Tuesday, 17 April 2018

ट्रक ड्राइवर की दास्ताँ

ट्रक ड्राइवर की दास्ताँ 
लाउं चौथा गेर करूं फेर बम्बी जान की तैयारी रै।
पापी पेट यो मारै चपेट होवै कुणबे की लाचारी रै।।
1. दाल, फ्राई मिलती भाई घणी लाम्बी दूरी होज्या सै
  खावैं माच्छर आवै बुखार या घनी मजबूरी होज्या सै 
  राह सुनसान करै परेशान ताप कदे जूरी होज्या सै
  एकशल टूटै किस्मत फूटै बाट देख नूरी सोज्या सै
  घणा घबराउं किन्नै बताउं उड़ै पानी मिलै सै खारी रै।।
2. चुंगी आला कहै साला बीस तरां की बात बणावै
  पुलिस सतावै पीस्से खावै डण्डे का या रोब जमावै
  कमर दूखै कालजा सूखै न्यांे गाड़ी के खाक चलावै
  डाकू लुटेरे सांप बघेरे दुख मैं दारू साथ निभावै
  इसका चस्का करदे खस्ता जणो हारया औड़ जुआरी रै।।
3. रोंद मचावै तोंद  छिपावै मालिक लेवै सै पूरे ठाठ रै
  कड़ टूटै परिवार छूटै तनखा मिलै तीन सौ साठ रै
  बढ़ै म्हंगाई करै तबाही खर्चा हो सोला सौ आठ रै
  रात अन्धेरी देवै घेरी हनुमान का करता मैं पाठ रै
  ड्राइवर मनता बनियो इतना समझ पाया मैं वारी रै।।
4. पैंचर होज्या चाबी खोज्या जंगल मैं रात बिताउं मैं
  ट्रक उलटै पासा पल्टै मुश्किल तैं ज्यान बचाउं मैं
  मेरा कसूर बण्या दस्तूर चाहे अपनी राही जाउं मैं
  सुण कमल कहै अमन तनै दिल खोल दिखाउं मैं
  लिखै रणबीर मेरी तहरीर देहली पै खड़ी बेरोजगारी रै।।

No comments: