Monday, 22 July 2024
571 से 579
570
तबाही
विकास कहूँ या कहूँ तबाही , बात मेरी समझ नहीं आई,
हुई क्यों गामां की इसी छिताई , दिल्ली के गाम चर्चा मैं आये ॥
दिल्ली का विस्तार हुआ तो अनेक गाम इसमें आये थे
धरती अक्वायर करी इनकी घने सब्ज बाग़ दिखाए थे
बहोत घर बर्बाद हुए , जमा थोड़े घर आबाद हुए
पीकै दारू कई आजाद हुए , चपेट मैं युवा लड़के आये॥
दिल्ली तैं कोए सबक लिया ना ईब हरयाणा की बारी
एन सी आर के नाम तैं इसकी बर्बादी की तैयारी
विकास पर कोए चर्चा ना , आज पूरा पटता खर्चा ना
इसपै लिख्या कोए पर्चा ना , बीस लाख एक किल्ले के लाये॥
नशे का डूंडा पाड़ दिया ये नौजवान चपेट मैं आये
फ्री सैक्श के खोल दरवाजे युवक युवती भरमाये
हाल करे कसूते लूटेरे नै , मचाई लूट इनै चौफेरे नै
बाँट जात पात पै कमेरे नै , नंबर वन के नारे लगाये ॥
ईको अर जेंडर फ्रेण्डली विकास समता साथ ल्यावै
ना तो दिल्ली जैसे खाग्या न्यूए एनसीआर इसनै खावै
बहस विकास ऊप्पर चलावां , नया हरयाणा किसा बणावां
रणबीर नक्शा मिलकै खिंचावाँ ,कैसे यो हरयाणा बच पाये ॥
571
LAMBEE LINE EVERY WHERE
जित बी जाऊं उड़ै घणी लाम्बी लाईन लगी क्यों पावै हे ||
सरकारी मैं भीड़ या जेब प्राइवेट खाली क्यों करावै हे ||
कुपोषण प्रदूषण मिलावट कारण बड्डे बीमारी के
इनके बढ़ते जाने से बढे हमले ज्यान हमारी के
इसपै किसे का ध्यान नहीं कसूर बतावैं करतारी के
पौष्टिक खाना साफ पाणी हवा राज सेहत म्हारी के
इन पै गौर करने नै म्हारी सरकार क्यों नजर चुरावै हे ||
बीमारी हुये पाछै इलाज का ढांचा जरूरी बतावैं
कितै स्टाफ कम कितै दवाई मरीज घणे दुःख पावैं
नीति खागी सरकारी ढांचे नै ये प्राइवेट फूलते जावैं
सरकार का हैल्थ बजट ये जान कई नहीं बढ़ावैं
कसूर किसे का होवै बेबे फेर सजा और कौए पावै हे ||
मरीज और डॉक्टर आज आहमी साहमी भिड़ा राखे हे
तीन हजार नर्स जित उड़ै आठ सौ तैं काम चला राखे हे
उपरल्यां नै अपने चेहते चोखी जागां बिठा राखे हे
बढ़िया डॉक्टर नर्स भी जनता की न्यों गाली खावै हे ||
डीजीज डॉक्टर और ड्रग का फार्मूला फेल हो लिया हे
म्हारी सरकारां खातर तो यो जमा खेल हो लिया हे
बेईमान तो राज करते ईमानदार नै जेल हो लिया हे
रणबीर कम्प्पणी और कुछ डाक्टरों का मेल हो लिया हे
थ्री डी का नारा दुनिया मैं शार्ट कट का राह बतावै हे||
572
दो सखियाँ हैं । चंदकौर का दो साल पहले ब्याह हो जाता है । वह जब अपने पीहर आती है तो उसे पता चलता है कि कमला और युद्धबीर जो दूसरी जात से है और उसके कालेज में पढता है ,शादी करना चाहते हैं । एक रोज दोनों सखियाँ मिलती हैं ।चाँदकौर कमला से पूछती है कि क्या सुन रही हूँ । दोनों के सवाल जवाब होते हैं :-
चाँ- कमला सुणले बात मेरी मतना रोपै चाला हे।।
क:एक बै जो मन धार लिया कोन्या होवै टाला हे।
चाँ: म्हारे बरगी छोरी नै ना वर आपै टोहना चाहिए
क:गलत रीत बात पुराणी ना इनका मोह होना चाहिए
चाँ: अपनी जात कुटम्ब कबिला ना कदे नाम डबोना चाहिए
क:जातपात का झूठा रोला दिल का बढ़िया होना चाहिए
