Tuesday, 24 April 2018

चश्मा जात का --बैरी म्हारा

 
जिस दिन भाईयो यो जात का चश्मा टूटैगा।।
उस दिन पैंडा म्हारा जुल्मी शोषण तैं छूटैगा।।
1
हमनै बाँटन नै बैरी नै हथियार बनाई या
गेहूं के खेत मैं पैदा खरपतवार बताई या
दीवार जै नहीं ढाई या सिर म्हारा फूटैगा।।
उस दिन पैंडा म्हारा जुल्मी शोषण तैं छूटैगा।।
2
म्हारे देश के सब माणस जात्यां मैं बाँट दिए
नयों म्हारी एकता के लुटेरयाँ नै पर काट दिए
समझन तै नाट दिए तो यो लुटेरा हमनै चूटैगा ||
उस दिन पैंडा म्हारा जुल्मी शोषण तैं छूटैगा
3
लुटेरयाँ की जात मुनाफा आंख खोल देख्या ना
लुटेरे एकै बोली बोलें हमने बोल कै देख्या ना
नाप तोल कै देख्या ना मुनाफा खोर न्यूं लूटैगा ||
उस दिन पैंडा म्हारा जुल्मी शोषण तैं छूटैगा।।
4
रणबीर बरोने आला याहे बिनती आज करै सै
नए ज़माने मैं क्यों इसकी कुली आज भरै सै
इस्ते काम ना आज सरै सै इसतैं दूना गल घूंटैगा ||
उस दिन पैंडा म्हारा जुल्मी शोषण तैं छूटैगा।।

जीत गये --बल्ले बल्ले


टी वी ऊपर बैठ कै हमनै लंका भारत लड़े देखे ||
दोनों तरफ के ख़िलाड़ी मैदान के महँ अड़े देखे || 
1
लोग बैठे चारों कान्ही मैदान खचाखच भरया हुया
कोए घरमैं बैठ्या कोए ,एलसीडी साहमी धरया हुया
कोए चुप कोए डरया हुया कई निढाल खड़े देखे ||
दोनों तरफ के ख़िलाड़ी मैदान के महँ अड़े देखे ||
2
श्री लंका नै शुरू करया साँस म्हारी बंद करदी ये
दौ सौ चुहतर रन छः पै बना कै साहमी धरदी ये
असमंजस दिलों मैं भरदी ये चौके छके जड़े देखे ||
दोनों तरफ के ख़िलाड़ी मैदान के महँ अड़े देखे ||
3
जीतेंगे या हारेंगे हम चर्चा जौर की चाल पड़ी या
अपने अपने अंदाजे थे थी मुश्किल तत्काल घडी या
देखै जनता बेहाल खड़ी या कई मजबूत बड़े देखे ||
दोनों तरफ के ख़िलाड़ी मैदान के महँ अड़े देखे ||
4
सचिन और सहवाग गये मायूसी घनी छागी फेर
धोनी और गंभीर नै जंग थामन मैं ना लाई देर
लंका के ख़िलाड़ी करे ढेर मूंधे मूंह कई पड़े देखे ||
दोनों तरफ के ख़िलाड़ी मैदान के महँ अड़े देखे ||
5
भारत की देख इसी एकता धयान दिल मैं आया यो
भ्रष्टाचार ख़त्म होज्या जै इतना ऐका करकै भजाया यो
रणबीर सिंह गीत बनाया यो छंद तुरत घड़े देखे ||
दोनों तरफ के ख़िलाड़ी मैदान के महँ अड़े देखे ||

औ दिन कद आवैगा

घर मैं सुनायी हो म्हारी औ दिन कद आवैगा ॥ 
मार पिटाई बंद हो सारी औ दिन कद आवैगा ||
1
रोटी कपडा किताब कापी नहीं घाट दिखाई देंगे 
चेहरे की त्योरी मिटजयां सब ठाठ दिखाई देंगे
काम करण के फेर पूरे घंटे आठ दिखाई देंगे
म्हारे बालक बने हुए मुल्की लाठ दिखाई देंगे
कूकै कोयल बागां मैं प्यारी औ दिन कद आवैगा ||
मार पिटाई बंद हो सारी औ दिन कद आवैगा ||
2
दूध दही का खाना हो बालकां नै मौज रहैगी
छोरी माँ बापां नै फेर कति ना बोझ रहैगी
तांगा तुलसी नहीं रहै दिवाली सी रोज रहैगी
बढ़िया व्यव्हार हो ज्यागा ना सिर पै फ़ौज रहैगी
ना हो औरत नै लाचारी औ दिन कद आवैगा ||
मार पिटाई बंद हो सारी औ दिन कद आवैगा ||
3
सुल्फा चरस फ़ीम का ना कोए भी अमली पावै
माणस डांगर जिसा ना रहै ना कोए जंगली पावै
दान दहेज़ करकै नै दुःख ना कोए बी बबली पावै
पीस्सा ईमान नहीं रहै ना कोए नकली पावै
होवें बराबर नर और नारी औ दिन कद आवैगा ||
मार पिटाई बंद हो सारी औ दिन कद आवैगा ||
4
माणस के गल नै माणस नहीं कदे बी काटैगा
गाम बरोना रणबीर का असली सुर नै छाँटैगा
लिख कै बात बबिता की सब दुःख सुख बांटैगा
वोह तो पापी होगा जो इसा सुनने तै नाटैगा
राड़ ख़तम हों म्हारी थारी औ दिन कद आवैगा ||
मार पिटाई बंद हो सारी औ दिन कद आवैगा ||

