Sunday, 23 July 2023

गाम बेचकै शहर खरीद लिया

 गाम बेचकै शहर खरीद लिया, कीमत बेउन्मान चुकाई देखो।

जिंदगी की खुशी गैहनै धरकै, कोली मैं भरी तन्हाई  देखो।

1

बेच कै ईमान और धरम क्यों, अपनी ऐस खरीद ली हमनै 

संतोष खोकै तृष्णा खरीदी, इंसानियत भी बेच दी हमनै 

किल्ले बेच कै प्लाट खरीदया केहता घूमै मेरी चतुराई देखो।।

2

संयुक्त परिवार झटक्या एकल भी,आज सिंगल घूम रहया 

नाते रिश्ते चालाकी भरे म्हारे उन्माद के ऊपर झूम रहया 

मिठास ना कितै टोही पावै, कड़वाहट घर घर मैं छाई देखो।।

3

बाण तैं बुनी खाट रही ना, मैट्रेस उपर सोवण  लाग लिए 

अचार मुरब्बे सब भूल गए हम भूल सरसों का साग लिए 

बर्गर पिज्जा चिप्स कैंडी गेल्याँ अपनी थाली सजाई देखो।।

4

टांड़ पै बिठादी इंसानियत क्यों मक्कारी  की कोली भरली

मक्कारी धोखेबाजी बेवफाई  क्यों अपने भितरले

मैं धरली

रणबीर पैसे की लालच नै दुनिया मैं क्यों अंधेर मचाई देखो।।

No comments: