Wednesday, 1 November 2023

30 रागनी

1**

नया हिन्दुस्तान*

लालच लूट खसोट बचै नहीं नया हिन्दुस्तान बसावांगे।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*1*

नई तरां का इन्सान उभरै नई तरां के म्हारे समाज मैं

नई बात और बोल नये कहं जां नये सुर और साज मैं

बीमारी हो ही नहीं पावै विज्ञान नै लोक हित मैं लावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*2*

दोगली शिक्षा का खात्मा हो ज्ञान पिटारा फेर इन्सान होज्या

नाड़ काट मुकाबला रहै ना एक दूजे का सम्मान होज्या

नशा खोरी नहीं टोही पावै इसका नामो निशान मिटावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*3*

मुनाफा मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै

लाठी की भैंस नहीं रहै ना हथियारां का फेर सम्मान बचै

प्रदूषण बढ़ता जा धरती शमशान होण तै बचावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।

*4*

महिला नै इन्सान समझै रीत खत्म हो दोयम दरजे की

नौजवानां नै मिलै सही रास्ता ना मार बचै इस करजे की

जात पात खत्म हो इन्सान बनां सारे के बिगुल बजावांगे।।

धर्म का जहर खेल रचै नहीं हम इसा इन्सान बणावांगे।।


2**

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*सब चीजां के ठाठ लग्गे कोठा नाज का भर ग्या   रै||* 

*1*

जीरी गिन्हूं कपास अर इंख की खेती बढती जावै सै

देश के सुब्याँ मैं नंबर वन यो  हरयाणा का आवै सै

सड़क पहोंचगी सारै गाम गाम बिजली लसकावै    सै 

छैल गाभरू छोरा इसका लड़न  फ़ौज के म्हें जावै सै

खेतां के म्हें नया खाद बीज ट्रेक्टर घराटा ठावै सै  

फरीदाबाद सोनेपत हिसार पिंजौर मील सिटी लावै सै  

*सारे भारत मैं भाइयो इंका सूरज शिखर मैं चढ़ग्या रै ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*2*

ये बात तो भाई हर रोज बता बता दिल डाटे जाँ रै 

इस चकाचौंध के पाछै सै घोर अँधेरा नाटें जाँ रै  

जो भी हुआ फायदा बेईमान आपस मैं बांटें जाँ रै 

भका भका जातां के चौधरी नाड़ म्हारी काँटें जाँ रै 

अपनी काली करतूतां नै जात के तल्ले ढान्पें  जाँ रै 

बोलै जो उनके खिलाफ वे झूठे केसां  मैं फांसे  जाँ रै  

कुछ परवाने भाइयो फिर भी  इनके करतब नापें  जाँ रै 

*बिन धरती अर दो किल्ले आला ज्यां तैं मरग्या रै ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*3*

खम्बे मीटर गाम गाम मैं बिजली के इब तार गए 

ओवर सीयर एस सी सब कर बंगले अपने त्यार गए 

चार पहर भी ना बिजली आवै बाट देख देख हार गए 

बिना जलाएं  बिजली के बिल कर कसूती मार गए  

ट्यूबवेल कोन्या चालै ट्रानस्फोर्मार के जल तार गए 

पैसे आल्यां  के ट्यूबवेल थ्रेशर चल धुआं धार  गए 

*गरीबां की गालाँ मै दूना कीचड देखो आज भरग्या  रै  ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*4*

गाम गाम मैं सड़क बनाई फायदा कौन उठावैं सें

बस आवै जावै कदे कदे लोग बाट मैं मुंह बावैं  सें

पैसे आल्यां  के छोरट  ले मोटर साईकिल धूल उड़ावें सें

टरैक्टर ट्राली सवारी ढोवें मुंह मांगे किराये ठहरावै सें 

सड़क टूटरी जागां जागां साईकिल मैं पंकचर हो ज्यावें  सें 

रोड़ी फ़ोडै  पां गरीबां के जो मजबूरी मैं पैदल जावैं सें 

*बस नै रोकें कोन्या रोकें तो भाडा गोज नै कसग्या रै ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*5*

बिन खेती आल्यां  का गाम मैं मुश्किल रहना  होग्या

मजदूरी उप्पर चुपचाप  दबंगा का जुल्म सहना होग्या 

चार छः  महीने खाली बैठ पेट की गेल्याँ फहना होग्या 

चीजां के रेट तो बढ़गे प़र पुराने   प़र बहना  होग्या 

फालतू मतना मांगो  नफे  दबंग का नयों  कहना होग्या 

गाम छोड़ शहर पडे आना घर एक तरियां ढहना होग्या 

*भरे नाज के कोठे फेर भी पेट कमर कै मिलग्या   रै  ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*6*

खेती करणिया  मैं भी लोगो जात कारगर वार करै

एक जागां बिठावै  गरीब अमीर नै ना कोए विचार करै

किसान चार ठोड बँट लिया कैसे नैया इब पार तिरै  

ट्रैक्टर आले  बिना ट्रैक्टर आल्यां  की या  लार फिरै

इनकी हालत किसी होगी बिलखता यो  परिवार फिरै 

बिना धरती आल्यां का आज नहीं कोए भी एतबार करै  

*जात मैं जमात पैदा होगी बेईमान नै खतरा बधग्या रै ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*7*

घन्याँ की धरती लाल स्याही मैं बैंक के महां चढ्गी थी

दो लाख मैं बेचे किल्ला चेहरे की लाली  सारी झडगी  थी 

चूस चूस कै खून गरीब का अमीर के मुंह लाली बढगी थी 

कर्जे माफ़ होगे एकब़र तो फेर कीमत धरती की बधगी थी 

आगे कैसे काम चलैगा रै   एक ब़रतो इसतैं सधगी थी   

आगली पीढ़ी  के करैगी म्हारी तै क्यूकरै ए  धिकगी थी

*हँसना गाना भूल गए जिन्दा रहवन का सांसा पड़ग्या रै||* 

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*

*8*

शहरों का के जिकरा  करूँ  मानस आप्पा भूल रहया यो 

आप्पा धापी माच रही आज पैसे के संग झूल रहया यो  

याद बस आज रिश्वत खोरी  जमा नशे मैं टूहल रहया यो 

इन्सान तै हैवान बनग्या  मिलावट में हो मशगूल रहया यो 

चोरी जारी ठगी बदमाशी सीख भूल सब उसूल रहया यो

इसी तरक्की कै लगे गोली पसीना बह फिजूल रहया यो 

*फेर भी रुके मारैं  तरक्की के रणबीर का दिल भरग्या रै ||*

*दुनिया रूक्के देरी हरयाणा घनी तरक्की करग्या रै ||*


3**

नींद मैं रुखाळा*


*लेज्यां म्हारे वोट करै बुरी चोट आवै क्यों नींद रुखाळे नै* 

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।


जब पाछै सी भैंस खरीदी देखी धार काढ़ कै हो 

जब पाछै सी बीज ल्याया देख्या खूब हांड कै हो 

जब पाछै सी हैरो खरीद्या देख्या खूब चांड कै हो 

जब पाछै सी नारा ल्याया देख्या खूड काढ़ कै हो 

*वोटां पै रोळ पाटै कोन्या तोल लावां मुंह लूटण आळे नै।* 

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।


घणे दिनां तैं देख रही म्हारी या दूणी बदहाली होगी 

आई बरियां म्हानै भकाज्यां इबकै खुशहाली होगी 

क्यों माथे की सैं फूट रही या दूणी कंगाली होगी 

गुरु जिसे चुनकै भेजां इसी ए गुरु घंटाली होगी 

*छाती कै लावै क्यूं ना दूर भगावै इस बिषयर काळे नै।* 

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।


ये रंग बदलैं और ढंग बदलैं जब पांच साल मैं आवैं सैं 

जात गोत की शरम दिखाकै ये वोट मांग कै ले ज्यावैं सैं 

उनकै धोरे जिब जाणा होज्या कित का कौण बतावैं सैं 

दारु बांटैं पीस्सा बी खरचैं फेर हमने ए लूटैं खावैं सैं 

*करैं आपा धापी ये छारे पापी थापैं ना किसे साळे नै।* 

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।


क्यों हांडै सै ठाण बदलता सही ठिकाना मिल्या नहीं 

बाही मैं लागू और टिकाऊ ऐसा नारा हिल्या नहीं 

म्हारे तन ढांप सकै जो ऐसा कुड़ता सिल्या नहीं 

खेतां में नाज उपजावां सां फूल म्हारै खिल्या नहीं 

*साथी रणबीर बनावै सही तसबीर खींच दे असली पाळे नै।* 

घेर लिए मकड़ी के जाळे नै ।।


4

प्रजातंत्र*

लागी दिल पै चोट, 

लेगे जात पै वोट

बंटे साथ मैं नोट, 

यो प्रजातंत्र का खोट

ले गरीबी की ओट, 

अमीर खेले धन मैं।।

*1*

नाम जनता का लेवैं सैं,

अमीरां के अंडे सेहवैं सैं,

बतावैं माणस का दोष, 

कहैं व्यवस्था निर्दोष, 

ये लेगे बुद्धि खोस, 

धर्म तैं करे मदहोश, 

ना हमनै कोये रोष, 

सोचूं अपने मन मैं।।

*2*

ये साधते हित अपना, 

ना ये करैं पूरा सपना,

जितने बैठे मुनाफाखोर, 

सबसे बड्डे डाकू चोर, 

सदा सुहानी इनकी भोर, 

ना पावै इनका छोर, 

थमा जात धर्म की डोर, 

फूट गेरदी जन मैं।।

*3*

कुर्सी खातर रचते बदमाशी, 

ना शरम लिहाज जरा सी,

पालतू अम्बानी की सरकार, 

ना जावै कहे तैं बाहर, 

गरीबां की कह मददगार,

या जुमले देवै बारंबार, 

ईब रहया ना एतबार, 

इस गदरी बण मैं।।

*4*

स्कूली किताबों पै तकरार, 

गंदा साहित्य बेशुमार

सबको शिक्षा सबको काम, 

आजादी पै दिया पैगाम, 

लाखों अनपढ़ बैठे नाकाम,

हर चीज के लगते दाम,

नौकरी करते हैं नीलाम, 

आग लागरी तन मैं।।


5**

 *किसान आंदोलन जिंदाबाद*

*गरीब और गरीब होग्या इसा तरीका महारे विकास का* 

*अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का*

*1*

कहते गरीबी दूर करांगे कई नई स्कीम चलाई गई

विकेंद्रीकरण कर दिया देखो बात खूब फैलाई गई

*सल्फास किसान क्यों खावै के कारण उसके सत्यानाश का*

*अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का*

*2*

नाबरॉबरी और कितनी या भारत मैं बधांते जावांगे

भगत सिंह के सपन्यां आल्या समाजवाद कद ल्यावांगे

*छल कपट छाग्या देश मैं के होगा भ्रीष्टाचारी घास का*

*अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का*

*3*

माणस अपणा आप्पा भूल गया पीस्से का आज दास हुया

बेईमानी बढ़ती जावै सै बाजार का दबाव आज खास हुया

स्कॉच चलै पांच *सितारा मैं ख्याल ना म्हारी प्यास का*

*अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का*

*4*

प्यार की जगां हवस छागी नँगे होवण की होड़ लगी रै

शरीर बेचकै एश करो बाजार मैं या दौड़ लगी रै

*रणबीर सिंह बरोने आला साथ निभावै सोहनदास का*

*अमीर और अमीर होग्या इसा आरा चलाया विनाश का*

6

*रागनी-जलियां वाला बाग कांड*

               *निशान काला जुलम कुढाला यो जलियां आला बाग हुया।।*

               *अंग्रेज हकुमत के चेहरे पै घणा बड्डा काला दाग हुया।।*

               देश की आजादी की खातर बाग मैं तोड़ होग्या

               इतिहास के अन्दर बाग एक खास मोड़ होग्या

               *देश खड़या एक औड़ होग्या जिब यो खूनी फाग हुया।।*

               इसतै पहलम बी देश भक्ति का था पूरा जोर हुया

               मुठ्ठी भर थे क्रान्तिकारी सुधार वादियों का शोर हुया

               *दंग फिरंगी चोर हुया बुलन्द आजादी का राग हुया।।*

               शहरी बंगले गाम के कंगले सबको ही झकझोर दिया

               कांप उठी मानवता सारी जुलम घणा महाघोर किया

               *एकता को कमजोर किया इसा फिरंगी जहरी नाग हुया।।*

               कुर्बानी दी उड़ै वीरों नै वा जावै कदे बी खाली ना

               जिब जनता ले मार मंडासा फेर पार किसे की चाली ना

               *जीतों बैठैगी ठाली ना रणबीर सिंह चाहे निर्भाग हुया।।*


7

काढ़ा

छोरी कै ताप आया था मने देसी काढ़ा प्याया फेर।।

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

डाक्टर नै पूरी जाँच करकै शुरू कर इलाज दिया

हल्का खाना गया बताया बंद कर सब नाज दिया

दवा लिखी चार ढाल की फीस मैं कर लिहाज दिया

गन्दा पानी फैलावे बीमारी बता यो सही काज दिया

ताप फेर बी ना टूट्या पेट मैं दर्द जताया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

डाक्टर जमा हाथ खड़े करग्या काली रात अँधेरी थी

बीजल लस्कैं बाल चलती दी बीप्ता नै घेरी थी 

खड्या लाखऊँ बेटी कान्ही जमा अकल मारगी मेरी थी  

वा नयों बोली बाबू बचाले मैं घनी लाडली तेरी थी

गूंठा टेक कै पाँच हजार ब्याज पै मैं लयाया  फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

चाल गाम तैं बाबू बेटी मेडिकल मैं चार बाजे आये

नर्स डाक्टर सोहरे  थक कै हमने आके नै वे ठाए

सारी बात बूझ कै म्हारी फेर बहोत से टेस्ट कराये 

एक्सरे देख कै वे डाक्टर फेर आपस मैं बतलाये  

परेशान जरूरी सै ताऊ अंत मैं छेद बताया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

पायां ताले की धरती खिसकी हाथ जोड़ कै फ़रमाया

मेरा खून चाहे जितना लेल्यो चाहूं बेटी नै बचाया

एक बोतल  एक माणस तै उसनै यो दस्तूर बताया

ओढ़ानै  मैं जाऊं कडे मने पह्याँ कान्ही हाथ बढाया

डाक्टर पाछे नै होग्या उसनै मैं धमकाया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

पलंग धौरे  बैठ गया मेरी बेटी मेरे कान्ही लखाई

एकदम सिसकी आगी मेरे पै ना गयी आंख मिलाई

डाक्टर नै बेरा ना क्यूकर फेर दया म्हारे पै आई

एक मने देई दो उडे तै बोतल खून की दिलवाई

परेशान सही होग्या डाक्टर नै धीर बंधाया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।

बीस दिन रहे मडिकल मैं खर्चा तीस हजार होग्या

एक किल्ला पड्या टेकना पर बेटी का उपचार होग्या

मेडिकल  के डाक्टर का सारी उम्र का कर्जदार होग्या

उनकी उड़ऐ  देखी जिन्दगी रणबीर सिंह ताबेदार होग्या

इलाज करवाकै  बेटी का अपने घर नै मैं आया फेर ||

जिब छः दिन हो लिए  डाक्टर मने बुलाया फेर ।।


8**

बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतकै आज इतिहास रचाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

1

सिंधु नै ओकुहारा को सीधे गेमां मैं लाकै जोर हराया रै

हांगा लाकै खेली पी वी सिंधु जब गोल्ड मैडल देश मैं आया रै

इक्कीस सात इक्कीस सात तैं हराकै देश का गौरव बढ़ाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

2


ओकुहारा के खिलाफ अपना करियर रिकॉर्ड नौ सात करया 

 स्विट्जरलैंड में पी वी सिंधु नै  बैडमिंटन मैं इतिहास रचया

नोजोमी ओकुहारा को मात देकै नै खास माहौल बनाया यो।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

3

वर्ल्ड के स्तर पै  बैडमिंटन मैडल ना कोये बी ल्याया रै

पी वी सिंधु की मेहनत नै रविवार नै

यो मैडल पाया रै

शाबाश पी वी सिंधु तनै म्हारी झंडा तिरंगा जितवाया यो ।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।

4

यो मुकाबला अड़तीस मिनट चल्या

पसीनम पसीन्यां होई

दो सौ सतरा की हार का बदला लेकै

याद वा पुरानी धोई

बढ़त बना कै पहले खेल मैं रणबीर 

आगै कदम उठाया यो ।।

पहली भारतीय बनीं सिंधु जिसनै गोल्ड मैडल दिलवाया यो।।


9**

हमारा गौरव 


अपनी औरत को जुएं मैं हारण आले 

अतीत का गौरव दिखाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

1

औरतों को देवदासी बनाने आले 

समाज ठेकेदार बने

सती प्रथा के नाम पर जिंदा जलाने आले नम्बरदार बने

विधवा होने पर सर गंजा करकै मथुरा का रास्ते सुझाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

2

बेटी को मां की कोख में मारण वाले

हमनै संस्कृति सिखावैं

द्रोपदी नै जुए मैं ज्ञानी धयानी युधिष्टर हार जीत मैं लगावैं

पांचों की एक बहु होवैगी महाभारत मैं आदर्श खूब सिखाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

3

सौ सौ बालक पैदा करण के समाज मैं

पैमाने धर दिए रै

एकलव्य बरगे द्रोणाचार्य गुरुदेव नै बिन गूंठे के कर दिए रै

दान दक्षिणा मैं गूंठा मांग लिया उसनै

गुरु कै कालख लवाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

4

महाकाव्य लिखे गए उन बख्तों मैं आज उनको इतिहास बताते

बिना तर्क और सबूत के अंधविश्वासी कहानी खूब सुनाते

उल्टी सीधी बात कर दुनिया मैं रणबीर मजाक खूब उड़वाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

10**

 हिमा दास ने 20 दिन में 6 गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया। 

हिमा दास नै छह गोल्ड मेडल जीतकै करकै कमाल दिखाया ।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

1

आसाम की रहने आली हिमा नै अपना 

घरबार छोड़ना पड़या 

घरवालों नै घर छोडन पै कर दिया पूरा

एकबै बबाल खड़या

कोच नै समझ कै सारा मामला हाथ पैर जोड़ कै मनाया।। 

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

2

हिमा दास करकै दौड़ रोजाना सहज सहज बढ़ी आगै 

निपोन कोच नै कई गुर सिखाए उसतै 

ज्यांतैं कढ़ी आगै

गरीब परिवार की बेटी हिमा दास नै 

पसीना खूब बहाया।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

3

बीस दिन मैं छटा गोल्ड जीत लिया मचाया रूक्का सारै 

सारे एशिया मैं चर्चा होगी उसकी सुन दिल खिलगे म्हारे

हिमा दास नै इतिहास रच दिया देखो

देश का मान बढ़ाया।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।

4

जितना सम्मान चाहिए मिलना हिमा नै

कहते मिल्या कोण्या

सरकार का खजाना पूरे दिल तैं उसपै 

कहते खुल्या कोण्या

कहै रणबीर सिंह शाबाश हिमा दास दिल लाकै छंद बनाया।।

दो सौ मीटर मैं पांच कम्पीटीसनों मैं उसनै पहला नंबर पाया।।


11**

 हमारा गौरव 


अपनी औरत को जुएं मैं हारण आले 

अतीत का गौरव दिखाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

1

औरतों को देवदासी बनाने आले 

समाज ठेकेदार बने

सती प्रथा के नाम पर जिंदा जलाने आले नम्बरदार बने

विधवा होने पर सर गंजा करकै मथुरा का रास्ते सुझाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

2

बेटी को मां की कोख में मारण वाले

हमनै संस्कृति सिखावैं

द्रोपदी नै जुए मैं ज्ञानी धयानी युधिष्टर हार जीत मैं लगावैं

पांचों की एक बहु होवैगी महाभारत मैं आदर्श खूब सिखाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