फ्लोरेंस नाइ टिनगेल


फ्लोरेंस नाइटिनगेल नै दुखिया का दुःख बांट्या हे 
वा अपना दर्द भूल गयी दुज्याँ का दर्द काट्या हे
1
वर्ल्ड वार मैं घायल फ़ौजी उनकी सेवा खूब करी 
दिन रात कदे ना देखे हथेली उप्पर ज्यान धरी
जितने फ़ौजी अस्पताल मैं सबका ए दिल डाट्या हे
वा अपना दर्द भूल गयी दुज्याँ का दर्द काट्या हे
2
दवा पट्टी और देख भाल दिल लगा करी उसनै
निराश फौजियाँ मैं फेर जीने की आश भरी उसनै
लालटेन आली नाइ टिनगेल का सबनै बेरा पाट्या हे
वा अपना दर्द भूल गयी दुज्याँ का दर्द काट्या हे
3
मानव सेवा मरीज की सेवा रास्ता उन्नै दिखाया हे
मानव प्रेम का सन्देश यो दुनिया के मैं पोंह्चाया हे
लालटेन तै करी रोशनी अँधेरा जग का छानट्या हे
वा अपना दर्द भूल गयी दुज्याँ का दर्द काट्या हे
4
नर्सिंग प्रोफेशन को भी दुनिया मैं सम्मान दिवाया
अवरोध घने पार करे यो करकै नै कमाल दिखाया
मानव सेवा तै रणबीर नहीं दिल उसका नाट्या हे ||
वा अपना दर्द भूल गयी दुज्याँ का दर्द काट्या हे

नक्सलवाद कितै पाकिस्तान

नक्सलवाद कितै पाकिस्तान ये जवान म्हारे झोंक दिए 
अडानी अम्बानी की खात्तर ये किसान म्हारे ठोक दिए 
1
शासक तंत्र का खेल दखे नहीं म्हारी समझ मैं आया रै
देश भक्ति के नाम पै जवान फ्रंट उप्पर लड़वाया रै
खेत मैं किसान दोफारे के मां यो पस्सीने पोंछता पाया रै
सरहद की रुखाली कराई खेत मैं हाँगा लगवाया रै
हक मांगे जिब जिब जनता नै चढ़ा सूली की नोक दिए।
2
दोनूंआं की देश सेवा तैं देखो अम्बानी का पेट फुलवाया
हमनै आवाज उठाई तो दोनूं फ्रण्टों पै हमें धमकाया
या किसी देशभक्ति जिसनै आज गरीब संकट बढ़ाया
सोचो जवानों और किसानों तमनै किसका राज बचाया
जिब हम बोलैं तो कहते ये कौन देशद्रोही भोंक दिए।
3
बेरा ना कितने किसान म्हारे ज्यान अनसमझी मैं खोगे
म्हारे देश के भक्त बेरा ना आज कित तान कै सोगे
हक मांगैं वे देशद्रोही देश लूटैं वे देश प्रेमी होगे
जात पात पै बांट दिए कमेरे ये बीज बिघ्न के बोगे
म्हारे संघर्षों के सारे रास्ते बांट बांट कै देखो रोक दिए।
4
देश द्रोह करणीये वे सैं जो हक छीन रहे किसानों के
देश द्रोही भक्त बणे हांडै आज हिमाती लुटेरे शैतानों के
म्हारे देश प्रेमी किसान क्यों आज शिकार अपमानों के
मुट्ठी भर शैतान क्यों बणे शासक देश मैं इंसानों के
कहै रणबीर छंद बनाकै ये समझा सही श्लोक दिए ।।

जेब कतरे

जेब कतरे धर्मात्मा
इब भूरा बण्या भूरसिंह , उसकै मोहर लगी सरकारी।
ना मानस नै मानस थापै, पुलिस की गेल्याँ लाई यारी।

पल  मैं तोला पल मैं माशा, कदे टाडै कदे छेरै खासा
चित बी मेरी पिट बी मेरी ना पड़ै कदे उल्टा पासा
ठाडे आगै होज्या म्याऊं पर हीने नै धमकावै खासा
घर मैं रहवै गऊ की ढालाँ बाहर करै यो पूरा तमाशा
पहरावे का नहीं ठिकाना हो पेंट कदे हो खद्दर धारी।

पूरा ज्ञानी ध्यानी बनै आरती हनुमान की तारै देखो
पिस्से नै भगवान मानै शेखी दिन रात बघारै देखो
दया धर्म दिखावे ताहिं पराई बीर पै तान्ने मारै देखो
बिना टूम धरें उधार दे ना ब्याज मैं खाल उतारै देखो
चुगली मैं बाप नारद का इनै लोगाँ की अक्कल मारी।

नीत डिगादे एक पैग पै हुया बिन पैंदे का लौटा रै
यार  का बनै यारी बख्त पै बिन बख्त मारै सौटा रै
बात घड़दे तुरत फुरत टोहले कोए बाहणा मौटा रै
अपने मुँह मियाँ मिठू कहै मैं सूँ सिक्का खौटा रै
यारे प्यारे उप्पर चलै उसकी भाई या तलवार दुधारी।

माखी भिंणकैं छिकमा सिनकै जब सत्ता तैं दूरी होज्या
पड़या खाट मैं रहै बाट मैं खत्म सारी गरूरी होज्या
हो बुरा हाल जनों सूने ताल मछली सी मजबूरी होज्या
ना चमक रहे ना दमक रहै झूऱ सिंह तैं यो झूरी होज्या
लिखै रणबीर जब झूरे पै उसकी आंख्यां मैं चिंगारी।

पीजीआई एमएस

कुछ समय पहले की हालत बयान की है। हो सकता है 
अब कुछ नर्स , डॉक्टर और मशीन आ गए हों। हालात 
खराब ही चल रहे हैं सरकार की नीतियों के चलते । क्या बताया भला---
पीजीआई एमएस की सुनियो कथा सुनाऊँ देखो।।
लाम्बी तै लाम्बी लाइन उड़ै ओपीडी मैं दिखाऊँ देखो।।
1
सर्जरी विभाग की हालत सुनकै झटके खाये रै
सीनियर रेजिडेंट बीस चाहियें पर पांच  बताये रै
ये तीन काम करते बीस का नहीं झूठ भकाऊँ देखो।।
लाम्बी तै लाम्बी लाइन उड़ै -------------
2
सात सौ स्टाफ नर्स आज मैडीकल मैं करती काम
नर्स काम नहीं करती मरीज रोज लगावैं इल्जाम
तीन हजार नर्स चाहियें राज की बात बताऊँ देखो।।
लाम्बी तै लाम्बी लाइन उड़ै----
3
बेहोशी विभाग मैं यो टोटा मशीनों का चलता आवै
कम होगी टेबल सर्जन की मरीज लाम्बी डेट पावै
ऑर्डर कर राखे सैं नयूं सालां तैं सुणता आऊं देखो।।
लाम्बी तै लाम्बी लाइन----
4
एक दिन मैं डॉक्टर आड़े डेढ़ सौ मरीज झेलता रै
दूजे देश का डॉक्टर उड़ै पन्दरा मरीज देखता रै
डॉक्टर मरीज भिड़ें आड़े कितनी भिड़ंत गिनाऊँ मैं।।
लाम्बी तै लाम्बी लाइन --------
5
मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना बेरा ना कित पड़ी सै
इसके लागू करने मैं चीज कुणसी या आण अड़ी सै
डिमांड सप्लाई का गैप यो किसकै जिम्मे लगाऊँ देखो।।
लाम्बी तैं लाम्बी लाइन---------
6
राष्ट्रीय बीमा योजना क्यों बन्द करदी पीजीआई मैं
पेशेंट वेलफेयर कमेटी क्यों ढीली होरी कार्यवाही मैं
गरीब का ना और ठिकाना दिल की बात सुनाऊँ देखो।।
लाम्बी तैं लाम्बी लाइन ---------

तोड़ की बात


स्वास्थ्य और शिक्षा का यो सरकार नै बजट घटाया रै
स्वामीनाथन रिपोर्ट नाटगे किसान फांसी पै चढ़ाया रै
1
विश्व बैंक मुद्रा कोष गेट की तिग्गी मार गहरी करती
बदेशी पूंजी देशी कारपोरेट म्हारी कष्ट कमाई चरती
पन्दरा लाख काले धन तैं म्हारी गौज क्यों नहीं भरती
महंगाई तैं ध्यान हटाणे नै दंगे करवाने तैं नहीं डरती 
मेल देशी बदेशी पूंजी का साम्प्रदायिकता तैं बिठाया रै
स्वास्थ्य और शिक्षा का यो सरकार नै बजट घटाया रै
2
पब्लिक सेक्टर ऊपर इसका हमला घणा भारी देखो
प्राइवेट सैक्टर की चाँदी सरकार बणी महतारी देखो 
42 लाख करोड़ बारा साल मैं सब्सिडी जारी देखो
अम्बानी के तलवे चाटते मजदूरां पै धरी आरी देखो 
सातवें वेतन आयोग का कर्मचारी पै तीर चलाया रै
स्वास्थ्य और शिक्षा का यो सरकार नै बजट घटाया रै
3
हरियाणे मैं भी अपणे वायदे भाजपा जमा भूल गई
राज नशे मैं कसूती ढालां देखो सरकार टूहल गई
पढ़ाई की शर्त का चुनाव पै बणा छाकटा रूल गई
आरक्षण पै खेल खेलकै पकड़ा तबाही नै तूल गई
जाट गैर जाट का जाणकै यो जहर कसूत फैलाया रै
स्वास्थ्य और शिक्षा का यो सरकार नै बजट घटाया रै
4
स्कूली शिक्षा हो चाहे उच्च शिक्षा सारै फीस बधाई सै
सरकारी अस्पतालों मैं भी बिन डॉक्टर इलाज चाही सै
सरकारी नौकरियां पै आज या कसूती कटार चलाई सै
किसान मजदूर मारे धरती कै महिला की भ्यां बुलाई सै
रणबीर लेल्यो सम्भाला विकास नहीं विनास कराया रै
स्वास्थ्य और शिक्षा का यो सरकार नै बजट घटाया रै

लव जिहाद

बीफ गऊ भारत माता आगे असली मुद्दे फैंक बगाये।।
लव जिहाद देश द्रोही गैल कब्रिस्तान नै ठाकै ल्याये।।
1
कितने करोड़ युवाओं को रोजगार दिया बताते कोण्या
गंगा मैया कितनी साफ़ हुई जिकरा कति चलाते कोण्या
बुल्लेट ट्रेन के कोच कितने तैयार करे दिखाते कोण्या
मेक इन इंडिया का के नतीजे लिखे कितै पाते कोण्या
दलित विरोध बढाँते जावैं दलित राष्ट्रपति भी बनाये।।
लव जिहाद देश द्रोही गैल कब्रिस्तान नै ठाकै ल्याये।।
2
कितने दागी नेता जेल गए नहीं कोये हिसाब बताया 
पन्दरा लाख म्हारे खातयाँ मैं आज तलक कोन्या आया
कश्मीर का हाल बुरा करया पीडीएफ तैं हाथ मिलाया
जवानों के खाण पीण मैं यो सुधार थोड़ा बी ना पाया
झूठे इतने वायदे करकै देखो फ़ौज के जवान बहकाये।।
लव जिहाद देश द्रोही गैल कब्रिस्तान नै ठाकै ल्याये।।
3
किसान आमदनी दुगणी करांगे जोर के नारे लगाये थे
डीजल पैट्रोल करांगे सस्ते घणे सब्ज बाग़ दिखाये थे
फांसी नहीं खावण देवांगे जुमले बहोत घणे सुनाये थे
स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करांगे ये सन्देश पहोंचाये थे
गरीबी कति टोही नहीं पावैगी सपन्यां मैं खूब घुमाये।।

ईमानदारों के खाते मैं यो म्हारा भारत देश आया कोण्या
रूपये के मुकाबले यो डॉलर नीचे नै आता पाया कोण्या
स्मार्ट सिटी का नक्शा थारा इस जनता नै भाया कोण्या
बहुविविधता पढ़न बिठा दी यो भाईचारा भाया कोण्या
कहै रणबीर बरोने आला दिमाग लगा मनै छंद रचाये ।।
लव जिहाद देश द्रोही गैल कब्रिस्तान नै ठाकै ल्याये।।

SMART CITY




सम्राट सिटी बण्या तो कौन बसै कौन उजड़ज्यागा ॥ 
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा ॥
1
म्हारे गाम की धरती नै सरकार कब्जाना चाहवै सै 
बिकै तीस लाख मैं किल्ला किसान बाधु पाया चाहवै सै 
बिन किल्ले आले लोगों का यो पीतलिया लिकड़ज्यागा ॥ 
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा ॥
राजस्थान मैं जाकै खरीदैं चौधरी बीस किल्ले धरती के 
बिना बिसवे आला भटकै हाल बुरे होये सैं सरती के 
किसा बुरा जमाना आया यो गरीब जमा पिछड़ज्यागा ॥ 
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥ 
पुराने गाम मैं म्हारे पै थोड़ा ए घणा सै रोजगार देखो 
हाल बढ़िया नहीं सैं मुश्किल मैं जीवै परिवार देखो 
नए शहर मैं कून बड़न दे यो असल उड़ै उघड़ज्यागा ॥
किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥ 
4
खेत मजूरी बचै नहीं नए शहर मैं काम मिलै ना भाई 
घरबार रूल ज्यांगे म्हारे यो चेहरा कदे खिलै ना भाई 
रणबीर सिंह की कविताई यो घेरा घणा जकड़ ज्यागा ॥ 

किसकी पांचों घी मैं होंगी किसका खेल बिगड़ज्यागा॥ 

बहुविविधता

बहुविविधता
बहुविविधता म्हारे देश की सुनियो आज सुणाऊं मैं ॥ 
इसपै हमला भारी सै इसनै आज बचाना चाहूँ मैं।।
जिस पत्थर की मूर्ती के पाहयों के मां पड़ते देख 
उन मूर्तियों को मुसलमान कारीगर ही घड़ते देख 
किस कारण फेर ये दोनूं क्यों आपस मैं भिड़ते देख 
मिलजुल पहले की ढालां क्यों ना बीमारी तैं लड़ते देख
म्हारी गंगा जमनी परम्परा हटकै याद दिलाऊं मैं।।
इसपै हमला भारी सै इसनै आज बचाना चाहूँ मैं।।
हिन्दू देवी देवताओं का मुसलमान ही व्यापर करते 
हर सिंगार मूर्तियों का सब मुसलमान तैयार करते 
ताजा ताजा फूल तोड़कै तैयार गले का हार करते 
और भी कई तरियां के ये बढ़िया व्यवहार करते
कदे कदीमी चलती आयी या कारोबार दिखाऊं मैं ॥ 
इसपै हमला भारी सै इसनै आज बचाना चाहूँ मैं ।।
देवी देवताओं उप्पर हिन्दू जो प्रसाद चढ़ाते देखो 
खील पतासे बूरा मखाने मुस्लिम भाई बनाते देखो 
भोग लगाकै देवता का इणनै सारे हिन्दू खाते देखो 
इस तरियां दोनूं मिलकै जीवन सही चलाते देखो 
कोए भावना नहीं सै द्वेष की कोण्या झूठ भकाऊं मैं ।।
इसपै हमला भारी सै इसनै आज बचाना चाहूँ मैं ।।
कदे यात्रा करी सै तमनै कैलाश मानसरोवर जाकै 
हिन्दू यात्रियों का बोझा मुस्लिम ढोता सिर पै ठाकै 
हिन्दू मुस्लिम रहे सैं मिलकै देखल्यो पाछे नै लखाकै 
चूड़ी सिंदूर ये बनाते हैं खुश होती महिला लगा कै
रणबीर विविधता का हुया खूब आदर समझाऊँ मैं ।।
इसपै हमला भारी सै इसनै आज बचाना चाहूँ मैं ।।
ranbir dahiya

Monday, 23 April 2018

कठुआ मंदिर पर संघ  कार्य करता  एक विडिओ बनाई है और कहा है कि मंदिर में रेप हो ही नहीं सकता |  किसी भी हद तक गिर सकते हैं  | शुभा जी जारी रखिये हम सब साथ हैं

Sunday, 22 April 2018

मेहनत कश किसान--450 ----

मेहनत कश किसान
मेहनत कश जमाने मैं तूँ घणा पाछै जा लिया ।।
देख इस महंगाई करकै यो कति तौड़ आ लिया ।।
1
चार घड़ी के तड़कै उठ रोज खेत मैं जावै सै
दोपहरी का पड़ै घाम या सर्दी घणी सतावै सै
दस बजे घर आली तेरी रोटी लेकै नै आवै सै
सब्जी तक मिलती कोण्या ल्हूखी सूखी खावै सै
नून मिर्च धरकै रोटी पै लोटा लाहसी का ठा लिया।।
2
थारा पूरा पटता कोण्या तूँ दिन रात कमावै सै
बीज बोण के साथै तूँ आस फसल पर लावै सै
सोसाटी और लाला जी से कर्ज भरया कढ़ावै सै
लाला जी फेर तेरी फसल मनचाहे दाम उठावै सै
ब्याज ब्याज मैं नाज तेरा लाला जी नै पा लिया ।।
3
कदे तनै सूखा मारै कदे या बाढ़ रोपज्या सै चाला
सूखे मैं तेरी फसल सूखज्या होवै ज्यान का गाला
कदे कति बेढंगा बरसै भाई यो लीले तम्बू आला
कदे फसल तबाह होज्या कदे होवै गुड़ का राला
बिजली तक आती कोण्या माच्छरां नै रम्भा लिया।।
4
बड़ी आशा से तमनै सै या सरकार बनाई देखो
कई काम करैगी थारे तमनै आस लगाई देखो
सरकार नै आँते ही बालक की नौकरी हटाई देखो
थारा माल खरीद सस्ते मैं और कीमत बढ़ाई देखो
देखी तेरी हुई तबाही सै आच्छी तरियां ढा लिया।
ranbir dahiya

Friday, 20 April 2018

नोएडा और गुड़गामा


आज के कारपोरेट की असलियत बताणी चाही।
युवा और युवतियों की या मजबूरी दिखाणी चाही।
मियाँ बीबी ये दोनों मिलकै आज खूब कमावैं देखो
तीस लाख का पैकेज ये साल का दोनों पावैं देखो
तड़कै आठ बजे त्यार हो नौकरियां पर जावें देखो
रात के ग्यारह बजे ये वापिस घर नैं आवैं देखो
इन कमेरयां की आज या पूरी कथा सुणानी चाही।
अपने पारिवारिक रिश्ते बताओ कैसे चलावैं रै
ऐकले रैह रैह कै शहरां मैं ये कैरियर बनावैं रै
भीड़ मैं रैह कै भी अपने नै कतिअकेला पावैं रै
गांम गेल्याँ अपना रिश्ता बताओ कैसे निभावैं रै
आज के दौर की या विरोधाभाष दिखाणी चाही।
मोटे वेतन की नौकरी छोड नहीं पावैं देखो भाई
अपने बालकां नै घरां छोड़ कै नै जावैं देखो भाई
फुल टाइम की मेड एजेंसी तैं ये ल्यावैं देखो भाई
उसके धोरै बालक ये अपने पलवावैं देखो भाई
मजबूरी या लाइफ आज इणनै अपनाणी चाही।
मात पिता दूर रहवैं टाइम काढ़ नहीं पाते भाई
दादा दादी नाना नानी इनके बन्द हुए खाते भाई
घर मैं आवैं इस्तै पहले बालक तो सो जाते भाई
नॉएडा गुड़गामा का रणबीर यो हाल सुनाते भाई
बदल गया जमाना हरयाणा ली अंगड़ाई चाही।

ज्योतिबा फुल्ले जी की याद में

ज्योतिबा फुल्ले जी की याद में


उनीसवीं सदी मैं भारत म्हारा दूज्यां का गुलाम बताया ॥
धर्म और जात ऊपर समाज बंट्या टुकड़यां मैं दिखाया ॥
म्हारे समाज पर परम्परावादी सामन्तवादी सोच छारी थी
ज्ञान और सत्ता के स्रोतां पर उच्च वर्गों की थानेदारी थी
इस व्यवस्था नै एक अछूत वर्ग हिंदुस्तान मैं था बनाया ॥
इस वर्ग नै अपमान सह्या  दरिद्रता और अभाव झेले रै
अँधेरी गुफाओं के बीच मैं कहैं ये तबके गए धकेले रै
गैर बराबरी की आग नै चारों कूट भारत देश जलाया ॥
अमानवीय जुल्म ढाल ढाल के इनपै खूब करे जावें थे
जानवरों से भी भुन्डी ढाल काम के बोझ धरे जावैं थे
माड़ी माड़ी बातों ऊपर  इनको समाज नै घणा सताया ।।
अछूत के अंदर भी कई जात म्हारे समाज नै बनाई
इनकी बस्ती गाम तैं बाहर म्हारे हिंदुस्तान मैं बसाई
धरती पर भी थूकन का पाबंद इनके ऊपर गया लगाया ॥
गले मैं हंडिया लटका कै ये तबके चाल्या करते भाई
निशान पैरों के साफ़ करते जितके डाल्या करते भाई
किसे तैं छू नहीं जावें ये जिम्मा घण्टी बजाने का लगाया ॥
ज्योतिबा फुल्ले नै अलख जात पात के खिलाफ जगाया
शिक्षा का प्रसार करने का फुल्ले जी नै था बीड़ा उठाया
कहै रणबीर बरौने आला दबंगों नै खूब विरोध जताया ॥ 

बाबा साहब अम्बेडकर



बाबा साहब अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म का धारण
 कर लिया था तो कई बार हिन्दू  उनको घर वापस 
आ जाने की बात  करते थे तो क्या जवाब होता था बाबा 
 साहेब का क्या बताया भला ---

बाबा साहेब नै कहया  तम कौनसे घर की बात करो । 
वर्ण व्यवस्था मजबूत करो चर्चा याहे दिन रात करो । 
जिस घर का सपना तम हम सबनै दिखलाओ सो रै 
दुः स्वपन नै सपना कहकै हमनै दिन रात भकाओ सो रै 
इसा थारा घर का सपना जानवरां नै भी मात करो ।1 । 
घर ईसा बनाया थामनै नहीं परिवार कठ्ठा हो खावै 
कुछ की झूठण जिस घर मैं बाकी का भोज बणज्यावै 
इसे घर नै के चाटां जड़ै व्यभिचार होवै उत्पात करो । 2 । 
म्हारे समाज के घरां मैं यो सब कुछ न्यारा न्यारा देखो 
कुआं न्यारा और भांडे न्यारे न्यारा यो सबका हारा देखो 
ईसा घर जिसमै तूँ ठाली बाकी मिलकै खुभात करो । 3 । 
घर मैं वापसी चाहो रै दखे लालच दे दे कई लाख की 
चूल हिलादी जमा परवाह नहीं मानव की साख की 
कहै रणबीर बाबा साहेब की गेल्याँ मत दुभाँत करो । 4 ।

आस बंधी

आस बंधी अक भोर होवैगी शोषण जारी रहै नहीं ।।
लोक राज तैं राज चलैगा रिश्वत  बीमारी रहै नहीं ।।
रिश्वतखोर  मुनाफाचोर की स्वर्ण तिजूरी नहीं रहै
चेहरा सूखा मरता भूखा इसी मजबूरी नहीं रहै
गरीब कमावै उतना पावै बेगार हजूरी नहीं रहै
षरीफ बसैंगे उत मरैंगे या झूठी गरुरी नहीं रहै
फूट गेर कै राज करो फेर इसी बीमारी रहै नहीं ।।
करजे माफ होज्यांगे साफ आवैगा दौर सच्चाई का
बेरोजगारी भता कपड़ा लता हो प्रबन्ध दवाई का
पैंशन होज्या सुख तैं सोज्या होवै काम भलाई का
जच्चा बच्चा होज्या अच्छा मौका मिलै पढ़ाई का
मीठा पाणी चालै नल में यो पाणी खारी रहै नहीं।।
भाई चारा सबतैं न्यारा नहीं कोए धिंगताना हो
बदली खातिर ठाकै चादर ना मंत्री पै जाना हो
हक मिलज्या घीसा घलज्या सबनै ठौर ठिकाना हो
सही वोट डलैं ना नोट चलैं इसा ताना बाना हो
हम सबनै संघर्श चलाया अंग्रेज अत्याचारी रहै नहीं।।
पड़कै सोज्यांगे चाले होज्यांगे नहीं कुछ बी होवैगा
माथा पकड़ कै भीतर बड़कै फेर बूक मारकै रोवैगा
नया मदारी करैगा हुश्यारी  हमनै बेच के सोवेगा
चौकस रहियो मतना सोइयो काटैगा जिसे बौवैगा
रणबीर सिंह बरोने आला कितै दरबारी रहै नहीं।।

म्हारे पूर्वजों का सपना रै

 म्हारे पूर्वजों का सपना रै
हरया भरया हरियाणा हो,जित दूध दही का ख़ाणा  हो
ख़त्म जात पात का बाणा हो , म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
आर्थिक आधार तरक्की के इनतै आगै जाणा  होगा
सामाजिक आधार बिगड़गे इनको ठीक बणाणा होगा
सबनै बढ़िया पढ़ाई मिलै ,सबनै बढ़िया दवाई मिलै
सबनै बढ़िया कमाई मिलै,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
भाई तैं भाई का प्यार यो परवान चढ़ै हरियाणा मैं
महिला नै सम्मान मिलै या आगै बढ़ै हरियाणा मैं
यो किसान खुशहाल होवै रै ,मजदूर ना बेगार ढोवै रै
उद्योग ना रफ़्तार खोवै रै ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
घरां कै ताले ना लावै कोए इस समाज हो म्हारा देखो
इज्जत के नाम पै ना मारैं इसा रिवाज हो म्हारा देखो
म्हारा रिश्ता भाण भाई का , म्हारा तरीका ब्याह सगाई का
ना बणै कारण रुसवाई का ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥
अमीर गरीब की खाई भाण भाईयो मिलकै भरनी होगी
प्रगतिशील समाज की नींव मिलकै पक्की करनी होगी
आसान यो काम अधूरा कोन्या,कर सके अकेला जमूरा कोन्या
थारे म्हारे बिन हो पूरा कोन्या ,म्हारे पूर्वजों का सपना रै ॥

म्हारा हरियाणा -सबका हरियाणा

म्हारा  हरियाणा -सबका हरियाणा 
लालच लूट खसोट बचै ना ईसा हरियाणा बनावांगे ॥ 
या धर्मान्धता खेल रचै ना ईसा हरियाणा बसावांगे ॥ 
भरपूर इन्सान उभरै म्हारे इस प्यारे हरियाणा मैं 
सही बात और बोल कहे जावैं म्हारे हरियाणा मैं 
बीमारी की रोकथाम हो सही सबका इलाज करावांगे॥ 
दोगली शिक्षा का खात्मा हो सबनै  शिक्षा मिलै पूरी 
नाड़ काट मुकाबला ना रहै ना हो पीसे की मजबूरी 
नशा खोरी नहीं टोही पावै हम यो अभियान चलावांगे ॥ 
मुनाफा  मंजिल नहीं रहै ना चारों तरफ घमासान मचै 
जिसकी लाठी भैंस उसकी यो जुमला फेर नहीं बचै 
प्रदूषण बढ़ता जा हम धरती बाँझ होण तैं  बचावांगे ॥ 
महिला नै इंसान समझां  रीत ख़त्म हो दोयम दर्जे की 
दलित उत्पीडन खत्म होवै ना मार बचै इस कर्जे की 
नौजवान नै रोजगार मिलै सारे कै बिगुल बजावांगे॥ 

