Monday, 24 July 2023

आयी तीज


आयी तीज 

मॉनसून नै इबकै बहोतै बाट या दिखाई बेबे 

बरस्या नहीं खुलकै बूंदा बांदी सी आयी बेबे 

साम्मण के मिहने मैं सारे कै हरयाली छाज्या

सोचै प्रदेश गया पति भाज कै घर नै आज्या  

ना गर्मी ना सर्दी रूत या घणी ए सुहाई बेबे 

कोये हरया लाल कोये जम्फर पीला पहर रही 

बाँट गुलगुले सुहाली फैला खुशी की लहर रही 

कोये भीजै बूंदां मैं कोये सुधां लत्यां नहाई बेबे 

आयी तीज बोगी बीज आगली फसल बोई या 

झूला झूल कै पूड़े खाकै थाह मन की टोही या 

पुरानी तीज तो इसी थी आज जमा भुलाई बेबे 

बाजार की संस्कृति नै म्हारी तीज जमा भुलाई 

इस मौके पर जाया करती  प्रेम की पींघ बढ़ायी 

कहै रणबीर सिंह कैसे करूँ आज की कविताई

No comments: