्रीय महा विद्यालय की स्थापना का दायित्व सौंप दिया। इसमें सुभाष सफल रहे। वे खुद दर्शन शास्त्र की कक्षाएं लेते। वे कांग्रेस का प्रचार कार्य भी देखने लगे। उनकी कुर्बानी से जनता प्रभावित थी तो कैसे बताया उनके जीवन के बारे कवि ने:- 


आजाद देश में जन्म लिया कारण सै थारी कुर्बानी ।।

दिमाग में घूमें जावै म्हारै थारी खास टोपी की निशानी ।।

विदेश गए पढ़ने खातिर आई सी एस पास करी 

उड़े देख नजारे आजादी के आकै डिग्री पाड़ धरी 

भारत की आजादी खातर लादी  थामनै पूरी जिंदगानी ।।

दिमाग में घूमें जावै म्हारै थारी खास टोपी की निशानी ।।

आजाद देश में जन्म लिया कारण सै थारी कुर्बानी

कांग्रेस मैं रहकै नै चाही लड़नी थामनै लड़ाई दखे

थारे विचार क्रांतिकारी थे  उड़े ना पार बरसाई दखे

बोले थाम  खून दयो  मैं दिलाऊं तुमने आजादी हिंदुस्तानी ।।

दिमाग में घूमें जावै म्हारै थारी खास टोपी की निशानी ।।

सिंगापुर में जाकै थमने आजाद हिंद फौज बनाई 

हिटलर तैं पड़े हाथ मिलाने चाहे था वो घणा अन्यायी  

लक्ष्मी सहगल साथ थारै अरसैं गेल्याँ महिला  बेउनमानी ।।

दिमाग में घूमें जावै म्हारै थारी खास टोपी की निशानी ।।

हवाई जहाज में चले थे कहैं उड़े हादसा होग्या दखे

यकीन नहीं आया आज ताहिं शक के बीज बोग्या दखे

के लिख सकै थारे बारे मैं यो रणबीर सिंह अज्ञानी ।।

दिमाग में घूमें जावै म्हारै थारी खास टोपी की निशानी । 


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किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

एमिली शेंकल 

( जर्मन भाषा: Emilie Schenkl, ) जन्म : 26 दिसम्बर ,1910 – मृत्यु मार्च 1996) 

एमिली शेंकल भारतीय संवतन्त्रता ग्राम के अग्रणी नेता सुभाष चंद्र बोस की सहयोगी (प्राइवेट सेक्रेटरी) थी जिसके साथ बाद में बोस ने ऑस्ट्रिया में भारतीय रीति-रिवाज़ से विवाह कर लिया। एमिली और बोस की एकमात्र जीवित सन्तान अनिता बोस फाफ है। जब सुभाष के भाई शरत चन्द्र बोस 1948 में वियेना गये थे तो एमिली ने उनका भावपूर्ण स्वागत किया था। एमिली तो अब नहीं रहीं परन्तु उनकी पुत्री अनिता कभी कभार  भारत भ्रमन के बहाने  अपने पिता के परिवार जनों से मिलने कोलकत्ता आ जाती है ! कवि ने क्या बताया भला -- 


