Wednesday, 26 October 2016

BRITISHERS

अंग्रेजों नै घने जुलम कमाए अपना राज जमावान मैं
फूट गेरो तरज करो वर लाई न निति अपनावन  मैं
किसानों पर घने कसूते अंग्रेजों नै जुलम कमाए थे
कोहलू मैं पीड़ पीड़ मारे लगान उनके बढ़ाए थे
जगलों  की शरण लिया करते अपने पिंड छटवावन मैं
मजदूरों का बेहाल करया ढाका जमा उजाड़  दिया
मानचैस्टर आगै बढाया जलूस म्हारा लिकाड़ दिया
ढाका की आबादी घटगी माहिर मलमल बनावन मैं
युवा घने सताए गोरयां नै ये सारी सीम लाँघ गए
बंदर बाँट मचा देश मैं फेर रच घने ये सांग गए
पहली आजादी आली जंग लड़ी गयी थी सतावन मैं
ठारा सौ सतावन की जंग मैं देशी सेना बागी होगी
अंग्रेजों के हुए कान खड़े चचोत कालजै लगी होगी
रणबीर सिंह की कविताई हो सै  जनता जगावन मैं

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