चाँ:के टोहया तनै छैल गाभरू रंगका दीखैकाला हे
क:रूप रंग मैं के धरया सै इंसान गजब निराला हे
चाँ:नकशक रूप रंग पै तो या दुनिया मरतीआई सै
क:बिना विचार मिलें तो फेर कोन्या भरती खाई सै
चाँ: मात पिता वर टोहवैं या दुनिया करती आई सै
क: डांगर ज्यूँ खूंटै बांधैं जणो गऊ चरती पाई सै
चाँ:बात मानले कमला बेबे टोहले बीच बिचाला हे
क: उंच नीच देख लई सै बदलूँ कोन्या पाला हे
चाँ: यो तेरा भूत प्रेम का थोड़े दिन मैं उतर ज्यागा
क: एक सै मंजिल म्हारी क्योकर प्यार बिखर ज्यागा
चाँ: बख्त की मार पड़ैगी हे वो तनै छोड़ डिगर ज्यागा
क:बख्त गैल लडां मिलकै संघर्ष मैं प्रेम निखर ज्यागा
चाँ: जानबूझ कै मतना करै जिंदगानी का गाला हे
क: वो मनै चाहवै सै मैं फेरूं उसकी माला हे
चाँ: गाम गुहांड घर थारे नै जात बाहर करैगा हे
क: बढ़िया बात नै रोकै वो गल्त विचार मरैगा हे
चाँ: घर बार बिना ना तमनै दिन चार सरैगा हे
क: गादड़ की मौत मरै जो एक बार डरैगा हे
चाँ:कमला तूँ फेर पछतावैगी थारा पिटै दिवाला हे
क: चाँदकौर क्यों घबरावै सै रणबीर म्हारा रूखाला हे
जुलाई 1989
573
रेगुलर नौकरी
रेगुलर नौकरी पाना कोन्या कति आसान बताऊँ मैं ||
सी ऍम ऍम पी सब धोरै पाँच साल तैं धक्के खाऊँ मैं ||
पहलम कहवैं थे टेस्ट पास करे पाछै तूं बताईये
पास करे पाछै बोले पहले चालीस गये बुलाईये
एक विजिट चार सिफरिसी दो हजार तले आऊँ मैं ||
सरकारी नौकरी रोज तड़कै ढूंढूं सूँ अख़बार मैं
दुखी इतना हो लिया सूँ यकिन रहया ना सरकार मैं
एजेंट हाँडें बोली लानते कहैं चाल नौकरी दिवाऊं मैं ||
एम् सी ए कर राखी कहैं डेटा आपरेटर लवा देवां
कदे कहैं नायब तसीलदार ल्या तनै बना देवां
तिरूँ डूबूं मेरा जी होरया सै पी दारू रात बिताऊँ मैं ||
घर आली पी एच डी करै उसकी फिकर न्यारी मने
दोनूं बेरोजगार रहे तो के बनेगी या चिंता खारी मने
रणबीर बरोने आले तनै सुनले दुखड़ा सुनाऊँ मैं ||
574
करुं बिनती हाथ जोड़ कै मतना फौज मैं जावै।।
मुष्किल तैं मैं भरती होया तूं मतना रोक लगावै।।
एक साल मैं छुटी आवै होवै मेरै समाई कोन्या
चार साल तैं घूम रहया आड़ै नौकरी थ्याई कोन्या
बनवास काटना दीखै सै कदे कसूर मैं आई कोन्या
बेरोज गारी का तनै बेरा मैं करता अंघाई कोन्या
आड़ै ए खा कमा ल्यांगे नहीं तेरी समझ मैं आवै।।
मैं के जाकै राजी सूं पेट की मजबूरी धक्का लावै।।
थोड़ा खरचा करल्यांगे म्हारा आसान गुजारा होज्यागा
बेगार करनी पड़ैगी हमनै म्हारा जी खारया होज्यागा
साझे बाधे पै ले ल्यांगे किमै और साहरा होज्यागा
सोच बिचार लिए सारी म्हारा जीना भारया होज्यागा
कोन्या चाहिये तेरी तिजूरी जी गैल रैहवणा चाहवै।।
मनै तान्ने दिया करैगी ना तूं बूजनी घड़ाकै ल्यावै।।
ठाडे पर ना बसावै हीणेे पर दाल गलै सै देखो
धनवानां की चान्दी होरी ना उनकी बात टलै देखो
बात इसी देख जी मेरा बहोत घणा जलै सै देखो
जो म्हारे बसकी ना उसपै के जोर चलै से देखो
दिल मेरा देवै सै गवाही जाकै तूं नहीं उल्टा लखावै।।
इसी फेर कदे ना सोचिए न्यों फौजी आज बतावै।।