नया साल 2018


हम नए साल में कदम मंजिल की तरफ बढ़ाएंगे ॥ 
हमारी बहुविविधता को दे हर क़ुरबानी बचाएंगे ॥ 
गुणवत्ता वाली पढ़ाई वास्ते  जनता लाम बन्द करेंगे 
सबको सस्ता इलाज मिले ऐसा मिलके प्रबंध करेंगे
निर्माण के उदाहरण हम करके सबको दिखाएंगे ॥ 
अन्ध विश्वास के खिलाफ लंबा चलाएं एक अभियान 
सबका मिलके होगा प्रयास बने संवेदनशील इंसान 
प्रति गामी विचार को  वैज्ञानिक आधार से  हराएंगे ॥ 
मिल करके करेंगे विरोध  सभी दलित अत्याचार का 
महिला समता समाज में हो मुद्दा बनायेंगे प्रचार का 
रोजगार मिले सबको ये हम सब अभियान चलाएंगे ॥ 
सद्भावना बढे समाज में नफरत का विरोध करेंगे 
पूरे समाज का विकास हो इस पे पूरा शोध करेंगे 
नया साल मुबारक हो रणबीर आगे बढ़ते ही जायेंगे ॥ 

आन्धी गली

एक दिन भरत सिंह व उसकी पत्नी सरोज आपस में बात कर रहे हैं कि बहुत बुरा जमाना आ गया है। उपभोक्तावाद की अधी गली में हम घुसते जा रहे हैं। मारो खाओ हाथ ना आओ का चारों तरफ बोलबाला है। मानवीय रिश्तों में गिरावट आ रही है। भरत सिंह सरोज को बताता है कि इस चुनाव में कैसे दारू सुलफे का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है। सरोज कहती है कि भ्रष्टाचार का कोए अन्त नहीं रहा। भरत सिंह एक गीत के माध्यम से सरोज को अपने दिल की बात सुनाता है:-
एक बै नजर घुमाकै देखां समाज म्हारा कित जा लिया।
क्यों आन्धी गली मैं बड़ते जावां, इस चिन्ता नै खा लिया।।
1. घर-घर देखां घणा बेढ़ंगा, माहौल हुया यो सारे कै
  कोए तो आड़ै काच्चे काटे क्यों बोझा पड़या करतारे कै
  आंच ना महल चौबारे कै, गरीब काल क्यों पा लिया।।
2. माणस रोज भीतर तैं टूटै, इसा जमाना आता जा
  घर के भीतर बाहण बेटी की, इज्जत पै संकट छाता जा
  शरीफ तले नै आता जा, बदमाश नै पैर जमा लिया।।
3. दारू सुल्फा सारे छागे, शरम लिहाज ना कोए ईब
  भ्रष्टाचारी का साथ देवो, कहते इलाज ना कोए ईब
  फुँकर्यां का अन्दाज ना कोए, हरियाणा सिर पै ठा लिया।।
4. रिश्वत की कमाई भूंडी, फेर बी इसको स्वीकार लिया
  दहेज बीमारी भूंडी कहते, फेर बी इसको चुचकार लिया
  रणबीर नहीं इन्कार किया तो, समझो ओड़ आ लिया।।


चमेली और बबली

बबीता-चमेली को मेडिल जाकर अपना मेडिकल करवाने के लिए तैयार करती है। वहां सविता उनकी पूरी मदद करती है। मेडिकल मुआएना हो जाता है और सूरत सिंह के खिलाफ पुलिस को केस दर्ज करना पड़ता है। गांव में चमेली का चरित्र हनन करने की पूरी कोशिशें की जाती हैं। चमेली की मां और बबीता उसका पूरा साथ देती हैं। एक दिन चमेली क्या सोचती है, क्या बताया कवि ने:-
या चोट मनै, गई घोट मनै, गई फिरते जी पै लाग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
1. चाला होग्या गाला होग्या, क्यूकर बात बताउं बेबे,
  इज्जत गवाई, चिन्ता लाई, क्यूकर ज्यान बचाउं बेबे
  सुरते बरगे फिरैं घनेरे, क्यूकर गात छिपाउं बेबे
  देख अकेली करी बदफेली, क्यूकर हाल छुपाउं बेबे
  ना पार बसाई, ना रोटी खाई, ना आच्छा लागै कोए राग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
2. जिस देश मैं नहीं होता हो सही सम्मान लुगाई का
  उस देश का नाश लाजमी, जड़ै अपमान लुगाई का
  सारी जिन्दगी राम भज्या सै, नहीं भुगतान दुहाई का
  घणा अष्टा बणा दिया सै, यो इम्तहान लुगाई का
  मैं तो मरली, दिल में जरली, लाउं नाश जले कै आग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
3. राम गाम सुणता हो तै, हाम कति ज्यान तै मरली
  औरत घणी सताई जागी, या मेरे दिल में जरली
  सबला लूटी अबला लूटी, दास बणाकै धरली
  इबै तो और सहणा होगा, के इतणे मैं सरली
  ना होठ सिउं ना जहर पिउं, तेरा करूं सामना निर्भाग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।।
4. डूबूं तिरूं मन होज्या सै, सोचूं कदे फांसी खावण की
  फेर सोचूं हिम्मत करकै, सजा कराद्यूं सुरते रावण की
  मां नै भी दिया बहुत सहारा, ऐसी मां ना पावण की
  कसर ना छोड़ी बबीता नै मेरा साथ निभावण की
  ना कदम हटावै ना केस ठावै न्यां रणबीर सिंह करै जाग
              मेरै तो सिलगै बदन में आग।

