Tuesday, 24 April 2018

बहुविविधता

बहुविविधता
बहुविविधता म्हारे देश की सुनियो आज सुणाऊं मैं ॥ 
इसपै हमला भारी सै इसनै आज बचाना चाहूँ मैं।।
जिस पत्थर की मूर्ती के पाहयों के मां पड़ते देख 
उन मूर्तियों को मुसलमान कारीगर ही घड़ते देख 
किस कारण फेर ये दोनूं क्यों आपस मैं भिड़ते देख 
मिलजुल पहले की ढालां क्यों ना बीमारी तैं लड़ते देख
म्हारी गंगा जमनी परम्परा हटकै याद दिलाऊं मैं।।
इसपै हमला भारी सै इसनै आज बचाना चाहूँ मैं।।
हिन्दू देवी देवताओं का मुसलमान ही व्यापर करते 
हर सिंगार मूर्तियों का सब मुसलमान तैयार करते 
ताजा ताजा फूल तोड़कै तैयार गले का हार करते 
और भी कई तरियां के ये बढ़िया व्यवहार करते
कदे कदीमी चलती आयी या कारोबार दिखाऊं मैं ॥ 
इसपै हमला भारी सै इसनै आज बचाना चाहूँ मैं ।।
देवी देवताओं उप्पर हिन्दू जो प्रसाद चढ़ाते देखो 
खील पतासे बूरा मखाने मुस्लिम भाई बनाते देखो 
भोग लगाकै देवता का इणनै सारे हिन्दू खाते देखो 
इस तरियां दोनूं मिलकै जीवन सही चलाते देखो 
कोए भावना नहीं सै द्वेष की कोण्या झूठ भकाऊं मैं ।।
इसपै हमला भारी सै इसनै आज बचाना चाहूँ मैं ।।
कदे यात्रा करी सै तमनै कैलाश मानसरोवर जाकै 
हिन्दू यात्रियों का बोझा मुस्लिम ढोता सिर पै ठाकै 
हिन्दू मुस्लिम रहे सैं मिलकै देखल्यो पाछे नै लखाकै 
चूड़ी सिंदूर ये बनाते हैं खुश होती महिला लगा कै
रणबीर विविधता का हुया खूब आदर समझाऊँ मैं ।।
इसपै हमला भारी सै इसनै आज बचाना चाहूँ मैं ।।
ranbir dahiya

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