3

सौ सौ बालक पैदा करण के समाज मैं

पैमाने धर दिए रै

एकलव्य बरगे द्रोणाचार्य गुरुदेव नै बिन गूंठे के कर दिए रै

दान दक्षिणा मैं गूंठा मांग लिया उसनै

गुरु कै कालख लवाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।

4

महाकाव्य लिखे गए उन बख्तों मैं आज उनको इतिहास बताते

बिना तर्क और सबूत के अंधविश्वासी कहानी खूब सुनाते

उल्टी सीधी बात कर दुनिया मैं रणबीर मजाक खूब उड़वाये।।

अपनी औरत की अग्निपरीक्षा लेने आले इतिहास बताये।।


12

शहीद भगत सिंह का जन्म दिवस 28 दिसंबर को है। जगह-जगह पर इस दिन को मनाया जा रहा है। विडंबना यह है कि हमारी आजादी के बाद की  सरकारें अभी तक शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा नहीं दे पाई हैं। क्यों ? यह हम सब के सोचने की बात है।  लेकिन जनता ने तो भगत सिंह को शहीद का दर्जा  उसकी शहादत के वक्त ही दे दिया था। शहीद  भगत सिंह की याद में  एक रागनी। क्या बताया भला :

देख हालत आज देश की थारी याद घणी आवै सै।।

आज तो देश द्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

1

सबको शिक्षा काम सबको का नारा थामनै लाया था 

इंकलाब जिंदाबाद देश में जोर लगाकै गुंजाया था 

शोषण रहित समाज थारा डायरी लिख्या पावै सै।।

आज तो देश द्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

2

 अंग्रेजो के खिलाफ थामनै जीवन दा पै लगा दिया 

आजादी का संदेश यो घर घर के मैं पहुंचा दिया 

हंसते-हंसते फांसी चढ़गे देश जन्म दिन मनावै सै।।

आज तो देश द्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

3

सरफरोसी की तमन्ना बोले इब दिल म्हारे मैं सै

देखना जोर कितना यो बाजुए कातिल थारे मैं स सै

 नौजवान तबका थामने बहोत घना चाहवै सै।।

आज तो देश द्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।

 4

धर्म के नाम पै समाज बांटनियाँ आज देश भक्त बनरे

हिन्दू मुस्लिम के नाम पै ये बणाकै पालेबन्दी तनरे 

रणबीर थारी कुर्बानी हम सबमें जोश ल्यावै सै।।

आज तो देश द्रोह करनिया देश भगत कुहावै सै।।


13**

ठारा ठारा घण्टे मंडे जिब थाम सपने पूरे कर पाये।।

कुछ का जिकर सुनो ना सारे जाते आज गिणाये ।।

1

जेट एयरवेज कै ताला पूरी तरियां लवा दिया रै

एयर इंडिया का घाटा असमान पै पहुंचा दिया रै

बीएसएनएल के कर्मचारी कै जाडा चढ़ा दिया रै

एचएएल तनखा ना दे पारी कर्मचारी रुआ दिया रै

आंडी पाकैं थे कर्मचारी बाहर के रसते दिखाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।

2

पन्दरा हजार के टोटे मैं डाक विभाग पहुंचा दिया

वीडियोकॉन का पूरा दिवालिया ल्याकै दिखा दिया

टाटा डेकोमो ताहिं सांस लेना कति भुला दिया

एयरसेल की गीण्ड बांधी आज बे काम करा दिया

सरकारी के खाते पूरे लगा बहाने पाड़ बगाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।

3

जेपी ग्रुप भी आज बन्द होने को मजबूर  किये

ओएनजीसी के कामकाज चकनाचूर किये

छत्तीस बड़े कर्जदार ये भगौड़े मशहूर किए

साढ़े तीन लाख करोड़ कर्ज माफ भरपूर किये 

बड़े कारपोरेट खातर लाल कारपेट गए बिछाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।

4

पंजॉब नेशनल बैंक देवै खस्ताहाल दिखाई सै

दूजे बैंकों की हालत भी हुई बेहाल सुनाई सै 

कर्ज एक लाख तीस हजार मिलियन डॉलर बताई सै 

रेलवे का निजीकरण करकै या जनता

फंसाई सै

कहै रणबीर बरोने आला देश वासी पढ़ण बिठाये।।

कुछ का जिकर सुनो सारे ना जाते आज गिणाये।।


14

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

इसका काटया मांगै पाणी ना कोये नर और नारी हे।।

1

सिरकी घाल करैं गुजारा जिननै देखो ताजमहल बनाये

उनके बालक मरते भूखे जिननै ये खेत क्यार कमाए

तनपै उनके लत्ता कोण्या जिननै कपड़े के मील चलाये

बिना दूध शीत के रहते वे जिननै ये डांगर ढोर चराये

भगवान भी आंधा कर दिया ना दिखता भ्रष्टाचारी हे।।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

2

जितना करड़ा काम म्हारा उतना नहीं सम्मान मिलता

दस नम्बरी माणस जितने उनका हुक्म सारै पिलता 

नकली फूल सजावैं पाखंडी ना असली उनकै खिलता

कहते उसके बिना आड़े यो पत्ता तक बी नहीं हिलता

सबकै उप्पर उसका ध्यान नहीं फेर किसे न्याकारी हे।।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

3

डांगर की कद्र फालतू यो माणस बेक़दरा संसार मैं

छोरे की कद्र घणी सै छोरी पराया धन परिवार मैं

किसे जुलम होण लागरे ये छपते रोज अखबार मैं

माणस खानी म्हारी व्यवस्था लादे बोली सरेबाजार मैं

कति छाँट कै इसनै चलाई महिला भ्रूण पै कटारी हे।।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।

4

इस व्यवस्था मैं मुट्ठी भर तै हो घणे मालामाल रहे 

इसा जाल पूर दिया चला इसनै अपणी ढाल रहे

सोच समझ कै बढियो आगै माफिया कसूते पाल रहे

फौजी और पुलिसिया रणबीर कर इनकी रूखाल रहे

सही सोच के संघर्ष बिना जनता आज पिटती जारी हे।

समाज व्यवस्था हुई हड़खाई सबतैं बड्डी बीमारी हे।।


15

*शंकर शैलेंद्र*

हर जोर जुल्म के टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है। 

तुमने मांगे ठुकराई हैं तुमने तोड़ा है हर वादा 

छीन हमसे सस्ता अनाज तुम छंटनी पर हो आमादा

लोर अपनी भी तैयारी है तो हमने भी ललकारा है 

हर जोर जुल्म ....

 एमत करो बहाने संकट है घाटा दिखलाना फैशन है 

इन चोर लुटेरों को क्या सरकारी कंसैशन है 

बगलें मत झांको, दो जवाब क्या यही स्वराज तुम्हारा है   

  हर जोर जुल्म...

 समझौता कैसा समझौता, हमला तो तुमने बोला है महंगी ने हमें निगलने की को दोनों जैसा मुंह खोला है 

हम मौत के जबड़े तोड़ेंगे, एका हथियार हमारा है 

हर जोर जुल्म ..

अब संभले समझौतापरस्त जनता को जो करते यतीम हम सब समझौताबाजो को अब अलग करेंगे बीन बीन जो रोकेगा बह जाएगा, ये वो तूफानी धारा है 

हर जोर जुल्म ...


16**

आमतौर पर बढ़ती जनसंख्या को गरीबी के मुख्य कारण के रूप में देखा जाता है मगर यह सोच ठीक नहीं है। जनसंख्या तो चीन की भारत से ज्यादा है। एक रागनी छोटे परिवार के हालात के बारे--

टेक- जमा छोटा सा परिवार म्हारा, फेर बी क्यों नहीं ठीक गुजारा।

यो चढ़ग्या सै करजा भारया , ज्याण मरण मैं आयी हे।।

1

मेहनत से हर काम किया , नहीं दो घड़ी आराम किया

किया गुंडयां नै जीणा हराम , इनकै लगावै कोण लगाम

डर लाग्या रहै सुबह शाम, इसे फ़िकर नै खाई हे ।।

2

हम दो हमारे दो का सै नारा यो, फेर बी घर सुखी ना म्हारा क्यों

न्यूं मनै कोये समझादयो नै, सारा खोल कै बता दयो नै

रोग की जड़ दिखला दयो नै, क्यों होती नहीं सुनायी हे।।

3

एक बेटा पढ़ता हिसार मैं , ओ पड़ता दो ढ़ाई हजार मैं

घरबार मैं मेर रही नहीं, मन की म्हारे ताहिं कहि नहीं

दिखती करज की बही नहीं, ब्याज नै करी तबाही हे।।

4

दूजा बेटा करै पढ़ाई न्यारी, बदेशी कम्पनी उनै बुलारी

भारी संकट मिलने का होग्या , बेरा ना प्यार कड़ै म्हारा खोग्या

म्हारै नश्तर घणे चुभोग्या ,न्यूँ घणी बेचैनी छाई हे।

5

म्हारा बाबू जी सै पंजाब मैं, नहीं रहता किसे की दाब मैं 

जनाब मैं कोये भी कमी ना सै, फेर भी चढ़ी म्हारै खता सै

रणबीर किसनै पता सै, क्यूं चढ़री करड़ाई हे।।


17

 चन्द्र सिंह गढ़वाली


आज हम आजाद देश के नागरिक हैं । आजादी के बाद हमने बहुत कुछ् हासिल किया है । लेकिन वे लोग जिनकी वजह से हमने आजादी पाई , उनके विषय में हम ज्यादा नहीं जानते, न ही उनके त्याग और संघर्षों को जानते हैं । किसी प्राप्ति का मूल्य तभी आँका  जा सकता है जब हम उसके पीछे के बलिदान को समझें । देश के अनेकानेक लोग कई प्रकार से स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष रत रहे । कुछ देशभग्ति  की पराकाष्ठा तक पहुँच गए और अमर हो गए पर अधिकांश देशभक्त कहीं किसानों को, कहीं फ़ौज के सिपाहियों को , कहीं हिन्दू मुस्लिम अवाम को संगठित करते हुए नींव के पत्थर बन गए । चन्द्र सिंह गढ़ वाली भी ऐसे सामान्य फ़ौजी थे जिन्होंने गढ़वाल रायफल्ज  का नेतृत्व करते हुए अंग्रेजों का हुकम मानने से इंकार कर दिया और अंग्रेजों की  हिन्दू मुस्लिम बंटवारे की निति को विफल करके लोगों को देशप्रेम का सन्देश दिया । अंग्रेज सरकार ने उनके साथ बहुत सख्ती बरती लेकिन वे देश के लिए लड़ते रहे ।आज के दौर में ऐसे जन नायकों की विरासत को समझना और उससे सबक लेना हमारी जरूरत है । उम्मीद है चन्द्र सिंह गढ़वाली का यह किस्सा सबको प्रेरित करेगा ।

रागनी --1

आजाद देश के वासी सोचो आजादी क्यूकर पाई देखो

जिन करकै आजाद हुए उनकी याद भुलाई देखो ।। 

उन शहीदों के बारे हमने रति भर भी ज्ञान नहीं

उनका त्याग और क़ुरबानी इन सबकी पहचान नहीं

उनका संघर्ष याद कराँ घनी तकलीफ ठाई  देखो।।

अनेकानेक लोग देश के जिनने अपना बलिदान दिया

भगत सिंह राजगुरु सुखदेव जीवन पूरा कुर्बान किया

हँसते हँसते देश की खातिर फांसी इन नै खाई देखो ।।

कितै संघर्ष की खातिर संतान किसानों का बनाया

कितै फ़ौज के सिपाहियों नै अपना देश प्रेम दिखाया

हिन्दू मुस्लिम एकता की नींव मजबूत बनाई देखो ।।

हिन्दू मुस्लिम एकता म्हारी अंग्रेजों नै तोड़ बगाई या

देश का बंटवारा करकै अपनी तुर्पी चाल चलायी या

इस बंटवारे के दुखों की नहीं होगी या भरपाई देखो ।।

इन अमर शहीदों मैं एक हुआ चन्द्र सिंह गढ़वाली

फ़ौज मैं बगावत की नींव सबकी साहमी थी डाली

रणबीर सिंह नै दिल लाके करी सै कविताई देखो ।।


18**


मैं पढ़ा अपने गांव थाने के स्कूल में

तख्ती पर लिखते खेलते वहीं धूल में

दसवीं पास की मैने अच्छे नम्बर पाये

आगे कहां क्या करें पढ़ाई पर हुई चर्चा

सभी के दिल में था कितना होगा खर्चा

हिन्दू कालेज सोनीपत बाहरवीं पास की

मिलेगा मेडीकल में प्रवेष मैंने आस की

दाखिला मिल गया घर में थी खुषी छाई

रोहतक पहुंचा कुछ माहौल बदला भाई

तरह तरह के सवाल रैगिंग हुई मेरी थी

सीनियर का डर बैठा देखी मेरा तेरी थी

चीर फाड़ की षरीर की ज्ञान बढ़ाया था

फिजियोलॉजी रटी तब पास हो पाया था

पैथो और फारमा दोनों मुझे भा गये थे

इम्तिहान में ये नम्बर अच्छे आ गये थे

एसपी एम फोरैंसिक बांए हाथ का खेल

इनकी पढ़ाई पाई छुक छुक करती रेल

फाइनल मुष्किल होगा यही तो बताया

मरीज देखने में पूरा समय मैने लगाया

पास हुआ ठीक नम्बर चिनता थी छाई

नौकरी या करुं मैं आगे की और पढ़ाई

आखिर आगे पढ़ने का मन मैंने बनाया

सर्जरी में फिर जैसे तैसे दाखिला पाया

रुरल और अरबन का एक नजारा था

दलित और स्वर्ण का देखा बंटवारा था

फेल पास का संकट खुला सामने पाया

सेवन्टी ऐट में यह सबके सामने आया

जाट और नोन जाट का घमासान हुआ

लड़ाई उपर की नीचे का नुकसान हुआ

इसी बीच अनुपमा मेरे जीवन में आई

धीरे धीरे दोस्ती रिस्ते का रुप ले पाई

सवाल यही था अब आगे किधर जाउं

सरकारी नौकरी या नर्सिंग होम बनाउं

खरखोदा में किराए पर काम षुरु किया

तन मन धन सब कुछ मैने झोंक दिया

प्रैक्टिस अच्छी चली पैसा खूब कमाया

कुछ साल में अपना नर्सिंग होम बनाया

नन्ही बच्ची षादी के दो साल बाद आई

फिर तीन साल बाद थी थाली गई बजाई

दो साल बाद छोटा बेटा दुनिया में आया

सब तो ठीक ठ्याक था कस्बा मुझे भाया

तभी अनुपमा चली गई हमको छोड़ करके

बीमार हुई चल बसी मुह वह मोड़ करके

बस जिन्दगी में खालीपन छाता चला गया

बच्चों पर ध्यान पूरा लगाता चला गया

कई बार मेहर सिंह समिति वाले आये

अपने विचार मुझसे सांझा थे कर पाये

तभी दारु ने जिन्दगी में दखल बढ़ाया

ज्यादा न पिया करो बच्चों ने समझाया

धीमे से मिकदार बढ़ी फिर आदत बनी

लगा ऐसा मानो षराब मेरी ताकत बनी

ताकत नहीं कमजोरी बाद में समझ पाया

फिर इस दारु ने था अपना रंग खिलाया

नर्सिंग होम फिर दारुमय हो गया मेरा

कर्मचारी भी पीते मरीज खो गया मेरा

बहुत जगह इलाज किया न छुटी भाई

जो षोहरत कमाई सारी तो लुटी भाई

दुख और अफसोस कि कहां आ पहुंचा

कभी सोचा न ये मुकाम वहां जा पहुंचा

अस्पताल में दाखिल मैं जीना चाहता हूं

वहां पर भी मंगवा कर पीना चाहता हूं

कैसी विडम्बना मेरी दिल दिमाग पछताते

आदत बलवान हुई पीछा नहीं छुड़ा पाते

बेटी बेटे बहुत दुखी नहीं है पार बसाती

देखी है बेटी बैठी सीट पे आंसूं बहाती

छोटा बेटा सातवीं तक मेरा पढ़ पाया है

क्या होगा इसका आगे मन भर आया है

एक बड़ा दुष्मन दारु हरियाणे में हो रही

कितने हैं परिवार जहां बोझा पत्नी

षायद अब ज्यादा दिन नहीं मैं चल पाउंगा

आदत जीती सतवीर हारा ये लिख जाउंगा

रणबीर सिंह दहिया......


19**

बात पते की

मेरा संघर्श

गाम की नजरां के म्हां कै बस अडडे पै आउं मैं।

कर्इ बै बस की बाट मैं लेट घणी हो जाउं मैं।।

भीड़ चीर कै बढ़णा सीख्या,करकै हिम्म्त चढ़णा सीखा

लड़भिड़ कढ़णा सीख्या, झूठ नहीं भकाउ मैं।।

बस मैं के के बणै मेरी साथ,नहीं बता सकती सब बात

भोले चेहरे करैं उत्पात, मौके उपर èामकाउं मैं।।

दफतर मैं जी ला काम करूं,पलभर ना आराम कंरू

किंह किहं का नाम èारूं, नीच घणे बताउं मैं।।

डर मेरा सारा र्इब लिकड़ गया,दिल भी सही होंसला पकड़ गया, 

जै रणबीर अकड़ गया, तो सबक सिखाउं मैं।।


20**

 तीजों का त्यौहार आ जाता है। छुट्टी मिली नहीं। जनमानस में यह हरियाली तीज के नाम से जानी जाती है। यह मुख्यतरू स्त्रियों का त्योहार है। इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। जगह.जगह झूले पड़ते हैं। स्त्रियों के समूह गीत गा.गाकर झूला झूलते हैं। मेहरसिंह को रात को सपना आता है और देखता है कि प्रेम कौर तीज झूलने जा रही है। क्या देखता है भला:

टेक लाल चूंदड़ी दामण काला, झूला झूलण चाल पड़ी।

 कूद मारकै चढ़ी पींग पै देखै सहेली साथ खड़ी।।

1 झोटा लेकै पींग बधई, हवा मैं चुंदड़ी लाल लहराई

 उपर जाकै तले नै आई, उठैं दामण की झाल बड़ी।।

2 पींग दूगणी बढ़ती आवै, घूंघट हवा मैं उड़ता जावै

 झोटे की हिंग बधावै, बाजैं पायां की छैल कड़ी।।

3 मुश्किल तै आई तीज, फुहारां मैं गई चुंदड़ी भीज

 नई उमंग के बोगी बीज, सुख की देखी आज घड़ी।।

4 रणबीर पिया की आई याद, झूलण मैं आया नहीं स्वाद

 नहीं किसे नै सुनी फरियाद, आंसूआं की या लगी झड़ी।।


21

 रिवाज घूँघट का

बुजुर्ग महिला चौपाड़ धोरे कै घूँघट मैं जाया करती ॥

चौपाड़ मैं चढ़ना दूर इस कान्ही नहीं लखाया करती ॥

1

ज्येठ ससुर तैं घूँघट करकै लिहाज शर्म निभावें थी

नीची नजर करकै चालें थी ऊपर नै नहीं लखावें थी

सासू पितस तैं  भी कई घूँघट रिवाज निभाया करती ॥

2

नयी नवेली बहु जिब गाम मैं पाणी भरने जाती भाई

सिर पर दोघड पाणी की उसकी घूँघट थी भाती भाई

घर कै भित्तर बाहर बहु घूँघट मैं आया जाया करती ॥

3

सिर उभाणी  या बहु अन्घानी  कदे कदीमी सुणते आये

बेपर्दा लुगाई ल्यादे तबाही बड़े बड़ेरे न्यूँ गुणते आये

या घूँघट पढ़े लिखे की भी घिघी सी बन्धवाया करती ॥

4

रणबीर घूँघट का रिवाज खींची सै  सही तस्वीर दखे

बिन घूँघट गाती के कोए कैसे रह्वै गाम मैं  बीर दखे

इस घूँघट के कारण ये बहु कई बै ठोकर खाया करती ॥


22**

मजलूमों का गीत 

जहरीला धुंआ उठ रहा भाईयो मारे जाते इंसान यहां

रूढ़िवादी विचार ये देखो चढ़ते जा रहे परवान यहाँ

दोस्त मेरे सम्भल कर चलना कमजोर सी पतवार है

दोषी को दण्ड दे जो ऐसा मिला नहीं भगवान यहां। 

कट्टर पन्थ की हलचल कई जगह दिखाई दे रही है

काली ताकतें भारत में बनाना चाहती हैं शमशान यहाँ।

दूजे पक्ष का कट्टर पंथ भी इसी पर फल फूल रहा है

मानवता गर बची नहीं तो नहीं रहेगा हिन्दुस्तान यहां। 

मजलूम उठेंगे प्यार करेंगे हक फिर से मिलकर मांगेंगे 

लड़ाने वाले चालाक हैं कट्टरता के किये गुणगान यहां।

बीमारी को उसकी हद से आगे लेजाने की तैयारी है

लाशों के अम्बार लगाने वालो लोग नहीं अनजान यहाँ ।

हमारी मोहब्बत और एकता लगता है डर इनसे तुम्हें

देख सको जो हमारे अंदर ऐसा तुम्हारा गिरहबान कहाँ 

हमारी मानवता से डरते अपने हथियार वे पिना रहे हैं

गंगा जमुनी संस्कृति की मिटने नहीं देंगे पहचान यहां।

मजलूमों के बच्चे समझ रहे नफरत का खेल तुम्हारा 

हुक्म बजाये हमेशा ही तुम्हारे बनेगे नहीं दरबान यहां।

मोहब्बत और मानवता के लुटेरो इतना तो याद रहे ही

रणबीर थोड़े दिनों में चलेगा तुम्हारा नहीं फरमान यहां ।


23

 आजादी

पन्दरा अगस्त का दिन शहीदों की याद करां क़ुरबानी।।

हजारां हुए शहीद देश पै गोरी सरकार जब थी मानी।।

नमन करते हम सारे उन शहीदों को प्रणाम है

सत्तर साल हुए आजादी नै आज आया यो मुकाम है

हिन्दू मुस्लिम सिख सारे लड़े बणकै कोम हिंदुस्तानी।।

इन सत्तर साल मैं ये मजदूर किसान खूब कमाये

खेत कारखाने दिन रात हमनै पूरे हांगा लाकै चलाये

तरक्की का पहिया घूम्या दंग हुए गौरे और जापानी।।

सबका सपना इज्जत का जीवन जीवांगे आजादी तैं

गरीबी तैं फेर मुक्ति मिलैगी खावां पीवांगे आजादी तैं

म्हारी म्हणत रंग ल्याई इस पर करते आना कानी।।

पच्चीस साल मैं लागू आर्थिक सुधार करवाये गये

विकास रास्ते खाई बढावैं वे हमतै बतलाये गये

इणनै चौड़ी खाई करी म्हारी नहीं कोए नादानी।।

आज चारों कान्ही जुल्म होरे जनता फिरती मारी मारी

रोजगार खत्म होंते जारे बढ़ती जावै सै बेरोजगारी

हमनै देश बनाया बढ़ाया अमीरां की चली मनमानी।।

हम भगत सिंह नै याद करां इंकलाब का नारा लावां

सबका हो विकास मैं साझा इसा मॉडल हम चाहवाँ

वायदे करे जनता तैं ल्यावांगे धन काला बेउनमानी ।।

13.08.2016


24

आगळा पाछला

आगळा पाछला कुछ कोन्या योहे जन्म सबकुछ बताया।

म्हारी मत मारण खात्तर आगळा पाछला गया समझाया।

मनुष्य तैं बडडी कोय ताकत नहीं इस दुनिया मैं बताई

मनुष्य नै भगवन गढ़या जित बात समझ नहीं आई

भगवान अल्लाह रूप बदले मानस धुर तैँ इसा पाया।

कुदरत के अपने नियम जिनतैं यो संसार चलै भाई

माणस कुदरत का संघर्ष एक मिनट नहीं टलै भाई

कुदरत के नियम तोड़े तो माणस नै हमेश दुःख ठाया।

माणस माणस नै लूटै इस खातर पाखंड ये रचाये

आगळा पाछला ईश्वर खोज्या लिखकै नै ग्रन्थ बनाये

आज तलक भटका राखे यो अन्धविश्वास फैलाया।

पाखंड के हर धर्म मैं जाले ये जनता टांड पर बिठाई

किस किस का जिक्र करूं या मानवता गई दबाई

रणबीर बरोने आले नै यो चेहरा असली दिखलाया ।


25

मेहनत कश किसान 

मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।

देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।

चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै

दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै

दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै

सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै

नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया।

थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै

बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै

सोसाटी और लाला जी से कर्ज भरया कढ़ावै सै

लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै

ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया ।

कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला

सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला

कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला 

कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला

बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया।

बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो 

कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो

सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो

थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो

देखी तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया।


26

हरयाणा म्हारा**

फोर लेन और मॉल म्हारा चेहरा खूब चमकाया रै।।

लिंग अनुपात अनीमिया नै महारै कालस लगाया रै।।

1

दो छोर म्हारे हरयाने के नहीं मेरी समझ मैं आवें

एक कान्ही सबते बाध कार हरियानावासी बनावें

महिला भ्रूण हत्या करके सबते तेज कार चलावें

गर्भ वती महिला खून कमी जापे के माह मरजयावें

सोच सोच इन बातां नै दिमाग मेरा चकराया रै।।

लिंग अनुपात अनीमिया नै महारै कालस लगाया रै।।

2

आर्थिक विकास घना सामाजिक विकास थोडा बताते

विकास मॉडल मै मोजूद कमी नहीं खोल कै दिखाते

सचाई नै आंकड़ो बीच कई बुद्धिजीवी बी छिपाते

म्हारे नेता बी सचाई तै बहोत घना आज घबराते

पांचो घी मैं जिसकी सें हरियाणा नंबर वन भाया रै।।

लिंग अनुपात अनीमिया नै महारै कालस लगाया रै।।

3

आर्थिक विकास की माया देखो पैसा छाया चारो और

नंबर वन हरियाणा का मचाया चारो कान्ही शोर

धरती बिकती जा म्हारी औरो के बिक़े डांगर ढोर

शाह नै मात देवें ये समाज सेवी बनके ठग चोर

चोर दवारा साह खुले के मैं जाता रोजाना धमकाया रै।।

लिंग अनुपात अनीमिया नै महारै कालस लगाया रै।।

4

कई बार सोचूँ लोट खाट मैं आज हुआ किसा विकास यो

दिमाग भन्नाया सै मेरा सोचै कदे होरया हो विनास यो

ठेकेदारी का बोलबाला सै करता म्हारा उपहास यो

विकास हुआ या विनास हिल गया मेरा विश्वास यो

रणबीर बरोने वाला ना इनकी बहका मैं आया रै ।।

लिंग अनुपात अनीमिया नै महारै कालस लगाया रै।।


27**

डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर थारी क़ुरबानी रंग ल्यावैगी।।

स्वतंत्र हिन्दुस्तान मैं या जरूर नया इतिहास रचावैगी।।

अग्रगामी चेतना की हत्या करकै हत्यारे बच ना पावैंगे

हर जागां डॉक्टर नरेंद्र पावैं जिस मोड़ पै ये लखावैंगे

अंध श्रद्धा उन्मूलन खातिर कतार इब बढ़ती जावैगी।।

आहात सां सन्तप्त सां सुण्या जब थारे कत्ल बारे डॉक्टर

गुस्सा हमनै घणा आरया सै हिम्मत कोण्या हारे डॉक्टर

तेरी क़ुरबानी यकीन मेरै घर घर मैं मशाल जलावैगी।।

लेखक संस्कृतकर्मी वैज्ञानिक कट्ठे हुए सैं कलाकार 

पूरे हिन्दुस्तान के नर नारी हम देवां मिलकै ललकार

रूढ़िवाद की ईंट तैं ईंट देश मैं इब तावली बज पावैगी।।

हमनै बेरा उन ताकतों का जिणनै कत्ल करया थारा रै

होंश ठिकाणै सैं म्हारे जबकि खून खोल गया म्हारा रै

रणबीर सिंह नै कलम ठाई पूरी दुनिया नै जगावैगी ।।

28**

इंसान ही सब कुछ 

आग पहिये की खोज करी किसनै मनै कोए बतादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

1

सृष्टि कैसे बनी इसका यो पूरा इतिहास बतावैं देखो

एक सैल जीव बने फेर ये कई सैल जीव दिखावैं देखो

रीढ़कारी आये जमाने मैं बांदर कैसे आया सुनावैं देखो

बांदर तैं इंसान बण्या सै वैज्ञानिक पाठ पढ़ावै देखो 

इंसान नै ये खोज करी सैं कोए और होतै सुझादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

2

आज तलक जो भी हुया वो करया खुद इंसान नै सारा 

फेसबुक गूगल बना दिए अजब रच दिया नजारा 

मन्दिर मस्जिद बनाये किसनै सोचना फर्ज यो म्हारा 

समाज धर्मों का निर्माता जान्या बारां और छह ठारा

भगवान गॉड मंदिर चर्च मैं बिठाये किसनै समझादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

3

जो भी करया इंसान नै करया फेर भी पुजते भगवान

और कोए प्राणी नहीं मान्या भगवान यो मान्या इंसान 

जित इंसान नहीं पहोंच्या ना मन्दिर उड़ै सै बियाबान 

न्यारे न्यारे देवता बनाये देखो इंसान नै लगा उनमान 

मानो तो भगवान ना तो पाथर खोल कै भेद दिखादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

4

इसे करकै आये दुनिया मैं न्यारे न्यारे पूजा विधान देखो 

कितै अल्लाह कितै चर्च कितै कई तरां के भगवान देखो 

मन्दिर मस्जिद मैं रेप होज्यां नहीं सुरक्षित इंसान देखो 

बिना पढ़े ना पास कराया एक  भी बच्चा नादान देखो 

रणबीर जो नहीं मानै उसनै हुया के नुक़सान गिनादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।


29**

 रूढ़िवाद

रूढ़िवाद यो म्हारे देस मैं क्यों चारों कान्ही छाया।

फरज माणस का सच कहने का ना जाता आज निभाया।।

पुराने मैं सड़ांध उठली पर नया कुछ बी कड़ै आड़ै

नया जो चाहवै सै ल्याणा पार ना उसकी पड़ै आड़ै

घनखरा ए माल सड़ै आड़ै कहैं राम की सब माया।।

वैज्ञानिक सोच का पनपी लाया कदे विचार नहीं

पुराणा सारा सही नहीं हुया इसका प्रचार नहीं

नये का वैज्ञानिक आधार नहीं अन्धकार चौगरदें छाया।।

नये मैं बी असली नकली का रास्सा कसूत छिड़ग्या

वैज्ञानिक दृष्टि बिना यो म्हारा दिमाग जमा फिरग्या

साच झूठ बीच मैं घिरग्या हंस बी खड़या चकराया।।

पिछड़े विचारां का प्रचार जनता नै आज भकाया चाहवैं

बालकां का दूध खोस कै गणेश नै दूध पिलाया चाहवैं

दाग जनता कै लाया चाहवैं रणबीर सिंह बी घबराया।।


30**

इंसान ही सब कुछ 

आग पहिये की खोज करी किसनै मनै कोए बतादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

1

सृष्टि कैसे बनी इसका यो पूरा इतिहास बतावैं देखो

एक सैल जीव बने फेर ये कई सैल जीव दिखावैं देखो

रीढ़कारी आये जमाने मैं बांदर कैसे आया सुनावैं देखो

बांदर तैं इंसान बण्या सै वैज्ञानिक पाठ पढ़ावै देखो 

इंसान नै ये खोज करी सैं कोए और होतै सुझादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

2

आज तलक जो भी हुया वो करया खुद इंसान नै सारा 

फेसबुक गूगल बना दिए अजब रच दिया नजारा 

मन्दिर मस्जिद बनाये किसनै सोचना फर्ज यो म्हारा 

समाज धर्मों का निर्माता जान्या बारां और छह ठारा

भगवान गॉड मंदिर चर्च मैं बिठाये किसनै समझादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

3

जो भी करया इंसान नै करया फेर भी पुजते भगवान

और कोए प्राणी नहीं मान्या भगवान यो मान्या इंसान 

जित इंसान नहीं पहोंच्या ना मन्दिर उड़ै सै बियाबान 

न्यारे न्यारे देवता बनाये देखो इंसान नै लगा उनमान 

मानो तो भगवान ना तो पाथर खोल कै भेद दिखादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

4

इसे करकै आये दुनिया मैं न्यारे न्यारे पूजा विधान देखो 

कितै अल्लाह कितै चर्च कितै कई तरां के भगवान देखो 

मन्दिर मस्जिद मैं रेप होज्यां नहीं सुरक्षित इंसान देखो 

बिना पढ़े ना पास कराया एक  भी बच्चा नादान देखो 

रणबीर जो नहीं मानै उसनै हुया के नुक़सान गिनादयो रै।

खेती और बैल कद आये जग मैं पूरी बात सुनादयो रै।

No comments: