Wednesday, 1 November 2023

10 ragni हरियाणा

1

हरि के हरियाणेमैं

श्यामत म्हारीआई, कोन्या दीखै राही, चढ़ी सै करड़ाई

हरि के हरियाणेमें।।

1

बोहर और भालोठ बताये,

रूड़की किलोई संग दिखाये

कर्जा चढग्याभारी, आया बैंक

सरकारी, डूंडी पिटगी म्हारी

हरि के हरियाणे मैं।

2

धरती चढ़गी लाल स्याही मैं,

कसर नहीं रही तबाही मैं

आज घंटी खुड़की, 

किलोई चाहे रूड़की,

होवैगी म्हारी कुड़की

हरि के हरियाणेमैं।।

3

आमदन या घाट लिकड़ती 

लागत तो बाधू लानी पड़ती


सब्सिडी खत्म म्हारी, 

देई घरां मैं बुहारी, 

श्यामत आगी भारी

हरि के हरियाणे मैं।।

4

महंगी होन्ती जासै पढ़ाई रै,

रणबीर मरैं बिना दवाई रै

दुख होग्या भारया 

मन बी होग्या खारया  

नहीं रास्ता पारया

हरि के हरियाणेमैं।।

2

कारपोरेट गुड़गामा आज एनसीआर के फाइनेंसियल हब के रूप में विकसित हो गया है । यहाँ 500 कम्पनियाँ मौजूद हैं । यहाँ के जीवन के बारे क्या बताया भला :--

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।

1

मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो

तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो

तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो

रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो

इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

2

अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै

ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै

भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कति अकेला पावैं रै

गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै

आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

3

मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई

अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई

फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई

उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई

मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।

4

मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई

दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई

घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई

नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई

बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।

आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।


3

म्हारा हरियाणा -सबका हरियाणा


लालच लूट खसोट बचै ना ईसा हरियाणा बनावांगे ॥


या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥

1

भरपूर इन्सान उभरै म्हारे इस 

प्यारे हरियाणा मैं


सही बात और बोल कहे जावैं 

म्हारे हरियाणा मैं


बीमारी की रोकथाम हो सही सबकाइलाज करावांगे॥

या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥

2

दोगली शिक्षा का खात्मा हो सबनै शिक्षा मिलै पूरी


नाड़ काट मुकाबला ना रहै ना हो

पीसे की मजबूरी


नशा खोरी नहीं टोही पावै हम यो अभियान चलावांगे ॥

या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥

3

मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै


जिसकी लाठी भैंस उसकी यो जुमला फेर नहीं बचै


प्रदूषण बढ़ता जा हम धरती बाँझ होण तैं बचावांगे ॥

या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥

4

महिला नै इंसान समझां रीत ख़त्म होदोयम दर्जे की


दलित उत्पीडन खत्म होवै ना 

मार बचै इस कर्जे की


नौजवान नै रोजगार मिलै सारे कै

बिगुल बजावांगे॥

या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥


4

 किसा हरियाणा हो हरियाणा के जन्म दिन के बहाने

1966 में 7 जिले थे हरियाणा के आज 22 जिले हैं (एनसीआर में 14 जिले हैं।आज जनसंख्या 27388008 है जो 2011 में 25353081 थी।

आज हरियाणा 51साल का हो गया है और 52 वें साल में आ गया है। बहुत कुछ पाया मगर उससे ज्यादा खोया भी है। पर्यावरण का मामला ज्यादा गम्भीर हुआ इन सालों में। स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यवसायीकरण ने इलाज आम आदमी से दूर कर दिया और डॉक्टर और मरीज के बीच अविश्वास बढ़ा दिया । पढ़ाई भी बहुत महंगी हो गई। खेती का संकट बहुत आगे बढ़ गया। बेरोजगारी बढ़ी है। लिंग अनुपात भी पूरे देश में सबसे नीचे है। महिलाओं पर हो रहे क्राइम्स की संख्या बढ़ रही है। दलितों पर भी अत्याचार बढे हैं। हम जैसे लोगों को नेगेटिव सोच के कार्यकर्ता के तगमें दिए जा रहे हैं।

इसमें कोई शक नहीं कि एक हिस्से में सम्पनता आई है हरित क्रांति के बाद मगर ऊपर लिखी कीमत भी चुकाई है। इसी तबके के एक हिस्से ने रत्नावली भी मनाई कुरुक्षेत्र में। शायद गुणगान ही किया होगा । आत्म मन्थन नहीं।