तनै जाना लाजमी फौजी मेरी कोन्या पार बसाई
अंग्रेजां नै देष लूट लिया भगतसिंह कै फांसी लाई
उनके राज ना सूरज छिपता क्यों लागी तेरै अंघाई
सारे मिलकै जिब देवां घेरा ना टोहया पावै अन्याई
सारी बात सही सैं तेरी पर मेरा कौण धीर बंधावै।।
देखी जागी जो बीतैगी रणबीर ना घणी घबरावै।।
575
हांडे छात मुहैया कराने आला।।
कल्याण कानून थोड़ी सी हमें राहत दिलाने आला।।
1
हरियाणे मैं बाइस लाख निर्माण मजदूर बताये
इनमां तैं बीस प्रतिशत बस रजिस्टर सैं हो पाये
प्रवासी मजदूरों को नहीं दफ्तर राह बताने आला।।
2
ऑन लाइन ऑफ लाइन मजदूर आज उलझाये
निर्माण मजदूर दुखी हो आज सड़कां उपर आये
संघर्ष करकै नै हुया मजदूर मांग मनाने आला।।
3
एकाध मांग मानी म्हारी बाकियों पै कर इंकार रहे
इलाज और दूसरी मांग नाटे जो चला सरकार रहे
उन्तीस सौ करोड़ जमा ना देता सरकार चलाने आला।।
4
एक आदमी एक सुविधा इसके बाहनै हक खोसैं
बयानबाजी ये करैं झूठी रणबीर मजदूरों को कोसैं
लाल झंडे तैं न्यारा यो नहीं पाया मेर कटाने आला ।।
576
भूख
भूख बीमारी घणी कलिहारी कहैं इसका कोये इलाज नहीं।।
बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।
1
भूख रूआदे भूख सुआदे भूख बिघन का काम करै
भूख सतादे भूख मरादे भूख ये जुल्म तमाम करै
कितना सबर इंसान करै उनकै माचै खाज नहीं ।।
बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।
2
शरीर बिकादे खाड़े करादे भूख कति बर्बाद करै
आछे भुन्डे काम करादे मानस हुया बर्बाद फिरै
आज कौन किसे नै याद करै दीखै कोये हमराज नहीं
बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।
3
भूख पैदा करै भिखारी पैदा बड़े बड़े धनवान करै
एक नै भूख दे करकै दूजा पेट अपना बेउन्मान भरै
एक इत्तर मैं स्नान करै दूजे धोरै दो मुट्ठी नाज नहीं ।।
बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।
4
लूट नै दुनिया भाइयो दो पाल्यां बिचाळै बांट दई
मेहनत करने आला भूखा मक्कारी न्यारी छाँट दई
लूट नै सच्चाई आँट दी रणबीर सुनै धीमी आवाज नहीं ।।
बाकी सारी टहल बजारी या करै मानस का लिहाज नहीं।।
577
अपने हाथ कलम पकड़ो
चालाक आदमी फैयदा ठारे , इब माणस की कमजोरी का
घर की खांड किरकरी लागे , कहैं गूँद मीठा चोरी का
भगत और भगवान के बीच , दलाल बैठगे आकै
एक दूसरे की थाली पै , यें राखें नजर जमाकै
सीधी साच्ची बात करैं ना , यें करते बात घुमाकै
झोटे जैसे पले पड़े यें , सब माल मुफ्त का खाकै
म्हारी जेब पै बोझ डालते , अपनी जीभ चटोरी का||
हम बैठे भगवान भरोसे , ये कहरे हम दुःख दर्द हरैं
यें मंदिर की ईंट चुरा कै अपने घर की नीव धरैं
सारा बेच चढ़ावा खाज्याँ टीका लाकै ढोंग करैं
आप सयाने हम पागल बनाये , पाप करण तैं नहीं डरें
म्हारी राह मैं कांटे बोये , यें फैयदा ठारे धौरी का ||
राम के खातर खीलां फीकी ,यें काजू पिसता खावें
भगवान के ऊपर पंखा कोनी , यें ए सी मैं रास रचावें
मुर्गे काट चढ़ा पतीली , यें निश दिन छौंक लगावें
रिश्वत ले कै राम जी की , यें भगतों तैं भेंट करावें
बड़े बड़े गपौड़ रचें , यें करते काम टपोरी का ||
यें व्रत करारे धक्के तैं , धर्म का डर बिठा कै
खुद पड़े पड़े हुक्म चलावें म्हारी राखें रेल बना कै
टीके लाकै पोथी बांचें , कई राखें झूठे ढोंग रचा कै
'रामेश्वर ' सब अँधेरा मेटो , थाम तर्क के दीप जला कै
अपने हाथ कलम पकड़ो , लिखो इब अंत स्टोरी का ||
578
आज ही अमर उजाला में खबर पढ़ी तो दिल कांप सा गया । समझ नहीं आया इस संकट का समाधान । एक रागनी दिमाग में आई। क्या सोचा भला ---
गांव मैं बैंक की गाड़ी देखकै मेरे बालक सहम जावैं
कर्ज के कारण फांसी खाई पति मेरे याद घणे आवैं
1
बैंक का कर्ज पाट्या कोण्या ज्यां फांसी उसनै खाई
सिरसा के हंजीरा गांव मैं ये सबकी आंख भर आईं
छोड़ गया पत्नी एकेली दो बालक यांणे खड़े लखावैं।।
2
बैंक की दाब म्हारे उप्पर रोजाना बढ़ती जावै देखो
जीप चक्कर देवै घरके बालकों मैं दहशत छावै देखो
अवसाद की शिकार हुई मैं बैंक आले भी धमकावैं ।।
3
मासूम निशा ग्यारा साल की जीप कान्ही लखाएँ जा
प्रिंस बेटा आठ साल का डरकै नै आंसू बहाएं जा
पढ़ाई का खर्चा पाटै कोण्या चिंता और कई खावैं।।
4
बैंक अधिकारी कहवै सै कर्ज जमीन पै लिया गया
कोर्ट तैं भी डिक्री का यो फैंसला बैंक तैं दिया गया
कहै रणबीर कुर्की आगी इसतै कैसे पिंड छुटावैं।।
579
मजदूर-
ना गश लावै भाई बिगाड़या तेरा मिजान नहीं ।।
किसान-
मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।
1
मजदूर-
करकै गाड़ी त्यार राज की दो पहिये इसमैं डाल दिये
किसान-
हम जोड़ दिए लागू पूरे मजदूर कर माला माल दिये
मजदूर-
असवार हुया सै मोटा दोनों के मरण के हाल किये
किसान-
थारे मैं बांट म्हारी कमाई हम उसनै कंगाल किये
मजदूर-
बण्या डलेवर पूंजीपति हम करते यो ध्यान नहीं।।
किसान-
मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।
2
मजदूर-बैठ्या बैठ्या बंगळ्यां मैं ओ मौज उड़ावै सै
किसान- मेहनत हम करां सां क्यूकर लूट ले जावै सै
मजदूर- कमाई तीस की करवाकै देकै आठ भकावै सै
किसान-ओ क्यूकर लूटै सै जब भा सरकार ठहरावै सै
मजदूर- ये टोटके समझे बिना होवै कति कल्याण नहीं।।
किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।
3
मजदूर-उठ सवेरे ही हम दोनों अपने अपने काम पै जावैं सैं
किसान-मर पिट कै सांझ ताहिं ये गण्ठा रोटी थ्यावैं सैं
मजदूर-टूट्या फूट्या घर म्हारा मुश्किल गुजारे हो पावैं सैं
किसान-रच दिया संसार उसनै ये थाह किसनै थ्यावैं सैं
मजदूर- रूस लिया कमेरयां तैं म्हारा यो भगवान नहीं ।।
किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।
4
मजदूर- इतनी मैं ना पार पड़ै हमनै आपस मैं कटवावै यो
किसान-किसान नै मजदूर खाग्या यही हमनै बतलावै यो
मजदूर- एक डाँडी तैं मारै मनै दूजी तैं तनै खावै यो
किसान-मारै क्यूकर मनै बता अन्नदाता मनै बतावै यो
रणबीर बिना म्हारे मेल होवै कोये समाधान नहीं ।।
किसान- मजदूरी बाधू मांगें जावै करै म्हारा ध्यान नहीं ।।
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