एमिली शेंकन का जन्म सन उन्नीस सौ दस मैं बताया।।

नेता सुभाष चन्द्र बोस का यो पूरी तरियां साथ निभाया।।

1

सन चालीस मैं ऑस्ट्रिया मैं जा करकै नै इलाज कराया 

बोस किताब लिखी उड़ै टाइप की खातर मानस चाहया 

मित्र नै एमिली शेंकन को सुभाष बोस तैं था मिलवाया।।

नेता सुभाष चन्द्र बोस का यो पूरी तरियां साथ निभाया।।

2

सुभाष बोस एमिली बीच मैं प्यार की पींघ बधण लगी

नाजी जर्मनी के सख्त कानून बात उनको खलण लगी

बॉड गास्टिन मैं दोनों नै अपना बयालीस मैं ब्याह रचाया।।

नेता सुभाष चन्द्र बोस का यो पूरी तरियां साथ निभाया।।

3

कुछ महीने साथ रहे दोनूं बोस नै भारत आना पड़ग्या

गर्भवती एमिली नै एकेले बोझ यो पूरा ठाना पड़ग्या

बेटी जन्मी एमिली नै फेर सुभाष मूंह ना देखण पाया।।

नेता सुभाष चन्द्र बोस का यो पूरी तरियां साथ निभाया।।

4

हटकै नै सुभाष चन्द्र बोस नाजी जर्मनी मैं आये भाई

चार सप्ताह की बेटी का मुँह सुभाष थे देख पाये भाई

रणबीर बेटी का नाम करण अनिता बोस था धराया।।

नेता सुभाष चन्द्र बोस का यो पूरी तरियां साथ निभाया।। 


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8###

किस्सा सुभाष चंद्र बोस 

एक महिला कार्यकर्ता सुभाषचंद्र बोस से कुछ बातें करती है और क्या कहती है ::- 


कांग्रेस क्यों छोड्डी थामनै इतना तो मनै बताईयो जी।।

गर्म दल क्यों बनाया यो इतना मनै समझाईयो जी।।

1

के हालात बने बोस जी इसे जो कांग्रेस छोड़नी पड़गी 

सबतै बड्डी पार्टी तैं क्यों थामनै बात मोड़नी पड़गी 

एक एक बात आच्छी ढालां खोल कै दिखाईयो जी।।

माणस लड़ाकू और ज्ञानी कहते जनता नै लगे

थारे प्रति मोह बहोत ये कहते जनता के जगे 

सत्तो फत्तो सरतो साथ सैं मतना कति घबयाईयो जी।।

यूं दिल कहता बोस मेरा थाम साच्चे लीडर म्हारे 

कहते सारे हिंदुस्तान मैं सबके थाम सो घणे प्यारे

मनै दिल की बात कहदी दिल की बात सुनाईयो जी।।

जय हिंद जय हिंद होरी यो पूरा भारत याद करै

बढ़ते जाओ बोस आगै सारी जनता फरियाद करै

रणबीर जरूरत हो कदे तो हमनै साथ मिलाईयो जी।।

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किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

20 जुलाई 1940 को जर्मनी ने ब्रिटेन पर जब बमबारी शुरू की तो इसका जबरदस्त प्रभाव भारतीय स्वतंत्रता संग्रामी जनमानस व  नेताओं पर पड़ा । 'शत्रु का दुश्मन अपना मित्र' के विचार से ज्यादातर लोग अभिभूत हुए और जर्मनी के पक्षधर। जर्मनी से ब्रिटेन को पिटते देख आम भारतीय खुश थे। क्रांतिकारी मत का प्रतिनिधित्व कर रहे सुभाष चंद्र बोस महात्मा गांधी की वैरियत का शिकार हुए। क्या बताया भला- 


दूसरे विश्व युद्ध पै कांग्रेस मैं विचार कई पाये रै।।

महात्मा गांधी सुभाष बोस आपस के मैं टकराये रै।।

1

एक सितंबर उनतालीस नै युद्ध का डंका बजाया था

जर्मनी का पौलैंड पै हमला हिटलर नै करवाया था

ब्रिटेन कै ऊपर जर्मनी नै बमबां का दौर चलाया था

शत्रु का दुश्मन मित्र अपना भारत मैं विचार छाया था

जर्मनी नै ब्रिटेन पिट्या हिन्दवासी जर्मनी साथ पाये रै।।

2

देश की मुख्यधारा आलयां नै ब्रिटेन कै शर्त लगाई रै

आजादी की गारंटी शर्त पै ब्रिटेन की साथ निभाई रै

ब्रिटेन ढावण का मौका सै क्रांतिकारी आवाज आई रै

इसे कारण सुभाष बोस की कांग्रेस नै करदी विदाई रै

इन हालातों मैं बोस नै अपने न्यारे रास्ते अपनाए रै।।

3

फेर फारवर्ड ब्लॉक पार्टी सुभाष बोस नै बनाई रै

विदेश जावण की बोस नै अपनी इच्छा जताई रै

पंजाब कीर्ति किसान पार्टी बोस की मदद पै आई रै

पेशावर रास्ते काबुल तक भेजने की स्कीम सुझाई रै

भारत सुरक्षा क़ानून मैं सुभाष जेल के मैं खंदाये रै।।

4

जेल मैं क्रान्तिकारियाँ साथ विचार विमर्श हुया कहते

देश छोड़ कै जावण का फैसला सुभाष नै लिया कहते

आमरण अनशन गेल्याँ गिरफ्तारी विरोध किया कहते 

रणबीर जनता के दबाव तैं जेल तैं करया रिहा कहते

गौरी सरकार नै घर मैं बोस नजरबन्द करवाये रै।। 


*******

10###

किस्सा सुभाष  चन्द्र बोस 

पार्क मैदान में युवक कांग्रेस के अधिवेशन में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने कहा तो फिर क्या हमें बैलगाड़ी के बीते युग की ओर वापस जाना है? आत्मा के पाखण्ड को इतना पुष्ट किया जा रहा है कि भौतिक संस्कृति और फौजी प्रशिक्षण की उपेक्षा करके भी उन्हें लगता है सब ठीक चल रहा है। इस पावन भूमि के लिए मठ और आश्रम की कल्पना कोई नई नहीं है। सन्यासियों और सुपात्रों को इस माट्टी में सदैव आदर का स्थान प्राप्त होता रहा है और आगे भी होता रहेगा । परन्तु मैं युवाओं को चेतावनी देता हूँ कि यदि एक आधुनिक , स्वतंत्र , सुखी और शक्ति -सम्पन्न भारत का निर्माण करना है , तो हमें इस मंडली का अनुशरण नहीं करना है। इसके लिए पुरातन प्रभाव से मुक्त होकर नवयुग का शंख फूंको।

क्या बताया भला कवि ने------ 


पार्क मैदान मैं सुभाष नै ये अपने विचार सुनाये रै।।

युवाओं को ललकारया उसनै क्रांति के नारे गूँजाये रै।।

1

बोस नै युवा संगठन का उड़ै मतलब समझाया था

निठल्ले बेजान युवाओं का यो संगठन नहीं बताया था

सामाजिक सेवासंघ भी कोण्या बोस नै पाठ पढ़ाया था

अंग्रेज राज का विरोधी धधकता अंगार सुझाया था

रूस चीन जर्मनी के किस्से उड़ै पूरे खोल कै बताये रै।।

2

बोल्या अंग्रेजों नै चौतरफा करदी घेरेबंदी म्हारी वीरो

इम्पीरियल बैंक नै देश की करदी नाके बंदी भारी वीरो

कर्ज देने की करी मनाही जनता घणी दुख पारी वीरो

अंग्रेजों तैं छुटकारा पाल्यो ये देगे देश मैं बुहारी वीरो

ठारा सौ सत्तावन मैं भी संघर्ष के बिगुल बजाये रै।।

3

या आवाज बोस की उठी ऊंचे स्तर तलक बताई

साबरमती अर अरविंद के मतां पै सवाल उठाई

आधुनिक स्वतंत्र सुखी देश की या तीजी राह दिखाई

मठ आश्रम बीते समों की उनको सब बात समझाई

पुराने तैं मुक्त होवण नै नवयुग का शंख बजाया रै।।

4

युवकों के दिलो दिमाग मैं सुभाष पूरी तरियां छाग्या रै

भगत सिंह जतीनदास  इनका दस्ता मंच पै आग्या रै

दाढ़ी मूंछों आला नौजवान उड़ै पूरे पण्डाल नै भाग्या रै

सिर्फ अहिंसा के राह पै वो भगत सिंह सवाल ठाग्या रै

कहै रणबीर बरोणे आला सुण कै सुभाष मुस्कुराये रै।।  

**********

जारी है

11

###किस्सा सुभाष चन्द्र बोस

अपने वक्तव्य में कर्नल हबीबुर्रहमान ने बताया" विमान बहुत ऊपर नहीं गया था और अभी एयरफील्ड सीमा के अंदर ही था कि मुझे विमान के सामने के हिस्से से धमाके की आवाज सुनाई दी । बाद में पता चला कि विमान का एक प्रोपेलर टूट कर नीचे गिर गया था। जैसे ही विमान नीचे गिरा उसके अगले और  पिछले  हिस्से में आग लग गई थी।

क्या बताया भला :-- 


बोस भुंडी ढालां जलग्या  था फेर कति कराहया कोन्या रै।। 

सैगोन तैं आगै जाण नै बोस नै विमान थ्याया कोन्या रै।।

1

बम्बवर्षक विमान जापानी मैं जगहां मिल पाई

हवाई अड्डे पै छोड़ण आये जयहिंद तैं ली विदाई

तेजी तैं चढ़या विमान पै पाछे नै लखाया कोण्या रै।।

सैगोन तैं आगै जाण नै बोस नै विमान थ्याया कोन्या रै।।

2

कर्नल हबीबुर्रहमान भी पीछै पीछै चढ़े विमान मैं

पायलेट के ठीक पाछै सुभाष बोस बैठे विमान मैं

दोनों जमीन पै बैठे कोएसा घबराया कोण्या रै।।

सैगोन तैं आगै जाण नै बोस नै विमान थ्याया कोन्या रै।।

3

आस पास साहमी पैट्रोल के जरीकेन धरे थे भाई

बिना सीट बैठे दोनूं फेर भी जमा ना डरे 

थे भाई

धमाका हुया जोरका किसे कै समझ आया कोण्या रै।।

सैगोन तैं आगै जाण नै बोस नै विमान थ्याया कोन्या रै।।

4

रहमान नै देख्या बोस के कपडयां मैं आग लागरी

बुशर्ट काढया हाँगा लाकै रणबीर सांस तेज भागरी

बोस बोल्या बचूं नहीं हबीब आंसू रोक पाया कोण्या रै।।

सैगोन तैं आगै जाण नै बोस नै विमान थ्याया कोन्या रै।।

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12###

#किस्सा सुभाष चन्द्र बोस

आईसीएस से इस्तीफा

इसके बारे में सुभाष चन्द्र बोस अपनी आत्मकथा में लिखते हैं कि मुझे सात महीनों का लम्बा समय लगा यह निर्णय करने में । इस दौरान मेरा अपने दूसरे नंबर के बड़े भाई सरत चंद्र बोस के साथ लंबा पत्र व्यवहार चला। किस्मत से उस दौरान मेरे लिखे हुए तमाम पत्र उन्होंने संभाल कर रखे हुए थे लेकिन उनके लिखे हुए पत्र जो मुझे मिले थे, एक संघर्ष  से भरे राजनीतिक जीवन की आपाधापी में मैंने खो दिये। मेरे लिखे हुए पत्र इस मायने में दिलचस्प कहे जाएंगे कि उन्हें पढ़कर आपने जान सकते हैं कि सन 1920 में उस समय मेरे दिमाग में क्या चल रहा था।

   आईसीएस का परीक्षा- परिणाम सन 1920 के सितंबर -मध्य में घोषित हुआ था । इसके कुछ दिनों बाद, 22 सितंबर को एसैक्स के  समुद्री तट पर छुट्टियां बिताते हुए मैंने उन्हें एक खत लिखा।  

   आप सहज मेरी वर्तमान मानसिक स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं । दुनिया दारों की भाषा में कहा जाए तो मैं एक उदीयमान भविष्य के प्रवेश द्वार पर खड़ा हूं और भी बहुत कुछ  कहा जा सकता है इस तरह की सर्विस के पक्ष में। यह हम सब के जीवन की सबसे बुनियादी और महत्वपूर्ण समस्या -रोजी- रोटी - का हमेशा के लिए समाधान कर सकती है। इस सर्विस को अपनाने के बाद इंसान को जीवन में किसी भी तरह के जोखिम या अनिश्चितता का सामना करने की आवश्यकता कभी नहीं पड़ती, लेकिन मैं क्या करूं, मेरे जैसे 'उल्टी' बुद्धि वाले व्यक्ति के लिए 'न्यूनतम प्रतिरोध' वाला मार्ग सबने अधिक दुखदाई मालूम पड़ता है। अगर जीवन में संघर्ष न हो, कोई जोखिम न हो तो जीने में खाक मजा आएगा। जीवन की अनिश्चताएँ  उसे कैसे डरा सकती हैं जिसके हृदय में कुछ पाने की लालसा ही न हो ,सुख को सहेजने की चिंता ही न हो ? और सबसे बड़ी बात कि सिविल सर्विस की बेड़ियों में जकड़े रहकर आप सही मायनों में और पूरी सामर्थ्य से देश -सेवा नहीं कर सकते। संक्षेप में कहूं तो राष्ट्रीय एवं आध्यात्मिक अभिलाषाओं का सिविल सर्विस के प्रति निष्ठा से कोई मेल संभव नहीं है। क्या बताया भला कवि ने: 

आईसीएस तैं इस्तीफा जमा नहीं इतना आसान था।।

उनकी जिंदगी का कहवैं सबतैं बड्डा इम्तिहान था।।

1

इस बात की चिंता सताई घरके उणनै के कहवैंगे

दूजी बात कदे थोड़े दिन मैं होंसले तो नहीं ढहवैंगे

बड़े भाई साहब तैं पत्राचार मच्या दोनों कान्ही तूफान था।।

2

अंग्रेजों की नौकरी नहीं करनी उणनै मन मैं धार लिया

घरक्यां नै क्युकर समझाऊं उणनै पूरा विचार किया

दिमाग मैं कई बात घूमैं मन उनका परेशान था।।

3

पिता जी नै भी समझाये नौकरी करतें करतें लड़िये

घरके तनै रोकैं कोण्या गोरयां गेल्याँ बेशक भिडिये

क्युकर नाटैं पिता जी नै उनका दिल मैं घणा सम्मान था।।

4

तिरूं डूबूं जी होरया उनका कई दिन नींद आई कोण्या

सोच सोच कै परेशान घणे कई दिन रोटी भाई कोण्या

रणबीर सात मिहने लागे इस्तीफे के करया एलान था।।

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13####

किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

आज आजादी के बाद थारे करे पै पाणी फेर रहे। जिन विचारों का हिंदुस्तान आप लोगों ने सोचा था वह नजर नहीं आता। क्या बताया भला--

सुभाष चन्द्र बोस हमनै थारी याद घणी आवै सै।।

थारे करे पै पाणी फेर रहे देख दिल दुख पावै सै।।

1

आजाद देश का थारा सपना कितै नजर ना आंता

मेहनत म्हारी हुई तरक्की ये फल कोये दूजा खांता

गरीब ताहिं पहोंचै आजादी सपना खिंडता जावै सै।।

थारे करे पै पाणी फेर रहे देख दिल दुख पावै सै।।

2

माणस माणस का प्रेम बढ़ैगा यो सपना थारा था

किसान मजदूर खुस रहवैगा यो सपना म्हारा था 

भ्रष्टाचार की तूती बोली जयहिंद का मुंह चिड़ावै सै।।

थारे करे पै पाणी फेर रहे देख दिल दुख पावै सै।।

3

देख कै हाल देश का फेर आई सी एस त्यागी थी

देख कुर्बानी तेरी नै नौजवान की आत्मा जागी थी

यो नौजवान भारत देश का हटकै थामनै बुलावै सै।।

थारे करे पै पाणी फेर रहे देख दिल दुख पावै सै।।

4

इंसानियत छाज्या सारे कै बोस थारा यो सपना था

हथियार तैं आजादी पाऊं फौजी सिपाही अपना था

कहै रणबीर बरोने आला थारी याद घणी सतावै सै।।

थारे करे पै पाणी फेर रहे देख दिल दुख पावै सै।। 


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14###

किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

1933 के जनवरी माह का दूसरा दिन । गाड़ी यहाँ दादर से नासिक की ओर घूम जाती है । सुभाष बोस गाड़ी में सवार। इतनी ही देर में स्टेशन पर पुलिस की सीटियां गूंजने लगी । सुभाष चन्द्र बोस बाहर की तरफ झांक रहे थे। तभी कलकत्ता पुलिस का एक दसता डिब्बे में घुस आया । सहायता के लिए आई मुंबई पुलिस ने सारे कल्याण स्टेशन को घेर लिया था । क्या बताया भला--- 


सुभाष बोस नै पकड़ण का पुलिस नै पूरा प्लान बणाया।।

कलकत्ता पुलिस की साथ मुंबई पुलिस नै हाथ मिलाया ।।

1

चारों ओर की करकै नाकेबंदी दादर स्टेशन घेर लिया 

जणो घणा शातिर मुजरिम लगा पुलिस का ढेर दिया

सुभाष बोस अरैस्ट करकै वो एक डिब्बे मैं गेर दिया

इसे जालिम काम करकै नै गोरयां नै मचा अंधेर दिया

या बात फैलगी  चारों कान्ही कट्ठे होकै बोस छुड़ाना चाहया।।

कलकत्ता पुलिस की साथ मुंबई पुलिस नै हाथ मिलाया ।।

2

कल्याण टेशन पै भाज कै बहोत घणे लोग आये बताये

सबनै मिलकै टेशन पै नारे सुभाष  जिंदाबाद के लाये

पुलिस आले देख जनता नै भाई बहोत घणे घबराए

गाड़ी बदल कै पुलिस नै भीड़ तैं आपणे पैंडे छुटवाये

थाम मनै कित लेज्याओ सुभाष बोस नै सवाल उठाया।।

कलकत्ता पुलिस की साथ मुंबई पुलिस नै हाथ मिलाया ।।

बस हुक्म था पुलिस नै थाम यात्रा राखो अपणी जारी

बीच यात्रा हुक्म मिलैगा ऊपर तैं एक थामनै सरकारी

गाड़ी भाजी जावै रफ्तार तैं सुभाष बोस नै आया गुस्सा भारी

नर्मदा का किनारा नजर आया भूमि मध्यप्रान्त की पठारी

एक निर्जन बीहड़ मैं ड्राइवर नै रेल कै ब्रेक लगाया।।

4

शिवणी के बन्दीगृह मैं ल्याये कति सुनसान देवै दिखाई

ना बिजली का प्रबंध था ना और कोए सुविधा दीखै भाई 

पुराणा ढांचा बन्दीगृह का सुभाष नै घणी मुसीबत ठाई

दो दिन बाद जेलर नै आकै गांधी की गिरफ्तारी बताई

बाकी सारे सहकारी पकड़े रणबीर नै सही छंद बनाया ।।

कलकत्ता पुलिस की साथ मुंबई पुलिस नै हाथ मिलाया ।

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15###

किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

26 जनवरी, 1941 को सारा देश स्तब्ध रह गया , जब यह सुना कि सुभाष बोस गायब हो गए हैं और ब्रिटिश पुलिस गिरफ्तारी के लिए उनके पीछे पड़ी है। 17 जनवरी की रात सवा बजे मोटर गाड़ी पर कलकत्ता से गोमो रेलवे स्टेशन जाकर रेल से वो पेशावर पहुंच गए और कीर्ति किसान पार्टी के हवाले हो गए । कैसे काबुल पहुंचे और फिर बर्लिन इस रागनी में क्या बताया भला--- 


सुभाष बोस कड़ै गायब होगे गोरे घणे घबराए रै।।

गुप्त तरीके सुभाष बोस के वे समझ नहीं पाए रै।।

1

गोमो रेलवे स्टेशन ऊपर कलकत्ता तैं चाल कै आये

रातों रात सफर करया था गोरे बात समझ ना पाये

कीर्ति किसान पार्टी द्वारा पेशावर मैं गए ठहराए रै।।

गुप्त तरीके सुभाष बोस के वे समझ नहीं पाए रै।।

2

नेता अकबर शाह नै जुगाड़ काबुल जाने का बिठाया

भगतराम गाइड संग मूक बीमार सुभाष बोस खंदाया

इलाज करावण जावां सां इस बाहनै काबुल आये रै।।

गुप्त तरीके सुभाष बोस के वे समझ नहीं पाए रै।।

3

काबुल मैं जाकै जाना चाहया सोवियत दूतावास था

करैगा बिना शर्त मदद म्हारी यो बोस के विश्वास था

उनते ना मिल पाए तो बर्लिन कान्ही कदम बढ़ाये रै।।

गुप्त तरीके सुभाष बोस के वे समझ नहीं पाए रै।।

4

बर्लिन मैं प्रवासी हिंदुस्तानी सबको पुकार लगाई

रणबीर सुभाष बोस नै बिगुल आजादी की बजाई

छद्म नाम ओलन्डो मजिस्ट्रा बर्लिन मैं प्लान बनाये रै।।

गुप्त तरीके सुभाष बोस के वे समझ नहीं पाए रै।।

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16###

किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

बोस की जर्मनी के साथ बातचीत होती है। एक दूसरे के बारे काफी जिक्र होता है। गहन आलोचना के बाद बात फाइनल होती है। क्या बताया भला ---

गहन आलोचना कर शर्तों की जर्मनी नै स्वीकार करी।।

फौज संगठित करने नै मुकमल सी एक प्लान धरी।।

1

जापान नै विश्व युद्ध मैं कूद कै पूरी करी हिस्सेदारी रै

पर्ल हार्बर ध्वस्त किया और आगै सेना बढ़ती जारी रै 

पूर्वी एशिया कब्जाकै करी मित्र देशां की घाव हरी।।

फौज संगठित करने नै मुकमल सी एक प्लान धरी।।

2

ब्रिटिश इंडियन आर्मी फेर जापान नै बन्दी बनाई रै

सिंगापुर मैं सेना भारत की जापान के काबू आई रै

आस भारत की सेना की दीखी एकबर तो कति मरी।।

फौज संगठित करने नै मुकमल सी एक प्लान धरी।।

3

प्रीतम सिंह बुजुर्ग नै मोहन सिंह का ढाढ़स बंधाया

हताश क्यों होरे थाम भाई खुशबरी एक मैं ल्याया

आईएनए मै आ मुक्ति पाओ बन्दियाँ कै ना बात जरी।।

फौज संगठित करने नै मुकमल सी एक प्लान धरी।।

4

मान गये बन्दी बात उसकी आजाद हिंद फौज बनाई

मोहन सिंह रास बिहारी बोस करी फौज की अगवाई

रणबीर सिंह टोकियो मैं फेर आजादी की हुंकार भरी।।

फौज संगठित करने नै मुकमल सी एक प्लान धरी।।

********

17###

किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

बर्लिन में रहते हिटलर के साथ सुभाष बोस की दो बार मुलाकात हुई बताते हैं।हिटलर का मानना था कि सुसभ्य जाति ही आजादी की हकदार होती है और भारत को सभ्य बनने में अभी डेढ़ सौ साल और लगेंगे । इसलिए भारत को आजादी के लिए और ईंतजार करना होगा ।सुभाष क्या जवाब देते हैं भला ---- 


सुभाष बोस हिटलर की हुई दो मुलाकात बताई रै।।

भारत नै सभ्य बनाओ हिटलर नै सलाह जताई रै।।

1

हिटलर बोल्या सुसभ्य जाति आजादी की हकदार होवैं

डेढ़ सौ साल और लगें भारत के सभ्य व्यवहार होवैं

लाम्बा ईंतजार करना होगा हुक्म सी उसनै सुनाई रै।।

भारत नै सभ्य बनाओ हिटलर नै सलाह जताई रै।।

2

क्रूरता के प्रतीक आगै बैठे सुभाष नै इनकार करया

भारत इबै आजादी चाहवै सुभाष नै हुंकार भरया

विचार ये हिटलर ताहिं कहण की हिम्मत दिखाई रै।।

भारत नै सभ्य बनाओ हिटलर नै सलाह जताई रै।।

3

जर्मनी तैं मदद लेने की सुभाष नै शर्त धरदी फेर

म्हारे हाथ मैं कमान होगी उनै बात साफ करदी फेर

दूजे मोर्चे पै म्हारी फ़ौज नहीं लड़ेगी कोये लड़ाई रै।।

भारत नै सभ्य बनाओ हिटलर नै सलाह जताई रै।।

4

दूजी फौज गेल्याँ शामिल ना होवैगी फौज म्हारी रै

रणबीर ब्रिटिश बैरी म्हारा उतै रहैगी जंग जारी रै

भारत फौज की सूरत जर्मन फौज बराबर चाही रै।।

भारत नै सभ्य बनाओ हिटलर नै सलाह जताई रै।। 


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18####

किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

तहे दिल तैं चाहवै 


सुभाष चंद्र बोस तेरी याद बहोत घणी आवै सै रै।।

भारत खड़या चौराहे पै तहे दिल तैं चाहवै सै रै।।।

1

थारी कुर्बानी तो भूल गए देश पढण बिठाया देख

घोटाले पर घोटाले करकै घणा उधम मचाया देख

गुलाम पहले ब्रिटेन का इब अमरीका आया देख

लूट के तरीके बदल लिए किसान दुख पाया देख

कांग्रेस मैं तनै देख्या था कई हिचकोले खावै सै रै।।

भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।

2

अंग्रेज ताहवण खातर आजाद हिन्द फौज बनाई रै

तम खूनदयो मैं आजादी दिलाऊँ या आवाज लाई रै

गोरे घणे जुल्मी सैं इसकी घर घर मैं अलख जगाई रै

गोर शासक पक्के बैरी जनता आछी ढाल समझाई रै

थारे बारे मैं या दादी मेरी कई ए कहानी सुणावै सै रै।।

भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।

3

थारी मौत के बारे मैं बादल आज तलक छाए सुभाष

हवाई जहाज की दुर्घटना मैं खत्म हुए बताये सुभाष

किसे नै कहि अक रूस में एक बै नजर आए सुभाष

इतने साल हो लिए हम सच्चाई ना जान पाए सुभाष

ईसा लागै सै जणु सुभाष दरवाजे खट खटावै सै रै।।

भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।

4

सुभाष थारे सपन्यां का भारत हम बना नहीं पाए

सारे नर नारी सुख पावैं इसे कदम उठा नहीं पाए

गरीब की झोंपड़ी मैं आजादी हम पहुंचा नहीं पाए

सबको शिक्षा काम सबको देश मैं दिवा नहीँ पाए

रणबीर सिंह बरोने आला अपना सीस झुकावै सै रै।।

भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।

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19####

किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

सुभाष बोस देखले आकै

देश मैं किसी आजादी आई, गरीबां कै और गरीबी छाई

अमीरां नै घणी लूट मचाई, सुभाष बोस देखले आकै ।।

1.

भगत सिंह नै दी कुर्बानी, जनता नै खपाई जवानी

हैरानी हुई थी गोरयां नै, कमर कसी छोरी छोर्यां नै

देश बांट दिया सोहरयां नै, सुभाष बोस देखले आकै ।।

2.

ये गोरे गये तो आगे काले, हमनै नहीं ये कदे सम्भाले

चाले कर दिये बेइमानां नै, भूल गय हम इन्सानां नै

इन देशी हुकमरानां नै, सुभाष बोस देखले आकै ।।

3.

बोवणियां की धरती होगी, सब जात्यां की भरती होगी

सरती होगी नहीं बिरान, खुश होज्यांगे मजदूर किसान

आजादी करै यो ऐलान, सुभाष बोस देखले आकै ।।

4.

मुनाफाखोर देश पै छाये, पीस्से पै सब लोग नवाये

लगाये भा इस बाजार मैं, ईमान बिकै कुछ हजार मैं

धंसते जावां हम गार मैं, सुभाष बोस देखले आकै ।।

5.

अधूरे सैं वे सपने थारे , पूरे क़रण पै जोर लगारे

मकान सैं परिवार नहीं, माणस सैं घरबार नहीं

सरकार नहीं सुनती या, जाल कसूता बुनती या

गरीब नै रणबीर धुनती या, सुभाष बोस देखले आकै ।।


20###

किस्सा सुभाष चन्द्र बोस 

हालात बाद से बदतर होते चले गए आजादी के बाद और बोस और कैप्टन लक्ष्मी सहगल के सपनों से बहुत दूर चले जा रहे हैं । बहुत से लोग हैं जो बोस को आज भी तहे डिक्ल से चाहते हैं, क्या बताया भला--- 


सुभाष चंद्र बोस तेरी याद बहोत घणी आवै सै रै।।

भारत खड़या चौराहे पै तहे दिल तैं चाहवै सै रै।।।

1

थारी कुर्बानी तो भूल गए देश पढण बिठाया देख

घोटाले पर घोटाले करकै घणा उधम मचाया देख

गुलाम पहले ब्रिटेन का इब अमरीका आया देख

लूट के तरीके बदल लिए किसान दुख पाया देख

कांग्रेस मैं तनै देख्या था कई हिचकोले खावै सै रै।।

भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।

2

अंग्रेज ताहवण खातर आजाद हिन्द फौज बनाई रै

तम खूनदयो मैं आजादी दिलाऊँ या आवाज लाई रै

गोरे घणे जुल्मी सैं इसकी घर घर मैं अलख जगाई रै

गोर शासक पक्के बैरी जनता आछी ढाल समझाई रै

थारे बारे मैं या दादी मेरी कई ए कहानी सुणावै सै रै।।

भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।

3

थारी मौत के बारे मैं बादल आज तलक छाए सुभाष

हवाई जहाज की दुर्घटना मैं खत्म हुए बताये सुभाष

किसे नै कहि अक रूस में एक बै नजर आए सुभाष

इतने साल हो लिए हम सच्चाई ना जान पाए सुभाष

ईसा लागै सै जणु सुभाष दरवाजे खट खटावै सै रै।।

भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।

4

सुभाष थारे सपन्यां का भारत हम बना नहीं पाए

सारे नर नारी सुख पावैं इसे कदम उठा नहीं पाए

गरीब की झोंपड़ी मैं आजादी हम पहुंचा नहीं पाए

सबको शिक्षा काम सबको देश मैं दिवा नहीँ पाए

रणबीर सिंह बरोने आला अपना सीस झुकावै सै रै।।

भारत खड़या चौराहे पर तहे दिल तैं बुलावै सै रै।।

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