मेरे आदर्शों का हरियाणा कुछ इस प्रकार का होगा।

किसा हरियाणा हो म्हारा इतना तो जाण लयाँ।

शराब टोही कोण्या पावै इतना तो ठाण लयाँ ।

समानता होगी हरियाणे मैं उंच नीच रहै नहीं

न्या मिलैगा सबनै भाई अन्या कोये सहै नहीं

ओछी कोये कहै नहीं बढ़ा इतना ज्ञाण लयाँ।

अच्छाई का साथ देवां चाहे देणी होज्या ज्यान

बुराई का विरोध करां चाहे तो लेले कोये प्राण

बचावां हम अपना सम्मान खोल या जुबाण लयाँ।

सादगी शांति का आड़ै हरियाणे मैं प्रचार होगा

माणस नहीं लूट मचावैं सुखी फेर घरबार होगा

सही माणस हकदार होगा यो कहना माण लयाँ ।

जनता नै हक मिलज्याँ चारोँ कान्ही भाईचारा हो

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ना कितै अँधियारा हो

हरियाणा सबतैं न्यारा हो रणबीर नै पिछाण लयाँ।


5

कई साल पहले लिखी रागनी आज मिली 

पीसे का जुगाड़ बनाया धरती गैहणै धरकै नै।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

1

दोनों आगै पाछै चाले ज्यूं घोड़ी कै पीछै बछेरा 

घणा दुःख पाग्या मेरी खातर यो बूढ़ा बाप मेरा

सोचै सिपाही बनकै नै मैं दुःख दूर करूंगा तेरा

दस हजार के बीस बनाऊं देकै मुल्जिम कै घेरा

घोड़ी पै चढ़ सपने मैं चाल्या वो सिपाही बनकै नै ।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

2

बाबू के दिल मैं धड़का था कदे बिचौलिया पीसे खाज्या

धरती खोई पीसे बी जावैं कदे ज्याण मरण मैं आज्या

या भर्ती छोरट की कदे उसकै यो थूक कसूता लाज्या

बिचौलियां कहै विश्वास करो ना कैसे नौकरी थ्याज्या

बाबू घणा घबराया ना देख्या इसे रासे मैं पड़कै नै।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

3

टूटी लोकल मैं बैठ दोनों शहर बीच आगे भाईयो

शहर मैं एसपी दफ्तर की देख भीड़ चकरागे भाईयो

मानस ऊपर मानस चढ़रया हम तै घबरागे भाईयो 

बोली चढ़गी पन्दरा पै लिकड़ते बड़ते बतागे भाईयो

सिफारिसी चिट्ठी लेरे थे वे चालैं घणे अकड़ कै नै ।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

4

बीस सीट बतावैं भाईयो सिफारसियां का औड़ नहीं 

गाभरू छोरे छः फ़ीट के उनका उड़ै कोये जोड़ नहीं

उड़ै पढ़ाई लियाकत गात कै कोये बांधै था मोड़ नहीं 

चार सीएम के दो मंत्री के यो टेलिफोनां का तोड़ नहीं 

लाइन मैं खड़्या होकै तारे लत्ते एक एक करकै नै।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

5

जिले जिले मैं पुलिस भर्ती रूक्का रोला माच गया

आशनाई रिश्तेदारी टोहवैं हरेक मानस नाच गया 

बेरोजगारी छागी गामां मैं यो हो तीन दो पांच गया 

बिचौलियां इन सारी बातां की कर पूरी जांच गया

भरतू पै बीस लाख लेग्या एक एक गड्डी गिनकै नै।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।

6

शाषकां कै कमावण खातर लाखां छोरे आरे थे 

सुथरा छैला गात रै उनका चेहरे कति मुरझारे थे

रिश्वत खोरी खुली होरी बालक बहोत घबरारे थे

बिना रिश्वत सिफारिस आले पां कै पां भिड़ारे थे 

बणी लिस्ट रणबीर उनकी जो देगा बढ़ चढ़ कै नै।।

नौकरी लवावण चाल्या पीसा गौज मैं भरकै नै।।


6

50 साल के मौके पर आजादी का एक आकलन ।

आजादी 

खतरे मैं आजादी म्हारी जिंदगी बणा मखौल दी।

इसकी खातर भगत सिंह नै जवानी लूटा निरोल दी।

आजादी पावण की खातर असली उठया तूफ़ान था

लाठी गोली बरस रही थी जेलां मैं नहीं उस्सान था 

एक तरफ बापू गांधी दूजी तरफ मजदूर किसान था 

कल्पना दत्त भगत सिंह नै किया खुल्ला ऐलान था 

इंक़लाब जिंदाबाद की उणनै या ऊंची बोल दी ।

सत्तावन की असल बगावत ग़दर का इसे नाम दिया

करया दमन फिरंगी नै उदमी राम रूख पै टांग दिया 

सैंतीस दिन रहया जूझता कोये ना मिलने जाण दिया

हंस हंस देग्या कुर्बानी हरियाणे का रख सम्मान दिया

हिन्दू मुस्लिम एकता नै गौरी फ़ौज या खंगोल दी।

भारतवासी अपने दिलां मैं नए नए सपने लेरे थे

नहीं भूख बीमारी रहने की नेता हमें लारे देरे थे

इस उम्मीद पै हजारों भाई गए जेलों के घेरे थे

दवाई पढ़ाई का हक मिलै ये नेक इरादे भतेरे थे

गौरे गए आगे काले रणबीर की छाती छोल दी।

फुट गेरो और राज करो ये नीति वाहे चाल रहे रै

कितै जात कितै धर्म नै ये बना अपनी ढाल रहे रै

आपस मैं लोग लड़ाए लूट की कर रूखाल रहे रै

वैज्ञानिक नजर जिसकी जी नै कर बबाल रहे रै

इक्कीसवीं की बात करैं राही छटी की खोल दी।

2003-2004


7

संघर्ष छिड़ लिया 

किसान मजदूर व्यापारी के आन्दोलन की जंग छिड़ी।।

सारे हिन्दुस्तान की जनता सरकार गेल्या आण भिड़ी। 

1

जलूस काढ़ते जगां जगा पै इंकलाब जिंदाबाद बोलैं

भारत के किसान मजदूर लाठी गोली  तै नहीं डोलैं

जंजीर तानाशाही की खोलैं या संघर्ष की आज घड़ी।।

सारे हिन्दुस्तान की जनता सरकार गेल्या आण भिड़ी।

2

नौजवान युवक युवती चाहवैं इनका साथ निभाया रै

आज आये सड़कों पै इंकलाब जिंदाबाद गुंजाया रै

तीन बिल किसान विरोधी बेरोजगारी भी बनी कड़ी।।

सारे हिन्दुस्तान की जनता सरकार गेल्या आण भिड़ी।

3

किसान नहीं तो देश किसा नर और नारी पुकार रहया

बिल पास करे जो उणनै आकै सड़कों पै नकार रहया

नवजागरण की चिंगारी देश मैं सुलगी कई जगां बड़ी।।

सारे हिन्दुस्तान की जनता सरकार गेल्या आण भिड़ी।

4

एक माहौल संघर्ष का चारों कान्हीं जन जन मैं छाया रै

भगतसिंह का विचार सबनै इंकलाब का आज भाया रै

रणबीर सिंह नै सोच समझ कै नये ढंग की कली घड़ी। 

सारे हिन्दुस्तान की जनता सरकार गेल्या आण भिड़ी।


8

मजदूर किसान मिलकर के लुटेरों से टकराएंगे।

जितने बिल हमारे खिलाफ सब को वापस करवाएंगे। 

1

जितना दबाओगे आप हमें इतना जोश बढ़ेगा हमारा 

एकता हमारी मजबूत होगी जुलम हारेगा तुम्हारा 

चैन खोस लिया हमारा अब हम सबक सिखाएंगे।

जितने बिल हमारे खिलाफ सब को वापस करवाएंगे। 

2

तुम्हारी लाठी गोली जो चले उनसे नहीं घबराने के  

हमारा संघर्ष जोर पकड़ेगा उल्टे कदम नहीं हटाने के 

लुटेरे फिर नहीं टोहे पाने के नारे मिलकर लगाएंगे ।

जितने बिल हमारे खिलाफ सब को वापस करवाएंगे। 

3

किसानी एकता तोड़ने  को हिंदू-मुस्लिम लाए हैं 

जाति धर्म गोत नात पर चाहते जनता को लड़ाए हैं 

कितनी झूठ भकाए हैं हम सब खोल के बताएंगे।

जितने बिल हमारे खिलाफ सब को वापस करवाएंगे। 

4

हिंदुस्तान के नर नारी हिंदू मुस्लिम सिख इसाई 

इनकी एकता के सामने ना होएगी तुम्हारी सुनाई 

रणबीर लिख कविताएं दुनिया में अलख जगायेंगे।

जितने बिल हमारे खिलाफ सब को वापस करवाएंगे।


9

सबका हरियाणा -हमारा हरियाणा 

बड़ा गुणगान होगा शाइनिंग 15 प्रतिशत  हरियाणा का 

मगर 85 प्रतिशत सफरिंग हरियाणा का जिक्र नहीं होगा 

एक नवम्बर के हरयाणा दिवस के मौके पर एक सपना 

 मेरा  भी ~~~~~

मिलजुल कै नया हरयाणा हम घणा आलीसान बनावांगे

नाबराबरी खत्म करकै नै हरयाणा आसमान पहोंचावांगे

बासमती चावल हरयाणे का दुनिया के देशां मैं जावै आज

चार पहिये की मोटर गाड़ी  यो सबतैं फालतू बणावै आज

खेल कूद मैं हम आगै बढ़गे एशिया मैं सम्मान बढ़ावांगे

चोरी जारी ठग्गी नहीं रहवैंगी भ्रष्टाचार नहीं टोहया पावै

मैरिट तैं मिलैं दाखिले सबनै शिक्षा माफिया खड़या लखावै

मिलकै सारे हरयाणा वासी इन बातों नै परवान चढ़ावांगे

ठेकेदारां की ठेकेदारी खत्म होज्या खत्म थानेदारी होवै

बदमाशों की बदमाशी खत्म हो फेर खत्म ताबेदारी होवै

निर्माण और संघर्ष का नारा यो पूरे हरयाणा मैं गूंजावांगे

दहेज़ खातिर दुखी होकै नहीं औरत फांसी खा हरयाणा मैं 

कदम बढ़ाये एकबै जो आगै फेर ना पाछै जाँ हरयाणा मैं 

बराबर के माहौल मैं महिलाओं के अरमान खिलावांगे 

छुआ छूत का नहीं नाम रहै सब रल मिल रहैं गामां मैं 

त्याग तपस्या और मोहबत की ये फुहार बहैं गामां मैं

दिखा मानवता का रास्ता जातधर्म का घमासान मिटावांगे 

हरयाणा के लड़के और लड़की कन्धे तैं कन्धा मिला चालैंगे

देकै कुर्बानी ये छोरी छोरे नए हरयाणा की नींव डालैंगे

गीत रणबीर सिंह नै बनाया मिलकै हम सारे ही गावांगे


10

कुछ साथियों को बुरा लग सकता है मगर जिंदगी में जात की खेलबाजी अंदर तक देखने के बाद ही इस जगह पर पहोंचा हूँ या पहुँचा दिया गया हूँ । 1978 की मैडीकल कालेज की 98 दिन लंबी हड़ताल जिसमें पूरा कालेज जाट नॉन जाट में बंट गया था और उसके बाद के झटके जिन्होंने आँखे खोल कर देखने को मजबूर कर दिया । 


जात नै माणस का माणस बैरी बणा जबर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

1

दो किले आला जाट बी आज जाट सभा की कोली मैं

भूखा मरदा ब्राह्मण बी यो ब्राह्मण सभा की झोली मैं

फिरै भरमता रोड़ बिचारा आज रोड़ सभा की टोली मैं 

दलित भी बन्ट्या हुया देखो यो कई रंगों की रोली मैं 

जात पात का घणा कसूता दखे विष यो भर राख्या सै ।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

2

जात के रंग ढंग मैं सै या मानवता बाँटण की मक्कारी 

कथनी घणी सुहानी लागै सै पर पाई करणी मैं गद्दारी 

काली नाग और पीत नाग ये भाई बिठाये एक पिटारी

मुँह मैं राम बगल मैं छुरी भाई सै या बुझी जहर दुधारी 

जात्यां के बुगळे भगतां नै यो मिला सुर मैं सुर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

3

ब्राह्मण खत्री वैश्य और शुद्र ये चार वरण बताये सुणो

मनु जी नै फेर वरणां कै जात्यां के पैबन्द लगाये सुणो

गोत नात कबिल्यां भितर बेरा नहीं कद सी आये सुणो

जन्म कारण जात माणस की ग्रन्थ लिख़कै ल्याये सुणो

इसकी आड़ मैं लुटेरे लूटैं माणस बणा सिफर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

4

ढेरयां आला कुड़ता म्हारा या जात पात बताई आज 

गेहूं के खेत मैं ऊग्या हुया बथुआ जात सुझाई आज

ठेके कै म्हां लागी सुरसी गिहूँआं की मर आई आज

ये कमेरे दुखी जात्यां मैं नेतावां नै चादर घुमाई आज

काढ बगादे यो कुड़ता इसनै आज कर बेघर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

5

जात छोड़ कट्ठे होंवैं काम करणिये भुखे मरणीये भाई 

गोत नात छोड़ कट्ठे हों ये जितने नौकरी चढ़निये भाई

टूचावाद छोडकै कट्ठे हों सब बेरोजगार फिरणीये भाई

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई ये मानवता पर चलनिये भाई 

म्हारै ना जात किसे काम की कर क्यों सबर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

6

सारी दुनिया रुके देकै नै ईब दो जमात बतारी देख 

एक कमेरा जिसकी मेहनत दुनिया मैं रंग दिखारी देख

दूजा लुटेरा जिसनै लूटी म्हारी सजाई दुनिया सारी देख

या पाले बंदी छिपाने खातर चलै जात की आरी देख

म्हारे माल के हम भिखमंगे यो बना आडम्बर राख्या सै।

एक दूजे की छाती कै उप्पर जन चाकू धर राख्या सै।

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