Wednesday, 18 April 2018

पंचायतां की रेल बनाई

सुणियो ईब कथा सुणाउं, खोल कै सारी बात बताउं।।
साच कैहन्ती  ना शरमाउं, पंचायतां की रेल बनाई।।
1. गाम की किसे नै फ़िकर ना सुक्का थूक बिलौवैं 
  गाम के लोग बहकाकै पीकै दारु ताणकै नै सोवैं 
  पंचायती राज का खोल सै, इसमैं होरी घणी रोल सै
  बिना बजट सब गोल सै, पंचायतां की रेल बणाई।।
2. मैम्बर पंचायत बणी सरपंच मीटिंग बुलावै ना
  कारवाई रजिस्टर चाहूं देखणा नपूता दिखावै ना
  ग्राम सभा पढ़ण बिठादी झूठी मीटिंग हुई दिखादी
  साइन करवा हुई बतादी, पंचायतां की रेल बणाई।।
3. अफसर भी म्हारे डूब गये देखती आंख्यां माखी खावैं
  गाल पक्की जिब हुई नहीं तो क्यों हुया खरच बतावैं
  बी डी ओ की हिस्सा पत्ती सै, सरपंच तै इनकी बत्ती सै
  गाम मैं आवै मास्सा रत्ती सै, पंचायत की रेल बणाई।।
4. चौधर के भूखे सरपंची के ये दावेदार बणे देखो
  सुलफे तै फुरसत ना आप्पे मैं थानेदार बणे देखो
  गालां की सुध नहीं लेवैं ये, बैठे बस थूक बिलौवें ये
  रणबीर के ताकू चभौवैं ये, पंचायतां की रेल बणाई।।

Tuesday, 17 April 2018

दसमी


दसमीं तांहि का स्कूल आगै क्यूकर करूं पढ़ाई मैं।
मां तै चाहवै पढ़ाणा पर बाबू नै घरां बिठाई मैं।।
1. मां बोली आज जमाने मैं बिना पढ़ाई कोए बूझै ना
  शहर मैं क्यूकर खंदाउं राही मनै कोए सूझै ना
  मां की देख कै नै लाचारी दिल मैं घणी घबराई मैं।।
2. बाबू बोल्या बुरा जमाना शहर ठीक नहीं सै जाणा
  उंच-नीच कोए हो ज्यागी तै हो ज्यागा मोटा उल्हाणा
  क्यूकर मनाउं मेरे बाबू नै इस चिन्ता नै खाई मैं।।
3. मैं बोली माहौल गाम का शहर तै आज न्यारा ना
  डरकै घर मैं बड़गे तो हुवै आज यो गुजारा ना
  पढ़ण तै ठावै मतना मरज्यां मौत बिन आई मैं।।
4. पांच सात दिन पाछै बाबू नै मुंह अपणा खोल्या
  डर लागै बहोत घणा बेटी आंख्यां पाणी ल्या बोल्या
  रणबीर दिल तै चाहूं सूं करना तेरी सगाई मैं।।

ट्रक ड्राइवर की दास्ताँ

ट्रक ड्राइवर की दास्ताँ 
लाउं चौथा गेर करूं फेर बम्बी जान की तैयारी रै।
पापी पेट यो मारै चपेट होवै कुणबे की लाचारी रै।।
1. दाल, फ्राई मिलती भाई घणी लाम्बी दूरी होज्या सै
  खावैं माच्छर आवै बुखार या घनी मजबूरी होज्या सै 
  राह सुनसान करै परेशान ताप कदे जूरी होज्या सै
  एकशल टूटै किस्मत फूटै बाट देख नूरी सोज्या सै
  घणा घबराउं किन्नै बताउं उड़ै पानी मिलै सै खारी रै।।
2. चुंगी आला कहै साला बीस तरां की बात बणावै
  पुलिस सतावै पीस्से खावै डण्डे का या रोब जमावै
  कमर दूखै कालजा सूखै न्यांे गाड़ी के खाक चलावै
  डाकू लुटेरे सांप बघेरे दुख मैं दारू साथ निभावै
  इसका चस्का करदे खस्ता जणो हारया औड़ जुआरी रै।।
3. रोंद मचावै तोंद  छिपावै मालिक लेवै सै पूरे ठाठ रै
  कड़ टूटै परिवार छूटै तनखा मिलै तीन सौ साठ रै
  बढ़ै म्हंगाई करै तबाही खर्चा हो सोला सौ आठ रै
  रात अन्धेरी देवै घेरी हनुमान का करता मैं पाठ रै
  ड्राइवर मनता बनियो इतना समझ पाया मैं वारी रै।।
4. पैंचर होज्या चाबी खोज्या जंगल मैं रात बिताउं मैं
  ट्रक उलटै पासा पल्टै मुश्किल तैं ज्यान बचाउं मैं
  मेरा कसूर बण्या दस्तूर चाहे अपनी राही जाउं मैं
  सुण कमल कहै अमन तनै दिल खोल दिखाउं मैं
  लिखै रणबीर मेरी तहरीर देहली पै खड़ी बेरोजगारी रै।।